NIOS Class 12 Political Science Chapter 22 संप्रदायवाद, जाति और आरक्षण Solutions Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapters NIOS Class 12 Political Science Chapter 22 संप्रदायवाद, जाति और आरक्षण Notes and select need one. NIOS Class 12 Political Science Chapter 22 संप्रदायवाद, जाति और आरक्षण Question Answers Download PDF. NIOS Study Material of Class 12 Political Science Notes Paper Code: 317.
NIOS Class 12 Political Science Chapter 22 संप्रदायवाद, जाति और आरक्षण
Also, you can read the NIOS book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per National Institute of Open Schooling (NIOS) Book guidelines. These solutions are part of NIOS All Subject Solutions. Here we have given NIOS Class 12 Political Science Chapter 22 संप्रदायवाद, जाति और आरक्षण, NIOS Senior Secondary Course Political Science Solutions in Hindi Medium for All Chapter, You can practice these here.
संप्रदायवाद, जाति और आरक्षण
Chapter: 22
| मॉड्यूल – 5 प्रमुख समकालीन मुद्दे |
पाठगत प्रश्न 22.1
1. भारत में बढ़ते संप्रदायवाद का कारण है—
(क) अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति।
(ख) स्वतंत्रता आंदोलन।
(ग) भारत की धर्मनिरपेक्ष भावना।
उत्तर: (क) अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति।
2. संप्रदायवाद की प्रमुख विशेषता ________________ और ________________ है।
उत्तर: संप्रदायवाद की प्रमुख विशेषता असहिष्णुता और अतिवाद है।
3. ________________ और राजनीतिक वर्ग के बीच अंतर्संबंध सांप्रदायिक हिंसा को उत्पन्न करते हैं।
उत्तर: अपराधी तत्व और राजनीतिक वर्ग के बीच अंतर्संबंध सांप्रदायिक हिंसा को उत्पन्न करते हैं।
4. लोगों की समस्याएँ संप्रदायवाद के द्वारा दूर होती हैं। (सत्य/असत्य)
उत्तर: असत्य।
पाठगत प्रश्न 22.2
1. रिक्त स्थान भरिए-
(क) ________________ भारतीय सामाजिक ढांचे के आधार हैं।
उत्तर: जातियाँ भारतीय सामाजिक ढांचे के आधार हैं।
(ख) जाति व्यवस्था में, जातियाँ ________________ के रूप में विभाजित हैं।
उत्तर: जाति व्यवस्था में, जातियाँ वंशानुगत के रूप में विभाजित हैं।
(ग) जाति व्यवस्था ________________ के रूप में भी जानी जाती है। इसका आधार ________________ श्रम विभाजन है।
उत्तर: जाति व्यवस्था वर्ण व्यवस्था के रूप में भी जानी जाती है। इसका आधार सामाजिक श्रम विभाजन है।
(घ) जाति व्यवस्था में व्यवसाय का चयन _________________ नहीं था, लेकिन इसके निर्धारण का आधार प्रत्येक का _________________ नहीं था।
उत्तर: जाति व्यवस्था में व्यवसाय का चयन मुक्त नहीं था, लेकिन इसके निर्धारण का आधार प्रत्येक का जाति नहीं था।
पाठगत प्रश्न 22.3
(क) संविधान में अनुसूचित जातियों के लिए ________________ स्थान एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए _______________ स्थान आरक्षित हैं।
उत्तर: संविधान में अनुसूचित जातियों के लिए 15 स्थान एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 स्थान आरक्षित हैं।
(ख) संविधान अन्य पिछड़े वर्गों की पहचान नहीं करता है। (सत्य/असत्य)
उत्तर: सत्य।
(ग) अन्य पिछड़ी जातियों से संबद्ध आयोग, जिसने उसके लिए अपनी संस्तुतियां प्रस्तुत की हैं, उनका नाम है—
(क) सरकारिया आयोग।
(इ) मंडल आयोग।
(ब) रामानंद प्रसाद समिति।
उत्तर: (इ) मंडल आयोग।
(घ) उच्चतम न्यायालय के अनुसार अन्य पिछड़ी जातियों के अन्तर्गत ________________ को आरक्षण की सुविधा प्राप्त नहीं है।
उत्तर: उच्चतम न्यायालय के अनुसार अन्य पिछड़ी जातियों के अन्तर्गत क्रीमी लेयर को आरक्षण की सुविधा प्राप्त नहीं है।
पाठगत प्रश्न
1. संप्रदायवाद क्या है?
