NIOS Class 12 Home Science Chapter 5 आहार नियोजन

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NIOS Class 12 Home Science Chapter 5 आहार नियोजन

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आहार नियोजन

Chapter: 5

मॉड्यूल – 2 खाद्य व पोषण

पाठगत प्रश्न 5.1

1. भोजन को किस प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है?

उत्तर: भोजन को दो प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है-

(i) शारीरिक कार्य के आधार पर।

(ii) पोषक तत्त्वों के आधार पर।

2. पाँच खाद्य समूह बताइये।

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उत्तर: (i) अनाज।

(ii) दालें व फलियाँ।

(iii) दूध व मीट के उत्पाद।

(iv) फल एवं सब्जियाँ।

(v) वसा व शक्कर।

3. खाद्य विनिमय क्या है? कोई एक उदाहरण दें।

उत्तर: एक खाद्य पदार्थ के स्थान पर दूसरे का इस प्रकार प्रयोग करना कि उनके द्वारा प्राप्त पोषक तत्त्व एक समान हों। इसे खाद्य प्रतिस्थापन कहा जाता है। उदाहरण: गेहूँ और चावल।

4. सर्वाधिक सही उत्तर पर (✓) सही का निशान लगायें।

(i) संतुलित आहार में

(क) शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों ही आहार होने चाहिये।

(ख) केवल शाकाहारी भोजन होना चाहिये।

(ग) केवल मांसाहारी भोजन होना चाहिये।

(घ) केवल अनाज व दालें होनी चाहिए।

उत्तर: (क) शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों ही आहार होने चाहिये।

(ii) संतुलित आहार वह है जिसमें

(क) आवश्यक मात्रा के अनुरूप पोषक तत्त्व हो।

(ख) एक आहार समूह में से उचित मात्रा में खाद्य सामग्री हो।

(ग) उचित मात्रा में सभी पोषक तत्त्व हों।

(घ) उचित मात्रा में वह सभी भोज्य सामग्री हो जो एक व्यक्ति खाना चाहता है।

उत्तर: (ग) उचित मात्रा में सभी पोषक तत्त्व हों।

पाठगत प्रश्न 5.2

1. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिये:

(क) एक सुनियोजित आहार में क्या-क्या गुण होते हैं?

उत्तर: पोषक तथा सभी खाद्य समूह शामिल।

(ख) मौसमी तथा बेमौसम के खाद्य पदार्थों में अंतर बताईये।

उत्तर: मौसमी खाद्य पदार्थ सस्ते, पोषक व ज़्यादा मात्रा में उपलब्ध होते हैं। बेमौसमी खाद्य पदार्थ मंहगे व कम मात्रा में उपलब्ध होते हैं।

(ग) एक आकर्षक व स्वादिष्ट भोजन के लिये कोई दो बिन्दु लिखिये।

उत्तर: रंग व अनावट।

(घ) कार्य के प्रकार बताइये। किस प्रकार के कार्य को सर्वाधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है?

उत्तर: भारी, मध्यम और हल्के। भारी कार्य करने वाले को सबसे ज़्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

(ङ) आपके भाई को लौकी नापसंद है लेकिन बहन को अत्यधिक पसंद है। आप इस समस्या का समाधान कैसे करेंगे?

उत्तर: घिया की सब्जी के बजाय घिया कोफ़्ता बनाकर। यह परिवार के सदस्यों की पसंद व नापसंद को ध्यान में रखकर आहार योजना बनाई जाती है।

2. कौन-कौन से कारक आहार योजना को प्रभावित करते हैं?

उत्तर: आहार योजना को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-

(i) पोषक संबंधी उपयुक्तता: यह सब से महत्त्वपूर्ण कारक है जिसका ध्यान आहार योजना के समय रखना होता है। इसका अर्थ है परिवार के सभी सदस्यों की पोषण संबंधी आवश्यकता को पूर्ण करना। उदाहरण के लिये आप जानते हैं कि एक बढ़ते बच्चे को ज्यादा प्रोटीन, एक गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिला को अधिक प्रोटीन व कैल्शियम की आवश्यकता होती है।

