NCERT Class 7 Hindi Chapter 10 मीरा के पद Solutions to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 7 Hindi Chapter 10 मीरा के पद Question Answer and select need one. NCERT Class 7 Hindi Chapter 10 मीरा के पद Solutions Download PDF. NCERT Class 7 Solutions for Hindi.
NCERT Class 7 Hindi Chapter 10 मीरा के पद
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मीरा के पद
Chapter: 10
मल्हार
पाठ से |
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (☆) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
1. “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” पद में मीरा किनसे विनती कर रही हैं?
(i) संतों से।
(ii) भक्तों से।
(iii) वैजंती से।
(iv) श्रीकृष्ण से।
उत्तर: (iv) श्रीकृष्ण से।
2. “बसो मेरे नैनन में नंदलाल” पद का मुख्य विषय क्या है?
(i) प्रेम और भक्ति।
(ii) प्रकृति की सुंदरता।
(iii) युद्ध और शांति।
(iv) ज्ञान और शिक्षा।
उत्तर: (i) प्रेम और भक्ति।
3. “बरसे बदरिया सावन की” पद में कौन-सी ऋतु का वर्णन किया गया है?
(i) सर्दी।
(ii) गरमी।
(iii) वर्षा।
(iv) वसंत।
उत्तर: (iii) वर्षा।
4. “बरसे बदरिया सावन की” पद को पढ़कर ऐसा लगता है, जैसे मीरा-
(i) प्रसन्न हैं।
(ii) दुखी हैं।
(iii) उदास हैं।
(iv) चिंतित हैं।
उत्तर: (i) प्रसन्न हैं।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: (i) इस पद में मीरा श्रीकृष्ण को नंदलाल (नंद के पुत्र) कहकर संबोधित कर रही हैं और उनसे निवेदन कर रही हैं कि वे उनके नेत्रों में वास करें। मीरा का भक्ति भाव श्रीकृष्ण के प्रति अत्यधिक गहरा था। इसलिए यहाँ “नंदलाल” का अर्थ श्रीकृष्ण से है।
(ii) मीरा बाई की कविताओं में प्रेम और भक्ति का प्रमुख स्थान है। इस पद में भी मीरा अपनी गहरी भक्ति और प्रेम का इज़हार कर रही हैं, जहाँ वे श्रीकृष्ण से अपनी आँखों में बस जाने का निवेदन करती हैं।
(iii) पद में “बरसे बदरिया सावन की” स्पष्ट रूप से वर्षा ऋतु का वर्णन कर रहा है। ‘सावन’ का अर्थ ही वर्षा का महीना है। इस समय में काले-काले बादल और बरसात का दृश्य कविताओं में प्रमुखता से दर्शाया जाता है।
(iv) सावन की बारिश को देखकर मीरा का मन खुशी से भर जाता है। बादलों का गरजना, ठंडी हवा और रिमझिम बूंदों का गिरना आनंददायक होता है। इसी उल्लास को व्यक्त करते हुए मीरा प्रसन्नता का अनुभव कर रही हैं।
मिलकर करें मिलान |
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
शब्द | अर्थ/संदर्भ |
1. नंदलाल | 1. पर्वत को धारण करने वाले, श्रीकृष्ण |
2. वैजंती माल | 2. श्रावण का महीना, आषाढ़ के बाद का और भाद्रपद के पहले का महीना |
3. सावन | 3. वैजयंती पौधे के बीजों से बनने वाली माला |
4. गिरधर | 4. नंद के पुत्र, श्रीकृष्ण |
उत्तर:
शब्द | अर्थ/संदर्भ |
1. नंदलाल | 4. नंद के पुत्र, श्रीकृष्ण |
2. वैजंती माल | 3. वैजयंती पौधे के बीजों से बनने वाली माला |
3. सावन | 2. श्रावण का महीना, आषाढ़ के बाद का और भाद्रपद के पहले का महीना |
4. गिरधर | 1. पर्वत को धारण करने वाले, श्रीकृष्ण |
व्याख्या:
नंदलाल: नंद के पुत्र श्रीकृष्ण को “नंदलाल” कहा जाता है।
वैजंती माल: यह माला वैजयंती पौधे के बीजों से बनती है और श्रीकृष्ण की पहचान से जुड़ी है।
सावन: हिंदू कैलेंडर में श्रावण महीना वर्षा ऋतु का समय होता है।
गिरधर: श्रीकृष्ण को गिरधर इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर धारण किया था।
पंक्तियों पर चर्चा |
