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NIOS Class 12 Home Science Chapter 12 स्थान प्रबंधन
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स्थान प्रबंधन
Chapter: 12
| मॉडयूल – 3 संसाधन प्रबंधन |
पाठगत प्रश्न 12.1
1. स्थान प्रबंधन के दो प्रमुख पहलू बताइये।
उत्तर: स्थान प्रबंधन के दो मुख्य पहलू (प्रमुख बिंदु) निम्नलिखित हैं-
(i) किसी भी कार्य को करने के लिए नियत स्थान देना।
(ii) कार्य के लिए समस्त आवश्यक वस्तुओं को एक स्थान पर रखना।
2. कोई भी दो उदाहरण देकर समझाइये जहाँ दो कार्य एक साथ किये जा सकेंगे।
उत्तर: कपड़े धोना + मिठाई बनाना।
बुनाई करना + टी.वी. देखना।
सब्जी काटना + टी.वी. देखना।
सब्जी बनाना + बर्तन धोना।
3. अध्ययन क्षेत्र के लिये आवश्यक सामग्री बताइये।
उत्तर: अध्ययन क्षेत्र के लिए आवश्यक सामग्री में निम्नलिखित का प्रबंधन आवश्यक होता है-
(i) पढ़ने की मेज (अध्ययन की मेज)।
(ii) उपयुक्त प्रकाश (adequate light), जिसमें अधिक-से-अधिक प्राकृतिक और अन्य प्रकाश की व्यवस्था हो।
(iii) पुस्तकों के स्थान का प्रबंध (जैसे- किताबों की अलमारी)।
(iv) लेखन सामग्री।
पाठगत प्रश्न 12.2
1. निम्नलिखित वाक्यों की विवेचना कीजिए।
(i) एक क्षेत्र में एक ही क्रिया के किए जाने का प्रावधान होना चाहिए।
उत्तर: नहीं, स्थान के उचित प्रयोग के लिए एक क्षेत्र में एक से अधिक कार्य किए जा सकते हैं। जैसे बैठक को रात में सोने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
(ii) अधिकतर प्रयुक्त आवश्यक सामग्री और उपकरणों को उपयुक्त ऊँचाई पर रखना चाहिए।
उत्तर: हाँ, इससे काम कम होता है और समय और ऊर्जा की बचत होती है।
(iii) स्थान की कमी होने पर बन्द होने वाली मेज दीवार पर लगाना उचित होगा।
उत्तर: हाँ, जब काम में न आये तो इसे बंद करके हटा दिया जा सकता है जिससे चलन-फिरने के लिए जगह हो पाती है।
(iv) खाना पकाने और धोने का क्षेत्र ज्यादा से ज्यादा समीप होना चाहिये।
उत्तर: हाँ, ये संबंधित कार्य है। इन्हें एक साथ किया जा सकता है जिससे समय व ऊर्जा की बचत होगी।
(v) स्नानागार का फर्श पॉलिश किया हुआ हो तो साफ दिखता है।
उत्तर: नहीं. इससे फर्श फिसलना हो सकता है जिससे दुर्घटना हो सकती है।
(vi) बिजली के प्वाइंट स्नानागार में कहीं भी दिये जा सकते हैं।
उत्तर: नहीं, इन्हें पानी के स्रोत से दूर रखना चाहिए।
2. (i) खड़े होकर खाना बनाने वाली रसोई में, विभिन्न ऊँचाई के अनुसार उपयुक्त भण्डारण को चित्र बना कर समझाइये।
उत्तर: खड़े होकर काम करने वाली रसोई में, भण्डारण की व्यवस्था इस बात पर निर्भर करती है कि वस्तुओं का उपयोग कितनी बार किया जाता है और उनका वज़न क्या है।
भंडारण की ऊँचाई के अनुसार व्यवस्था:
(i) आसानी से पहुँच योग्य स्थान (सबसे अधिक उपयोग): जिन वस्तुओं की आवश्यकता अधिक पड़ती है, उन्हें ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहाँ से उन्हें आसानी से पहुँचा जा सके। ऐसा करने से व्यक्ति को अनावश्यक रूप से झुकना या ऊँचा उठना नहीं पड़ता, जिससे समय और ऊर्जा की बचत होती है।
