NCERT Class 7 Hindi Chapter 17 वीर कुँवरसिंह

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NCERT Class 7 Hindi Chapter 17 वीर कुँवरसिंह

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वीर कुँवरसिंह

Chapter: 17

वसंत भाग – 2 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1. कुँवर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था? 

उत्तर: कुँवर सिंह का जन्म 1782 ई. में बिहार के शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में हुआ था।

2. उनके माता-पिता के नाम बताइए।

उत्तर: कुँवर सिंह के पिता का नाम साहबजादा सिंह तथा माता का नाम पंचरतन कुँवर था। 

3. कुँवर सिंह की देखभाल ठीक से क्यों नहीं हो पाई?

उत्तर: कुँवर सिंह की देखभाल ठीक से इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि कुँवर सिंह के पिता जगदीशपुर रियासत के ज़मींदार थे। उन्हें अपनी जमींदारी हासिल करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था।

4. कुँवर सिंह के पिता कैसे व्यक्ति थे?

उत्तर: कुँवर सिंह के पिता वीर होने के साथ-साथ स्वाभिमानी एवं उदार स्वभाव के व्यक्ति थे।

5. इस गद्यांश में किस संत का नामोल्लेख हुआ है और क्यों?

उत्तर: इस गद्यांश में ‘बसुरिया बाबा’ नामक सिद्ध संत का उल्लेख हुआ है। उन्होंने ही कुँवर सिंह के मन में देशभक्ति और स्वाधीनता की भावना उत्पन्न की थी।

6. उन्होंने कहाँ-कहाँ किस प्रकार की योजनाएँ बनाई?

उत्तर: वे बनारस, मथुरा, कानपुर, लखनऊ आदि स्थानों पर रहकर अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह करने की सक्रिय योजनाएँ बनाते थे।

7. सोनपुर का मेला क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: सोनपुर का मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। यह मेला हाथियों की खरीद-बिक्री के लिए भी प्रसिद्ध है।

8. इस मेले का क्रांतिकारी क्या उपयोग करते थे?

उत्तर: एक ऐतिहासिक मेले का उपयोग क्रांतिकारी क्रांति की योजना बनाने के लिए एकत्रित होने के लिए करते थे। यहीं वे स्वाधीनता की योजनाएँ बनाते थे।

8. जगदीशपुर का पतन क्यों हुआ? 

उत्तर: जगदीशपुर के पतन के कई कारण थे-

– देशी सैनिकों में अनुशासन की कमी।

– स्थानीय जमींदारों का अंग्रेज़ों का साथ देना।

– आधुनिक शस्त्रों की कमी।

9. कुँवर सिंह की सेना के हारने पर कुँवर सिंह पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: कुँवर सिंह की सेना 13 अगस्त को अंग्रेज़ों से हार गई, पर इस हार का कुँवर सिंह पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा। उनका आत्मबल नहीं टूटा। वे अगली योजना बनाने में जुट गए।

10. कुँवर सिंह कहाँ से कहाँ जा पहुँचे?

उत्तर: कुँवर सिंह सासाराम से मिर्ज़ापुर होते हुए रीवा, कालपी, कानपुर, लखनऊ तक गए। लखनऊ की अशांति को देख कर वे आज़मगढ़ की ओर चले गए।

11. कुँवर सिंह की वीरता और यात्रा का अंग्रेज़ों पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर: कुँवर सिंह की वीरता और उनकी विजय यात्रा ने अंग्रेज़ों के होश उड़ा दिए।

12. कुँवर सिंह किस विद्या में कुशल थे? 

उत्तर: कुँवर सिंह युद्ध कला में अत्यंत कुशल थे। वे छापामार युद्ध में तो बहुत कुशल थे।

13. उनके रग-कौशल को समझने में कौन असमर्थ थे?

उत्तर: कुँवर सिंह के रण कौशल को पूरी तरह समझने में अंग्रेजी सेनापति भी पूरी तरह असमर्थ थे।

14. उन्होंने अंग्रेजों के साथ क्या किया? 

