NCERT Class 11 Sangeet Chapter 13 तबला एवं पखावज वाद्यों पर बजने वाले वर्ण एवं बोल

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NCERT Class 11 Sangeet Chapter 13 तबला एवं पखावज वाद्यों पर बजने वाले वर्ण एवं बोल

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Chapter: 13

तबला एवं पखावज

अभ्यास

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

1. निम्नलिखित वर्णों के निकास की विधि लिखिए-

ति, तिं, दीं, र, न, गे, कि, कत्।

उत्तर: (i) ति: मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा अँगुलियों को आपस में जोड़कर दाहिने तबले की स्याही के मध्य में आघात करके दबा देने से ‘ते’ या ‘ति’ की ध्वनि उत्पन्न होती है।

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(ii) तिं: दाहिने तबले पर अनामिका को रखते हुए तर्जनी से लव पर आघात करने से ‘ति’ की ध्वनि उत्पन्न होती है।

(iii) दीं: हाथ की चारों अँगुलियों को आपस में जोड़कर दाहिने तबले की स्याही के शीर्ष भाग पर आघात करके उठा लेने से ‘थे’ या ‘दीं’ की ध्वनि उत्पन्न होती है।

(iv) र: तर्जनी से स्याही के मध्य भाग में आघात करके दबा देने से ‘ट’ या ‘र’ बजता है। बजाते समय शेष अँगुलियाँ ऊपर की ओर उठी होनी चाहिए।

(v) न: न बोल तबले की लव पर बजाया जाता है। इसे अंगुलियों की चपेट से उत्पन्न किया जाता है।

(vi) गे: इग्गे पर बायें हाथ की कलाई को मैदान में रखते हुए मध्यमा और अनामिका अँगुलियों को आपस में जोड़कर स्याही और किनारे के चीच के स्थान पर आघात करने सेध्वनि ‘घे’ या ‘में’ उत्पन्न होती है।

(vii) कि: बायें हाथ की कलाई को मैदान में रखते हुए चारों अँगुलियों को आपस में मिलाने और बायें तबले के किनारे पर आघात कर उसे दबा देने से ‘कत’ या ‘के’ या ‘कि की ध्वनि निकलती है।

(viii) कत्: कत् बोल तबले की स्याही पर बजाया जाता है। इसे दाहिनी उंगली से हल्का स्पर्श देकर उत्पन्न किया जाता है

2. तबले और डग्गे पर बजाए जाने वाले निम्नलिखित बोलों के निकास की विधि लिखिए-

तिर, तिरकिट, गदिगन, घिड़नग, धागेतिट, घिटधिट, किटतक

उत्तर: (i) तीर: तिट’ दाहिने तबले पर बजने वाला बोल है। दाहिने हाथ की मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठा अँगुलियों को आपस में जोड़कर दाहिने तबले की स्याही के मध्य में आघात करके दबा देने से ‘ति’ वर्ण बजता है। तर्जनी से स्याही के मध्य भाग में ‘ट’ आघात करके दबा देने से ‘ट’ वर्ण बजता है। ‘ट’ बजाते समय मध्यमा और अनामिका अँगुलियाँ ऊपर की ओर उठी होनी चाहिए।

(ii) तिरकिट: इसकी ध्वनि दाहिने और बायें हाथ को मिलाकर निकलती है। डग्मगे पर बायें हाथ की कलाई ‘तिर’ के समान ‘तिट’ को मैदान में रखते हुए, चारों अँगुलियों को आपस में मिलाते हैं और बायें तबले के किनारे पर मध्यमा और अनामिका अँगुलियों से आघात करते हैं। इससे ‘कि’ की ध्वनि निकलती है। इस प्रकार ध्वनि ‘ट’ जिससे आपस में मिलाकर दाहिने तबले की स्याही के मध्य में आघात करने पर ‘तिरक’ बोल बजता है।

(iii) गदिगन: डग्गे पर बजाते हैं। ‘दी’ बजाते हुए दाहिने तबले पर चारों अँगुलियों को जोड़कर ‘ग’ बजाने के लिए दाहिने तबले पर स्याही के निचले भाग में ‘न’ बजाते हुए, ‘ग’ फिर से डमी पर ‘गदिगना। इस प्रकार मध्यमा और अनामिका अंगुलियों को जोड़कर स्पर्श करते हैं तो ‘गदिरान’ बोल बजता है।

(iv) घिड़नग: घे’ या ‘घि’ बोल। ‘घि’ डगे पर बजाते हुए दाहिने, तबले पर मध्यमा और अनामिका अंगुलियों से स्याही के मध्य में आघात करके चाँट पर ‘न’ और ‘ग’ बोल बजाते हुए तर्जनी से डग्गे पर बजाएँगे। इस तरह ‘घिड़नग’ बोल बजता है।

(v) धागेतिट: दाहिने और बायें तबले पर संयुक्त रूप से ‘गे’ बजाते हुए तर्जनी से डग्गे पर ‘धा’, बजाते हैं और दाहिने तबले पर जैसे ऊपर बताया गया है ‘तिट’ बोल बजाते हैं।

(vi) घिटधिट: तबले की स्याही पर बजाया जाता है। उंगलियों की हल्की थाप से उत्पन्न किया जाता है।

(vii) किटतक: यह तबले के चाँट पर बजाया जाता है। उंगलियों के हल्के झटके से उत्पन्न होता है।

3. तबला और डग्गे के विविध स्थानों पर कौन-कौन से वर्ण बजते हैं? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए-

(क) चाँट।

उत्तर: चाँट के दो उदाहरण है—

(i) धा।

(ii) तिर।

(ख) लव।

उत्तर: लव के दो उदाहरण है— 

(i) ना।

(ii) ते।

(ग) तबले की स्याही।

उत्तर: तबले की स्याही दो उदाहरण है— 

(i) ना।

(ii) ते।

(घ) डग्गे का मैदान।

उत्तर: डग्गे का मैदान दो उदाहरण है— 

(i) गे।

(ii) क।

सही और गलत बताइए

1. तबला वाह्य पर बजने वाले मूलतः 16 वर्ण माने जाते हैं।

उत्तर: गलत।

2. ‘दीं’ एक संयुक्त वर्ण है।

उत्तर: सही।

3. ‘ती’ वर्ण तबले की लव पर बजाया जाता है।

उत्तर: सही।

4. ‘तिट’ बोल डयो की स्याही पर बजने वाला बोल है।

उत्तर: गलत।

5. ‘तिरकिट’ एक ऐसा बोल है जो तबला और डगे पर बजता है।

उत्तर: सही।

6. ‘तूना’ बोल सिर्फ तबले पर बजाया जाता है।

उत्तर: सही।

7. ‘क’ वर्ण तबले की स्याही पर बजने वाला वर्ण है।

उत्तर: गलत।

8. बोल का अर्थ ही वर्ण होता है।

उत्तर: सही।

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