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) “नन्हीं नन्हीं बूँदन मेहा बरसे, शीतल पवन सोहावन की।।”
उत्तर: इस पंक्ति में कवयित्री सावन ऋतु का सुंदर चित्रण कर रही हैं। यहाँ “नन्हीं नन्हीं बूँदन” का तात्पर्य हल्की-हल्की बारिश की बूँदों से है। “मेहा” का अर्थ है वर्षा। जब वर्षा की ठंडी-ठंडी बूँदें गिरती हैं, तो वातावरण में ठंडक और ताजगी आ जाती है। “शीतल पवन” का मतलब है ठंडी हवा, जो बारिश के साथ चलकर मौसम को और भी सुखद बना देती है। कुल मिलाकर, यह पंक्ति वर्षा ऋतु की सुंदरता और उसकी शीतलता का अनुभव कराती है।
(ख) “मीरा के प्रभु संतन सुखदाई, भक्त वछल गोपाल।।”
उत्तर: इस पंक्ति में मीरा बाई अपने इष्टदेव श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन कर रही हैं। “संतन सुखदाई” का अर्थ है कि श्रीकृष्ण संतों को सुख देने वाले हैं। “भक्त वछल गोपाल” का तात्पर्य है कि वे अपने भक्तों के प्रति अत्यंत स्नेही और दयालु हैं। मीरा बाई यहाँ श्रीकृष्ण के उन गुणों का उल्लेख कर रही हैं, जो उन्हें भक्तों के प्रिय बनाते हैं। इस पंक्ति में भक्त और भगवान के बीच के आत्मीय संबंध का वर्णन किया गया है।
सोच-विचार के लिए |
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) पहले पद में श्रीकृष्ण के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर: पहले पद में श्रीकृष्ण का सुंदर और मोहक रूप वर्णित है।
रूप और सौंदर्य: श्रीकृष्ण को “नंदलाल” कहकर पुकारा गया है, जो नंद के पुत्र (श्रीकृष्ण) को दर्शाता है।
उनका रूप “मोहनि मूरति” और “साँवरि सूरति” के रूप में वर्णित है, जिसका अर्थ है सुंदर और मनमोहक सांवला स्वरूप।
बाँसुरी और माला: उनके अधरों पर मधुर बाँसुरी (मुरली) शोभा देती है, जो अमृत रस से भरी हुई प्रतीत होती है।
उनके गले में “वैजंती माल” है, जो सुंदरता और भक्ति का प्रतीक है।
नूपुर की मधुर ध्वनि: उनकी कमर में छोटी-छोटी घंटियाँ (क्षुद्र घंटिका) सुशोभित हैं, जो नूपुर (पायल) के मधुर स्वर से वातावरण को रसमय बना देती हैं।
भक्तवत्सलता: मीरा उन्हें “संतन सुखदाई” और “भक्त वछल गोपाल” कहती हैं, जो दर्शाता है कि श्रीकृष्ण संतों और भक्तों के प्रति अत्यंत स्नेहशील और दयालु हैं।
(ख) दूसरे पद में सावन के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर: दूसरे पद में सावन ऋतु का उल्लासमय और मनोहारी चित्रण किया गया है।
सावन का आगमन: पद की शुरुआत में कहा गया है, “बरसे बदरिया सावन की,” जो सावन के बादलों के बरसने का संकेत देता है।
प्राकृतिक दृश्य: चारों दिशाओं से काले-काले बादल उमड़-घुमड़ कर आए हैं।
बिजली (दामिन) की चमक के साथ वर्षा की बौछारें गिर रही हैं।
ठंडी और सुखद हवा: “नन्हीं नन्हीं बूँदन मेहा बरसे” का तात्पर्य है कि हल्की-हल्की बारिश की बूँदें गिर रही हैं।
“शीतल पवन सोहावन की” का अर्थ है कि ठंडी हवा मौसम को सुहावना बना रही है।
आनंद और उल्लास: सावन के आगमन से मीरा का मन खुशी से भर गया है।
श्रीकृष्ण के आगमन की भनक सुनकर मन में आनंद और मंगल की भावना जागृत हो जाती है।
भक्ति का रंग: मीरा कहती हैं कि उनके प्रभु गिरधर (श्रीकृष्ण) के आने से आनंद और मंगल गीत गाए जा रहे हैं।
कविता की रचना |
“मीरा के प्रभु संतन सुखदाई”
“मीरा के प्रभु गिरधरनागर”
इन दोनों पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों में मीरा ने अपने नाम का उल्लेख किया है। मीरा के समय के अनेक कवि अपनी रचना के अंत में अपने नाम को सम्मिलित कर दिया करते थे। आज भी कुछ कवि अपना नाम कविता में जोड़ देते हैं।
आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी। (जैसे- कविता में छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं। श्रीकृष्ण के लिए अलग-अलग नामों का प्रयोग किया गया है आदि।)
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर: मीरा के पद: कविता की विशेषताएँ
(क) कविता की विशेषताएँ:
भक्ति रस का प्रधानता: मीरा बाई की कविताओं में श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति और प्रेम का वर्णन है।
श्रीकृष्ण को अलग-अलग नामों से पुकारा गया है, जैसे – नंदलाल, गोपाल, गिरधरनागर।
छोटी-छोटी पंक्तियाँ: कविता की पंक्तियाँ संक्षिप्त और सरल हैं, जिससे भाव स्पष्ट और प्रभावी बनता है।
उदाहरण:
“बसो मेरे नैनन में नंदलाल।”
“बरसे बदरिया सावन की।”
कवयित्री का नाम शामिल करना: मीरा बाई ने अपनी रचना में अपने नाम का उल्लेख किया है।
उदाहरण:
“मीरा के प्रभु संतन सुखदाई।”
“मीरा के प्रभु गिरधरनागर।”
यह दर्शाता है कि कवि स्वयं को अपनी रचना से जोड़ते थे।
श्रीकृष्ण के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन: श्रीकृष्ण के सांवले स्वरूप और बाँसुरी धारण करने का सुंदर चित्रण है।
उनकी मुरली की मधुर ध्वनि और वैजंती माला का उल्लेख भी है।
प्राकृतिक दृश्य का वर्णन: सावन ऋतु का चित्रण सुंदरता और उल्लास के साथ किया गया है।
“बरसे बदरिया सावन की” और “शीतल पवन सोहावन की” पंक्तियाँ वर्षा ऋतु की शोभा का सुंदर वर्णन करती हैं।
सरल और काव्यात्मक भाषा: कविता की भाषा में सहजता और प्रवाह है, जो पाठक को सहज ही भावविभोर कर देती है।
छोटे वाक्य और सरल शब्द प्रयोग कविता को सजीव और प्रभावी बनाते हैं।
संगीतात्मकता: कविता में छंद और ताल का सुंदर समायोजन है, जो इसे भजन या गीत के रूप में गाने योग्य बनाता है।
नूपुर और मुरली की ध्वनि से कविता में माधुर्य और संगीतात्मकता आती है।
भक्त और भगवान का आत्मीय संबंध: कविता में मीरा और श्रीकृष्ण का संबंध अत्यंत भावुक और आत्मीय है।
मीरा बाई श्रीकृष्ण को न केवल आराध्य मानती हैं बल्कि उन्हें अपनी आत्मा का साथी मानती हैं।
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
अनुमान और कल्पना से |
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) मान लीजिए कि बादलों ने मीरा को श्रीकृष्ण के आने का संदेश सुनाया है। आपको क्या लगता है कि उन्होंने क्या कहा होगा? कैसे कहा होगा?
उत्तर: अगर बादलों ने मीरा को श्रीकृष्ण के आगमन का संदेश सुनाया होता, तो वे कुछ इस प्रकार कहते:
“मीरा! देखो, हम काले-काले बादल श्रीकृष्ण के संदेशवाहक बनकर आए हैं।”
“जब हमारी गड़गड़ाहट सुनाई दे, समझो कि श्रीकृष्ण अपनी मुरली की मधुर ध्वनि के साथ आने वाले हैं।”
“हमारी वर्षा की नन्हीं-नन्हीं बूँदें श्रीकृष्ण के कदमों की आहट का संकेत हैं।”
“ठंडी हवा का झोंका उनके आने की खुशी का इज़हार कर रहा है।”
“आकाश में बिजली की चमक, उनकी मुरली की कर्णप्रिय ध्वनि है।”
“मीरा! तुम्हारे प्रभु गिरधरनागर तुम्हें मिलने आ रहे हैं।”
बादलों की गरज में श्रीकृष्ण के आगमन का उल्लास और प्रेम झलकता है।
(ख) यदि आपको मीरा से बातचीत करने का अवसर मिल जाए तो आप उनसे क्या-क्या कहेंगे और क्या-क्या पूछेंगे?
उत्तर: अगर मुझे मीरा से बातचीत करने का अवसर मिले, तो मैं उनसे निम्नलिखित बातें कहूँगा और पूछूँगा:
प्रेम और भक्ति के प्रति समर्पण: “मीरा, आपके भीतर इतनी गहरी भक्ति और प्रेम का स्रोत क्या है?”
“क्या आपको कभी ऐसा लगा कि आपके प्रेम और भक्ति के कारण समाज ने आपको समझा नहीं?”
