NIOS Class 12 Political Science Chapter 21 जनमत तथा दबाव समूह

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NIOS Class 12 Political Science Chapter 21 जनमत तथा दबाव समूह

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Chapter: 21

मॉड्यूल – 4 व्यवहार में लोकतंत्र

पाठगत प्रश्न 21.1

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) जनता समाज का एक ऐसा वर्ग है, जो ________________ अधिकारों का प्रयोग करती है। (समान/विशेष)

उत्तर: जनता समाज का एक ऐसा वर्ग है, जो समान अधिकारों का प्रयोग करती है।

(ख) जनमत समाज के किसी एक वर्ग या कई वर्गों द्वारा उनसे जुड़े मुद्दों पर ________________ विचार या दृष्टिकोण को कहते हैं। (व्यवस्थित और ठीक ढंग से सोचे-समझे/निजी और प्रबुद्ध)

उत्तर: जनमत समाज के किसी एक वर्ग या कई वर्गों द्वारा उनसे जुड़े मुद्दों पर व्यवस्थित और ठीक ढंग से सोचे-समझे विचार या दृष्टिकोण को कहते हैं।

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(ग) जनमत सर्वसम्मति से लिया गया मत या विचार ________________ है। (होता/नहीं होता)

उत्तर: जनमत सर्वसम्मति से लिया गया मत या विचार नहीं होता है।

(घ) जनमत का कोई निश्चित स्थान या क्षेत्र ________________। (नहीं है/है)

उत्तर: जनमत का कोई निश्चित स्थान या क्षेत्र नहीं है।

पाठगत प्रश्न 21.2

I. रिक्त स्थान भरिए-

(क) नीति निर्धारण एवं कानून निर्माण के संदर्भ में सरकार ________________ को बहुत महत्व देती है। (जनमत/राजनीतिक दलों के विचार)

उत्तर: नीति निर्धारण एवं कानून निर्माण के संदर्भ में सरकार जनमत को बहुत महत्व देती है।

(ख) जनमत सरकार के प्रति एक _________________ के रूप में कार्य करता है। (प्रहरी/मित्र)

उत्तर: जनमत सरकार के प्रति एक प्रहरी के रूप में कार्य करता है।

(ग) सरकारें आज अंतर्राष्ट्रीय जनमत के प्रति सतर्क _________________। (हैं/नहीं हैं)

उत्तर: सरकारें आज अंतर्राष्ट्रीय जनमत के प्रति सतर्क हैं

II. सत्य व असत्य चुनिए:

(क) सरकार आसानी से जनमत की अवहेलना कर सकती है। (सत्य/असत्य)

उत्तर: असत्य।

(ख) जनमत सरकार को मनमाने कार्य करने से रोकता है। (सत्य/असत्य)

उत्तर: सत्य।

(ग) अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा करने में जनमत का कोई प्रभाव नहीं होता। (सत्य/असत्य)

उत्तर: असत्य।

(घ) अंतर्राष्ट्रीय संबंध जनमत द्वारा प्रभावित होते हैं। (सत्य/असत्य)

उत्तर: सत्य।

पाठगत प्रश्न 21.3

I. सही उत्तर पर (√) का चिह्न लगाएं-

(क) घर और परिवार ऐसी अनौपचारिक एजेंसियाँ हैं, जो जनमत को प्रभावित करती हैं। (सत्य/असत्य)

उत्तर: सत्य।

(ख) जनमत विचारों की विविधता को नहीं दर्शाता। (सत्य/असत्य)

उत्तर: असत्य।

(ग) किशोर जनसंख्या दूसरे के विचारों से प्रभावित नहीं होती। (सत्य/असत्य)

उत्तर: असत्य।

(घ) मतगणना सरकार के प्रति जनता की संतुष्टि को जाँचने वाला एक बैरोमीटर है। (सत्य/असत्य)

उत्तर: सत्य।

(ङ) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सामाजिक जीवन के प्रतिबिंव के रूप में कार्य करती है। (सत्य/असत्य)

उत्तर: सत्य।

(च) जनता स्थायी और राष्ट्रीय मामलों में कोई रुचि नहीं लेती। (सत्य/असत्य)

उत्तर: असत्य।

II. रिक्त स्थान भरिए-

(क) टेलीविज़न और रेडियो ________________ जनता के विचारों को भी निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। (शिक्षित/अशिक्षित)