उत्तर: उन्होंने अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। अंग्रेजों को या तो युद्धस्थल से भाग जाना पड़ता था या वे मारे जाते थे।

15. क्या बात इतिहास के पृष्ठों पर अंकित है?

उत्तर: वीर कुँवर सिंह ने अंग्रेजी सेना को जिस तलवार की धार से मौत के घाट उतारा उसकी चमक आज भी भारतीय इतिहास के पृष्ठों पर अंकित है।

16. वीर कुँवर सिंह ने क्या-क्या काम किए?

उत्तर: वीर कुँवर सिंह ने निम्नलिखित काम किए-

– ब्रिटिश हुकूमत से टक्कर ली।

– आरा स्कूल के लिए जमीन दान दी।

– गरीबों की आर्थिक मदद की।

– सड़कें बनवाई।

– कुएँ खुदवाए।

– तालाब बनवाए।

17. कुँवर सिंह के व्यक्तित्व में अन्य क्या-क्या गुण थे? 

उत्तर: कुँवर सिंह के व्यक्तित्व में वीरता के अलावा उदारता एवं संवेदनशीलता के गुण विद्यमान थे।

18. उनकी धर्मनिरपेक्षता किन कामों से पता चलती है?

उत्तर: कुँवर सिंह की धर्मनिरपेक्षता इन कामों से पता चलती है-

– उनकी सेना में हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी उच्च पदों पर आसीन थे। 

– उन्होंने पाठशालाओं के साथ मकतब (मदरसे) भी बनवाए।

– उनके यहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार एक साथ मिलकर मनाए जाते थे।

19. कुँवर सिंह की लोकप्रियता का पता किससे चलता है?

उत्तर: वीर कुँवर सिंह की लोकप्रियता का पता उन गीतों से मिलता है जो बिहार की लोकभाषाओं में उनकी प्रशस्ति के रूप में गाए जाते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न

सही उत्तर चुनकर लिखिए-

1. कुंवर सिंह का जन्म किस राज्य में हुआ था? 

(क) बिहार।

(ख) शाहाबाद।

(ग) उत्तर प्रदेश।

(घ) राजस्थान।

उत्तर: (क) बिहार।

2. कुँवर सिंह के पिता क्या थे?

(क) राजा।

(ख) जमींदार।

(ग) जागीरदार।

(घ) कुछ नहीं।

उत्तर: (ख) जमींदार

3. कुँवर सिंह के पिता कैसे थे?

(क) वीर।

(ख) स्वाभिमानी।

(ग) उदार।

(घ) ये सभी बातें।

उत्तर: (घ) ये सभी बातें।

4. बसुरिया बाबा क्या थे?

(क) सिद्ध संत।

(ख) सैनिक।

 (ग) वीर।

(घ) अध्यापक।

उत्तर: (क) सिद्ध संत।

5. किस स्थान को गुप्त बैठकों के लिए चुना गया?

(क) बिहार को।

(ख) सोनपुर के मेले को।

(ग) नालंदा को।

(घ) पुष्कर मेले को।

उत्तर: (ख) सोनपुर के मेले को।

6. मेला किसके क्रय-विक्रय के लिए विख्यात है?

(क) घोड़ों।

(ख) ऊंटों।

(ग) हाथियों।

(घ) सामान।

उत्तर: (ग) हाथियों।

7. जगदीशपुर का पतन का कारण था-

(क) सैनिकों में अनुशासन की कमी।

(ख) जमींदारों का अंग्रेजों के साथ सहयोग करता।

(ग) नए शस्त्रों की कमी।

(घ) में सभी कारण।

उत्तर: (घ) में सभी कारण।

8. अंग्रेज़ों से परास्त होने पर कुंवर सिंह का आत्मबल- 

(क) टूट गया।

(ख) बह गया।

(ग) जांचा गया।

(घ) ठीक रहा।

उत्तर: (ख) बह गया।

9. लखनऊ से कुँवर सिंह ने कहाँ प्रस्थान किया? 

(क) आजमगढ़।

(ख) कानपुर।

(ग) मिर्जापुर।

(घ) कही नहीं।

उत्तर: (क) आजमगढ़।

10. ‘वीरता’ में ‘ता’ क्या है? 