श्रीकृष्ण के प्रति निष्ठा: “क्या आपको कभी ऐसा लगा कि श्रीकृष्ण ने आपकी पुकार का जवाब नहीं दिया?”
“आपने अपने जीवन को कृष्ण-भक्ति के प्रति ही क्यों समर्पित कर दिया?”
कठिनाइयों का सामना: “राजमहल से निकलकर संत का जीवन चुनना कितना कठिन था?”
“क्या कभी ऐसा समय आया जब आपकी भक्ति डगमगाई हो?”
भक्ति का संदेश: “आज के युग में लोग भक्ति से दूर होते जा रहे हैं, आप उन्हें क्या संदेश देना चाहेंगी?”
“क्या आप हमें अपनी कोई प्रिय रचना सुनाएंगी?”
मीरा का संदेश: “आपकी कविता में जो कष्ट और प्रेम झलकता है, उसे आप किस प्रकार जीती थीं?”
“आपकी भक्ति ने आपको समाज के विरोध के बावजूद कैसे अडिग रखा?”
शब्दों के रूप |
अगले पृष्ठ पर शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।
(क) “मोहनि मूरति साँवरि सूरति, नैना बने विशाल।”
इस पंक्ति में ‘साँवरि’ शब्द आया है। इसके स्थान पर अधिकतर ‘साँवली’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं, जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं। इन्हें आप जिस रूप में बोलते-लिखते हैं, उस तरह से लिखिए।
नैनन ________________________ | मेरो मनवा ______________________ |
सोभित _____________________ | आवन _________________________ |
भक्त वछल _____________________ | दिश __________________________ |
बदरिया _________________ | मेहा __________________________ |
उत्तर:
नैनन – नयन/आँखें | मेरो मनवा – मेरा मन |
सोभित – शोभित | आवन – आगमन |
भक्त वछल – भक्तवत्सल | दिश – दिशा |
बदरिया – बादल | मेहा – मेघ/ बादल |
शब्द से जुड़े शब्द |
नीचे दिए गए स्थानों में श्रीकृष्ण से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए-
उत्तर: श्रीकृष्ण से जुड़े शब्द:
मुरली ,नंदलाल,गिरधर,गोपाल,कन्हैया,माधव,मुरारि,
श्यामसुंदर।
पंक्ति से पंक्ति |
नीचे स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलती-जुलती पंक्तियों को रेखा खींचकर मिलाइए-
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. अधर सुधा रस मुरली राजति, उर वैजंती माल | 1. चारों दिशाओं से बादल उमड़-घुमड़ कर बरस रहे हैं, बिजली चमक रही है, वर्षा की झड़ी लग गई है। |
2. क्षुद्र घंटिका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाल | 2. होंठों पर सुरीली धुनों से भरी हुई बाँसुरी और सीने पर वैजयंती माला सजी हुई है। |
3. मीरा के प्रभु संतन सुखदाई, भक्त वछल गोपाल | 3. सावन के महीने में मेरे मन में बहुत-सी उमंगें उठ रही हैं, क्योंकि मैंने श्रीकृष्ण के आने की चर्चा सुनी है। |
4. सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की | 4. हे मीरा के प्रभु! तुम संतों को सुख देने वाले हो और अपने भक्तों से स्नेह करने वाले हो। |
5. उमड़ घुमड़ चहुँ दिश से आया, दामिन दमकै झर लावन की | 5. कमर पर छोटी-छोटी घंटियाँ सजी हुई हैं और पैरों में बँधे हुए नूपुर मीठी आवाज में बोल रहे हैं |
उत्तर:
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. अधर सुधा रस मुरली राजति, उर वैजंती माल | 2. होंठों पर सुरीली धुनों से भरी हुई बाँसुरी और सीने पर वैजयंती माला सजी हुई है। |
2. क्षुद्र घंटिका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाल | 5. कमर पर छोटी-छोटी घंटियाँ सजी हुई हैं और पैरों में बँधे हुए नूपुर मीठी आवाज में बोल रहे हैं |
3. मीरा के प्रभु संतन सुखदाई, भक्त वछल गोपाल | 4. हे मीरा के प्रभु! तुम संतों को सुख देने वाले हो और अपने भक्तों से स्नेह करने वाले हो। |
4. सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की | 3. सावन के महीने में मेरे मन में बहुत-सी उमंगें उठ रही हैं, क्योंकि मैंने श्रीकृष्ण के आने की चर्चा सुनी है। |
5. उमड़ घुमड़ चहुँ दिश से आया, दामिन दमकै झर लावन की | 1. चारों दिशाओं से बादल उमड़-घुमड़ कर बरस रहे हैं, बिजली चमक रही है, वर्षा की झड़ी लग गई है। |
कविता का सौंदर्य |
“बरसे बदरिया सावन की।”
इस पंक्ति में रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। क्या आपको कोई विशेष बात दिखाई दी?