उत्तर: टेलीविज़न और रेडियो अशिक्षित जनता के विचारों को भी निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

(ख) सिनेमा और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का लोगों की मानसिकता पर _________________ प्रभाव पड़ता है। (स्वाभाविक और अस्वाभिक)

उत्तर: सिनेमा और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का लोगों की मानसिकता पर स्वाभाविक प्रभाव पड़ता है।

(ग) सार्वजनिक सभाएँ वक्ता और _________________ के बीच निजी संपर्क स्थापित करती हैं। (श्रोता/दर्शक)

उत्तर: सार्वजनिक सभाएँ वक्ता और श्रोता के बीच निजी संपर्क स्थापित करती हैं।

पाठगत प्रश्न 21.4

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) एक स्वस्थ जनमत के निर्माण के लिए प्रेस को ________________ और _______________ होना चाहिए। (पक्षपाती निष्पक्ष, स्वतंत्र निष्पक्ष)

उत्तर: एक स्वस्थ जनमत के निर्माण के लिए प्रेस को निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए।

(ख) लोकतंत्र में लोगों व राजनीतिक दलों को _______________ व ________________ जैसी भावनाओं से ऊपर उठना चाहिए। (जाति संप्रदाय, धर्मनिरपेक्षता/देशभक्ति)

उत्तर: लोकतंत्र में लोगों व राजनीतिक दलों को जातिसंप्रदाय जैसी भावनाओं से ऊपर उठना चाहिए।

(ग) स्वस्थ जनमत का निर्माण आर्थिक रूप से ________________ समाज में होता है। (संतुलित/असंतुलित)

उत्तर: स्वस्थ जनमत का निर्माण आर्थिक रूप से संतुलित समाज में होता है।

पाठगत प्रश्न 21.5

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) दबाव समूहों को दबाव समूह इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वे सरकार पर ________________ डालते हैं। (दबाव/आलोचना)

उत्तर: दबाव समूहों को दबाव समूह इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वे सरकार पर दबाव डालते हैं।

(ख) दबाव समूह _______________ से अलग प्रकृति के होते हैं क्योंकि ये चुनावों में भाग नहीं लेते। (राजनीतिक दलों/गैर सरकारी समूहों)

उत्तर: दबाव समूह राजनीतिक दलों से अलग प्रकृति के होते हैं क्योंकि ये चुनावों में भाग नहीं लेते।

(ग) दबाव समूह ________________ को लामबंद करने में सहायता करते हैं। (जनमत/राजनीतिक दल)

उत्तर: दबाव समूह जनमत को लामबंद करने में सहायता करते हैं।

(घ) दबाव समूहों के कार्य करने का तरीका राजनीतिक प्रणाली ________________ होता है। (से अलग/के समान)

उत्तर: दबाव समूहों के कार्य करने का तरीका राजनीतिक प्रणाली से अलग होता है।

(ङ) राजनीतिक संस्कृति तथा नेताओं व लोगों का व्यवहार दबाव समूहों की कार्यपद्धति को प्रभावित _________________ है। (करता/नहीं करता)

उत्तर: राजनीतिक संस्कृति तथा नेताओं व लोगों का व्यवहार दबाव समूहों की कार्यपद्धति को प्रभावित करता है।

पाठगत प्रश्न 21.6

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) दबाव समूह जनता को बहुत-से ________________ मुद्दों के प्रति संवेदशील बनाते हैं। (सार्वजनिक/निजी)

उत्तर: दबाव समूह जनता को बहुत-से सार्वजनिक मुद्दों के प्रति संवेदशील बनाते हैं।

(ख) दबाव समूह ______________ और _______________ के बीच एक योजक के रूप में कार्य करते हैं। (सरकार, नागरिकों/सरकार, राजनीतिक दलों)

उत्तर: दबाव समूह सरकार और नागरिकों के बीच एक योजक के रूप में कार्य करते हैं।

(ग) किसी भी देश के _______________ दबाव समूहों के कार्यों और उनके उद्देश्यों को सुनिश्चित करते हैं। (राजनीतिक संस्थान/सामाजिक संस्थान)

