NIOS Class 12 Home Science Chapter 27 वस्त्रों की देखरेख और साज संभाल

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Chapter: 27

मॉडयूल – 5 वस्त्र एवं परिधान

पाठगत प्रश्न 27.1

1. निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-

(i) कपड़ों की छंटाई।

उत्तर: धुलाई को अधिक व्यवस्थित करने के लिए कुछ प्रारंभिक तैयारियाँ धुलाई से पूर्व ही की जाती हैं, जिनमें से एक है कपड़ों की छंटाई। वस्त्रों को उनके तंतुओं के आधार पर अलग किया जाना चाहिए, जैसे सूती, ऊनी, रेशमी, और मानव निर्मित वस्त्रों को अलग। इसके अलावा, सफेद और रंगीन वस्त्रों को भी अलग-अलग धोना उचित होता है। कुछ अत्यधिक गंदे वस्त्र, जैसे कि झाड़न (डस्टर), आदि को भी अलग से धोना चाहिए। घर पर धुलाई करते समय छंटाई के आधार रंगीन/सफेद, सूती/ऊनी/रेशमी, और कम गंदे/ज़्यादा गंदे वस्त्र हो सकते हैं।

(ii) धुलाई व खंगालना।

उत्तर: धुलाई (Washing): वास्तव में धुलाई के अंतर्गत धोना, सुखाना व उसकी परिसज्जा की प्रक्रिया भी शामिल है। धुलाई की प्रक्रिया वस्त्रों से मैल छुड़ाने में सहायक होती है। धुलाई के चरण में, वस्त्रों को उचित डिटर्जेंट/साबुन और सही धुलाई की विधि से धोया जाता है। धुलाई की विधि का चयन दो कारकों पर निर्भर करता है: वस्त्र कितना मैला है और वस्त्र किस प्रकार का है (जैसे सूती, रेशमी, ऊनी, रेयॉन, नायलॉन आदि)।

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खंगालना (Rinsing): खंगालना धुलाई के चरणों में से एक है। वस्त्रों को साबुन/डिटर्जेंट या रासायनिक पदार्थों से मुक्त करने के लिए खंगालना आवश्यक होता है। इसलिए, कपड़ों को स्वच्छ जल में 2 से 4 बार खंगाला जाता है। कपड़ों को तब तक खंगालना चाहिए जब तक कि सारा साबुन या डिटर्जेंट निकल न जाए।

(iii) इस्त्री करना।

उत्तर: इस्त्री करना धुलाई का अंतिम चरण है। कपड़ों पर इस्त्री भी उनकी प्रकृति के अनुसार ही की जाती है। सामान्यतः, कपड़ों पर पानी छिड़का जाता है और गर्म इस्त्री की सहायता से उन पर प्रेस की जाती है।

विभिन्न प्रकार के वस्त्रों के लिए इस्त्री के तरीके निम्नलिखित हैं-

(i) रेशमी कपड़े: इन पर नमी रहते हुए ही गर्म इस्त्री की जाती है।

(ii) मानव निर्मित वस्त्र और रेयॉन: इन पर मध्यम गर्म इस्त्री की जाती है।

(iii) ऊनी वस्त्र: ऊनी वस्त्रों के ऊपर एक गीला मलमल का कपड़ा बिछाने के बाद ही इस्त्री की जाती है।

पाठगत प्रश्न 27.2

1. नीचे लिखे तथ्यों को सही (✓) या गलत (X) चिह्नित कीजिये और गलत तथ्यों का सही उत्तर बताइये।

(i) साबुन व सिन्डेट दोनों डिटर्जेंट है।

उत्तर: सही।

(ii) सफाई सामग्री के लिये कच्चा माल प्राकृतिक होता है।

उत्तर: गलत: सिन्डेट रासायनिक रूप से प्राप्त किये जाते हैं।

(iii) साबुन की अपेक्षा सिन्डेट में वस्त्रों में प्रवेश करने की क्षमता अधिक होती है।

