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NIOS Class 12 Political Science Chapter 27 अमेरिका और रूस से भारत के संबंध
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अमेरिका और रूस से भारत के संबंध
Chapter: 27
| मॉड्यूल – 6 भारत और विश्व |
पाठांत प्रश्न 27.1
1. रिक्त स्थान भरिए-
(क) भारत-अमेरिकी संबंधों की शुरुआत _________________ में हुई। (1941/1947)
उत्तर: भारत-अमेरिकी संबंधों की शुरुआत 1941 में हुई।
(ख) एशिया में अमेरिका ने __________________ सैन्य समूह की स्थापना की। (सीटो/सैन्टो)
उत्तर: एशिया में अमेरिका ने सीटो सैन्य समूह की स्थापना की।
(ग) 1977 में भारत यात्रा पर आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति का नाम _________________ था। (जिमी कार्टर/रिचर्ड निक्सन)
उत्तर: 1977 में भारत यात्रा पर आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति का नाम जिमी कार्टर था।
(घ) अमेरिका द्वारा भारत के विकास हेतु सहायता __________________ में चरम सीमा पर पहुँची। (1962/1965)
उत्तर: अमेरिका द्वारा भारत के विकास हेतु सहायता 1962 में चरम सीमा पर पहुँची।
पाठगत प्रश्न 27.2
1. सही उत्तर पर (✔) लगाईए:
(क) अमेरिकी अस्त्र भारत में बिना किसी राजनैतिक शर्त के आए। (सत्य/असत्य)
उत्तर: सत्य।
(ख) 1971 में बांग्लादेश युद्ध ने भारत-अमेरिकी संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया। (सत्य/असत्य)
उत्तर: सत्य।
(ग) क्लिंटन प्रशासन के दौरान अमेरिका और भारत के संबंध सुधरे। (सत्य/असत्य)
उत्तर: सत्य।
(घ) अमेरिका परमाणु अस्त्रों का प्रसार विरोधी है। (सत्य/असत्य)
उत्तर: सत्य।
(ङ) अमेरिका ने भारत द्वारा 1998 में किए गए परमाणु परीक्षणों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की। (सत्य/असत्य)
उत्तर: असत्य।
2. रिक्त स्थान भरें-
(क) अमेरिकी कांग्रेस ने _________________ पारित कर भारत को गेहूं बेचने की अनुमति दी। N.D (पी.एल. 480/पी.एल 408)
उत्तर: अमेरिकी कांग्रेस ने पी.एल. 480 पारित कर भारत को गेहूं बेचने की अनुमति दी।
(ख) भारत के विकास के लिए अमेरिकी सहायता _________________ में चरम पर थी। (1962/1965)
उत्तर: भारत के विकास के लिए अमेरिकी सहायता 1962 में चरम पर थी।
पाठगत प्रश्न 27.3
1. रिक्त स्थान भरिए-
(क) भारत में किस इस्पात इकाई के लिए सोवियत संघ ने वित्तीय सहायिक्षा दी? _________________ (दुर्गापुर, भिलाई, राउरकेला)
उत्तर: भारत में भिलाई इस्पात इकाई के लिए सोवियत संघ ने वित्तीय सहायिक्षा दी।
(ख) सोवियत नेता सबसे पहली बार किस वर्ष भारत दौरे पर आए? _________________ (1955, 1957, 1971)
उत्तर: सोवियत नेता सबसे पहली बार 1955 वर्ष भारत दौरे पर आए।
(ग) ताशकंद घोषणा कब हुई? _________________ (1966, 1971, 1974)
उत्तर: ताशकंद घोषणा 1966 में हुई।
(घ) सोवियत संघ के साथ शांति, मित्रता और आपसी सहयोग की संधि पर किस वर्ष हस्ताक्षर किए गए? ________________ (1971, 1979)
उत्तर: सोवियत संघ के साथ शांति, मित्रता और आपसी सहयोग की संधि पर 1971 वर्ष हस्ताक्षर किए गए।
(ङ) सोवियत संघ की आतंकवाद नीति किसके नेतृत्व में बदल गई? _________________ (मिखाइल गोर्बाचोव/मि. पुतिन)
उत्तर: सोवियत संघ की आतंकवाद नीति मि. पुतिन के नेतृत्व में बदल गई।
पाठांत प्रश्न
1. शीत युद्ध के दौरान भारत-अमेरिकी राजनैतिक संबंधों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: शीत युद्ध के दौरान भारत और अमेरिका के संबंध जटिल और अस्थिर रहे। अमेरिका ने साम्यवाद को दबाने की नीति अपनाई और एशिया में अपने प्रभाव के लिए सीटो और सैटो जैसे सैन्य समूह बनाए, जिनमें पाकिस्तान प्रमुख सदस्य था। नव स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गुट निरपेक्षता की नीति अपनाकर किसी भी महाशक्ति के पक्ष में नहीं होने का निर्णय लिया, जिससे अमेरिका को यह भारत के प्रति अमैत्रीपूर्ण रवैये के रूप में लगा।
अक्टूबर 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय अमेरिका ने हथियार और सैन्य सहायता उपलब्ध कराई, लेकिन 1965 के भारत-पाक युद्ध और 1971 के बांग्लादेश युद्ध में अमेरिका का पाकिस्तान के पक्ष में रुख और भारत को आर्थिक सहायता न देने से संबंध कमजोर हुए। 1970 के दशक में चीन और अमेरिका के घुलने-मिलने तथा अफगानिस्तान में सोवियत आक्रमण ने भारत-अमेरिकी संबंधों में और जटिलता पैदा की।