(ii) निचले स्थान (भारी वस्तुएँ): भारी और ज़्यादा उपयोग में आने वाली वस्तुएँ, जैसे कि आटा और चावल के डिब्बे, नीचे रखे जाते हैं ताकि उन्हें ऊपर से उतारना न पड़े।
(iii) सामान्य से अधिक ऊँचाई (कम उपयोग): जिन वस्तुओं का प्रयोग कम होता है, उन्हें सामान्य से कुछ अधिक ऊँचाई पर रखा जा सकता है। इसे अप्रयुक्त भण्डारण (unused storage) कहा जाता है।
यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि रसोई में कार्यकुशलता बनी रहे, जैसा कि चित्र 12-1 में दिखाया गया है।
(ii) रसोई के कोई भी दो प्रकार के प्रबन्ध का चित्र बनाइए।
उत्तर: रसोई के प्रबंधन में कार्य क्षेत्र की व्यवस्था कई तरीकों से की जा सकती है, जो उपलब्ध स्थान पर निर्भर करती है।
यहाँ रसोई के किन्हीं दो प्रकार के प्रबंधन की व्याख्या उनके चित्र संदर्भों के साथ की गई है-
1. एक दीवार की रसोई (One-Wall Kitchen):
व्यवस्था: छोटे मकानों में, खाना पकाने की व्यवस्था केवल एक ही दीवार पर की जाती है।
चित्र संदर्भ: यह व्यवस्था चित्र 12-4 में दर्शाई गई है।
2. दो दीवारों की रसोई (Two-Wall Kitchen):
व्यवस्था: इस प्रकार की रसोई में, व्यवस्था करने के लिए आमने-सामने की दो दीवारों का प्रयोग किया जाता है।
चित्र संदर्भ: यह व्यवस्था चित्र 12-5 में दर्शाई गई है।
रसोई के प्रबंधन के अन्य प्रकारों में L-शेप की रसोई (चित्र 12-6) और U-शेप की रसोई (चित्र 12-7) शामिल हैं।
पाठगत प्रश्न 12.3
1. स्थान की बचत करने वाले फर्नीचर के उदाहरण दें।
उत्तर: फोल्डिंग पलंग, बॉक्स वाले पलंग, दीवान, सोफा नुमा पलंग, बाहर खींचने वाले पलंग।
2 निम्नलिखित कार्यक्षेत्रों के प्रबंधन के लिये सुझाव दें:
(i) अध्ययन।
उत्तर: अध्ययन (Study Area): अध्ययन क्षेत्र के प्रबंधन के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं-
(i) स्थान और प्रकाश: अध्ययन की मेज (पढ़ने की मेज) को ऐसी जगह रखा जाना चाहिए जहाँ कम-से-कम शोर हो। साथ ही, वहाँ अधिक-से-अधिक प्राकृतिक और अन्य प्रकाश की व्यवस्था हो।
(ii) कार्यक्षेत्र का लचीलापन: अध्ययन क्षेत्र शयनकक्ष (बेडरूम) में या खाना खाने के कमरे (डाइनिंग रूम) में भी हो सकता है।
(iii) बहु-उपयोग: खाने की मेज (भोजन मेज) का प्रयोग भी लिखने के लिए किया जा सकता है।
(iv) भण्डारण: किताबों की अलमारी को दीवार के सहारे रखा जा सकता है, जिसमें किताबें और लेखन-सामग्री रखी जा सकेगी।
(v) छोटी जगहों के लिए फर्नीचर: यदि शयनकक्ष छोटा है, तो अध्ययन की मेज सामान्य हो सकती है या फिर एक बंद होने वाली मेज हो सकती है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर खोला जा सकता है। बंद होने वाली मेज को दीवार पर लगाया जा सकता है, और उसके पीछे की जगह को किताब और लेखन सामग्री रखने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
(ii) मनोरंजन।
उत्तर: मनोरंजन (Entertainment Area): मनोरंजन क्षेत्र वह स्थान है जहाँ परिवार के सभी सदस्य इकट्ठे होकर बात-चीत करते हैं, टी.वी. देखते हैं या इसी प्रकार का कोई अन्य कार्य करते हैं। प्रबंधन के लिए सुझाव:
(i) स्थान: औपचारिक मनोरंजन का क्षेत्र बैठक (लिविंग रूम) होनी चाहिए।
