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NIOS Class 12 Political Science Chapter 23 पर्यावरण जागरूकता
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पर्यावरण जागरूकता
Chapter: 23
| मॉड्यूल – 5 प्रमुख समकालीन मुद्दे |
पाठगत प्रश्न 23.1
1. सही उत्तर पर (√) का निशान लगाइए:
(क) कोयला नवीकरणीय स्रोत है।
उत्तर: असत्य।
(ख) विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तीव्र विकास पर्यावरण क्षरण का एक मुख्य कारक है।
उत्तर: सत्य।
(ग) भारत में जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण क्षरण नहीं होता।
उत्तर: असत्य।
(घ) वृक्ष अनवीकरणीय स्रोत का एक अच्छा उदाहरण है।
उत्तर: असत्य।
पाठगत प्रश्न 23.2
1. पर्यावरण पर आयोजित दो अति महत्वपूर्ण सम्मेलनों की पहचान कीजिए।
(क) _______________।
(ख) _______________।
उत्तर: (क) स्टाकहोम सम्मेलन।
(ख) रियो सम्मेलन।
2. उस विश्व आयोग का नाम लिखिए जिसने अवलम्बनीय विकास की संकल्पना को लोकप्रिय बनाया।
(क) _______________।
उत्तर: रियो सम्मेलन।
3. भारत की राष्ट्रीय पर्यावरण नीति के तीन उद्देश्य लिखिए।
(क) _______________।
(ख) _______________।
(ग) _______________।
उत्तर: (क) सुरक्षित स्वस्थ, उत्पादक और सौन्दर्य बोध को संतुष्ट करने वाले पर्यावरण का संरक्षण एवं विकास करना।
(ख) ग्रामीण और शहरी बस्तियों के जीवन स्तर में श्रेष्ठता लाने के लिए उन्हें सुधारना तथा विकास करना।
(ग) पर्यावरण सुरक्षा की तकनीकों को प्रोत्साहित करना, संसाधनों का पुनर्चक्रण करना तथा कूड़े का उपयोग करना।
4. पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए तीन उपायों का वर्णन कीजिए।
(क) _______________।
(ख) _______________।
(ग) _______________।
उत्तर: (क) पेट्रोल को शीशा (लैड) मुक्त करना।
(ख) हानिकारक कीटनाशकों पर प्रतिबंध।
(ग) राष्ट्रीय नदी कार्य योजना।
पाठांत प्रश्न
1. पर्यावरण और पर्यावरण क्षरण का अर्थ लिखिए।
उत्तर: पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके प्रभाव को समझे बिना जीवन को समझना कठिन है। इसमें वे सभी प्राकृतिक तत्व शामिल हैं— भूमि, जल, वायु तथा वे सभी संसाधन जिनका उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं। पर्यावरण ही मानव जीवन को सुरक्षित, संतुलित और जीवंत बनाता है।
जब मानव गतिविधियों के कारण पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उसकी गुणवत्ता घटने लगती है, तो इसे पर्यावरण क्षरण कहा जाता है। विज्ञान और तकनीक में तेजी, जनसंख्या वृद्धि, अनवीकरणीय संसाधनों का अत्यधिक उपयोग आदि कारणों से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप मानव अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो रहा है।
2. पर्यावरण की दो समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर: पर्यावरण की दो समस्याओं का वर्णन नीचे किया गया है—
(i) भूमि, वायु और पानी का प्रदूषण: भूमि, वायु और पानी का बढ़ता प्रदूषण पर्यावरण की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। प्रत्येक वर्ष लगभग पाँच से सात मिलियन हेक्टेयर भूमि की हानि हो रही है। वायु और पानी के कारण मृदा अपरदन बढ़ रहा है, जिससे बाढ़, नदियों में गाद भरना, वनक्षेत्र में कमी, तथा जान-माल की हानि जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं। इसके अलावा, नाभिकीय कचरे को समुद्रों में डालने से पूरा प्राकृतिक पर्यावरण प्रदूषित और विषाक्त हो रहा है।
(ii) जनसंख्या में वृद्धि: जनसंख्या में निरंतर वृद्धि भी पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या है। अधिक लोगों के कारण भूमि, जंगल और प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दबाव पड़ता है। इससे उत्पादन की गुणवत्ता घटती है, वन क्षेत्र कम होता है और पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ता है। वन क्षेत्र में कमी के कारण कई वन्य जीव लुप्त होने के कगार पर हैं। जनसंख्या वृद्धि केवल प्राकृतिक पर्यावरण ही नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भी गंभीर समस्याएं उत्पन्न करती है।
3. अवलम्बीय विकास क्या है? स्पष्ट करें।