इस पंक्ति में ‘बरसे’ और ‘बदरिया’ दोनों शब्द साथ-साथ आए हैं और दोनों ‘ब’ वर्ण से शुरू हो रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इस पंक्ति में ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है। इस कारण यह पंक्ति और भी अधिक सुंदर बन गई है। पाठ में से इस प्रकार के अन्य उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर: कविता का सौंदर्य: ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति ‘बरसे बदरिया सावन की’ पंक्ति में ‘बरसे’ और ‘बदरिया’ दोनों शब्दों में ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है। यह आवृत्ति कविता में ध्वनि की मधुरता और लयात्मकता को बढ़ाती है।
पाठ में से अन्य उदाहरण: “नन्हीं नन्हीं बूँदन मेहा बरसे”
यहाँ ‘न’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है, जो नन्हीं बूंदों के गिरने की ध्वनि को दर्शाती है।
“उमड़ घुमड़ चहुँ दिश से आया”
इस पंक्ति में ‘म’ और ‘ड़’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है, जो बादलों के उमड़ने और गरजने का आभास कराती है।
“शीतल पवन सोहावन की”
यहाँ ‘स’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है, जो शीतल हवा के प्रवाह का संकेत देती है।
“दामिन दमकै झर लावन की”
इस पंक्ति में ‘द’ वर्ण की आवृत्ति है, जो बिजली की चमक और झरने की ध्वनि को दर्शाती है।
विशेषता: कविता में वर्णों की आवृत्ति का प्रयोग काव्यात्मक सौंदर्य और संगीतात्मकता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इससे कविता में ताल, लय और ध्वनि का प्रभाव गहराई से उभरकर सामने आता है।
मीरा बाई की कविता में ‘ब’, ‘न’, ‘म’, और ‘स’ जैसे वर्णों की आवृत्ति से कविता में एक मधुर ध्वनि उत्पन्न होती है, जो पाठक के मन में सावन ऋतु का जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है।
रूप बदलकर |
पाठ के किसी एक पद को एक अनुच्छेद के रूप में लिखिए। उदाहरण के लिए- ‘सावन के बादल बरस रहे हैं..’ या ‘सावन की बदरिया बरसती है…’ आदि।
उत्तर: अनुच्छेद: सावन की बदरिया
सावन का महीना आते ही आसमान में काले-काले बादल उमड़-घुमड़ कर छा जाते हैं। चारों दिशाओं से बादलों का आगमन होता है और बिजली की चमक के साथ वर्षा की झड़ी लग जाती है। हल्की-हल्की बूंदें ठंडी हवाओं के साथ धरती पर गिरती हैं, जिससे वातावरण में ठंडक और ताजगी आ जाती है। सावन के इन मेघों के बरसने से मन प्रसन्न हो उठता है। मीरा के मन में भी खुशी का संचार हो जाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह वर्षा श्रीकृष्ण के आगमन का संदेश लेकर आई है। बादलों की गर्जना, ठंडी पवन और बूंदों की रिमझिम ध्वनि से जैसे पूरा वातावरण गूँज उठता है। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी प्रकृति श्रीकृष्ण के स्वागत में आनंद-गान कर रही है। सावन का यह सुहाना मौसम मीरा के मन को आनंदित कर देता है और वे प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा में मगन हो जाती हैं।
मुहावरे |
“बसो मेरे नैनन में नंदलाला”
नैनों या आँखों में बस जाना एक मुहावरा है, जब हमें कोई व्यक्ति या वस्तु इतनी अधिक प्रिय लगने लगती है कि उसका ध्यान हर समय मन में बना रहने लगता है तब हम इस मुहावरे का प्रयोग करते हैं, जैसे- उसकी छवि मेरी आँखों में बस गई है। ऐसा ही एक अन्य मुहावरा है- आँखों में घर करना।
नीचे आँखों से जुड़े कुछ और मुहावरे दिए गए हैं। अपने परिजनों, साथियों, शिक्षकों, पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता से इनके अर्थ समझिए और इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
