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NIOS Class 12 Home Science Chapter 20 किशोरावस्था
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किशोरावस्था
Chapter: 20
| मॉडयूल – 4 मानव विकास |
पाठगत प्रश्न 20.1
1. सबसे उपयुक्त उत्तर चुनिए।
(i) किशोरावस्था ____________ के बीच का समय है।
(क) जन्म व बाल्यावस्था।
(ख) बाल्यावस्था व प्रौढ़ावस्था।
(ग) प्रौढ़ावस्था व वृद्धावस्था।
(घ) बाल्यावस्था व वृद्धावस्था।
उत्तर: (ख) बाल्यावस्था व प्रौढ़ावस्था।
(ii) किशोरावस्था की शुरूआत व अन्त होता है-
(क) 11 और 18 वर्ष के मध्य।
(ख) 12 और 16 वर्ष के मध्य।
(ग) 13 और 18 वर्ष के मध्य।
(घ) 15 और 18 वर्ष के मध्य।
उत्तर: (क) 11 और 18 वर्ष के मध्य।
(iii) लडकियों में यौवन का पहला चिहन है-
(क) जांघ क्षेत्र में बालों का उगना।
(ख) स्तनों का उभार।
(ग) मासिक धर्म की शुरूआत।
(घ) स्वप्न दोष।
उत्तर: (ग) मासिक धर्म की शुरूआत।
(iv) लड़कों में यौवन का पहला लक्षण है-
(क) चेहरे पर बालों का उगना।
(ख) स्वप्न दोष।
(ग) आवाज का भारीपन।
(घ) जांघ क्षेत्र में बालों का उगना।
उत्तर: (ख) स्वप्न दोष।
2. दी गयी सूची में से किशोरावस्था में लड़कों/लड़कियों/दोनों में होने वाले परिवर्तनों पर सही का निशान (✓) लगाइये।
| लड़का | लड़की | |
| (1) अधिक वसीय ऊतक और शारीरिक अंगों में गोलाई | ||
| (2) छरहरे कंधे और चौड़े नितंब | ||
| (3) चौड़े और मजबूत कंधे और पतले नितब | ||
| (4) शरीर पर काले व घुघराले बाल | ||
| (5) तीखी व परिपक्व भारी आवाज | ||
| (6) मासिक धर्म का प्रारम्भ | ||
| (7) बाँहों और टांगों का विकास | ||
| (8) कद में वृद्धि |
उत्तर:
| लड़का | लड़की | |
| (1) अधिक वसीय ऊतक और शारीरिक अंगों में गोलाई | (3) चौड़े और मजबूत कंधे और पतले नितब | (1) अधिक वसीय ऊतक और शारीरिक अंगों में गोलाई |
| (2) छरहरे कंधे और चौड़े नितंब | (4) शरीर पर काले व घुघराले बाल | (2) छरहरे कंधे और चौड़े नितंब |
| (3) चौड़े और मजबूत कंधे और पतले नितब | (5) तीखी व परिपक्व भारी आवाज | (6) मासिक धर्म का प्रारम्भ |
| (4) शरीर पर काले व घुघराले बाल | ||
| (5) तीखी व परिपक्व भारी आवाज | ||
| (6) मासिक धर्म का प्रारम्भ | ||
| (7) बाँहों और टांगों का विकास | ||
| (8) कद में वृद्धि |
पाठगत प्रश्न 20.2
सबसे उपयुक्त उत्तर चुनकर अपने चुनाव के कारण भी लिखिये-
(i) शीघ्र वयस्क हुयी लड़कियों महसूस करती हैं-
(क) बेहतर व आश्वस्त।
(ख) संकुचित और अजीब।
(ग) संकुचित और आश्वस्त।
क्योंकि ______________________।
उत्तर: (ख) क्योंकि वे समझ नहीं पाते कि उनके साथ क्या हो रहा है और चूँकि वे अभी छोटे ही होते हैं लेकिन उनसे अधिक जिम्मेदाराना व्यवहार की अपेक्षा की जाती है।
(ii) निम्न में से किस की ओर लड़के आकर्षित नहीं होते?
