NIOS Class 12 Home Science Chapter 6 पोषण स्तर

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पोषण स्तर

Chapter: 6

मॉड्यूल – 2 खाद्य व पोषण

पाठगत प्रश्न 6.1

1. ‘पोषण स्तर’ क्या है?

उत्तर: किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति जो पोषक तत्त्वों के अर्न्तग्रहण एवं उपयोग से होती है, के प्रभाव को पोषण स्तर कहते हैं।

2. उपयुक्त शब्दों का चयन कर खाली स्थान भरोः

(अभाव, अतिपोषण, मोटापा, न्यूनपोषण, सामान्य)

(i) कुपोषण दोनों को प्रभावित करता है ____________ एवं _____________।

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उत्तर: कुपोषण दोनों को प्रभावित करता है न्यूनपोषण एवं अतिपोषण

(ⅱ) न्यूनपोषण परिणाम है एक या एक से अधिक पोषण तत्त्वों का _____________।

उत्तर: न्यूनपोषण परिणाम है एक या एक से अधिक पोषण तत्त्वों का अल्पता

(iii) यदि आप अधिक ऊर्जा युक्त आहार करते हैं तो आपको ____________ हो सकता है।

उत्तर: यदि आप अधिक ऊर्जा युक्त आहार करते हैं तो आपको मोटापा हो सकता है।

(iv) संतुलित भोजन करने से एवं उनका सही उपयोग होने से ____________ पोषण स्तर होता है। 

उत्तर: संतुलित भोजन करने से एवं उनका सही उपयोग होने से सामान्य पोषण स्तर होता है।

पाठगत प्रश्न 6.2

1. कुपोषण (न्यूनपोषण) के महत्त्वपूर्ण कारकों को सूचीबद्ध कीजिये।

उत्तर: आहार की उपलब्धता में कमी: गरीबी,अज्ञानता, गर्भावस्था एवं दुग्धपान की अवस्था के दौरान अल्पआहार अन्र्तग्रहण,संक्रमण,भोजन का अल्प उत्पादन।

2. कुपोषण व्यक्ति को ___________ तक पहुँचा सकता है।

उत्तर: कुपोषण व्यक्ति को मृत्यु तक पहुँचा सकता है।

3. कुपोषण के परिणाम हो सकते हैं __________, __________ एवं __________।

उत्तर: कुपोषण के परिणाम हो सकते हैं मन्द शारीरिक वृद्धि, मानसिक विकास एवं शारीरिक अपंगता मृत्यु

पाठगत प्रश्न 6.4

1. निम्नलिखित वाक्यों में से सही या गलत लिखिए। उत्तर की पुष्टि भी कीजिए।

(i) आई.सी.डी.एस. योजना केवल 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिये सेवायें प्रदान करती है।

उत्तर: गलत, आई.सी.डि.एस. न केवल बच्चों को लाभान्वित करती है बल्कि किशोरों, गर्भवती महिलाओं एवं दुग्धपान कराने वाली महिलाओं एवं समस्त 15 से 45 वर्ष की महिलाओं को लाभान्वित करती है।

(ii) राष्ट्रीय आई.डी.डी. उन्मूलन कार्यक्रम का लक्ष्य है हमारे देश में रतौंधी को कम करना।

उत्तर: गलत, आयोडीन अल्पता विकार उन्मूलन का लक्ष्य है।

(iii) 6 माह से कम के बच्चों को मुख से ग्रहण की जानेवाली विटामिन A भारी मात्रा में दी जाती है।

उत्तर: गलत, 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चे लाभग्राही हैं।

(iv) रक्ताल्पता से बचने के लिये लौह युक्त एवं फोलिक अम्ल सम्पूरक आहार प्रदान किये जाते हैं।

उत्तर: सही, यह मुख्यतः गर्भवती एवं दुग्धपान कराने वाली महिलाओं एवं 15-45 वर्ष के महिला समूह के लिये हैं।

