NIOS Class 12 Home Science Chapter 21 मानव विकास के मुद्दे व चिंताएं

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NIOS Class 12 Home Science Chapter 21 मानव विकास के मुद्दे व चिंताएं

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Chapter: 21

मॉडयूल – 4 मानव विकास

पाठगत प्रश्न 21.1

1. लड़कियों के प्रति होने वाले भेदभाव के तीन संकेतक बताइये। लड़कियों के प्रति भेदभाव बढ़ता जाता है क्योंकि वे: 

(i) _______________________________।

(ii) _______________________________।

(iii) _______________________________।

उत्तर: लड़कियों के प्रति भेदभाव जन्म से ही बरता जाता है और कई घरों में लड़कियाँ अवांछित होती हैं और उनकी देखभाल भी ठीक से नहीं की जाती।

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लड़कियों के प्रति भेदभाव बढ़ने के तीन प्रमुख संकेतक हैं-

(i) उन्हें अपर्याप्त पोषण प्राप्त होता है। भारतीय परिवारों में, माताएँ पहले पति और लड़कों को खाना परोसती हैं, जबकि लड़कियों को बचा-खुचा खाना परोसा जाता है, जो गुणवत्ता और मात्रा में काफी कम होता है (उदाहरण के लिए, पर्याप्त मात्रा में दाल, रोटी और सब्ज़ी न मिलना)। लड़कों को लड़कियों की अपेक्षा ज़्यादा देर तक माँ का दूध पिलाया जाता है।

(ii) उन्हें उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ नहीं मिलती हैं। बीमार होने पर लड़कियों को डॉक्टर के पास नहीं ले जाया जाता है, क्योंकि अच्छा स्वास्थ्य उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता। पर्याप्त भोजन न मिलने के कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और वे जल्दी बीमार पड़ने लगती हैं।

(iii) उन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता है। कई लड़कियों को प्राथमिक विद्यालय से ही निकाल लिया जाता है और वे बहुत छोटी उम्र से ही अपनी माँ के साथ घर का काम करना शुरू कर देती हैं। कुछ घरों में, लड़कों को पढ़ाई में दिलचस्पी न होने के बावजूद जबरन स्कूल भेजा जाता है, जबकि लड़की के स्कूल जाने की ज़िद पर माता-पिता द्वारा उसे डाँट दिया जाता है।

2. शिक्षा से लड़कियों की मदद किस प्रकार होती है? ऐसे तीन तरीके बताइये।

(i) ________________________________।

(ii) ________________________________।

(iii) ________________________________।

उत्तर: लड़कियों के जीवन में शिक्षा बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि वे बाद में अपने परिवार के हर सदस्य का जीवन बुनती हैं।

शिक्षा लड़कियों की निम्न प्रकार से मदद करती है-

(i) जागरूकता लाना और घर का कुशल प्रबंधन। शिक्षा लड़कियों में जागरूकता लाती है, जिससे उन्हें यह पता चलता है कि उनके आस-पास क्या अच्छा है और क्या बुरा। शिक्षित लड़कियाँ उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों का ज्ञान रखती हैं और कम पैसे में अधिक उपयोगी वस्तु खरीद सकती हैं, साथ ही अपने घर की आय और व्यय का लेखा-जोखा रख सकती हैं।

(ii) आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मविश्वास प्रदान करना। शिक्षा लड़कियों में आत्मविश्वास और कौशल जगाती है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर वे कोई भी व्यवसाय करके अपने परिवार की आर्थिक सहायता कर सकती हैं, जिससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है।

(iii) बच्चों की बेहतर परवरिश और मार्गदर्शन। शिक्षित माताएँ माँ बनने के बाद अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में मदद कर सकती हैं। वे अपने बच्चों में अच्छी आदतें और मूल्य विकसित करने में सक्षम होती हैं, और बच्चों की दैनिक समस्याओं को समझकर उनका सही मार्गदर्शन कर पाती हैं।

पाठगत प्रश्न 21.2

निम्न प्रश्नों का उत्तर दो पंक्तियों में लिखें।

1. बाल अपराधी कौन होते हैं?

उत्तर: बाल अपराध का अर्थ है छोटे बच्चों द्वारा कानून का उल्लंघन। कानून की दृष्टि से, बाल अपराधी 16 साल से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियाँ होते हैं, जिन्हें कानूनी रूप से सज़ा नहीं दी जा सकती।

2. कौन सा व्यवहार अपराध जन्य है?

उत्तर: अपराध जन्य व्यवहार, जिसे बाल अपराध कहा जाता है, उनमें जाल्ससाज़ी, हिंसा, चोरी, आत्मघात, झूठ बोलना, यौन अपराध, और नशीली दवाओं का व्यापार शामिल हैं। यह व्यवहार सामाजिक रूप से स्वीकृत नहीं होता, बल्कि असामाजिक व्यवहार होता है।

3. कौन से कारक बाल अपराध को जन्म देते हैं?