(क) देर से वयस्क हुयी लड़कियां।
(ख) शीघ्र वयस्क हुयी लड़कियां।
(ग) दोनों ही उपर्युक्त।
क्योंकि ___________________।
उत्तर: (क) क्योंकि वे परिपक्व नहीं दिखते और उनसे बच्चों की तरह व्यवहार किया जाता है।
(iii) लड़कों में नेता चुने जाते हैं-
(क) देर से वयस्क हुये लड़के।
(ख) शीघ्र वयस्क हुये लड़के।
(ग) दोनों में कोई भी।
क्योंकि __________________।
उत्तर: (ख) क्योंकि उनका शारीरिक गठन अच्छा होता है और वे बलिष्ठ भी होते हैं।
(iv) किशोर बालक साधारणतया यौन सूचना के लिये _________ पर निर्भर नहीं रहते-
(क) सगी साथी।
(ख) प्रकाशित सामग्री।
(ग) दादा दादी।
क्योंकि _____________________।
उत्तर: (ग) क्योंकि किशोर ऐसी सूचनाएं अपने दादा-दादी से लेने में झिझकते हैं।
पाठगत प्रश्न 20.3
1. कॉलम (I) के वक्तव्यों को कॉलम (II) के वक्तव्यों से मिलाकर वाक्य पूरा करें।
| कॉलम (I) | कॉलम (II) |
| (a) जब माता पिता किशोरों को स्वतन्त्रता देते हैं और उनके क्रियाकलापों में दिलचस्पी लेते हैं | (i) किशोर आत्मनिर्भर नहीं बनेंगे। |
| (b) जब माता-पिता अत्यंत सख्त व तानाशाह हों | (ii) किशोर आत्मनिर्भर बनते हैं। |
| (c) जब माता-पिता किशोरों को उनके अपने ऊपर ही छोड़ देते हैं | (iii) किशोर आत्मनिर्भर व जिम्मेदार बनते हैं। |
| (iv) किशोर आत्मनिर्भर व तटस्थ बनते |
उत्तर:
| कॉलम (I) | कॉलम (II) |
| (a) जब माता पिता किशोरों को स्वतन्त्रता देते हैं और उनके क्रियाकलापों में दिलचस्पी लेते हैं | (iv) किशोर आत्मनिर्भर व तटस्थ बनते |
| (b) जब माता-पिता अत्यंत सख्त व तानाशाह हों | (iv) किशोर आत्मनिर्भर व तटस्थ बनते |
| (c) जब माता-पिता किशोरों को उनके अपने ऊपर ही छोड़ देते हैं | (iv) किशोर आत्मनिर्भर व तटस्थ बनते |
2. निम्न को कम से कम दो उदाहरण देकर समझाइये। उदाहरण आपकी पाठ्य सामग्री से अतिरिक्त होने चाहिये:
| 1. हम-उम्र संस्कृति | 2. हानिकारक हम उम्र दबाब | 3. सकारात्मक हम उम्र प्रभाव |
| (a) | (a) | (a) |
| (b) | (b) | (b) |
उत्तर:
| 1. हम-उम्र संस्कृति | 2. हानिकारक हम उम्र दबाब | 3. सकारात्मक हम उम्र प्रभाव |
| (a) पुरानी व बदरंग जीन्स पहनना | (a) धूम्रपान व मदिरापान | (a) परीक्षा में अच्छा परिणाम पाना |
| (b) फैशन की अंधी नकल | (b) स्कूल व काम से भागना | (b) एक दूसरे को नये कौशल सीखने के लिये उत्साहित करना |
पाठगत प्रश्न 20.4
1. किशोरों की भाषा की दो महत्त्वपूर्ण विशेषताएं बताइये।
उत्तर: चालू भाषा, संक्षिप्त रूप।
2. किशोरों के विचारों की दो मुख्य विशेषताएं लिखिये।
उत्तर: मूर्त, अमूर्त।
3. किशोरों के किन्हीं तीन विकासात्मक कार्यों की विवेचना कीजिये।
उत्तर: किशोरों के प्रमुख विकासात्मक कार्य (Developmental Tasks) निम्नलिखित हैं-