आहार योजना बनाते समय आप विभिन्न आहार समूहों में से भोजन का चयन करके उनको आहार में सम्मिलित करते हैं। उदाहरण के लिये ऊर्जा प्रदान करने वाले भोजन, शरीर निर्मित करने वाले भोजन, तथा सुरक्षा प्रदान करने वाले और शरीर की क्रियाओं को नियंत्रण करने वाले भोजन।

(ii) आयु: लोग आमतौर पर भोजन आयु के अनुसार करते हैं। आपने अपने परिवार में देखा होगा कि आयु के अनुसार सदस्यों का भोजन भिन्न-भिन्न मात्रा में होता है। नवजात शिशु केवल दूध पीता है। छोटे बच्चे का भोजन कम मात्रा में होता है। किशोर को उससे ज़्यादा तथा विविध प्रकार के भोजन की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार आपने दादाजी को कम मात्रा में तथा नर्म व सुपाच्य भोजन करते देखा होगा।

(iii) लिंग: लिंग एक अन्य कारक है जो भोजन को निर्धारित करता है। युवा तथा वयस्क पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा अधिक आहार की आवश्यकता होती है।

(iv) शारीरिक गतिविधि: किसी व्यक्ति द्वारा किये जाने वाला कार्य का प्रकार, उसके भोजन की मात्रा व प्रकार को प्रभावित करता है। क्या आपको याद है कि भिन्न-भिन्न गतिविधियों में लगे व्यक्तियों को आहार की भिन्न-भिन्न मात्रा की आवश्यकता होती है? एक मज़दूर न केवल अधिक मात्रा में खाता है बल्कि उसे अधिक मात्रा में ऊर्जा की भी आवश्यकता पड़ती है क्योंकि उसे कड़ी मेहनत करनी होती है। कड़ी मेहनत करते समय उसके शरीर को ज्यादा ऊर्जा चाहिए। इसलिए, आप ऐसे व्यक्ति की आहार योजना बनाते समय अधिक ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थों को सम्मिलित करते हैं।

(v) मितव्ययिता: आहार योजना में एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है परिवार द्वारा भोजन पर किया जाने वाला व्यय। दूध, पनीर, मांस, फल, नारियल आदि जैसे भोजन हमारे आहार को संतुलित बनाते हैं लेकिन ये महंगे होते हैं। वैकल्पिक स्रोत जैस टोंड मिल्क, मौसमी फल तथा सब्जियाँ सस्ती होती है और आहार को समान रूप से संतुलित करती हैं। इसलिये आप अपने बजट के अनुसार संतुलित आहार की योजना बना सकते हैं।

(vi) समय, ऊर्जा तथा कौशल: आहार योजना बनाते समय आप, परिवार के उपलब्ध संसासधनों जैसे समय, ऊर्जा व कौशल का ध्यान रखें। विविध व्यंजन होने पर भोजन विस्तृत हो जायेगा किन्तु साधारण और पौष्टिक भोजन बनाकर आप सरलीकरण कर सकते हैं। उदाहरण के लिये एक कामकाजी माँ 3-4 व्यंजनों की अपेक्षा एक पौष्टिक पुलाव बना सकती है।

(vii) मौसम के अनुसार उपलब्धता: कुछ खाद्य पदार्थ गर्मियों में व कुछ सर्दियों में उपलब्ध होते हैं। गैर मौसमी खाद्य पदार्थ महँगे व कम पौष्टिक होते हैं, जबकि मौसमी खाद्य पदार्थ ताज़े, स्वादिष्ट व पौष्टिक और सस्ते होते हैं। इसलिए आहार योजना बनाते समय जहाँ तक संभव हो, मौसमी खाद्य पदार्थों को भोजन में सम्मिलित किया जाना चाहिये।

(viii) धर्म, क्षेत्र, सांस्कृतिक प्रथाएँ तथा परंपरायें: सांस्कृतिक कारक आहार योजना को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिये यदि आप उत्तर भारतीय हैं तो आप ज्यादा गेहूँ प्रयोग में लायेंगे जबकि तटीय क्षेत्र के निवासी ज्यादा नारियल, मछली, चावल आदि खायेंगे। इसी प्रकार यदि आप दक्षिण भारतीय है तो आपका मुख्य आहार चावल ही होगा।

आप परिवार में प्रचलित धार्मिक विचारों से भी प्रभावित होते हैं। उदाहरण के लिये यदि आप शाकाहारी हैं तो आपके आहार में मांस नहीं होगा। कुछ लोग जो माँसाहारी होते हैं, मंगलवार के दिन शाकाहारी भोजन लेना पसन्द करते हैं।

