NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 2 स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका

NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 2 स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका Solutions, in Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 2 स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका Notes and select need one. NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 2 स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका Question Answers Download PDF. NCERT Class 7 Solutions for Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan – II.

NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 2 स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan Chapter 2 स्वास्थ्य में सरकार की भूमिका Textual Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan – II Notes. CBSE Class 7 Social Science Samajik Aur Rajniti Jeevan – II Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 2

सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-२

इकाई दो: राज्य सरकार

1. क्या आप इन सभी चित्रों या इनमें से कुछ को स्वास्थ्य से संबंधित समझते हैं? यदि हाँ, तो किस प्रकार? समूह में चर्चा करें।

उत्तर: हाँ, हम इन सभी को स्वास्थ्य से संबंधित समझते हैं। एक व्यक्ति का स्वास्थ्य और अच्छा जीवन प्रत्यक्ष रूप से स्वच्छ पीने के पानी, पौष्टिक भोजन, प्रदूषण-मुक्त वातावरण, अस्पतालों (स्वास्थ्य केन्द्रों) की उपलब्धता तथा रोग के उपचार की सुविधाएँ, एम्बुलेंस सेवाएँ, चिकित्सा विशेषज्ञों तथा आवास आदि की उपलब्धता से संबंधित है।

2. ऊपर दिए गए कोलाज से दो स्थितियाँ छाँटिए, जो बीमारी से संबंधित नहीं हैं। वे कैसे स्वास्थ्य से संबंधित हो सकती हैं, इस पर दो वाक्य लिखिए।

उत्तर: (i) पानी लाती हुई स्त्रियाँ।

(ii) भोजन बनाती हुई स्त्रियाँ।

यद्यपि ये दोनों स्थितियाँ प्रत्यक्ष रूप से बीमारियों से जुड़ी नहीं हैं, लेकिन इनकी मात्रा, गुणवत्ता और उपलब्धता लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। मानव शरीर को स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही, यह पानी आसानी से सुलभ भी होना चाहिए।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्थानों पर स्वच्छ पानी की आसान उपलब्धता न होने के कारण महिलाओं को लंबी दूरी तय करके कुएँ या अन्य स्रोतों से पानी लाना पड़ता है। यह कार्य उनके लिए अत्यधिक श्रमसाध्य और थकावट भरा होता है, जो उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

इसी प्रकार, मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए संतुलित, पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्द्धक भोजन की आवश्यकता होती है। इसके अभाव में शरीर की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

3. क्या आप इन स्तंभों को कोई शीर्षक दे सकते हैं?

संसार भर में भारत में सर्वाधिक चिकित्सा महाविद्यालय हैं और यहाँ सबसे अधिक डॉक्टर तैयार किए जाते हैं। लगभग हर वर्ष 30,000 से अधिक नए डॉक्टर योग्यता प्राप्त करते हैं।भारत के अधिकांश डॉक्टर शहरी क्षेत्रों में बसते हैं। ग्रामवासियों को डॉक्टर तक पहुँचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या के मुकाबले डॉक्टरों की संख्या काफ़ी कम है।
पिछले वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा में काफ़ी वृद्धि हुई है। सन् 1950 में भारत में केवल 2,717 अस्पताल थे। सन् 1991 में 11,174 अस्पताल थे और सन् 2017 में यह संख्या बढ़कर 23,583 हो गई।भारत में करीब पाँच लाख लोग प्रतिवर्ष तपेदिक (टी.बी.) से मर जाते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक इस संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। हर वर्ष मलेरिया के लगभग बीस लाख मामलों की रिपोर्ट प्राप्त होती है। यह संख्या कम नहीं हो रही है।
भारत में विदेशों से बहुत बड़ी संख्या में इलाज कराने हेतु चिकित्सा पर्यटक आते हैं। वे उपचार के लिए भारत के कुछ ऐसे अस्पतालों में आते हैं, जिनकी तुलना संसार के सर्वश्रेष्ठ अस्पतालों से की जा सकती है।हम सबको पीने का स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। संचारणीय बीमारियाँ पानी के द्वारा एक से दूसरे को लगती हैं। इन बीमारियों में से 21% जलजनित होती हैं, जैसे- हैजा, पेट के कीड़े और हैपेटाइटिस
भारत विश्व का दवाइयाँ निर्मित करने वाला तीसरा बड़ा देश है और यहाँ से भारी मात्रा में दवाइयों का निर्यात होता है।भारत के समस्त बच्चों में से आधों को खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है और वे अल्प-पोषण के शिकार रहते हैं।

उत्तर: हाँ, हम इन स्तंभों को निम्नलिखित शीर्षक दे सकते हैं, भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ’।

4. भारत में प्रायः यह कहा जाता है कि हम सबको स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में असमर्थ हैं, क्योंकि सरकार के पास इसके लिए पर्याप्त धन और सुविधाएँ नहीं हैं। पृष्ठ संख्या 14 पर दिए गए बाएँ हाथ के स्तंभ को पढ़ने के बाद क्या आप इसे सही मानते हैं? चर्चा कीजिए।

