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NCERT Class 7 Hindi Chapter 4 कठपुतली
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कठपुतली
Chapter: 4
वसंत भाग – 2
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
प्रश्न- 1. कठपुतली क्यों गुस्से से उबल पड़ी?
उत्तर: कठपुतली स्वयं को धागों से बंधे देखकर तथा दूसरे के इशारे पर नाचते देखकर गुस्से से उबल पड़ी।
2. कठपुतलों ने क्या कहा?
उत्तर: कठपुतली ने कहा कि मेरे आगे-पीछे धागे क्यों है? इन्हें तोड़ दिया जाए।
3. ‘मुझे मेरे पाँव पर छोड़ दो’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: कठपुतली आत्मनिर्भर होना चाहती है। वह अपनी इच्छानुसार नाचना या कार्य करना चाहती है। वह स्वयं चलना चाहती है।
4. किसकी बात सुनकर कौन बोली?
उत्तर: पहली कठपुतलों की बात सुनकर अन्य कठपुतलियाँ बोलीं।
5. उन्होंने क्या कहा?
उत्तर: अन्य कठपुतलियों ने भी अपनी आजादी की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि हम बहुत दिनों से अपने मन की बात नहीं कर पाई है। हम भी स्वतंत्रता चाहती हैं।
6. पहलो कठपुतली मन में क्या सोचने लगी?
उत्तर: पहली कठपुतली सोचने लगी कि उसके मन में यह स्वतंत्रता की कैसी इच्छा जग गई है? इसका क्या परिणाम होगा?
बहुविकल्पी प्रश्न
सही उत्तर चुनकर लिखिए–
1. इस कविता के रचयिता कौन है?
(क) मैथिलीशरण गुप्त।
(ख) भवानीप्रसाद मिश्र।
(ग) सुमित्रानंदन पत।
(थ) अन्य।
उत्तर: (ख) भवानीप्रसाद मिश्र।
2. कठपुतली को किनसे परेशानी थी?
(क) धागों से।
(ख) गुस्से से।
(ग) पाँवों से।
(घ) किसी से नहीं।
उत्तर: (क) धागों से।
3. इस काव्यांश में कठपुतली के मन का कौन-सा भाव प्रकट होता है-
(क) स्वतंत्रता का।
(ख) गुस्से का।
(ग) खड़े होने का।
(घ) तोड़ने का।
उत्तर: (ख) गुस्से का।
4. अन्य कठपुतलियाँ क्या बोलीं?
(क) हमें आजादी नहीं चाहिए।
(ख) बहुत दिनों से हमने अपने मन के छंद नहीं छुए।
(ग) हमारे मन की बात मन में ही है।
(घ) तुम ठीक कहती हो।
उत्तर: (ख) बहुत दिनों से हमने अपने मन के छंद नहीं छुए।
5. ‘पहली कठपुतली’ – रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा।
(ख) सर्वनाम।
(ग) क्रिया।
(घ) विशेषण।
उत्तर: (घ) विशेषण।
6. ‘कठपुतलियाँ’ किसकी प्रतीक है?
(क) खिलौनों की।
(ख) आम लोगों की।
(ग) स्वतंत्रता की।
(घ) पता नहीं।
उत्तर: (ख) आम लोगों की।
प्रश्न-अभ्यास
>> कविता से
प्रश्न 1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर: कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि उसे चारों ओर से धागों के बंधन में बाँध रखा गया था। वह इस बंधन से तंग आ गई थी। वह स्वतंत्र होना चाहती थी। वह अपनी इच्छानुसार जीना चाहती थीं।
प्रश्न 2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़े होने की इच्छा है, लेकिन क्यों नहीं खड़ी होती?
उत्तर: कठपुतली अपने पाँवों पर खड़े होने की इच्छा तो रखती है लेकिन वह खड़ी नहीं होती। इसका कारण है उसके पैरों में स्वतंत्र रूप से खड़े होने की शक्ति नहीं है। इच्छा के साथ अपनी शक्ति और प्रयास की भी आवश्यकता होती है। अभी तक वह दूसरों के इशारों पर चलती आई है।
प्रश्न 3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को कैसी लगी और क्यों?