(क) उपसर्ग।

(ख) प्रत्यय।

(ग) मूलशब्द।

(घ) अन्य।

उत्तर: (ख) प्रत्यय।

11. कुँवर सिंह युद्धकला में कैसे थे?

(क) कुशल।

(ख) अकुशल।

(ग) ठीक-ठीक।

(घ) पता नहीं।

उत्तर: (क) कुशल।

12. अंग्रेजी सेनानायक क्या समझने में असमर्थ थे?

(क) कुँवर सिंह की चालों को।

(ख) युद्ध कला को।

(ग) कुँवर सिंह के रण कौशल को।

(घ) कुँवर सिंह को।

उत्तर: (ग) कुँवर सिंह के रण कौशल को।

13. ‘अंकित’ शब्द में कौन-सा प्रत्यय है?

(फ) अंक।

(ख) कित।

(ग) इत।

(घ) त।

उत्तर: (ग) इत।

14. ‘मौत के घाट उतारा’ का सही अर्थ है-

(क) मार दिया।

(ख) नदी घाट पर छोड़ दिया।

(ग) घाट के पार भेजा।

(घ) मौत के निकट ला दिया।

उत्तर: (क) मार दिया।

15. ‘सामाजिक’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?

(क) समाज।

(ख) जिक।

(ग) इक।

(घ) क।

उत्तर: (ग) इक।

16. कुँवर सिंह की आर्थिक स्थिति कैसी थी?

(क) अच्छी।

(ख) बहुत अच्छी।

(ग) बहुत अच्छी नहीं।

(घ) सामान्य।

उत्तर: (ग) बहुत अच्छी नहीं।

17. कुँवर सिंह किस प्रकार के व्यक्ति थे?

(क) उदार।

(ख) संवेदनशील।

(ग) परोपकारी।

(घ) ये सभी प्रकार।

उत्तर: (घ) ये सभी प्रकार।

18. कुँवर सिंह की प्रशस्ति का गायन किन में होता है? 

(क) बिहार के लोकगीतों में।

(ख) दिल्ली की सभाओं में।

(ग) पाठशालाओं में।

(घ) जन-जन में।

उत्तर: (क) बिहार के लोकगीतों में।

प्रश्न-अभ्यास

>> निबंध से

प्रश्न 1. वीर कुँवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?

उत्तर: वीर कुँवर सिंह के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है-

• वीर कुँवर सिंह वीर थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध वीरतापूर्वक युद्ध किए।

• वे युद्धकला में पूरी तरह कुशल थे। उन्हें छापामार युद्ध में महारत हासिल थी।

• वे वीर के अलावा चतुर एवं बुद्धिमान भी थे।

• उनमें बलिदान एवं त्याग की भावना थी।

• वे हिन्दू-मुसलमानों में भेदभाव नहीं करते थे।

• वे देशभक्त थे।

• कुँवर सिंह उदार एवं संवेदनशील व्यक्ति थे।

• वे समाजसेवी एवं परोपकारी भी थे। यद्यपि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।

प्रश्न 2. कुँवर सिंह को बचपन में किन कामों में मज़ा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?

उत्तर: कुँवर सिंह को बचपन में घुड़सवारी करने, तलवारबाज़ी करने तथा कुश्ती लड़ने में मज़ा आता था।

हाँ, उन्हें इन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में मदद मिली। वे घुड़सवारी करके युद्ध करते थे। युद्ध में तलवार चलाना उनके खूब काम आया। इनसे वे निर्भीक एवं कुशल योद्धा बन गए। इसी के बल पर उन्होंने अंग्रेजों को परास्त किया।

प्रश्न 3. सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिंह की गहरी आस्था थी-पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।

उत्तर: कुँवर सिंह की सांप्रदायिक सद्भाव में गहरी आस्था थी। उनकी सेना में मुसलमान भी उच्च पदों पर थे। इब्राहीम खाँ तथा किफायत हुसैन उनकी सेना में उच्च पदों पर आसीन थे। इसके अलावा उनके यहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार एक साथ मिल-जुल कर मनाए जाते थे। उन्होंने पाठशालाओं के साथ मकतबों का भी निर्माण कराया।

प्रश्न 4. पाठ के किन प्रसंगों से तुम्हें पता चलता है कि कुँवर सिंह साहसी उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे? 

