NCERT Class 11 Sangeet Chapter 9 विभिन्न तालों के ठेके एवं लयकारी

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NCERT Class 11 Sangeet Chapter 9 विभिन्न तालों के ठेके एवं लयकारी

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Chapter: 9

हिंदुस्तानी संगीत गायन एवं वादन

अभ्यास

इस पाठ को आप पढ़ चुके हैं। आइये, नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास करें-

1. नाट्यशास्त्र में ताल को किस तरह प्रदर्शित किया गया है?

उत्तर: नाट्यशास्त्र में केवल तालों की चर्चा करते समय लघु, गुरु और प्लुत से क्रमशः एक मात्रा, दो मात्रा एवं तीन मात्राओं को प्रदर्शित किया गया है।

2. नाट्यशास्त्र में प्रयोग किए गए तालों के चिह्नों को बताइए।

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उत्तर: नाट्यशास्त्र में प्रयोग किए गए तालों के चिह्न है– 1, ऽ, ऽ।

3. 1901 में लाहौर में किसने और कौन-से संगीत महाविद्यालय की स्थापना की थी?

उत्तर: 1901 में लाहौर में पंडित विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने गांधर्व संगीत महाविद्यालय की स्थापना की थी।

4. पंडित विष्णु दिगम्बर पलुस्कर के दो महान शिष्यों के नाम बताइए।

उत्तर: पंडित विष्णु दिगम्बर पलुस्कर के दो महान शिष्यों के नाम है— पं. विनायक राव पटवर्धन और पं. ओंकारनाथ ठाकुर।

5. उस्ताद अहमद जान थिरकवा किस वाद्य यंत्र के महारथी थे?

उत्तर: उस्ताद अहमद जान थिरकवा तबला वाद्य यंत्र के महारथी थे।

6. तीन ताल का तिगुन लिखिए।

उत्तर: तीन ताल का तिगुन है—

7. दादरा ताल के बोल लिखकर उसका दुगुन लिखिए।

उत्तर: दादरा ताल के दुगुन-

8. ध्रुपद में किन-किन तालों का प्रयोग होता है। उन तालों का तिगुन और चौगुन लिखिए।

उत्तर: ध्रुपद में चौताल, सूल ताल, तीव्रा ताल, धमार ताल आदि तालों का प्रयोग होता है।

9. हिंदुस्तानी ताल पद्धति में किस ताल में सिर्फ आठ मात्राएँ हैं? उस ताल को विस्तृत रूप में लिखिए।

उत्तर: हिंदुस्तानी ताल पद्धति में कहरवा ताल में सिर्फ आठ मात्राएँ हैं। 

उस ताल के विस्तृत रूप है—

मात्रा 1       2      3        45     6       7       8
बोलधा      गे      न       तिन      क     धि      न
चिह्न 0

10. पखावज पर बजने वाला सूलताल कितनी मात्राओं का होता है? एक गुण लिखकर बताइए।

उत्तर: पखावज पर बजने वाला सूलताल दस मात्राओं का होता है। 

एक गुण है—

(ठेका): धा धा । दिं ता | किता | ताका | गा दिं | न

11. विलंबित ख्याल गाने के लिए किन-किन तालों का प्रयोग किया जाता है? उन तालों को ताल पद्धति के अनुसार लिखकर बताइए।

उत्तर: विलंबित ख्याल गाने के लिए एकताल, झुमरा ताल और विलंबित तीनताल तालों का प्रयोग किया जाता है।

(i) एकताल (12 मात्राएँ)

विभागः 6 (2+2+2+2+2+2)

ताली: 1, 5, 9

खाली: 7

ठेकाः धा धिं । धा गे | ति रकि | तु ना | क ता | धिं ना

(ii) झूमरा ताल (14 मात्राएँ)

विभागः 4 (3+4+3+4)

ताली: 1, 5, 11

खाली: 9

ठेकाः धा धा । दिं ता किता | ता ता | दिं ता किता |

(iii) विलंबित तीनताल (16 मात्राएँ)

विभागः 4 (4+4+4+4)

ताली: 1, 5, 13

खाली: 9

ठेकाः धा धा | धिन ता | धा धा | तिन ता | ता ता | धिन ता | धा धा । तिन ता

12. विष्णु नारायण भातखण्डे द्वारा बनाई गई ताल पद्धति के चिह्नों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: विष्णु नारायण भातखण्डे द्वारा बनाई गई ताल पद्धति के चिह्न इस प्रकार हैं:

सम के लिए ‘X’    

खाली के लिए ‘0’    

विभागों को अलग करने के लिए ‘|’    

ताली के लिए संख्या का प्रयोग    

विश्रांति या ठहराव के लिए ‘ऽ’    

एक से अधिक वर्णों के लिए अर्धचंद्र

बहुविकल्पीय प्रश्न-

1. तीनताल में पाँचवीं मात्रा पर कौन-सा बोल है?

(क) ती।

(ख) ना।

(ग) धा।

(घ) धीना।

उत्तर: (ख) ना।

2. एकताल में कितने विभाग होते हैं?

(क) 12

(ख) 6

(ग) 3

(घ) 2

उत्तर: (ख) 6

3. सूलताल कितनी मात्राओं का ताल है?

(क) सात मात्रा।

(ख) बारह मात्रा।

(ग) दस मात्रा।

(घ) नौ मात्रा।

उत्तर: (ग) दस मात्रा।

4. दादरा में कितनी मात्राएँ हैं?