(ii) क्षेत्र का विभाजन: यदि यह कमरा बड़ा है, तो इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है— एक बैठने के लिए (सोफा, कुर्सी, मेज आदि) और दूसरा खाना खाने का क्षेत्र।
(iii) विभाजन और भण्डारण: इन दोनों क्षेत्रों को अलमारी रखकर विभाजित किया जा सकता है। इस अलमारी का प्रयोग सामान सजाने या रखने में किया जा सकता है।
(iv) बच्चों के लिए उपयोग: यदि अलमारी में खाने की मेज को बंद करके रखने की व्यवस्था हो, तो उस क्षेत्र को बच्चों के खेलने के कमरे के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
(v) बहु-उपयोगी फर्नीचर: बैठक को रात के समय फोल्डिंग पलंग (Folding bed) डालकर मेहमानों के कमरे में परिवर्तित किया जा सकता है।
(vi) सोफा-नुमा पलंग: सोफा नुमा पलंग (sofa-cum-bed) को दिन में सोफे की तरह और रात में पलंग की तरह प्रयोग किया जा सकता है।
(iii) स्नान।
उत्तर: स्नान (Bathing Area): स्नानागार में नहाने और कपड़े धोने का कार्य किया जाता है।
इसके प्रबंधन के लिए आवश्यक पहलू इस प्रकार हैं-
(i) भण्डारण व्यवस्था: स्नानागार में नहाने का साबुन, कपड़े धोने का साबुन, तेल, अन्य प्रसाधन सामग्री (cosmetic materials), और तौलिए (towels) को रखने की व्यवस्था होनी चाहिए।
(ii) जल व्यवस्था: पानी की आपूर्ति और नाली की सुविधा होनी चाहिए।
(iii) सुरक्षा और स्वच्छता: स्नानागार के फर्श का ढलान मुख्य नाली की तरफ होना चाहिए। फर्श फिसलनदार नहीं होना चाहिए।
(iv) बिजली की सुरक्षा: बिजली का कनेक्शन पानी के स्रोत से दूर होना चाहिए, ताकि कोई दुर्घटना न हो।
(v) धुलाई और सुखाने का क्षेत्र: मैले कपड़े रखने का स्थान अलग से होना चाहिए, ताकि पूरे घर से मैले कपड़े इकट्ठे न करने पड़ें। कपड़े सुखाने की व्यवस्था धुलाई क्षेत्र के पास होनी चाहिए ताकि धोने और सुखाने के बीच का आवागमन (movement) कम हो सके।
(vi) वॉशिंग मशीन: यदि स्नानागार में वॉशिंग मशीन रखनी है, तो उसकी उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए।
पाठगत प्रश्न 12.4
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. उन चीजों की सूची बनाइये जो एक कार्यक्षेत्र को प्रभावी बनाती है।
उत्तर: कार्यक्षेत्र को अधिक प्रभावी (effective) बनाने के लिए निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:
(i) कार्यक्षेत्र की व्यवस्था एक क्रम में होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, रसोई में कार्यक्षेत्र का क्रम तैयारी करना, धोना, पकाना और फिर परोसना होना चाहिए।
(ii) सामान रखने के सभी डिब्बे पारदर्शी (transparent) होने चाहिए या उनमें चिट (label) लगाई जानी चाहिए।
(iii) सभी कार्यक्षेत्रों में पर्याप्त प्रकाश (adequate light) और हवा (ventilation) की व्यवस्था होनी चाहिए।
(iv) सभी कार्यक्षेत्र ऐसे हों जिनका रखरखाव व सफाई आसानी से की जा सके।
(v) भण्डारण के लिए दीवार में बनी हुई अलमारी (wall-mounted almirah) की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि कैबिनेट और अलमारी फर्श पर स्थान न घेरें।
(vi) अतिरिक्त भण्डारण की व्यवस्था सीढ़ियों के नीचे, खिड़कियों के नीचे और टांड (shelf/loft) बनाकर की जा सकती है।