1. आँखों का तारा।
2. आँखों पर पर्दा पड़ना।
3. आँखों के आगे अँधेरा छाना।
4. आँख दिखाना।
5. आँख का काँटा।
6. आँखें फेरना।
7. आँख भर आना।
8. आँखें चुराना।
9. आँखों से उतारना।
10. आँखों में खटकना।
उत्तर: आँखों से जुड़े मुहावरे और उनके प्रयोग:
1. आँखों का तारा:
अर्थ: अत्यंत प्रिय व्यक्ति।
वाक्य: रिया अपने माता-पिता की आँखों का तारा है।
2. आँखों पर पर्दा पड़ना:
अर्थ: सच को न देख पाना या सत्य से अनजान रहना।
वाक्य: लालच ने उसकी आँखों पर ऐसा पर्दा डाल दिया कि वह सच्चाई को समझ नहीं पाया।
3. आँखों के आगे अँधेरा छाना:
अर्थ: अचानक संकट या दुख से घबरा जाना।
वाक्य: दुर्घटना की खबर सुनते ही उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया।
4. आँख दिखाना:
अर्थ: गुस्से से घूरना या डराना।
वाक्य: अनुज ने अपनी गलती पर माँ को आँख दिखाना शुरू कर दिया।
5. आँख का काँटा:
अर्थ: अत्यंत अप्रिय व्यक्ति।
वाक्य: रवि का प्रमोशन हो गया, अब वह अपने सहकर्मियों की आँख का काँटा बन गया।
6. आँखें फेरना:
अर्थ: मुँह मोड़ लेना या साथ छोड़ देना।
वाक्य: बुरे समय में उसके दोस्तों ने उससे आँखें फेर लीं।
7. आँख भर आना:
अर्थ: भावुक होकर आँखों में आँसू आ जाना।
वाक्य: देशभक्ति गीत सुनकर दादी की आँखें भर आईं।
8. आँखें चुराना:
अर्थ: नजरें मिलाने से बचना या छुपना।
वाक्य: गलती करने के बाद रोहन सबकी आँखें चुराकर चुपचाप बैठा रहा।
9. आँखों से उतारना:
अर्थ: महत्व देना बंद कर देना या अप्रिय हो जाना।
वाक्य: अपनी हरकतों के कारण सोनू अब माता-पिता की आँखों से उतर गया है।
10. आँखों में खटकना:
अर्थ: अप्रिय लगना या सहन न होना।
वाक्य: उसकी सफलता पड़ोसियों की आँखों में खटक रही है।
सबकी प्रस्तुति |
पाठ के किसी एक पद को चुनकर अपने समूह के साथ मिलकर अलग-अलग तरीके से कक्षा के सामने प्रस्तुत कीजिए, उदाहरण के लिए-
(i) गायन करना।
(ii) भाव-नृत्य प्रस्तुति करना।
(iii) कविता पाठ करना आदि।
उत्तर: कक्षा प्रस्तुति: मीरा बाई के पद का प्रदर्शन
चुना हुआ पद:
“बरसे बदरिया सावन की, सावन की मन भावन की।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवन की।।”
प्रस्तुति के अलग-अलग तरीके:
(i) गायन प्रस्तुति:
विधि: इस पद को मीठी धुन में गाकर प्रस्तुत करें।
एक या दो छात्र मुख्य गायक बनें, जबकि अन्य छात्र कोरस के रूप में शामिल हों।
हारमोनियम, ढोलक या तबले का उपयोग संगीत के लिए करें।
विशेष: स्वर में भक्ति और उत्साह का भाव होना चाहिए।
अंत में सभी मिलकर “हरे कृष्णा” का जाप करें।
(ii) भाव-नृत्य प्रस्तुति:
विधि: एक छात्रा को मीरा बाई का किरदार दें, जो नृत्य करते हुए भक्ति भाव को प्रदर्शित करे।
अन्य छात्र वृक्ष, बादल और श्रीकृष्ण के प्रतीकात्मक रूप में खड़े रहें।
नृत्य शैलियाँ: कथक या भक्ति नृत्य शैली का उपयोग करें।
नूपुर और घुँघरू का प्रयोग संगीतात्मकता को बढ़ाने के लिए करें।
विशेष: नृत्य में श्रीकृष्ण के आगमन की प्रतीक्षा और सावन के उल्लास को प्रदर्शित करें।
(iii) कविता पाठ:
विधि: एक छात्र कविता का पाठ करे और अन्य छात्र दृश्य का अभिनय करें।
पाठ में भावपूर्ण आवाज और स्पष्ट उच्चारण का ध्यान रखें।
विशेष: कविता पाठ में ठहराव और भावुकता होनी चाहिए।
प्रत्येक पंक्ति के बाद एक छोटा नाटकीय अभिनय हो।
(iv) नाटक प्रस्तुति:
विधि: एक संवादात्मक प्रस्तुति जिसमें मीरा बाई बादलों से बातचीत करती दिखें।
संवाद:
मीरा: “हे बादल! क्या तुमने श्रीकृष्ण के आगमन की सूचना दी?”
