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NIOS Class 12 Political Science Chapter 33 लोक सेवा आयोग
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लोक सेवा आयोग
Chapter: 33
| वैकल्पिक मॉड्यूल – 2 भारत की प्रशासनिक व्यवस्था |
पाठगत प्रश्न 33.1
1. सही उत्तर पर (√) का निशान लगाइए:
(i) सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था संचालित होती है-
(क) चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा।
(ख) मंत्रियों द्वारा।
(ग) सिविल सर्वेट द्वारा।
(घ) भारत के लोगों द्वारा।
उत्तर: (ग) सिविल सर्वेट द्वारा।
(ii) सिविल सर्वेट की नियुक्ति करने वाली स्वतंत्र संवैधानिक एजेंसी है:
(क) कर्मचारी चयन बोर्ड।
(ख) चुनाव आयोग।
(ग) योजना आयोग।
(घ) लोक सेवा आयोग।
उत्तर: (घ) लोक सेवा आयोग।
(iii) सिविल सर्वेट की भर्ती के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी की जरूरत है क्योंकिः
(क) यह लोक सेवाओं में योग्यता व्यवस्था और निष्पक्षता बनाए रखती है।
(ख) यह लोगों के अधिकारों की रक्षा करती है।
(ग) यह मंत्रियों की आकांक्षाओं की पूर्ति करती है।
(घ) यह सिविल सर्वेट की नियुक्ति करने वाला प्राधिकार है।
उत्तर: (क) यह लोक सेवाओं में योग्यता व्यवस्था और निष्पक्षता बनाए रखती है।
पाठगत प्रश्न 33.2
1. सही उत्तर पर (√) का निशान लगाइए:
(i) लोक सेवा आयोग एक-
(क) संवैधानिक इकाई है।
(ख) वैधानिक इकाई है।
(ग) कार्यकारी निर्णय द्वारा स्थापित इकाई है।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर: (क) संवैधानिक इकाई है।
(ii) लोक सेवा आयोग काम करता है-
(क) एक भर्ती एजेंसी के रूप में।
(ख) वैधानिक इकाई है।
(ग) सभी सरकारी नियुक्तियों के मामले में सलाहकार इकाई के रूप में।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर: (क) एक भर्ती एजेंसी के रूप में।
(iii) यूपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों को उनके पद से हटाया जा सकता है-
(क) मंत्री परिषद द्वारा।
(ख) राष्ट्रपति द्वारा।
(ग) प्रधानमंत्री द्वारा।
(घ) सर्वोच्च न्यायाल द्वारा।
उत्तर: (ख) राष्ट्रपति द्वारा।
पाठगत प्रश्न 33.3
1. सही उत्तर पर (√) का निशान लगाइए:
(i) यूपीएससी के वार्षिक रिपोर्ट को पेश करना भारत के राष्ट्रपति का दायित्व हैः
(क) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष।
(ख) संसद के समक्ष।
(ग) भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के समक्ष।
(घ) मंत्री परिषद के समक्ष।
उत्तर: (ख) संसद के समक्ष।
(ii) भारतीय संविधान की धारा 321 के अंतर्गत केन्द्रीय लोक सेवा आयोग को अतिरिक्त क्रियाकलाप सौंपे जा सकते हैं:
(क) राष्ट्रपति द्वारा।
(ख) प्रधानमंत्री द्वारा।
(ग) संसद द्वारा।
(घ) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा।
उत्तर: (ग) संसद द्वारा।
पाठगत प्रश्न 33.4
1. सही उत्तर पर (√) का निशान लगाइए:
(i) राज्य पीएससी के सदस्य अपने पद पर इस उम्र सीमा तक रह सकते हैं:
(क) 60 वर्ष।
(ख) 62 वर्ष।
(ग) 63 वर्ष।
(घ) 64 वर्ष।
उत्तर: (ख) 62 वर्ष।
(ii) एसपीएससी के सदस्य का कार्यकाल होता है:
(क) 4 वर्ष।
(ख) 5 वर्ष।
(ग) 6 वर्ष।
(घ) 7 वर्ष।
उत्तर: (ग) 6 वर्ष।
(iii) संयुक्त लोक सेवा आयोग की नियुक्ति होती है:
(क) राष्ट्रपति द्वारा।
(ख) राज्यपाल द्वारा।
(ग) प्रधानमंत्री द्वारा।
(घ) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा।
उत्तर: (क) राष्ट्रपति द्वारा।
पाठांत प्रश्न
1. सिविल सर्वेट की भर्ती करने वाली किसी स्वतंत्र एजेंसी के प्रमुख के बारे में बताएं।
उत्तर: सिविल सेवकों की भर्ती करने वाली स्वतंत्र एजेंसी एक आयोग (लोक सेवा आयोग) होती है।
मुख्य बिंदु:
(i) आयोग एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष भर्ती एजेंसी है।
(ii) इसका प्रमुख अध्यक्ष होता है।
(iii) अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति सरकार (संविधान के अनुसार राष्ट्रपति/राज्यपाल) द्वारा की जाती है।
2. केंद्रीय लोक सेवा आयोग की रचना और क्रियाकलापों की व्याख्या करें।
उत्तर: संविधान के अनुसार केंद्र सरकार की उच्च स्तरीय लोक सेवाओं की भर्ती के लिए केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) की स्थापना की गई है। इसकी रचना पूरी तरह स्वतंत्र और स्वायत्त है ताकि भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष रह सके। आयोग में एक अध्यक्ष और छह से आठ सदस्य होते हैं, और वर्तमान में अध्यक्ष सहित नौ सदस्य कार्यरत हैं। इनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। संविधान यह भी निर्धारित करता है कि आयोग के कम से कम आधे सदस्य वे हों जिनके पास केंद्र या राज्य सरकार की कम से कम दस वर्ष की सेवा का अनुभव हो।