उत्तर: सही।

(iv) सिन्डेट के प्रयोग से वस्त्र फीके व बेजान दिखते हैं।

उत्तर: गलत: सिन्डेट वस्त्रों पर कोई अंश नहीं छोड़ते अतः वस्त्र पीले व निष्प्रभ नहीं दिखते ।

पाठगत प्रश्न 27.3

1. नीचे लिखे वक्तव्यों को सही या गलत चिह्नित कीजिये और गलत तथ्यों के सही उत्तर बताइये।

(i) विरंजन के बाद कपडे को खंगालना नहीं चाहिये और विरंजक को कपड़े पर ही रहने देना चाहिये।

उत्तर: गलत: विरंजक को कपड़े पर लगा छोड़ा नहीं जाना चाहिये, यह वस्त्र को काफी हानि पहुँचा सकता है।

(ii) विरंजक रासायनिक प्रक्रिया द्वारा वस्त्रों को सफेद व रंग को हल्का करता है।

उत्तर: सही।

(iii) धूप व नमी कपडे पर विरंजन का प्रभाव छोड़ती है।

उत्तर: सही।

(iv) सोडियम बाइसल्फाईट जान्तव तन्तुओं पर प्रयोग करने के लिये सुरक्षित है।

उत्तर: सही।

2. निम्न वाक्यों के लिये एक शब्द बताइये।

(i) एक रासायनिक मिश्रण जो कपड़े से रंगीन पदार्थ हटाने की क्षमता रखता है और कपडों को अधिक सफेद व चमकदार बनाता है।

उत्तर: ब्लीच।

(ii) दाग धब्बे छुड़ाने का सबसे पुराना व सस्ता तरीका।

उत्तर: सूती।

(iii) कपड़ों पर से भूरे रंग का दाग हटाने में समर्थ विरजक।

उत्तर: ऑक्जेलिक एसिड।

(iv) ऐसा विरंजक जो वनस्पतिक व जान्तव दोनों प्रकार के रेशों पर सुरक्षात्मक ढंग से प्रयोग किया जा सके।

उत्तर: हाइड्रोजन-पर-ऑक्साइड।

(v) शुद्ध सफेद ऊन और सिल्क समय के साथ इस विरजक के कारण पीले पड़ जाते हैं।

उत्तर: रिड्यूसिंग ब्लीच।

पाठगत प्रश्न 27.4

1. निम्नलिखित धब्बों को छुड़ाने के लिए प्रत्येक के लिए दी गयी चार विधियों में से सबसे उपयुक्त विधि का चयन करें-

