NIOS Class 12 Political Science Chapter 28 भारत और उसके पड़ोसी: चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका

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Chapter: 28

मॉड्यूल – 6 भारत और विश्व

पाठगत प्रश्न 28.1

(क) चीन एक साम्यवादी देश सन् _________________ में बना। (1947, 1949, 1962)

उत्तर: चीन एक साम्यवादी देश सन् 1949 में बना।

(ख) अफ्रीकी-एशियाई देशों का बांडुंग सम्मेलन वर्ष __________________ में हुआ। (1945, 1949, 1955)

उत्तर: अफ्रीकी-एशियाई देशों का बांडुंग सम्मेलन वर्ष 1955 में हुआ।

(ग) पूर्वी क्षेत्र में भारत और चीन के बीच __________________ सीमा रेखा की तरह है। (हाँग हुआ बार्डर, मैकमोहन लाइन, इन्डो चाईनो बार्डर)

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उत्तर: पूर्वी क्षेत्र में भारत और चीन के बीच मैकमोहन लाइन सीमा रेखा की तरह है।

(घ) चीन ने _________________ में आर्थिक उदारता अपनाई। (1970 के प्रारम्भ में, 1970 के अंत में, 1990 के प्रारम्भ में)

उत्तर: चीन ने 1970 के अंत में आर्थिक उदारता अपनाई।

(ङ) चीन के राष्ट्रपति _________________ ने 1996 में भारत यात्रा की। (जाओएनलाई, जओन्से तुंग, जियांग झेमिन)

उत्तर: चीन के राष्ट्रपति जियांग झेमिन ने 1996 में भारत यात्रा की।

पाठगत प्रश्न 28.2

1. निम्नलिखित कथनों पर सत्य अथवा असत्य लिखिए:

(क) द्विराष्ट्रीय सिद्धांत को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वीकार किया। (सत्य/असत्य)

उत्तर: असत्य।

(ख) जम्मु कश्मीर के महाराज हरिसिंह ने भारत और पाकिस्तान दोनों से सहायता मांगी परंतु केवल भारत ने उत्तर दिया। (सत्य/असत्य)

उत्तर: असत्य।

(ग) पाकिस्तान अधिग्रहीत कश्मीर को पाकिस्तान में आजाद कश्मीर के नाम से जाना जाता। (सत्य/असत्य)

उत्तर: सत्य।

(घ) पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने अप्रैल 1971 में स्वंय को स्वतंत्रत घोषित कर दिया। (सत्य/असत्य)

उत्तर: सत्य।

(ङ) शिमला समझौता 1972 में भारत और बांग्लादेश के बीच हस्ताक्षररिक्त हुआ। (सत्य/असत्य)

उत्तर: असत्य।

(च) मई 1972 में भारत द्वारा नाभिकीय परिक्षण के तुरंत बाद कारगिल युद्ध हुआ। (सत्य/असत्य)

उत्तर: असत्य।

पाठगत प्रश्न 28.3

(क) श्रीलंका कब स्वतंत्र हुआ?

उत्तर: श्रीलंका 4 फरवरी 1998 में स्वतंत्र हुआ।

(ख) श्रीलंका के तमिल भाषी दो वर्गों के नाम लिखिए।

उत्तर: श्रीलंका के तमिल भाषी दो वर्गों के नाम है— भारतीय तमिल और सीलोन के तमिल।

(ग) किस द्वीप के संदर्भ में भारत ने 1974 में अपने दावे को त्याग दिया?

उत्तर: कछातिवु द्वीप के संदर्भ में भारत ने 1974 में अपने दावे को त्याग दिया।

(घ) किस वर्ष में भारत ने आईपीकेएफ को श्रीलंका में भेजा?