(i) अपने शारीरिक गठन को स्वीकार करना और इसका प्रभावपूर्ण ढंग से प्रयोग करना: यह पहला महत्वपूर्ण कार्य है जिसके तहत किशोरों को अपने शरीर में हो रहे तीव्र शारीरिक परिवर्तनों (जैसे लंबाई में वृद्धि, यौन विकास) को स्वीकार करना होता है और उन्हें प्रभावी ढंग से उपयोग करना सीखना होता है।
(ii) अपनी उम्र के लड़के और लड़कियों के साथ परिपक्व संबंध कायम करना: किशोरावस्था में, बच्चे विपरीत लिंगी सदस्यों के साथ अंतःक्रिया करना सीखते हैं, जिसके अवसर उन्हें हम-उम्रों की मंडली द्वारा मिलते हैं।
(iii) माता-पिता व अन्य वयस्कों से भावनात्मक स्वतंत्रता प्राप्त करना: किशोर इस अवधि में अपने माता-पिता से स्वतंत्र होना चाहते हैं, हालाँकि वे अभी भी अपनी आवश्यकताओं के लिए उन पर निर्भर रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों और वयस्कों के बीच एक प्रकार का द्वंद्व शुरू हो जाता है। इस द्वंद्व के बावजूद भावनात्मक स्वतंत्रता प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण विकासात्मक कार्य है।
4. किशोरो की दो संवेगात्मक व दो सामाजिक विशेषताओं का वर्णन करिये।
संवेगात्मक < सामाजिक <
उत्तर:

पाठगत प्रश्न 20.5
1. नीचे कुछ विशेषताओं की सूची दी गयी है। आप इनमें से किशोरावस्था की विशेषताओं को चुनें-
| (a) ‘मंचासीन’ होने की भावना |
| (b) आत्म केन्द्रित |
| (c) अजनबी के प्रति व्यग्रता |
| (d) मित्र संस्कृति |
| (e) आकर्षण |
| (f) मूर्त चिन्तन |
| (g) सिद्धान्तवाद |
| (h) विद्रोही |
| (i) कार्य नीतियां |
| (j) पीढ़ी अंतराल |
| (k) भाई बहनों में प्रतिस्पर्धा |
| (l) अमूर्त चिन्तन |
| (m) मनःस्थिति में उतार-चढ़ाव |
| (n) परिपक्व सोच |
| (०) शीघ्र प्रभावित होना |
उत्तर:
| (a) ‘मंचासीन’ होने की भावना |
| (d) मित्र संस्कृति |
| (c) अजनबी के प्रति व्यग्रता |
| (g) सिद्धान्तवाद |
| (h) विद्रोही |
| (j) पीढ़ी अंतराल |
| (l) अमूर्त चिन्तन |
| (m) मनःस्थिति में उतार-चढ़ाव |
| (०) शीघ्र प्रभावित होना |
2. प्रत्येक वक्तव्य के अंत में दिये गये चार उत्तरों में से सबसे सही उत्तर चुनिये।
(i) किशोरों में भोजन संबंधी विकार संबंधित हैं _____________।
(क) कम खाना, अधिक खाना और उल्टी करना।
(ख) तीव्र विकास के कारण उदर का पिचकना।
(ग) मित्रों का दबाव।
(घ) मनःस्थिति में उतार-चढ़ाव।
उत्तर: (क) कम खाना, अधिक खाना और उल्टी करना।
(ii) किशोरों में आत्मघाती प्रवृति विकसित होती है ___________।
(क) भोजन संबंधी विकार के कारण।
(ख) मित्रों के दबाब के कारण।
(ग) शारीरिक समस्याओं के कारण।
(घ) अकेलेपन के कारण।
उत्तर: (घ) अकेलेपन के कारण।
(iii) किशोरों की प्रजनन स्वास्थ्य की शिक्षा की आवश्यकता होती है क्योंकि ______________।
(क) वे तेजी से बढ़ रहे हैं।
(ख) उन्हें अपने शारीरिक गठन को स्वीकारने की आवश्यकता है।
(ग) उन्हें लिंगीय भूमिका निभाने की तैयारी करनी है।
(घ) उन्हें विवाह व पारिवारिक जीवन के लिये तैयार होना है।
उत्तर: (घ) उन्हें विवाह व पारिवारिक जीवन के लिये तैयार होना है।