(ix) रंग और रचना में विविधता: आहार योजना में विविधता होनी चाहिए। रंग, रचना, स्वाद, तथा बनाने की विधि में विविधता होने से भोजन अधिक आकर्षक और स्वीकार्य (सम्मोहक) बनता है।

(x) व्यक्तिगत पसंद-नापसंदः आपके द्वारा परोसा गया भोजन अलग-अलग व्यक्तियों की पसंद और नापसंद को ध्यान में रखते हुए होना चाहिये। किसी भी पौष्टिक भोज्य पदार्थ को पूरी तरह हटाने के बजाय उसके रूप को बदलना बेहतर होता हैं। उदाहरण के लिये अगर परिवार के किसी सदस्य को दूध नापसंद है तो आप उसे दही, मिल्कशेक, पनीर, कस्टर्ड, खीर आदि के रूप में दूध दें। इसी तरह यदि कोई हरी सब्जियाँ नहीं खाना चाहता है, तो आप क्या विकल्प सुझायेंगे, जिसमें यह उपयुक्त मात्रा में लिया जा सके? हाँ इसका विविध तरीकों में प्रयोग किया जा सकता है-आटे में मिलाकर पराँठे या पूरियाँ बनाई जा सकती हैं, कटलेट या पकौड़े बनाये जा सकते हैं। इन्हें कोफ्ता, इडली, बड़ा आदि रूपों में भी दिया जा सकता है।

(xi) संतृप्ति मूल्य: आहार योजना बनाते समय आप इस प्रकार से भोजन का चयन करें जो कि आपको उपयुक्त तृप्ति प्रदान कर सके। अन्यथा जल्दी ही भूख लगने लगती है जिसके कारण व्यक्ति के कार्य करने की क्षमता और कुशलता प्रभावित होती है।

पाठगत प्रश्न 5.3

1. निम्न पर टिप्पणी लिखें:

(क) परिमाणात्मक संशोधन।

उत्तर: परिमाणात्मक संशोधन: आहार में परिमाणात्मक संशोधन का अर्थ है भोजन की मात्रा (quantity) में वृद्धि या कटौती। यह संशोधन परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता है। उदाहरण के लिए, गर्भवती महिलाओं, रोगियों या वृद्ध लोगों को एक बार में कम मात्रा में आहार की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन उन्हें दिन में 4 बार के बजाय 6-8 बार खाने की आवश्यकता हो सकती है।

इसी प्रकार, किशोरों को अपनी पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक बार में अधिक मात्रा में (जैसे ज़्यादा चावल/रोटी, ज़्यादा दाल/दही) और दिन में ज़्यादा बार खाने की आवश्यकता होती है। वज़न घटाने के लिए, लोगों को एक बार में कम भोजन खाने की सलाह दी जाती है, जिससे शरीर संग्रहीत कैलोरी (कैलोरी का भण्डार) का उपयोग करे और वज़न कम हो।

(ख) आहार प्रतिस्थापन।

उत्तर: आहार प्रतिस्थापन: आहार प्रतिस्थापन का अर्थ है एक खाद्य पदार्थ के स्थान पर उसी खाद्य समूह का दूसरा ऐसा खाद्य पदार्थ लेना जिसमें पोषक तत्व भी समान हों। इसे खाद्य विनिमय (Food Exchange) भी कहा जाता है।

(i) खाद्य प्रतिस्थापन (या विनिमय) आहार योजना को आसान बनाता है।

(ii) यह आपको किसी व्यक्ति के आहार में उसकी आवश्यकता, पसंद-नापसंद और आदतों के अनुसार संशोधन करने में सहायता करता है।

(iii) यह आहार को अधिक आकर्षक और रोचक बनाने में भी मदद करता है।

(iv) उदाहरण: यदि आप दूध को अंडे से प्रतिस्थापित कर रहे हैं, तो आपको यह जानना आवश्यक है कि एक अंडे के समतुल्य कितना दूध होगा।

