NCERT Class 11 Sangeet Chapter 2 आधार ग्रंथ

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NCERT Class 11 Sangeet Chapter 2 आधार ग्रंथ

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Chapter: 2

हिंदुस्तानी संगीत गायन एवं वादन

अभ्यास

आइये, देखते हैं क्या इस पाठ को पढ़कर हम निम्न प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं-

1. नाट्यशास्त्र के कितने अध्यायों में संगीत विषयों की चर्चा की गई है?

उत्तर: नाट्यशास्त्र के छःअध्यायों में संगीत विषयों की चर्चा की गई है

2. मतंग मुनि किस वीणा के आविष्कारक माने जाते हैं?

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उत्तर: मतंग मुनि किन्नरी वीणा के आविष्कारक माने जाते हैं।

3. नाट्यशास्त्र में कितनी जातियों का वर्णन किया गया है?

उत्तर: नाट्यशास्त्र में अठारह जातियों का वर्णन किया गया है।

4. साम किसे कहते हैं तथा सामवेद के दो प्रधान भाग कौन-से हैं?

उत्तर: साम का अर्थ है “गान” या “स्वर-सहित मंत्रों का पाठ”। सामवेद, भारतीय वेदों में से एक, संगीत और गायन से संबंधित है।

सामवेद के दो प्रधान भाग हैं—

(i) आर्चिक।

(ii) गान।

5. मतंग मुनि ने रागों के कितने भेद बताए हैं?

उत्तर: मतंग मुनि ने रागों के तीन भेद बताए हैं।

6. साम गीत को कितने भागों में विभाजित किया जाता था?

उत्तर: साम गीत को पाँच भागों में विभाजित किया जाता था।

7. मतंगकृत बृहद्देशी में वर्णित विषयों एवं सिद्धांतों को विस्तार से समझाइए।

उत्तर: मतंगकृत बृहद्देशी एक महत्वपूर्ण संगीत शास्त्र ग्रंथ है जिसमें संगीत के विभिन्न पहलुओं, विशेषकर राग, ग्राम और मूर्छना के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें नादोत्पत्ति, स्वर, श्रुति, अलंकार और विभिन्न प्रकार के संगीत प्रबंधों का भी वर्णन है। यह ग्रंथ भारतीय संगीत में देशी संगीत की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

8. बृहद्देशी में दिए गए नाटक के पाँच भेद बताइए?

उत्तर: बृहद्देशी में नाटक के पाँच भेद निम्नलिखित हैं— 

(i) नाट्य।

(ii) प्रहसन।

(iii) रसिक।

(iv) विसृष्ट।

(v) रूपक।

9. रामायण काल में वाद्य के लिए किस शब्द का प्रयोग किया गया है तथा इसके अंतर्गत कौन-कौन से वाद्य आते हैं?

उत्तर: रामायण काल में वाद्य के लिए किस शब्द का प्रयोग किया गया है तथा इसके अंतर्गत वेणु, शंख, दुंदुभि, भेरी, मृदंगम् एवं पटह आदि से वाद्य आते हैं।

10. रामायण काल में संगीतकारों की विभिन्न जातियाँ कौन-कौन सी थीं?

उत्तर: रामायण काल में संगीतकारों की विभिन्न जातियाँ बंदी, सूत, मागध एवं वारांगना थी।

11. रावण शिव आराधना किस प्रकार किया करता था तथा उसके द्वारा बजाया जाने वाला वाद्य कौन-सा था?

उत्तर: रावण साम गान के माध्यम से शिव की आराधना किया करते थे तथा अर्चना के पश्चात् नृत्य भी करते थे। रावण स्वयं एक कुशल वीणा-वादक थे। उनके द्वारा बजायी जाने वाली वीणा ‘रावणहत्था’ के नाम से प्रचलित है।

12. महाभारत काल में साम तथा गांधर्व गान का प्रचार प्रसार किस प्रकार हुआ?