(iv) किशोर अपने अभिभावकों के प्रति विद्रोही हो जाते हैं क्योंकि वे समझते हैं कि:
(क) वयस्क लोग उन पर विश्वास नहीं करते।
(ख) वयस्क लोग उन्हें समझते नहीं।
(ग) उन पर मित्रों का दबाब रहता है।
(घ) वे बड़े हो गये हैं।
उत्तर: (ख) वयस्क लोग उन्हें समझते नहीं।
3. शीघ्र विवाह के कारण होने वाली दो स्वास्थ्यगत हानियों व दो आर्थिक हानियों के विषय में लिखिये-
| स्वास्थ्य को हानि | आर्थिक हानि |
उत्तर:
| स्वास्थ्य को हानि | आर्थिक हानि |
| कम उम्र में गर्भधारण से मातृ मृत्यु, एनीमिया व प्रसव जटिलताएँ बढ़ती हैं। | शिक्षा रुक जाने से कमाई के अवसर घट जाते हैं। |
| नवजात शिशु में कम वजन, समयपूर्व जन्म और मृत्यु-दर का खतरा बढ़ जाता है। | गृहस्थी व बच्चों का खर्च बढ़कर परिवार पर आर्थिक बोझ पड़ता है। |
पाठान्त प्रश्न
1. ‘किशोरावस्था’ को अपनी भाषा में समझाइए।
उत्तर: किशोरावस्था वह संक्रमण काल है जो बाल्यावस्था और प्रौढ़ावस्था के बीच की अवधि है। यह वह समय है जब कोई व्यक्ति न तो पूरी तरह बच्चा रहता है और न ही उसे पूर्ण रूप से वयस्क समझा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इस आयु वर्ग के किशोर बालक/बालिकाएँ 10 से 19 वर्ष के होते हैं। सामान्यतः, 11 से 18 वर्ष का यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जिसमें तीव्र शारीरिक और यौन विकास होता है, और परिपक्वता आती है। इस अवधि में एक बच्चा प्रवेश करता है और समाज में परिपक्व भूमिका निभाने की आशा के साथ स्त्री या पुरुष बनकर निकलता है।
2. किशोरावस्था में लड़के व लड़कियों में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों की तालिका बनाइये।
उत्तर: किशोरावस्था में लड़के और लड़कियों में होने वाले प्रमुख शारीरिक परिवर्तन निम्नलिखित हैं-
| शारीरिक परिवर्तन | लड़के (Boys) | लड़कियाँ (Girls) |
| कद में वृद्धि | 13 से 15 वर्ष की आयु में औसतन लगभग 20 सेमी तक बढ़ते हैं। | 11 से 13 वर्ष की आयु में लगभग 8 सेमी तक बढ़ता है। |
| शारीरिक गठन | मांसपेशियों का विकास होता है, जिससे भारी शारीरिक श्रम में मदद मिलती है। कंधे चौड़े व मज़बूत हो जाते हैं, जबकि नितंब पतले ही रहते हैं। | शरीर को गोलाई प्रदान करने के लिए अधिक वसीय ऊतक व त्वचा के नीचे के ऊतक विकसित होते हैं। कंधे छरहरे, जबकि नितंब चौड़े व गोलाकार हो जाते हैं। |
| यौन विकास के संकेत | स्वप्न दोष (रात्रि स्राव) यौनारंभ का पहला संकेत है। शिश्न के आकार में वृद्धि होने लगती है। | मासिक धर्म का प्रारंभ होना यौनारंभ का पहला संकेत है। स्तनों में उभार आने लगता है। |
| बालों की वृद्धि | शरीर पर बाल काले और घुंघराले हो जाते हैं। बगल, जाँघों के क्षेत्र, चेहरे पर, होंठों के ऊपर व गालों पर बाल उग आते हैं। | बगल व जाँघ क्षेत्र में बालों की वृद्धि होती है। |
