NCERT Class 11 Sangeet Chapter 8 भारतीय संगीत में वाद्य वर्गीकरण

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NCERT Class 11 Sangeet Chapter 8 भारतीय संगीत में वाद्य वर्गीकरण

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Chapter: 8

हिंदुस्तानी संगीत गायन एवं वादन

अभ्यास

बहुविकल्पीय प्रश्न-

1. रूद्र वीणा से प्रेरणा लेकर कौन-सा वाद्य यंत्र बना?

(क) सुरबहार।

(ख) सरोद।

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(ग) तानपुरा।

(घ) वॉयलिन।

उत्तर: (क) सुरबहार।

2. सितार में मुख्य तारों की संख्या कितनी होती है?

(क) नौ।

(ख) पाँच।

(ग) सात।

(घ) चार।

उत्तर: (ग) सात।

3. गज के घर्षण द्वारा बजाए जाने वाले वाद्य किस श्रेणी में आते हैं?

(क) सुषिर वाद्य।

(ख) अवनद्ध वाद्य।

(ग) तत् वाद्य।

(घ) घन वाद्य।

उत्तर: (ग) तत् वाद्य।

4. मृदा किसे कहते हैं?

(क) चमड़ा।

(ख) लकड़ी।

(ग) धातु।

(घ) मिट्टी।

उत्तर: (घ) मिट्टी।

5. निम्न में से किस वाद्य को बो या गज की सहायता से बजाया जाता है?

(क) तानपुरा।

(ख) सितार।

(ग) इसराज।

(घ) सरोद।

उत्तर: (ग) इसराज।

6. जवा द्वारा बजाया जाने वाला वाद्य यंत्र कौन-सा है?

(क) तानपुरा।

(ख) सरोद।

(ग) सितार।

(घ) सारंगी।

उत्तर: (ख) सरोद।

7. निम्न में से किस वाद्य में परदे नहीं होते हैं?

(क) इसराज।

(ख) सरोद।

(ग) दिलरुबा।

(घ) सितार।

उत्तर: (ख) सरोद।

8. चमड़े अथवा खाल से मढ़े हुए खोखले वाद्य यंत्र किस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं?

(क) अवनद्ध वाद्य।

(ख) तत् वाद्य।

(ग) घन वाद्य।

(घ) सुषिर वाद्य।

उत्तर: (क) अवनद्ध वाद्य।

9. तानपुरे के दोनों षड्ज के तार किस सप्तक में मिलाए जाते हैं?

(क) अति मंद्र।

(ख) मंद्र।

(ग) तार।

(घ) मध्य।

उत्तर: (ख) मंद्र।

10. तानपुरे में पंचम स्वर किस सप्तक का होता है?

(क) तार।

(ख) मध्य।

(ग) मंद्र।

(घ) इनमें से कोई नहीं।

उत्तर: (ग) मंद्र।

11. क्लेरोनेट और नागस्वरम् कौन-सी श्रेणी के वाद्य यंत्र हैं?

(क) तत् वाद्य।

(ख) सुषिर वाद्य।

(ग) अवनद्ध वाद्य।

(घ) घन वाद्य।

उत्तर: (ख) सुषिर वाद्य।

12. हवाइयन गिटार को सात्विक वीणा नाम से इनमें से कौन से संगीतज्ञ बजाते हैं?

(क) नलिन मजूमदार।

(ख) देबाशीष मुखर्जी।

(ग) सलिल भट्ट।

(घ) कृष्ण शर्मा।

उत्तर: (ग) सलिल भट्ट।

13. इसराज वाद्य में मुख्य तार व सहायक तारों की संख्या कितनी होती है?

(क) पाँच तथा सोलह।

(ग) चार तथा पंद्रह।

(ख) आठ तथा ग्यारह।

(घ) तीन तथा इक्कीस।

उत्तर: (ग) चार तथा पंद्रह।

14. जवा बनाने के लिए किस चीज का प्रयोग होता है?