उत्तर: किसी भी देश के राजनीतिक संस्थान दबाव समूहों के कार्यों और उनके उद्देश्यों को सुनिश्चित करते हैं।

पाठगत प्रश्न 21.7

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) राजनीतिक उद्देश्य हेतु कार्य करते समय दबाव समूह ______________ उपायों का प्रयोग सरकार पर दबाव बनाने के लिए करते हैं। (उदार/उग्र)

उत्तर: राजनीतिक उद्देश्य हेतु कार्य करते समय दबाव समूह उग्र उपायों का प्रयोग सरकार पर दबाव बनाने के लिए करते हैं।

(ख) _____________ दबाव समूह अपनी माँगों को पूरा करवाने में सफल हो जाते हैं। (शक्तिशाली/कमजोर)

उत्तर: शक्तिशाली दबाव समूह अपनी माँगों को पूरा करवाने में सफल हो जाते हैं।

(ग) दबाव समूह विभिन्न _______________ कार्यपद्धतियों का प्रयोग करके जनमत को आकार प्रदान करने का प्रयास करते हैं। (प्रचार/गोपनीय)

उत्तर: दबाव समूह विभिन्न प्रचार कार्यपद्धतियों का प्रयोग करके जनमत को आकार प्रदान करने का प्रयास करते हैं।

पाठांत प्रश्न

1. जनमत की परिभाषा दें।

उत्तर: जनमत वह व्यवस्थित और सोच-समझकर व्यक्त किया गया मत है, जो समाज के किसी एक वर्ग या अनेक वर्गों के समान हितों से जुड़े मुद्दों पर उनके विचारों का प्रतिनिधित्व करता है। यह किसी व्यक्ति विशेष, विशेषज्ञ या बहुमत का मत नहीं होता, बल्कि समाज के ऐसे वर्ग के विचार होते हैं जिनके हित समान हों और जो जनसाधारण से जुड़े प्रश्नों पर एक दृष्टिकोण रखते हों।

2. भारत की लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में जनमत की भूमिका को जाँचे।

उत्तर: भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जनमत शासन प्रणाली का एक अनिवार्य घटक है। जनमत नागरिकों के विचारों की संगठित अभिव्यक्ति है, जिसे कोई भी सरकार नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती। लोकतंत्र की शक्ति इसी बात पर आधारित है कि सरकार जनता की इच्छाओं और सोच का सम्मान करे।

भारत में जनमत सरकार के लिए पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाता है। चुनावों में मिले जनादेश के आधार पर सरकार नीतियाँ बनाती है और जनता से किए वादों को पूरा करने का प्रयास करती है। कानून निर्माण के समय भी जनमत सरकार पर सकारात्मक दबाव बनाए रखता है, जिसके कारण सरकार जनहित में नीतियाँ और कानून बनाने के लिए प्रेरित होती है।

जनमत एक प्रहरी की तरह कार्य करता है, जो सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करके उसे जवाबदेह बनाए रखता है। अगर सरकार जनता की इच्छा के विरुद्ध कार्य करे, तो जनमत उसे सत्ता से हटाने की क्षमता रखता है। यह नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं का रक्षक भी है, क्योंकि जनता अपनी इच्छा से सरकार की प्रशंसा या आलोचना कर सकती है, जिससे सरकार सतर्क रहती है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत के निर्णय आज वैश्विक जनमत से प्रभावित होते हैं, जैसे— मानवाधिकार, पर्यावरण संरक्षण, भेदभावरोधी नीतियाँ, आतंकवाद आदि मुद्दे। इस प्रकार जनमत भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को न केवल मजबूती देता है, बल्कि सरकार को देश और दुनिया—दोनों के प्रति उत्तरदायी बनाता है।

3. जनमत निर्माण की एजेंसियों का वर्णन करें।

उत्तर: जनमत के निर्माण की कोई स्वचालित प्रक्रिया नहीं होती, बल्कि समाज में मौजूद कई औपचारिक और अनौपचारिक संस्थाएँ इसे आकार देती हैं।

प्रमुख एजेंसियाँ इस प्रकार हैं—

(i) राजनीतिक सामाजीकरण: राजनीतिक सामाजीकरण वह मूल प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से व्यक्ति परिवार, पड़ोस, मित्र समूह आदि के संपर्क में आकर राजनीतिक मुद्दों के प्रति सजग होता है। परिवार और मित्र समूह किसी व्यक्ति की राजनीतिक सोच और दृष्टिकोण को आकार देकर जनमत निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

