NIOS Class 10 Hindi Chapter 15 अंधेर नगरी

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NIOS Class 10 Hindi Chapter 15 अंधेर नगरी

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Chapter: 15

बोध-प्रश्न

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. अंधेर नगरी के बारे में क्या सच नहीं है-

(क) हर व्यक्ति अपनी बला दूसरे पर टालता है।

(ख) राजा के अधिकारी चापलूस और मूर्ख हैं।

(ग) गुणों की कोई कद्र नहीं है।

(घ) राजा बहुत न्यायप्रिय है।

उत्तर: (घ) राजा बहुत न्यायप्रिय है।

2. गोबरघनदास को पकड़कर ले जाया गया क्योंकि।

(क) उसने अपने गुरु का कहना नहीं माना।

(ख) वह भीख माँगकर मिठाई खा रहा था।

(ग) किसी-न-किसी को फांसी लगानी ही थी।

(घ) उस मुहूर्त में मरने वाला सीधे स्वर्ग जाता।

उत्तर: (ग) किसी-न-किसी को फांसी लगानी ही थी।

पाठगत प्रश्न – 15.1

1. निम्नलिखित कथनों में से सही के आगे (✔) का और गलत के आगे (x) का निशान लगाइए-

(क) अभिनेयता का तत्त्व नाटक को अन्य साहित्यिक विधाओं से अलग करता है।

उत्तर: सही।

(ख) निबंध में दृश्य प्रमुख होता है और नाटक में भाव या विचार।

उत्तर: गलत।

(ग) सही मायने में व्यंग्यकार वही है जो समाज हित को ध्यान में रखता हो।

उत्तर: सही।

(घ) यदि कोतवाल की गर्दन में फाँसी का फंदा आ भी जाता तो उसे फाँसी न दी जाती।

उत्तर: गलत।

(ङ) शुभ मुहूर्त में फाँसी चढ़कर राजा अवश्य ही बैकुंठ गया होगा।

उत्तर: गलत।

2. सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

गोबरधनदास द्वारा अपने गुरु जी को पुकारने का उद्देश्य था-

(क) राजा को फाँसी पर चढ़वाना।

(ख) राजा से प्रजा की रक्षा करवाना।

(ग) शुभ मुहूर्त का पता लगाना।

(घ) खुद को फाँसी से बचाना।

उत्तर: (घ) खुद को फाँसी से बचाना।

पाठगत प्रश्न – 15.2

1. निम्नलिखित कथनों में से सही के आगे सही (✔) तथा गलत के आगे गलत (x) का निशान लगाइए-

(क) महंत लोभी नहीं, अवसरानुकूल निर्णय लेने वाला विवेकवान व्यक्ति था।

उत्तर: सही।

(ख) गोबरधनदास समझदार था, इसलिए महंत के साथ नगर से नहीं गया।

उत्तर: गलत।

(ग) अंधेर नगरी में हलवाई प्रमुख पात्र नहीं है।

उत्तर: सही।

(घ) लंबे संवाद नाटक के प्रभाव में वृद्धि करते हैं।

उत्तर: गलत।

(ङ) छोटे संवाद कथानक के विकास में बाधा बनते हैं।

उत्तर: गलत।

2. सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए राजा ने स्वयं फाँसी चढ़ने का निर्णय क्यों लिया?

(क) अपने को अपराधी मानकर।

(ख) साधुओं को दंड न देने की भावना से।

(ग) अपनी गर्दन फंदे के उपयुक्त मानकर।

(घ) स्वयं मुक्ति पाने की लालसा में।

उत्तर: (घ) स्वयं मुक्ति पाने की लालसा में।

3. महंत ने वह नगर लोडकर जाने का निर्णय क्यों लिया?