उत्तर: संप्रदायवाद वह विचारधारा है जिसमें लोग अपने धर्म या संप्रदाय को दूसरों से श्रेष्ठ मानते हुए आपसी धार्मिक विद्वेष पैदा करते हैं। यह धर्म को नैतिक मूल्य के रूप में नहीं, बल्कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए एक हथियार की तरह उपयोग करता है। चूँकि इसकी नींव धार्मिक द्वेष पर आधारित होती है, इसलिए यह समाज में तनाव और हिंसा को जन्म देता है।
2. भारतीय समाज में जाति की भूमिका को संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर: भारतीय समाज की सामाजिक संरचना का आधार जाति प्रथा है, जो प्राचीन वर्णाश्रम व्यवस्था से विकसित हुई। जाति ने समाज में सामाजिक-आर्थिक असमानता को बनाए रखा, जहाँ निम्न जातियों और विशेषकर दलितों को छुआछूत, भेदभाव और अनेक सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा।
जाति केवल चार वर्णों तक सीमित नहीं रही, बल्कि हजारों जातियों और उपजातियों में विभाजित हो गई, जिनकी सदस्यता जन्म पर आधारित होती है और जिनके अपने विवाह, खान-पान और सामाजिक नियम होते हैं। जाति पारंपरिक व्यवसायों से भी जुड़ी रहती है, जिसमें पेशे का चयन जन्म से तय माना जाता था।
समय के साथ आधुनिक विचारधाराओं, सामाजिक-धार्मिक आंदोलनों और राजनीतिक प्रक्रियाओं ने जातिगत पहचान को और भी मजबूत किया। निम्न जातियाँ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुईं और राजनीति में एक संगठित शक्ति के रूप में उभरीं। स्वतंत्रता के समय तक उनका राजनीतिक प्रभाव इतना बढ़ गया कि उनकी मांगों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता था। इसी पृष्ठभूमि में संविधान निर्माताओं ने उनके ऐतिहासिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए आरक्षण की नीति लागू की, जिसके अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों को विशेष अवसर दिए गए। इस प्रकार, जाति ने भारतीय समाज, राजनीति और सामाजिक न्याय की नीतियों को गहराई से प्रभावित किया है।
3. भारत में आरक्षण नीति की चर्चा कीजिए।
उत्तर: भारत में आरक्षण नीति का उद्देश्य सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाना और उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराना है। संविधान निर्माताओं ने माना कि पिछड़ी जातियों के ऐतिहासिक पिछड़ेपन को दूर किए बिना समतामूलक समाज की स्थापना संभव नहीं है, इसलिए संरक्षणात्मक भेदभाव (Protective discrimination) के रूप में आरक्षण की नीति लागू की गई।
(i) आरक्षण का मूल आधार: अनुच्छेद 38 और 46 के अनुसार राज्य का कर्तव्य है कि वह समाज के सामान्य और पिछड़े वर्गों के कल्याण, उनकी आर्थिक असमानता को कम करने तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों को शोषण से मुक्त कर न्यायिक संरक्षण दे। इसी आधार पर आरक्षण को समानता के अधिकार के अंतर्गत एक विशेष प्रावधान के रूप में स्वीकार किया गया।
(ii) अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षण: संविधान ने SC और ST के लिए तीन क्षेत्रों में आरक्षण की व्यवस्था की—
(क) सरकारी नौकरियाँ: 15% (SC) और 7.5% (ST)।
(ख) शैक्षिक संस्थान: धारा 15(4) के तहत सीटों का आरक्षण।
(ग) विधायी प्रतिनिधित्व: लोकसभा में 78 सीटें SC के लिए और 38 सीटें ST के लिए, तथा राज्य विधानसभाओं में भी व्यापक आरक्षण। पंचायती राज संस्थाओं में भी इसी प्रकार सीटें आरक्षित हैं।
(iii) अन्य पिछड़ी जातियाँ (OBC) के लिए आरक्षण: OBC की पहचान केंद्र और राज्य सरकारों को सौंप दी गई। राज्यों में आरक्षण पहले लागू हुआ, लेकिन केंद्र सरकार ने मंडल आयोग (1978) की सिफारिशों के आधार पर 1990 में 27% आरक्षण लागू किया। सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में आदेश दिया कि क्रीमी लेयर को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। OBC को केवल सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिला है; लोकसभा या विधानसभाओं में उनके लिए सीटें आरक्षित नहीं हैं।
(iv) महिलाओं के लिए आरक्षण: महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए पंचायतों, ब्लॉकों और जिला स्तर पर सीटें आरक्षित की गईं। राष्ट्रीय और राज्य स्तर की विधानसभाओं में महिलाओं के आरक्षण पर अभी भी बहस जारी है, जबकि महिला आरक्षण विधेयक अभी लंबित है।

Hi! my Name is Parimal Roy. I have completed my Bachelor’s degree in Philosophy (B.A.) from Silapathar General College. Currently, I am working as an HR Manager at Dev Library. It is a website that provides study materials for students from Class 3 to 12, including SCERT and NCERT notes. It also offers resources for BA, B.Com, B.Sc, and Computer Science, along with postgraduate notes. Besides study materials, the website has novels, eBooks, health and finance articles, biographies, quotes, and more.