उत्तर: पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को बहुत अच्छी लगी। वे भी स्वतंत्र होना चाहती थीं और अपने मन के अनुसार चलना चाहती थीं। वे धागों में बँधकर नहीं रहना चाहती थीं।
प्रश्न 4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि- ‘ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे? इन्हें तोड़ दो / मुझे मेरे पैरों पर छोड़ दो’- तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि……. ‘यह कैसी इच्छा/ मेरे मन में जगी ?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपना विचार व्यक्त कीजिए-
• उसे दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी महसूस होने लगी।
• उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
• वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपायों को सोचने लगी।
• वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तर: कहने और करने में बहुत अंतर होता है। पहली कठपुतली ने स्वतंत्र होने की इच्छा तो प्रकट कर दी, पर फिर उसे स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी कि वह किस प्रकार स्वतंत्र हो पाएगी। अभी उसकी उम्र कम थी अतः उसे अभी दूसरे के सहारे की जरूरत थी। स्वतंत्रता पाकर उसे बनाए रखने के लिए विशेष उपाय करने पड़ते हैं। अब उसके ऊपर अन्य कठपुतलियों की स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी भी आ गई थी। दूसरों की आज़ादी के लिए काम करना बहुत सरल नहीं होता। वह भविष्य की स्थिति के बारे में सोचने लगी थी। अपनी इस इच्छा को कैसे आगे ले जाए और अन्य कठपुतलियों की स्वतंत्रता की रक्षा कैसे करे, ये बातें उसके मन में आ रही थीं।
>> कविता से आगे
प्रश्न 1. ‘बहुत दिन हुए/हमें अपने मन के छंद छुए।’ – इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है ? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तर: (ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो। अर्थात् हमने अपने मन की बात को नहीं सुना और मन की इच्छा के अनुसार कार्य नहीं किया। पराधीनता ने हमें सोचने-समझने का मौका ही नहीं दिया।
प्रश्न 2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए-
(क) सन् 1857 _________
उत्तर: सन् 1857 1. महारानी लक्ष्मीबाई 2. तांत्या टोपे।
(ख) सन् 1947 _________
उत्तर:सन् 1947, 1. भगतसिंह 2. नेताजी सुभाषचंद्र बोस।
>> अनुमान और कल्पना
• स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियों ने कैसे लड़ी होगी और स्वतंत्र होने के बाद उन्होंने स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे से बाँध कर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी?
उत्तर: स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियों ने विद्रोह करके मिल कर लड़ी होगी। उन्होंने अपने धागे तोड़ दिए होंगे। संचालक ने उन्हें अपने वश में करने के लिए फिर से धागों में बाँधने का प्रयास किया होगा । कठपुतलियों ने स्वयं को धागों में बँधने से मना कर दिया होगा और संघर्ष किया होगा। इसके लिए उन्हें कष्ट उठाने पड़े होंगे।
>> भाषा की बात
1. कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ एक ‘कठपुतली’ शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए:
जैसे- काठ (कठ) से बना-कठगुलाब, कठफोड़ा।
1. हाथ और करघा – हथकरघा
2. हाथ और कड़ी – हथकड़ी
3. सोन और परी – सोनपरी
4. मिट्टी और कोड – मटकोड, मटमैला
5. हाथ और गौला – हथगोला
6. सोन और जुही – सोनजुही
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
2. कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे- आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में ‘पीछे-आगे’ का प्रयोग हुआ है। यहाँ ‘आगे’ का’ …….. बोली या धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए- दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि ।
उत्तर: पतला- दुबला, उधर-इधर, नीचे-ऊपर, बाएँ-दाएँ, काला-गोरा, पीला-लाल।
कुछ करने को:
सर्जनात्मक कार्य –
– एक कठपुतली बनाइए। पहले इसका मुखौटा तैयार कीजिए। मुखौटे को लकड़ी, कागज की लुगदी से तैयार किया जा सकता है। इस चेहरे पर रंग लगाआओ। इसके बाद बसे कपड़े पहनाओ।
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
परीक्षोपयोगी अन्य आवश्यक प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पी प्रश्न
1. ‘कठपुतली’ कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) मैथिलीशरण गुप्त।
(ख) भवानी प्रसाद मिश्र।
(ग) सुमित्रानंदन पंत।
(घ) सुभद्रा कुमारी चौहान।
उत्तर: (ख) भवानी प्रसाद मिश्र।
2. कठपुतली को किस बात का दुख था?
(क) हरदम हँसने का।
(ख) दूसरों के इशारे पर नाचने का।
(ग) हरदम खेलने का।
(घ) हरदम धागा खींचने का।
उत्तर: (ख) दूसरों के इशारे पर नाचने का।
3. कठपुतली के मन में कौन-सी इच्छा जागी?
(क) मस्ती करने की।
(ख) खेलने की।
(ग) आज़ाद होने की।
(घ) नाचने की।
उत्तर: (ग) आजाद होने की।
4. पहली कठपुतली ने दूसरी कठपुतली से क्या कहा?
(क) स्वतंत्र होने के लिए।
(ख) अपने पैरों पर खड़े होने के लिए।
(ग) बंधन से मुक्त होने के लिए।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।
5. कठपुतलियों को किनसे परेशानी थी?
(क) गुस्से से।
(ख) पाँवों से।
(ग) धागों से।
(घ) उपर्युक्त सभी से।
उत्तर: (ग) धागों से।
6. कठपुतली ने अपनी इच्छा प्रकट की:
(क) हर्षपूर्वक।
(ख) विनम्रतापूर्वक।
(ग) क्रोधपूर्वक।
(घ) व्यथापूर्वक।
उत्तर: (ग) क्रोधपूर्वक।
7. कठपुतली गुस्से से क्यों उबल पड़ी?