(क) सभी वस्तु टके सेर मिलने के कारण।

(ख) पुलिस द्वारा रिश्वत लेने के कारण।

(ग) भावी संकट की आशंका के कारण।

(घ) गोबरधनदास द्वारा निंदा के कारण।

उत्तर: (ग) भावी संकट की आशंका के कारण।

पाठगत प्रश्न – 15.3

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. घासीराम अफसरों के बारे में व्यंग्य करता है कि वे-

(क) निकम्मे होते हैं।

(ख) चाव से चने खाते हैं।

(ग) मुफ्त में चने खाते हैं।

(घ) टैक्स बढ़ा देते हैं।

उत्तर: (क) निकम्मे होते हैं।

2. अंधेरी नगरी की भाषा पर निम्नलिखित में से किसका प्रभाव अधिक है।

(क) राजस्थानी।

(ख) ब्रज।

(ग) हरियाणवी।

(घ) मैथिली।

उत्तर: (ख) ब्रज।

3. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द किसी आगत शब्द का परिवर्तित रूप नहीं।

(क) टिकस।

(ख) कसूर।

(ग) हजम।

(घ) लडुआ।

उत्तर: (घ) लडुआ।

पाठगत प्रश्न – 15.4

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. टके सेर भाजी टके सेर खाजा में निहित व्यंग्यार्थ है-

(क) सभी चीजें बहुत सस्ती हैं

(ख) एक टके की एक सेर भाजी खाओ

(ग) गुणों और मूल्यों की कदर नहीं है।

(घ) सभी नागरिकों को समान महत्त्व मिले।

उत्तर: (ख) एक टके की एक सेर भाजी खाओ

2. इस नाटक में अंधेर नगरी और चौपट्ट राजा की कल्पना का कारण क्या है?

(क) ब्रिटिश शासन की सीधे तौर पर आलोचना न कर पाने की स्थिति।

(ख) दर्शकों के लिए हास्य-रस का वातावरण बनाने का प्रयास।

(ग) इतिहास के प्रसंगों की नयी व्याख्या प्रस्तुत करने का उपाय।

(घ) ब्रिटिश शासन की न्यायप्रियता को उभारने का दृष्टिकोण।

उत्तर: (ग) इतिहास के प्रसंगों की नयी व्याख्या प्रस्तुत करने का उपाय।

3. निम्नलिखित विकल्पों में से सही के आगे (✔) और गलत के आगे (x) का निशान लगाइए:

(क) मंच के अनुकूल होना नाटक की सफलता के लिए आवश्यक है।

उत्तर: सही।

(ख) ‘अंधेर नगरी के मंचन में अनावश्यक पात्रों का होना बड़ी बाधा है।

उत्तर: सही।

(ग) भारतेन्दु ने अंधेर नगरी में पर्याप्त रंग-निर्देश दिए हैं।

उत्तर: सही।

(घ) अंधेर नगरी’ के मंचन के लिए बहुत-से मंचीय साधनों की जरूरत है।

उत्तर: सही।

पाठात प्रश्न

1. आपने यह नाटक अच्छी तरह पढ़ लिया होगा। इस नाटक में आपको कौन-सा पात्र सबसे अच्छा लगा और क्यों?

उत्तर: मुझे इस नाटक में सबसे अच्छा पात्र महंत का लगा। महंत या गुरु का चरित्र विवेक का प्रतीक है। वह इस सच का संदेश देता है कि जहाँ व्यक्ति और वस्तु के गुणों की कद्र न हो और हर घटना, वस्तु या चरित्र के मूल्यांकन के लिए एक ही पैमाना अपनाया जाता हो। महंत एक समझदार और दूरदर्शी इंसान है। अंधेर नगरी में टके सेर भाजी और टके सेर खाजा देखकर वह समझ जाते है कि यहाँ पर किसी की कोई कदर नहीं है। वह शुरू में ही दूर से दिखने और वास्तविकरता में अंतर स्पष्ट कर देते हैं और लोभ या लालच में पड़कर स्वाभिमान की भावना के नष्ट होने का भी उपदेश देता है।

2. भारतेंदु ने इस नाटक के माध्यम से अपने समय की शासन-व्यस्था पर करारा व्यंग्य किया है- स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: भारतेंदु कहना चाहते हैं कि अंग्रेजों ने अपनी नीतियों से भारत को अंधेर नगरी बना दिया, न यहाँ पर किसी नियम का पालन किया जाता है, न ही कोई न्याय-व्यवस्था है। देश की जनता अंग्रेज व्यवस्था के कुचक्र में फंसी हुई है। इसी वातावरण के संकेत इस नाटक के प्रत्येक रूप में हैं। बाजार के दृश्य में घासीराम चनेवाला, हलवाई, चूरनबाला, बनिया ये सब संवादों के माध्यम से स्थितियों पर व्यंग्य करते हैं। कहने को तो सब आवाज लगा लगाकर अपना सामान बेच रहे हैं. लेकिन बीच-बीच में उन सब पर व्यंग्य करते हैं, जो निकम्मी शासन व्यवस्था के अंग है। 

3. मूल्यवान वस्तुएँ सस्ती होने पर भी महंत ने अंधेर नगरी में रहने के लिए मना क्यों किया?

