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NIOS Class 12 Home Science Chapter 25 वस्त्र परिसज्जा
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वस्त्र परिसज्जा
Chapter: 25
| मॉडयूल – 5 वस्त्र एवं परिधान |
पाठगत प्रश्न 25.1
1. कोष्ठक में दिए संकेत शब्दों को ठीक करके रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
(i) परिसज्जा वस्त्र की ___________ और ____________ में सुधार के लिये दी जाती है। (उतापयोगि), (परू)
उत्तर: परिसज्जा वस्त्र की रूप और उपयोगिता में सुधार के लिये दी जाती है।
(ii) परिसज्जा का वर्गीकरण ____________ या ____________ और ____________ या _____________ के अनुसार कर सकते हैं। (धारआतभू), (ष्टशिवि), (ईस्थाअ),(ईस्था)
उत्तर: परिसज्जा का वर्गीकरण आधारभूत या विशिष्टः और अस्थाई या टिकाऊ के अनुसार कर सकते हैं।
(iii) वह परिसज्जा जो हर धुलाई के बाद दी जाती है उसे ____________ कहते हैं। (ईस्थाअ)
उत्तर: वह परिसज्जा जो हर धुलाई के बाद दी जाती है उसे अस्थाई कहते हैं।
(iv) करघे से प्राप्त होने वाले खुरदुरे, मैले व धब्बे युक्त वस्त्र को ____________ कहते हैं। (पडाक ग्रे)
उत्तर: करघे से प्राप्त होने वाले खुरदुरे, मैले व धब्बे युक्त वस्त्र को ग्रे वस्त्र कहते हैं।
(v) जो परिसज्जा लगभग प्रत्येक वस्त्र पर लगाई जाती है वह _____________ कहलाती है। (धारआतभू)
उत्तर: जो परिसज्जा लगभग प्रत्येक वस्त्र पर लगाई जाती है वह आधारभूत कहलाती है।
पाठगत प्रश्न 25.2
1. सही व गलत बताएं व स्पष्टीकरण दें।
(i) मंजाई परिसज्जा वस्त्र को साफ करती है।
स्पष्टीकरणब ______________________।
उत्तर: हाँ, मंजन, वस्त्र की साबुन और रासायनिक पदार्थों द्वारा धुलाई करना है ताकि अशुद्धियां दूर की जा सकें।
(ii) विरंजन का वस्त्र पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होता है।
स्पष्टीकरण ________________________।
उत्तर: नहीं, विंरजन बहुत सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिये, इससे रंग को हानि पहुँचती है। अधिक तेज विरजक से कुछ हद तक वस्त्र को भी हानि पंहुच सकती है।
(iii) सिकुडन नियन्त्रण परिसज्जा घर पर भी की जा सकती है।
स्पष्टीकरण ________________________।
उत्तर: हाँ, रातभर वस्त्र को भिगोकर रखने व सुखाने से वस्त्र सिकुड़ जाता है।
(iv) ऑरगन्डी स्थाई रूप से कड़क वस्त्र है।
स्पष्टीकरण ________________________।
उत्तर: हाँ, ऐसा पार्चमेन्टीकरण नाम की एक स्थाई परिसज्जा के कारण होता है।
(v) सिलाई के लिये मर्सराइज्ड धागा प्रयोग करना चाहिये।
स्पष्टीकरण ________________________।
उत्तर: हॉ. मर्सरीकरण से सूत, मुलायम, चमकदार व मजबूत बनता है।
2. कोष्ठक से सही शब्द को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करिये।
(i) मर्सरीकरण ____________ परिसज्जा है। (स्थाई, अस्थाई)
उत्तर: मर्सरीकरण स्थाई परिसज्जा है।