(क) प्लास्टिक।

(ख) लोहा।

(ग) स्टील।

(घ) नारियल का पक्का टुकड़ा।

उत्तर: (घ) नारियल का पक्का टुकड़ा।

आइये, देखते हैं क्या इस पाठ को पढ़कर हम निम्न प्रश्नों के उत्तर दे सकते हैं-

1. किस श्रेणी के संगीत वाद्यों का प्रयोग शास्त्रीय संगीत की अपेक्षा लोक संगीत में अधिक होता है?

उत्तर: लोक संगीत वाद्यों का प्रयोग शास्त्रीय संगीत की अपेक्षा लोक संगीत में अधिक होता है।

2. सितार या तानपुरे का तुम्बा किस वस्तु से बनता है?

उत्तर: सितार या तानपुरे का तुम्बा कद्दू से बनता है।

3. तबले की स्याही किस वस्तु से निर्मित होती है?

उत्तर: तबले की स्याही गोंद, कज्जल, कोयले के चूरे, और लोहे के बुरादे के मिश्रण से निर्मित होती है।

4. घन वाद्यों को मुख्यतः किस प्रकार बजाया जाता है?

उत्तर: घन वाद्य मूलतः लकड़ी, काँसा, पीतल आदि धातु के बने हुए होते हैं, जिन्हें आपस में टकराकर या डंडियों के प्रहार से बजाया जाता है। इनका मुख्य कार्य लय धारण करना होता है। लोक संगीत में इनका प्रयोग अधिक होता है। इसके अंतर्गत आने वाले वाद्य हैं घंटा, घंटी, झाँझ, करताल, मंजीरा, घुँघरू, मुरचंग आदि।

5. अवनद्ध कौन-सी भाषा का शब्द है?

उत्तर: अवनद्ध संस्कृत भाषा का शब्द है।

6. संगीत वाद्य से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: संगीत वाद्य से यह तात्पर्य है– संगीत का वास्‍तविक चित्र प्रस्‍तुत करते हैं । इनका अध्‍ययन संगीत के उदभव की जानकारी देने में सहायक होता है और वाद्य जिस जनसमूह से सम्‍बंधित होते हैं, उसकी संस्‍कृति के कई पहलुओं का भी वर्णन करते हैं।

7. मानव शरीर को किस प्रकार का वाद्य यंत्र माना गया है?

उत्तर: मानव शरीर को गात्र वीणा का वाद्य यंत्र माना गया है।

8. संगीत में वाद्यों का क्या महत्व है?

उत्तर: संगीत में वाद्यों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। वाद्य यंत्र संगीत की आत्मा को स्वर, लय और भावों के माध्यम से व्यक्त करते हैं। ये न केवल गायन को संगीतमय आधार प्रदान करते हैं, बल्कि स्वतंत्र रूप से भी रागों की प्रस्तुति में सक्षम होते हैं। वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि श्रोताओं को भावविभोर कर देती है और संगीत की गंभीरता व गहराई को दर्शाती है। शास्त्रीय संगीत में जहाँ तंतुवाद्य जैसे सितार, सरोद, वीणा आदि राग की सूक्ष्मता को उभारते हैं, वहीं तालवाद्य जैसे तबला, पखावज संगीत को लयबद्ध और जीवंत बनाते हैं। लोक संगीत से लेकर मंचीय प्रस्तुतियों तक, वाद्य संगीत हर स्वरूप में आवश्यक भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार वाद्य संगीत, संपूर्ण संगीत व्यवस्था को संतुलित और सुंदर बनाता है।

9. तत् वाद्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।

उत्तर: तत् वाद्य यंत्रों को तार या तंत्री वाले वाद्य यंत्र कहा जाता है, जिनमें ध्वनि तार के कंपन से उत्पन्न होती है। इन वाद्य यंत्रों को बजाने के लिए तार को खींचा, काटा, या उन पर उंगलियां घुमाई जाती हैं, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है। 

उदाहरण- सितार, सरोद, सरस्वती वीणा (दक्षिण भारतीय वीणा), सुरबहार, गोटुवाद्यम, रुद्र वीणा, विचित्र वीणा, एकतार, तानपुरा, दोतर, संतूर, सुरमंडल, बुलबुल तरंग, नकुल वीणा, मगदी वीणा, गेचू वाद्यम (गेटुवाद्यम), गोपीचंद (एकतर), सेनी रबाब, बीन और सारंगी।