| आवाज़ | आवाज़ में परिवर्तन होता है (तीखी व परिपक्व/भारी)। यह स्वर यंत्र के बढ़ जाने व एडम्स एप्पल ग्रंथि के स्पष्ट हो जाने के कारण होता है। | आवाज़ तीखी और वयस्कों जैसी हो जाती है। |
| परिपक्वता | लड़कियों की अपेक्षा दो वर्ष बाद वयस्क कद, वज़न और प्रजनन क्षमता प्राप्त करते हैं। | लड़कों से दो वर्ष पहले ही वयस्क कद, वज़न और प्रजनन क्षमता प्राप्त कर लेती हैं। |
3. किशोरावस्था में शीघ्र और देर से हुई परिपक्वता के परिणामों की विवेचना कीजिये।
उत्तर: किशोरावस्था में जल्दी या देर से शारीरिक परिपक्वता (maturation) आने का किशोरों पर मनोवैज्ञानिक रूप से विशिष्ट प्रभाव पड़ता है। ये भावनाएँ साधारणतया अस्थायी होती हैं।
शीघ्र परिपक्वता के परिणाम:
लड़कियाँ:
(i) वे अपने शरीर में हो रहे परिवर्तनों से संकोच महसूस करती हैं।
(ii) चूँकि वे परिपक्व दिखाई देती हैं, वयस्क लोग उनसे ज़िम्मेदारीपूर्ण व्यवहार की अधिक अपेक्षा करते हैं।
लड़के:
(i) वे लड़कियों की अपेक्षा अधिक आत्मविश्वासी होते हैं।
(ii) अपने बलिष्ठ और विकसित शरीर के कारण उन्हें अक्सर नेता चुन लिया जाता है।
(iii) वे आत्मसंतुष्ट होते हैं, लेकिन वयस्क उनसे अपेक्षाएँ भी अधिक करते हैं।
देर से परिपक्वता के परिणाम:
लड़कियाँ:
(i) वे दिखने में छोटी लगती हैं, और उनसे ज़िम्मेदारीपूर्ण व्यवहार की उतनी अपेक्षाएँ नहीं की जाती हैं।
(ii) अतः वे अधिक आश्वस्त रहती हैं। हालाँकि, लड़के उनकी ओर अधिक ध्यान नहीं देते।
लड़के:
(i) उनमें हीन भावना आ जाती है।
(ii) वे सोचते हैं कि कब वे अपने हमउम्र दोस्तों की तरह बलवान और बलिष्ठ होंगे।
4. माता-पिता अपने बच्चों को यौन शिक्षा देने में किस प्रकार की भूमिका निभा सकते है?
उत्तर: माता-पिता अपने बच्चों को यौन शिक्षा देने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिसे प्रजनन स्वास्थ्य के लिए शिक्षा भी कहा जाता है।
(i) ज्ञान का सही स्रोत बनना: किशोरावस्था के अंत तक किशोर यौन रूप से परिपक्व हो जाते हैं। उनके शरीर में गौण यौन लक्षणों का विकास और हार्मोन की बढ़ती गतिविधि कई प्रश्न पैदा करती है। किशोर इन प्रश्नों के उत्तर के लिए हमउम्र दोस्तों या पुस्तकों पर निर्भर होते हैं, लेकिन यह जानकारी भ्रामक या हानिकारक हो सकती है। इसलिए, माता-पिता बच्चों के यौन संबंधी प्रश्नों का उत्तर देने वाले विश्वसनीय वयस्क के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
(ii) खुले संबंध बनाए रखना: यह आवश्यक है कि माता-पिता अपने बच्चों के साथ निकटतम संबंध बनाए रखें।
(iii) संकोच रहित संवाद: निकट संबंध होने पर बच्चे उनसे अपने कोई भी प्रश्न बिना झिझक पूछ सकते हैं। माता-पिता को भी उन प्रश्नों के उत्तर संतोषप्रद ढंग से और निःसंकोच देने का प्रयास करना चाहिए।
5. किशोरावस्था में अभिभावकों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले अनुशासन के तरीकों का उल्लेख कीजिए। आपके अनुसार कौनसी तकनीक उचित है?