उत्तर: पाठ के निम्नलिखित प्रसंगों से हमें पता चलता है। कि कुंवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे-

1. साहसी: कुँवर सिंह ने कई स्थानों पर विजय प्राप्त की, पर जगदीशपुर के पतन को नहीं रोक पाए। परन्तु उन्होंने हार कर भी साहस नहीं खोया। वे भावी संग्राम की योजना में जुट गए। वे बूढ़े हो चले थे, पर साहसी बने हुए थे। 23 अप्रैल, 1858 को विजय पताका फहराते हुए जगदीशपुर पहुँच गए।

2. उदार: कुँवर सिंह बहुत उदार थे। अपनी आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद वे निर्धन व्यक्तियों की सहायता करते रहते थे। उन्होंने परोपकार के अनेक काम किए अर्थात् सड़कें बनवाई कुएँ खुदवाए तथा तालाब बनवाए। 

3. स्वाभिमानी: कुँवर सिंह स्वाभिमानी व्यक्ति थे। उन्होंने अंग्रेजों से कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना बायाँ हाथ काटकर गंगा मैया को अर्पित कर दिया। 

प्रश्न 5. आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद-फरोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुँवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?

उत्तर: प्रायः मेले का उपयोग मनोरंजन खरीद-फरोख्त तथा मेल-जोल के लिए किया जाता है, पर कुँवर सिंह ने सोनपुर के मेले का उपयोग स्वाधीनता संग्राम की योजना बनाने के लिए किया। यहाँ लोग गुप्त रूप से एकत्रित होकर क्रांति के बारे में योजनाएँ बनाते थे। सोनपुर में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। इसका आयोजन कार्तिक पूर्णिमा पर होता है। यहाँ हार्थियों का क्रय-विक्रय अधिक होता है। इनकी ओट में कुँवर सिंह अंग्रेजों को चकमा देने में सफल रहे।

>> निबंध से आगे

प्रश्न 1. सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेने वाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए। 

उत्तर: 1857 में भाग लेने वाले चार स्वतंत्रता सेनानी-

रानी लक्ष्मीबाई: झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के साथ डटकर युद्ध किया। उन्होंने अंग्रेजी सेना को कई स्थानों पर हराया और अंत में अपना अमर बलिदान दे दिया। उस समय उनकी आयु 23 वर्ष थी।

ताँत्या टोपे: इनका मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग था। ये झाँसी की रानी की सेना में सेनापति थे। इन्हें 18 अप्रैल, 1859 को फाँसी पर लटका दिया गया था।

बहादुर शाह ज़फर: मई, 1857 में विद्रोहियों ने दिल्ली पर कब्ज़ा करके बहादुरशाह द्वितीय को पुनः भारत का सम्राट घोषित कर दिया। 82 वर्षीय बहादुरशाह ने बख्त खाँ के सहयोग से विद्रोह का नेतृत्व किया था। उन्हें अपना शेष जीवन रंगून की जेल में बिताना पड़ा।

नाना साहब धुंधू पंत: ये पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। इन्होंने 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया था। नाना साहब ने प्रतिज्ञा की थी- “जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं, मेरे और अंग्रेजों के बीच जंग जारी है, चाहे मुझे मार दिया जाए, बंदी बना दिया जाए, फाँसी पर लटका दिया जाए, मैं हर बात का जवाब तलवार से दूँगा।”

प्रश्न 2. सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए।

उत्तर: एक उदाहरण

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। 

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, 

चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी 

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी, वह स्वयं वीरता का अवतार; 

देख मराठे पुलकित होते उसकी वीरता के वार 

विजय मिली, पर अंग्रेजों की सेना घिर आई थी, 

अबके सम्मुख स्मिथ था, उसने मुँह की खाई थी।

(विद्यार्थी ऐसे गीतों का संकलन करें।)

>> अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. वीर कुँवर सिंह का पढ़ने के साथ-साथ कुश्ती और घुड़सवारी में ज्यादा मन लगता था। आपको पढ़ने के अलावा और किन-किन गतिविधियों या कामों में खूब मजा आता है? लिखिए।

उत्तर: हमें पढ़ने के अलावा निम्नलिखित गतिविधियों में खूब मज़ा आता है-

– खेलने-कूदने में। 

– टी. वी. देखने में।

– संगीत कार्यक्रम में। 

– बहादुरी दिखाने में।

प्रश्न 2. सन् 1857 में अगर तुम 12 वर्ष के होते तो क्या करते? कल्पना करके लिखो।

उत्तर: यदि हम 1857 में 12 वर्ष के होते तो हम अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीयों को एकजुट करने के प्रयासों में मददगार बनते। घुड़सवारी और तलवारबाज़ी की ट्रेनिंग लेकर आगे चल कर सेना में भर्ती होते।

प्रश्न 3. अनुमान लगाइए, स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर के मेले को क्यों चुना गया होगा?

उत्तर: सोनपुर के मेले को स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए इसलिए चुना गया होगा क्योंकि यहाँ काफी भीड़-भाड़ रहती थी। तरह-तरह के पशु खरीद-बिक्री के लिए आते थे। भीड़ में स्वतंत्रता सेनानियों को पहचानना अंग्रेजों के लिए कठिन था। मेले में आए लोगों पर शक करना कठिन था। सोनपुर का पशु मेला इतना बड़ा होता था कि वह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला बन गया था। इसी ऐतिहासिक मेले में क्रांतिकारी एकत्रित होकर अपनी गुप्त योजना बनाते थे।

>> भाषा की बात

आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है। जैसे-सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए। सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के वर्ण ‘नी’ की मात्रा दीर्घ ‘ी’ (ई) से हस्व ‘ि’ (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जिनकेत में दीर्घ ‘ईकार’ होता है, बहुवचन बनाने पर वह ‘इकार’ हो जाता है, यदि शब्द के अंत में ह्रस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता जैसे- दृष्टि से दृष्टियों।

* नीचे दिए गए शब्दों का वचन बदलिए-

नीति ———–ज़िम्मेदारियों ————–
सलामी ————
स्थिति —————स्वाभिमानियों ————
गोली —————

उत्तर: 

नीतिनीतियों / नीतियाँ
ज़िम्मेदारियोंज़िम्मेदारी
सलामीसलामियों
स्थितिस्थितियों / स्थितियाँ
स्वाभिमानियोंस्वाभिमानी
गोलीगोलियों

कुछ करने को:

– एक प्रोजेक्ट तैयार कीजिए

विषय- भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 

– इसका संक्षिप्त इतिहास

– इसमें भाग लेने वाले क्रांतिकारियों के नाम एवं उनका संक्षिप्त परिचय (सचित्र)

– संग्राम का परिणाम और प्रभाव

बनाओ

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई’ का चित्र बनाकर उसके नीचे सुमद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी’ लिखें।

परीक्षोपयोगी अन्य आवश्यक प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘वीर कुँवरसिंह’ पाठ के लेखक कौन हैं?

(क) यतीश अग्रवाल।

(ख) विजय तेंदुलकर।

(ग) विभागीय।

(घ) जैनेंद्र कुमार।

उत्तर: (ग) विभागीय।

2. इनमें कौन-सा वीर प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल नहीं था?

(क) नाना साहेब।

(ख) ताँत्या टोपे।

(ग) सरदार भगत सिंह।

(घ) रानी लक्ष्मीबाई।

उत्तर: (ग) सरदार भगत सिंह।

3. वीर कुंवर सिंह का जन्म किस राज्य में हुआ था?

(क) बंगाल।

(ख) उत्तर प्रदेश।

(ग) बिहार।

(घ) उड़ीसा।

उत्तर: (ग) बिहार।

4. इस पाठ में किस स्थान पर 1857 में भीषण विद्रोह नहीं हुआ था?