उत्तर: इस काल में साम तथा गांधर्व दोनों गान प्रकार प्रचलित थे। स्वर, पद, स्तोभ आदि अंगों का अध्ययन वैदिक शिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में किया जाता था। ऋग्वेद की ऋचाओं को साम में परिवर्तित करने हेतु ‘हाऊ’, ‘हाई’, ‘अथ’, ‘इह’, ‘ई’ आदि स्तोभाक्षरों का प्रयोग करते हुए स्वर में गाया जाता था। साम गान को ईश्वरोपासना का एक प्रमुख साघन माना जाता था।

13. भरतकृत नाट्यशास्त्र में वर्णित विषय वस्तु पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: नाट्यशास्त्र भरत मुनि द्वारा रचना की गई एक महान ग्रंथ है, जिसे “पंचम वेद” कहा जाता है। इसमें कुल 36 अध्याय हैं, जिनमें गान, वादन, नृत्य, रस सिद्धांत और हस्त मुद्राओं का वर्णन किया गया है। नाट्यशास्त्र में वाद्य यंत्रों का वर्गीकरण तत, अवनद्ध, घन और सुषिर श्रेणियों में किया गया है। नाटकों, गीतों और नाट्य प्रसंगों के लिए संगीत और ताल की विधियाँ भी विस्तार से बताई गई हैं। यह ग्रंथ भारतीय नाट्य और संगीत परंपरा का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण आधार है।

14. वैदिक काल से संगीत के उद्भव पर प्रकाश डालते हुए संगीत में सामवेद के महत्व को समझाइए।

उत्तर: वैदिक काल में संगीत का उद्भव मंत्रों के स्वरबद्ध उच्चारण से हुई थी। उस समय ऋषि-मुनि वेदों के मंत्रों को विशिष्ट स्वरों और लय के साथ गाते थे, जिससे उनकी प्रभावशीलता और आध्यात्मिकता बढ़ जाती थी। संगीत का यह प्रारंभिक रूप सामवेद में अपने चरम पर पहुँचा। सामवेद, ऋग्वेद की गेय ऋचाओं का संकलन है, जिसे विशिष्ट सुरों और लयों में गाकर यज्ञों और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग किया जाता था। श्रीकृष्ण ने भी भगवद्गीता में सामवेद को वेदों में श्रेष्ठ कहा है। सामवेद ने न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया, बल्कि संगीत की स्वर, ताल और लय जैसी मूलभूत अवधारणाओं को भी जन्म दिया। इस काल में सामगान के माध्यम से नाद, स्वर, ताल और भावों का विकास हुआ, जिसने आगे चलकर भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा की नींव रखी। इस प्रकार वैदिक काल में सामवेद ने संगीत के प्रारंभ और विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सही या गलत बताइए-

1. महाभारत महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी।

(सही/गलत)

उत्तर: गलत।

2. रामायण काल में अयोध्या आदि नगरों में वाद्यों का प्रचलन नहीं था। (सही/गलत)

उत्तर: गलत।

3. रावण द्वारा बजाया जाने वाला वाद्य रावणहत्या एक प्रकार का सुषिर वाद्य है। (सही/गलत)

उत्तर: गलत।

4. महाकाव्य रामायण के सभी श्लोक छंदबद्ध व गाने योग्य हैं। (सही/गलत)

उत्तर: सही।

5. भेरी, दुंदुभि व मृदगम वाद्य अवनद्ध वाद्यों की श्रेणी में आते हैं। (सही/गलत)

उत्तर: सही।

6. महाभारत काल में साम तथा गांधर्व दोनों गान प्रकारों का प्रचार-प्रसार था। (सही/गलत)

उत्तर: सही।

7. सामगान का उद्देश्य परमात्मा की आराधना माना जाता था। (सही/गलत)

उत्तर: सही।

8. ऋग्वेद मंत्रों में से कुछ मंत्रों को गेय बनाकर सामवेद के रूप में संकलित किया गया। (सही/गलत)

उत्तर: सही।

रिवत्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. साम का आरंभ एवं शेष __________ से किया जाता था।

उत्तर: साम का आरंभ एवं शेष “हुम्” से किया जाता था।

2. मतंग _________ वीणा के अविष्कारक माने जाते हैं।

उत्तर: मतंग “किन्नरी” वीणा के अविष्कारक माने जाते हैं।

3. प्राचीन सांस्कृतिक महाकाव्य रामायण की रचना _________ ने की।

उत्तर: प्राचीन सांस्कृतिक महाकाव्य रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की।

4. बृहद्देशी के रचयिता _________ हैं।

उत्तर: बृहद्देशी के रचयिता मतंग हैं।

5. ऋक की ऋचाओं में से _________ योम्ये ऋचाओं के स्वरूप के _________ संकलन से सामवेद की रचना हुई। 

उत्तर: ऋक की ऋचाओं में से गान योग्य योम्ये ऋचाओं के स्वरूप के गेयगेय संकलन से सामवेद की रचना हुई। 