उत्तर: माता-पिता और किशोरों के बीच नियंत्रण और स्वतंत्रता को लेकर द्वंद्व चलता है।
अभिभावकों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले अनुशासनात्मक तरीके और उनके परिणाम निम्नलिखित हैं-
(i) स्वतंत्रता और रुचि दर्शाने वाले माता-पिता: जो अपने किशोर बच्चों को अधिक स्वतंत्रता देते हैं और उनके क्रियाकलापों तथा निर्णयों के प्रति दिलचस्पी व ज़िम्मेदारी का भाव दर्शाते हैं। परिणाम: वे बच्चों को अधिक आत्मनिर्भर और ज़िम्मेदार बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
(ii) सख्त और तानाशाही माता-पिता: जो बच्चों को स्वयं निर्णय नहीं लेने देते। परिणाम: वे किशोरों की आत्मनिर्भर होने की क्षमता पर गंभीर रूप से रोक लगा देते हैं।
(iii) तटस्थ माता-पिता: जो किशोरों की समस्याओं को उन्हीं पर छोड़ देते हैं और उनसे मेलजोल नहीं रखते। परिणाम: ऐसे किशोर तटस्थ मनोवृत्तियों वाले होते हैं।
(iv) पारिवारिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने वाले माता-पिता: जो बच्चों को पारिवारिक मामलों में भाग लेने के लिए उत्साहित करते हैं, उनके निर्णयों का सम्मान करते हैं और उनकी गतिविधियों में दिलचस्पी लेते हैं। परिणाम: उनके बच्चे अत्यंत आत्मविश्वासी होते हैं।
उचित तकनीक: स्रोतों के अनुसार, अभिभावकों को एक अनुकूल और सौहार्दपूर्ण अनुशासनात्मक तकनीक अपनानी चाहिए। मेरे अनुसार, वह तकनीक सबसे उचित है जिसमें माता-पिता स्वतंत्रता प्रदान करते हैं और किशोरों के निर्णयों का सम्मान करते हुए उनकी गतिविधियों में दिलचस्पी लेते हैं। यह तकनीक किशोरों को आत्मनिर्भर, ज़िम्मेदार और आत्मविश्वासी बनने में मदद करती है।
6. किशोरावस्था में मित्रों तथा हम-उम्रों की भूमिका की विवेचना कीजिये।
उत्तर: किशोरावस्था में (विशेषकर 14 से 16 वर्ष की आयु में) बच्चे माता-पिता से अधिक महत्व अपने हम-उम्रों को देते हैं।
हम-उम्रों की मंडली निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण बन जाती है-
सकारात्मक भूमिका (हम-उम्रों का महत्व):
(i) भावनात्मक समर्थन: किशोर अपनी समस्याओं और भावनाओं की चर्चा हम-उम्रों के साथ करते हैं। वे मानते हैं कि उनके दोस्त उन्हें माता-पिता की अपेक्षा अधिक अच्छी तरह समझते हैं।
(ii) सामाजिक विकास: हम-उम्रों की मंडली विपरीत लिंगी सदस्यों के साथ अंतः क्रिया सीखने के अवसर प्रदान करती है।
(iii) मित्र संस्कृति (Peer Culture): लगभग सभी किशोर यह समझते हैं कि अपने हम-उम्रों जैसे बात करना, चलना, बोलना, कपड़े पहनना और व्यवहार करना अत्यंत आवश्यक है। इसे ‘मित्र संस्कृति’ कहा जाता है।
(iv) शैक्षिक प्रेरणा: यदि किशोरों के मित्र पढ़ाई पर अधिक ध्यान देते हैं, तो समूह का हिस्सा बने रहने के लिए किशोर भी परिश्रम करेगा।
हानिकारक भूमिका (मित्र दबाव/पीयर प्रेशर):
(i) तनाव और चिंता: यदि कोई मित्र विपरीत लिंग के साथ संबंध कायम करने पर उपहास करता है, तो किशोर में अत्यधिक तनाव या चिंता पैदा हो सकती है।
(ii) अनैतिक कार्यों का दबाव: मित्र समूह कई बार किशोरों पर उनकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करने के लिए दबाव डालते हैं, जिसका बाद में पछतावा हो सकता है। उदाहरण के लिए, उन पर नशीली दवाएँ लेने के लिए या दुकानों से कोई वस्तु चुराने के लिए दबाव डालना।