किसी सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है। सेवा में रहते हुए आयोग के सदस्यों की शर्तों में ऐसा कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता जिससे उन्हें नुकसान पहुंचे। आयोग के अध्यक्ष को भविष्य में किसी सरकारी नौकरी की अनुमति नहीं होती, जबकि अन्य सदस्यों को भविष्य में UPSC या राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। आयोग के सदस्यों का वेतन और भत्ते भारत सरकार के संचित कोष से दिए जाते हैं, इसीलिए संसदीय नियंत्रण इन पर लागू नहीं होता।
आयोग का मुख्य कार्य केंद्र सरकार की उच्च सेवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया का संचालन करना और सरकार को नियुक्ति संबंधी सलाह देना है। यह केवल एक भर्ती एजेंसी है, नियुक्ति का अंतिम अधिकार सरकार के पास रहता है। आयोग की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए यह भी प्रावधान है कि राष्ट्रपति द्वारा ही किसी सदस्य या अध्यक्ष को दुर्व्यवहार, दिवालियापन, मानसिक या शारीरिक अयोग्यता अथवा किसी वेतनयुक्त रोजगार से जुड़े होने पर पद से हटाया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय की जांच के बाद ही ऐसी कार्रवाई संभव होती है। इस प्रकार UPSC एक महत्वपूर्ण, निष्पक्ष और संवैधानिक संस्था है, जो प्रशासनिक सेवाओं की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
3. संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति किस तरह से की जाती है और इसके लिए क्या योग्यताएं हैं?
उत्तर: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति और उनकी योग्यताएँ संविधान द्वारा निर्धारित हैं। केंद्रीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। आयोग में एक अध्यक्ष और छह से आठ सदस्य होते हैं, और वर्तमान में अध्यक्ष सहित नौ सदस्य कार्यरत हैं। नियुक्ति के समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि आयोग के कम से कम आधे सदस्य वे हों जिन्हें केंद्र या राज्य सरकार के अधीन कम से कम दस वर्ष का प्रशासनिक अनुभव प्राप्त हो। सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है।
इसी प्रकार राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है। सदस्यों की संख्या भी राज्यपाल ही तय करते हैं। यहां भी वही प्रावधान लागू होता है कि आयोग के कम से कम आधे सदस्यों को केंद्र या राज्य सरकार के अंतर्गत न्यूनतम दस वर्ष की सेवा का अनुभव होना चाहिए। राज्य आयोग के सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष या 62 वर्ष की आयु तक निर्धारित है। हालांकि राज्यपाल नियुक्ति करते हैं, लेकिन किसी सदस्य को हटाने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास होता है।
4. किस तरह से भारत का संविधान लोक सेवा आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है?
उत्तर: भारत का संविधान लोक सेवा आयोग को बाहरी तथा सरकारी प्रभावों से मुक्त रखने के लिए अनेक सुरक्षा उपाय प्रदान करता है। सबसे पहले, आयोग के सदस्यों की नियुक्ति एक निश्चित अवधि छः वर्ष या फिर निर्धारित आयु सीमा तक की जाती है (UPSC सदस्यों के लिए 65 वर्ष और SPSC सदस्यों के लिए 62 वर्ष)। इससे सरकार के मनमाने ढंग से सदस्य बदलने की संभावना समाप्त हो जाती है। दूसरा, सदस्यों की सेवा शर्तों में उनके कार्यकाल के दौरान कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता, जिससे सरकार उन पर दबाव नहीं बना सकती। तीसरा, किसी सदस्य को हटाने की प्रक्रिया अत्यंत कठोर है— राष्ट्रपति केवल सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श के बाद ही विशिष्ट आधारों पर उन्हें हटा सकते हैं।
इसके अलावा, आयोग का व्यय भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से होता है, जिस पर कार्यपालिका का सीधा नियंत्रण नहीं रहता, इसलिए वित्तीय स्वतंत्रता बनी रहती है। आयोग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मुद्दों को छोड़कर सरकार द्वारा जारी किसी भी निर्देश को संसद या राज्य विधानमंडल के सामने रखना अनिवार्य है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होती है। अंत में, किसी सदस्य की सेवा-आयु या कार्यकाल सीमा से आगे नियुक्ति का पूर्ण निषेध आयोग की तटस्थता को और मज़बूत करता है। इन सभी प्रावधानों से संविधान लोक सेवा आयोग की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और स्वायत्तता को सुरक्षित रखता है।

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