उत्तर: 1987 वर्ष में भारत ने आईपीकेएफ को श्रीलंका में भेजा।

पाठांत प्रश्न

1. भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के कारणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: भारत और चीन के बीच 1962 का युद्ध कई सीमा-सम्बंधी विवादों और राजनीतिक घटनाओं का परिणाम था।

इसके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं—

(i) सीमा विवाद और चीन के दावे: 1950 के दशक में चीन ने भारत के नार्थईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (अब अरुणाचल प्रदेश) और लद्दाख पर अपना दावा प्रस्तुत किया। चीन ने ऐसे मानचित्र जारी किए जिनमें भारतीय क्षेत्रों को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया गया था।

(ii) अक्साई चिन में सड़क निर्माण: चीन ने 1956–57 में अक्साई चीन क्षेत्र में लगभग 110 मील लंबी सड़क का निर्माण कर लिया, जो भारत के लद्दाख क्षेत्र से होकर गुजरती थी। यह भारत की क्षेत्रीय अखंडता का गंभीर उल्लंघन था और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाने वाला कदम साबित हुआ।

(iii) भारतीय क्षेत्र पर बड़ा दावा: 1959 में चीन ने लगभग 51,000 वर्ग मील भारतीय क्षेत्र पर अपना दावा ठोक दिया। साथ ही उसने मैकमहोन रेखा को, जो भारत-चीन सीमा मानक थी, अवैध घोषित कर दिया।

(iv) मैकमहोन् रेखा पर विवाद: 1914 के समझौते में निर्धारित मैकमहोन् रेखा को भारत मान्यता देता था, जबकि चीन इस रेखा को अस्वीकार करता रहा। यह विवाद दोनों देशों के बीच लगातार तनाव का मुख्य कारण बना।

(v) तिब्बत पर चीन का कब्जा: चीन द्वारा तिब्बत पर कब्ज़ा करने के बाद वह भारत-चीन सीमा पर और अधिक आक्रामक हो गया। सीमा के बड़े हिस्से में चीनी सैनिकों की उपस्थिति बढ़ गई।

(vi) चीनी सैन्य आक्रमण: सीमा विवाद चल ही रहा था कि अक्टूबर 1962 में चीन ने NEFA (अरुणाचल क्षेत्र) और लद्दाख के दोनों सैक्टरों में भारत पर अचानक आक्रमण कर दिया। चीन ने भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के 200 मील और लद्दाख के 15,000 वर्ग मील क्षेत्र पर कब्ज़ा भी कर लिया।

(vii) कूटनीतिक प्रयासों की विफलता: श्रीलंका द्वारा प्रस्तावित कोलंबो योजना के माध्यम से दोनों देशों में समझौता कराने का प्रयास किया गया, लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इससे तनाव और बढ़ गया और युद्ध का समाधान नहीं निकल सका।

2. 1990 के बाद से भारत और चीन के बीच संबंधों के सामान्यीकरण का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: 1990 के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सामान्य करने के कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए, विशेष रूप से 1998 के नाभिकीय परीक्षणों के बाद। मई 1998 में दोनों देशों के परमाणु परीक्षणों ने संबंधों को अत्यंत तनावपूर्ण बना दिया था, लेकिन इस कटु वातावरण ने ही दोनों देशों को समाधान खोजने की दिशा में प्रेरित किया।

सबसे पहले विदेश सचिव स्तर की वार्ताएँ पुनः प्रारम्भ की गईं, ताकि दोनों देशों के बीच संवाद बना रहे और समाधान की संभावनाएँ खोजी जा सकें। इसके बाद दिल्ली और लाहौर के बीच बस सेवा शुरू करने का प्रस्ताव आया, जिसने दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सद्भावना को बढ़ावा दिया।

1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर यात्रा तथा लाहौर घोषणा ने संबंध सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाया। घोषणा में यह तय किया गया कि कश्मीर सहित सभी विवादित मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से खोजा जाएगा। यह भी स्पष्ट किया गया कि बातचीत के दौरान दोनों देशों में से कोई भी उग्र व्यवहार नहीं अपनाएगा।

वार्ता प्रक्रिया में नियंत्रण रेखा के दोनों ओर लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने, तथा भारत-पाकिस्तान के आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया गया। सरकार परिवर्तन के बाद भी भारत की नीति शांति, सहयोग और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता देती रही, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में धीरे-धीरे सुधार हुआ।

3. भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का कारण कश्मीर है। क्या आप इससे सहमत हैं?

