NIOS Class 12 Political Science Chapter 20 क्षेत्रवाद और क्षेत्रीय दल

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NIOS Class 12 Political Science Chapter 20 क्षेत्रवाद और क्षेत्रीय दल

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Chapter: 20

मॉड्यूल – 4 व्यवहार में लोकतंत्र

पाठगत प्रश्न 20.1

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) सकारात्मक भाव में क्षेत्रवाद का अर्थ लोगों का अपने ________________, _______________ और ________________ प्यारा है।

उत्तर: सकारात्मक भाव में क्षेत्रवाद का अर्थ लोगों का अपने क्षेत्र, संस्कृति और भाषा प्यारा है।

(ख) क्षेत्रीय दल का अर्थ है ऐसा दल जो एक सीमित _________________ क्षेत्र में कार्य करता है।

उत्तर: क्षेत्रीय दल का अर्थ है ऐसा दल जो एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में कार्य करता है।

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(ग) भारत में ________________ क्षेत्रीय दल हैं।

उत्तर: भारत में बड़ी क्षेत्रीय दल हैं।

पाठगत प्रश्न 20.2

1. सही अथवा गलत चुनिए-

(क) क्षेत्रवाद ने प्रायः राज्यों को केन्द्र से अधिक स्वायत्तता की मांग करने हेतु उकसाया है। (सही/गलत)

उत्तर: सही।

(ख) राज्यों के बीच नदी जल में भागीदारी पर विवाद, बहुसंख्यकों की भाषा को प्राथमिकता देने की इच्छा ने भी क्षेत्रवाद की भावनाओं को उभारा है। (सही/गलत)

उत्तर: सही।

पाठगत प्रश्न 20.3

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में _________________ कोई नई घटना नहीं है।

उत्तर: भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में क्षेत्रवाद कोई नई घटना नहीं है।

(ख) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ________________ के बीच सत्ता पर एकाधिकार था।

उत्तर: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 1947-1967 के बीच सत्ता पर एकाधिकार था।

(ग) _______________ और ________________ नेताओं के बीच निकट के संबंधों ने क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया है।

उत्तर: केन्द्रीय और क्षेत्रीय नेताओं के बीच निकट के संबंधों ने क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया है।

(घ) शासक दलों द्वारा किसी क्षेत्र की निरंतर अवहेलना क्षेत्रवाद का एक _________________ है।

उत्तर: शासक दलों द्वारा किसी क्षेत्र की निरंतर अवहेलना क्षेत्रवाद का एक कारक है।

पाठगत प्रश्न 20.4

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. सीमित भौगोलिक क्षेत्र में आमतौर पर काम करने वाले दल को कहते हैं-

(क) राजनीतिक दल।

(ख) राष्ट्रीय दल।

(ग) क्षेत्रीय दल।

(घ) उपरोक्त सभी।

उत्तर: (ग) क्षेत्रीय दल।

2. क्षेत्रीय दलों की वृद्धि में योगदान करने वाले लोग-

(क) सामाजिक।

(ख) जातीय।

(ग) सांस्कृतिक और भौगोलिक।

(घ) उपरोक्त सभी।

उत्तर: (घ) उपरोक्त सभी।

पाठांत प्रश्न

1. क्षेत्रवाद का अर्थ स्पष्ट कीजिए? यह खतरनाक क्यों है?

उत्तर: क्षेत्रवाद वह भावना है जिसमें व्यक्ति या समूह अपने क्षेत्र को देश या राज्य की तुलना में अधिक महत्व देता है। इसका दो अर्थ होते हैं— सकारात्मक और नकारात्मक। सकारात्मक क्षेत्रवाद वह राजनीतिक गुण है जिसमें लोग अपनी क्षेत्रीय संस्कृति, भाषा और पहचान को सहेजने और विकसित करने की इच्छा रखते हैं। यह तब तक स्वीकार्य है जब तक यह भाईचारे, समानता और साझेपन को बढ़ावा देता है। लेकिन नकारात्मक क्षेत्रवाद वह है जिसमें व्यक्ति अपने क्षेत्र को सर्वोपरि मानकर अन्य क्षेत्रों से भेदभाव करने लगता है। भारतीय संदर्भ में क्षेत्रवाद शब्द का अधिकतर उपयोग इसी नकारात्मक अर्थ में किया जाता है।