उत्तर: बाल अपराध का मुख्य कारण गरीबी है, जिसके कारण बच्चों के पास पर्याप्त सुविधाएँ और आराम नहीं होता। अन्य कारक हैं: बुरी संगत, मीडिया में हिंसा, माता-पिता के बीच नियमित झगड़े, भीड़-भाड़ भरे घर, एकांत की कमी, और असुरक्षा की भावना।

4. यदि बाल अपराध गरीबी के कारण है तो बाल अपराधियों की सहायता किस प्रकार की जा सकती है?

उत्तर: गरीबी बाल अपराधों का मुख्य कारण है, इसलिए गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। बाल अपराधियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण (वोकेशनल ट्रेनिंग) उपलब्ध करवाकर उन्हें अपने पाँव पर खड़े होने का मौका दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, कम ब्याज दरों पर व्यवसाय के लिए ऋण उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं का पता लगाकर सहायता की जा सकती है।

पाठगत प्रश्न 21.3

1. माता-पिता अपने बच्चों को काम पर क्यों भेजते हैं? 3 कारण बताएं।

(i) ________________________________।

(ii) ________________________________।

(iii) ________________________________।

उत्तर: बाल श्रम के प्रमुख कारणों में से तीन निम्नलिखित हैं:

(i) गरीबी: गरीबी बाल श्रम का मुख्य कारण है।

(ii) निरक्षरता और माता-पिता का अज्ञान: माता-पिता का निरक्षर होना और शिक्षा के महत्व से अनजान होना भी एक कारक है।

(iii) अनाथ, आवारा व तिरस्कृत बच्चे: अनाथ या आवारा बच्चे भी काम पर भेजे जाते हैं, या फिर वे बच्चे जिन्हें परिवार द्वारा तिरस्कृत कर दिया गया हो।

2. तीन परिस्थितियाँ, जिनमें बच्चों से काम करवाया जाता है, की सूची बनायें।

(i) ________________________________।

(ii) ________________________________।

(iii) ________________________________।

उत्तर: बाल श्रम में संलग्न बच्चों को अक्सर निम्न कार्य करते देखा जाता है:

(i) अख़बार बेचना।

(ii) ढाबों में काम करना।

(iii) घरों में नौकर के रूप में कार्य करना। (या कारें धोना और जूते पॉलिश करना)।

3. बाल श्रम से निपटने की तीन विधियों की सूची बनाएं।

(i) ________________________________।

(ii) ________________________________।

(iii) ________________________________।

उत्तर: बाल श्रम की समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित विधियों का उपयोग किया जा सकता है:

(i) अनौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था कराएँ: मालिक बच्चों को काम से कुछ अवधि की छुट्टी देकर पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, या मालिक स्वयं उनकी पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था कर सकते हैं।

(ii) अभिभावकों को शिक्षित करें: अभिभावकों को शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे बाल श्रम के नकारात्मक पहलुओं और बच्चों की शिक्षा के महत्व को समझ सकें।

(iii) स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाना: नियमित स्वास्थ्य जाँच शिविर की व्यवस्था करके स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाएँ।

पाठगत प्रश्न 21.4

एक बच्चों के क्लब ने विचार किया कि उस समूह के सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों की किस प्रकार मदद की जाय। उन्होंने सुझाव लिखते समय कुछ गलतियां की। शब्दों को सही प्रकार व्यवस्थित करके देखें कि आप ऐसे बच्चों के लिये क्या कर सकते हैं।