(क) वह आजाद होना चाहती थी।
(ख) वह खेलना चाहती थी।
(ग) वह पराधीनता से परेशान थी।
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर: (ग) वह पराधीनता से परेशान थी।
8. ‘पाँवों को छोड़ देने’ का अर्थ है:
(क) सहारा देना।
(ख) स्वतंत्र कर देना।
(ग) आश्रयहीन कर देना।
(घ) पैरों से सहारा हटा देना।
उत्तर: (ख) स्वतंत्र कर देना।
9. ‘मन के छंद छूना’ का आशय है-
(क) कविता की रचना करना।
(ख) कविता पढ़ना।
(ग) अपनी मनमर्जी से काम करना।
(घ) अपनी बातें दूसरों से मनवाना।
उत्तर: (ग) अपनी मनमर्जी से काम करना।
10. पहली कठपुतली पर अन्य कठपुतलियों की इच्छा का क्या असर हुआ?
(क) उसकी खुशी बढ़ गई।
(ख) उसे प्रेरणा मिली।
(ग) वह सोच में पड़ गई।
(घ) वह दुखी हुई।
उत्तर: (ग) वह सोच में पड़ गई।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कठपुतलियाँ किसका प्रतीक हैं?
उत्तर: कठपुतलियाँ सामान्य जनों की प्रतीक हैं। वे अपनी मर्जी का जीवन नहीं जी पा रहीं।
प्रश्न 2. एक कठपुतली क्या हो सकती है?
उत्तर: एक कठपुतली नेता हो सकती है।
प्रश्न 3. धागे किसके प्रतीक हैं?
उत्तर: धागे गुलामी के बधंन के प्रतीक है।
प्रश्न 4. कठपुतली को धागे में क्यों बाँधा जाता है?
उत्तर: कठपुतली को धागे में इसलिए बाँधा जाता है ताकि उसे अपनी उँगलियों के इशारों पर नचाया जा सकें।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘कठपुतली’ कविता के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर: ‘कठपुतली’ कविता के माध्यम से कवि स्वतंत्रता महत्त्व बताना चाहता है। परतंत्रता के बंधन व्यक्ति को बहुत दुःखी करते हैं। वह इनसे मुक्ति चाहता है। वह बंधनों को तोड़ना चाहता है। बंधनों में जकड़कर व्यक्ति मने की इच्छा को प्रकट नहीं कर पाता है। स्वतंत्र होना और उसे बनाए रखना बहुत ज़रूरी है, भले ही यह कठिन क्यों न हो।
प्रश्न 2. पहली कठपुतली अपनी सभी सहेलियों को विद्रोह के लिए एकजुट होते देख अपने फैसले पर पुनः विचार क्यों करने लगी?
उत्तर: पहली कठपुतली की बात सुनकर सभी कठपुतलियाँ विद्रोह की बातें करने लगीं। यह देखकर पहली कठपुतली सोच में पड़ गई कि क्या उसका फैसला सही था। उसे भय हुआ कि कहीं उसकी यह इच्छा उसकी सहेलियों को किसी मुसीबत में न डाल दे। वह जानती थी कि आज़ादी हासिल करना कठिन है तो उसे सँभाल पाना और भी अधिक कठिन है।
प्रश्न 3. कठपुतली को गुस्सा क्यों आता है?
उत्तर: कठपुतली को गुस्सा इसलिए आता है क्योंकि उसे चारों ओर से धागों से बंधन में बाँध कर रखा गया था। वह इस बंधन से तंग आ गई थी। वह आज़ाद होना चाहती थी। वह अपनी इच्छानुसार जीना चाहती थी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. ‘कठपुतली’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर: इस कविता में कठपुतलियाँ स्वयं अपनी बात स्वतंत्रता की इच्छा से व्यक्त कर रही हैं। उनके समक्ष स्वतंत्रता को साकार बनाने वाली चुनौतियाँ हैं। धागे में बँधी हुई कठपुतलियाँ पराधीन हैं। इन्हें दूसरों के इशारे पर नाचने से दुख होता है। दुख से बाहर निकलने के लिए एक कठपुतली विद्रोह कर देती है। वह अपने पाँव पर खड़ी होना चाहती है। उसकी बात सभी कठपुतलियों को अच्छी लगती है। स्वतंत्र रहना कौन नहीं चाहता? लेकिन जब पहली कठपुतली पर सबकी स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी आती है, वह सोच-समझ कर कदम उठाना ज़रूरी समझती है।
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न : क्या आपको दूसरों के संकेतों पर चलना पसंद है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर: नहीं, हमें दूसरों के संकेतों पर चलना कतई पसंद नहीं हैं। इससे हमारी स्वतंत्रता का हनन होता है। प्रत्येक स्वाभिमानी व्यक्ति स्वयं अपनी शर्तों पर जीना पसंद करता है। दूसरे के इशारों पर चलना तो एक प्रकार की गुलामी ही है। इसे नहीं सहा जा सकता।