NIOS Class 12 Home Science Chapter 29 सफाई और सफाई सामग्री, नमूना

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NIOS Class 12 Home Science Chapter 29 सफाई और सफाई सामग्री, नमूना

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Chapter: 29

मॉडयूल – 6A गृह व्यवस्था

पाठगत प्रश्न 29.1

1. कॉलम A में दी गई सफाई की विधियों का, कॉलम B में दी गई प्रक्रियाओं के साथ मिलान कीजिए।

कॉलम Aकॉलम B
(i) पोछा लगाना(a) किसी वस्तु को पीट कर धूल झाड़ना
(ii) झाडू लगाना(b) सूखे कपड़े से पोंछना
(iii) धूल झाडना(c) झाडू व पानी से रगड़ना
(iv) पॉलिश करना(d) झाडू से कचरा या धूल निकालना
(v) झटकना(e) गीले कपडे से पोंछना
(vi) घुलाई करना(f) चमकाने के लिये रगड़ना
(g) झडू से रगड़ना

उत्तर:

कॉलम Aकॉलम B
(i) पोछा लगाना(c) झाडू व पानी से रगड़ना
(ii) झाडू लगाना(d) झाडू से कचरा या धूल निकालना
(iii) धूल झाडना(b) सूखे कपड़े से पोंछना
(iv) पॉलिश करना(f) चमकाने के लिये रगड़ना
(v) झटकना(a) किसी वस्तु को पीट कर धूल झाड़ना
(vi) घुलाई करना(c) झाडू व पानी से रगड़ना

2. निम्न में भेद करिये-

(a) धुलाई करना और पोछा लगाना।

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उत्तर: धुलाई: का अर्थ है खुले अधिक पानी से सफाई।

पोंछा लगाना: सतह को अच्छी तरह से निचोडे हुये कपड़े से पोंछते हैं।

(b) पॉलिश करना और झडू लगाना।

उत्तर: पॉलिश: वस्तु को पॉलिश मुलायम कपड़े से और चमक प्राप्त होने तक रगड़ा जाता है।

झाडू देना: झाडू की सहायता से फर्श की गंदगी झाडी जाती है।

(c) धूल और गंदगी।

उत्तर: धूल: हवा से उड़ने वाले ढीले कण, जो किसी भी सतह पर आसानी से बैठ जाते हैं, धूल कहलाती है।

गंदगी: के कण किसी भी सतह पर चिपक जाते हैं।

पाठगत प्रश्न 29.2

1. नीचे कुछ पदार्थों की सूची दी गयी है। सफाई में इनकी भूमिका के विषय में बताइये-

पदार्थसफाई में भूमिका
(i) नींबू
(ii) आभूषणों की क्रीम
(iii) रेत
(iv) अमोनिया
(v) मिथाइलेटेड स्पिरिट

उत्तर: 

पदार्थसफाई में भूमिका
(i) नींबूधातु पर पड़े धब्बे साफ करता है।
(ii) आभूषणों की क्रीमआभूषणों को साफ करता है।
(iii) रेतकठोर सतह को साफ करता है।
(iv) अमोनियाचिकनाई विलायक, धब्बे हटाने वाली स्पिरिट।
(v) मिथाइलेटेड स्पिरिटचिकनाई विलायक, चिकनाई के धब्बे हटाता है।

पाठगत प्रश्न 29.3

1. अपने रसोईघर की दैनिक सफाई की कार्यसूची बनायें। रसोईघर की मासिक व वार्षिक सफाई की दो-दो गतिविधियों की सूची बनाइये।

दैनिकसाप्ताहिक सफाईवार्षिक सफाई
(i)(i)(i)
(ii)(ii)(ii)
(iii)

उत्तर: 

दैनिक गतिविधि(i) खिड़कियां खोलें
(ii) अनावश्यक गंदे बर्तनों को हटा दें
(iii) गैस के चूल्हे और कार्य स्थल को साफ करें
(iv) बर्तन धोएं
(v) फर्श धोकर पोंछे
(vi) बर्तनों को उनके स्थान पर करीने से रखें
(vii) सभी लाइट बंद कर दें
मासिक गतिविधियाँ(i) टाइलें साफ करें
(ii) अलमारी में बिछे पुराने कागज़ हटायें
(iii) अलमारी करीने से लगायें
(iv) दराजें साफ रखें
(v) जाल हटायें
वार्षिक गतिविधियाँ(i) पुताई करायें।
(ii) संगमरमर के फर्श/स्लैब पॉलिश करवायें।

पाठान्त प्रश्न

1. ‘सफाई से आप क्या समझते हैं? यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?

