NCERT Class 11 Sangeet Chapter 11 भारतीय संगीत का सामान्य परिचय

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NCERT Class 11 Sangeet Chapter 11 भारतीय संगीत का सामान्य परिचय

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Chapter: 11

तबला एवं पखावज

अभ्यास

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. संगीत रत्नाकर के अनुसार ‘संगीत’ की परिभाषा बताइए।

उत्तर: संगीत का मूल आधार ‘स्वर’ और ‘लय’ है। ‘स्वर’ और ‘लय’ के साथ भाषा या कविता या पद का समन्वय, संगीत को अनूठा आकर्षण प्रदान करती है। संगीत की अभिव्यक्ति विभिन्न प्रकार की गायन और वादन शैलियों द्वारा की जाती है। संगीत हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह अभिव्यक्ति का एक ऐसा माध्यम है जो व्यक्ति को एक-दूसरे के साथ जोड़ता है। केवल मनुष्य एवं जीव-जंतु ही नहीं वरन्, पेड़-पौधों पर भी संगीत का प्रभाव पड़ता है। संगीत एक ऐसी औषधि है जो मनोवैज्ञानिक रूप से चित्त को एकाग्र कर उसे संतुलित बनाने की क्षमता रखती है।

2. कर्नाटक संगीत पद्धति में प्रचलित विधाएँ कौन-सी हैं?

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उत्तर: कर्नाटक संगीत पद्धति में रागम्-तानम्-पल्लवी, वर्णम्, जावलि तथा तिल्लाना आदि विधाएँ प्रचलित हैं।

3. हिंदुस्तानी संगीत पद्धति की प्रचलित विधाएँ बताइए।

उत्तर: हिंदुस्तानी संगीत पद्धति की प्रचलित विधाएँ है— खयाल, ध्रुपद, धमार, तराना इत्यादि।

4. उपशास्त्रीय संगीत की गायन शैली टप्पा की रचनाओं में अधिकांशतः किन भाषाओं के शब्दों का प्रयोग होता है?

उत्तर: टप्पा, जो उपशास्त्रीय संगीत की एक शैली है, की उत्पत्ति पंजाब में हुई थी. इस शैली में, ज्यादातर पंजाबी और हिंदी भाषा के शब्दों का प्रयोग किया जाता है, साथ ही कुछ मामलों में ब्रज भाषा और उर्दू के शब्दों का भी प्रयोग होता है, टप्पा शैली की रचनाओं में, पंजाबी भाषा में रचे गए गीतों को विशेष बंदिश में ढाला जाता है, जिससे टप्पा का रूप बनता है।

5. दक्षिण भारत के पाँच राज्यों में प्रचलित किन्हीं पाँच लोकगीतों के नाम बताइए।

उत्तर: दक्षिण भारत के पाँच राज्यों में प्रचलित किन्हीं पाँच लोकगीतों के नाम है—

(i) कर्नाटक – बुर्रकथा।

(ii) आंध्र प्रदेश – जनपद गीत।

(iii) तमिलनाडु – कोलाट्टम।

(iv) केरल – ओप्पना।

(v) तेलंगाना – लम्बाडि।

6. लोक संगीत का मूल उद्देश्य क्या है?

उत्तर: लोक संगीत का मूल उद्देश्य सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक भावनाओं की अभिव्यक्ति तथा जनमानस का मनोरंजन करना है। सामान्य जनमानस का संगीत। लोकतंत्र, लोकप्रिय जैसे शब्दों के आइने में इसे देखा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अपने मन के भावों को या दैनिक क्रियाकलापों को स्वर या लय का प्रयोग करते हुए गायन या वादन के माध्यम से अभिव्यक्त करता है तो वह अभिव्यक्ति लोक संगीत में समाहित हो जाती है। भावों की सरलतम एवं मधुतम अभिव्यक्ति ही लोक संगीत का मूल उद्देश्य होता है। जब भी कोई कला उभरती है, वह सर्वप्रथम लोक ही होती है, बाद में परिष्कृत होकर वह कला शास्त्रीय कला के रूप में स्थापित हो जाती है।

7. ठुमरी के प्रचलित प्रमुख दो रूप कौन-से हैं?

उत्तर: ठुमरी के प्रचलित प्रमुख दो रूप है—

(i) बोल-बनाव की ठुमरी।

(ii) बोल-बाँट की ठुमरी।

8. दक्षिण भारतीय लोक संगीत की प्रमुख तालें कौन-सी हैं?