2. कमरे के आकार का फर्नीचर के आकार पर कोई प्रभाव नहीं है।” टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: यह कथन कि “कमरे के आकार का फर्नीचर के आकार पर कोई प्रभाव नहीं है,” सही नहीं है (या इसकी आलोचनात्मक टिप्पणी करनी होगी)।
टिप्पणी: स्थान प्रबंधन और सौंदर्य (एस्थेटिक्स) के संदर्भ में, कार्यक्षेत्र के आकार के अनुसार ही फर्नीचर का आकार होना चाहिए। छोटे कमरे के लिए छोटा फर्नीचर अच्छा रहता है। फर्नीचर की व्यवस्था इस प्रकार होनी चाहिए कि लोगों को आने-जाने में परेशानी न हो। इस प्रकार, कमरे के आकार का फर्नीचर के आकार और उसकी व्यवस्था पर सीधा और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
3. किसी भी कार्य को करने के लिये प्रयुक्त उपकरण व अन्य सामग्री कार्यक्षेत्र में एक नियत स्थान पर क्यों रखी जानी चाहिये?
उत्तर: किसी भी कार्य को करने के लिए प्रयुक्त उपकरण और अन्य सामग्री कार्यक्षेत्र में एक नियत स्थान पर इसलिए रखी जानी चाहिए ताकि समय और ऊर्जा की बचत हो सके।
कारण निम्नलिखित हैं-
(i) समय और ऊर्जा की बचत: किसी भी कार्य विशेष को करने के लिए सभी आवश्यक सामग्री को अपने पास व्यवस्थित तरीके से रखना चाहिए, ताकि समय और ऊर्जा की बचत हो सके।
(ii) दक्षता (Efficiency): कार्य के लिए समस्त आवश्यक वस्तुओं को एक स्थान पर रखना स्थान प्रबंधन का एक मुख्य बिंदु है।
(iii) आवागमन में कमी: यदि आवश्यक सामग्री, जैसे पानी की व्यवस्था, दूर है, तो कार्य या तो बारी-बारी से किए जा सकेंगे, या उनको एक साथ करने में बार-बार आना-जाना पड़ेगा, जिससे समय और ऊर्जा बर्बाद होगी। एक नियत स्थान पर सभी सामग्री व्यवस्थित होने से अनावश्यक रूप से झुकना या ऊँचा उठना नहीं पड़ता है।
4. किसी कमरे की सजावट में रंग की क्या भूमिका होती है?
उत्तर: रंग कार्यक्षेत्र के सौंदर्य (beauty) को बढ़ाते हैं।
रंग की भूमिका इस प्रकार है-
(i) रंग का उपयोग कमरे को आकर्षक बनाने में सहायक होता है।
(ii) रंग कमरे के आकार और अनुभव को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक अँधेरा, छोटा कमरा हल्के रंगों (light colors) के प्रयोग से उजला और बड़ा महसूस होता है।
पाठांत प्रश्न
1. स्थान प्रबंधन से आप क्या समझते हैं? इसकी महत्ता समझाइये।
उत्तर: किसी भी कार्य को एक नियत स्थान पर करना तथा उसके लिए आवश्यक सामग्री को व्यवस्थित ढंग से रखकर करना ही स्थान प्रबंधन कहलाता है।
स्थान प्रबंधन के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं-
(i) किसी भी कार्य को करने के लिए नियत स्थान देना।
(ii) कार्य के लिए समस्त आवश्यक वस्तुओं को एक स्थान पर रखना।
स्थान प्रबंधन की महत्ता: समय और ऊर्जा की बचत के लिए स्थान प्रबंधन आवश्यक है। किसी भी कार्य विशेष को करने के लिए सभी आवश्यक सामग्री को अपने पास व्यवस्थित तरीके से रखना चाहिए ताकि समय व ऊर्जा की बचत हो सके। स्थान प्रबंधन के द्वारा सीमित जगह का पूर्ण सदुपयोग हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि पानी की व्यवस्था दूर है, तो कार्यों को एक साथ करने में बार-बार आना-जाना पड़ सकता है, लेकिन स्थान प्रबंधन (जैसे एक ही स्थान पर पानी की व्यवस्था) से रसोईघर में खाना पकाने और बरतन धोने का कार्य एक साथ किया जा सकता है।