10. महाभारत कालीन किन्हीं चार वाद्यों के नाम लिखिए।

उत्तर: महाभारत कालीन किन्हीं चार वाद्यों के नाम है—

(i) वीणा।

(ii) वेणु।

(iii) दुंदुभि।

(iv) पुष्कर।

11. तानपुरा वाद्य में अधिकांशतः कितने तार होते हैं?

उत्तर: तानपुरा वाद्य में अधिकांशतः चार तार होते हैं।

12. विभिन्न काल खंडों में मुख्यतः किन-किन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु संगीत वाद्यों का प्रयोग होता था?

उत्तर: वाद्यों का प्रयोग दूर बैठे व्यक्ति को संकेत देने, जंगली जानवरों को भगाने, शिकार के समय और उत्सवों में प्रसन्नता प्रकट करने के लिए होता था। युद्ध में सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए भी इनका प्रयोग किया जाता था।

13. अवनद्ध वाद्यों में लगने वाला चमड़ा किन-किन पशुओं से प्राप्त होता है? किन्हीं तीन के नाम लिखिए।

उत्तर: अवनद्ध वाद्यों में लगने वाला चमड़ा बकरी, गाय और भैंस से प्राप्त होता है।

14. हारमोनियम के मुख्य अंगों के नाम लिखिए।

उत्तर: हारमोनियम में मुख्यतः चार भाग होते हैं- धौंकनी, वायु कक्ष, कुँजियाँ और रीडा हारमोनियम के ऊपर शीर्ष पर एक कीबोर्ड होता है जिसमें लगभग तीन से साढ़े तीन सप्तक कीज़ होती हैं।

15. सरोद वाद्य अन्य किस वाद्य के समान माना जाता है?

उत्तर: सरोद वाद्य अन्य वीणा वाद्य के समान माना जाता है।

16. सितार वादन किस वास्तु की सहयता से किया जाता है?

उत्तर: सितार वादन मिज़राब की सहयता से किया जाता है।

17. स्व. पंडित वी.जी. जोग और एन. राजम किस वाद्य से संबंधित हैं?

उत्तर: स्व. पंडित वी.जी. जोग और एन. राजम वायलिन से संबंधित हैं।

18. प्राचीन समय में मुख वीणा के नाम से प्रचलित वाद्य वर्तमान समय में किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर: प्राचीन समय में मुख वीणा के नाम से प्रचलित वाद्य वर्तमान समय में बांसुरी नाम से जाना जाता है।

19. रबीन्द्र संगीत में अधिकांशतः किस वाद्य का प्रयोग होता है?

उत्तर: रबीन्द्र संगीत में अधिकांशतः इसराज वाद्य का प्रयोग होता है।

20. पाश्चात्य गिटार के दो प्रकार कौन से हैं?

उत्तर: पाश्चात्य गिटार के दो प्रकार है— हवाइयन और स्पैनिश।

21. मोहन वीणा किस वाद्य का अन्य नाम है? किस संगीतज्ञ ने इस नाम को प्रचलित किया? 

उत्तर: मोहन वीणा विश्व वीणा’ वाद्य का अन्य नाम है। सात्विक संगीतज्ञ ने इस नाम को प्रचलित किया।

22. नागालैंड में बाँसुरी को किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर: नागालैंड में बाँसुरी को कुली नाम से जाना जाता है।

23. संगीत में अवनद्ध वाद्य से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: अवनद्ध संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है मढ़ा हुआ, लपेटा हुआ या चारों तरफ से कसा हुआ। वे वाद्य यंत्र जो अंदर से खोखले होते हैं, जिनके मुख पर चमड़ा मढ़ा होता है तथा जिन पर हाथ से या डंडी से आघात करके ध्वनि निकाली जाती है, ‘अवनद्ध वाद्य’ कहलाते हैं।