उत्तर: दक्षिण भारतीय लोक संगीत की प्रमुख तालें चापू आदि और रूपक ताल है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. तिरुवेम्पावई नामक शैली को विस्तार से समझाइए।

उत्तर: “तिरुवेम्पावई” एक प्रसिद्ध तमिल भक्ति कविता है, जो विशेष रूप से श्रीवैष्णव भक्ति परंपरा से संबंधित है। यह ग्रंथ आंडाल (तमिल की एकमात्र महिला आलवार संत) द्वारा रचित है, और यह “नाचीयार तिरुमोळि” का एक भाग है। इसे खास तौर पर मार्गज़ी मास (धनु मास) में धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान गाया जाता है। 

तिरुवेम्पावई एक भक्ति गीत शैली है, जो तमिल भाषा में लिखी जाती है और शिव के लिए समर्पित है। यह शैली भगवान शिव के लिए रचे गए कवि और साधु माणिक्यवाचकर द्वारा रची गई है और इसे एक विशिष्ट संस्कार के भाग के रूप में प्रदर्शन किया जाता है। इसमें 20 पंक्तियों का एक काव्य शामिल है जो भगवान शिव के प्रति भक्ति और प्रेम को व्यक्त करता है।

2. उपशास्त्रीय संगीत की परिभाषा बताते हुए इसकी पाँच विधाओं के नाम बताइए।

उत्तर: जिन गेय विधाओं में संगीत के नियमों के कठोर पालन की अपेक्षा रस भाव और रंजकता की प्रधानता रहती है, वे उपशास्त्रीय संगीत की श्रेणी में आते है। ऐसी गेय विधाओं में, शब्दों के भावों को स्वरों के विविध अलंकृत प्रयोगों द्वारा व्यक्त किया जाता है। कण, मींड, मुर्की, बोल-बनाव आदि अलंकरण से शब्दों को सौंदर्यपूर्ण रूप में अभिव्यक्त करना उपशास्त्रीय संगीत का विशेष उद्देश्य होता है। ठुमरी, टप्पा, दादरा, उपशास्त्रीय संगीत की महत्वपूर्ण गेय विधाएँ हैं। उपशास्त्रीय संगीत में एक राग से दसरे राग में जाने की भी स्वतंत्रता होती है। रंजकता और भावाभिव्यक्ति का मूल उद्देश्य होने के कारण छोटे-छोटे स्वर समूहों का समावेश और भावों की सूक्ष्मता और सुकुमारता इस संगीत की विशेषता है। 

इसकी पाँच विधाओं के नाम है—

(i) ठुमरी।

(ii) दादरा।

(iii) टप्पा।

(iv) होरी।

(v) चैती।

3. लोक संगीत को पारिभाषित करते हुए इसमें प्रयुक्त होने वाले प्रमुख तंत्री सुषिर एवं अवनद्ध वाद्यों के नाम बताइए।

उत्तर: “लोक संगीत, जिसे क्षेत्रीय या पारंपरिक संगीत भी कहा जाता है, संगीत की वह विधा है जो किसी समुदाय की संस्कृति, इतिहास और परंपराओं की अभिव्यक्ति करती है।” यह संगीत, नृत्य और गायन का एक रूप है जो आम लोगों द्वारा विकसित और प्रदर्शन किया जाता है। यह अक्सर धार्मिक, सामाजिक या उत्सव के अवसरों पर होता है।

तंत्री वाद्यः एकतारा, तुन्दिना, पुल्लवन्नकुडम, नन्दुनी, सारंगी।

सुषिर वाद्यः शंख, वेणु, कोम्बू, शहनाई, नादस्वरम, कुरुम कुज़ल, नेडुम कुज़ल, तिरुचिन्नम, एककलम, मगुडी।

अवनद्ध वाद्यः ढोल, ढोलक, टप्पाताई, तम्बट्टम, तमक्कू, तन्तीपानइ, तविल, उडुक्कु, उरुमी, कुण्डलम, खंजीरा, गुम्माटी।

4. उपशास्त्रीय संगीत गायन शैली ‘टप्पा’ को विस्तारपूर्वक समझाइए।

उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में लखनऊ के नवाब आसिफुद्दौला के दरबार में एक पंजाबी गायक गुलाम नबी शोरी, जो ‘शोरी मियाँ’ के नाम से प्रसिद्ध थे, ने टप्पा गायकी को प्रचलित किया। पंजाब प्रदेश से संबंधित होने के कारण ही संभवतः टप्पा गायकी की गीत रचनाओं में अधिकांशतः पंजाबी, सिंधी व मुल्तानी भाषा के शब्दों का प्रयोग होता है। इन दिनों हिंदी व बांग्ला भाषा का प्रयोग भी होने लगा है। इस गायन विधा में शब्द, स्वर व लय, तीनों को कहीं विश्राम नहीं मिलता है। पूरी गायकी छोटी-छोटी द्रुत गति की तानों पर आधारित होती है। टप्पा की उत्पत्ति ‘टप’ शब्द से हुई है। इस गायकी में कण, खटका व मुर्की का अधिक प्रयोग किया जाता है। काफ़ी, पीलू, खमाज, भैरवी, झिंझोटी आदि रागों में इसे गाया जाता है। इसकी गीत रचना में स्थायी व अंतरा, दो भाग होते हैं। इसके साथ जत, दीपचंदी, चाचर, अद्धा आदि तालों का प्रयोग किया जाता है।

5. ललित कलाएँ कितने प्रकार की होती हैं। इन कलाओं में किस को श्रेष्ठतम माना गया है?