उत्तर: भारत के अधिकांश डॉक्टर शहरी क्षेत्रों में बसते हैं। ग्रामवासियों को डॉक्टर तक पहुँचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या के मुकाबले डॉक्टरों की संख्या काफ़ी कम है। भारत में करीब पाँच लाख लोग प्रतिवर्ष तपेदिक (टी.बी.) से मर जाते हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक इस संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। हर वर्ष मलेरिया के लगभग बीस लाख मामलों की रिपोर्ट प्राप्त होती है। यह संख्या कम नहीं हो रही है। हम सबको पीने का स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। संचारणीय बीमारियाँ पानी के द्वारा एक से दूसरे को लगती हैं। इन बीमारियों में से 21% जलजनित होती हैं, जैसे- हैजा, पेट के कीड़े और हैपेटाइटिस।

5. जब आप बीमार होते हैं, तो कहाँ जाते हैं? क्या आपको किन्हीं कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है? अपने अनुभवों के आधार पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

4. सरकारी अस्पताल में अमन को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा? आपके विचार से अस्पताल कैसे बेहतर ढंग से काम कर सकता है? चर्चा कीजिए।

उत्तर: सरकारी अस्पताल में अमन को लम्बी कतार में खड़ा होना पड़ा। जब उसकी बारी आई तो उसे डॉक्टर ने खून की जाँच कराने के लिए कहा। इसके लिए उसे एक और लंबी लाइन में खड़े होना पड़ा जहाँ जाँच के लिए खून लिया जा रहा था, वहाँ भी बहुत भीड़-भड़क्का हो रहा था और इन सभी कार्यों के लिए काफी समय लगा। उसे तीन दिन बाद खून की जाँच का नतीजा मिला। फिर हम वापिस अस्पताल गए। उस दिन वहाँ कोई दूसरी डॉक्टर बैठी थी। इस प्रकार जाँच के रिजल्ट के तत्काल बाद वह उसी डॉक्टर को दिखाने में असमर्थ था। इस प्रकार उचित तथा कठोर प्रशासन, नियमित देखभाल तथा उनके कार्य की निरन्तरता से अस्पताल बेहतर ढंग से कार्य कर सकता है।

5. रंजन को इतना अधिक पैसा क्यों खर्च करना पड़ा? कारण बताइए।

उत्तर: रंजन को अधिक पैसा खर्च करना पड़ा क्योंकि उसने अपना इलाज एक निजी अस्पताल में करवाया था, जहाँ सभी तरह की सुविधाएँ उपलब्ध थीं। निजी अस्पताल में रंजन का कई तरह का परीक्षण किया गया, क्योंकि इन सभी परीक्षणों को करवाने के लिए डॉक्टर ने कहा था। इन सभी परीक्षणों के बाद यह पता चला कि रंजन को सिर्फ वायरल बुखार है। उसकी दवाइयाँ तथा खून की जाँचे महँगी थीं। रंजन को कोई तरह के परीक्षण की फीस, डॉक्टर की फीस तथा बेड का चार्ज के कारण अधिक पैसा खर्च करना पड़ा।

6. निजी चिकित्सालयों में हमें किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? चर्चा कीजिए।

उत्तर: निजी चिकित्सालय प्राय: बहुत महँगे होते हैं। वे अपेक्षाकृत अधिक जाँचें कराते हैं। अनेक बार वे मरीज की अनावश्यक जाँचें कराकर त्रुटिपूर्ण व्यवहार को बढ़ावा देते हैं।

7. किन-किन अर्थों में ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था’ सबके लिए उपलब्ध एक सेवा है?

उत्तर: निम्न अर्थों में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था सबके लिए उपलब्ध एक सेवा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में आमिर-गरीब कोई भी व्यक्ति अपने रोग का इलाज करा सकता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में नाममात्र की फीस लेना या फीस मुक्त व्यवस्था है। इलाज पर किसी प्रकार की कोई पाबन्दी नहीं है। दवाइयाँ भी या तो मुफ्त मिलती हैं इसलिए इसमें इलाज करना सबके लिए संभव है।

8. कुछ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों अथवा अस्पतालों की सूची बनाइए, जो आपके घर के पास हैं। अपने अनुभव से अथवा उनमें से किसी एक में जाकर केंद्र चलाने वाले लोगों का और वहाँ दी जाने वाली सुविधाओं का पता लगाइए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

9. आपके घर के पास कौन-सी निजी स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हैं? उन्हें चलाने वाले लोगों और वहाँ दी जाने वाली सुविधाओं का पता लगाइए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

10. स्वास्थ्य सेवा को और अधिक किफायती कैसे बनाया जा सकता है? इस पर चर्चा करें।

उत्तर: स्वास्थ्य सेवा को और अधिक किफायती निम्न प्रकार से बनाया जा सकता है–

(i) सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की संख्या में वृद्धि की जाए, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जिससे मरीज़ों को दिखाने के लिए शहर नहीं आना पड़े। इससे यातायात खर्च तथा डॉक्टर के सलाह के खर्च में कमी आएगी

(ii) जहाँ तक संभव हो, प्रत्येक चिकित्सक को औषधियों के जेनेरिक नाम ही उपचार की पर्ची पर लिखने चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि यह युक्तियुक्त और उपयुक्त रूप में हो।