(ii) वस्त्र के लेबल पर सिकुड़न नियंत्रण ____________ के नाम से भी अंकित होता है। (र्पाचमेन्टीकरण/सेन्फोराइज्ड)
उत्तर: वस्त्र के लेबल पर सिकुड़न नियंत्रण सेन्फोराइज्ड के नाम से भी अंकित होता है।
(iii) जल प्रतिरोधन _____________ परिसज्जा है। (आधारभूत/विशिष्ट)
उत्तर: जल प्रतिरोधन विशिष्ट परिसज्जा है।
(iv) यदि धोने पर रंग नहीं निकलता तो वस्त्र पर _____________ परिसज्जा की गयी है। (जल प्रतिरोधक/रंग दृढ़ता)
उत्तर: यदि धोने पर रंग नहीं निकलता तो वस्त्र पर रंग दृढ़ता परिसज्जा की गयी है।
3. वस्त्र में निम्न गुण प्राप्त करने के लिये प्रयोग की जाने वाली परिसज्जा का नाम लिखिये।
(i) (a) मजबूत व चमकदार सूती वस्त्र।
(b) अच्छी रंग अवशेषकता।
परिसज्जा ________________________।
उत्तर: मर्सराइजेशन।
(ii) (a) कड़क सूती वस्त्र।
(b) गर्मियों में की जाने वाली दैनिक घुलाई को झेलने योग्य।
परिसज्जा ________________________।
उत्तर: सदृढन।
(iii) (a) सूती वस्त्र जो आसानी से सिकुड़ता न हो।
(b) जिसमें बारबार इस्तिरी करने की आवश्यकता न हो।
परिसज्जा ________________________।
उत्तर: वाश-एन-वेयर।
(iv) (a) वस्त्र अवशोषक न हो।
(b) वस्त्र से पानी आर-पार न जा सके।
परिसज्जा ________________________।
उत्तर: जल अवरोधी।
पाठान्त प्रश्न
1. वस्त्र परिसज्जा क्या है? वस्त्रों पर परिसज्जा देना आवश्यक क्यों है?
उत्तर: वस्त्र परिसज्जा: वस्त्रों पर बुनाई के बाद की जाने वाली कोई भी प्रक्रिया, जो वस्त्र के रूप, स्पर्श (टच) और उपयोगिता (utility) में सुधार लाती है, परिसज्जा कहलाती है। आमतौर पर, करघे से प्राप्त होने वाला वस्त्र (जिसे ग्रे वस्त्र कहते हैं) खुरदुरा, दाग-धब्बे वाला और गन्दा होता है, जैसे कि रजाई के खोल बनाने में उपयोग होने वाला मार्किन कपड़ा पीलापन लिए हुए और गन्दा होता है।
वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों आवश्यक है: परिसज्जा देना आवश्यक है क्योंकि यह वस्त्रों के निम्नलिखित गुणों में सुधार करती है:
(i) रूप और सफाई में सुधार: परिसज्जा के कारण ज्यादातर कपड़े, जिन्हें हम दुकान से खरीदते हैं, चिकने, साफ और स्वच्छ होते हैं। यह वस्त्र के रूप को सुधारने के लिए दी जाती है।
(ii) उपयोगिता में सुधार: सूती कपड़े पर परिसज्जा करने से यह अधिक चमकीला, मज़बूत और धोने पर सिकुड़न रहित हो जाता है।
(iii) विशिष्ट गुण प्रदान करना: अन्य परिसज्जाएँ वस्त्र को कोमल या कड़ा, जल या धब्बा प्रतिरोधी, रंगीन या डिज़ाइनदार बना सकती हैं।
(iv) गुणवत्ता में सुधार: परिसज्जा वस्त्र की रूपसज्जा और उपयोगिता में सुधार के लिए दी जाती है।
2. किन्हीं दो आधारभूत परिसज्जाओं की व्याख्या कीजिये।
उत्तर: आधारभूत परिसज्जाएँ (Basic Finishes) वे हैं जो आमतौर पर सभी वस्त्रों पर उनके रूप को सुधारने के लिए दी जाती हैं।
यहाँ दो आधारभूत परिसज्जाओं की व्याख्या है:
(i) माँजाई/सफ़ाई:
प्रक्रिया और उपयोग: ग्रे वस्त्र के रूप में प्राप्त कपड़े में प्राकृतिक रूप से कई अशुद्धियाँ (जैसे तेल, मोम और मैल के धब्बे) पाई जाती हैं। किसी भी परिसज्जा को करने से पहले इन अशुद्धियों की पूरी सफ़ाई बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह माँजाई कहलाती है, जो प्रायः सभी वस्त्रों को दी जाती है।
परिणाम: इस प्रक्रिया के लिए साबुन और अन्य रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। सफ़ाई के पश्चात् वस्त्र अधिक चिकना, साफ़ और अवशोषक (absorbent) बन जाता है।
(ii) विरंजन:
प्रक्रिया और उपयोग: जब वस्त्र तैयार होते हैं, तब वे अशुद्धियों और रंग सामग्री की उपस्थिति के कारण एकदम सफ़ेद रंग के नहीं होते। उन्हें सफ़ेद या हल्के रंग में रंगने से पहले विरंजन क्रिया की जाती है। वस्त्र के अनुसार उपयुक्त विरंजक पदार्थों का चयन करके वस्त्रों से रंग हटाया जाता है।
सावधानी: विरंजक क्रिया सावधानीपूर्वक करनी चाहिए क्योंकि रंग को हटाने वाला रासायनिक पदार्थ कपड़े को कुछ हद तक हानि पहुँचा सकता है। हाइड्रोजन परऑक्साइड (Hydrogen peroxide) एक सार्वभौमिक विरंजक है जिसका उपयोग सभी प्रकार के वस्त्रों पर किया जा सकता है। यह सूती, ऊनी और सिल्क के कपड़ों पर की जाती है, लेकिन मानव निर्मित वस्त्रों पर नहीं की जाती, क्योंकि वे प्राकृतिक रूप से ही सफ़ेद होते हैं।
3. विशिष्ट परिसज्जाओं के नाम लिखिये। प्रत्येक के उपयोग व प्रक्रिया को भी समझाइये।
उत्तर: विशिष्ट परिसज्जा (Specific Finishes) किसी विशेष कारण या उपयोग की दृष्टि से दी जाती है।
विशिष्ट परिसज्जाओं के नाम, उपयोग और प्रक्रिया इस प्रकार हैं-
| विशिष्ट परिसज्जा का नाम | उपयोग | प्रक्रिया |
| मर्सरीकरण | सूती वस्त्र को मज़बूत, चमकीला और रंग आसानी से अवशोषित करने वाला बनाना। सिलाई के धागे भी मर्सराइज़्ड किए जाते हैं। | रासायनिक पदार्थों जैसे सोडियम हाइड्रोक्साइड (Sodium Hydroxide) के उपयोग से सूती वस्त्र पर यह परिसज्जा की जाती है। यह एक स्थायी परिसज्जा है। |
| सिकुड़न नियंत्रण | वस्त्र को धोने के बाद उसके आकार में छोटा होने (सिकुड़ने) से रोकना। | वस्त्र पर ‘सैनफ़ोराइज़्ड’ (Sanforized) या ‘सिकुड़न प्रतिरोधी’ (Anti-shrink) लेबल लगा होता है। इसे घर पर भी किया जा सकता है: कपड़े को पानी में रात भर भिगोकर, निचोड़कर और सुखाकर सिकुड़न रहित किया जाता है। |
| जल अवरोधन | वस्त्रों में जल अवरोधक गुण उत्पन्न करना ताकि पानी आर-पार न जा सके। इसका उपयोग बरसाती, छाते और तिरपाल में होता है। | रासायनिक क्रिया द्वारा वस्त्रों में जल अवरोधक गुण उत्पन्न किए जाते हैं। यह एक स्थायी परिसज्जा है। |
| पार्चमेन्टीकरण | वस्त्रों को स्थायी कड़ापन (Permanent stiffness) देना। यह ऑर्गेन्डी वस्त्रों में भिन्नता उत्पन्न करता है, जिससे उन्हें स्टार्च लगाने की आवश्यकता नहीं होती। | यह वस्त्रों को स्थायी कड़ापन देती है, जिससे ऑर्गेन्डी वस्त्र झीना (शीयर) लेकिन कड़क और पारदर्शी बना रहता है। (प्रक्रिया का विस्तृत विवरण स्रोत में नहीं है)। |