1. ऐसे बच्चों को कपढ़ार ___________________।

उत्तर: पढ़ाना।

2. पुराने नेखिलौ नदा करें ___________________।

उत्तर: दान और खिलौने।

3. दान करें पुरानी बेंताकि ___________________।

उत्तर: पुरानी किताबें और कॉपियां।

4. कोई लकौश सिखाकर ___________________।

उत्तर: कौशल।

5. व्यक्तिगत ताच्छस्व सिखाकर _________________।

उत्तर: स्वच्छता।

6. कक्षिशै खेल का आयोजन करके, ______________।

उत्तर: शैक्षिक।

7. कषपो नाश्ता देकर  ___________________।

उत्तर: पोषक।

8. लास्तकह मेला आयोजित करके _______________।

उत्तर: हस्तकला।

9. कतिनै शिक्षा सिखाकर ___________________।

उत्तर: नैतिक।

10. उन्हें यलद्यावि जाने के लिये प्रोत्साहित करके _________।

उत्तर: विद्यालय।

पाठगत प्रश्न 21.5

1. हड्डियों से कमजोर विकलांग बच्चे वह हैं जिन्हें समस्या है-

(i) बोलने में।

(ii) देखने में।

(iii) सुनने में।

(iv) चलने-फिरने में।

उत्तर: (iv) चलने-फिरने में।

2. एक नेत्रहीन बच्चे को आकार की पहचान कराने का सबसे अच्छा तरीका है-

(i) चित्र बनाकर।

(ii) मौखिक वर्णन करके।

(iii) आकार को छू कर।

(iv) मौखिक वर्णन और स्पर्श करके।

उत्तर: (iii) आकार को छू कर।

3. जन्म से बहरे बच्चों को बोलने में कठिनाई होती है क्योंकि-

(i) अपने माता-पिता की आवाज सुनकर वे चौंक जाते हैं।

(ii) वे अपनी ही आवाज नहीं सुन पाते।

(iii) वे बोलने की अपेक्षा सुनना पसंद करते हैं।

(iv) वे कोई आवाज नहीं सुन पाते।

उत्तर: (ii) वे अपनी ही आवाज नहीं सुन पाते।

4. क्षीण श्रवण शक्ति वाले बच्चों को-

(i) अपने कान साफ करवाने चाहिये।

(ii) श्रवण सहायक यंत्र लगाने चाहिये।

(iii) सुनने का अभ्यास करना चाहिये।

(iv) सुनने पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिये।

उत्तर: (ii) श्रवण सहायक यंत्र लगाने चाहिये।

5. विकलांग बच्चे के पुनर्वास के लिये महत्त्वपूर्ण है कि उन्हें-

(i) प्रेम व स्नेह दिया जाए।

(ii) उन्हें शीघ्र से शीघ्र स्वास्थ्य सहायता दी जाए।

(iii) उनके साथ समय व्यतीत किया जाए।

(iv) उपर्लिखित सभी उपाय किये जाए।

उत्तर: (ii) उन्हें शीघ्र से शीघ्र स्वास्थ्य सहायता दी जाए।

पाठगत प्रश्न 21.6

गलत उत्तरों को चुनें (एक से अधिक भी हो सकते हैं):

1. मंदबुद्धिता देरी है, निम्न में:

(i) चलने में।

(ii) बोलने में।

(iii) मानसिक विकास में।

(iv) खाना खाने की आदत के विकास में।

उत्तर: (iii) मानसिक विकास में।

2. मंदबुद्धिता का कारण है-

(a) मस्तिष्क की चोट।

(b) मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले रोग।

(c) लम्बी बीमारी।

(d) पुरानी खांसी व जुकाम से।

(e) हृदय को कम ऑक्सीजन मिलना।

उत्तर: (c) लम्बी बीमारी।

3. मंदबुद्धि बच्चों के सिखाया जा सकता है:

(i) अपनी देखभाल करना।

(ii) घर के कार्यों में सहायता करना।

(iii) खाना पकाना।

(iv) कुछ व्यवसायिक कौशल।

उत्तर: सही है।

पाठगत प्रश्न 21.7

1 निम्न में से उन कारकों को क्रास (X) करके काट दीजिये जो एचआईवी संक्रमण का माध्यम नहीं हैं।

(i) रक्त, वीर्य और योनि स्राव।

(ⅱ) संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाना।

(ii) चीरा लगाने व कान छेद के लिये प्रमुक्त ब्लेड व सूई।

(iv) जन्म से पहले या प्रसव के समय माँ द्वारा बच्चे में संक्रमण।

(v) संक्रमित व्यक्ति के कमरे में सोना।

(vi) संक्रमित व्यक्ति को चूमना व उसका आलिंगन करना।

(vii) संक्रमित व्यक्ति का रक्त स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ाना।

(viii) संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध।

(ix) संक्रमित व्यक्ति के कपड़े पहनना।

(x) संक्रमित व्यक्ति के साथ खेलना।

उत्तर: स्रोत सामग्री स्पष्ट करती है कि एचआईवी/एड्स का संक्रमण रक्त, वीर्य, योनि स्राव और संक्रमित माँ से बच्चे में होता है, लेकिन यह साधारण शारीरिक संपर्क से नहीं फैलता है।

क्रमांककारकसंक्रमण का माध्यम?
(i)रक्त, वीर्य और योनि स्राव।नहीं काटें (संक्रमण का माध्यम है)
(ⅱ)संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाना।X (संक्रमण का माध्यम नहीं है)
(iii)चीरा लगाने व कान छेद के लिये प्रयुक्त ब्लेड व सूई।नहीं काटें (संक्रमण का माध्यम हो सकता है, यदि जीवाणु रहित न हो)
(iv)जन्म से पहले या प्रसव के समय माँ द्वारा बच्चे में संक्रमण।नहीं काटें (संक्रमण का माध्यम है)
(v)संक्रमित व्यक्ति के कमरे में सोना।X (संक्रमण का माध्यम नहीं है)
(vi)संक्रमित व्यक्ति को चूमना व उसका आलिंगन करना।X (संक्रमण का माध्यम नहीं है)
(vii)संक्रमित व्यक्ति का रक्त स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ाना।नहीं काटें (संक्रमण का माध्यम है)
(viii)संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध।नहीं काटें (संक्रमण का माध्यम है)
(ix)संक्रमित व्यक्ति के कपड़े पहनना।X (संक्रमण का माध्यम नहीं है)
(x)संक्रमित व्यक्ति के साथ खेलना।X (संक्रमण का माध्यम नहीं है)

2. नीचे दिए गए कथनों को पूर्ण करने के लिए दिए गए चार विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर बताइये।