(i) सफेद सूती वस्त्र पर चाय का धब्बा-

(a) नमक के पानी का प्रयोग करें।

(b) ग्लिसरीन में भिगोयें।

(c) नींबू के रस में भिगोयें।

(d) उबलता हुआ पानी डालें।

उत्तर: (b) ग्लिसरीन में भिगोयें।

(ii) रंगीन सूती वस्त्र पर से खून का पुराना धब्बा-

(a) नमक के पानी का प्रयोग करें।

(b) ग्लिसरीन में भिगोएं।

(c) गर्म पानी में भिगोएं।

(d) गर्म पानी व साबुन से धोएं।

उत्तर: (a) नमक के पानी का प्रयोग करें।

(iii) लिपस्टिक का धब्बा-

(a) नमक के पानी का प्रयोग करें।

(b) ग्लिसरीन में भिगोएं।

(c) मिथाइलेटेड स्पिरिट में भिगोएं।

(d) गर्म पानी और साबुन से धोएं।

उत्तर: (c) मिथाइलेटेड स्पिरिट में भिगोएं।

(iv) जंग का धब्बा-

(a) नमक के पानी का प्रयोग करें।

(b) नींबू का रस व नमक लगाएं।

(c) मिथाइलेटेड स्पिरिट में भिगोएं।

(d) साबुन और ठंडे पानी से धोएं।

उत्तर: (b) नींबू का रस व नमक लगाएं।

(v) रेशमी कपड़ों पर मक्खन का ताजा दाग-

(a) ठंडे पानी से धोएं।

(b) ठंडे पानी व साबुन से धोएं।

(c) नमक लगा कर धूप में छोड़ दें।

(d) गर्म पानी व साबुन से धोएं।

उत्तर: (d) गर्म पानी व साबुन से धोएं।

(vi) पॉलिएस्टर वस्त्र पर नेल पॉलिश का धब्बा-

(a) मिथाइलेटिड स्पिरिट में भिगोएं।

(b) गर्म पानी में भिगोएं।

(c) ठण्डे पानी में भिगोएं।

(d) गर्म पानी व साबुन में भिगोएं।

उत्तर: (a) मिथाइलेटिड स्पिरिट में भिगोएं।

(vii) ऊनी वस्त्र पर स्याही का ताजा धब्बा:

(a) ठंडे पानी व साबुन से धोएं।

(b) उबलते पानी व साबुन से धोएं।

(c) नमक व नींबू का रस लगाएं।

(d) मिथाइलेटेड स्पिरिट में भिगोए।

उत्तर: (a) ठंडे पानी व साबुन से धोएं।

पाठगत प्रश्न 27.5

1. कोष्ठक में दिये गये शब्दों में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

(i) धोने से पहले वस्त्रों की _____________ करनी चाहिये। (रंगाई, मरम्मत, इस्त्री, मंजाई)

उत्तर: धोने से पहले वस्त्रों की मरम्मत करनी चाहिये।

(ii) ____________ वस्त्रों को धुलाई से पहले भिगोना नहीं चाहिये। (रंगीन, सफेद, मैले, छोटे)

उत्तर: रंगीन वस्त्रों को धुलाई से पहले भिगोना नहीं चाहिये।

(iii) कपड़ों को भिगोने से मैल को ____________ में सहायता मिलती है। (तरल करने, घटाने, ढीली करने, बचाने)

उत्तर: कपड़ों को भिगोने से मैल को ढीली करने में सहायता मिलती है।

(iv) कलफ लगाने से सूती कपड़ों में _____________ आती है। (निष्प्रभता, चमक, ताजगी, फिसलन)

उत्तर: कलफ लगाने से सूती कपड़ों में चमक आती है।

(v) कपड़ों को धूप में ज्यादा देर छोडने से वे _____________ हो जाते हैं। (चमकदार, निष्प्रभ, नीले, पीले)

उत्तर: कपड़ों को धूप में ज्यादा देर छोडने से वे पीले हो जाते हैं।

(vi) ___________ पर सीधे इस्त्री नहीं करनी चाहिये। (कॉलर, कफ, बाँहों, बटन)

उत्तर: बटन पर सीधे इस्त्री नहीं करनी चाहिये।

(vii) भण्डारन करते समय अगर सूती वस्त्र गीले हों तो वे ____________ हो जाते हैं। (धुंधले, चमकदार, फंफूदी युक्त, चिकने)

उत्तर: भण्डारन करते समय अगर सूती वस्त्र गीले हों तो वे फंफूदी युक्त हो जाते हैं।

(viii) ___________ पर कलफ नहीं लगाना चाहिये। (टेबल लिनन, साड़ी, कमीज, अधोवस्त्र)

उत्तर: अधोवस्त्र पर कलफ नहीं लगाना चाहिये।

(ix) रंगीन सूती वस्त्रों को ___________ में सुखाना चाहिये। (धूप, छाया, बल्ब के प्रकाश,रात्रि)

उत्तर: रंगीन सूती वस्त्रों को छाया में सुखाना चाहिये।

2. निम्न प्रतीकों से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: प्रतीक चिह्न:

(i) विरंजित न करें।

(ii) धोयें नहीं।

(iii) द्रप्सशुष्कन।

(iv) मशीन से न धोएं।

पाठान्त प्रश्न

1. “लॉन्ड्री” या “धुलाई” शब्द का क्या अर्थ है?