(iii) चिकित्सक अनावश्यक दवाइयाँ तथा जाँचों आदि की सलाह न दे, जबकि साधारण इलाज भी पर्याप्त हो सकता है।

(iv) निजी अस्पतालों पर इस प्रकार सरकारी नियंत्रण हो कि वे इलाज के सस्ते तरीकों का ही प्रयोग करें।

अभ्यास

1. इस अध्याय में आपने पढ़ा है कि स्वास्थ्य में सिर्फ़ बीमारी की बात नहीं की जा सकती है। संविधान से लिए गए एक अंश को यहाँ पढ़िए और अपने शब्दों में समझाइए कि ‘जीवन का स्तर’ और ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य’ के क्या मायने होंगे।

उत्तर: जीवन के स्तर का मतलब है कि लोगों को जीवन की बुनियादी सुविधाएँ मिल रही हैं या नहीं। अगर उन्हें बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ, भोजन, आश्रय, सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता सुविधाएँ आदि उपलब्ध हैं, तो इसका मतलब है कि जीवन स्तर ऊँचा है। 

सार्वजनिक स्वास्थ्य का मतलब केवल उपचार से नहीं है। सार्वजनिक स्वास्थ्य का मतलब है किसी व्यक्ति की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति और भलाई। संचरणीय बिमारी से रोकथाम भी सार्वजनिक स्वास्थ्य का लक्ष्य होता है। कई ऐसी बिमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती हैं, जैसे कि हैजा, टीबी, पीलिया, पोलियो, डेंगू, मलेरिया, आदि। सही कदम उठाकर इन बिमारियों को फैलने से रोकना भी सार्वजनिक स्वास्थ्य का लक्ष्य होता है। हर किसी को स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का लाभ उठाने, रोग मुक्त और स्वस्थ रहने का मूल अधिकार मिला है।

2. सबके लिए स्वास्थ्य की सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए सरकार कौन-कौन से कदम उठा सकती है? चर्चा कीजिए।

उत्तर: सबके लिए स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए सरकार कई कदम उठा सकती है।

इनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:

(i) गाँवों में अस्पतालों की संख्या बढ़ाना।

(ii) पानी के लिए स्वच्छ जल लोगों को उपलब्ध करवाकर।

(iii) अधिक से अधिक मेडिकल कॉलेज खोलना ताकि आबादी के हिसाब से डॉक्टरों की संख्या बढ़ सके।

(iv) सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण कानून लाकर प्रदूषण में कमी लाया जा सकता है।

(v) सस्ती दरों पर पोषणीय भोजन उपलब्ध कर सकते है।

3. आपको, अपने इलाके में उपलब्ध सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य सेवाओं में क्या-क्या अंतर देखने को मिलते हैं? नीचे दी गई तालिका को भरते हुए, इनकी तुलना कीजिए और अंतर बताइए।

सुविधासामर्थ्यउपलब्धतागुणवत्ता
निजी
सार्वजनिक

उत्तर: 

सुविधासामर्थ्यउपलब्धतागुणवत्ता
निजीअधिकतर लोगों में निजी सुविधाओं के लिए सामर्थ्य नहीं है।शहरी क्षेत्रों में उपलब्धता अच्छी है।अच्छी
सार्वजनिकअधिकतर सेवाएँ मुफ्त हैं या मामूली कीमत पर उपलब्ध हैं।ग्रामीण क्षेत्रों नगण्य है।कई सरकारी अस्पतालों की स्थिति बहुत खराब है।

4. पानी और साफ़-सफ़ाई की गुणवत्ता को सुधारकर अनेक बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है। उदाहरण देते हुए इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: हां, पानी और साफ़-सफ़ाई की गुणवत्ता को सुधार कर अनेकों बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है। यदि साफ़ सफाई की उचित व्यवस्थाएं तथा स्वच्छ पानी नहीं होगा, तो मलेरिया, दस्त लगना, पेट के कीड़े तथा पीलिया इत्यादि अनेक बीमारियों के फैलने की संभावना होती है। संचारणीय बीमारियाँ पानी के द्वारा एक से दूसरे को लगती हैं। इन बीमारियों में से 21% बीमारियाँ जलजनित होती हैं, जैसे-हैजा, पेट के कीड़े और हेपेटाइटिस आदि। पानी की गुणवत्ता सुधार कर इन बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है। साफ-सफाई की कमी एवं प्रदूषण के कारण भी अनेक बीमारियाँ फैलती हैं। भारत में लगभग 5 लाख व्यक्ति प्रतिवर्ष तपेदिक (टी.बी.) से मर जाते हैं। नालियों में जमा हुए पानी में मच्छर अंडे देते हैं। मच्छरों से मलेरिया और डेंगू फैलता है। यदि मच्छरों की आबादी बढ़ने रोक दिया जाए तो इन बिमारियों की रोकथाम की जा सकती है। यदि हम अपने आस पास पानी जमा न होने दें तो हम मच्छरों के अंडे देने के जगह को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

Scroll to Top