उत्तर: शासन व्यवस्था, व्यापार व्यवस्था, न्याय व्यवस्था और दंड देने का तरीका सभी कुछ गलत था। वहाँ का राजा निरा मूर्ख था।शहर की भ्रष्ट और अनैतिक प्रकृति को पहचानता है, और इसका हिस्सा नहीं बनना चाहता। शहर का शासक, चौपट राजा, भ्रष्ट और अक्षम है, और शहर सामाजिक और आर्थिक असमानताओं से ग्रस्त है। महंत का शहर में रहने से इनकार करना उनकी ईमानदारी और नैतिक मूल्यों का प्रतीक है, और उस समय की सामाजिक बुराइयों की आलोचना के रूप में कार्य करता है।

4. ‘अंधेर नगरी’ नाटक में फेरीवालों की बातों से किस प्रकार का वातावरण अभिव्यक्त हुआ है- उल्लेख कीजिए।

उत्तर: अंधेरे नगरी नाटक में फेरीवालो की बातों के माध्यम से उस समय का वातावरण व्यक्त किया गया  फेरी वालो की बात से उस समय की परिस्थितियों का पता चल रहा है कि बाजार के दृश्य में घासीराम चनेवाला, हलवाई, चूरनबाला, बनिया ये सब संवादों के माध्यम से स्थितियों पर व्यंग्य करते हैं। कहने को तो सब आवाज लगा लगाकर अपना सामान बेच रहे हैं  लेकिन बीच-बीच में उन सब पर व्यंग्य करते हैं, परंतु घासीराम की बातों से पता चल रहा है कि हाकिम लोग लगातार टैक्स बढ़ा रहे हैं। हलवाई से पता चल रहा है कि सारा समाज छतिस कौम में बँटा है।

5. अंधेर नगरी नाटक को लिखने के पीछे भारतेंदु का उद्देश्य क्या था- स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: अंधेर नगरी नाटक को लिखने के पीछे भारतेंदु का उद्देश्य केवल इतना नहीं है कि वे किसी अन्यायी राजा की कल्पना करके उस पर चोट करें। वे इस अन्यायी राजा के माध्यम से अंग्रेजी राज व्यवस्था की कमियों पर चोट करते हैं। भारतेंदु के समय में भारत अंग्रेजों का गुलाम था। अंग्रेजी शासन की आलोचना सीधे-सीधे नहीं की जा सकती थी। उस समय के रचनाकारों ने अनेक प्रकार की ऐतिहासिक काल्पनिक कथाओं एवं कहावतों का प्रतीकात्मक उपयोग। करके व्यंग्य-रूप में तत्कालीन शासन-व्यवस्था की आलोचना की।

6. व्यंग्य-शैली शासन-व्यवस्था की आलोचना के लिए सर्वाधिक उपयुक्त शैली है- इस कथन पर अपने विचार 40-50 शब्दों में लिखिए।

उत्तर: ‘अंधेरी नगरी’ का उद्देश्य व्यंग्य के माध्यम से अन्यायी शासन-व्यवस्था की विसंगतियों-कमियों को हमारे सामने उजागर करना है। इस नाटक में राजा अन्यायी शासन-व्यवस्था का प्रतीक है। इसीलिए उसे चौपट्ट राजा और उसकी नगरी को अंधेर नगरी कहा गया है। इस चौपट राजा के शासन में सब कुछ टके सेर है यानी गुणी और गुणहीन का एक ही मोल है अर्थात्, उनके साथ एक जैसा व्यवहार किया जाता है। इस नाटक से यह अभिव्यक्त होता है कि जब शासन-व्यवस्था ही भ्रष्ट हो तो उसके सभी सहायक अर्थात मंत्री, सेठ, अधिकारी, पुलिस आदि भी भ्रष्ट हो जाते हैं। इन सब बातों के साथ यह नाटक हमें भी यह दृष्टि देता है, जिसके आधार पर हम अपने समय की शासन-व्यवस्था की आलोचना कर सकते हैं।