6. साम का प्रारंभिक भाग ___________ है।

उत्तर: साम का प्रारंभिक भाग प्रस्ताव है।

7. उद्‌गीथ को गाने वाले ऋत्विज को _________ कहा जाता था।

उत्तर: उद्‌गीथ को गाने वाले ऋत्विज को उद्गाता कहा जाता था।

8. साम गान का मुख्य गायक ___________ करता था।

उत्तर: साम गान का मुख्य गायक मुख्य सामगायक करता था।

9. विपंची तथा वल्लकी _________ वाद्य के विभिन्न प्रकार थे।

उत्तर: विपंची तथा वल्लकी तत् वाद्य के विभिन्न प्रकार थे।

10. साम गान के गायक को ___________ कहते हैं।

उत्तर: साम गान के गायक को साम गायक कहते हैं।

11. बृहद्देशी के रचयिता _________ मुनि थे।

उत्तर: बृहद्देशी के रचयिता मतंग मुनि मुनि थे।

12. साम गीत के प्रारंभिक भाग को _________ नामक ऋत्विज गाते हैं। 

उत्तर: साम गीत के प्रारंभिक भाग को प्रस्तोता नामक ऋत्विज गाते हैं। 

13. __________, __________ एवं _________ मंगलगीतों के द्वारा राजा का स्तुतिगान किया करते थे।

उत्तर: बंदी, सूता एवं वारांगना मंगलगीतों के द्वारा राजा का स्तुतिगान किया करते थे।

14. साम गान करने वाले मुख्य गायकों को __________ की संज्ञा प्रदान की गई थी।

उत्तर: साम गान करने वाले मुख्य गायकों को उद्गाता की संज्ञा प्रदान की गई थी।

15. महाकाव्य महाभारत की रचना __________ ने की।

उत्तर: महाकाव्य महाभारत की रचना महर्षि व्यास ने की।

विभाग ‘अ’ के शब्दों का ‘आ’ विभाग में दिए गए शब्दों से मिलान करें-

अ 
(क) अर्जुन1. रामायण 
(ख) व्यास2. भरतमुन्नि
(ग) उद्‌गाता3. स्तुतिगान
(घ) किन्नरी वीणा4. ऋचाएँ
(ड) अष्टाध्यायी5. वृहलला
(च) रावणहत्या6. अवनद्ध वाद्य
(छ) महर्षि वाल्मीकि7. चौथी शताब्दी
(ज) वृंदवादन8. मतंग
(झ) वैतालिक9. सुषिर वाद्य
(ञ) तूर्य10. वीणा
(ट) नाट्यशास्त्र11. साम गान
(ठ) कोण12. वाद्य
(ड) भेरि13. दण्ड
(ढ) पंचमवेद14. पाणिनि
(ण) घोष15. महाभारत
(त) सारणा चतुष्टयी16. कुतुप

उत्तर: 

अ 
(क) अर्जुन5. वृहलला
(ख) व्यास15. महाभारत
(ग) उद्‌गाता11. साम गान
(घ) किन्नरी वीणा8. मतंग
(ड) अष्टाध्यायी14. पाणिनि
(च) रावणहत्या10. वीणा
(छ) महर्षि वाल्मीकि1. रामायण 
(ज) वृंदवादन12. वाद्य
(झ) वैतालिक3. स्तुतिगान
(ञ) तूर्य9. सुषिर वाद्य
(ट) नाट्यशास्त्र2. भरतमुन्नि
(ठ) कोण13. दण्ड
(ड) भेरि6. अवनद्ध वाद्य
(ढ) पंचमवेद7. चौथी शताब्दी
(ण) घोष4. ऋचाएँ
(त) सारणा चतुष्टयी16. कुतुप
INTEXT QUESTIONS

1. महर्षि वाल्मीकि किसके गुरु थे? उनके शिष्य किस पद्धति में गाते थे?

उत्तर: महर्षि वाल्मीकि के गुरु देवऋषि नारद थे। उनके शिष्य लव और कुश रामायण के गायन में सामवेद पद्धति का प्रयोग करते थे।

2. रामायण काल में वाद्य के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता था?

उत्तर: रामायण काल में वाद्य के लिए ‘तूर्य’ शब्द का प्रयोग किया जाता था।

3. साम गान किन पाँच भागों में गाया जाता था?

उत्तर: साम गान प्रस्ताव, उद्‌गीथ, प्रतिहार, उपद्रव और निधन इन पाँच भागों में गाया जाता था।

4. महाभारत काल में राजा के लिए स्तुति गान कौन करते थे?

उत्तर: महाभारत काल में राजा के लिए स्तुति गान बर्धक करते थे। 

5. गांधर्व और गंधर्व में क्या अंतर है?