(iii) असामाजिक गतिविधियाँ: हमउम्रों की गतिविधियाँ अनजाने में असामाजिक भी हो सकती हैं, जैसे गुट बनाकर सड़कों पर होने वाली हिंसा में शामिल होना।
7. “विद्यालय में किशोरों की शिक्षा में अच्छे परिणामों के लिये विद्यालय का अच्छा वातावरण व प्रशिक्षित अध्यापकों का होना अत्यंत आवश्यक है” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
उत्तर: हाँ, मैं इस कथन से अत्यंत सहमत हूँ। किशोरों की पढ़ाई में सफलता काफी हद तक विद्यालय के वातावरण और शिक्षकों पर निर्भर करती है।
पुष्टि (सकारात्मक प्रभाव):
(i) उत्कृष्ट शैक्षिक परिणाम: यदि शिक्षक उचित रूप से प्रशिक्षित, हँसमुख और उत्साही हैं, और वे बच्चों की छिपी प्रतिभाओं को जागृत करके उन्हें प्रोत्साहन देते हैं, तो किशोर अपने बारे में सकारात्मक सोच विकसित कर सकते हैं।
(ii) आनंद और सम्मान: यदि स्कूल का अनुशासन बहुत सख्त नहीं है और वहाँ विद्यार्थी की भावनाओं का आदर किया जाता है, तो विद्यार्थी को पढ़ाई करने में अत्यधिक आनंद आता है।
(iii) शिक्षक की केंद्रीय भूमिका: अध्यापक माता-पिता और किशोरों के बीच ‘पीढ़ी अंतराल’ को कम करने में एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। यदि अध्यापक लोकप्रिय हैं, तो छात्र अपने माता-पिता से अधिक उनकी बात समझते हैं।
विपरीत प्रभाव (उदाहरण):
(i) खराब परिणाम: अप्रशिक्षित, अयोग्य अध्यापक, छात्रों की अधिक संख्या, अधिक कार्यभार, या सख्त नियम बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
(ii) रुचि में कमी: इन नकारात्मक कारकों के कारण किशोरों को उनके प्रश्नों के उत्तर ठीक से नहीं मिल पाते, जिससे उनकी जिज्ञासा और पढ़ाई में रुचि कम हो जाती है।
(iii) स्कूल छोड़ना: परिणामस्वरूप, वे अच्छा परिणाम नहीं ला पाते, और उनमें से कई को स्कूल तक छोड़ना पड़ सकता है।
8. किशोरावस्था में होने वाले संज्ञानात्मक विकास की क्या विशेषताएं हैं? विवेचना कीजिये।
उत्तर: किशोरावस्था में पहुँचकर किशोरों के संज्ञान में महत्वपूर्ण बदलाव आता है, जिससे उनकी विचारशक्ति अधिक परिपक्व और व्यवस्थित हो जाती है।
संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) अमूर्त चिंतन (Abstract Thinking): किशोरों की सोच अमूर्त हो जाती है। वे किसी वस्तु को देखे बिना भी घटनाक्रम और परिस्थितियों की कल्पना कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, वे केवल कथनों के आधार पर ही तर्कपूर्ण निष्कर्ष निकाल सकते हैं (जैसे: यदि ‘अ’ > ‘ब’ और ‘ब’ > ‘स’ है, तो ‘अ’ > ‘स’ होगा)।
(ii) काल्पनिक विचारों की समझ: वे साधारण तथ्यों के विपरीत विचारों को भी समझ सकते हैं और उनके परिणाम की कल्पना कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, ‘यदि हम सब उड़ पाते’ जैसे विषय पर वे तुरंत यह कल्पना करेंगे कि ‘तब हमें वाहनों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी’।
(iii) उपमाओं और व्यंग्य को समझना: तथ्यों के विपरीत विचारों को समझने की इस क्षमता के कारण किशोर उपमाओं (Metaphors) को समझ पाते हैं और छुपे हुए व्यंग्यों को भी समझ सकते हैं।
(iv) व्यवस्थित समस्या समाधान: किशोर समस्याओं के सभी विकल्पों के विषय में विचार करके उनका समाधान निकालने में सक्षम होते हैं, क्योंकि उनकी विचारशक्ति अधिक परिपक्व व व्यवस्थित हो जाती है।
