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NIOS Class 12 Political Science Chapter 30 संयुक्त राष्ट्र
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संयुक्त राष्ट्र
Chapter: 30
| वैकल्पिक मॉड्यूल – 1 विश्व व्यवस्था और संयुक्त राष्ट्र |
पाठगत प्रश्न 30.1
1. रिक्त स्थान भरीए-
(क) सन 1945 में ________________ शहर में संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए गए। (जिनेवा, न्यूयार्क, सैन फ्रांसिस्को)
उत्तर: सन 1945 में सैन फ्रांसिस्को शहर में संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
(ख) ________________ देश, संयुक्त राष्ट्र के मौलिक सदस्य थे। (45, 51, 191)
उत्तर: 51 देश, संयुक्त राष्ट्र के मौलिक सदस्य थे।
(ग) संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र का मुख्य उद्देश्य _________________ है। (शाति, सुरक्षा स्थापित करना, युद्ध करवाना, उपनिवेशीकरण)
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा स्थापित करना है।
2. सत्य या असत्य लिखिए:
(क) सदस्य देशों के बीच प्रभुसत्ता संपन्न समानता संयुक्त राष्ट्र का एक आधारभूत सिद्धांत है। (सत्य/असत्य)
उत्तर: सत्य।
(ख) संयुक्त राष्ट्र सामान्यतः सदस्य देशों के घरेलू समस्याओं पर विचार नहीं करेगा। (सत्य/असत्य)
उत्तर: सत्य।
(ग) संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों की संख्या इसके प्रारंभिक अस्तित्व से नहीं बढ़ी है। (सत्य/असत्य)
उत्तर: असत्य।
पाठगत प्रश्न 30.2
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(क) स्थायी सदस्यों को __________________ में वीटो प्राप्त है। (संयुक्त राष्ट्र के सभी अंगों/सुरक्षा परिषद)
उत्तर: स्थायी सदस्यों को सुरक्षा परिषद में वीटो प्राप्त है।
(ख) न्यास परिषद की वर्तमान सदस्य संख्या क्या है? (5/11/15)
उत्तर: न्यास परिषद की वर्तमान सदस्य संख्या 11 है।
(ग) विशिष्ट एजेंसियों की गतिविधियों के साथ समन्वयन में संयुक्त राष्ट्र को कौन-सा अंग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है? (सामान्य सभा/सुरक्षा परिषद/आर्थिक व सामाजिक परिषद)
उत्तर: विशिष्ट एजेंसियों की गतिविधियों के साथ समन्वयन में संयुक्त राष्ट्र को आर्थिक व सामाजिक परिषद अंग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(घ) निजी व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमे कर सकते हैं। (सही/गलत)
उत्तर: गलत।
(ङ) ________________ संयुक्त राष्ट्र के वर्तमान महासचिव हैं। (कोफी अन्नान/बान कि मून)
उत्तर: बान कि मून संयुक्त राष्ट्र के वर्तमान महासचिव हैं।
(च) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के जजों का चयन ________________ द्वारा किया जाता है। (महासभा/सुरक्षा परिषद्/महासभा व सुरक्षा परिषद दोनों)
उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के जजों का चयन महासभा व सुरक्षा परिषद दोनों द्वारा किया जाता है।
पाठगत प्रश्न 30.3
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:
(क) उपनिवेशवाद विरोधी उद्घोषणा को _________________ में अपनाया गया। (1945, 1960, 1995)
उत्तर: उपनिवेशवाद विरोधी उद्घोषणा को 1960 में अपनाया गया।
(ख) अधिन्यासी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए संयुक्त राष्ट्र उत्तरदायी था। (सही/गलत)
उत्तर: सही।
(ग) दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन के नेता ________________ थे। (महात्मा गांधी/नैल्सन मंडेला)
उत्तर: दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन के नेता नैल्सन मंडेला थे।
(घ) मानवाधिकारों पर सार्वभौमिक उद्घोषणा संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों पर बाध्यकारी है। (सही/गलत)
उत्तर: गलत।
(ङ) मानवाधिकार दिवस कब मनाया जाता है? (26 जनवरी/10 दिसम्बर/15 अगस्त)
उत्तर: मानवाधिकार दिवस 10 दिसम्बर को मनाया जाता है।
(च) मानवाधिकारों पर दो संविदाएं _________________ से अस्तित्व में लाई गई। (1948/1976/1997)
उत्तर: मानवाधिकारों पर दो संविदाएं 1976 से अस्तित्व में लाई गई।
(छ) 1993 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मेलन की सिफारिशों पर किस कार्यालय की स्थापना की गई। (आमबडसमैन/मानवाधिकार उच्च आयोग/आयुक्त)