1. संक्रमित व्यक्ति के रक्त में एचआईवी के प्रतिपिंड बनने में समय लगता है।

(i) 3 महीने में।

(ii) 2 सप्ताह में।

(iii) 2 सप्ताह से 3 महीने में।

(iv) 3 सप्ताह से 10 वर्ष में।

उत्तर: (iii) 2 सप्ताह से 3 महीने में।

2. एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स के लक्षण ___________ में प्रकट होते हैं।

(i) दो सप्ताह।

(ii) तीन महीने।

(iii) दो सप्ताह से तीन महीने।

(iv) तीन सप्ताह से दस वर्ष।

उत्तर: (iv) तीन सप्ताह से दस वर्ष।

3. एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की सुनिश्चित पहचान है जब-

(i) उसका अत्यधिक वजन घटता है।

(ii) उसका बुखार कई हफ्तों तक नहीं उत्तरता।

(iii) उसे निरंतर दस्त रहते हैं।

(iv) उसके रक्त में प्रतिपिंड पाये जाते हैं।

उत्तर: (iv) उसके रक्त में प्रतिपिंड पाये जाते हैं।

4. एड्स एचआईवी नामक विषाणु से फैलता है जो नष्ट करता है-

(i) शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को।

(ii) शरीर के रक्त परिसंचरण तंत्र को।

(iii) व्यक्ति की रक्त उत्पादन क्षमता को।

(iv) व्यक्ति की रक्त में प्रतिपिंड बनाने की क्षमता को।

उत्तर: (i) शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को।

5. सुरक्षित मातृत्व का अर्थ है।

(i) माताओं की मृत्यु दर व अस्वस्थता घटाना।

(ii) जीवित शिशु का जन्म।

(iii) स्वस्थ बच्चों का लालन पालन।

(iv) माता के स्वास्थ्य की देखभाल।

उत्तर: (i) माताओं की मृत्यु दर व अस्वस्थता घटाना।

6. निम्न में क्या सुरक्षित मातृत्व के लिये बरती जाने वाली सावधानी नहीं है?

(i) गर्भावस्था के दौरान प्रशिक्षित नर्स या डॉक्टर से परामर्श।

(ii) प्रसव के समय कुशल व अनुभवी व्यक्ति की उपस्थिति।

(iii) भ्रूण का लिंग परीक्षण करना।

(iv) जरा को भलीभाँति बांधकर काटना।

उत्तर: (iii) भ्रूण का लिंग परीक्षण करना।

3. एड्स तथा एचआईवी का पूर्ण रूप लिखिए।

उत्तर: एड्स (AIDS) का पूर्ण रूप एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome) है।

एचआईवी (HIV) का पूर्ण रूप ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) है।

पाठान्त प्रश्न

1. बालिकाओं के प्रति बरते जाने वाली विभिन्न भेदभावों की सूची बनाइये और उनमें से किसी एक की विस्तार पूर्वक व्याख्या कीजिये।

उत्तर: भारत में बालिकाओं के प्रति जन्म से ही भेदभाव बरता जाता है, और कई घरों में लड़कियाँ अवांछित होती हैं तथा उनकी देखभाल ठीक से नहीं की जाती।

भेदभावों की सूची:

(i) पोषण संबंधी भेदभाव: उन्हें गुणवत्ता और मात्रा में कम पोषण प्राप्त होता है।

(ii) स्वास्थ्य सुविधाओं में उपेक्षा: उन्हें बीमार होने पर डॉक्टर के पास नहीं ले जाया जाता।

(iii) शिक्षा से वंचित रखना: उन्हें प्राथमिक विद्यालय से ही निकाल लिया जाता है और वे बहुत छोटी उम्र में ही घर का काम करना शुरू कर देती हैं।

(iv) सामाजिक बोझ समझना: लड़कियों को परिवार के लिए बोझ समझा जाता है, जबकि लड़कों को वरदान समझा जाता है।

विस्तार पूर्वक व्याख्या (पोषण संबंधी भेदभाव):

भारतीय परिवारों में, माताएँ पहले अपने पति और लड़कों को खाना परोसती हैं। लड़कियों को अक्सर बचा-खुचा खाना परोसा जाता है, जो गुणवत्ता और मात्रा में काफी कम होता है। उदाहरण के लिए, कई बार लड़कियों को पर्याप्त मात्रा में दाल, रोटी और सब्ज़ी भी नहीं मिल पाती है। यह भेदभाव जन्म से ही शुरू हो जाता है, क्योंकि लड़कों को लड़कियों की अपेक्षा ज़्यादा देर तक माँ का दूध पिलाया जाता है। पर्याप्त भोजन न मिलने के कारण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, और वे जल्दी बीमार पड़ने लगती हैं।

2. बालिकाओं के जीवन स्तर को सुधारने में शिक्षा की भूमिका की व्याख्या करिये।

उत्तर: लड़कियों के जीवन में शिक्षा बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि वे बाद में अपने परिवार के हर सदस्य का जीवन बुनती हैं।

शिक्षा बालिकाओं के जीवन स्तर को निम्न प्रकार से सुधारती है:

(i) जागरूकता और कुशल गृह प्रबंधन: शिक्षा लड़कियों में जागरूकता लाती है, जिससे उन्हें पता चलता है कि उनके आस-पास क्या अच्छा है और क्या बुरा। शिक्षित लड़कियाँ अपने घर को कुशलतापूर्वक चलाती हैं; उदाहरण के लिए, एक उपभोक्ता के रूप में उन्हें अपने अधिकारों का ज्ञान होता है, वे कम पैसे में अधिक उपयोगी वस्तु खरीद सकती हैं, और अपने घर की आय और व्यय का लेखा-जोखा रख सकती हैं।

(ii) आत्मविश्वास और आर्थिक स्वतंत्रता: शिक्षा लड़कियों में आत्मविश्वास और कौशल जगाती है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर वे कोई भी व्यवसाय करके अपने परिवार की आर्थिक सहायता कर सकती हैं।

(iii) बच्चों की बेहतर परवरिश और मार्गदर्शन: शिक्षित लड़कियाँ माँ बनने के बाद अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में मदद कर सकती हैं। वे अपने बच्चों में अच्छी आदतें और मूल्य विकसित करने में सक्षम होती हैं, और बच्चों की दैनिक समस्याओं को समझकर उनका सही मार्गदर्शन कर पाती हैं।

माता-पिता यदि अपनी पुत्री को शिक्षित करते हैं, तो वे न केवल बेटी की मदद करते हैं, बल्कि उसे एक अच्छी बहू, पत्नी और माँ बनने में भी मदद करते हैं।

3. बाल अपराध की परिभाषा दीजिये और इसके कारणों पर प्रकाश डालिये।

उत्तर: बाल अपराध का अर्थ है छोटे बच्चों द्वारा कानून का उल्लंघन। कानून की दृष्टि से, बाल अपराधी 16 साल से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियाँ होती हैं। कानूनन उन्हें सज़ा नहीं दी जा सकती। बाल अपराध एक असामाजिक व्यवहार होता है जो सामाजिक रूप से स्वीकृत नहीं होता है।

बाल अपराध के कई कारण होते हैं:

(i) गरीबी: यह बाल अपराध का मुख्य कारण है। गरीब बच्चों के पास जीवन की पर्याप्त सुविधाएँ और आराम नहीं होते, इसलिए उन्हें चोरी और लूटपाट इन सुविधाओं को जुटाने का सबसे सरल माध्यम लगता है। कभी-कभी तो माता-पिता स्वयं बच्चों को चोरी के लिए उकसाते हैं।

(ii) बुरी संगत: बच्चे या किशोर कभी-कभी अपने समूह के नेताओं को प्रभावित करने के लिए चोरी, झूठ बोलना, या खिड़कियों के काँच तोड़ना जैसी गतिविधियाँ करते हैं, जो धीरे-धीरे उनकी आदत बन जाती है।

(iii) मीडिया में हिंसा: फिल्मों और किताबों में बाल अपराधी को एक सशक्त पात्र के रूप में चित्रित किया जाता है। छोटे और किशोर बच्चे इन पात्रों से प्रभावित होकर उनके व्यवहार की नकल करना शुरू कर देते हैं।

(iv) पारिवारिक झगड़े और असुरक्षा: माता-पिता के बीच नियमित झगड़े भी समस्या का कारण होते हैं। जब वे बच्चों के सामने ऊँची आवाज़ में झगड़ते हैं, तो बच्चे डर जाते हैं और उनमें असुरक्षा की भावना पैदा होती है।

(v) अन्य कारक: खेल सुविधाओं का अभाव, भीड़-भाड़ भरे घर, एकांत की कमी, और कम आयु में यौन ज्ञान।

4. बाल अपराध समस्या से निपटने के लिये क्या-क्या सावधानियों बरती जा सकती हैं?

उत्तर: बाल अपराध की समस्या से निपटने के लिए कई निवारक उपाय किए जा सकते हैं, जो समस्या को शुरू होने से रोक सकते हैं:

(i) गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम: चूंकि गरीबी मुख्य कारण है, इसलिए गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए।

(ii) व्यावसायिक प्रशिक्षण (Vocational Training): बाल अपराधियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर उन्हें अपने पाँव पर खड़े होने का मौका दिया जाना चाहिए। ऐसी संस्थाओं का पता लगाना चाहिए जहाँ कम ब्याज दरों पर व्यवसाय के लिए ऋण उपलब्ध कराया जाता हो।

(iii) पारिवारिक संबंध सुधारना: माता-पिता को अपने बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए। उन्हें बच्चों की समस्याओं को सुनना चाहिए और उनके मतभेदों को सुलझाना चाहिए।

(iv) मूल्यों और आदतों का विकास: बच्चों में अच्छी आदतें और मूल्य विकसित करने चाहिए।

(v) मनोरंजन की सुविधाएँ: युवाओं को मनोरंजन की सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए ताकि वे अपना समय भली-भांति बिता सकें।

(vi) रीमांड होम का उपयोग: यदि बच्चे अपराधी प्रवृत्ति के हो जाते हैं, तो उन्हें रीमांड होम भेजा जाता है, जहाँ उनकी अपराधी प्रवृत्ति को बदलने के अवसर दिए जाते हैं।