उत्तर: हममें से ज़्यादातर लोगों का मानना है कि धुलाई का अर्थ सिर्फ़ कपड़ों का धोना है। परंतु वास्तव में धुलाई के अंतर्गत धोना, सुखाना व उसकी परिसज्जा की प्रक्रिया भी शामिल है। दूसरे शब्दों में, कपड़ों को धोना, सुखाना और उनकी परिसज्जा करना ही धुलाई है।

2. कपड़ों की धुलाई करना क्यों जरूरी है?

उत्तर: कपड़ों की देखभाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कपड़े धोने के निम्नलिखित कारण हैं-

(i) प्रयोग करते रहने से वस्त्रों पर मैल जम जाता है।

(ii) जब हम कपड़े पहनते हैं तब वे धूल, चिकनाई, पसीने इत्यादि के कारण गंदे हो जाते हैं।

(iii) यदि यह गंदगी कपड़े पर लगी रहे तो कपड़ा भद्दा लगता है।

(iv) गंदे कपड़े कमजोर भी हो जाते हैं और उन पर दाग धब्बे पड़ जाते हैं।

(v) वस्त्रों को लंबे समय तक उपयोग करने के लिए, उन्हें नियमित रूप से धोकर, सुखाकर, इस्त्री करके पहनना आवश्यक है।

3. धुलाई की मुख्य दो विधियां बताइये और वस्त्रों के लिये उनकी उपयुक्तता भी बताइये।

उत्तर: धुलाई की विधि का चयन इस बात पर निर्भर करता है कि वस्त्र कितना मैला है और वस्त्र किस प्रकार का है (जैसे सूती, रेशमी, ऊनी, रेयॉन, नायलॉन आदि)।

धुलाई की मुख्य दो विधियाँ और उनकी उपयुक्तता निम्नलिखित हैं:

1. घर्षण धुलाई:

उपयुक्तता: यह विधि मजबूत वस्त्रों, जैसे सूती वस्त्रों के लिए उपयुक्त है।

घर्षण के तरीके: यह हाथों द्वारा जोर से मसलना, प्लास्टिक के ब्रश द्वारा रगड़ना (अत्यधिक मैले वस्त्र जैसे झाड़न के लिए), या डंडे से पीटना (बड़े वस्त्रों जैसे बिस्तर की चादरों के लिए) हो सकता है।

2. मसलना:

उपयुक्तता: यह विधि नाजुक कपड़ों जैसे सिल्क, ऊनी, रेयॉन आदि के लिए प्रयोग की जाती है।

इस विधि में बहुत ही हल्के हाथों से वस्त्रों को मला जाता है, जिससे वस्त्रों को कोई हानि नहीं पहुँचती और न ही उनका आकार खराब होता है।

4. धब्बा क्या है? धब्बे को आप किस प्रकार पहचानेंगे?

उत्तर: गंदगी के अतिरिक्त कपड़े पर कोई भी निशान, दाग या धब्बा होता है। उदाहरण के लिए, खाना खाते समय यदि अचार और सब्ज़ी कमीज़ पर गिर जाए, या लिखते समय स्याही गिर जाए, या गीला पेंट लग जाए, तो ऐसे निशानों को धब्बे या दाग कहते हैं।

दाग छुड़ाने के लिए कौन सी विधि अपनाई जाएगी, यह निश्चित करने से पहले दाग की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है।

पहचान निम्नलिखित आधारों पर की जाती है:

(i) रंग: हर धब्बे का एक विशेष रंग होता है। उदाहरण के लिए, सब्जी या अचार के दाग पीले होते हैं, जबकि कॉफी और चाय के दाग भूरे और घास के धब्बे हरे होते हैं।

(ii) गंध: कुछ धब्बों की विशेष गंध होती है। उदाहरण के लिए, अंडे और पेंट के धब्बों को उनकी गंध से पहचाना जा सकता है।

(iii) स्पर्श: कुछ धब्बे कपड़ों का स्पर्श परिवर्तित कर देते हैं। उदाहरण के लिए, पेंट और चाशनी के दाग छूने में कड़े लगते हैं, जबकि लिपस्टिक व जूते की पॉलिश के दाग कपड़े को चिकना स्पर्श देते हैं।

5. धब्बे छुड़ाते समय सामान्य सावधानियों कौन-कौन सी हैं?

