NCERT Class 12 Political Science Chapter 12 कांग्रेस प्रणाली: चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

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NCERT Class 12 Political Science Chapter 12 कांग्रेस प्रणाली: चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

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Chapter: 12

स्वतंत्र भारत में राजनीति

1. 1967 के चुनावों के बारे में निम्नलिखित में कौन-कौन से बयान सही हैं:

(क) कांग्रेस लोकसभा के चुनाव में विजयी रही, लेकिन कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव वह हार गई।

(ख) कांग्रेस लोकसभा के चुनाव भी हारी और विधानसभा के भी।

(ग) कांग्रेस को लोकसभा में बहुमत नहीं मिला, लेकिन उसने दूसरी पार्टियों के समर्थन से एक गठबंधन सरकार बनाई।

(घ) कांग्रेस केंद्र में सत्तासीन रही और उसका बहुमत भी बढ़ा।

उत्तर: (क) कांग्रेस लोकसभा के चुनाव में विजयी रही, लेकिन कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव वह हार गई।

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2. निम्नलिखित का मेल करें:

(क) सिंडिकेट(i) कोई निर्वाचित जन-प्रतिनिधि जिस पार्टी के टिकट से जीता हो, उस पार्टी को छोड़‌कर अगर दूसरे दल में चला जाए।
(ख) दल-बदल(ii) लोगों का ध्यान आकर्षित करने वाला एक मनभावन मुहावरा।
(ग) नारा(iii) कांग्रेस और इसकी नीतियों के खिलाफ अलग-अलग विचारधाराओं की पार्टियों का एकजुट होना।
(घ) गैर-कांग्रेसवाद(iv) कांग्रेस के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओं का एक समूह।

उत्तर: 

(क) सिंडिकेट(iv) कांग्रेस के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओं का एक समूह।
(ख) दल-बदल(i) कोई निर्वाचित जन-प्रतिनिधि जिस पार्टी के टिकट से जीता हो, उस पार्टी को छोड़‌कर अगर दूसरे दल में चला जाए।
(ग) नारा(ii) लोगों का ध्यान आकर्षित करने वाला एक मनभावन मुहावरा।
(घ) गैर-कांग्रेसवाद(iii) कांग्रेस और इसकी नीतियों के खिलाफ अलग-अलग विचारधाराओं की पार्टियों का एकजुट होना।

3. निम्नलिखित नारे से किन नेताओं का संबंध है:

(क) जय जवान, जय किसान।

(ख) इंदिरा हटाओ।

(ग) गरीबी हटाओ।

उत्तर: 

नारेनेता
जय जवान, जय किसानलाल बहादुर शास्त्री 
इंदिरा हटाओविपक्षी दल 
गरीबी हटाओइंदिरा गाँधी

4. 1971 के ‘ग्रैंड अलायंस’ के बारे में कौन-सा कथन ठीक है?

(क) इसका गठन गैर-कम्युनिस्ट और गैर-कांग्रेसी दलों ने किया था।

(ख) इसके पास एक स्पष्ट राजनीतिक तथा विचारधारात्मक कार्यक्रम था।

(ग) इसका गठन सभी गैर-कांग्रेसी दलों ने एकजुट होकर किया था।

उत्तर: (क) इसका गठन गैर-कम्युनिस्ट और गैर-कांग्रेसी दलों ने किया था।

5. किसी राजनीतिक दल को अपने अंदरूनी मतभेदों का समाधान किस तरह करना चाहिए? यहाँ कुछ समाधान दिए गए हैं। प्रत्येक पर विचार कीजिए और उसके सामने उसके फ़ायदों और घाटों को लिखिए।

(क) पार्टी के अध्यक्ष द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना।

उत्तर: फ़ायदे: त्वरित निर्णय, एकता बनी रहती है। 

नुकसान: असहमति की आवाज़ दब सकती है, तानाशाही प्रवृत्ति।

(ख) पार्टी के भीतर बहुमत की राय पर अमल करना।

उत्तर: फायदे: लोकतांत्रिक तरीका है, बहुमत की इच्छा का सम्मान होता है

नुकसान: अल्पमत की उपेक्षा हो सकती है।

(ग) हरेक मामले पर गुप्त मतदान कराना।

उत्तर: लाभ: पार्टी के मतभेदों को दूर करने के लिए गुप्त मतदान की प्रक्रिया अपनाने से प्रत्येक सदस्य अपनी बात स्वतन्त्रतापूर्वक रख सकेगा।