9. किशोरावस्था के महत्त्वपूर्ण विकासात्मक कार्यों का सूचीकरण कीजिये।
उत्तर: किशोरावस्था के महत्वपूर्ण विकासात्मक कार्य (Developmental Tasks) निम्नलिखित हैं, जो इस अवधि में होने वाले विकास प्रक्रिया से प्रभावित होते हैं-
(i) अपने शारीरिक गठन को मानना और इसका प्रभावपूर्ण ढंग से उपयोग करना।
(ii) अपनी उम्र के लड़के व लड़कियों के साथ परिपक्व संबंध स्थापित करना।
(iii) पुरुष व नारी सुलभ सामाजिक भूमिका निर्वहन के लिए तैयार होना (समाज के ज़िम्मेदार सदस्य की भूमिका निभाना)।
(iv) माता-पिता और अन्य वयस्कों से भावनात्मक स्वतंत्रता प्राप्त करना।
(v) सिद्धांत या मूल्यों का विकास करना।
(vi) व्यावसायिक जीवन की तैयारी करना।
(vii) विवाह तथा गृहस्थ जीवन के लिए तैयार होना।
10. किशोरावस्था की विशेषताओं व समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: किशोरावस्था वह अवधि है जो किशोरों को बच्चों और वयस्कों से अलग करती है।
किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ:
(i) आत्म-केंद्रित चिंतन: अपने रूप-रंग और शारीरिक गठन के विचारों में तल्लीन रहना, यह सोचना कि वे ‘हर वक्त मंच पर खड़े हैं’ और सभी की आँखें उन पर हैं।
(ii) हम-उम्र संस्कृति: ‘मित्र संस्कृति’ अपनाना, जिसमें बोलचाल, चलने का ढंग और व्यवहार व0यस्कों को अजीब लग सकता है।
(iii) आदर्शवादिता: यह विचार रखना कि लोगों को बहुत अच्छा होना चाहिए, और एक ऐसे आदर्शवादी संसार में विश्वास करना जहाँ हर चीज़ अच्छी, न्यायप्रद और स्वच्छ हो।
(iv) विद्रोह की भावना: विद्रोहात्मक विचार आना। वे मानते हैं कि वयस्क उन्हें ठीक से नहीं समझते और वे वयस्कों के विचारों से असहमत होते हैं।
(v) पीढ़ी अंतराल: लगभग सभी किशोर अपनी पीढ़ी और अभिभावकों के बीच ‘पीढ़ी अंतराल’ को महसूस करते हैं।
(vi) मनःस्थिति में उतार-चढ़ाव: तीव्र भावनात्मक उतार-चढ़ाव महसूस करना, जहाँ नापसंद होने वाली छोटी सी बात भी निराशा या हताशा का कारण बन सकती है।
(vii) शीघ्र प्रभावित होना: भावनात्मक रूप से पूर्णतः परिपक्व न होने के कारण दूसरों की बातों से आसानी से प्रभावित हो जाना।
किशोरावस्था की मुख्य समस्याएँ:
(i) भोजन संबंधी परेशानी: स्वयं को मोटा समझकर कम खाना या ध्यान आकर्षित करने के लिए अत्यधिक खाना। तनाव की स्थिति में उल्टी करना भी देखा जाता है।
(ii) आत्मघाती प्रवृत्तियाँ: मित्र समूह से जुड़ने में अक्षम होना या माता-पिता पर विश्वास न करने के कारण अत्यधिक अकेलापन महसूस करना।
(iii) मित्रों का दबाव: दोस्तों के दबाव में मदिरापान, धूम्रपान या नशीली दवाओं का सेवन शुरू कर देना।
(iv) व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याएँ: अपने रूप-रंग, शारीरिक बनावट (मोटा/पतला, लंबा/छोटा), नाक के आकार या कपड़े पहनने के ढंग को लेकर अत्यधिक चिंतित रहना। विपरीत लिंगी लोगों के साथ रहने में झिझकना।
(v) शारीरिक/स्वास्थ्य समस्याएँ: शारीरिक परिवर्तनों के बारे में जानकारी का अभाव होना और स्वास्थ्य अधिकारी से संपर्क करने में भय या संकोच महसूस करना।
(vi) किशोरावस्था में गर्भधारण: शारीरिक परिपक्वता से पहले गर्भधारण की ज़िम्मेदारी आना, जिसके गंभीर मानसिक, स्वास्थ्य संबंधी और आर्थिक दुष्परिणाम होते हैं।

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