2. प्रयुक्त व अप्रयुक्त भण्डारण में भेद कीजिए।
उत्तर: रसोई में वस्तुओं का भण्डारण उनकी आवश्यकतानुसार विभिन्न ऊँचाइयों पर किया जाता है-
| विशेषता | प्रयुक्त भण्डारण (Used Storage) | अप्रयुक्त भण्डारण (Unused Storage) |
| वस्तुएँ | जिन वस्तुओं की आवश्यकता अधिक पड़ती है, या भारी वस्तुएँ, जो ज्यादा उपयोग में आती हैं। | कम प्रयोग में आने वाली वस्तुएँ। |
| स्थान | ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहाँ से आसानी से पहुँचा जा सके। | सामान्य से कुछ अधिक ऊँचाई पर रखी जाती हैं।उदाहरण |
| उदाहरण | आटा और चावल के डिब्बे (जिन्हें नीचे रखा जाता है ताकि ऊपर से उतारना न पड़े)। | (स्रोत में विशिष्ट उदाहरण नहीं दिया गया है, लेकिन वे वस्तुएँ जो कम उपयोग में आती हैं, इस श्रेणी में आती हैं)। |
| उद्देश्य | अनावश्यक रूप से झुकना या उचकना न पड़े। | कम इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं को जगह देना। |
3. “परिवार के मुख्य कार्य कई उप-कार्यों में बाँटे जा सकते हैं”। उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर: हाँ, परिवार के मुख्य कार्य कई उप-कार्यों में बाँटे जा सकते हैं। घर में कई प्रकार के कार्य होते हैं, जैसे: खाना पकाना, बरतन व कपड़े धोना, शयन, अध्ययन, खेलना एवं मनोरंजन, और अतिथि सत्कार।
उदाहरण: यदि हम खाना पकाने के मुख्य कार्य को लें, तो इसे निम्नलिखित उप-कार्यों में बाँटा जा सकता है:
(i) खाद्य पदार्थों का भण्डारण।
(ii) खाना पकाने से पहले तैयारी करना (जैसे सब्जी धोना व काटना, आटा गूँथना)।
(iii) खाना पकाना।
(iv) बरतन धोना।
(v) खाना परोसना और बचे हुए खाने को रखना।
4. ‘कार्यक्षेत्र’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: कार्यक्षेत्र (Work Area) किसी भी कार्य को करने के लिए विशेष या नियत क्षेत्र कहलाता है। प्रत्येक कार्य को सर्वोत्तम ढंग से करने के लिए घर में उसकी आवश्यकतानुसार विशेष कार्य क्षेत्र नियत होता है। यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक कार्य के लिए घर में अलग-अलग कार्य क्षेत्र हों, बल्कि दो या अधिक एक समान कार्यों को मिलाकर एक ही कमरे में किया जा सकता है, बस प्रत्येक क्रियाकलाप के लिए स्थान नियत करना होता है।
5. निम्नलिखित उप-कार्यक्षेत्रों के लिए विशेष आवश्यक बातें बताइये:
– खाना बनाने का क्षेत्र।
उत्तर: (i) यह वह क्षेत्र है जहाँ पकाने सम्बंधित कार्य किए जाते हैं।
(ii) आवश्यक वस्तुओं में कच्ची खाद्य सामग्री, हरी सब्जी, बरतन, पानी का स्रोत, तैयारी का कार्य क्षेत्र, कुकिंग रेंज/गैस का चूल्हा और ईंधन, तथा भण्डारण का क्षेत्र शामिल हैं।
(iii) बरतन धोने का स्थान खाना बनाने के क्षेत्र के पास ही होना चाहिए क्योंकि खाना बनाते समय पानी की आवश्यकता तैयारी, परोसने और सफाई के लिए होती है।
(iv) यदि नियमित पानी की व्यवस्था नहीं है, तो पानी का भण्डारण रसोई के अंदर या समीप कर लेना चाहिए।