7. ‘अंधेर नगरी’ की भाषा-शैली पर एक टिप्पणी लिखिए।

उत्तर: अंधेर नगरी’ की भाषा-शैली में व्यंग्यात्मक अभिव्यक्तियों का बहुत महत्त्व है। नाटककार भारतेन्दु ने बाज़ार में सामान बेचने वाले घासीराम, पाचक वाले बनिया, हलवाई आदि के संवादों में दो काम एक साथ किए है। एक तो वे अपना सामान बेचने के लिए क्षेत्रीय अभिव्यक्तियों, लोक-काव्य, तुक का प्रयोग करते हैं। दूसरे उनकी इन अभिव्यक्तियों में कुशासन पर संकेत रूप में चोट भी की गई है। ये अभिव्यक्तियों अराजकता के वातावरण को भी सजीव रूप में हमारे सामने रखती हैं। घासीराम चने की विशेषताएँ तो बताता ही है, यह भी कहता है कि “चना हाकिम सब जो खाते। सब पर दूना टिकस लगाते।” हलवाई के संवाद में जलेबी, रेवडी, पापड की विशेषताएँ ध्वन्यात्मक रूप में प्रकट हुई हैं, जैसे- जलेबियों गरमागरम। घी में गरम रेवड़ी कड़ाका, पापड पड़ाका।

8. ‘लोम पाप का मूल है’, लोभ मिटावत मान।

लोभ कभी नहिं कीजिए, या में नरक निदान।।

महंत का यह कथन जितना अंधेर नगरी’ नाटक के संदर्भ में प्रासंगिक है, क्या उतना ही हमारे जीवन में भी है- पक्ष वा विपक्ष में तर्कसहित लिखिए।

उत्तर: इस पंक्तियों का अर्थ यह है कि लोभ विशेष रूप से पाप का मूल कारण है। लालच करना हर बुराई की जड़ है, लालच करने के कारण मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और वह स्वयं के लिए विपत्ति का निमंत्रण देता है। लालच करने से मनुष्य का मान सम्मान कम होता है। इसलिए, लोभ को हमेशा दूर रखना चाहिए, क्योंकि लोभ के प्रभाव में आकर ही हम नरक में जाने जैसे परिणामों का सामना करते हैं।

9. अगर आपके हाथ में देश की शासन-व्यवस्था सौंप दी जाए तो आपकी प्राथमिकताएँ क्या होंगी 40-50 शब्दों में लिखिए।

उत्तर: यदि मेरे हाथ में शक्ति हो तो मैं समस्त देश में एक ऐसी शासन व्यवस्था लागू करने के लिए प्रयत्न करूंगा जिसमें सभी नागरिकों के हितों की रक्षा हो साथ ही साथ योग्यता के अनुसार काम मिले व्यक्तिगत सुरक्षा को अत्यधिक महत्व देते हुए पुलिस एवं प्रशासन को नागरिकों के हितों के लिए तत्पर करने हेतु नियम बनाए जाएंगे।

10. अंधेर नगरी नाटक में पाचनवाला अपना चूरन बेचते हुए किन-किन लोगों का व्यंग्य करता है? उन लोगों पर व्यंग्य का असली लक्ष्य क्या है?

उत्तर: “अंधेर नगरी चौपट राजा” नाटक में पाचनवाला अपना चूरन बेचते हुए व्यंग्य किसी व्यक्ति या व्यक्तियों पर नहीं करता है, बल्कि उसका व्यंग्य राजनीतिक प्रणाली, समाज, और समस्याओं पर होता है। उसका असली लक्ष्य यह दर्शाना है कि राज्य के नेता और उनके प्रशासक कितने भ्रष्ट, अनैतिक और अन्यायी हैं। वह अपने चूरन की महंगाई, उसके गुणवत्ता और असामान्य दावतों के माध्यम से इस अन्याय को खुलासा करता है, जिससे जनता को समझाया जाता है कि वे कितने धोखेबाज और स्वार्थी हो सकते हैं।

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