उत्तर: धब्बे छुड़ाते समय कपड़े को क्षति से बचाने के लिए निम्नलिखित सामान्य सावधानियाँ अवश्य बरतनी चाहिए:

(i) जहाँ तक संभव हो दाग को ताजा ही छुड़ा लें।

(ii) कपड़े को पहचानें कि वह सूती, रेशमी, ऊनी या सिंथेटिक है।

(iii) दाग को भी पहचानें।

(iv) अज्ञात धब्बों के लिए पहले दाग छुड़ाने की सरलतम विधियों से प्रारंभ करें और उसके पश्चात ही जटिल विधि अपनाएँ।

(v) धब्बे को हमेशा पहले ठंडे पानी से धोएँ, क्योंकि रक्त और अंडे के धब्बे को गर्म पानी पक्का बना देता है, जिससे उन्हें छुड़ाने में कठिनाई होती है।

(vi) धब्बे छुड़ाने के लिए प्रयुक्त रसायन कपड़ों के लिए हानिकारक नहीं होने चाहिए।

(vii) कोमल और रंगीन कपड़ों पर रसायन को पहले कपड़े के एक छोटे से हिस्से पर लगाकर देखें। यदि कपड़े को नुकसान पहुँचता है तो रसायन का प्रयोग न करें।

(viii) कठोर अभिकर्मक के एक ही बार प्रयोग करने की अपेक्षा मृदु अभिकर्मक के प्रयोग को बार-बार दोहराएँ।

(ix) धब्बे छुड़ाने के बाद सभी प्रकार के वस्त्रों को साबुन और पानी से अवश्य खंगालें ताकि रसायनों के अंश वस्त्र से पूर्णतया निकल जाएँ।

(x) कपड़ों को धूप में सुखाएँ क्योंकि सूर्य का प्रकाश प्राकृतिक विरंजक का कार्य करता है।

6. रेशमी वस्त्र से आप निम्न धब्बे किस प्रकार छुड़ायेंगे?

(i) कॉफी।

(ii) नेल पॉलिश।

(iii) नीली स्याही।

(iv) घास।

(v) पान।

उत्तर: रेशमी वस्त्रों (रेशमी व ऊनी वस्त्र सारणी के अनुसार) से धब्बे छुड़ाने की विधि निम्नलिखित है:

धब्बाछुड़ाने की विधि (रेशमी वस्त्र के लिए)
(i) कॉफी (पुराना धब्बा)धब्बे पर हाइड्रोजन-पर-ऑक्साइड की बूंदें डालें और हल्के हाथों से रगड़ें।
(ii) नेल पॉलिशधब्बे की अतिरिक्त मात्रा को खुरच कर निकाल दें। हल्के हाथ से मिट्टी के तेल या स्पिरिट से मलें (सफेद सूती वस्त्रों की तरह)। पुराने धब्बों के लिए इस विधि को 2 या 3 बार दोहराएँ।
(iii) नीली स्याहीचूँकि स्याही का उल्लेख नेल पॉलिश/बॉल पेन/लिपस्टिक की श्रेणी में आता है, इसके लिए मिट्टी के तेल या स्पिरिट से मलें। पुराने धब्बों के लिए इस विधि को 2 या 3 बार दोहराएँ।
(iv) घास (पुराना धब्बा)धब्बे को मिथाइलेटेड स्पिरिट में डुबोएँ (सफेद सूती वस्त्रों की तरह)।
(v) पान (ताजा धब्बा)धब्बे पर प्याज का पेस्ट बनाकर धूप में रख दें (रंगीन सूती वस्त्रों की तरह), परंतु ध्यान दें कि रेशमी वस्त्रों को सामान्यतः छाया में सुखाया जाता है।