| वाश-एंड-वियर | वस्त्रों की देखभाल आसान करना, क्योंकि उन्हें बार-बार इस्त्री करने की आवश्यकता नहीं रहती और सलवटें (झुर्रियाँ) कम पड़ती हैं। | इसके लिए रेजिननुमा रासायनिक पदार्थों (resin-like chemical substances) का उपयोग किया जाता है। यह परिसज्जा भी स्थायी है। |
4. “रंगाई, रंग द्वारा की जाने वाली परिसज्जा है”, व्याख्या कीजिये।
उत्तर: यह कथन सत्य है, और इसकी व्याख्या निम्नलिखित बिंदुओं से की जा सकती है-
(i) वर्गीकरण: रंगाई को ‘रंगाई/रंग से परिसज्जा’ (Dyeing/Finishing by Colour) नामक श्रेणी के तहत वर्गीकृत किया गया है।
(ii) परिभाषा: रंगाई (Dyeing) वस्त्र पर रंग प्रयोग करने की प्रक्रिया को कहते हैं।
(iii) उद्देश्य: रंगाई का मुख्य उद्देश्य कपड़े को रंगकर उसकी रूपसज्जा (appearance) में सुधार लाना है।
(iv) स्थान: रंगाई का काम सामान्यतः वस्त्रों पर मूल परिसज्जा (basic finish) के बाद, परंतु अन्य विशिष्ट परिसज्जाओं से पहले ही किया जाता है।
(v) प्रकृति: रंगाई से संपूर्ण कपड़े पर रंग आ जाता है, जो कपड़े को एक नया रूप और उपयोगिता प्रदान करता है, इसलिए यह रंग द्वारा की जाने वाली एक महत्वपूर्ण परिसज्जा है।
5. वस्त्र बनाने के किन-किन चरणों में रंगाई की जा सकती है? चित्र सहित समझाइये।
उत्तर: वस्त्र बनाने के निम्नलिखित चार चरणों (अवस्थाओं) में रंगाई की जा सकती है-
1. तंतु अवस्था:
प्रक्रिया: इस अवस्था में प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही प्रकार के तंतु (फाइबर) रंगे जा सकते हैं।
परिणाम: तंतुओं पर एक समान और पक्का रंग चढ़ता है।
2. सूत अवस्था:
प्रक्रिया: कई बार सूत (धागे) को भी रंगा जाता है, खासकर यदि उन्हें सूत अवस्था में ही बेचना हो।
उपयोग: कढ़ाई के सूत, सिलाई के सूत व बुनाई के सूत की रंगाई इसी अवस्था में की जाती है।

3. वस्त्र अवस्था:
प्रक्रिया: यह वस्त्र रंगने की सबसे अधिक प्रचलित अवस्था है। ज्यादातर वस्त्र जो एक रंग में रंगे जाते हैं, इसी अवस्था में रंगे जाते हैं।
लाभ: यह रंगाई की त्वरित विधि है, और इसमें रंगों का मिलान करना आसान होता है। मिश्रित वस्त्रों को भी इस अवस्था में आसानी से रंगा जा सकता है।

4. कपड़ों की रंगाई:
प्रक्रिया: कभी-कभी कपड़ा सिलने के बाद उन्हें रंगने की आवश्यकता पड़ती है।
उदाहरण: दुपट्टे बाद में भी रंगे जाते हैं।

6. छपाई की परिभाषा दीजिये।
उत्तर: छपाई (Printing) की परिभाषा इस प्रकार दी गई है:
छपाई (Printing) वस्त्र पर रंग से नमूने (patterns) बनाना है। अथवा कपड़ों के कुछ खास हिस्सों में रंगों से डिज़ाइन बनाने को छपाई (Printing) कहते हैं।
यह प्रक्रिया, रंगाई के विपरीत, संपूर्ण कपड़े को रंगने के बजाय, केवल चुने हुए स्थानों पर रंग लगाकर नमूने या डिज़ाइन बनाने का कार्य करती है। उदाहरण के लिए, ब्लॉक प्रिंटिंग (ठप्पे की छपाई) में लकड़ी के ठप्पे को गाढ़े रंग के घोल में डुबोकर वस्त्र पर लगाकर डिज़ाइन अंकित किया जाता है।

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