5. बाल श्रम की परिभाषा दीजिये और इसके कारणों की सूची बनाइये।

उत्तर: बाल श्रम (Child Labour) से तात्पर्य ऐसे किसी भी बच्चे से है जो 14 वर्ष की आयु से कम हो और जो पैसा कमाने के लिए कार्य कर रहा हो। बच्चों की उम्र काम करके पैसा कमाने की नहीं होती है, बल्कि उन्हें स्कूल जाकर ज्ञान प्राप्त करना होता है।

बाल श्रम के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

(i) गरीबी।

(ii) निरक्षरता और माता-पिता का अज्ञान।

(iii) अनाथ, आवारा या तिरस्कृत बच्चे।

(iv) नाजुक उँगलियाँ और तेज़ दृष्टि कुछ पारम्परिक कौशलों में बहुत उपयोगी होती हैं (जैसे कालीन बुनना)।

(v) ऐसे श्रमिकों की मांग जो सस्ते, मूक (मौन/न बोलने वाले) और निरीह हों।

6. बाल श्रम के परिणामों की व्याख्या कीजिये।

उत्तर: बाल श्रम के कई नकारात्मक परिणाम होते हैं, खासकर बच्चे के विकास पर:

(i) शारीरिक विकलांगता: बच्चों से लंबी अवधि तक (12 से 16 घंटे तक) असुविधाजनक आसन में काम कराया जाता है, जिससे उनमें स्थायी विकलांगता उत्पन्न हो सकती है।

(ii) संक्रामक रोग: बच्चे अक्सर अस्वच्छ स्थितियों में काम करते हैं और अक्सर संक्रामक रोग से ग्रस्त रहते हैं।

(iii) विकास के अवसरों में बाधा: काम करने की लंबी अवधि के कारण उनके विकास के अवसर अवरुद्ध हो जाते हैं।

(iv) निरक्षरता में वृद्धि: चूँकि वे स्कूल नहीं जा पाते हैं, इसलिए देश में अशिक्षितों की संख्या में वृद्धि होती है।

7. बाल श्रम की समस्या से निपटने के तरीकों का विवरण लिखिये।

उत्तर: बाल श्रम की समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं:

(i) अनौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था: मालिक बच्चों को काम से कुछ अवधि की छुट्टी देकर पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, या मालिक स्वयं उनकी पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था कर सकते हैं।

(ii) अभिभावकों को शिक्षित करना: अभिभावकों को शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे बाल श्रम के नकारात्मक पहलुओं और बच्चों की शिक्षा के महत्व को समझ सकें।

(iii) स्वास्थ्य सुविधाएँ: नियमित स्वास्थ्य जाँच शिविर की व्यवस्था करके स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाएँ।

(iv) कामकाज के माहौल में सुधार: बच्चों से स्वच्छ, हवादार और प्रकाशमय कमरों में और वयस्कों की अपेक्षा कुछ ही घंटों तक काम करवाना चाहिए।

8. बच्चों की कुछ शारीरिक विकलांगताओं के विषय में लिखिये और ऐसे बच्चों की समस्याओं के विषय में बताइये।

उत्तर: शारीरिक रूप से विकलांग बच्चे वे होते हैं जो वे क्रियाकलाप नहीं कर पाते जो सामान्य मनुष्य के लिए साधारण समझे जाते हैं।

शारीरिक विकलांगताएँ और संबंधित समस्याएँ:

विकलांगताविवरण और समस्याएँ
हड्डियों से संबंधित विकलांगताइसमें हड्डियों की दोषपूर्ण बनावट, कैल्शियम और विटामिन D की कमी, या दुर्घटना से हड्डियाँ क्षतिग्रस्त होना शामिल है। ऐसे बच्चों को चलने-फिरने में समस्या होती है। उदाहरण के लिए, पोलियो के कारण रानी चल नहीं सकती।
स्पैस्टिक बच्चेकुछ बच्चों की माँसपेशियाँ अकड़ी होती हैं। उन्हें गत्यात्मक (motor) और शारीरिक संतुलन में समस्या होती है। अक्सर उनके हाथ, सिर और पैर दोषपूर्ण तथा धीरे चलते हैं।
अंधापन/नेत्रहीनताआंशिक रूप से अंधे बच्चों की दृष्टि धुंधली होती है, और नेत्रहीन बच्चे बिल्कुल भी नहीं देख पाते हैं। उनकी समस्याएँ तब सामने आती हैं जब वे सुई में धागा डालने, बस का नंबर पढ़ने, या श्याम पट्ट (blackboard) से पढ़ने में दिक्कत की शिकायत करते हैं। विटामिन ‘A’ की कमी और आँखों की चोट अंधापन के मुख्य कारण हैं।
गूँगापन और बहरापनजन्म से बहरे बच्चों को भाषा सीखने में कठिनाई होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे न तो अपनी आवाज़ सुनते हैं और न ही माता-पिता की, इसलिए भाषा का उनके लिए कोई अर्थ नहीं होता। तेज शोर या कान का संक्रमण भी बहरेपन का कारण हो सकता है।

9. आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े बच्चे कौन होते हैं? उनकी समस्याओं के विषय में विस्तार से चर्चा कीजिये।

उत्तर: सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चे वे हैं जो घोर गरीबी में जीते हैं। उन्हें कम सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, और उनके माता-पिता उनके शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक विकास के लिए पर्याप्त सुविधाएँ नहीं जुटा पाते हैं।

उनकी समस्याएँ (उदाहरण राधा की कहानी के आधार पर):

(i) शिक्षा से वंचित होना: गरीबी के कारण वे स्कूल से हटा दिए जाते हैं (जैसे- राधा को फीस न दे पाने के कारण हटा दिया गया)।

(ii) जिम्मेदारी का बोझ: बड़े होने के कारण उन्हें छोटे भाई-बहनों की देखभाल करनी पड़ती है, जिससे वे अपने बचपन के क्रियाकलापों से वंचित रह जाते हैं।

(iii) पारिवारिक समस्याएँ: उनके माता-पिता अक्सर दिहाड़ी मजदूर होते हैं और परिवार घोर गरीबी से जूझता रहता है।

(iv) असुरक्षित घरेलू वातावरण: माता-पिता का शराब पीकर घर लौटना और आपस में झगड़ना बच्चों के मानसिक और संवेगात्मक विकास को प्रभावित करता है।

10. मानसिक विकलांगता किसे कहते हैं? ऐसे बच्चे की सहायता के लिये तरीके बताइये।

उत्तर: मानसिक विकलांगता (Mental Retardation): मानसिक विकलांगता बच्चे के मानसिक विकास में विलंब (delay) या धीमी गति है। जो बच्चा मानसिक रूप से कमजोर होता है, वह अपनी उम्र के अन्य बच्चों की अपेक्षा धीमी गति से सीखता है। विकास के मील के पत्थर (milestones) देरी से प्राप्त होते हैं (जैसे देर से चलना और बोलना)। इसका कारण मानसिक अवरुद्धता है, जिसका अर्थ है रोगों के कारण मस्तिष्क का विकास रुक जाना। कारणों में मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी, प्रसव के समय औज़ारों से चोट, या दुर्घटना से मस्तिष्क को लगी चोट शामिल हैं।

ऐसे बच्चे की सहायता के तरीके:

(i) सम्मानजनक व्यवहार: ऐसे बच्चों को कभी भी मूर्ख या बेवकूफ नहीं कहना चाहिए।

(ii) स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करना: जो कुछ भी ये बच्चे स्वयं कर सकें, उतना कार्य उन्हें करने देना चाहिए। उनकी मदद तभी करें जब वे माँगें।

(iii) स्वयं सहायता कौशल सिखाना: धीरे-धीरे बच्चों को कपड़े पहनना/उतारना, ठीक से खाना, चीज़ें बाँटना और सरल निर्देश मानना सिखाना चाहिए।

(iv) घरेलू कार्य सिखाना (यदि विकलांगता अत्यधिक न हो): यदि मंदबुद्धिता अत्यधिक नहीं है, तो उन्हें साधारण घरेलू कार्य जैसे घर की देखभाल, चावल पकाना, चाय बनाना सिखाया जा सकता है। इससे वे आत्मनिर्भर बनेंगे।

(v) व्यावसायिक प्रशिक्षण: मंदबुद्धि बच्चों को विशेष स्कूलों में डालना चाहिए जहाँ उन्हें जीविकोपार्जन के लिए कुछ व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है।

11. विकलांग बच्चों की सहायता के तरीके सुझाइये।

उत्तर: विकलांग बच्चों को प्यार, सहायता और प्रोत्साहन से वे जल्दी ही अन्य बच्चों जैसे कौशल विकसित कर लेते हैं।

सहायता के तरीके निम्न प्रकार हैं-

(i) जल्दी स्वास्थ्य परीक्षण: जितनी जल्दी हो सके बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण करवाएँ ताकि उनकी विकलांगता का आकलन किया जा सके। जल्दी पता चलने पर दोषों को दूर करने की संभावना अधिक होती है।

(ii) विशेष स्कूल और विशेष विधियाँ: विकलांगता का पता चलते ही बच्चे को उसके साथ जीना सिखाएँ। विशेष स्कूल इन बच्चों के लिए अच्छे रहते हैं, जहाँ उन्हें विकलांगता का सामना करने के लिए विशेष विधियाँ और सहायता सामग्री सिखाई जाती है (जैसे नेत्रहीन बच्चों के लिए ब्रेल)।

(iii) कृत्रिम उपकरणों का प्रयोग: विकलांग बच्चों को कृत्रिम उपकरणों (जैसे ब्रेसिज़ या कृत्रिम पाँव) का प्रयोग करना सिखाना चाहिए। ये सरकारी अस्पतालों में मुफ्त या सस्ते दामों पर उपलब्ध होते हैं।