हानि: गुप्त मतदान में क्रॉस वोटिंग का खतरा बना रहता है।

(घ) पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं से सलाह करना।

उत्तर: फ़ायदेः अनुभवी राय, संतुलित निर्णय।

नुकसानः युवा सदस्यों की उपेक्षा, पुराने विचारों का हावी होना।

6. निम्नलिखित में से किसे किन्हें 1967 के चुनावों में कांग्रेस की हार के कारण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है? अपने उत्तर की पुष्टि में तर्क दीजिए:

(क) कांग्रेस पार्टी में करिश्माई नेता का अभाव।

उत्तर: 1967 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद, कांग्रेस पार्टी को एक मजबूत करिश्माई नेता की कमी महसूस हुई। इंदिरा गांधी ने नेतृत्व किया, लेकिन पार्टी में संगठनात्मक और नेतृत्व की कमी थी, जिससे पार्टी को व्यापक जनसमर्थन नहीं मिल पाया।

(ख) कांग्रेस पार्टी के भीतर टूट।

उत्तर: कांग्रेस पार्टी के भीतर विभाजन हुआ, खासकर ‘कांग्रेस (ओ)’ और ‘कांग्रेस (आई)’ के रूप में। यह विभाजन पार्टी की एकता को कमजोर कर दिया, जिससे पार्टी की स्थिति और भी खराब हुई।

(ग) क्षेत्रीय, जातीय और सांप्रदायिक समूहों की लामबंदी को बढ़ाना।

उत्तर: चुनावों के दौरान विभिन्न क्षेत्रीय, जातीय और सांप्रदायिक समूहों ने अपनी ताकत बढ़ाई, जो कांग्रेस के खिलाफ खड़े हो गए। इससे कांग्रेस की लोकप्रियता में गिरावट आई और विपक्षी दलों को मजबूती मिली।

(घ) गैर-कांग्रेसी दलों के बीच एकजुटता।

उत्तर: 1967 के चुनावों में कई गैर-कांग्रेसी दलों ने एकजुट होकर कांग्रेस के खिलाफ संघर्ष किया। उनके बीच गठबंधन ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और यह हार का एक प्रमुख कारण बना।

(ङ) कांग्रेस पार्टी के अंदर मतभेद।

उत्तर: कांग्रेस पार्टी के भीतर भी इंदिरा गांधी के नेतृत्व को लेकर मतभेद थे। पार्टी के भीतर के कई नेता इंदिरा गांधी के खिलाफ थे और उनका समर्थन नहीं कर रहे थे, जिससे पार्टी की एकजुटता पर असर पड़ा और चुनावों में हार हुई।

7. 1970 के दशक में इंदिरा गाँधी की सरकार किन कारणों से लोकप्रिय हुई थी?

उत्तर: (i) 1970 के दशक में इंदिरा गाँधी की सरकार कई कारणों से लोकप्रिय हुई थी। इंदिरा गाँधी की सरकार ने अनेक साहस फैसले लिए। 

(ii) इंदिरा गाँधी द्वारा 20 सूत्री कार्यक्रम प्रस्तुत करना, बैंकों का राष्ट्रीयकरण करना, प्रिवीपर्स को समाप्त करना, श्री वी.वी. गिरि जैसे मजदूर नेता को दल के घोषित प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव जिता कर लाना। इन सबने इंदिरा गाँधी और उनकी सरकार को लोकप्रिय बनाया। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में इंदिरा गाँधी की कूटनीति ने बांग्लादेश का निर्माण कराया और पाकिस्तान को शिकस्त दिलवाई। इससे इंदिरा गांधी की लोकप्रियता काफी बढ़ी।

8. 1960 के दशक की कांग्रेस पार्टी के संदर्भ में ‘सिंडिके’ का क्या अर्थ है? सिंडिकेट ने कांग्रेस पार्टी में क्या भूमिका निभाई?

उत्तर: ‘सिडिकेट’ का अर्थ: कांग्रेसी नेताओं के एक समूह को अनौपचारिक तौर पर ‘सिंडिकेट’ के नाम से पुकारा जाता था। ‘सिंडिकेट’ कांग्रेस के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओं का एक समूह था। सिंडिकेट कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का एक समूह था, जिसका नेतृत्व के. कामराज कर रहे थे। इस समूह का पार्टी संगठन पर मजबूत नियंत्रण था और यही समूह प्रधानमंत्री चयन जैसे अहम फैसलों में भूमिका निभाता था। इंदिरा गांधी भी सिंडिकेट के समर्थन से प्रधानमंत्री बनीं।

सिंडिकेट ने कांग्रेस पार्टी में निम्नलिखित भूमिका निभाई है—

(i) साठ के दशक में सिंडिकेट ने लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी दोनों को प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित करके निर्णायक भूमिका निभाई थी।

(ii) इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी यह समूह उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश करता रहा।

(iii) सिंडिकेट ने इंदिरा गांधी की पहली मंत्रिपरिषद और नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में निर्णायक भूमिका निभाई थी।

(iv) सिंडिकेट ने प्रधानमंत्री चुनने और नीतिगत फैसले लेने में बड़ी भूमिका निभाई।

9. कांग्रेस पार्टी किन मसलों को लेकर 1969 में टूट की शिकार हुई?