24. प्राचीन काल के किन्हीं चार अवनद्ध वाद्यों के नाम बताइए।

उत्तर: प्राचीन काल के किन्हीं चार अवनद्ध वाद्यों के नाम है—

(i) भूमिदंदभि।

(iii) दंदभि।

(iii) पुष्कर।

(iv) मृदंग।

25. तबला अथवा तानपुरे का चित्र बनाकर उस वाद्य यंत्र के अंगों को नामांकित कीजिए।

उत्तर: 

26. वैदिक काल में शास्त्रीय संगीत व सामान्य जनसाधारण के जीवन में संगीत वाद्यों का क्या महत्व रहा है? इसका उल्लेख कीजिए।

उत्तर: वैदिक काल में, संगीत वाद्य भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। धार्मिक अनुष्ठानों में ‘सामगान’ के दौरान, वाद्यों का प्रयोग किया जाता था, जिनमें वीणा, वेणु और मृदंग शामिल थे। सामान्य लोगों के मनोरंजन के लिए भी वाद्यों का प्रयोग होता था।

27. तंत्री वाद्य से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर: तंत्री या तत् वाद्य वे वाद्य यंत्र होते हैं जिनमें ध्वनि का उत्पादन तारों (तंत्री) के कंपन से होता है। इन तारों को उंगलियों, मिज़राब, या गज (धनुष) की सहायता से बजाया जाता है। ये वाद्य यंत्र भारतीय शास्त्रीय संगीत सहित लोक तथा पाश्चात्य संगीत में भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

उदाहरण:

(i) वीणा: यह एक प्राचीन और पारंपरिक तंत्री वाद्य, जो दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत में विशेष रूप से उपयोग होता है।

(ii) सितार: भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रमुख तंत्री वाद्य जिसमें मिज़राब द्वारा तारों को झंकृत किया जाता है।

(iii) सरोद: एक परदाविहीन तंत्री वाद्य, जिसे ‘जवा’ नामक कठोर टुकड़े से बजाया जाता है। इसकी आवाज़ गम्भीर और गूंजदार होती है।

(iv) वायलिन: एक पाश्चात्य मूल का तंत्री वाद्य जिसे गज से बजाया जाता है, लेकिन यह भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी खूब उपयोग होता है।

(v) सारंगी: एक लोक व शास्त्रीय तंत्री वाद्य जिसे गज से घर्षण करके बजाया जाता है। यह मानवीय स्वर के अत्यंत निकट मानी जाती है।

(vi) तानपुरा: तानपुरा एक तंत्री वाद्य है जिसका प्रयोग मुख्यतः स्वरलहरियों की संगति के लिए किया जाता है।

(vii) इसराज: इसराज एक तंत्री वाद्य है जो सारंगी और तानपुरा का संयोजन प्रतीत होता है। इसे भी गज से बजाया जाता है।

(viii) गिटार: एक पाश्चात्य तंत्री वाद्य, जो आजकल भारतीय संगीत में भी प्रयोग किया जाने लगा है। इसे उंगलियों या पिक से बजाया जाता है।

28. तत् व सुषिर वाद्यों में उदाहरण सहित अंतर बताइए।

उत्तर: तत् व सुषिर वाद्यों में अंतर है—

तत्सुषिर
तत् वाद्य में तार या तंत्री के कंपन से होती है।सुषिर वाद्यों के अंतर्गत वे वाद्य आते हैं जिनमें स्वरों की उत्पत्ति वायु के कंपन द्वारा होती है।
तत् वाद्य उंगलियों, मिजराब या गज से बजाए जाते है।सुषिर वाद्य फूक कर बजाए जाते हैं।

29. तत्, सुषिर, घन एवं अवनद्ध वाद्य की तुलना कीजिए।

उत्तर:

तत्सुषिरघनअवनद्ध
तारों के कंपन से होता है।हवा के प्रवाह से होता है।स्वयं वाद्य का शरीरचमड़ी/खाल से ढंके भाग के कंपन से
मिज़राब, गज या उँगलियों से तार झंकृत कर बजाया जाता है।मुँह से फूंककर या बेलोज़ (हवा) से बजाया जाता है।ठोकने, हिलाने या थपथपाने सेहाथ, लकड़ी, या छड़ी से थपकाकर