उत्तर: गांधर्व और गंधर्व में अंतर है—

गांधर्व यह शब्द संस्कृत में विशेष रूप से संगीत और कला से जुड़ा हुआ है। गांधर्व एक प्रकार के दिव्य संगीतज्ञ होते थे जो देवताओं के पास रहते थे और वे संगीत, नृत्य, और कला में माहिर होते थे। गांधर्वों का वर्णन विशेष रूप से वेदों और पुराणों में पाया जाता है। परंतु गंधर्वों का संबंध अक्सर माणविक या आध्यात्मिक रूप से आदान-प्रदान करने वाले प्राणी से होता है। गंधर्वों को विशेष रूप से देवताओं के सेवक या दिव्य प्राणी माना जाता था, जो गीत और संगीत के अलावा प्रकृति के साथ जुड़े हुए होते थे।

6. नाट्यशास्त्र में नृत्य के बारे में क्या लिखा गया है?

उत्तर: नाट्यशास्त्र में नृत्य को नाटक का अभिन्न अंग माना गया है, जिसमें शारीरिक गति (आंगिक), भाषिक अभिव्यक्ति (वाचिक) और अभिनय (अहंगिक) का सम्मिलन होता है। इसका उद्देश्य भावनाओं को व्यक्त करना और नाट्य अनुभव को गहरा बनाना है।

7. नाट्यशास्त्र के दो और नाम प्रचलित हैं?

उत्तर: नाट्यशास्त्र के दो और नाम प्रचलित हैं— नाट्यवेद और भरत सूत्र।

8. आतोद्य से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: “यह एक संस्कृत शब्द है जो उन उपकरणों का वर्णन करता है जो संगीत उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं इसे विशेष रूप से किसी नई शुरुआत या आकाश में किसी महत्वपूर्ण घटना के प्रारंभ के रूप में भी देखा जा सकता है।

9. 22 श्रुतियों को ध्यान में रखकर बताएँ कि इस ग्रंथ में किस तरह का शोध देखने को मिलता है?

उत्तर: 22 श्रुतियों का अंतर समान है या असमान, इसका प्रमाण (माप) सिद्ध करने के लिए भरतमुनि ने दो वीणाओं का प्रयोग किया है। एक वीणा की तंत्रियों को सात स्वरों में मिला दिया गया है जिसे ही ‘ध्रुव वीणा’ कहा जाता है। दूसरी वीणा को ‘चल वीणा’ कहा गया है क्योंकि इस वीणा के तंत्रियों को क्रमशः विभिन्न श्रुतियों पर मिलाने की प्रक्रिया अपनाई गई है इस प्रकार नाट्य में संगीत के प्रयोग के महत्व पर प्रकाश डालने की दृष्टि से भरत ने जिस प्रकार छः अध्यायों में संगीत के विविध अंगों को परिभाषित किया है उसके कारण संगीत के इतिहास में नाट्यशास्त्र को एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना गया है।

10. बृहद्देशी की रचना संभवत किस शताब्दी में हुई?

उत्तर: बृहद्देशी की रचना संभवतः सातवीं-आठवीं शताब्दी में हुई।

11. मतंग मुनि ने रागों के कितने भेद बताए थे?

उत्तर: मतंग मुनि ने रागों के तीन भेद बताए थे?

12. राग गायन की किन बातों का बृहद्देशी में उल्लेख है?

उत्तर: राग गायन की निम्नलिखित बातों का बृहद्देशी में उल्लेख है-

देशी संगीत की उत्पत्ति व लक्षण, नादोत्पत्ति व नाद की महिमा, नाद के पाँच भेद (सूक्ष्म, अतिसूक्ष्म, व्यक्त, अव्यक्त और कृत्रिम), अलंकारों की संख्या (23), वादी, संवादी, अनुवादी व विवादी स्वर, मूर्छना व तान में अंतर, सात गीतियों और जातियों के ग्रह, अंश, न्यास आदि लक्षणों का वर्णन, और सभी प्रबंधों को देशी प्रबंध मानना।

13. संगीत रत्नाकर में शाङ्‌गदेव ने किन विद्वानों का उल्लेख किया है?

उत्तर: संगीत रत्नाकर में शाङ्‌गदेव ने सदाशिव, भरत, कश्यप, मतंग आदि विद्वानों का उल्लेख किया है।

14. पिण्डोत्पत्ति प्रकरण से क्या समझ में आता हैं?