उत्तर: कांग्रेस पार्टी 1969 में निम्नलिखित कारणों से टूट की शिकार हुई—

(i)  इंदिरा गांधी ने वी.वी. गिरी का समर्थन किया जबकि सिडिकेट ने एन. संजीव रेड्डी को समर्थन दिया।

(ii) 1969 के राष्ट्रपति के चुनाव में कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी के विरुद्ध इंदिरा गाँधी और उनके समर्थकों द्वारा उपराष्ट्रपति वी.वी. गिरि को कहा गया कि वे एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन भरें। यह कांग्रेस पार्टी में फूट का प्रमुख कारण था।

(iii) इंदिरा गांधी बैंकों के राष्ट्रीयकरण और ‘गरीबी हटाओ’ जैसी योजनाओं के पक्ष में थीं, जबकि सिडिकेट आर्थिक रूढ़िवादिता में विश्वास करता था।

(iv) इंदिरा गांधी पार्टी को अपने नियंत्रण में लेना चाहती थीं, जबकि सिडिकेट संगठनात्मक नियंत्रण बनाए रखना चाहता था।

10. निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देंः

इंदिरा गाँधी ने कांग्रेस को अत्यंत केंद्रीकृत और अलोकतांत्रिक पार्टी संगठन में तब्दील कर दिया, जबकि नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस शुरुआती दशकों में एक संघीय, लोकतांत्रिक और विचारधाराओं के समाहार का मंच थी। नयी और लोकलुभावन राजनीति ने राजनीतिक विचारधारा को महज चुनावी विमर्श में बदल दिया। कई नारे उछाले गए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि उसी के अनुकूल सरकार की नीतियाँ भी बनानी थीं-1970 के दशक के शुरुआती सालों में अपनी बड़ी चुनावी जीत के जश्न के बीच कांग्रेस एक राजनीतिक संगठन के तौर पर मर गई।

सुदीप्त कविराज

(क) लेखक के अनुसार नेहरू और इंदिरा गाँधी द्वारा अपनाई गई रणनीतियों में क्या अंतर था?

उत्तर: लेखक के अनुसार, नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस एक लोकतांत्रिक, संघीय और विभिन्न विचारधाराओं को समेटने वाला मंच थी। वे संवाद, विविधता और संस्थागत प्रक्रिया को महत्व देते थे। परंतु इंदिरा गांधी ने कांग्रेस को एक केंद्रीकृत और अलोकतांत्रिक संगठन में बदल दिया, जहाँ फैसले शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिए जाने लगे और पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया कमज़ोर हो गई।

(ख) लेखक ने क्यों कहा है कि सत्तर के दशक में कांग्रेस ‘मर गई?

उत्तर: लेखक ने यह इसलिए कहा है क्योंकि उस समय कांग्रेस की शीर्ष नेता का व्यवहार अधिनायकवादी हो गया था। उन्होंने पार्टी की सभी शक्तियाँ अपने और चुनिंदा समर्थकों तक सीमित कर ली थीं, और मंत्रिमंडल तथा दल का गठन भी मनमाने ढंग से किया गया। पार्टी में विचार-विमर्श का दौर खत्म हो गया। व्यावहारिक रूप में विरोधियों को कुचला गया। 1975 में आपातकाल की घोषणा की गई। जबरदस्ती नसबंदी कार्यक्रम चलाए गए। अनेक राष्ट्रीय और लोकप्रिय नेताओं को जेल में डाल दिया गया।

(ग) कांग्रेस पार्टी में आए बदलावों का असर दूसरी पार्टियों पर किस तरह पड़ा?

उत्तर: कांग्रेस पार्टी में आए बदलाव के कारण दूसरी पार्टियों में परस्पर एकता बढ़ी। उन्होंने गैर-कांग्रेसी और गैर-साम्यवादी संगठन बनाए। कांग्रेस से अनेक सम्प्रदायों के समूह दूर होते गए और वे जनता पार्टी के रूप में लोगों के सामने आए। सन् 1977 के चुनावों में विरोधी दलों ने कांग्रेस का सफाया कर दिया।

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