(क) कानपुर।

(ख) बुंदेलखंड।

(ग) आजमगढ़।

(घ) रुहेलखंड।

उत्तर: (ब) रुहेलखंड।

5. मंगल पांडे ने अंग्रेजों के विरुद्ध कहाँ बगावत की थी?

(क) दानापुर।

(ख) कानपुर।

(ग) आजमगढ़।

(घ) बैरकपुर।

उत्तर: (घ) बैरकपुर।

6. 11 मई 1857 को भारतीय सैनिकों ने किस पर कब्जा कर लिया?

(क) लखनऊ।

(ख) आरा।

(ग) मेरठ।

(घ) दिल्ली।

उत्तर: (घ) दिल्ली।

7. अंग्रेजी सेना और स्वतंत्रता सेनानियों के मध्य कहाँ भीषण युद्ध हुआ?

(क) बरेली।

(ख) कानपुर।

(ग) आरा।

(घ) उपर्युक्त सभी।

उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।

8. कुँवर सिंह का जन्म बिहार राज्य के किस जनपद में हुआ?

(क) शाहाबाद।

(ख) आरा।

(ग) जहानाबाद। 

(घ) छपरा।

उत्तर: (क) शाहाबाद।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 1857 के सशस्त्र विद्रोह ने क्या किया?

उत्तर: इसने ब्रिटिश शासन की जड़ों को हिला दिया। 

प्रश्न 2. 11 मई को किसे भारत का शासक घोषित किया गया?

उत्तर: अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफ़र को भारत का शासक घोषित किया गया। 

प्रश्न 3. दिल्ली के अतिरिक्त भीषण युद्ध के केंद्र कहाँ-कहाँ थे?

उत्तर: ये केंद्र थे-कानपुर, लखनऊ, बरेली, बुंदेलखंड, आरा। 

प्रश्न 4. कुँवर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ?

उत्तर: कुँवर सिंह का जन्म 1782 ई. में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में हुआ।

प्रश्न 5. कुँवर सिंह ने कब रियासत की जिम्मेदारी सँभाली?

उत्तर: 1827 ई. में पिता की मृत्यु के बाद कुँवर सिंह ने रियासत की जिम्मेदारी सँभाली।

प्रश्न 6. कुँवर सिंह की मृत्यु कब हुई?

उत्तर: 26 अप्रैल, 1858 को।

प्रश्न 7. सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत कब और किसने की? 

उत्तर: सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत मंगल पांडे ने मार्च 1857 में बैरकपुर की सैन्य छावनी से की थी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. जुलाई, 1857 में क्या हुआ?

उत्तर: 25 जुलाई, 1857 को दानापुर की टुकड़ी ने भी विद्रोह कर दिया। सैनिक सोन नदी को पार करके आरा की ओर बढ़ गए। वहाँ पहुँचकर उन्होंने जेल की सलाखें तोड़ दीं और कैदियों को आजाद कर दिया। 27 जुलाई, 1857 को कुँवर सिंह ने आरा पर विजय प्राप्त कर ली। सिपाहियों ने उन्हें फौजी सलामी दी। कुँवर सिंह बूढ़े हो चले थे, पर वे पूरी हिम्मत से युद्ध में जुटे रहे थे।

प्रश्न 2. आजमगढ़ की ओर जाने का कुँवर सिंह का क्या उद्देश्य था?

उत्तर: कुँवर सिंह का आजमगढ़ जाने का उद्देश्य था – इलाहाबाद एवं बनारस पर आक्रमण कर शत्रुओं को परास्त करना और अंततः जगदीशपुर पर अधिकार जमाना। उन्होंने 22 मार्च, 1858 को आजमगढ़ पर कब्जा भी कर लिया। उन्होंने अंग्रेजों को दो बार हराया। वे 23 अप्रैल, 1858 को स्वाधीनता की विजय पताका फहराते हुए जगदीशपुर तक पहुँच गए। 

प्रश्न 3. बिहार के प्रसिद्ध कवि मनोरंजन प्रसाद सिंह ने कुँवरसिंह का प्रशस्ति गायन किन शब्दों में किया है? 