30. ढोलक, मृदंगम् एवं तविल वाद्यों की सचित्र तुलना कीजिए।

उत्तर: 

ढोलकमृदंगम्तविल
ढोलक का प्रयोग लोक संगीत में गायन की संगति के लिए किया जाता है।मृदंगम् का प्रयोग गायन-वादन तथा नृत्य की संगति के लिए होता है।तविल का प्रयोग मुख्य रूप से वहाँ के लोक संगीत, कर्नाटक शास्त्रीय संगीत एवं नागस्वरम् की संगति के लिए किया जाता है।
ढोलक की लंबाई लगभग 45 सेंटीमीटर और मध्य का व्यास लगभग 27 सेंटीमीटर का होता है।मृदंगम् की लंबाई 22 से 24 इंच तक और इसके मध्य के घेरे का व्यास 12 इंच तक होता है।इसके ढांचे की लंबाई लगभग 18 इंच होती है। ढाँचे का मध्य भाग कुछ उभरा हुआ होता है।
इसका दायाँ मुख बाएँ मुख की तुलना में कुछ छोटा होता है।इसके दाएँ मुख में लगने वाला चमड़ा पखावज में लगने वाले चमड़े की तुलना में अधिक मोटा होता है।इसके निर्माण में मुख्यतः पनस (कटहल) की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।

31. किसी इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्र की उपयोगिता के विषय में विस्तार से लिखिए।

उत्तर: इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्र जैसे कि कीबोर्ड आधुनिक संगीत में अत्यंत उपयोग होती हैं। इनसे विभिन्न ध्वनियाँ उत्पन्न की जा सकती हैं, जैसे पियानो, बाँसुरी, ड्रम आदि। ये यंत्र रिकॉर्डिंग, लाइव प्रस्तुति और संगीत रचना में मदद करते हैं। इनका संचालन आसान होता है और यह कम स्थान घेरते हैं, जिससे यात्रा में भी उपयोगी होते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्र की उपयोगिता है—

(i) बहुध्वनि उत्पादन: बहुध्वनि उत्पादन का अर्थ है एक साथ कई अलग-अलग धुनें बजाना या गाना। यह संगीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें विभिन्न आवाजें या वाद्य यंत्र एक साथ धुनें बनाते हैं, जिससे जटिल और समृद्ध ध्वनि बनती है.

(ii) डिजिटल रिकॉर्डिंग: डिजिटल रिकॉर्डिंग संगीत में ध्वनि को केप्बर करने और उसे संख्याओं के रूप में स्टोर करने की तकनीक है। यह संगीत के निर्माण, संपादन और वितरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(iii) ताल और राग की संगति: ताल और राग भारतीय शास्त्रीय संगीत के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं। राग स्वरों का एक विशेष क्रम हे जो एक विशिष्ट भावना या समय के साथ जुड़ा हुआ है, जबकि ताल एक लयबद्ध संरचना है जो संगीत को समय के साथ एक क्रम में बांधती है।

(iv) संगीत शिक्षा में सहायक: संगीत शिक्षा में सहायता के लिए, विभिन्न शिक्षण विधियों, उपकरण, और संसाधन उपलब्ध हैं। इनमें शिक्षण विधियाँ जैसे कि प्रदर्शन, श्रवण, और चर्चा शामिल हैं। उपकरण जैसे कि वाद्य यंत्र, नोटेशन सॉफ्टवेयर, और ऑडियो उपकरण संगीत शिक्षा को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।

32. तानपुरे वाद्य के अंगों को विस्तार से समझाइए।

उत्तर: तानपुरा भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक प्रमुख तंत्री वाद्य यंत्र है, जिसे स्वर का स्थायी आधार (ड्रोन) देने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह वाद्य एकतारा या दोतारा का विकसित रूप है और इसे देश के विभिन्न क्षेत्रों में तानपुरा, तंबूरा या तमूरा नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग मुख्यतः गायक या वादक की प्रस्तुति के दौरान आधार स्वर देने के लिए किया जाता है।