(ii) प्रेस: समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, पैम्फलेट और इश्तेहार जनता को सामाजिक-राजनीतिक घटनाओं की जानकारी देते हैं। प्रेस जनता की आवाज़ सरकार तक पहुँचाता है तथा सरकार की नीतियों की आलोचना-सराहना के माध्यम से जनमत को प्रभावित करता है। सरकार भी प्रेस का उपयोग अपनी नीतियों के प्रचार के लिए करती है।

(iii) रेडियो और टेलीविज़न: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया शिक्षित और अशिक्षित दोनों वर्गों को प्रभावित करता है। यह सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता फैलाता है और लोगों को सरकारी नीतियों, सामाजिक मुद्दों और हिंसा-सांप्रदायिकता जैसे विषयों पर शिक्षित करता है।

(iv) सिनेमा: सिनेमा मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर नए विचार प्रस्तुत करता है। फीचर फिल्में और डॉक्यूमेंट्री लोगों के मानसिक दृष्टिकोण को प्रभावित करती हैं और जनमत के निर्माण में सहायक होती हैं।

(v) सार्वजनिक सभाएँ: सभा, सम्मेलन, संगोष्ठियाँ, कार्यशालाएँ और रैलियाँ—ये सब बड़ी संख्या में लोगों को जोड़कर सार्वजनिक मुद्दों पर विचार निर्मित करती हैं। इन सभाओं के माध्यम से लोग भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय बनाते हैं।

(vi) राजनीतिक दल: राजनीतिक दल जनमत को संगठित करते हैं और लोगों को सार्वजनिक समस्याओं से अवगत कराते हैं। घोषणापत्र, पैम्फलेट, इश्तेहार आदि के माध्यम से वे जनता में राजनीतिक चेतना फैलाते हैं और जनमत को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं।

(vii) जनमत सर्वेक्षण: ये विभिन्न मुद्दों पर जनता के रुझान और व्यवहार की जानकारी देते हैं। हालाँकि कभी-कभी इनके परिणाम गलत साबित होते हैं, फिर भी जनमत को समझने में यह एक अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है।

(viii) शिक्षण संस्थान: स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, साहित्य मंडल, पुस्तकालय व अन्य शैक्षिक गतिविधियाँ— जैसे, वाद-विवाद, नाटक, चित्र-लेखन, किशोरों और युवाओं को राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। शिक्षाविद् और बुद्धिजीवी भी जनमत निर्माण में योगदान देते हैं।

4. एक स्वस्थ जनमत के निर्माण में आने वाली बाधाओं का विश्लेषण करें।

उत्तर: स्वस्थ जनमत तभी संभव है जब समाज में लोग स्वतंत्र, जागरूक और तर्कसंगत तरीके से अपनी राय बना सकें।

कई गंभीर बाधाएँ जनमत के सही निर्माण को प्रभावित करती हैं—

(i) उदासीन रवैया: बहुत से लोग राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहना पसंद करते हैं। वे मानते हैं कि उनके विचार या भागीदारी से राजनीतिक निर्णयों में कोई फर्क नहीं पड़ता। यही उदासीनता उन्हें सार्वजनिक मुद्दों से अलग कर देती है। जब लोग राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विकास से जुड़े मुद्दों में रुचि नहीं लेते, तब स्वस्थ जनमत का निर्माण बाधित होता है।

(ii) निरक्षरता: अशिक्षित या कम शिक्षित लोग राजनीतिक समस्याओं को सही रूप से समझ नहीं पाते। उनका ज्ञान सीमित होने के कारण वे भावनाओं, अफ़वाहों और आवेश के आधार पर निर्णय ले लेते हैं। शिक्षा के अभाव में तार्किक और बुद्धिमत्तापूर्ण जनमत बन नहीं पाता। इसलिए निरक्षरता स्वस्थ जनमत निर्माण की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।