पाठान्त प्रश्न

1. पोषण स्तर से आप क्या समझते हैं? विवेचना कीजिय।

उत्तर: पोषण स्तर (Nutrition Level) से तात्पर्य किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य की उस स्थिति से है जो पोषक तत्वों के अंतर्ग्रहण (intake) एवं उनके उपयोग के प्रभाव से होती है।

विवेचना:

(i) सामान्य पोषण स्तर: जब हमारा शरीर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयुक्त मात्रा में पौष्टिक आहार (संतुलित आहार) से पोषक तत्व ग्रहण करता है और उनका सामान्य रूप से उपयोग करता है, तब हम अच्छे पोषण की अवस्था में होते हैं और हमारा पोषण स्तर सामान्य होता है। संतुलित आहार सामान्य वृद्धि एवं विकास के लिए और अच्छे स्वास्थ्य को जीवनपर्यंत बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

(ii) कुपोषण की स्थिति: यदि आहार में पोषक तत्व उपयुक्त मात्रा में नहीं होते या शरीर द्वारा उनका ठीक से उपयोग नहीं किया जाता है, तो शरीर में एक प्रकार का असंतुलन पैदा हो जाता है। इसी स्थिति को कुपोषण कहते हैं।

(iii) कुपोषण के प्रकार: कुपोषण दो प्रकार का होता है-

(क) न्यूनपोषण (Undernutrition): यह तब होता है जब एक या एक से अधिक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। हमारे देश में न्यूनपोषण की स्थिति अधिक पाई जाती है, और कुपोषण अक्सर इसी का पर्यायवाची माना जाता है।

(ख) अतिपोषण (Overnutrition): यह तब होता है जब एक या एक से अधिक पोषक तत्वों की अधिकता हो जाती है। उदाहरण के लिए, आवश्यकता से अधिक ऊर्जा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से व्यक्ति मोटापे (Obesity) का शिकार हो जाता है, जो अतिपोषण का परिणाम है।

(iv) परिणाम: यदि यह असंतुलन लंबे समय तक चलता है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकती है जो विभिन्न रोगों के लिए जिम्मेदार होती है, और यह घातक सिद्ध हो सकती है या कभी-कभी मृत्यु का कारण भी बन सकती है।

2. किसी व्यक्ति के पोषण स्तर को निर्धारित करने के विभिन्न तरीकों की विवेचना कीजिये।

उत्तर: किसी व्यक्ति या समूह के पोषण स्तर को निर्धारित करने की प्रक्रिया को पोषण स्तर निर्धारण कहा जाता है।

इसे जानने के लिए तीन आसान तरीकों का उपयोग किया जाता है-

1. शारीरिक माप (Physical Measurement) द्वारा:

(i) विधि: शारीरिक भार (वज़न) एवं लंबाई/ऊँचाई को मापा जाता है। शैशवावस्था के प्रारंभिक काल में शरीर की वृद्धि तेज़ी से होती है, इसलिए 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में कुपोषण की संभावना सबसे ज़्यादा होती है।

(ii) निर्धारण: मापे गए भार और लंबाई की तुलना आयु के लिए निर्धारित मानक भार एवं लंबाई (सांकेतक) से की जाती है (जैसे तालिका 6.1 में दर्शाया गया है)।

(iii) परिणाम: यदि बच्चे का भार एवं लंबाई सांकेतक भार एवं लंबाई से कम है, तो वृद्धि को मंद (stunted) माना जाता है और बच्चा कुपोषण से ग्रस्त हो सकता है। यदि भार एवं लंबाई निर्धारित सांकेतक से अधिक है, तो वह अतिपोषित है, जो शरीर के लिए हानिकारक है।

महत्व: नियमित भार को महीने में एक बार रिकॉर्ड (अंकित) करना चाहिए, क्योंकि अत्यधिक वज़न बढ़ना या घटना घातक हो सकता है।

2. आहार अंतर्ग्रहण (Dietary Intake) के निर्धारण द्वारा:

(i) विधि: पोषण स्तर निर्धारित करने के लिए व्यक्ति द्वारा पिछले 24 घंटों में लिए गए खाद्य पदार्थों का रिकॉर्ड रखना जरूरी है।