उत्तर: ललित कलाएँ पाँच प्रकार की होती हैं— संगीत, काव्य, चित्रकला, मूर्तिकला एवं स्थापत्य कला। इन कलाओं में संगीत को श्रेष्ठतम माना गया है।

सही और गलत बताइए

1. संगीत एक ऐसी औषधि है, जो मनोवैज्ञानिक रूप से चित्त को एकाग्र कर, संतुलित बनाने की क्षमता रखती है।

उत्तर: सही।

2. शोरी मियाँ को ठुमरी का विशेष प्रचारक माना जाता है।

उत्तर: गलत।

3. उपशास्त्रीय संगीत में एक राग से दूसरे राग में जाने की स्वतंत्रता नहीं होती है।

उत्तर: सही।

4. ठुमरी एक ऐसी विधा है, जिसमें लोक और शास्त्रीय, दोनों प्रकार के संगीत के तत्व विद्यमान हैं।

उत्तर: सही।

5. ऋग्वेद मंत्रों में से कुछ मंत्रों को गेय बनाकर सामवेद के रूप में संकलित किया गया है।

उत्तर: सही।

6. ढोलक, उडुक्कू एवं गुम्माटी एक प्रकार के सुषिर वाद्य हैं।

उत्तर: गलत।

7. ‘हो रामा’ शब्द चैती नामक गीत की विशेष टेक है।

उत्तर: सही।

8. दादरा गीत, दादरा ताल के अतिरिक्त अन्य किसी ताल में गाए-बजाए नहीं जाते हैं।

उत्तर: गलत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. गायन, वादन तथा नृत्य के समावेश को __________ कहते हैं।

उत्तर: गायन, वादन तथा नृत्य के समावेश को संगीत कहते हैं।

2. संगीत की दोनों पद्धतियों का आधार ___________ है।

उत्तर: संगीत की दोनों पद्धतियों का आधार श्रुति है।

3. नवाब वाजिद अली शाह को _________ का प्रचारक माना जाता है।

उत्तर: नवाब वाजिद अली शाह को ठुमरी का प्रचारक माना जाता है।

4. चैती को ___________ माह में गाया जाता है।

उत्तर: चैती को चैत्र माह में गाया जाता है।

5. राजस्थान का लोकप्रिय लोकनृत्य ____________ है।

उत्तर: राजस्थान का लोकप्रिय लोकनृत्य घूमर है।

6. सोपान संगीतम के अंतर्गत मंदिरों की सीढ़ियों पर __________ नामक संप्रदाय संगीत प्रस्तुत करता है।

उत्तर: सोपान संगीतम के अंतर्गत मंदिरों की सीढ़ियों पर नम्मालवार नामक संप्रदाय संगीत प्रस्तुत करता है।

सुमेलित कीजिए

(क) ललित कला1. शोरी मिर्या
(ख) हिंदुस्तानी संगीत2. जम्मू कश्मीर
(ग) ठुमरी3. अवनद्ध वाद्य
(घ) पल्लवी4. मिर्जापुर
(ङ) टप्पा5. सुषिर वाद्य
(च) कजरी6. अष्टपदी
(छ) गोडीय7. धातु वाद्य
(ज) चकरी8. ध्रुपद
(झ) कोम्बू9. कर्नाटक संगीत
(ण) तन्तीपानई10. पश्चिम बंगाल
(ट) कइचिलम्बु11. मूर्तिकला
(ठ) गीत गोविन्दम12. नवाब वाजिद अली शाह

उत्तर: 

(क) ललित कला11. मूर्तिकला
(ख) हिंदुस्तानी संगीत8. ध्रुपद
(ग) ठुमरी12. नवाब वाजिद अली शाह
(घ) पल्लवी9. कर्नाटक संगीत
(ङ) टप्पा1. शोरी मिर्या
(च) कजरी4. मिर्जापुर
(छ) गोडीय10. पश्चिम बंगाल
(ज) चकरी2. जम्मू कश्मीर
(झ) कोम्बू5. सुषिर वाद्य
(ण) तन्तीपानई3. अवनद्ध वाद्य
(ट) कइचिलम्बु7. धातु वाद्य
(ठ) गीत गोविन्दम6. अष्टपदी

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