(iii) निर्धनता: गरीबी में जीवन व्यतीत करने वाले लोगों के लिए राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान देना कठिन होता है। वे आजीविका में इतने उलझे रहते हैं कि सार्वजनिक मामलों पर समय नहीं दे पाते। निर्धन लोग अक्सर बड़े-बड़े वादों और प्रलोभनों में आकर वोट दे देते हैं, जिससे तर्कसंगत जनमत प्रभावित होता है। गरीबी कम किए बिना स्वस्थ जनमत बनाना कठिन है।

(iv) जाति और संप्रदाय आधारित असंतुलन: जाति, धर्म और संप्रदाय की संकीर्ण भावनाएँ लोगों को विभाजित करती हैं। राजनीति का आधार जब जातिगत और धार्मिक पहचान बन जाती है, तब लोग मुद्दों के आधार पर नहीं, बल्कि सामुदायिक भावनाओं के आधार पर मत बनाते हैं। यह लोकतंत्र और स्वस्थ जनमत दोनों के लिए हानिकारक है। सामाजिक सामंजस्य ही मजबूत जनमत की नींव है।

(v) स्वतंत्र व निष्पक्ष प्रेस का अभाव: स्वस्थ जनमत के लिए प्रेस का स्वतंत्र होना अत्यंत आवश्यक है। जब मीडिया पर धार्मिक, पूँजीवादी या क्षेत्रीय हित हावी हो जाते हैं, तब वह पक्षपातपूर्ण समाचार प्रस्तुत करता है। भय, दबाव, या पूर्वाग्रहों से प्रभावित प्रेस जनता तक सही जानकारी नहीं पहुँचाता, जिससे स्वस्थ जनमत का निर्माण संभव नहीं हो पाता।

5. किस आधार पर हम भारत में दबाव समूहों का वर्गीकरण करते हैं?

उत्तर: भारत में दबाव समूहों का वर्गीकरण उनके उद्देश्यों और लक्ष्यों के आधार पर किया जाता है।

इसी आधार पर इन्हें मुख्य रूप से चार प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है—

(i) व्यावसायिक दबाव समूह: ये समूह किसी विशेष पेशे या व्यवसाय से जुड़े कर्मचारियों या व्यावसायिक घरानों द्वारा अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए बनाए जाते हैं। जैसे— FICCI, CII, ट्रेड यूनियन, किसान संगठन आदि।

(ii) सामाजिक-सांस्कृतिक दबाव समूह: वे समूह जो सामाजिक सेवाओं, भाषा, धर्म, संस्कृति या समुदाय से जुड़े हितों को बढ़ावा देने का काम करते हैं। जैसे— रामकृष्ण मिशन, आर्य समाज, विश्व हिन्दू परिषद्, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी आदि।

(iii) संस्थागत दबाव समूह: वे समूह जो सरकारी ढाँचे के भीतर रहकर काम करते हैं और अपने संस्थागत हितों के लिए नीतियों को प्रभावित करते हैं। जैसे— सिविल सर्विस एसोसिएशन, पुलिस वेलफेयर संगठन, आर्मी ऑफिसर्स एसोसिएशन आदि।

(iv) तदर्थ दबाव समूह: ये समूह विशेष मुद्दों या आपात स्थितियों में कम समय के लिए बनते हैं और उद्देश्य पूरा होने पर भंग हो जाते हैं। जैसे— उड़ीसा रिलीफ ऑर्गनाइजेशन, कावेरी वाटर डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन आदि।

6. दबाव समूहों की भूमिका पर चर्चा करें।

उत्तर: भारतीय राजनीतिक प्रणाली सहित विश्व के अनेक लोकतांत्रिक देशों में दबाव समूह अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उनकी भूमिकाएँ निम्न प्रकार से समझी जा सकती हैं—

(i) जनता और राजनीतिक दलों के बीच सेतु का कार्य: दबाव समूह जनता की समस्याओं, हितों और अपेक्षाओं को राजनीतिक दलों व सरकार तक पहुँचाकर दोनों के बीच एक प्रभावी कड़ी का कार्य करते हैं।

(ii) संचार एवं राजनीतिक शिक्षा का माध्यम: ये समाज को विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मुद्दों के प्रति जागरूक बनाते हैं तथा लोगों को राजनीतिक रूप से शिक्षित करते हैं, जिससे लोकतंत्र अधिक सुदृढ़ बनता है।