उत्तर: 1993 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मेलन की सिफारिशों पर मानवाधिकार उच्च आयोग कार्यालय की स्थापना की गई।
पाठात प्रश्न
1. संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के उद्देश्यों व सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र में विश्व शांति, सहयोग और मानव कल्याण से जुड़े चार प्रमुख उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं।
सबसे पहले, इसका मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा स्थापित करना है, जिसके लिए विवादों का शांतिपूर्ण समाधान, प्रतिबंधों का प्रयोग तथा आक्रमण रोकने जैसे उपाय किए जाते हैं। दूसरा उद्देश्य है– समानता और आत्म-निर्णय के सिद्धांत पर आधारित विभिन्न राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना। तीसरा उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवीय क्षेत्रों में उत्पन्न अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान हेतु सहयोग को बढ़ावा देना है। चौथा उद्देश्य विश्वभर में मानवाधिकारों, मौलिक स्वतंत्रताओं और सम्मान के प्रति आदर को प्रोत्साहित करना है।
इन उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु संयुक्त राष्ट्र और इसके सदस्य देशों को कुछ महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करना होता है। इनमें सबसे प्रमुख सिद्धांत है— सभी बड़े और छोटे देशों की समानता। संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता। इसके सदस्य अपने विवादों को अंतर्राष्ट्रीय शांति को क्षति पहुंचाए बिना हल करेंगे और एक-दूसरे के खिलाफ धमकी या बल का प्रयोग नहीं करेंगे। सदस्य देश शांति बनाए रखने के कार्य में संयुक्त राष्ट्र की सहायता करेंगे।
चूँकि संयुक्त राष्ट्र एक राजनीतिक संगठन है, इसलिए इसकी भूमिका में कठोरता नहीं बल्कि लचीलापन और व्यावहारिकता देखने को मिलता है। शांति भंग होने की सूचना पर यह तुरंत कठोर कार्रवाई नहीं करता, बल्कि युद्ध रोकने और परिस्थितियों को युद्ध-पूर्व स्तर पर लाने का प्रयास करता है। इस प्रकार UN के उद्देश्य और सिद्धांत मिलकर विश्व में स्थिरता, सहयोग और शांति बनाए रखने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
2. महासभा व सुरक्षापरिषद के संगठन व कार्यों का तुलनात्मक विश्लेषण करें।
उत्तर: नीचे महासभा और सुरक्षा परिषद का तुलनात्मक विश्लेषण तालिका के रूप में दिया गया है—
| महासभा | सुरक्षा परिषद |
| महासभा संयुक्त राष्ट्र की सबसे व्यापक संस्था है जिसमें सभी सदस्य देश शामिल होते हैं। प्रत्येक देश को समान मताधिकार प्राप्त होता है, इसलिए छोटे-बड़े सभी देशों की बराबरी सुनिश्चित होती है। | सुरक्षा परिषद का ढांचा सीमित और अधिक प्रभावशाली है। इसमें कुछ स्थायी एवं अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनके पास अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा से जुड़े मामलों पर विशेष अधिकार होते हैं। |
| महासभा मानवाधिकार, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय समस्याओं से संबंधित घोषणाएँ और सिफारिशें अपनाती है। जैसे— मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय समझौतों की स्वीकृति, तथा मानवाधिकार उच्चायुक्त की नियुक्ति जैसी भूमिकाएँ। यह वैश्विक समस्याओं पर विचार-विमर्श और नीतिगत दिशा प्रदान करती है। | सुरक्षा परिषद का मुख्य दायित्व अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना है। शांति भंग होने की स्थिति में यह संघर्ष रोकने, युद्धविराम करवाने, प्रतिबंध लगाने या शांति लागू करने जैसे प्रभावी कदम उठा सकती है, जबकि महासभा ऐसी बाध्यकारी कार्रवाई नहीं कर सकती। |
| महासभा के निर्णय सामान्यतः सिफारिशें होती हैं, बाध्यकारी नहीं। उदाहरण के लिए, मानवाधिकार घोषणाएँ या संविदाओं को अपनाने का कार्य। | सुरक्षा परिषद के निर्णय शांति और सुरक्षा से जुड़े मामलों में सदस्य देशों के लिए बाध्यकारी होते हैं। |
| महासभा व्यापक मुद्दों पर विचार कर वैश्विक मानवाधिकार, विकास, सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक अधिकारों को बढ़ावा देती है। | सुरक्षा परिषद अधिक व्यावहारिक और त्वरित कार्रवाई के लिए जानी जाती है, जिसका उद्देश्य युद्ध, आक्रमण और संघर्ष को रोकना होता है। |
