NCERT Class 7 Hindi Vasant Chapter 7 अपूर्व अनुभव

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NCERT Class 7 Hindi Vasant Chapter 7 अपूर्व अनुभव

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अपूर्व अनुभव

Chapter: 7

वसंत भाग–२
प्रश्न-अभ्यास

पाठ से:

1. यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।

उत्तर: तोत्तो-चान ने यासूकी चान को पेड़ पर चढ़ाने के लिए अथक प्रयास इसलिए किये क्योंकि वह यासुकी चान का प्रिय मित्र था। यासुकी-चान पोलियोग्रस्त था अतः स्वयं पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। जापान के शहर तोमोए में हर बच्चे का एक निजी पेड़ था, लेकिन यासुकी-चान ने शारीरिक अपंगता के कारण किसी पेड़ को निजी नहीं बनाया था। तोत्तो-चान की इच्छा थी कि वह अपनी प्रिय मित्र यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित कर के दुनिया की सभी चीजें दिखाए।

2. दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।

उत्तर: तोत्तो-चान और यासुकी-चान के अनुभव में यह अंतर था कि तोत्तो-चान स्वयं रोज़ अपने पेड़ पर चढ़ती थी, जबकि यासुकी-चान पोलियोग्रस्त था और उसे शारीरिक रूप से पेड़ पर चढ़ने में कठिनाई थी। फिर भी, तोत्तो-चान ने अपने प्रिय मित्र यासुकी-चान को उसकी ख्वाहिश पूरी करने में मदद की और उसे पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने में सफल रही। इस पर तोत्तो-चान को खुशी मिली क्योंकि वह अपने मित्र को प्रसन्न देख रही थी।

यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़कर अपूर्व खुशी का अनुभव हुआ। उसके मन की चाह पूरी हो गई। वह न केवल पेड़ पर चढ़ने में सफल हुआ, बल्कि अपने लिए एक निजी पेड़ बनाने का सपना भी देख सकता था। हालांकि, वह शारीरिक रूप से ऐसा करने में सक्षम नहीं था। फिर भी, उसे ऐसा सुख पहले कभी नहीं मिला था।

3. पाठ में खोजकर देखिए-कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?

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उत्तर: यासूकि – चान ने जब पहली सीढ़ी की सहायता से पेड़ पर चढ़ने का कोशिश किया तो वह कोशिश व्यर्थ हो गया। उसके बाद जब तोत्तो-चान तिपाई-सीढी खींचकर लाई। अपने अथक कोशिश से उसे ऊपर चढ़ाने का कोशिश करने लगी तब दोनों कड़ी धूप में पसीने से तरबतर हो गए। दोनों के इस अथक परिश्रम के बीच बादल का एक टुकड़ा आकर उन्हें कंड़कती धूप से बचाकर छाया देता है। उन दोनों की मदद के लिए वहाँ कोई नहीं था। तब प्रकृति उन दोनों की मदद करने लगी।

मेरी राय में, इस प्रकार परिस्थिति का बदलना एक प्रतीक हो सकता है कि जब इंसान अपनी पूरी मेहनत और प्रयास करता है, तब प्रकृति भी उसकी मदद के लिए आगे आती है। यह संकेत हैं की जब हम पूरे मेहनत और लगन से कम करते है तो मनुष्य तो मनुष्य प्रकृति भी हमारी मदद करती हैं।

4. ‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह…….. अंतिम मौका था।’ – इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?

उत्तर: यासूकि-चान के पास पेड़ पर चढ़ने के लिए यह अंतिम और आखिरी मौका होगा’ उसने ऐसा इसीलिए कहा क्योंकि तोत्तो-चान का प्रिय मित्र यासुकी-चान पोलियोग्रस्त था। उसके लिए पेड़ पर चढ़ना नामुमकिन था। तोत्तो-चान उसे पेड़ पर चढ़ाने के लिए बहुत मेहनत करती है। तोत्तो-चान जैसा मित्र मिल पाना उसके लिए मुश्किल था। तोत्तो-चान का बहुत मेहनत और साहस से वह पहली बार पेड़ पर चढ़ पाया था। इसी संदर्भ में लेखिका कहती हैं कि यह उसके लिए अंतिम और आखिरी मौका है।

पाठ से आगे:

1. तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?

उत्तर: सीखने और ज्ञान प्राप्त करने की सफलता के लिए तीव्र इच्छा, बुद्धि और कठोर परिश्रम का उपयोग करना चाहिए। मेरा लक्ष्य है कि मैं विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में गहरी समझ विकसित करूँ, ताकि नई खोजों और आविष्कारों में योगदान दे सकूँ। जिससे दूसरो को खुशी मिले और उनकी मदद हो सके।

2. हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’, कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना:

1. अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें नीचे क्यों थीं?

उत्तर: अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें नीचे इसलिए थीं क्योंकि तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। यासूकि चान पोलियोग्रत था और वह पेड़ पर चढ़ नही पाता था। माँ यह जोखिम भरा कार्य नहीं करने देगी। जब माँ ने तोत्तो-चान को पूछा कि तुम कहाँ जा रहे हो तो उसने झूठ कहा कि वह यासुकी-चान से मिलने उसके घर जा रही है। यह कहते समय उसकी नज़रें नीची थीं ताकि उसकी चोरी पकड़ी न जा सके। आँखें सब बता देती हैं। माँ को सच पता चलने पर वह उसे जाने नहीं देती।

2. यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुज़रनेवाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधावाली जगहों की सूची बनाइए।

उत्तर: कई स्कूलों मैं अपंग बच्चों के लिए रैम्प बनाई जाती है, जिससे उन्हें कक्षाओं में जाने में सुविधा होती है। मैट्रो रेल में भी अपंगों को चढ़ने-उतरने के लिए विशेष प्रकार की  लिफ्ट और रैम्प की व्यवस्था होती है, जिससे वे आसानी से चढ़ और उतर सकते हैं। अस्पतालों में व्हील चेयर होती है। हवाई अड्डों पर भी यह सुविधा उपलब्ध है।

भाषा की बात:

1. द्विशाखा शब्द द्वि और शाखा के योग से बना है। द्वि का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है-डाल। द्विशाखा पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती हैं। द्वि की भाँति आप त्रि से बननेवाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है तीन। इस प्रकार, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अकसर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए कि क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेज़ी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे-हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेज़ी एट।

उत्तर: 

हिंदी संस्कृतअंग्रेज़ी
दो द्वि टु
तीन त्रि थ्री 
चार चतुर फ़ोर 
पाँच पंच फाइव 
छह षष्टसिंक्स 
सात सप्तसेवेन 
आठ अष्टएट 
नौ नवनाइन 

2. पाठ में ‘ठिठियाकर हँसने लगी’, ‘पीछे से धकियाने लगी’ जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इनमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज़ को हँसी का विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में ‘आना’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फ़िल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बननेवाले चार सार्थक शब्द लिखिए।

उत्तर: घराना, दिखाना, जुर्माना, रोजाना, खिलाना, पिलाना, सुनाना, शर्माना, दौड़ाना, चलाना।

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