7. किसी भी तरह के वस्त्र की घुलाई के तीन मुख्य चरणों की सूची बनाइये।

उत्तर: धुलाई के अंतर्गत निम्नलिखित तीन मुख्य प्रक्रियाएँ शामिल हैं:

1. धोना।

2. सुखाना।

3. परिसज्जा (जैसे इस्त्री करना)

(यदि आप विस्तृत चरणों की सूची चाहते हैं, तो धुलाई के नौ चरण दिए गए हैं, जिनमें मरम्मत, धब्बा छुड़ाना, छंटाई, भिगोना, धुलाई, खंगालना, कलफ़/नील लगाना, सुखाना और इस्त्री करना शामिल हैं)।

8. सूती कपड़े को आप किस प्रकार से धोयेंगे? इसके लिये आप कौन सी सावधानियां बरतेंगे? क्यों?

उत्तर: सूती कपड़े की धुलाई: सूती वस्त्र भीगने पर मज़बूत हो जाते हैं। इसलिए सूती वस्त्रों के लिए घर्षण धुलाई की विधि उपयुक्त है। इन्हें साबुन या डिटर्जेंट से रगड़कर धोया जा सकता है।

सावधानियाँ और कारण:

(i) भिगोना: अधिक मैले सूती कपड़ों को भिगोना चाहिए। कारण: भिगोने से मैल फूल जाता है और धोने पर आसानी से निकल जाता है।

(ii) रंग की जाँच: जिन सूती वस्त्रों के रंग पक्के नहीं हैं, उन्हें भिगोना नहीं चाहिए।

(iii) सुखाना: सफेद सूती कपड़ों को धूप में सुखाया जाता है (क्योंकि सूर्य का प्रकाश प्राकृतिक विरंजक का कार्य करता है), जबकि रंगीन सूती वस्त्रों को छाया में सुखाना चाहिए [9, 50ix]।

(iv) परिसज्जा: धुलाई के बाद सफेद सूती कपड़ों की सफेदी बनाए रखने के लिए नील लगाया जाता है, और उन्हें कड़क बनाने के लिए कलफ़ (मांड) लगाया जा सकता है।

9. निम्न की धुलाई में क्या अन्तर है?

(i) रेशमी और ऊनी वस्त्र।

उत्तर: रेशमी और ऊनी वस्त्र दोनों को नाजुक कपड़ों की श्रेणी में रखा गया है और दोनों की धुलाई मसलने की विधि (हल्के हाथ से) द्वारा की जाती है। दोनों को छाया में सुखाया जाता है।

मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं:

विशेषतारेशमी वस्त्रऊनी वस्त्र
धुलाई में शक्तिहल्के दबाव की आवश्यकता होती है, क्योंकि भीगने पर कमजोर हो जाते हैं।हल्के दबाव की आवश्यकता होती है।
भिगोनाभिगोने का स्पष्ट निषेध नहीं है, लेकिन नाजुक होते हैं।भिगोया नहीं जाता, क्योंकि भिगोने से ये जुड़ जाते हैं।
सुखानासफेद या रंगीन, दोनों को छाया में सुखाया जाता है।समतल जमीन पर, छाया में सुखाया जाता है। कारण: पानी में इनका आकार खराब हो जाता है।
इस्त्रीनमी रहते हुए ही गर्म इस्त्री की जाती है।ऊपर गीला मलमल का कपड़ा बिछाने के बाद ही इस्त्री की जाती है।