बादल: “हाँ मीरा! सावन के साथ श्रीकृष्ण आ रहे हैं।”
विशेष: मंच पर सावन का दृश्य बनाने के लिए नीले और सफेद कपड़े का उपयोग करें।
संगीत के बीच-बीच में ढोलक और झंकार का प्रयोग करें।
(v) समूह चर्चा:
विधि: छात्र इस पद के भाव और संदर्भ पर चर्चा करें।
प्रश्न जैसे- “मीरा का मन सावन में क्यों उमगता है?”
विशेष: चर्चा में सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भ का उल्लेख करें।
प्रत्येक छात्र अपने विचार साझा करें।
समूह प्रदर्शन:
संयोजन:
शुरुआत में एक छात्र नाटक का परिचय देगा।
उसके बाद गायन, नृत्य और कविता पाठ का क्रमिक प्रदर्शन होगा।
अंत में समूह चर्चा द्वारा प्रस्तुति का समापन किया जाएगा।
समाप्ति:
सभी छात्र मिलकर भजन गाएँ:
“राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे राधे।”
ध्यान देने योग्य बातें:
वेशभूषा में पारंपरिक राजस्थानी परिधान का उपयोग करें।
प्रस्तुति में तालमेल और अनुशासन बनाए रखें।
पाठ से आगे |
आपकी बात
(क) “बरसे बदरिया सावन की”
1. इस पद में सावन का सुंदर चित्रण किया गया है। जब आपके गाँव या नगर में सावन आता है तो
मौसम में क्या परिवर्तन आते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर: सावन के महीने में मेरे गाँव में मौसम पूरी तरह से बदल जाता है। काले-काले बादल आसमान में छा जाते हैं और हल्की-हल्की बारिश शुरू हो जाती है। चारों ओर हरियाली फैल जाती है। पेड़-पौधे ताजगी से भर जाते हैं। ठंडी हवाएँ चलने लगती हैं और वातावरण में एक नई स्फूर्ति आ जाती है। नदी-नाले और तालाब पानी से भर जाते हैं। खेतों में धान की फसलें लहलहाने लगती हैं। हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू हर किसी का मन मोह लेती है। सावन में गाँव का दृश्य अत्यंत मनमोहक और सुंदर हो जाता है।
2. सावन की ऋतु में किस-किस प्रकार की ध्वनियाँ सुनाई देती हैं? इन ध्वनियों को सुनकर आपके मन में कौन-कौन सी भावनाएँ उठती हैं? आप कैसा अनुभव करते हैं? अपने अनुभवों के आधार पर बताइए। (उदाहरण के लिए – बिजली के कड़कने या बूँदों के टपकने की ध्वनियाँ।)
उत्तर: सावन में कई तरह की मधुर ध्वनियाँ सुनाई देती हैं।
बिजली की कड़कन: यह ध्वनि कभी-कभी डराती है, लेकिन बारिश के संकेत के रूप में रोमांच भी पैदा करती है।
बूँदों की रिमझिम: जब बूँदें टिन की छत पर गिरती हैं, तो एक मधुर संगीत जैसा लगता है।
नदी और नालों की कल-कल: बारिश से जलधारा का प्रवाह बढ़ जाता है और कल-कल की ध्वनि आनंदित कर देती है।
मेंढकों की टर्र-टर्र: तालाब के किनारे मेंढक टर्राते हैं, जो सावन की पहचान बन जाती है।
कोयल की कूक: सावन में कोयल की मधुर कूक वातावरण को संगीतमय बना देती है।
इन ध्वनियों को सुनकर मन में आनंद, ताजगी और उल्लास का अनुभव होता है। ऐसा लगता है कि पूरी प्रकृति खुशी मना रही है। मन में उत्साह और स्फूर्ति का संचार हो जाता है।
3. वर्षा ऋतु में आपको कौन-कौन सी गतिविधियाँ करने या खेल खेलने में आनंद आता है?
