NCERT Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 आश्रम का अनुमानित व्यय

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NCERT Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 आश्रम का अनुमानित व्यय

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आश्रम का अनुमानित व्यय

Chapter: 15

वसंत भाग–२
प्रश्न-अभ्यास

लेखा-जोखा:

1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गांधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार- छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि क्यों खरीदना चाहते होंगे?

उत्तर: हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गांधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार- छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि इसीलिए खरीदना चाहते थे, क्योंकि गाँधी जी अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना कर रहे थे। वहाँ अनेक लोगों के आने की उम्मीद थी। वे चाहते थे कि आश्रम में सारा काम आश्रम के लोग स्वयं ही करें। उनका उद्देश्य यह था कि लोग अपने काम खुद कर सकें और आत्मनिर्भर बनें, जिससे वे दूसरों पर निर्भर न रहें।

2. गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उनपर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।

उत्तर: गांधी जी के ऊपर लिखी गई किताबों से ज्ञात होता है, कि गांधी जी बचपन से ही समय और हिसाब के पाबंद रहें हैं। जैसे –

(क) वे बिल्कुल भी फिजूल खर्च न करते थे। एक-एक पैसा सोच समझकर खर्च करते थे यहाँ तक कि कई बार तो पच्चीस-पच्चीस किलोमीटर एक दिन में पैदल चलते थे।

(ख) असहयोग आंदोलन के समय भी वे यह हिसाब लगाने में पूर्णतया सक्ष्म थे कि किस स्थान पर किस तरह से ब्रिटिश शासन पर प्रहार करना है। यही कारण था कि लोग उनके हर विचार की कद्र करते थे और उनका कहा पूरी तरह से मानते थे।

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(ग) किसी भी आश्रम या सभा का हिसाब-किताब वे बहुत कुशलता से लगाते थे। साबरमती आश्रम में भी उन्होंने ऐसा बजट बनाया कि आने वाले मेहमानों के खर्च भी उसमें शामिल किए गए।

3. मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नयी मदों को जोड़ना हटाना चाहेंगे?

उत्तर: बाल आश्रम खोलने के लिए अनुमानित बजट-

(i) भूमि और भवन निर्माण (स्थायी खर्च)

भूमि खरीद – ₹5,00,000 (आश्रम का स्थान और आकार के अनुसार)

भवन निर्माण/मरम्मत – ₹8,00,000 (रहने, पढ़ाई और खेलकूद के लिए कमरे, रसोई और शौचालय सुविधाएँ)

(ii) फर्नीचर और उपकरण (स्थायी खर्च)

बिस्तर और गद्दे – ₹50,000 (20 बच्चों के लिए)

टेबल, कुर्सियाँ और अलमारियाँ – ₹40,000

रसोई के उपकरण – ₹30,000

कंप्यूटर और प्रोजेक्टर – ₹80,000 (शिक्षा और डिजिटल लर्निंग के लिए)

खेलकूद का सामान – ₹20,000

(iii) शिक्षा और पुस्तकालय (स्थायी खर्च)

किताबें और स्टेशनरी – ₹25,000

शिक्षण सामग्री और बोर्ड्स – ₹15,000

(iv) भोजन और रसोई (मासिक खर्च)

खाद्य सामग्री – ₹20,000 प्रति माह

ईंधन (गैस/लकड़ी) – ₹3,000 प्रति माह

(v) कर्मचारी वेतन (मासिक खर्च)

शिक्षक (2) – ₹15,000

रसोईया (1) – ₹8,000

सुरक्षा गार्ड (1) – ₹7,000

सफाई कर्मचारी (1) – ₹5,000

(vi) स्वास्थ्य और चिकित्सा (मासिक खर्च)

प्राथमिक उपचार बॉक्स और दवाइयाँ – ₹2,000

डॉक्टर की मासिक जाँच – ₹3,000

(vii) अन्य मदें (स्थायी और मासिक खर्च)

कपड़े और जूते – ₹10,000

बिजली और पानी का बिल – ₹5,000 प्रति माह

इंटरनेट और टेलीफोन – ₹2,000 प्रति माह

परिवहन (बस/वैन) – ₹1,50,000 (स्थायी खरीद)

4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे-घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीखकर ही छोड़ेंगे।

उत्तर: वे काम जिन्हें हम चाहकर भी नहीं सीख पाए-

कार्यकारण
सिलाई का काम सिखाने वाला नहीं मिला।
पार्लर का काम सिखाने वाला नहीं मिला।
खाना बनाने का कामकिसी ने हाथ नहीं लगाने दिया।

मैं इन कामों को सीखने के लिए पूरी तरह समर्पित हूँ और इन्हें अच्छी तरह सीखकर ही दम लूँगा। 

इसके लिए मैं ऐसे प्रशिक्षक की तलाश में हूँ, जो मुझे इन कार्यों में दक्ष बना सके। 

5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?

उत्तर: (i) कृषि कार्य में दक्षता लाना।

(ii) स्वावलंबन की भावना उत्पन्न करना।

(iii) जरूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना।

(iv) श्रम के प्रति सम्मान का भाव जगाना।

(v) गाँधी जी आश्रम के प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे।

भाषा की बात:

1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-

प्रमाणितव्यथितद्रवितमुखरित
झंकृतशिक्षितमोहितचर्चित

उत्तर:

शब्दप्रत्यय 
प्रमाणितप्रमाण + इत
व्यथितव्यथा + इत
द्रवितद्रव + इत
मुखरितमुखर + इत
झंकृतझंकार + इत
शिक्षितशिक्षा + इत
मोहितमोह + इत।
चर्चितचर्चा + इत।

इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे-सप्ताह + इक = साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-

मौखिकसंवैधानिकप्राथमिक
नैतिकपौराणिकदैनिक

उत्तर:

शब्दप्रत्यय 
मौखिकमुख + इक
संवैधानिकसंविधान + इक
प्राथमिकप्रथम + इक
नैतिकनीति + इक
पौराणिकपुराण + इक
दैनिकदिन + इक

2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है? 

उत्तर: रसोईघर = रसोई का घर।

राष्ट्रपति = राष्ट्र का पति।

प्रधानमंत्री = मंत्रियों का प्रधान।

विद्यालय = विद्या के लिए आलय।

राजपुत्र = राजा का पुत्र।

तुलसीकृत = तुलसी द्वारा कृत।

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