उत्तर: उन्होंने प्रशस्ति गायन करते हुए लिखा है- 

चला गया यों कुँअर अमरपुर, साहस से सब अरिदल जीत। 

उसका चित्र देखकर अब भी, दुश्मन होते हैं भयभीत। 

वीर-प्रसविनी – भूमि धन्य वह, धन्यवीर वह धन्य अतीत। 

गाते थे और गाँवेंगे हम, हरदम उसकी जय का गीत।

स्वतंत्रता का सैनिक था, आजादी का दीवाना था, 

सब कहते हैं कुँअर सिंह भी, बड़ा वीर मरदाना था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

उत्तर: सन् 1857 में भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह किया था। मार्च, 1857 में बैरकपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध मंगलपांडे ने बगावत की। उन्हें 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दी गई। 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी में भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। 11 मई को दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया गया। अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह ज़फर को भारत का शासक घोषित कर दिया गया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों को नाकों चने चबवा दिए। वीर कुँवर सिंह ने अंग्रेज़ों को कई जगह हराया।

प्रश्न 2. कुँवर सिंह और डगलस की टक्कर का वर्णन कीजिए।

उत्तर: कुँवर सिंह को अपनी सेना के साथ गंगा पार करनी थी। अंग्रेज़ी सेना डगलस के नेतृत्व में उनका पीछा कर रही थी। कुँवर सिंह ने यह अफवाह फैला दी कि वह अपनी सेना के साथ हाथियों पर चढ़कर बलिया के पास गंगा पार करेगा। सेनापति डगलस वहीं पहुँच गया, पर कुँवर सिंह ने बलिया की जगह शिवराजपुर नामक स्थान से नावों पर बैठकर गंगा पार कर ली। अंतिम नाव में कुँवर सिंह थे। डगलस की गोली उनकी बाई कलाई को भेदती निकल गई। कुँवर सिंह ने अपना बायाँ हाथ काटकर गंगा मैया को भेंट चढ़ा दिया।

प्रश्न 3. सोनपुर का मेला आज भी एशिया का सबसे बड़ा मेला माना जाता है परंतु तब से लेकर अब तक इस मेले में क्या अंतर आया है?

उत्तर: सोनपुर का मेला आज भी एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के पशुओं तथा मुख्य रूप से हाथियों का क्रय-विक्रय किया जाता है। दुनिया में यह मेला हाथियों के क्रय-विक्रय के लिए विख्यात है। यह मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। इस ऐतिहासिक मेले में सन् 1857 के आंदोलन के समय स्वतंत्रता सेनानी एकत्र हुए थे तथा क्रांति की योजनाएँ बनाने के लिए गुप्त बैठकें की थीं। मेले की भीड़-भाड़ के कारण अंग्रेज उन्हें पहचान नहीं पाए और उन्हें पकड़ना भी संभव नहीं हुआ। एकत्र होकर बातचीत करने पर भी उन पर कोई संदेह नहीं कर सका। आज इस मेले में पशुओं की खरीद-बिक्री के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ बड़ी-बड़ी दुकानें लगाकर बेची जाती हैं। दुकाने खूब सजाई जाती हैं। बच्चों के मनोरंजन हेतु बड़े-बड़े झूले भी लगाए जाते हैं। विभिन्न प्रकार की खाने योग्य सामग्रियाँ भी खूब मिलती हैं। इस मेले में स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक बहुत परिवर्तन हुए हैं।

मूल्यपटक प्रश्न

प्रश्न: कुँवर सिंह के जीवन से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर: कुँवर सिंह का जीवन हमें देश के लिए त्याग एवं संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। कुँवर सिंह परोपकारी एवं उदार स्वभाव के थे। हमें भी परोपकार करने की शिक्षा मिलती है। कुँवरसिंह का जीवन साम्प्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की प्रेरणा भी देता है। उनका जीवन साहस एवं धैर्य का जीता-जागता उदाहरण है। हम भी कुँवर सिंह के समान देश की सेवा करना चाहेंगे।

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