(ii) सफेद व रंगीन सूती वस्त्र।

उत्तर: | विशेषता | सफेद सूती वस्त्र | रंगीन सूती वस्त्र | | :— | :— | :— | | सुखाना | धूप में सुखाए जाते हैं। (धूप विरंजक का कार्य करती है)। | छाया में सुखाए जाते हैं [9, 50ix]। | | नील/विरंजक | सफेदी बनाए रखने के लिए नील लगाना आवश्यक है और विरंजक का उपयोग भी किया जा सकता है। | नील या विरंजक का प्रयोग नहीं किया जाता। | | भिगोना | यदि अधिक मैले हों तो भिगोना आवश्यक है। | यदि रंग पक्के नहीं हैं तो भिगोना नहीं चाहिए। |

(iii) ऊनी तथा कैश्मिलॉन के वस्त्र।

उत्तर: स्रोत में कैश्मिलॉन (Cashmilon) का सीधा उल्लेख नहीं है, लेकिन यह एक्रिलिक या मानव निर्मित (सिंथेटिक) वस्त्रों की श्रेणी में आता है।

विशेषताऊनी वस्त्र (प्राकृतिक/जानतव)कैश्मिलॉन/सिंथेटिक/मानव निर्मित वस्त्र
तंतु प्रकृतिजानतव रेशे।मानव निर्मित/सिंथेटिक वस्त्र।
धुलाईहल्के हाथ से मसलकर धोया जाता है।हल्के हाथ से धोया जाता है।
भिगोनाभिगोया नहीं जाता।भिगोने का कोई विशेष निषेध नहीं दिया गया है।
सुखानासमतल जमीन पर, छाया में सुखाया जाता है।हैंगर पर, छाया में सुखाया जाता है।
इस्त्रीऊपर गीला मलमल का कपड़ा बिछाने के बाद ही इस्त्री की जाती है।नायलॉन (सिंथेटिक) वस्त्रों पर मध्यम गर्म इस्त्री की जाती है।

10. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजियेः

(i) अधिक मैले सूती कपड़ों को भिगोना आवश्यक क्यों है?

उत्तर: अधिक मैले सूती कपड़ों को भिगोना इसलिए आवश्यक है क्योंकि भिगोने से मैल फूल जाता है और जब उसे धोया जाता है तो वह आसानी से निकल जाता है।

(ii) रेशमी वस्त्रों को धोते समय हल्का दबाव क्यों दिया जाता है?

उत्तर: रेशमी वस्त्रों को धोते समय हल्का दबाव दिया जाता है (मसलने की विधि) क्योंकि भीगने पर रेशमी वस्त्र कमजोर हो जाते हैं। हल्का दबाव या हल्के हाथों से धोने पर वस्त्र को कोई हानि नहीं पहुँचती और उसका आकार भी खराब नहीं होता।

(iii) रेशमी वस्त्रों की धुलाई में खंगालते समय आखिरी पानी में सिरका क्यों मिलाते हैं?

उत्तर: दिए गए स्रोतों में इस बात का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि रेशमी वस्त्रों की धुलाई में खंगालते समय आखिरी पानी में सिरका क्यों मिलाया जाता है।

(iv) ऊनी वस्त्रों को समतल सतह पर क्यों सुखाना चाहिये?

उत्तर: ऊनी वस्त्रों को समतल जमीन पर (समतल सतह पर) सुखाया जाता है क्योंकि पानी में ऊनी वस्त्रों का आकार खराब हो जाता है। समतल सतह पर सुखाने से वे अपना मूल आकार बनाए रखते हैं।

(v) नायलॉन के वस्त्रों पर इस्त्री करते समय अधिक गर्म इस्त्री क्यों नहीं प्रयोग करनी चाहिये?

उत्तर: नायलॉन के वस्त्र (जो मानव निर्मित वस्त्रों की श्रेणी में आते हैं) पर इस्त्री करते समय अधिक गर्म इस्त्री का प्रयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि मध्यम गर्म इस्त्री की जाती है। (यह इसलिए किया जाता है ताकि यह वस्त्र पिघलें या क्षतिग्रस्त न हों, हालाँकि स्रोत में सीधे तौर पर पिघलने का कारण नहीं दिया गया है)।

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