(ii) प्रक्रिया:

(क) खाए गए आहार और कच्चे खाद्य पदार्थों की मात्रा (ग्राम में) लिख लेना।

(ख) भोजन को विभिन्न आहार समूहों में बाँटकर उनकी कुल मात्रा निकालना।

(ग) ग्रहण किए गए आहार की मात्रा की तुलना उनकी आयु और लिंग के अनुसार अनुशंसित (recommended) आहार से करना।

(iii) परिणाम: यदि ग्रहण किया गया आहार अनुशंसित आहार से मेल खाता है, तो यह सामान्य पोषण स्तर दर्शाता है।

3. पोषक तत्वों की कमी से होने वाली बीमारियों की पहचान द्वारा:

(i) विधि: विभिन्न पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोगों के संकेतों एवं लक्षणों को देखकर व्यक्ति का पोषण स्तर निर्धारित किया जा सकता है।

(ii) निर्धारण: शरीर में एक या एक से अधिक पोषक तत्वों की कमी अल्प पोषण स्तर को दर्शाती है। ये लक्षण (जैसे रतौंधी या कम शारीरिक विकास) विशिष्ट सांकेतक होते हैं जो पोषण असंतुलन के कारण उत्पन्न हुए रोगों को पहचानने में सहायता करते हैं।

3. कुछ सामान्य पोषक तत्त्वों की कमी से होने वाले रोगों की सूची बनाइये। प्रत्येक के चिह्नों एवं लक्षणों पर भी प्रकाश डालिये।

उत्तर: निम्नलिखित कुछ सामान्य पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोग और उनके लक्षण हैं-

रोग का नामकमी वाला पोषक तत्वचिह्न एवं लक्षण
प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण (PEM)ऊर्जा (कार्बोहाइड्रेट, वसा) और/या प्रोटीन की कमीसामान्य लक्षण: वृद्धि का रुकना एवं मांसपेशियों की कमी होना। कार्य करने की क्षमता कम हो जाना।
1. मरास्मसप्रोटीन एवं ऊर्जा दोनों की कमीत्वचा ढीली तथा झुर्रींदार हो जाती है। त्वचा के नीचे वसा की कमी। उदर (पेट) संकुचित (अंदर धँसा हुआ)। भूख लगी रहती है।
2. क्वाशियोरकरकेवल प्रोटीन की कमीशरीर में, विशेषकर चेहरे, बाजू, एवं पैरों में, जल के अत्यधिक संचयन के कारण सूजन (edema)। तौंद निकलना (पेट बाहर निकलना)। भूख मर जाती है। त्वचा खुरदरी या पपड़ीदार हो जाती है। बाल भूरे हो जाते हैं और झड़ते हैं। यकृत (Liver) बढ़ जाता है।
विटामिन A का अभावविटामिन A की कमीरतौंधी (Night Blindness): अंधेरे में देख पाने की क्षमता का कम हो जाना। यदि उपचार न किया गया तो पूर्ण अंधापन हो सकता है। आँखों का सफेद भाग सूखने लगता है। संक्रमण, विशेषतः श्वास नली में, का बढ़ना।
रक्ताल्पता (Anemia)मुख्यत: लौह तत्व की कमी। फोलिक अम्ल और विटामिन B₁₂ की कमी से भी होता हैसामान्य शारीरिक कमजोरी, थकावट और साँस फूलने की शिकायत। भूख मर जाना। जिह्वा, आँखों का सफेद भाग, एवं नाखूनों में पीलापन। हाथ एवं पैरों की अँगुलियों में सूई चुभने का एहसास। फटे हुए एवं चम्मच के आकार के नाखून। काम करने की क्षमता धीरे-धीरे घटना।
आयोडीन अभावआयोडीन की कमीवयस्कों में: गले में सूजन (गल गण्ड/Goitre)। मोटापा हो सकता है। थकान, और कार्यों को भली-भाँति करने की असमर्थता। त्वचा परिवर्तन। छोटे बच्चों में: वृद्धि दर कम होना। मंदबुद्धि। बोलने या सुनने में दोष। माँसपेशियों एवं तंत्रिकाओं में विकार के कारण अंगों पर नियंत्रण में कठिनाई।

4. राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रमों के महत्त्व का विवरण दीजिये। हमारे देश के पाँच राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम की सेवायें एवं लाभार्ती बताइये।

उत्तर: राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रमों का महत्त्व:

पोषक तत्वों की कमी से होने वाले रोग हमारे देश में व्यापक रूप से फैले हुए हैं, जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं और व्यक्ति के जीवन के लिए घातक भी सिद्ध हो सकते हैं। इन बीमारियों से थोड़ी सी सावधानी बरतकर बचा जा सकता है।

स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए, देश भर में विभिन्न राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रमों का संचालन किया गया है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य अतिसंवेदनशील समूहों—जैसे छोटे बच्चे, किशोर, गर्भवती महिलाएँ, एवं दुग्धपान कराने वाली माताएँ—को पोषण लाभ प्रदान करना है।

हमारे देश के पाँच राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम, सेवाएँ एवं लाभार्थी:

कार्यक्रम का नामसेवाएँलाभार्थी
1. समन्वित बाल विकास सेवाएँ (ICDS)स्वास्थ्य: टीकाकरण, नियमित स्वास्थ्य जाँच, स्वास्थ्य सेवा के लिए रेफर करना, साधारण बीमारियों का इलाज। पोषण: पूरक आहार, वृद्धि निरीक्षण, पोषण व स्वास्थ्य शिक्षा। अन्य: प्रारंभिक बाल्यावस्था में देखरेख व स्कूल पूर्व शिक्षा (3-6 वर्ष के लिए)।6 वर्ष से कम आयु के बच्चे। 11 से 16 वर्ष के बीच की किशोरीयाँ। गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्धपान कराने वाली माताएँ। 15 से 45 वर्ष की सभी महिलाएँ।
2. दोपहर का भोजन कार्यक्रम (MDMP)6-11 वर्ष की आयु के प्राइमरी स्कूल के बच्चों को सम्पीरक आहार प्रदान करना।6-11 वर्ष की आयु के प्राइमरी स्कूल के बच्चे।
3. विटामिन A की कमी से होने वाली पोषण अंधता के बचाव के लिए राष्ट्रीय उन्मूलन कार्यक्रम (नेशनल प्रोफिलैक्सिस कार्यक्रम)विटामिन A से प्रचुर आहार की खपत को प्रोत्साहित करना। 6 माह से 5 वर्ष के बच्चों को मौखिक रूप से विटामिन A की पर्याप्त मात्रा देना।6 माह से 5 साल तक के बच्चे। गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्धपान कराने वाली माताएँ। 15 से 45 वर्ष की सभी महिलाएँ।
4. राष्ट्रीय पोषण संबंधी एनीमिया नियंत्रण कार्यक्रम (NNACP)लौह तत्व से प्रचुर आहार की खपत को प्रोत्साहित करना। लौह तत्व एवं फोलिक अम्ल पूरक प्रदान करना। गंभीर रक्ताल्पता के रोगियों का उपचार कराना।6 माह से 5 वर्ष के बच्चे। गर्भवती महिलाएँ एवं दूध पिलाने वाली माताएँ। 15 से 45 वर्ष के बीच की सभी महिलाएँ।
5. राष्ट्रीय आयोडीन न्यूनता जनित दोष नियंत्रण कार्यक्रम (NIDDCP)समस्या की गंभीरता का आकलन करना। आयोडीन युक्त नमक के उत्पादन, विपणन एवं वितरण के लिए व्यवस्था करना। उत्तम कोटि के आयोडीन युक्त नमक को उपभोक्ता को प्राप्त होने के लिए योग्य मात्राओं का निर्धारण करना।सम्पूर्ण जनसंख्या (विशेषकर बच्चे और गर्भवती माताएँ, क्योंकि यह बौनापन, मंदबुद्धि, और गलगंड जैसे दोषों को रोकता है)।

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