NIOS Class 12 Political Science Chapter 32 संयुक्त राष्ट्र और आर्थिक तथा सामाजिक विकास

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NIOS Class 12 Political Science Chapter 32 संयुक्त राष्ट्र और आर्थिक तथा सामाजिक विकास

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Chapter: 32

वैकल्पिक मॉड्यूल – 1 विश्व व्यवस्था और संयुक्त राष्ट्र

पाठगत प्रश्न 32.1

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला विकास दशक शुरू किया गया था वर्ष __________________ में।

उत्तर: संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला विकास दशक शुरू किया गया था वर्ष 1960 में।

(ख) पहला अंकटाड (यूएनसीटीएडी) का आयोजन वर्ष _________________ में हुआ था।

उत्तर: पहला अंकटाड (यूएनसीटीएडी) का आयोजन वर्ष 1964 में हुआ था।

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(ग) संयुक्त राष्ट्र के संसाधनों के अधिकांश हिस्से का उपयोग आर्थिक और सामाजिक विकास संबंधी क्रियाकलापों के लिए होता है। (सही/गलत)

उत्तर: सही।

(घ) समूह 77 धनी व विकसित देशों का एक समूह है। (सही/गलत)

उत्तर: गलत।

पाठगत प्रश्न 32.2

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) आर्थिक और सामाजिक क्रियाकलापों के लिए पहल करने वाले संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंग ________________ और ________________ है।

उत्तर: आर्थिक और सामाजिक क्रियाकलापों के लिए पहल करने वाले संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंग महासभा और सामाजिक परिषद है।

(ख) एफएओ का मुख्यालय ________________ में हैं।

उत्तर: एफएओ का मुख्यालय रोम में हैं।

(ग) यूएन व्यवस्था में क्षेत्रीय आर्थिक आयोग _______________ के हिस्से हैं।

उत्तर: यूएन व्यवस्था में क्षेत्रीय आर्थिक आयोग आर्थिक और सामाजिक परिषद के हिस्से हैं।

(घ) अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक का संक्षिप्त नाम ________________ है।

उत्तर: अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक का संक्षिप्त नाम विश्व बैंक है।

(ङ) निम्नलिखित को सही या गलत के रूप में चिह्नित करेंः

(i) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) विकास परियोजनाओं और कार्यक्रमों के लिए वित्त उपलब्ध कराने वाली प्रमुख एजेंसी है। (सही/गलत)

उत्तर: गलत।

(ii) आइ.एम.एफ. का पूरा नाम भारतीय मुद्रा कोष है। (सही/गलत)

उत्तर: गलत।

(iii) विश्व बैंक भुगतान संतुलन को सही करने में विकासशील देशों की मदद करता है। (सही/गलत)

उत्तर: गलत।

पाठांत प्रश्न

1. आर्थिक और सामाजिक विकास संबंधी क्रियाकलापों के लिए संयुक्त राष्ट्र की संरचना बताएं।

उत्तर: संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक विकास संबंधी संरचना निम्न प्रकार से समझी जा सकती है—

संयुक्त राष्ट्र ने विकासशील देशों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कई महत्त्वपूर्ण संस्थाओं और कार्यक्रमों की स्थापना की। 1960 के दशक में पहला विकास दशक घोषित किया गया और इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) जैसी संस्थाओं की स्थापना हुई। विकासशील देशों की पहल पर 1964 में संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना और विकासशील देशों के हितों की रक्षा करना था।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1974 में असमान आर्थिक संरचना को चुनौती देते हुए नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था (NIEO) के गठन का आह्वान किया, जिसमें संसाधनों पर संप्रभुता, बहुराष्ट्रीय कंपनियों का नियमन, उचित मूल्य निर्धारण और तकनीकी व वित्तीय सहायता जैसे सिद्धांत शामिल थे।

आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर वैश्विक सहमति के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन किया, जैसे— पर्यावरण और विकास सम्मेलन (1992), मानवाधिकार सम्मेलन (1993), जनसंख्या एवं विकास सम्मेलन (1994), सामाजिक विकास सम्मेलन (1995), विश्व महिला सम्मेलन (1995) आदि। वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने सहस्राब्दी विकास लक्ष्य (MDGs) निर्धारित किए, जिनमें गरीबी समाप्ति, शिक्षा, स्वास्थ्य और मातृ-शिशु कल्याण जैसे प्राथमिक मुद्दे शामिल थे।

2. आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख पहल क्या है?

उत्तर: संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत और विकेंद्रीकृत संरचना विकसित की है। इसकी प्रमुख पहलें विभिन्न विकास अभिकरणों, आयोगों और क्षेत्रीय संगठनों के माध्यम से संचालित होती हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा और आर्थिक तथा सामाजिक परिषद (ECOSOC) इस पूरी संरचना का शीर्ष स्तर पर समन्वय और दिशा-निर्देशन करते हैं। ECOSOC अपने अधीन सांख्यिकीय आयोग, मानवाधिकार आयोग, महिला स्थिति आयोग, सामाजिक विकास आयोग और अन्य क्रियान्वयन आयोगों की सहायता से आर्थिक-सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ाता है।

इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र ने पाँच क्षेत्रीय आर्थिक आयोगों, जैसे— ESCAP, ECA, ECE आदि का गठन किया, जो अपने-अपने क्षेत्रों की विकास समस्याओं पर कार्य करते हैं।

