NCERT Class 12 Political Science Chapter 14 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

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NCERT Class 12 Political Science Chapter 14 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

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Chapter: 14

स्वतंत्र भारत में राजनीति

1. निम्नलिखित में मेल करें:

अ ब 
क्षेत्रीय आकांक्षाओं की प्रकृक्तिराज्य 
(क) सामाजिक-धार्मिक पहचान के आधार पर राज्य का निर्माण(i) नगालैंड/मिजोरम
(ख) भाषायी पहचान और केंद्र के साथ तनाव(ii) झारखंड छत्तीसगढ़
(ग) क्षेत्रीय असंतुलन के फलस्वरूप राज्य का निर्माण(iii) पंजाब
(घ) आदिवासी पहचान के आधार पर अलगाववादी माँग(iv) तमिलनाडु

उत्तर: 

अ  
क्षेत्रीय आकांक्षाओं की प्रकृक्तिराज्य 
(क) सामाजिक-धार्मिक पहचान के आधार पर राज्य का निर्माण(iii) पंजाब
(ख) भाषायी पहचान और केंद्र के साथ तनाव(iv) तमिलनाडु
(ग) क्षेत्रीय असंतुलन के फलस्वरूप राज्य का निर्माण(ii) झारखंड छत्तीसगढ़
(घ) आदिवासी पहचान के आधार पर अलगाववादी माँग(i) नगालैंड/मिजोरम

2. पूर्वोत्तर के लोगों की क्षेत्रीय आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति कई रूपों में होती है। बाहरी लोगों के खिलाफ आंदोलन, ज्यादा स्वायत्तता की माँग के आंदोलन और अलग देश बनाने की माँग करना-ऐसी ही कुछ अभिव्यक्तियाँ हैं। पूर्वोत्तर के मानचित्र पर इन तीनों के लिए अलग-अलग रंग भरिए और दिखाइए कि किस राज्य में कौन-सी प्रवृत्ति ज्यादा प्रबल है।

उत्तर: 

3. पंजाब समझौते के मुख्य प्रावधान क्या थे? क्या ये प्रावधान पंजाब और उसके पड़ोसी राज्यों के बीच तनाव बढ़ाने के कारण बन सकते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अकाली दल के नेता संत हरचरण सिंह लोंगोवाल के बीच हुआ “पंजाब समझौता” या राजीव-लोंगोवाल समझौता —

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समझौता पंजाब में अमन कायम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था। इस बात पर सहमति हुई कि चंडीगढ़ पंजाब को दे दिया जाएगा और पंजाब तथा हरियाणा के बीच सीमा-विवाद को सुलझाने के लिए एक अलग आयोग की नियुक्ति होगी। समझौते में यह भी तय हुआ कि पंजाब-हरियाणा-राजस्थान के बीच रावी-व्यास के पानी के बँटवारे के बारे में फैसला करने के लिए एक ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) बैठाया जाएगा। समझौते के अंतर्गत सरकार पंजाब में उग्रवाद से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने और उनके साथ बेहतर सलूक करने पर राजी हुई। साथ ही, पंजाब से विशेष सुरक्षा बल अधिनियम को वापस लेने की बात पर भी सहमति हुई।

4. आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के विवादास्पद होने के क्या कारण थे?

उत्तर: आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के विवादास्पद होने के यह कारण थे ही 1970 के दशक में अकालियों के एक तबके ने पंजाब के लिए स्वायत्तता को माँग उठाई। 1973 में, आनंदपुर साहिब में हुए एक सम्मेलन में इस आशय का प्रस्ताव पारित हुआ। आनंदपुर साहिब प्रस्ताव में क्षेत्रीय स्वायत्तता की बात उठाई गई थी। जो परोक्ष रूप से अलग सिख राष्ट्र की माँग को बढ़ावा देती थी।

5. जम्मू-कश्मीर की अंदरुनी विभिन्नताओं की व्याख्या कीजिए और बताइए कि इन विभिन्नताओं के कारण इस राज्य में किस तरह अनेक क्षेत्रीय आकांक्षाओं ने सर उठाया है।

उत्तर: अन्दरूनी विभिन्नताएँ-जम्मू कपमीर में अधिकांश रूप में अन्दरूनी विभिस्ताएँ पायी जाती हैं। जम्मू कश्मीर राज्य में तीन राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र-जम्मू, कश्मीर और तदाख शामिल हैं। जम्मू पहाड़ी क्षेत्र है, इसमें हिन्दू-मुस्लिम और सिक्छ अर्थात् सभी धर्मों व भाषाओं के लोग रहते हैं। कश्मीर में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या अधिक है और यहाँ पर हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। जबकि लद्दाख पर्वतीय क्षेत्र है, इसमें बोद्ध मुस्लिम की आबादी है। 