उत्तर: भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का मुख्य कारण कश्मीर ही है, और यह बात स्पष्ट रूप से विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं के माध्यम से सामने आती है।

1947 में विभाजन के तुरंत बाद ही पाकिस्तान ने यह दावा किया कि मुस्लिम बहुलता के कारण कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनना चाहिए। महाराजा हरिसिंह द्वारा भारत में विलय के बाद पाकिस्तान ने घुसपैठ कर युद्ध की शुरुआत की, जिसके कारण यह विवाद संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचा। 1949 के युद्धविराम के बाद कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के नियंत्रण में चला गया, जिसे पीओके कहा जाता है।

इसके बाद भी पाकिस्तान ने 1965 का युद्ध कश्मीर को हासिल करने के उद्देश्य से आरम्भ किया और 1980 के दशक से कश्मीर में आतंकवाद व अलगाववादी प्रवृत्तियों को समर्थन देकर इस विवाद को और अधिक बढ़ाया। 1999 का कारगिल युद्ध भी कश्मीर क्षेत्र में नियंत्रण रेखा का उल्लंघन था।

भारत–पाकिस्तान के बीच अविश्वास, संघर्ष, युद्ध और तनाव का प्रमुख और स्थायी कारण कश्मीर मुद्दा ही रहा है। अतः अनुच्छेद के आधार पर इस कथन से पूर्णतः सहमत होना उचित है।

4. श्रीलंका में पृथक्करण के कारणों की व्याख्या कीजिए। इस संदर्भ में भारत द्वारा इस समस्या को सुलझाने में किए गए प्रयासों का भी वर्णन कीजिए।

उत्तर: श्रीलंका में तमिलों और सिन्हालियों के बीच जातीय विवाद का इतिहास बहुत पुराना है। दोनों समुदायों के बीच खाई समय के साथ और गहरी होती गई, जिसके परिणामस्वरूप जातीय तनाव, भेदभाव और असुरक्षा की भावना बढ़ी। 1983 में स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई, जब विद्रोही तमिलों के विरुद्ध दमनकारी तथा आतंकित करने वाली कार्रवाई की गई। 1983–86 के दौरान लगभग दो लाख तमिल बेघर हो गए और इतिहास के सबसे भयानक जातीय दंगों ने हजारों तमिलों को भारत में शरण लेने के लिए मजबूर कर दिया। इन परिस्थितियों में तमिलों ने पृथक राष्ट्र ‘तमिल ईलम’ की मांग शुरू की, जिससे पृथक्करण आंदोलन को और बल मिला।

भारत ने इस समस्या के समाधान हेतु महत्वपूर्ण प्रयास किए। भारत की सहायता को श्रीलंका में तमिलों की ओर से हस्तक्षेप की तरह देखा गया, परंतु स्थिति नियंत्रण से बाहर होने पर 1987 में भारत–श्रीलंका समझौता हुआ। इस समझौते के अनुसार भारत ने सैन्य सहायता देने की सहमति दी और इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (IPKF) को श्रीलंका भेजा गया ताकि शांति बहाल की जा सके। भारत ने यह स्पष्ट किया कि श्रीलंका या किसी बाहरी ताकत द्वारा इस क्षेत्र में भारत-विरोधी गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

हालाँकि यह संधि कूटनीतिक दृष्टि से सफल थी, लेकिन भारत को भारी नुकसान झेलना पड़ा। लगभग 12,000 भारतीय सैनिक मारे गए, प्रतिदिन भारी आर्थिक व्यय हुआ, और अंततः तमिल विद्रोही संगठन एलटीटीई ने भारत की भूमिका का विरोध किया। इसी संघर्ष के चलते 1991 में एलटीटीई द्वारा राजीव गांधी की हत्या करवा दी गई।

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