(iii) प्रभावशाली नेतृत्व का निर्माण: दबाव समूह भावी नेताओं को प्रशिक्षण देते हैं और समाज में प्रभावशाली नेतृत्व विकसित करने के अवसर प्रदान करते हैं।

(iv) समाज में एकता और अखंडता को बढ़ावा: ये समूह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच के अंतर को कम करने में सहायता करते हैं और सामाजिक एकजुटता को मजबूत बनाते हैं।

(v) सरकारी नीतियों को प्रभावित करना: दबाव समूह सरकार एवं प्रशासन दोनों की नीतियों को प्रभावित करते हैं। वे ‘लॉबी’ के माध्यम से निर्णय-निर्माण प्रक्रिया पर प्रभाव डालते हैं।

(vi) विभिन्न देशों में निर्णय-निर्माण पर प्रभाव: लोकतांत्रिक देशों, जैसे— इंग्लैंड, अमेरिका, फ्रांस में दबाव समूहों को सरकारी फैसलों को प्रभावित करने के अधिक अवसर मिलते हैं। इंग्लैंड में वे कैबिनेट और सिविल सेवाओं को लक्ष्य करते हैं। अमेरिका में वे संसदीय समितियों, चैंबर ऑफ कॉमर्स और उद्योग संगठनों पर केंद्रित रहते हैं। फ्रांस में दबाव समूह प्रशासन को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।

(vii) राजनीतिक दलों से संबंध: कुछ देशों में कई दबाव समूह राजनीतिक दलों से निकट संबंध बनाए रखते हैं, जैसे—

(क) अमेरिका में ट्रेड यूनियन का डेमोक्रेटिक पार्टी से संबंध।

(ख) ब्रिटेन में यूनियन का लेबर पार्टी से संबंध।

(ग) रोमन कैथोलिक चर्च का जर्मनी और इटली की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टियों से संबध।

7. भारत में दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यपद्धतियों का मूल्याकंन करें।

उत्तर: भारत में दबाव समूह अपनी मांगों को सरकार तक पहुँचाने और नीतियों को प्रभावित करने के लिए विविध कार्यपद्धतियों का उपयोग करते हैं। इनकी कार्यशैली लोकतांत्रिक ढांचे, सामाजिक संरचना और राजनीतिक प्रणाली की प्रकृति पर आधारित होती है।

कार्यपद्धतियों का मूल्यांकन इस प्रकार है—

(i) सरकारी अधिकारियों व नेताओं से संपर्क बनाए रखना: दबाव समूह लगातार सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों तथा राजनीतिक नेताओं के साथ संबंध बनाए रखते हैं, ताकि वे प्रशासनिक निर्णयों पर प्रभाव डाल सकें।

(ii) याचिकाएँ और निवेदन पत्र: अपनी समस्याओं व मांगों को औपचारिक रूप से प्रस्तुत करने के लिए वे याचिकाओं व निवेदन पत्रों का प्रयोग करते हैं। यह लोकतांत्रिक अभ्यास का महत्वपूर्ण साधन है।

(iii) मीडिया का उपयोग: दबाव समूह इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया का व्यापक उपयोग करते हैं। 

इसके माध्यम से वे—

(क) अपने विचार सरकार तक पहुँचाते हैं।

(ख) जनता को अपने पक्ष में करते हैं।

(ग) जनमत को आकार देने का प्रयास करते हैं।

(घ) प्रचार के विभिन्न साधनों का प्रयोग जनमत निर्माण की प्रमुख रणनीति है।

(iv) लॉबिंग: वे विधायकों, अधिकारियों तथा समितियों से सीधे संपर्क बनाकर निर्णय-निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। यह उनकी अत्यंत प्रभावी कार्यपद्धति मानी जाती है।

(v) न्यायपालिका को प्रभावित करने का प्रयास: कुछ हद तक दबाव समूह—

(क) न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया।

(ख) न्यायिक निर्णयों।

(ग) पर प्रभाव डालने का अभियान भी चलाते हैं।

(vi) लोकतांत्रिक विरोध के साधन: जब आवश्यक हो, तब दबाव समूह उग्र लेकिन लोकतांत्रिक उपाय अपनाते हैं, जैसे— रैलियाँ, धरने, प्रदर्शन, भूख हड़ताल। ये साधन जनता की शक्ति को संगठित करने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रभावी होते हैं।

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