उत्तर: सफाई गृह व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण और प्राथमिक पहलू है। यह धूल और गंदगी को झाड़कर, पोंछकर, धोकर या पॉलिश करने की प्रक्रिया है।

सफाई के अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल हैं:

(i) फर्श झाड़ना।

(ii) फर्नीचर को पोंछना।

(iii) फर्श की धुलाई या पोंछा लगाना।

(iv) वस्तुओं और सजावटी सामग्री की पॉलिश करना।

(v) टाइलें रगड़ना।

(vi) सिंक, शौचालय (टॉयलेट) और नालियों को रोगाणुमुक्त करना।

(vii) साफ किए गए स्थानों को पुनर्व्यवस्थित करना और वस्तुओं को यथा स्थान लगाना।

संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि सफाई गंदगी या धूल झाड़ने, या किसी अन्य अवांछित वस्तु (जैसे दाग-धब्बे, कूड़ा) को हटाने की प्रक्रिया है। यह धूल, गंदगी, या अन्य अवांछित वस्तु को साफ करने के साथ-साथ पूरे स्थान को पुनर्व्यवस्थित और रोगाणुरहित करने की प्रक्रिया है।

सफाई क्यों महत्वपूर्ण है:

सफाई निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है:

(i) कीटों और बीमारियों की रोकथाम: यदि नियमित रूप से सफाई न की जाए तो आपका घर कीड़े-मकोड़े, मक्खी-मच्छर आदि का प्रजनन स्थान बन जाता है।

(ii) स्वास्थ्य: गंदी परिस्थितियों में रहने से दमा, खाँसी आदि बीमारियाँ हो सकती हैं।

(iii) सुव्यवस्था और स्वच्छता: सुव्यवस्था और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सफाई आवश्यक है।

(iv) सौंदर्य और आराम: सफाई बाह्य सौंदर्य, आराम और स्वच्छता के लिए आवश्यक है।

(v) वातावरण: सफाई आवश्यक है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी भवन हर समय साफ, सुव्यवस्थित और सुसज्जित हो।

2. व्याख्या कीजिये कि आप अपने स्नानागार व शयनकक्ष की सफाई किस प्रकार गृह विज्ञान करेंगे।

उत्तर: स्रोत में दैनिक, साप्ताहिक और वार्षिक सफाई की प्रक्रियाओं का वर्णन किया गया है।

नीचे दी गई प्रक्रियाएँ कमरे (शयनकक्ष) और स्नानागार की सफाई के लिए स्रोतों में दी गई सामान्य विधियों पर आधारित हैं:

शयनकक्ष (कमरे) की सफाई प्रक्रिया:

दैनिक सफाई की सामान्य प्रक्रिया:

(i) कमरे में प्रवेश करते ही खिड़कियाँ खोल दें ताकि ताज़ी हवा अंदर आ सके।

(ii) चाय के प्याले, राखदानी और कूड़े के डिब्बे (डस्टबिन) आदि सभी अवांछित वस्तुओं को हटा दें।

(iii) फर्श को बुहार लें (झाड़ू लगा लें)।

(iv) फर्नीचर आदि सभी वस्तुओं को झाड़ लें।

(v) कालीन को ब्रश से या वैक्यूम क्लीनर की सहायता से साफ करें।

(vi) पूरे स्थान पर पोंछा लगाएँ।

(vii) जहाँ जरूरत हो, चादर/कवर बदल लें, जैसे शयन कक्ष में बिस्तर लगा लें।

(viii) अंत में सामान्य सर्वेक्षण करें और देखें कि प्रत्येक वस्तु संतोषजनक है।

साप्ताहिक सफाई की सामान्य प्रक्रिया:

साप्ताहिक सफाई, दैनिक सफाई की अपेक्षा सावधानी से की जाती है। इसमें दैनिक सफाई के चरणों के अतिरिक्त निम्नलिखित शामिल हैं:

(i) दीवारों, दरवाज़ों, खिड़कियों और फर्नीचर पर पड़े धब्बे हटाएँ।

(ii) दराज़ें, फिटिंग, चित्र (चित्रों) और लाइट आदि को भली-भाँति जाँच कर साफ कर लें।

(iii) टेबल लैंप, सजावटी सामान, टेलीफोन आदि को भी यदि आवश्यकता पड़े तो झाड़-पोंछकर पॉलिश करें।

(iv) कालीन, पर्दे और सोफे के कवर को वैक्यूम क्लीनर से साफ कर लें (यदि वैक्यूम क्लीनर न हो तो ब्रश का प्रयोग करें)।

(v) सभी सतहों की धूल झाड़कर पोंछा लगा लें।

स्नानागार (Bathroom) की सफाई प्रक्रिया:

स्नानागार की सफाई के लिए स्रोत में कुछ विशिष्ट उपकरण और सामग्री बताई गई है, और दैनिक जांच का उल्लेख है:

(i) दैनिक जाँच: दैनिक सफाई के दौरान स्नानागार में तौलिये और साबुन आदि की जाँच कर लें।

(ii) शौचालय (टॉयलेट) की सफाई: शौचालय (सिंक और टॉयलेट) साफ करने के लिए तेज अम्ल (Acid) का प्रयोग किया जाता है।

(iii) रोगाणुरोधी: स्नानागार की सफाई के दौरान सिंक और नालियों को रोगाणुमुक्त करना आवश्यक है।

(iv) उपकरण: शौचालय की सफाई के लिए विशेष रूप से बने नायलॉन के ब्रश प्रयोग में लाए जाते हैं।

3. आपको अपने रसोईघर की टाइल, संगमरमर की दीवार और सीमेन्ट का फर्श साफ करना है। आपके द्वारा प्रयुक्त सफाई के पदार्थ और उपकरणों की सूची बनाइये। इनके सबके लिये प्रयुक्त प्रक्रिया का वर्णन कीजिये।

उत्तर: विभिन्न सतहों को साफ करने के लिए विशिष्ट सफाई सामग्री और उपकरणों की आवश्यकता होती है।

(A) रसोईघर की टाइल:

सफाई के पदार्थसफाई के उपकरणप्रक्रिया का वर्णन
डिटर्जेंट (पाउडर, ठोस या तरल)।सिंक की झाड़ू या कठोर ब्रश।टाइलों को सिंक की झाड़ू (या कठोर झाड़ू) और पानी के साथ रगड़कर साफ किया जाता है।
पानी।बाल्टियाँ।यदि पक्के दाग-धब्बे हों, तो पानी में डिटर्जेंट भी मिलाया जा सकता है।
मृदु अम्लबहुत अधिक गंदी टाइलों को साफ करने के लिए मृदु अम्ल का प्रयोग किया जाता है।
वार्षिक सफाई के दौरान टाइलों को डिटर्जेंट से धोकर साफ किया जाता है।

(B) संगमरमर की दीवार:

सफाई के पदार्थसफाई के उपकरणप्रक्रिया का वर्णन
पॉलिश (घरेलू या रेडीमेड)।पॉलिश का कपड़ा (मुलायम, अवशोषक कपड़ा जैसे फ्लैनेल)।1. पूर्व सफाई: पॉलिश करने से पहले, धूल और गंदगी को भली-भाँति साफ कर लें।
झाड़न/डस्टर (ढूँढी धूल हटाने के लिए)।2. पॉलिशिंग: पॉलिश को कम मात्रा में ही लगाएँ (क्योंकि अधिक मात्रा हानिकारक हो सकती है)। पॉलिश को भली-भाँति रगड़कर साफ करें ताकि सतह चिपचिपी न हो। पॉलिश सतह पर सुरक्षा आवरण बनाती है और चमक उत्पन्न करती है।