(iv) सामाजिक मेल-मिलाप को बढ़ावा देना: जैसे ही बच्चा अपनी विकलांगता का सामना करना सीख जाए, उसे साधारण बच्चों के साथ घुलने-मिलने देना चाहिए।

(v) बची हुई इंद्रियों का प्रयोग: नेत्रहीन बच्चे को उसकी शेष दृष्टि या अन्य इंद्रियों का भरपूर प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें (जैसे- स्पर्श करके आकारों को पहचानना)।

(vi) सहायक यंत्रों का प्रयोग: नेत्रहीन बच्चे को चलते समय छड़ी का प्रयोग करना सिखाएँ ताकि उन्हें रास्ता ढूँढ़ने में सहायता मिले और आत्मविश्वास जागे। क्षीण श्रवण शक्ति वाले बच्चों को श्रवण सहायक यंत्र (hearing aids) का उपयोग करने को प्रोत्साहित करें।

(vii) होंठ पढ़ना (Lip Reading): बहरे बच्चों को बोलने और होंठ पढ़ने की कला सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

12. एड्स व एचआईवी का पूर्ण रूप लिखिये।

उत्तर: एड्स (AIDS) का पूर्ण रूप है- एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome)।

एचआईवी (HIV) का पूर्ण रूप है- ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus)।

13. एड्स से संबंधित कुछ भ्रांतियों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: एचआईवी संक्रमण से जुड़ी कई भ्रांतियाँ समाज में प्रचलित हैं, जबकि यह सिद्ध है कि एचआईवी साधारण शारीरिक संपर्क से नहीं फैलता।

इन भ्रांतियों में शामिल हैं-

(i) हाथ मिलाना, स्पर्श करना या आलिंगन: एचआईवी हाथ पकड़ने, स्पर्श करने या हाथ मिलाने से नहीं फैलता है।

(ii) यौन संपर्क के अलावा अन्य शारीरिक संपर्क: यह चूमने और आलिंगन द्वारा नहीं फैलता।

(iii) साझा उपयोग की वस्तुएँ: यह खाने-पीने के बर्तनों और जूठे प्याले व तश्तरियाँ के प्रयोग से नहीं फैलता।

(iv) एक ही स्थान पर काम करना या खेलना: यह एक ही स्थान पर काम करने या संक्रमित व्यक्ति के साथ खेलने से भी नहीं फैलता।

(v) साझा आवास और सुविधाएँ: यह एक ही कमरे में सोने, एक ही शौचालय या बाथरूम का प्रयोग करने, या तरणताल (swimming pool) में साथ तैरने से नहीं फैलता।

(vi) कपड़े साझा करना: यह एक दूसरे के वस्त्र पहनने से भी नहीं फैलता।

14. सुरक्षित मातृत्व पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।

उत्तर: सुरक्षित मातृत्व एक विश्वव्यापी प्रयास है जिसका मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था में स्त्री का बीमार होना तथा जनन के दौरान माँ की मृत्यु की दरों को कम करना है। यह माँ और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर घटाने के तरीके सिखाता है।

भारत उन देशों में शामिल है जहाँ सर्वाधिक माताएँ बच्चों को जन्म देते समय मर जाती हैं; भारत में प्रति 132 गर्भवती महिलाओं में से एक की मृत्यु हो सकती है।

सुरक्षित मातृत्व के लिए आवश्यक जानकारी और सावधानियाँ:

(i) आयु संबंधी सावधानी: 18 वर्ष से पूर्व तथा 35-37 वर्ष की आयु के बाद गर्भावस्था माँ और बच्चे दोनों के लिए असुरक्षित हो सकती है।

(ii) परिवार नियोजन: गर्भावस्था के बीच कम से कम दो वर्ष का अंतर होना चाहिए ताकि माँ का शरीर स्वस्थ हो सके। बच्चों की कुल संख्या दो या तीन तक सीमित रखनी चाहिए। परिवार नियोजन के यांत्रिक तरीकों में कंडोम और आईयूडी (IUD/कॉपर टी) शामिल हैं।

(iii) गर्भावस्था के दौरान देखभाल: यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि स्त्री की गर्भावस्था और प्रसव के समय उचित देखभाल की जाए।

(iv) प्रशिक्षित परामर्श: गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के समय की तैयारियों के संबंध में किसी योग्य और कुशल डॉक्टर या नर्स से परामर्श लेना चाहिए।

(v) कुशल प्रसव सहायता: प्रसव के समय किसी कुशल व अनुभवी व्यक्ति की उपस्थिति आवश्यक है। इस अनुभवी व्यक्ति को यह मालूम होना चाहिए कि कब महिला को अस्पताल भेजना चाहिए।

(vi) स्वच्छता: नवजात शिशु को स्वच्छ रखा जाना चाहिए। गर्भनाल (जरा) को भलीभाँति बाँधकर काटना चाहिए ताकि वह जीवाणु रहित रहे और बैक्टीरिया प्रवेश न कर सके।

(vii) स्तनपान: स्तनपान जल्द से जल्द प्रारंभ करवा देना चाहिए, क्योंकि माँ का प्रारंभिक दूध बच्चे को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है।

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