आर्थिक और सामाजिक विकास को सशक्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कई विशिष्ट अभिकरणों की स्थापना भी की है, जो स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं, जैसे— UNDP (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम), UNICEF (अंतर्राष्ट्रीय बाल कोष), UNHCR (शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त), UNCTAD, UNIDO, UNEP, WFP (विश्व खाद्य कार्यक्रम)। ये एजेंसियाँ अपने-अपने संविधान, बजट और मुख्यालय के साथ वैश्विक स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, पर्यावरण, खाद्य सुरक्षा, बच्चों और शरणार्थियों के कल्याण जैसे क्षेत्रों में योगदान देती हैं।

3. विकास के लिए मुख्य वित्तीय एजेंसी के रूप में विश्व बैंक के क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।

उत्तर: विश्व बैंक समूह को विकास हेतु सबसे महत्वपूर्ण बहुपक्षीय वित्तीय एजेंसी माना जाता है। यह बुनियादी संरचना और आर्थिक-सामाजिक विकास परियोजनाओं के लिए सबसे बड़ा कोष उपलब्ध कराता है और अब तक लगभग 300 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान कर चुका है। विश्व बैंक मुख्य रूप से दो प्रकार के ऋण प्रदान करता है— निवेश ऋण और समायोजन ऋण।

(i) निवेश संबंधी ऋण: ये दीर्घकालिक ऋण होते हैं जिनका मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों में गरीबी कम करना और निरंतर विकास के लिए आवश्यक भौतिक व सामाजिक ढाँचे का निर्माण करना है।

विश्व बैंक प्राथमिक स्कूलों के निर्माण, ग्रामीण विकास, जल एवं स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवाएँ, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन जैसी परियोजनाओं को वित्तीय सहायता देता है। इसके कुल ऋणों में 75–80% हिस्सा इसी प्रकार के ऋणों का होता है।

(ii) समायोजन ऋण: ये अल्पकालिक ऋण हैं जिनका उद्देश्य बाजार संरचनाओं, आर्थिक नीतियों और राजनीतिक व्यवस्थागत सुधारों को बढ़ावा देना है। पिछले दो दशकों में समायोजन ऋण कुल ऋण का लगभग 20–25% हिस्सा रहे हैं।

विश्व बैंक विकासशील देशों के लिए सबसे बड़ा वित्त पोषण स्रोत है, विशेषकर अवसंरचना विकास, गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य और संसाधन प्रबंधन के क्षेत्रों में। यद्यपि इसकी आलोचना भी होती है क्योंकि इसकी संरचना लोकतांत्रिक नहीं है और इसमें मतदान अधिकार वित्तीय योगदान पर आधारित होते हैं, जिससे धनी देशों का प्रभाव अधिक रहता है।

4. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के कार्यों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), जिसकी स्थापना 1965 में हुई, संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था का सबसे प्रमुख विकास अभिकरण है। यह विकासशील देशों को वित्तीय सहायता तो सीधे प्रदान नहीं करता, लेकिन तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, विशेषज्ञ उपलब्ध कराने तथा विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यूएनडीपी अब तक विभिन्न परियोजनाओं पर 40 अरब डॉलर से अधिक खर्च कर चुका है।

यूएनडीपी के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं—

(i) तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करना: यूएनडीपी विकासशील देशों को तकनीकी विशेषज्ञ उपलब्ध कराता है और उनकी क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करता है।

(ii) लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण: भारत में यूएनडीपी ने खाद्य सुरक्षा एवं कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर बल दिया और महिला सशक्तिकरण को अपने विकास कार्यक्रम का महत्वपूर्ण अंग बनाया।

(iii) आपातकालीन सहायता: यूएनडीपी ने फिलीस्तीनी क्षेत्रों को आपातकालीन सहायता के रूप में 1.5 लाख डॉलर प्रदान किए।

(iv) लोकतांत्रिक शासन को बढ़ावा देना: मई 2001 में यूएनडीपी ने सबसे कम विकसित देशों में सार्वजनिक क्षेत्र सुधार, संसदीय व्यवस्था में सुधार, संघर्ष रोकथाम और शांति स्थापना हेतु लोकतांत्रिक शासन ट्रस्ट कोष की स्थापना की।

(v) नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन: भारत सरकार के सहयोग से गुजरात के कच्छ जिले में 2004 में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 4 वर्षीय परियोजना शुरू की गई।

(vi) सामुदायिक स्वास्थ्य सुधार: यूएनडीपी ने भारत में सामुदायिक स्वास्थ्य क्षेत्र में वित्तीय पहल का समर्थन किया, ताकि ग्रामीण और शहरी झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों की बड़ी आबादी स्वास्थ्य सेवाओं के दायरे में आ सके।

(vii) तकनीकी प्रशिक्षण को बढ़ावा: 23 जनवरी 2004 को यूएनडीपी ने विकासशील देशों के सामूहिक शिक्षण केंद्रों में तकनीकी प्रशिक्षण की नई शुरुआत की।

5. बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने में यूनीसेफ की भूमिका का वर्णन कीजिए।

उत्तर: यूनिसेफ की स्थापना 1946 में बच्चों के जीवन-स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से की गई थी। यह संगठन विशेषकर वंचित और कमजोर बच्चों की समस्याओं पर ध्यान देता है। बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए यूनिसेफ ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, मलेरिया उन्मूलन, ग्रामीण विकास, परिवार एवं बाल कल्याण तथा आपातकालीन सहायता जैसी कई योजनाएँ चलाई हैं। इन सामाजिक और मानवीय कार्यों के लिए यूनिसेफ को 1965 में नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला।

भारत में भी यूनिसेफ ने बच्चों के लिए एक सुरक्षित और बेहतर वातावरण तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने पीने के पानी में अत्यधिक फ्लोराइड की समस्या की पहचान की, विशेषकर राजस्थान और आंध्र प्रदेश में, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता था। इस प्रकार, यूनिसेफ ने बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

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