इस प्रकार, शीत युद्ध के दौरान भारत और अमेरिका के संबंध उतार-चढ़ाव भरे थे, जिनमें भारत की गुट निरपेक्ष नीति, क्षेत्रीय संघर्ष और वैश्विक सामरिक हितों ने निर्णायक भूमिका निभाई।
2. नाभिकीय मामलों के संदर्भ में भारत-अमेरिकी संबंधों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: भारत-अमेरिकी संबंधों में नाभिकीय मामलों ने हमेशा एक संवेदनशील और निर्णायक भूमिका निभाई है। 1963 में अमेरिका ने भारत में परमाणु संयंत्र स्थापित करने में सहायता की थी, लेकिन 1974 में भारत के पोखरण में शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण और परमाणु अप्रसार समझौते पर हस्ताक्षर न करने से सहयोग धुंधला पड़ गया। 1978 में अमेरिकी कांग्रेस ने परमाणु अप्रसार अधिनियम पारित किया, जिसके अंतर्गत यूरेनियम निर्यात केवल उन्हीं देशों को किया जा सकता था, जिनके संयंत्रों का निरीक्षण संभव हो और जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करें।
भारत ने 1996 में सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए और 1998 में पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण कर खुद को परमाणु संपन्न राष्ट्र घोषित किया। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका ने भारत पर सैन्य और आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिससे द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण हो गए। हालांकि, बाद में दोनों देशों के बीच विदेश मंत्रियों और अमेरिकी अधिकारियों के बीच गंभीर वार्ताओं ने नाभिकीय संबंधों को सुधारने की दिशा दी। 1999 में अमेरिका ने कुछ प्रतिबंध हटा दिए और अब भारत को परमाणु अस्त्रों वाला जिम्मेदार राष्ट्र मानता है।
3. आतंकवाद के संदर्भ में भारत-अमेरिकी संबंधों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर: समकालीन भारत-अमेरिकी संबंधों में आतंकवाद एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा रहा है। 1999 के कारगिल संकट के समय अमेरिका ने भारत के पक्ष में मध्यस्थता और दबाव की भूमिका निभाई, जिसे भारत ने सकारात्मक संकेत माना। इसके बाद, 2001 में अमेरिका के न्यूयॉर्क और वाशिंगटन पर हुए आतंकवादी हमलों के बाद भारत ने अमेरिका के आतंकवाद विरोधी अभियान में पूरा सहयोग दिया। भारत ने लगातार यह बताने का प्रयास किया कि अफगानिस्तान में तालिबान और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को पाकिस्तान की सहायता से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का केंद्र बनाया गया है।
हालांकि अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी गठजोड़ में शामिल किया और उसे समर्थन दिया, जिससे भारत को यह आशंका हुई कि वाशिंगटन फिर से इस्लामाबाद के पक्ष में झुक सकता है। फिर भी, अमेरिकी प्रशासन ने भारत की गंभीरता को समझते हुए कुछ पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों को आतंकवादियों की सूची में डाल दिया। यह दिखाता है कि आतंकवाद के मुद्दे ने भारत-अमेरिकी संबंधों में सहयोग और चुनौती दोनों को जन्म दिया।
4. भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंधों पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंध समय के साथ विकसित हुए और इसमें द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय दोनों प्रकार की सहायता शामिल रही। स्वतंत्रता के बाद भारत का खाद्य और औद्योगिक उत्पादन जनसंख्या की आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त था, इसलिए उसे विदेशी सहायता की आवश्यकता थी। अमेरिका ने 1951 में भारत को खाद्य सहायता प्रदान करना शुरू किया और 1954 में पब्लिक लॉ 480 के तहत अतिरिक्त अमेरिकी गेहूँ बेचने की अनुमति दी। शीत युद्ध के दौरान, राजनैतिक मतभेदों के बावजूद भारत को आर्थिक और खाद्य सहायता प्राप्त होती रही।