3. उपनिवेशवाद की समाप्ति में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका की विवेचना करें।
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र ने विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण और उत्तरदायी भूमिका निभाई है। यद्यपि अनुच्छेद का मुख्य फोकस संयुक्त राष्ट्र के पुनर्गठन पर है, फिर भी इससे यह समझाया जा सकता है कि उपनिवेशवाद की समाप्ति में संयुक्त राष्ट्र ने किस प्रकार योगदान दिया।
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय अधिकांश एशियाई और अफ्रीकी देश स्वतंत्र नहीं थे, लेकिन आगे चलकर इन देशों की सदस्यता बढ़ी। जैसे-जैसे ये देश स्वतंत्र होते गए, संयुक्त राष्ट्र उनके हितों और अधिकारों को सुनिश्चित करने का मंच बना। सुरक्षा परिषद और महासभा में अस्थायी एवं नए सदस्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ने से उपनिवेशवाद के विरुद्ध वैश्विक राय मजबूत हुई। तृतीय विश्व के देशों का यह विश्वास कि संयुक्त राष्ट्र उनके भविष्य की रक्षा कर रहा है, उपनिवेशवादी शक्तियों पर नैतिक और राजनीतिक दबाव बनाता गया। इसके अलावा, भारत जैसे देशों की सक्रिय भूमिका, शांति अभियानों में सहयोग और उपनिवेशवाद के विरुद्ध निरंतर समर्थन ने भी स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रोत्साहन दिया।
अतः संयुक्त राष्ट्र ने नए एशियाई-अफ्रीकी देशों को वैश्विक मंच पर आवाज देकर, उपनिवेशवादी शक्तियों पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाकर तथा न्याय आधारित वैश्विक व्यवस्था को प्रोत्साहित कर उपनिवेशवाद की समाप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4. सुरक्षा परिषद के पुनः गठन की आवश्यकता बताए।
उत्तर: सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन की आवश्यकता कई कारणों से महसूस की जाती है—
सबसे पहला कारण यह है कि सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना 1945 की परिस्थितियों पर आधारित है, जब अधिकांश एशियाई और अफ्रीकी देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य भी नहीं थे। आज संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की संख्या चार गुना हो चुकी है, लेकिन सुरक्षा परिषद के स्वरूप में कोई उपयुक्त परिवर्तन नहीं हुआ है। पाँच स्थायी सदस्यों की संरचना ऐतिहासिक कारणों से बनी थी, जो आज की वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती।
दूसरा महत्वपूर्ण कारण यह है कि तृतीय विश्व के अनेक देश संयुक्त राष्ट्र को पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका का एजेंट मानते हैं। इस भ्रांति को दूर करने के लिए आवश्यक है कि सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए और ऐसे देशों को शामिल किया जाए जो आज के समय में आर्थिक, राजनीतिक और जनसंख्या की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
इसके अतिरिक्त, भारत, जापान, जर्मनी, ब्राजील और नाइजीरिया जैसे देशों की दावेदारी मजबूत मानी जाती है। भारत संयुक्त राष्ट्र का मूल सदस्य, सबसे बड़ा प्रजातंत्र और दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश होने के साथ-साथ शांति अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है। इसी प्रकार जापान और जर्मनी की आर्थिक स्थिति और संयुक्त राष्ट्र में योगदान उन्हें महत्वपूर्ण दावेदार बनाते हैं।
अंत में, अस्थायी सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए ताकि अधिक देशों को महसूस हो कि सुरक्षा परिषद उनके भविष्य और हितों के लिए कार्य कर रही है।
5. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए-
(अ) संयुक्त राष्ट्र महासचिव।
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संबंधी कार्यों का उल्लेख मिलता है, जिसमें महासभा, आर्थिक व सामाजिक परिषद तथा मानवाधिकार आयोग की सक्रिय भूमिका दिखाई देती है। यद्यपि महासचिव का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है, फिर भी अनुच्छेद से स्पष्ट होता है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव संयुक्त राष्ट्र की संपूर्ण मानवाधिकार नीति और गतिविधियों के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