(v) स्रोत में प्रोटीन से समृद्ध भोजन (जैसे एक गिलास दूध, एक अंडा, एक बड़ी कटोरी दाल), अनाज (जैसे एक रोटी, 1 ब्रेड स्लाइस, आधा कप चावल), और वसा (जैसे एक चम्मच मक्खन, एक चम्मच तेल) के प्रतिस्थापन की तालिका दी गई है।

(iii) गुणात्मक संशोधन।

उत्तर: गुणात्मक संशोधन: आहार में गुणात्मक संशोधन का अर्थ है भोजन में पोषक तत्व, तरलता, स्वाद, मसाले की मात्रा, और रेशों की मात्रा में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जाना।

(i) उदाहरण के लिए, एक गर्भवती महिला की प्रोटीन की अधिक आवश्यकता की पूर्ति हेतु भोजन में अधिक प्रोटीन सम्मिलित किया जा सकता है।

(ii) शिशुओं के लिए, माँ अलग कटोरी में थोड़ी उबली हुई दाल लेती है, उसे मसलकर (बिना नमक या हल्दी के अलावा कोई मसाला डाले) 6 माह से एक वर्ष तक के बच्चों को खिलाती है। थोड़े बड़े बच्चों को घुटी हुई खिचड़ी खिलाई जाती है।

(iii) वृद्ध व्यक्तियों को नरम और बिना मसाले के भोजन की आवश्यकता होती है।

(iv) बीमारी में, यह संशोधन पोषण का अच्छा स्तर बनाए रखने, तरलता में संशोधन (तरल या अर्धठोस), और वज़न में कमी (यदि आवश्यक हो) के लिए भी किया जा सकता है।

2. स्कूली बच्चों का टिफिन बनाते समय आप क्या-क्या बातें ध्यान में रखेंगे?

उत्तर: स्कूली बच्चों के लिए भोजन (टिफिन) बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(i) पोषण की उपयुक्तता: बच्चों को अधिक कैलोरी तथा अधिक प्रोटीन युक्त आहार की आवश्यकता होती है। उनका आहार कैल्शियम (Calcium) तथा विटामिन ‘A’ से भरपूर होना चाहिए।

(ii) ऊर्जा और गतिविधि: स्कूल और घर दोनों में क्रियाकलाप (गतिविधि) करने के लिए उन्हें पर्याप्त ऊर्जा चाहिए, इसलिए खाने की मात्रा अधिक होनी चाहिए।

(iii) विविधता और स्वाद: टिफिन स्वादिष्ट और पौष्टिक होना चाहिए। यह महत्वपूर्ण पौष्टिक नाश्ता होता है, खासकर यदि बच्चे सुबह का नाश्ता नहीं कर पाते हैं।

(iv) प्रकृति: बच्चों के लिए खाना बहुत ज़्यादा मसालेदार नहीं देना चाहिए।

(v) परोसने का तरीका: भोजन योजना बनाते समय ध्यान रखें कि टिफिन में भोजन अधिक गर्म या ठंडा नहीं देना चाहिए।

(vi) टिफिन के उदाहरण: टिफिन में पौष्टिक नाश्ता आयोजित करना चाहिए। आलू के चिप्स के बजाय पौष्टिक सैंडविच, वेजिटेबल रोल, या भरवां परांठा दिया जा सकता है। (यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि भोजन की योजना बनाते समय बच्चों के बढ़ते शरीर की आवश्यकताओं को पूरा किया जाए)।

पाठगत प्रश्न 5.4

1. निम्नलिखित में अंतर समझायें:

(i) सामान्य तथा उपचारात्मक आहार।

उत्तर: सामान्य तथा उपचारात्मक आहार में अंतर इस प्रकार है-

अंतर का आधारसामान्य आहारउपचारात्मक आहार
उद्देश्ययह किसी भी स्वस्थ व्यक्ति की सभी पोषण आवश्यकताओं (Nutrition needs) को संतुष्ट करता है। इसका उद्देश्य व्यक्ति को स्वस्थ रखना और आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करना होता है।यह एक विशिष्ट आहार है जो रुग्णावस्था (बीमारी) में किसी व्यक्ति को दिया जाता है, ताकि वह जल्दी सामान्य हो सके।
आधारयह संतुलित आहार (Balanced Diet) का रूप है, जिसमें सभी खाद्य समूह उचित मात्रा में शामिल होते हैं।यह सामान्य भोजन का संशोधित रूप है। इसमें रोग की स्थिति के अनुसार संशोधन किया जाता है।
आवश्यकता/उपयोगयह सामान्य जीवन जीने वाले सभी स्वस्थ व्यक्तियों (जैसे सामान्य कार्य करने वाले वयस्क पुरुष/स्त्री) के लिए आवश्यक है।इसकी आवश्यकता तब होती है जब शरीर का कोई भाग प्रभावित होता है और व्यक्ति की पोषण आवश्यकताएं बदल जाती हैं (जैसे मधुमेह, पीलिया, दस्त, या बुखार)।
उदाहरण संशोधनइसमें मुख्य रूप से आयु, लिंग और गतिविधि के आधार पर मात्रा में परिवर्तन होता है, लेकिन पोषक तत्वों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता।इसमें रोग के हिसाब से पोषक तत्वों की मात्रा में परिवर्तन किया जाता है (जैसे मधुमेह में शक्कर में कमी, पीलिया में वसा में कमी, उच्च रक्तचाप में नमक में कमी)। यह रोगी को जल्दी ठीक होने में मदद करता है।

(ii) आहार की तरलता तथा बारंबारता में संशोधन।

उत्तर: आहार में तरलता और बारंबारता में संशोधन, सामान्य आहार में किए जाने वाले उपचारात्मक संशोधनों के दो अलग प्रकार हैं-

अंतर का आधारतरलता में संशोधनबारंबारता में संशोधन
अर्थइसका अर्थ है आहार को उसकी प्रकृति (ठोस, अर्ध-ठोस या तरल) के अनुसार परिवर्तित करना। इसे गुणात्मक संशोधन (Qualitative Modification) के अंतर्गत भी वर्गीकृत किया जा सकता है।इसका अर्थ है दिन में भोजन लेने की संख्या (बारंबारता) बढ़ाना, जबकि प्रत्येक बार की मात्रा को कम रखना। इसे परिमाणात्मक संशोधन (Quantitative Modification) के अंतर्गत भी वर्गीकृत किया जा सकता है।
कब आवश्यकयह तब आवश्यक होता है जब रोगी को चबाने में दिक्कत हो, या जब पाचन तंत्र ठोस खाद्य पदार्थ को सहन न कर पाए, जैसे दस्त (Diarrhea) या बुखार (Fever) की दशा में।यह तब आवश्यक होता है जब किसी व्यक्ति की पोषण आवश्यकताएँ बढ़ गई हों, लेकिन वह एक बार में ज़्यादा मात्रा में भोजन लेने में असमर्थ हो।
स्वरूपआहार को मुख्य रूप से दो प्रकार से परोसा जाता है: तरल रूप में (जैसे सूप, लस्सी, फलों का रस, नींबू पानी) या अर्ध-ठोस रूप में (जैसे खिचड़ी, दही, कस्टर्ड, पकी हुई सब्ज़ियाँ)।सामान्यतः दिन में 3-4 बार आहार के बजाय, रोगी को थोड़ी मात्रा में 8-10 बार आहार दिया जाता है, या 2-3 घंटे में थोड़ा-थोड़ा आहार दिया जाता है।
उदाहरणदस्त या तीव्र ज्वर में तरल आहार देना। वृद्ध व्यक्तियों को मुलायम और भलीभाँति पकाया हुआ भोजन देना।गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ज़्यादा बार भोजन देना। बुखार में भी दिन में कई बार आहार की आवश्यकता होती है।

2. नीचे दिये गये वाक्यों पर ‘सही’ अथवा ‘गलत’ का चिह्न लगायें तथा अपने उत्तर का कारण समझायेंः