(v) कार्य समाप्त होने के बाद यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कार्य क्षेत्र ठीक तरह से साफ कर लिया जाए।
– स्नान क्षेत्र।
उत्तर: (i) स्नानागार में नहाने व कपड़े धोने का कार्य किया जाता है।
(ii) आवश्यक व्यवस्थाएँ: नहाने का साबुन, कपड़े धोने का साबुन, तेल, अन्य प्रसाधन सामग्री और तौलिए रखने की व्यवस्था होनी चाहिए।
(iii) पानी की आपूर्ति व नाली की सुविधा होनी चाहिए।
(iv) स्नानागार के फर्श का ढलान मुख्य नाली की तरफ होना चाहिए।
(v) फर्श फिसलनेदार नहीं होना चाहिए (पॉलिश किया हुआ फर्श फिसल सकता है, जिससे दुर्घटना हो सकती है)।
(vi) बिजली का कनेक्शन पानी के स्रोत से दूर होना चाहिए ताकि कोई दुर्घटना न हो।
(vii) यदि वॉशिंग मशीन रखनी है, तो उसकी उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए।
– बच्चों के खेलने का क्षेत्र।
उत्तर: (i) परिवार के मनोरंजन क्षेत्र (जैसे बैठक) को, कुछ व्यवस्थाएं करके, बच्चों के खेलने के कमरे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
(ii) यह तब विशेष रूप से संभव है जब उस अलमारी में खाने की मेज को बंद करके रखने की व्यवस्था हो।
6. कार्यक्षेत्र को अधिक प्रभावी बनाने के लिये सुझाव दें।
उत्तर: कार्यक्षेत्रों को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-
(i) कार्यक्षेत्र की व्यवस्था एक क्रम में होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, रसोई में कार्यक्षेत्र का क्रम तैयारी करना, धोना, पकाना और फिर परोसना होना चाहिए।
(ii) सामान रखने के सभी डिब्बे पारदर्शी होने चाहिए या उनमें चिट लगाई जानी चाहिए।
(iii) सभी कार्यक्षेत्रों में पर्याप्त प्रकाश व हवा की व्यवस्था होनी चाहिए।
(iv) सभी कार्यक्षेत्र ऐसे हों कि उनका रखरखाव व सफाई आसानी से की जा सके।
(v) भण्डारण के लिए दीवार में बनी हुई अलमारी की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि कैबिनेट और अलमारी फर्श पर स्थान न घेरें।
(vi) अतिरिक्त भण्डारण की व्यवस्था सीढ़ियों के नीचे, खिड़कियों के नीचे और टांड बनाकर की जा सकती है।
7. शयन कक्ष को सोने के अतिरिक्त किन कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है व इन के लिये क्या-क्या व्यवस्था की जानी चाहिए?
उत्तर: शयन कक्ष को सोने के अतिरिक्त विश्राम और तैयार होने के कार्य के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, शयनकक्ष का प्रयोग अध्ययन (पढ़ने) के लिए भी किया जा सकता है।
इन अतिरिक्त कार्यों के लिए व्यवस्थाएँ:
(i) अध्ययन (Study): पढ़ने की मेज, उपयुक्त प्रकाश, एवं पुस्तकों के स्थान का प्रबंध करने की आवश्यकता होगी।
(ii) यदि कमरा छोटा है, तो बंद होने वाली मेज की व्यवस्था की जा सकती है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर खोला जा सके। बंद होने वाली मेज को दीवार पर लगाया जा सकता है, और पीछे के स्थान को किताबों और लेखन सामग्री रखने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
8. किसी एक कमरे के घर में सभी कार्य क्षेत्रों की व्यवस्था करने के लिए फर्नीचर तथा अन्य उपकरणों में क्या परिवर्तन किए जा सकते हैं?