33. हारमोनियम वाद्य में ध्वनि उत्पत्ति की प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए।

उत्तर: हारमोनियम के ऊपर शीर्ष पर एक कीबोर्ड होता है जिसमें लगभग तीन से साढ़े तीन सप्तक कीज़ (keys) होती हैं। वादक एक हाथ से कीबोर्ड बजाते हैं व दूसरे हाथ से धौंकनी की सहायता से हवा भरकर हारमोनियम वादन करते हैं। धौंकनी के निरंतर और बार-बार धौंकने से. भीतर हवा का दबाव ऊपर उठता है और हारमोनियम कीबोर्ड पर लगी सफेद और काली चाबियों को दबाकर उस हवा को छोड़ा जाता है। प्रत्येक की (key) में एक ही रीड होती है। एक की (key) दबाने से कनेक्टिंग रीड के नीचे एक छोटा-सा वेंट (वायु आदि निकलने का मार्ग) खुल जाता है जिसके माध्यम से हवा गुजरती है, इस प्रकार आवश्यक स्वर की उत्पत्ति होती है।

34. सरोद वाद्य की बनावट को विस्तार से समझाते हुए किन्ही दो सरोद वादकों के नाम दीजिए।

उत्तर: सरोद एक भारतीय तार वाद्य है, जिसकी बनावट मुख्य रूप से लकड़ी के एक ही टुकड़े से होती है, जिसमें एक गोल अनुनादक, एक लंबी और पतली अंगुलिपटल और खूंटी बॉक्स होता है।

प्रसिद्ध सरोद वादकः

(i) उस्ताद अमजद अली ख़ाँ।

(ii) उस्ताद अली अकबर ख़ाँ।

35. गिटार वाद्य की उत्पत्ति को संक्षेप में समझाइए तथा भारतीय वाड्मय में विभिन्न संगीतज्ञों द्वारा इसे किन नामों से जाना जाता है?

उत्तर: गिटार एक पाश्चात्य तंतुवाद्य यंत्र है जिसकी उत्पत्ति प्राचीन स्पेन में मानी जाती है। यह लकड़ी का बना होता है और इसमें सामान्यतः 6 तार होते हैं। इसे पिक या अंगुलियों से बजाया जाता है। आधुनिक भारतीय संगीत में इसका प्रयोग फिल्म, पॉप और शास्त्रीय संगीतमय प्रयोगों में भी होता है।

भारतीय वाड्मय में विभिन्न संगीतज्ञों द्वारा इसे निम्नलिखित नामों से जाता है—

(i) शास्त्रीय गिटार।

(ii) हवाईन गिटार।

(iii) मोहन वीणा।

(iv) शंकर गिटार।

विभाग ‘अ’ के शब्दों का ‘आ’ विभाग में दिए गए शब्दों से मिलान करें-

अ 
(क) खंजरी1. भरत मुनि
(ख) अवनद्ध2. जी. राज नारायण
(ग) खोल3. चमड़ा
(घ) नाट्यशास्त्र4. केरल
(ङ) इलेक्ट्रॉनिक तानपुरा5. स्थायी स्वर
(च) तविल6. हारमोनियम
(छ) सुषिर7. पश्चिम बंगाल
(ज) ड्रोन8. घन वाद्य

उत्तर: 

अ 
(क) खंजरी8. घन वाद्य
(ख) अवनद्ध3. चमड़ा
(ग) खोल7. पश्चिम बंगाल
(घ) नाट्यशास्त्र1. भरत मुनि
(ङ) इलेक्ट्रॉनिक तानपुरा5. स्थायी स्वर
(च) तविल2. जी. राज नारायण
(छ) सुषिर6. हारमोनियम
(ज) ड्रोन4. केरल

रिक्त्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. इसराज वाद्य _____________ श्रेणी का वाद्य है।