(i) बीमार व्यक्ति के स्वास्थ्य वृद्धि के लिये केवल दवाइयों आवश्यक हैं।

उत्तर: असत्य: पैदा करता है। पौष्टिक आहार शरीर में रोग के प्रति लड़ने की क्षमता

(ii) रोगी के इलाज में आहार की कोई भूमिका नहीं है।

उत्तर: असत्य: भोजन से जल्दी ठीक होता है।

(iii) तरल आहार में नींबू पानी, फलों का रस, नारियल पानी इत्यादि शामिल होता है।

उत्तर: सत्य: क्योंकि इनमें पानी अधिक होता है।

(iv) एक सामान्य आहार किसी भी रोगी की पोषण आवश्यकताओं को पूर्ण कर सकता है।

उत्तर: असत्य: आहार को बीमारी के हिसाब से संशोधित किया जाता है।

(v) संशोधित आहार जहाँ तक संभव हो सामान्य आहार से मिलता जुलता होना चाहिये।

उत्तर: सत्य: क्योंकि यह सामान्य से मिलता जुलता है।

3. सामान्य आहार में उपचारात्मक संशोधन करने के लिये निम्न बातें आवश्यक हैं-

(i) _________________________________।

(ii) _________________________________।

(iii) _________________________________।

 उत्तर: (i) तरलता।

(ii) पोषक तत्त्व।

(iii) आहार की बारंबारता।

4. निम्नलिखित में से तरल तथा अर्ध ठोस खाद्य पदार्थों को अलग-अलग लिखें:

साबूदाने की खीर, सूप, कस्टर्ड, खिचड़ी, लस्सी, फलों का रस

तरल आहार ____________________________।

अर्धठोस आहार __________________________।

उत्तर: तरल आहार: सूप, लस्सी, फलों का रस।

अर्धठोस आहार: साबूदाने की खीर, कस्टर्ड, खिचड़ी।

पाठगत प्रश्न 5.5

1. कॉलम A में दिये गये रोगों को कॉलम B में दिए गए उपचारात्मक आहार से मिलान करें-

कॉलम Aकॉलम B
(i) दस्त(क) कम शक्कर का आहार
(ii) ज्वर(ख) कम रेशे का आहार
(iii) मधुमेह(ग) कम वसा का आहार
(iv) उच्च रक्तचाप(घ) अधिक प्रोटीन व ऊर्जा युक्त आहार
(v) पीलिया(ङ) अधिक रेशेदार आहार
(vi) कब्ज़(च) अधिक कार्बोज व कम वसा का आहार

उत्तर:

कॉलम Aकॉलम B
(i) दस्त(ख) कम रेशे का आहार
(ii) ज्वर(घ) अधिक प्रोटीन व ऊर्जा युक्त आहार
(iii) मधुमेह(क) कम शक्कर का आहार
(iv) उच्च रक्तचाप(ग) कम वसा का आहार
(v) पीलिया(च) अधिक कार्बोज व कम वसा का आहार
(vi) कब्ज़(ङ) अधिक रेशेदार आहार

2. पाँच खाद्य पदार्थ, जो कि निम्न लिखित पोषक तत्त्वों से युक्त हों लिखें:

(क) कार्बोज (कार्बोहाइड्रेट) ___________________।

(ख) प्रोटीन ___________________।

(ग) रेशे ___________________।

उत्तर: (क) कार्बोहाइड्रेट: चपाती, चावल, ब्रेड, दलिया, सूजी।

(ख) प्रोटीन: दूध, पनीर, दही, अण्डा, दालें।

(ग) रेशे: सलाद, अमरूद, गेहूँ का चोकर, पूरे अनाज, छिलके वाली दालें।

पाठान्त प्रश्न

1. रमा दिन में तीन बार आहार लेना पसंद करती है। वह ज्वर से पीड़ित है। उसके आहार में संशोधन सुझायें।

उत्तर: जब कोई व्यक्ति ज्वर से पीड़ित होता है, तो उसकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं में परिवर्तन आ जाता है।

ज्वर की स्थिति में रमा के आहार में निम्नलिखित संशोधन किए जाने चाहिए-

(i) तरलता में संशोधन: ज्वर (बुखार) की दशा में, रोगी का पाचन तंत्र ठोस खाद्य पदार्थ को पूरी तरह से सहन नहीं कर पाता। इसलिए, उसे अर्ध-ठोस आहार (Semi-solid diet) दिया जाना चाहिए।

(ii) पोषक तत्वों में संशोधन: ज्वर के दौरान, शरीर को अधिक कैलोरी (ऊर्जा) तथा अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

(iii) बारंबारता में संशोधन: रमा को दिन में केवल तीन बार आहार लेना पसंद है, लेकिन बीमारी की अवस्था में व्यक्ति एक बार में ज़्यादा मात्रा में भोजन नहीं ले पाता है। इसलिए, उसे अपने भोजन की बारंबारता (frequency) बढ़ानी चाहिए। उसे 3-4 बार आहार के बजाय हर 2-3 घंटे के अंतराल पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में कई बार (जैसे 8-10 बार) आहार दिया जाना चाहिए।