उत्तर: अवलम्बनीय विकास (अक्षय विकास) का अर्थ है— वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को इस प्रकार पूरा करना कि इससे भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। यह अवधारणा 1987 में पर्यावरण और विकास पर बने विश्व आयोग की रिपोर्ट “हमारा संयुक्त भविष्य” के माध्यम से विशेष रूप से चर्चित हुई।
अवलम्बनीय विकास इस बात पर जोर देता है कि विकास की हर गतिविधि किसी न किसी रूप में पर्यावरण को प्रभावित करती है, इसलिए विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। इसका उद्देश्य लोगों के कल्याण और जीवन की गुणवत्ता को ऐसे स्तर पर पहुंचाना है जो लंबे समय तक स्थिर रह सके।
मुख्यधारा के पर्यावरणविदों के अनुसार, अवलम्बनीय विकास का ध्यान प्रदूषण पर नहीं, बल्कि इस पर होना चाहिए कि— ऊर्जा स्रोत नवीकरणीय हों, कूड़े-कचरे का पुनर्चक्रण हो सके और राष्ट्रीय उत्पादन से अधिक वास्तविक मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति को प्राथमिकता दी जाए।
अवलम्बनीय विकास की संकल्पना विकास से अधिक पर्यावरण की स्थिरता, आवश्यकताओं को सीमित करने, संसाधनों के अनुशासित उपयोग, और छोटे समुदायों के हितों की रक्षा पर बल देती है। इसका लक्ष्य पारिस्थितिकी के क्षरण को रोकना तथा विकास और पर्यावरण दोनों के बीच उचित संतुलन स्थापित करना है।
4. श्रेष्ठतर प्राकृतिक पर्यावरण की दिशा में भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की रूप रेखा लिखिए।
उत्तर: पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए कुछ उपाय—
(i) पर्यावरण अदालतेंः पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली फैक्ट्रियों के विरुद्ध तेजी से न्याय दिलाने के लिए विशेष अदालतों का गठन किया जा रहा है।
(ii) पर्यावरण हितैषी उत्पाद: सरकार बाजार में बिकने वाले उत्पादों के लिए सख्त नियम लागू कर रही है। इन मानकों पर खरा उतरने वाले उत्पादों को उत्कृष्टता का प्रमाण पत्र जैसे– आई.एस.आई. मार्क दिया जाता है।
(iii) पेट्रोल को शीशा मुक्त करना: तेल शोधक कारखानों को शीशा मुक्त पेट्रोल बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। भारतीय पेट्रोल में शीशा (लैंड) की मात्रा अधिकतम होती है जो मोटरगाड़ियों के माध्यम से अधिकांश प्रदूषण फैलाता है।
(iv) हानिकारक कीटनाशकों पर प्रतिबंधः आठ रासायनिक कीटनाशकों, जिनमें डीडीटी, बीएचसी, एल्ड्रिन और मेलाथियन शामिल हैं, को बाजार से हटा दिया गया है तथा इनके स्थान पर सुरक्षित जैविक कीटनाशकों को लाने की योजना है।
(v) राष्ट्रीय कूड़ा प्रबंधन परिषदः इसका मुख्य कार्य 40 मिलियन टन फ्लाई ऐश को, जो कि थर्मल प्लांटों के निकट पहाड़ के रूप में पड़ी है, ईटों में तथा शहर के कूड़ा-कर्कट को ऊर्जा में और सीवर के मल को उर्वरक में परिवर्तित करना है।
(vi) पब्लिक लायबिल्टी इन्श्योरेंसः (जन दायित्व बीमा) इसके अंतर्गत सभी कम्पनियों के लिए 48 घंटे में पब्लिक लायबिल्टी इन्श्योरेंस का भुगतान करना कानूनी रूप से अनिवार्य है।
(vii) मोटरवाहनों द्वारा प्रदूषणः मोटर वाहनों द्वारा प्रदूषण फैलाने के विरुद्ध प्रदूषण विरोधी अभियान को सख्ती से लागू किया जा रहा है। निश्चित मापदण्डों का पालन न करने वाले वाहनों पर भारी जुर्माना भी हो सकता है।
(viii) समुद्र तट के निकट होटलः ऐसे होटलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की गई है जो कानूनों की अनदेखी करते हुए समुद्री तट पर अतिक्रमण करते हैं।
(ix) राष्ट्रीय नदी कार्य योजनाः राष्ट्रीय नदी प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव है जो राष्ट्रीय स्तर पर जल प्रयोग एवं कूड़ा प्रबंधन के लिए नीति बनाएगा।
(x) सौर ऊर्जा आयोगः ऊर्जा क्षेत्र प्रदूषण फैलाने का मुख्य कारक है इसलिए मुख्य ऊर्जा स्रोत को बढ़ाने के स्थान पर ग्रामीण स्तर पर विकेन्द्रित ऊर्जा निर्माण की योजना है।
(xi) सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेधः सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध करने का प्रस्ताव है। दिल्ली सरकार ने इसे दिशा में अग्रणी भूमिका निभाई है एवं इसे लागू कर दिया है।

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