उत्तर: एक कमरे वाले घर में सभी कार्य क्षेत्र एक ही कमरे में होते हैं। इस प्रकार की सीमित स्थान की समस्या को हल करने के लिए बहुपयोगी फर्नीचर का उपयोग किया जा सकता है, जिससे जगह की बचत होती है।
फर्नीचर तथा अन्य उपकरणों में निम्नलिखित परिवर्तन किए जा सकते हैं:
1. सोने के लिए व्यवस्था:
(i) फोल्डिंग पलंग या दीवान की व्यवस्था की जा सकती है।
(ii) सोफ़ा नुमा पलंग का प्रयोग किया जा सकता है, जिसे दिन में सोफे की तरह और रात में पलंग की तरह इस्तेमाल किया जा सके।
(iii) ऐसे पलंग बनवाए जा सकते हैं जिनके नीचे बच्चों के पलंग आ सकें (जिन्हें आवश्यकतानुसार बाहर खींचा जा सके)।
(iv) पलंग दीवारों में लगे हुए या फोल्डिंग हो सकते हैं, या एक के ऊपर एक (बंकनुमा) पलंग भी बनवाए जा सकते हैं।
(v) पलंग बॉक्स या दराज वाले हो सकते हैं जिनका उपयोग सामान रखने के लिए किया जा सकता है।
2. भोजन/अध्ययन व्यवस्था:
(i) यदि खाने की मेज रखने का स्थान कम है, तो फोल्डिंग मेज दीवार पर लगाई जा सकती है, जिसे आवश्यकतानुसार खोला या बंद किया जा सके।
(ii) मेज के पीछे की दीवार का स्थान प्लेट, चम्मच आदि रखने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
(iii) खाने की मेज को लिखने या अध्ययन के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
3. भण्डारण व्यवस्था:
(i) अलमारी छत की ऊँचाई तक बनाई जा सकती है ताकि कम जगह में अधिक सामान रखने की व्यवस्था की जा सके।
(ii) प्रसाधन मेज की जगह दीवार पर सादा शीशा लगाकर, जगह की बचत की जा सकती है।
9. कार्य क्षेत्र में सौन्दर्य के लाभ बताइये। किसी कार्य क्षेत्र को आकर्षक बनाने के सुझाव दीजिए।
उत्तर: सौन्दर्य के लाभ: जब स्थान प्रबंधन किया जाता है, तो कार्य सुगमता के साथ-साथ स्थान आकर्षक भी होना चाहिए।
(i) यदि कार्यक्षेत्र आकर्षक है, तो व्यक्ति को वहाँ बैठना व कार्य करना अच्छा लगता है।
(ii) इससे कार्य क्षमता भी बढ़ती है।
कार्य क्षेत्र को आकर्षक बनाने के सुझाव: कार्यक्षेत्र को आकर्षक बनाने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:
(iii) कार्यक्षेत्र के आकार के अनुसार फर्नीचर का आकार होना चाहिए; छोटे कमरे के लिए छोटा फर्नीचर अच्छा रहेगा।
(iv) जिन वस्तुओं का प्रयोग नहीं किया जा रहा है, उन्हें व्यवस्थित रखने से जगह साफ और आकर्षक लगती है।
(v) फर्नीचर, उपकरणों एवं अन्य सामग्रियों की व्यवस्था इस प्रकार हो कि लोगों को आने-जाने में परेशानी न हो।
(vi) अधिक प्रकाश वाला छोटा कमरा, कम प्रकाश वाले बड़े कमरे की अपेक्षा अधिक चमकदार और बड़ा प्रतीत होता है।
(vii) रंगों का सही प्रयोग सौन्दर्य को बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, हल्का रंग अंधेरे, छोटे कमरे को उजला और बड़ा महसूस कराता है।
(viii) घर के भीतर पौधों और सौन्दर्य सामग्री के प्रयोग से कमरों को आकर्षक बनाया जा सकता है।
(ix) एक कमरे वाले घर में सभी कार्यक्षेत्रों की व्यवस्था इस प्रकार होनी चाहिए कि वे एक दूसरे से अलग पहचाने जा सकें।

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