नकारात्मक क्षेत्रवाद देश की एकता और अखण्डता के लिए बहुत बड़ा खतरा है। जब कोई क्षेत्र विशेष अपनी पहचान को राष्ट्र से ऊपर रखने लगता है, तो इससे विभाजनकारी भावनाएँ बढ़ती हैं और राष्ट्रीय एकता कमज़ोर होती है। कई बार शासक वर्ग द्वारा किसी क्षेत्र की उपेक्षा या राजनीतिक नेताओं द्वारा अपने हितों के लिए क्षेत्रीय भावनाओं को भड़काना भी इस खतरे को बढ़ाता है।

2. क्षेत्रवाद के रूपों के बारे में चर्चा कीजिए।

उत्तर: भारत में क्षेत्रवाद ने विभिन्न रूप धारण कर लिए हैं, जैसे—

(क) राज्य स्वायत्तता की मांगः क्षेत्रवाद प्रायः राज्यों के लिए केन्द्र से अधिक स्वायत्तता की मांग पर बल देता है। राज्यों के मामले में केन्द्र के बढ़ते हस्तक्षेप ने क्षेत्रीय भावनाओं को भड़काया है। भारतीय संघ के अंतर्गत कुछ राज्यों के भीतर कुछ क्षेत्रों ने स्वायत्तता की मांग को उठाया है।

(ख) संघ से अलग होनाः यह क्षेत्रवाद का खतरनाक रूप है। यह तब उभरता है जब राज्य केन्द्र से अलगाव की मांग करते हैं और अपनी स्वतंत्र पहचान स्थापित करने का प्रयास करते हैं।

राज्यों के बीच नदी जल में भागीदारी पर विवाद, राज्यों द्वारा बहुसंख्यकों की भाषा तथा नौकरियों के अवसरों में अपने ही राज्य के लोगों को प्राथमिकता देने से भी क्षेत्रवाद की भावना उभर कर आई है। पिछड़े राज्यों से रोजगार के अवसरों के लिए विकसित राज्यों में लोगों के स्थानान्तरण से स्थान्तरित लोगों के प्रति आक्रामक रवैया जन्म लेता है। उदाहरण के लिए कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में चल रही समस्याएं।

3. क्षेत्रीय दलों की भूमिका पर चर्चा कीजिए।

उत्तर: क्षेत्रीय दल भले ही सीमित क्षेत्रों में कार्य करते हों और सीमित उद्देश्यों को आगे बढ़ाते हों, लेकिन उन्होंने राज्य की राजनीति के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दलों ने सरकारें बनाकर अपनी नीतियों को लागू किया है। तमिलनाडु के डी.एम.के. और ए.आई.ए.डी.एम.के., आंध्र प्रदेश का तेलुगु देशम, असम का असम गण परिषद, जम्मू-कश्मीर का नेशनल कॉन्फ्रेंस, मिजोरम का मिजो नेशनल फ्रंट और अन्य कई दल अपने-अपने राज्यों में प्रभावशाली रहे हैं।

1967 के बाद कई राज्य स्तर की गठबंधन सरकारों में क्षेत्रीय दल शामिल रहे। केन्द्र की राजनीति में भी इन दलों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, डी.एम.के. ने 1969 में इंदिरा गांधी की सरकार को समर्थन देकर उसे बहुमत बनाए रखने में मदद की। तेलुगु देशम भी संयुक्त मोर्चा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का प्रमुख स्तंभ रहा। क्षेत्रीय दल संसद में अपने क्षेत्र के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाते हैं और सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।

इनकी सबसे बड़ी सेवा यह है कि इन्होंने दूरस्थ क्षेत्रों के राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया और राजनीतिक जागरूकता बढ़ाई। साथ ही, इन्होंने राष्ट्रीय दलों को यह एहसास करवाया कि वे क्षेत्रीय समस्याओं की अनदेखी करके सफल नहीं हो सकते।

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