उत्तर: पिण्डोत्पत्ति प्रकरण से यह समझ में आता है कि शाङ्‌गदेव एक महान संगीतविद् होने के साथ-साथ विज्ञान, दर्शन और कलाओं के ज्ञाता भी थे, क्योंकि यहां उन्होंने मानव शरीर की संपूर्ण रचनात्मक प्रक्रिया और शरीर में आध्यात्मिक दृष्टि से रचित दस चक्रों के महत्व का वर्णन किया है।

15. पंडित शाङ्‌गदेव के वंश की आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए?

उत्तर: पंडित शाङ्‌गदेव के वंश की आलोचनात्मक विश्लेषणः उनके दादा भास्कर कश्मीर से थे और आयुर्वेद के ज्ञाता थे, उनके पिता सोढल देवगिरी में कोषाधिकारी थे, और शा‌ङ्गदेव संस्कृत और तमिल के ज्ञाता थे।

16. तौर्यत्रिक शब्द से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: तौर्यत्रिक शब्द से गीत, वाद्य और नृत्य में निपुण कलाविद् को पुकारा जाता था।

17. संगीत के विशेष तथ्यों को लिखिए?

द्वितीय व तृतीय प्रकरण

चौथे व पाँचवे प्रकरण

उत्तर: संगीत के विशेष तथ्यः संगीत को मार्ग संगीत और देशी संगीत के रूप में विभाजित किया गया है, जिसमें मार्ग संगीत ब्रह्मा आदि देवों द्वारा खोजा गया और भरत आदि मुनियों द्वारा प्रयोग किया गया, और देशी संगीत लोकरुचि के अनुरूप विकसित हुआ।

द्वितीय व तृतीय प्रकरणः नाद, श्रुति, स्वर, स्वरों के देवता व रस, ग्राम, वर्ण, अलंकार जाति, सप्तक आदि सांगीतिक संज्ञाओं का वर्णन किया गया है।

चौथे व पाँचवे प्रकरणः ग्राम, मूर्छना, तान आदि का वर्णन करते हुए षड्ज ग्राम व मध्यम ग्राम पर विशेष बल दिया गया है और उनसे उत्पन्न होने वाली मूच्छना तानों का विवेचन भी किया गया है।

18. दशविधरागवर्गीकरण क्या है?

उत्तर: दशविधरागवर्गीकरण, रागों को मार्ग व देशी रागों के रूप में वर्गीकृत करने को कहा जाता है।

19. किन गीतियों के आधार पर पाँच प्रकार के ग्रामरागों का निर्देश दिया गया है?

उत्तर: शुद्ध, भिन्ना गौड़ी, वेसरा, साधारणी गीतियों के आधार पर पाँच प्रकार के ग्रामरागों का निर्देश दिया गया है।

20. वाग्गेयकार किसको कहा जाता था?

उत्तर: वाग्गेयकार कुशल संगीतकार होने के साथ-साथ श्रेष्ठ रचनाकार भी होता था।

21. निबद्ध और अनिबद्ध में क्या भिन्नता पाई जाती है?

उत्तर: निबद्ध गान वह है जो धातु व अंगों से आबद्ध नहीं है और आलाप व आलप्ति के रूप में राग के स्वरूप व उसके विस्तार से संबंधित है, जबकि अनिबद्ध गान अपनी कुछ आंशिक भिन्नताओं के कारण प्रबंध, वस्तु व रूपक नामों से नामांकित किया जाता है।

22. तालदशप्राण किसे कहा गया है?

उत्तर: “तालदशप्राण” का उल्लेख भारतीय संगीत शास्त्र में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में किया गया है। इसे ताल (ताल वादन) का “दशप्राण” या दस मुख्य तत्वों के रूप में माना गया है। यहाँ “दशप्राण” का अर्थ दस प्रमुख प्राणों (तत्त्वों) से है, जो ताल के जीवन के रूप में कार्य करते हैं।

तालदशप्राण में दस प्रमुख तत्वों को शामिल किया गया है-

(i) तान (ध्वनि की लयबद्धता)।

(ii) मात्रा (समय की इकाई)।

(iii) विभाग (ताल का विभाजन)।

(iv) अवधि (समय की अवधि)।

(v) अंक (ताल का अंकन)।

(vi) संख्याहीन (ताल की लय के भीतर कोई संख्या नहीं)।

(vii) सम (ताल का समान भाग)।

(viii) विषम (ताल का विषम भाग)।

(ix) विधान (ताल के निर्माण का तरीका)।

(x) स्वर (ध्वनि का स्वर)।

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