महासचिव संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होते हैं, जो मानवाधिकारों को बढ़ावा देने वाली घोषणाओं, संविदाओं और कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में प्रयास करते हैं। वियना (1993) सम्मेलन जैसी वैश्विक बैठकों, तथा 1994 में मानवाधिकार उच्चायुक्त की नियुक्ति जैसे निर्णयों को लागू कराने में महासचिव की भूमिका केंद्रीय होती है। महासचिव यह सुनिश्चित करते हैं कि विश्व-भर में मानवाधिकारों की सुरक्षा, संवर्धन और निगरानी से संबंधित संस्थाएं प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।
इस प्रकार, संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकारों की रक्षा और प्रोत्साहन में महासचिव का योगदान योजनाओं के समन्वय, नीतिगत नेतृत्व तथा वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
(ब) मानवाधिकारों पर सार्वभौमिक उद्घोषणा।
उत्तर: मानवाधिकारों पर सार्वभौमिक उद्घोषणा संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई गई पहली और अत्यंत महत्वपूर्ण मानवाधिकार संबंधी घोषणा है। इसे 10 दिसंबर 1948 को स्वीकार किया गया, और इसी कारण यह दिन प्रतिवर्ष मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस उद्घोषणा में नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की एक व्यापक श्रृंखला शामिल है, जो सभी मनुष्यों को बिना किसी भेदभाव के प्रदान किए जाने चाहिए।
यद्यपि यह उद्घोषणा कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, फिर भी इसने आगे चलकर दो महत्वपूर्ण संविदाओं के निर्माण को प्रेरित किया—
(i) आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की संविदा।
(ii) नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की संविदा।
ये दोनों संविदाएँ 1976 से सदस्य देशों पर लागू हुईं और सार्वभौमिक उद्घोषणा के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधेयक कहलाती हैं।
(स) न्यास परिषद।
उत्तर: न्यास परिषद संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक था, जिसका मुख्य उद्देश्य उपनिवेशवाद की समाप्ति के दौर में न्यास-शासित क्षेत्रों (Trust Territories) को स्वतंत्रता दिलाना और उनके प्रशासन की निगरानी करना था। यह परिषद उन क्षेत्रों की देखरेख करती थी जो युद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय नियंत्रण में आए थे, ताकि उन्हें स्वशासन और स्वतंत्र राष्ट्र बनने की दिशा में मार्गदर्शन मिल सके।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा उपनिवेशवाद की समाप्ति को बढ़ावा देने, मानवाधिकारों के संरक्षण और आत्मनिर्णय के सिद्धांत को प्रोत्साहित करने में न्यास परिषद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जैसे-जैसे सभी न्यास क्षेत्र स्वतंत्र होते गए, परिषद का उद्देश्य पूर्ण होता गया। अंततः 1994 में पलाऊ (Palau) की स्वतंत्रता के बाद न्यास परिषद ने अपने कार्य पूर्ण मान लिए और अब यह केवल आवश्यक होने पर ही औपचारिक रूप से मिलती है।
(द) आर्थिक व सामाजिक परिषद।
उत्तर: आर्थिक व सामाजिक परिषद संयुक्त राष्ट्र का एक प्रमुख अंग है, जिसका मुख्य कार्य विश्व में आर्थिक, सामाजिक और मानवीय मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है। दिए गए अनुच्छेद में उल्लेख है कि मानवाधिकारों की सुरक्षा और प्रोत्साहन में इस परिषद ने भी सक्रिय रुचि ली है।
यह परिषद मानवाधिकार आयोग सहित विभिन्न आयोगों और समितियों के साथ मिलकर मानवाधिकारों को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों का समन्वयन करती है। मानवाधिकारों पर सार्वभौमिक उद्घोषणा तथा उससे प्रेरित अन्य संविदाओं और घोषणाओं के कार्यान्वयन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
ECOSOC विश्व भर में सामाजिक न्याय, विकास, जीवन स्तर सुधार, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानवाधिकारों से संबंधित नीतियों पर काम करता है तथा सदस्य देशों के बीच सहयोग को मजबूत बनाता है। इस प्रकार, आर्थिक व सामाजिक परिषद संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार और विकास संबंधी गतिविधियों की रीढ़ मानी जाती है।

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