उत्तर: इसराज वाद्य तत् श्रेणी का वाद्य है।

2. सुषिर वाद्यों में स्वर की उत्पत्ति __________ द्वारा होती है।

उत्तर: सुषिर वाद्यों में स्वर की उत्पत्ति हवा द्वारा होती है।

3. सुषिर वाद्यों में वायु के दबाव को ___________ स्वर ऊँचा-नीचा किया जाता है।

उत्तर: सुषिर वाद्यों में वायु के दबाव को कम या ज्यादा कर स्वर ऊँचा-नीचा किया जाता है।

4. चार वाद्यों के वर्गीकरण का उल्लेख सर्वप्रथम ___________ में मिलता है।

उत्तर: चार वाद्यों के वर्गीकरण का उल्लेख सर्वप्रथम नाट्यशास्त्र में मिलता है।

5. शरण रानी बाकलीवाल __________ वाद्य की उत्कृष्ट कलाकार हैं।

उत्तर: शरण रानी बाकलीवाल सरोद वाद्य की उत्कृष्ट कलाकार हैं।

6. आर्गन की भाँति ___________ भी एक रीड वाद्य है।

उत्तर: आर्गन की भाँति हारमोनियम भी एक रीड वाद्य है।

7. तानपुरे के पहले तार को _________ के ________ स्वर में मिलाया जाता है।

उत्तर: तानपुरे के पहले तार को मंद्र सप्तक के सा स्वर में मिलाया जाता है।

8. जावा नामक वस्तु का प्रयोग __________ वाद्य में होता है।

उत्तर: जावा नामक वस्तु का प्रयोग सितार वाद्य में होता है।

9. पंडित देबू चौधरी __________ वाद्य से संबंधित हैं।

उत्तर: पंडित देबू चौधरी सितार वाद्य से संबंधित हैं।

10. वेणु ए अलगुज ए पावा आदि शब्द ___________ किस वाद्य के पर्याय हैं।

उत्तर: वेणु ए अलगुज ए पावा आदि शब्द बांसुरी वाद्य के पर्याय हैं।

11. सिक्किल सिस्टर्स ____________ वाद्य की प्रख्यात कलाकार हैं।

उत्तर: सिक्किल सिस्टर्स बांसुरी वाद्य की प्रख्यात कलाकार हैं।

12. सितार का तुम्बा ____________ लकड़ी से बनाया जाता है।

उत्तर: सितार का तुम्बा तूनी लकड़ी से बनाया जाता है।

परियोजना

1. संगीत के वाद्यों के चारों वर्गों के चित्रों का संग्रह कर चार्ट पेपर पर चिपकाकर कोलॉज बनाइए। विद्यार्थी डिजिटल चित्र भी बना सकते हैं।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करे।

2. तुम्बा युक्त वाद्यों को देखिए तथा उनको बनाइए और विवरण दीजिए।

उत्तर: तुम्बा युक्त वाद्य यंत्र वे वाद्य होते हैं जिनमें कद्दू या लकड़ी से बना हुआ गोल, खोखला भाग में तुम्बा लगाया जाता है। इस तुम्बे का मुख्य कार्य ध्वनि की गूंज और प्रतिध्वनि को बढ़ाना होता है, जिससे वाद्य यंत्र की ध्वनि और अधिक मधुर, गूंजदार तथा स्थायी बन जाती है। तानपुरा, सारंगी, वीणा, रुद्र वीणा और एकतारा ऐसे वाद्य हैं जिनमें तुम्बा इस्तेमाल किया जाता है। तानपुरा में एक बड़ा तुम्बा होता है जो स्वर के आधार को स्थिर बनाता है। वीणा और रुद्र वीणा जैसे वाद्यों में दो तुम्बे होते हैं, जो इसके दोनों छोरों पर लगे होते हैं और ध्वनि को गहराई व गंभीरता प्रदान करते हैं। सारंगी व एकतारा जैसे वाद्य यंत्रों में छोटा तुम्बा होता है जो इनके स्वर को लोकधर्मी मानते है। इन वाद्यों का निर्माण पारंपरिक विधियों से किया जाता है और इन्हें लकड़ी, कद्दू, चमड़ा, तार आदि से तैयार किया जाता है। तुम्बे की उपस्थिति न केवल इन वाद्यों की ध्वनि गुणवत्ता को बेहतर बनाती है, बल्कि संगीत को अधिक प्रभावशाली और भावनात्मक रूप से समृद्ध करती है।