विभिन्नताओं के कारण क्षेत्रीय आकांक्षाएँ निम्नलिखित है —

(i) कश्मीर में अधिक स्वायत्तता और कभी-कभी अलगाव की माँग।

(ii) जम्मू क्षेत्र में कश्मीर केंद्रित नीतियों का विरोध।

(iii) लद्दाख में कश्मीर से अलग प्रशासन की माँग।

1947 से पहले जम्मू-कश्मीर में राजशाही थी और उसके हिन्दू शासक महाराजा हरि सिंह भारत या पाकिस्तान में शामिल होने के बजाय स्वतंत्र रहना चाहते थे। राज्य की अधिकांश आबादी मुस्लिम थी, लेकिन यहाँ के लोग खुद को पहले कश्मीरी और बाद में कुछ और मानते थे। शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राज्य की माँग करते हुए आंदोलन चलाया। वे पाकिस्तान में विलय के खिलाफ थे और चाहते थे कि महाराजा सत्ता छोड़ें।

अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान समर्थित कबायली हमले के बाद महाराजा ने भारत से सैन्य सहायता माँगी। भारत ने सहायता देने से पहले विलय पत्र पर हस्ताक्षर करवाए और फिर भारतीय सेना ने घुसपैठियों को पीछे खदेड़ा। यह तय हुआ कि स्थिति सामान्य होने के बाद राज्य की भविष्य की दिशा तय करने के लिए जनमत कराया जाएगा। मार्च 1948 में शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रधानमंत्री बने (राज्य में सरकार के मुखिया को तब प्रधानमंत्री कहा जाता था।) भारत, जम्मू एवं कश्मीर की स्वायत्तता को बनाए रखने पर सहमत हो गया। इसे संविधान में धारा 370 का प्रावधान करके संवैधानिक दर्जा दिया गया।

6. कश्मीर की क्षेत्रीय स्वायत्तता के मसले पर विभिन्न पक्ष क्या है? इनमें कौन-सा पक्ष आपको समुचित जान पड़ता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर: कश्मीर की क्षेत्रीय स्वायत्तता के मसले पर विभिन्न पक्ष निम्नलिखित है—

(i) पहला पक्षः अनुच्छेद 370 को बनाए रखना चाहिए (क्षेत्रीय पहचान व संवैधानिक विशेषता के लिए)।

(ii) दूसरा पक्षः इसे हटाना चाहिए, ताकि भारत की एकता मजबूत हो।

(iii) तीसरा पक्षः आंशिक संशोधन या पुनर्विचार किया जाए।

इनमें पहला पक्ष मुझे समुचित जान पड़ता है क्योंकि जम्मू-कश्मीर की आंतरिक स्वायत्तता का मुद्दा है। कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों के लोगों का आरोप है कि राज्य सरकार ने हमेशा उनके हितों की अनदेखी की है और केवल कश्मीर घाटी के विकास पर ध्यान दिया है। इसलिए, इन क्षेत्रों को भी आंतरिक स्वायत्तता मिलनी चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप लद्दाख स्वायत्त परिषद की स्थापना हुई।

आजादी के बाद से ही जम्मू-कश्मीर की राजनीति बाहरी (पाकिस्तान का दावा और 1947 का हमला) और आंतरिक (भारतीय संघ में कश्मीर की हैसियत पर विवाद) कारणों से विवादित रही है। धारा 370 के तहत कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ है, जिसके तहत राज्य का अपना संविधान है और भारतीय कानूनों को लागू करने के लिए राज्य की सहमति आवश्यक है।

7. असम आंदोलन साँस्कृतिक अभिमान और आर्थिक पिछड़ेपन की मिली-जुली अभिव्यक्ति था। व्याख्या कीजिए।

उत्तर: 1979 में ऑल असम स्टूडेंटस् यूनियन (आसू-AASU) ने विदेशियों के विरोध में एक आंदोलन चलाया। ‘आसू’ एक छात्र संगठन था और इसका जुड़ाव किसी भी राजनीतिक दल से नहीं था। ‘आसू’ का आंदोलन अवैध आप्रवासी, बंगाली और अन्य लोगों के दबदबे तथा मतदाता सूची में लाखों आप्रवासियों के नाम दर्ज कर लेने के खिलाफ था। आंदोलन की माँग थी कि 1951 के बाद जितने भी लोग असम में आकर बसे हैं उन्हें असम से बाहर भेजा जाए। इस आंदोलन ने कई नए तरीकों को आजमाया और असमी जनता के हर तबके का समर्थन हासिल किया। इस आंदोलन को पूरे असम में समर्थन मिला। आंदोलन के दौरान हिंसक और त्रासद घटनाएँ भी हुई। बहुत से लोगों को जान गंवानी पड़ी और धन-संपत्ति का नुकसान हुआ। आंदोलन के दौरान रेलगाड़ियों की आवाजाही तथा बिहार स्थित बरौनी तेलशोधक कारखाने को तेल-आपूर्ति रोकने की भी कोशिश की गई।