सुझाए गए भोज्य पदार्थ:

(i) शामिल किए जा सकने वाले खाद्य पदार्थ: दूध, अंडा, मुर्गी (चिकन), मछली, जूस, फल, सूप, लस्सी, दलिया, इत्यादि।

(ii) रमा को अर्ध-ठोस या तरल खाद्य पदार्थ दिए जाने चाहिए।

जैसे-

तरल आहार: फल का रस, नींबू पानी, चाय, लस्सी, या सूप।

अर्ध-ठोस आहार: खिचड़ी, दही, कस्टर्ड, ब्रेड, पकी हुई सब्ज़ियाँ, दलिया, इत्यादि।

(iii) वर्जित खाद्य पदार्थ: साबुत अनाज, मिर्च, साबुत दालें, तला हुआ भोजन, अमरुद (guava), छिलके सहित फल, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, और पेस्ट्री।

2. अशोक एक फैक्ट्री में काम करता है। वह हर शाम अपने दोस्त के साथ फुटबॉल खेलता है। उसका पैर फ्रैक्चचर हो गया है। ऐसा आहार सुझायें कि उसका वजन न बढ़े।

उत्तर: अशोक पहले एक फैक्ट्री में काम करता था और फुटबॉल खेलता था, जिसका अर्थ है कि वह मध्यम या कठिन शारीरिक गतिविधि करता था। फ्रैक्चर के कारण, उसकी शारीरिक गतिविधि (physical activity/work) कम हो गई होगी, लेकिन उसका वजन नहीं बढ़ना चाहिए।

आहार संशोधन के सुझाव:

(i) कैलोरी नियंत्रण (Calorie Control): चूंकि अशोक की गतिविधि कम हो गई है, उसे अपने सामान्य आहार की तुलना में कम ऊर्जा (कैलोरी) वाला आहार लेना चाहिए। यदि वह कम गतिविधि के बावजूद पहले जितना ही भोजन खाता रहेगा, तो उसका वज़न बढ़ जाएगा।

(ii) पोषक तत्वों में संशोधन (Nutrient Modification): फ्रैक्चर के उपचार और ऊतकों की मरम्मत (Tissue Repair) के लिए, उसे पर्याप्त प्रोटीन (Sufficient Protein) की आवश्यकता होगी। उसे दूध, दाल, अंडे, और मांस/मछली जैसे प्रोटीन समृद्ध खाद्य पदार्थ उपयुक्त मात्रा में लेने चाहिए।

हड्डियों के इलाज के लिए, उसे कैल्शियम (Calcium) और विटामिन D युक्त खाद्य पदार्थों की भी आवश्यकता होगी (स्रोत में प्रत्यक्ष रूप से फ्रैक्चर के लिए संशोधन नहीं दिया गया है, लेकिन मरम्मत/वृद्धि के लिए ये तत्व आवश्यक हैं)। उसे दूध और दूध उत्पाद (दही, पनीर) अधिक मात्रा में लेने चाहिए।

(iii) वसा और शक्कर पर नियंत्रण: वज़न न बढ़े, इसके लिए उसे वसा और शक्कर समूह से आने वाले खाद्य पदार्थों की मात्रा कम करनी चाहिए।

(iv) बारंबारता (Frequency): चूँकि उसका लक्ष्य वज़न को नियंत्रित रखना है, उसे भूख लगने से बचने के लिए, अधिक तृप्ति मूल्य (Satiety Value) वाला आहार लेना चाहिए। यदि वह अधिक मात्रा में खाने में असमर्थ है (यदि फ्रैक्चर के कारण उसे हिलने-डुलने या खाने में कोई असुविधा है), तो वह दिन में 3 बार की बजाय 6 बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खा सकता है।

(v) फाइबर और जल: कब्ज से बचने के लिए, उसे पर्याप्त मात्रा में जल और रेशे (Fiber) जैसे फल, सब्ज़ियाँ (हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ शामिल हैं) तथा साबुत अनाज लेने चाहिए।

3. संतुलित आहार से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: संतुलित आहार (Balanced Diet) वह है जो शरीर की आवश्यकता के अनुसार सभी आवश्यक पौष्टिक तत्व प्रदान कर सके।