(C) सीमेन्ट का फर्श:

सफाई के पदार्थसफाई के उपकरणप्रक्रिया का वर्णन
पानी।झाड़ू (बुहारने के लिए मुलायम या कठोर)।1. झाड़ू देना: झाड़ू का प्रयोग करके कमरे के कोने से दरवाजे की ओर धूल को ले जाकर डस्ट पैन में इकट्ठा कर लें।
डिटर्जेंट।कठोर या सींक की झाड़ू (धुलाई के लिए)।2. धुलाई (Washing): फर्श की धुलाई की प्रक्रिया में, सींक की झाड़ू और पानी के साथ रगड़कर साफ किया जाता है।
अपघर्षक (जैसे रेत)।बाल्टियाँ।यदि पक्के दाग-धब्बे हटाने हों तो पानी में डिटर्जेंट मिलाया जा सकता है। कठोर सतहों को साफ करने के लिए रेत जैसे अपघर्षक का प्रयोग किया जा सकता है।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि सतह के प्रकार के अनुसार सफाई का तरीका बदल जाता है। जैसे, पॉलिश करना संगमरमर के लिए ज़रूरी है, जबकि धुलाई (पानी और रगड़ने की प्रक्रिया) सीमेंट के फर्श या टाइल्स के लिए उपयुक्त होती है, जहाँ गंदगी या दाग चिपके होते हैं। यदि सफाई को एक परत हटाने की तरह देखा जाए, तो धूल को पोंछने के लिए एक मुलायम कपड़ा इस्तेमाल होता है, चिपकी हुई गंदगी को हटाने के लिए अपघर्षक (रेत) या डिटर्जेंट के साथ रगड़ने की शक्ति की आवश्यकता होती है, और चमक लाने के लिए पॉलिश की।

मॉडयूल – 6B कशीदाकारी

पाठगत प्रश्न 29.1

1. क्या आपको शब्दकोष देखना आता है? निम्न शब्दों के उपयुक्त अर्थ कढ़ाई के सन्दर्भ में ढूंढें।

(i) ज्यामितीय।

(ii) प्राकृतिक सदृश।

(iii) सुरुचिपूर्ण।

(iv) अमूर्त।

निम्न डिजाइनों को ज्यामितीय, प्रकृति सदृश, सुरुचिपूर्ण और अमूर्त में वर्गीकृत करें।

उत्तर: ज्यामितीय।

उत्तर: प्राकृतिक।

उत्तर: स्टाइलाइज्ड।

उत्तर: अमूर्त।

पाठगत प्रश्न 29.2

नीचे दिये गये अक्षरों को व्यवस्थित करके लगायें ताकि उनसे डिजाइन छापने की विभिन्न विधियों का ब्यौरा मिल सके-

(a) चासा (1) शब्द) ______________________।

उत्तर: टेम्पलेट या सांचा।

(b) नकार्ब रपेप (2 शब्द) __________________।

उत्तर: बैक ट्रेसिंग।

(c) गसिट्रेकमे (2) शब्द) _____________________।

उत्तर: कार्बन पेपर।

(d) थीसी चिवि (2 शब्द) _____________________।

उत्तर: सीधी विधि।

पाठान्त प्रश्न

1. निम्न स्थापनों की पहचान करिये।

उत्तर: 

2. आपको अपनी तीन साल की भतीजी के लिये फॉक पर कढ़ाई करनी है। इसके लिये डिजाइन के चुनाव के लिये ध्यान में रखे जाने वाले कारकों की सूची बनायें।

उत्तर: फ्रॉक पर कढ़ाई के लिये डिजाइन चुनते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए—