अर्थव्यवस्था के विकास में अमेरिकी सहायता का मुख्य ध्यान कृषि, कच्चे माल और खनिजों पर था, जबकि भारी उद्योग के विकास के लिए भारत को सोवियत संघ की ओर रुख करना पड़ा। 1962 में अमेरिका की सहायता चरम सीमा पर पहुंची, लेकिन बांग्लादेश युद्ध के समय यह बंद हो गई। 1978 में द्विपक्षीय सहायता फिर से शुरू हुई, परंतु 1970 के बाद बहुपक्षीय सहायता जैसे आईडीए और विश्व बैंक से मिलने वाली सहायता अधिक महत्वपूर्ण हो गई। 1981 में अमेरिका ने भारत के पांच करोड़ आठ लाख डॉलर के आईएमएफ ऋण अनुरोध को स्वीकृति देने में सहयोग किया।
इस प्रकार, भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों ने प्रारंभिक खाद्य और कृषि सहायता से शुरू होकर बहुपक्षीय वित्तीय सहयोग और निवेश तक का मार्ग तय किया, जो दोनों देशों के आर्थिक और विकासात्मक हितों का संकेत देता है।
5. शीत युद्ध के दौरान भारत सोवियत संघ के संबंधों और उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: शीत युद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के संबंध मजबूत और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहे। दोनों देशों के बीच सहयोग की नींव भारत की स्वतंत्रता और सोवियत संघ की साम्राज्यवाद विरोधी विचारधारा पर आधारित थी। 1955 में सोवियत कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता की भारत यात्रा के बाद राजनैतिक संबंधों में सुधार हुआ। सुरक्षा परिषद में कश्मीर मामले पर सोवियत संघ ने भारत का समर्थन किया और पश्चिमी देशों के निर्णय के खिलाफ वीटो का प्रयोग किया।
सबसे महत्वपूर्ण सहयोग सोवियत संघ द्वारा भारतीय भारी उद्योगों और आधारभूत सार्वजनिक क्षेत्रों के विकास में दिया गया। भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए 1955 में समझौता हुआ और व्यापार लेन-देन रुपये में करने की सुविधा प्रदान की गई। 1962 में भारत-चीन युद्ध से पहले मिग लड़ाकू विमानों का सौदा हुआ, जिससे सोवियत सैन्य आपूर्ति का प्रमुख स्रोत बन गया। 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद ताशकंद बैठक और 1971 में शांति, मित्रता और आपसी सहयोग संधि ने दोनों देशों के राजनीतिक और सैन्य सहयोग को औपचारिक रूप दिया।
सोवियत संघ ने 1979 में अफगानिस्तान आक्रमण के समय भारत का समर्थन किया। हालांकि 1985 में मिखाईल गोर्बाचोव के सत्ता में आने के बाद सोवियत विदेश नीति में बदलाव हुआ और पश्चिमी देशों पर ध्यान देने से भारत के साथ संबंधों में अस्थायी गिरावट आई।
6. शीत युद्ध के बाद भारत-सोवियत संघ के संबंधों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर: शीत युद्ध के बाद, सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत और रूस के संबंधों ने नई दिशा और स्वरूप ग्रहण किया। दिसंबर 1991 में रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हुए भारत के साथ “व्यावहारिक नवीनीकरण” की आवश्यकता पर जोर दिया। 1993 में येल्तसिन की भारत यात्रा के दौरान भारत-रूस मित्रता और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें 1971 के शांति, मित्रता और सहयोग संधि का स्थान लिया गया। इस समझौते में सुरक्षा उपबंध हटाकर शांति और मित्रता बनाए रखने पर जोर दिया गया और रुपये एवं रूबल में मुद्रा विनिमय की व्यवस्था की गई।
सैन्य क्षेत्र में रूस ने भारत को क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन और आधुनिक हथियारों की आपूर्ति करने का आश्वासन दिया। पुतिन के दौर में भारत-रूस संबंधों को नई ऊँचाई मिली, विशेषकर आतंकवाद विरोधी सहयोग और रक्षा क्षेत्र में। रूस भारत के लिए भरोसेमंद और उच्च गुणवत्ता वाले सैन्य उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, जिसमें लड़ाकू विमान, टैंक, मिसाइलें, पनडुब्बियाँ और विमान वाहक शामिल हैं। भारत और रूस ने संयुक्त रक्षा उत्पादन और ब्रह्मोस मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार विकसित किए।
इसके अतिरिक्त, ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा, जिसमें तेल, गैस, तापीय, जलविद्युत और नाभिकीय ऊर्जा शामिल है। शीत युद्ध के बाद भी भारत-रूस संबंध सुरक्षा, रक्षा, ऊर्जा और रणनीतिक हितों के क्षेत्रों में मजबूत बने रहे, जबकि व्यापारिक संबंध अपेक्षाकृत कमजोर रहे।

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