परिभाषा और विशेषताएँ:

(i) संतुलित आहार में विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ उचित मात्रा में रहते हैं।

(ii) यह आहार शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व (जैसे ऊर्जा, प्रोटीन, वसा, विटामिन और खनिज-लवण) प्रदान करता है।

(iii) इसका एक महत्वपूर्ण कार्य यह भी है कि यह कुछ आवश्यक पोषक तत्वों का शरीर में भण्डारण (Storage) भी संभव करता है। यह भण्डारण तब मदद करता है जब किसी कारणवश आहार संपूर्ण नहीं हो पाता या अल्पाहार होता है।

(iv) संतुलित आहार में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों खाद्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं।

संतुलित आहार की विशेषताएँ:

(i) व्यक्ति की व्यक्तिगत पोषण आवश्यकता की पूर्ति करता है।

(ii) सभी आहार समूहों (5 खाद्य समूह: अनाज, दालें, दूध व मांस उत्पाद, फल व सब्ज़ियाँ, वसा व शक्कर) में से खाद्य पदार्थों का समावेश होता है।

    ◦ भोजन के विभिन्न प्रकारों का समावेश।

    ◦ मौसमी भोज्य पदार्थों का समावेश।

    ◦ मितव्ययिता (Frugality) का ध्यान रखा जाता है।

    ◦ व्यक्तिगत रुचि और स्वाद के अनुकूल होता है।

4. संदर्भ मेनू से आप क्या समझते हैं? इसकी योजना किस प्रकार बनाते हैं?

उत्तर: संदर्भ मेनू का अर्थ:

(i) संदर्भ मेनू (Reference Menu) एक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति (पुरुष या महिला) के लिए बनाया गया नमूना मेनू (Sample Menu) होता है जो सामान्य गतिविधियों में संलग्न होता है।

(ii) यह एक आधार (base) के रूप में कार्य करता है। आहार योजना बनाते समय, आप इसी नमूना मेनू को लेकर चलते हैं और यह निर्धारित करते हैं कि विभिन्न आहारों में आवश्यकतानुसार कितना भोजन उपलब्ध कराया जाए।

(iii) इस संदर्भ मेनू का उपयोग परिवार के विभिन्न सदस्यों (जैसे बच्चे, किशोर, गर्भवती महिला, वृद्ध व्यक्ति) की आवश्यकताओं के अनुसार संशोधन (modification) करने के लिए किया जा सकता है।

संदर्भ मेनू की योजना बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाता है:

(i) पोषण संबंधी आवश्यकता: योजना बनाते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि इसमें सभी खाद्य समूहों (अनाज, दालें, फल/सब्ज़ी, दूध/मांस, वसा/शक्कर) को शामिल किया जाए। इससे व्यक्ति को सभी आवश्यक पोषक तत्व (ऊर्जा, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज-लवण) प्राप्त हो सकें।

(ii) मात्रा का निर्धारण: सबसे पहले एक स्वस्थ, सामान्य गतिविधि वाले वयस्क पुरुष या महिला के लिए विभिन्न आहारों (नाश्ता, दिन का भोजन, रात का भोजन आदि) में आवश्यक खाद्य पदार्थों की मात्रा निर्धारित की जाती है।

(iii) संशोधन का आधार: एक बार संदर्भ मेनू बन जाने के बाद, यह परिवार के अन्य सदस्यों के लिए उनकी विशिष्ट आवश्यकतानुसार संशोधन (जैसे मात्रा, गुणवत्ता, या बारंबारता में परिवर्तन) का आधार बन जाता है।

(उदाहरण: संदर्भ मेनू में एक सामान्य कार्य करने वाले पुरुष के लिए 4 चपाती दी गई हैं, जबकि महिला के लिए भी 4 चपाती दी गई हैं, लेकिन महिला के लिए दाल और सब्ज़ी की मात्रा पुरुष से ज़्यादा दी गई है ताकि लौह तत्व (Iron) और विटामिन C की आवश्यकता पूरी हो सके। इसी तरह, एक गर्भवती महिला के लिए अनाज की मात्रा घटाकर प्रोटीन समृद्ध भोजन की मात्रा बढ़ा दी जाती है)।

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