(क) 2

(ख) 3

(ग) 4

(घ) 6

उत्तर: (घ) 6

5. कहरवा ताल में कितने ताल के चिह्न होते हैं?

(क) 5

(ख) 1

(ग) 3

(घ) 2

उत्तर: (घ) 2

6. दादरा ताल में कितने विभाग होते हैं?

(क) 3

(ख) 2

(ग) 4

(घ) 1

उत्तर: (ख) 2

7. तीनताल कितनी मात्राओं का होता है?

(क) 12

(ख) 8

(ग) 16

(घ) 18

उत्तर: (ग) 16

रिक्त्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. ताल का नाम ____________।

12345678910111213141516
धाधिंधातिंताताधा
123

उत्तर: तीनताल।

2. ताल का नाम ___________।

123456789101112
धिंधागे तूना तिरकिट ना 
× 04

उत्तर: झपताल।

3. ताल का नाम ___________।

12356
धाना धाती   
× 

उत्तर: दादरा ताल।

4. ताल का नाम ___________।

12345678
धाना ना धि 
× 0

उत्तर: कहरवा ताल।

5. ताल का नाम ___________।

1256910
धाधादिंधातिटगन 
× 24

उत्तर: रूपक ताल।

6. ताल का नाम ____________।

123456789101112
धाधाकीटतातिटगन 
× 024

उत्तर: एक ताल।

विभाग ‘अ’ के शब्दों का ‘आ’ विभाग में दिए गए शब्दों से मिलान करें-

अ आ 
(क) क्रमिक पुस्तक मालिका1. आठ मात्रा
(ख) गांधर्व महाविद्यालय2. 1901
(ग) धागे तिरकिट बोल3. 9, 10, 11, 12
(घ) चारताल में तिटकत गदिगन4. विष्णु नारायण भातखण्डे
(ड) सूलताल की जाति5. एकताल
(च) कहरवा6. चतस्व जाति

उत्तर: 

अ आ 
(क) क्रमिक पुस्तक मालिका4. विष्णु नारायण भातखण्डे
(ख) गांधर्व महाविद्यालय2. 1901
(ग) धागे तिरकिट बोल5. एकताल
(घ) चारताल में तिटकत गदिगन3. 9, 10, 11, 12
(ड) सूलताल की जाति6. चतस्व जाति
(च) कहरवा1. आठ मात्रा
INTEXT QUESTION

1. ताल की प्रथम मात्रा हमेशा किस चिह्न से दशाई जाती है?

उत्तर: ताल की प्रथम मात्रा को हमेशा “सम (०)” चिह्न से दर्शाया जाता है।

2. ० — इस चिह्न का नाम बताएँ।

उत्तर: ० — इस चिह्न का नाम सम है।

3. ताल लिपि पद्धति के संरचक कौन थे?

उत्तर: पं. विष्णु नारायण भातखण्डे – इन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ताल और रागों को लिपिबद्ध करने की पद्धति विकसित की थी।

4. ताली की संख्या कैसे दर्शाते हैं?

उत्तर: ताली को संख्याओं (1, 2, 3…) द्वारा दर्शाया जाता है।

प्रत्येक ताली वाली मात्रा को संख्या से अंकित किया जाता है,

जैसे: 1 (ताली), 2 (दूसरी ताली), 3 (तीसरी ताली) आदि।

5. समय को नापने की विधि को संगीत में क्या कहा जाता है?

उत्तर: समय को नापने की विधि को संगीत में ताल कहा जाता है।

6. समय को नापने की विधि बताएँ।

उत्तर: संगीत में समय को ताल, मात्रा, विभाग, और अवर्तनों के माध्यम से नापा जाता है।

(i) ताल = समय का ढांचा।

(ii) मात्रा = समय की इकाई।

(iii) विभाग = ताल के खंड।

(iv) अवर्तन = ताल का एक चक्र।

7. ठेका क्या होता है? इसकी विशेषता बताइए।

उत्तर: ठेका ताल का नियमित रूप से बजाया जाने वाला मूल ढांचा होता है जो ताल की पहचान कराता है।

ठेका की विशेषताएँ है—

(i) यह हर ताल का स्थायी रूप है।

(ii) गायक या वादक के लिए लयबद्ध सहारा प्रदान करता है।

(iii) ठेका सुनकर ताल की पहचान की जा सकती है।

(iv) तबला, पखावज आदि वाद्यों पर बजाया जाता है।

8. नाट्यशास्त्र में ताल की चर्चा किस प्रकार की गई?

उत्तर: नाट्यशास्त्र में ताल की चर्चा बहुत ही विस्तृत और प्राचीन ढंग से की गई है। यह ग्रंथ भरतमुनि द्वारा रचित है और इसमें ताल का उपयोग विशेषतः नृत्य, गायन, और नाट्य के संयोजन में किया गया है।

9. संगीत की कुछ विभूतियों के नाम बताइए जिन्होंने ताल लिपि पद्धति में अपना योगदान दिया।

उत्तर: संगीत की कुछ विभूतियों के नाम जिन्होंने ताल लिपि पद्धति में अपना योगदान दिया था-

(i) पं. विष्णु नारायण भातखण्डे।

(ii) पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर।

(iii) पं. ओंकारनाथ ठाकुर।

(iv) विलायत हुसैन खान।

(v) पं. रतन झा।

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