8. हर क्षेत्रीय आंदोलन अलगाववादी माँग की तरफ अग्रसर नहीं होता। इस अध्याय से उदाहरण देकर इस तथ्य की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: हाँ, हर क्षेत्रीय आंदोलन अलगाववादी नहीं होता है। क्षेत्रीय आंदोलन विभिन्न कारणों से होते हैं, जैसे कि क्षेत्रीय पहचान, भाषा, संस्कृति, या आर्थिक विकास के लिए मांग की तरफ अग्रसर नहीं होता। अक्सर आर्थिक पिछड़ेपन, राजनीति में प्रतिनिधित्व का ना होना, उपेक्षा आदि ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से अलगाववादी आंदोलन उठ खड़े होते हैं, किन्तु जब इनकी समस्याओं का सार्थक समाधान किया जाता है तो ये अलगाव की मांग त्याग देते हैं।

उदाहरण:

(i) मिजोरम में आजादी की मांग को लेकर सशस्त्र आंदोलन हुआ।

(ii) किंतु सरकार के साथ समझौते के बाद, आज मिजोरम पूर्वोत्तर का सबसे शांतिपूर्ण राज्य है, और उसने कला, साहित्य तथा विकास की दिशा में अच्छी प्रगति की है।

9. भारत के विभिन्न भागों से उठने वाली क्षेत्रीय मांगों से ‘विविधता में एकता’ के सिद्धांत को अभिव्यक्ति होती है। क्या आप इस कथन से सहमत है? तर्क दीजिए।

उत्तर: क्षेत्रीय मांगों से ‘विविधता में एकता’ की अभिव्यक्ति – भारत एक बहुलवादी समाज है और कई प्रकार की विविधताओं वाला राष्ट्र हैं। ये विविधताएँ भाषा, धर्म क्षेत्र आदि के आधार पर बनी हुई हैं।

भारत एक विशाल विविधताओं वाला राष्ट्र है यहां अनेकों तरह की सांस्कृतिक, सामाजिक और भौगोलिक विभिन्नताऐं हैं। भारत के अलग अलग भागों में कभी भाषा के आधार पर, कभी धर्म/संस्कृति आदि के आधार पर मांगें उठती रहती हैं।

इन मांगों को सार्थक तरीके से सुलझाकर राष्ट्र की एकता व अखण्डता हमेशा बनी रहती है। इसलिए कहा जा सकता है कि भारत के विभिन्न भागों से उठने वाली क्षेत्रीय मांगों से ‘विविधिता में एकता’ के सिद्धांत की अभिव्यक्ति होती है।

10. नीचे लिखे अवतरण की पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें:

हजारिका का एक गीत… एकता की विजय पर है; पूर्वोत्तर के सात राज्यों को इस गीत में एक ही माँ की सात बेटियाँ कहा गया है… मेघालय अपने रास्ते गई… अरुणाचल भी अलग हुई और मिजोरम असम के द्वार पर दूल्हे की तरह दूसरी बेटी से व्याह रचाने को खड़ा है… इस गीत का अंत असमी लोगों की एकता को बनाए रखने के संकल्प के साथ होता है और इसमें समकालीन असम में मौजूद छोटी-छोटी कौमों को भी अपने साथ एकजुट रखने की बात कही गई है… करबी और मिजिंग भाई-बहन हमारे ही प्रियजन हैं।

– संजीव बरुआ

(क) लेखक यहाँ किस एकता की बात कह रहा है?

उत्तर: लेखक यहाँ पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता की बात कर रहे हैं।

(ख) पुराने राज्य असम से अलग करके पूर्वोत्तर के कुछ राज्य क्यों बनाए गए?

उत्तर: पुराने असम राज्य से अन्य राज्यों को इसलिए अलग किया गया क्योंकि अलग-अलग जनजातियों और समूहों ने सांस्कृतिक व प्रशासनिक स्वायत्तता की माँग की थी।

(ग) क्या आपको लगता है कि भारत के सभी क्षेत्रों के ऊपर एकता की यही बात लागू हो सकती है? क्यों?

उत्तर: हाँ, यह बात अन्य क्षेत्रों पर भी लागू हो सकती है, जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब आदि जहाँ क्षेत्रीय आकांक्षाएँ होते हुए भी राष्ट्रीय एकता बनी रही।

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