3. सितार मिज़राब से छेड़ी जाती है। उसकी आकृति बनाइए और विचार कीजिए क्या यह किसी गणितीय आकृति को दर्शाती है।

उत्तर: मिज़राब की आकृति त्रिकोणीय जैसी होती है, जिसमें एक ओर छल्ला और दूसरी ओर नुकीली नोक होती है। इसका यह त्रिकोणीय आकार इसे एक विशिष्ट गणितीय आकृति -त्रिभुज – से संबंधित बनाता है। इस त्रिकोणीय संरचना के कारण मिज़राब से तारों पर सटीक और नियंत्रित आघात संभव होता है, जिससे विशिष्ट स्वर उत्पन्न होते हैं।

मिज़राब की यह त्रिकोणीय आकृति न केवल इसकी कार्यक्षमता को बढ़ाती है, बल्कि इसे एक विशिष्ट गणितीय आकृति से भी जोड़ती है, जिससे संगीत और गणित के बीच एक रोचक संबंध स्थापित होता है।

4. अपनी पसंद के संगीत वाद्य पर परियोजना निम्नलिखित बिंदुओं के अनुसार बनाइए—

(i) वह वाद्य किन वस्तुओं से बना है?

उत्तर: वह वाद्य का दायाँ भाग लकड़ी (अधिकतर शीशम) से और बायाँ भाग धातु (पीतल, तांबा या मिट्टी) से बनाया जाता है। 

(ii) उसकी बनावट का तरीका क्या है?

उत्तर: तबले की पूड़ी में कई परतें होती हैं, जो बकरी की खाल से बनाई जाती हैं। इसे एक गोल घेरे में जोड़कर गजरा नामक पट्टी से कस दिया जाता है। गट्टे नामक लकड़ी के बेलन चमड़े की पट्टियों के बीच फँसाकर स्वर को कसने या ढीला करने में सहायता करते हैं।

(iii) वाद्य के विभिन्न अंगों को नामांकित कीजिए।

उत्तर: वाद्य के विभिन्न अंगों को नामांकित है—

(क) पूड़ी।

(ख) स्याही।

(ग) किनार।

(घ) गजरा।

(ङ) बाड़ी (मुख्य शरीर)।

(च) गट्टा (लकड़ी के बेलन)।

(छ) पट्टा (चमड़े की पट्टी)।

(ज) पदका (नीचे की गोल आधार)।

(iv) वाद्य से संबंधित कुछ प्रसिद्ध कलाकारों के नाम लिखिए। उन्हें कौन-से पुरस्कार प्राप्त हुए हैं?

उत्तर: वाद्य से संबंधित कुछ प्रसिद्ध कलाकारों के नाम है—

(क) पंडित किशन महाराज – पद्म विभूषण पुरस्कार।

(ख) उस्ताद ज़ाकिर हुसैन – पद्म भूषण, ग्रैमी पुरस्कार।

(ग) पंडित स्वरूपदास – संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार।

(v) आज के समय में इस वाद्य का प्रयोग किस प्रकार हो रहा है?

उत्तर: आज के समय में इस वाद्य का प्रयोग कुछ इस प्रकार हो रहा है कि शास्त्रीय गायन, नृत्य, वादन, भजन, ग़ज़ल, और यहां तक कि फ्यूजन और वेस्टर्न म्यूज़िक में भी हो रहा है। यह एकल वादन के साथ-साथ संगत वाद्य के रूप में बहुत लोकप्रिय है। डिजिटल तबले और ई-तबले ने भी आधुनिक संगीत में इसकी उपस्थिति बनाए रखी है।

(vi) किसी भी अवनद्ध वाद्य को त्रिआयामी आकार में बनाकर उसका नामांकन कीजिए।

उत्तर: 

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