(i) उद्देश्य: डिजाइन पहनने वाले (बच्ची) के लिये उपयुक्त हो।

(ii) आकृति/आकार: डिजाइन छोटे आकार का व हल्का हो।

(iii) कपड़े का टेक्सचर: महीन कपड़े पर हल्की कढ़ाई ही उपयुक्त होती है।

(iv) रंग-संयोजन: बच्ची की उम्र के अनुसार चमकीले, आकर्षक रंग हों।

(v) उम्र: 3 वर्ष की बच्ची के लिये सरल व प्यारा डिजाइन चुनें।

(vi) विशेष भाग: कॉलर, बाँह, गला आदि पर उपयुक्त छोटे डिजाइन हों।

(vii) कपड़े की मजबूती: कपड़े के अनुसार कढ़ाई बहुत भारी न हो।

(viii) मौका: यह रोजमर्रा या पार्टी दोनों के अनुसार चुना जा सकता है।

3. कागज से कपड़े पर डिजाइन छापने की किन्हीं दो विधियों का वर्णन करें।

उत्तर: कार्बन पेपर विधि:

(i) कपड़े को समतल सतह पर फैलाएँ।

(ii) कार्बन पेपर को डिजाइन और कपड़े के बीच रखें।

(iii) पेंसिल/ट्रेसिंग टूल से डिजाइन की रेखाओं पर दबाव दें।

(iv) कार्बन की छाप कपड़े पर उतर जाती है।

स्रोत: पेज 73, कार्बन इसिज के प्रयोग से।

ट्रेसिंग पेपर विधि (सैंपल प्रेसिंग):

(i) डिजाइन को ट्रेसिंग पेपर पर बनाएं।

(ii) ट्रेसिंग पेपर को कपड़े पर रखें।

(iii) पिन से फिक्स करें और रेखाओं को तेज पेंसिल से दबाते हुए ट्रेस करें।

(iv) बाद में छापे हुए हिस्से को सिलाई में रूपांतरित करें।

स्रोत: पेज 73, ट्रेसिंग पेपर का प्रयोग।

4. आपने चादर और तकिये के गिलाफ पर काढ़ने के लिये तितली का डिजाइन चुना है। उस विधि का वर्णन कीजिये, जिससे एक ही मोटिफ दोनों पर प्रयोग किया जा सके। इसे ग्राफ पेपर का प्रयोग करके दिखाइये।

उत्तर: एक ही मोटिफ (तितली) को चादर और तकिये दोनों पर उपयोग करने के लिए “ग्राफ पेपर द्वारा छोटा-बड़ा करना” विधि प्रयोग की जाती है।

विधि:

(i) तितली का मूल डिजाइन ग्राफ पेपर पर बनाएं।

(ii) ग्राफ के वर्ग डिजाइन को समान अनुपात में रखते हैं।

(iii) चादर के लिये वर्गों को बढ़ाकर डिजाइन बड़ा बनाएं।

(iv) तकिये के लिये वर्गों को घटाकर डिजाइन छोटा करें।

इस प्रकार एक ही मोटिफ (तितली) दोनों के आकार के अनुसार छोटा-बड़ा कर इस्तेमाल किया जा सकता है।

5 अपने पिताजी के कुर्ते के लिये मोटिफ का चुनाव कीजिये और किन्हीं दो विधियों के विषय में बताइये, जिससे इन्हें कुर्ते पर छापा जा सके।

उत्तर: चुना गया मोटिफ:

ज्यामितीय (T–कटी) मोटिफ/सरल पुरुष परिधान हेतु उपयुक्त डिजाइन।

विधि 1 — कार्बन पेपर द्वारा छापना।

मोटिफ को कार्बन पेपर के माध्यम से कुर्ते पर स्थानांतरित किया जाता है।

कार्बन पेपर को मोटिफ और कपड़े के बीच रखकर दबाव से ट्रेस किया जाता है।

कपड़े पर डिजाइन साफ दिखाई देता है।

स्रोत: पेज 73 

विधि 2 — बटर पेपर (प्रिकिंग) विधि।

डिजाइन को बटर पेपर पर बनाएं।

रेखाओं पर सुई से छिद्र करें।

पेपर को कुर्ते पर रखकर उबटन/फिरोज़ी पाउडर से रगड़ें।

डिजाइन छिद्रों से कपड़े पर स्थानांतरित हो जाता है।

स्रोत: पेज 74 (बटर पेपर द्वारा)

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