उत्तर: वर्षा ऋतु में मुझे कई गतिविधियाँ करने में आनंद आता है, जैसे:
कागज की नाव बनाना: बरसाती पानी में नाव को बहते देखना बहुत सुखद लगता है।
बारिश में भीगना: दोस्तों के साथ बारिश में नाचना और गाना।
कीचड़ में फुटबॉल खेलना: कीचड़ में खेलना थोड़ा कठिन होता है, लेकिन बहुत मजेदार भी।
तालाब में तैरना: सावन में तालाब भर जाते हैं, और तैरने में बहुत मजा आता है।
पतंगबाजी: हल्की बारिश के बीच रंग-बिरंगी पतंग उड़ाना एक अद्भुत अनुभव है।
4. सावन के महीने में हमारे देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। आपके घर, परिसर या गाँव में सावन में कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं? किसी एक के विषय में अपने अनुभव बताइए।
उत्तर: मेरे गाँव में सावन के महीने में रक्षा बंधन प्रमुख रूप से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई बहन को उपहार देते हैं और जीवनभर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
सावन की फुहारों के बीच रक्षा बंधन का त्योहार मनाना बहुत खास लगता है। सुबह से ही बहनें राखी की तैयारी में जुट जाती हैं। मिठाइयों की खुशबू और त्योहार का उल्लास पूरे घर में फैल जाता है। भाई-बहन की हँसी-खुशी और प्यार का यह पर्व सावन की हरियाली के बीच मन में नई ऊर्जा और उमंग का संचार करता है।
(ख) “बसो मेरे नैनन में नंदलाल”
इस पद में मीरा श्रीकृष्ण को संतों को सुख देने वाला’ और ‘भक्तों का पालन करने वाला’ कहती हैं।
1. क्या आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है जो सदैव आपकी सहायता करता है और आपको आनंदित करता है? विस्तार से बताइए।
उत्तर: मेरे जीवन में मेरी माँ वह व्यक्ति हैं जो सदैव मेरी सहायता करती हैं और मुझे आनंदित करती हैं। चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो, माँ हमेशा मेरी ढाल बनकर खड़ी रहती हैं।
सहायता और समर्थन: जब भी मैं किसी समस्या में होता हूँ, माँ अपनी समझदारी और अनुभव से मुझे सही राह दिखाती हैं।
परीक्षा के समय मुझे प्रोत्साहित करती हैं और आत्मविश्वास बढ़ाती हैं।
खुशियाँ और स्नेह: माँ का प्यार और दुलार मुझे हर परिस्थिति में सुकून देता है।
उनके हाथ का बना खाना और सुबह की दुलार भरी मुस्कान मेरे लिए दुनिया की सबसे बड़ी खुशी है।
संस्कार और सिखावन: माँ ने मुझे सच्चाई और ईमानदारी का पाठ सिखाया है।
कठिन समय में धैर्य बनाए रखने की सीख भी माँ से ही मिली है।
माँ मेरे लिए न केवल एक मार्गदर्शक हैं, बल्कि मेरी सबसे अच्छी मित्र भी हैं। उनके बिना मेरा जीवन अधूरा है। उनके स्नेह और देखभाल से मैं सदैव आनंदित और सुरक्षित महसूस करता हूँ।
2. कवयित्री ने पाठ में ‘नूपुर’ और ‘क्षुद्र घंटिका’ जैसे उदाहरणों का प्रयोग किया है। किसी का वर्णन करने के लिए हम केवल बड़ी-बड़ी ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातें भी बता सकते हैं। आप भी अपने आस-पास के किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करते हुए उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दीजिए और उन्हें लिखिए।
उत्तर: मैं अपने दादा जी का वर्णन करना चाहूँगा। दादा जी मेरे परिवार के सबसे स्नेही और अनुभवी सदस्य हैं।
व्यक्तित्व: दादा जी का चेहरा हमेशा मुस्कुराता रहता है।
उनका सफेद धोती-कुर्ता और माथे पर लाल तिलक उनकी पहचान है।
आदतें और व्यवहार: सुबह जल्दी उठकर पूजा-पाठ करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।
वे हर शाम बगीचे में पौधों को पानी देते हैं और बच्चों को कहानियाँ सुनाते हैं।
खास बातें: उनकी कहानी सुनाते समय चेहरे की चमक और हाथों के इशारे बच्चों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
जब भी कोई बात समझानी होती है, वे हमेशा कहानी के माध्यम से सीख देते हैं।
उनका हौसला: दादा जी हमेशा कहते हैं, “कभी हार मत मानो, कोशिश करते रहो।”
वे मेरे जीवन में प्रेरणा का स्रोत हैं।
दादा जी की छोटी-छोटी बातें जैसे प्यार से पुकारना, बच्चों के सिर पर हाथ फेरना और आशीर्वाद देना, मेरे दिल को खुशी और सुकून देती हैं। उनके साथ समय बिताना मेरे लिए सबसे आनंददायक क्षण होता है।
विशेषताएँ |
“मोहनि मूरति साँवरि सूरति, नैना बने विशाल।”
(क) इस पंक्ति में कवयित्री ने श्रीकृष्ण की मोहनी मूरत, साँवरी सूरत और विशाल नैनों की बात की है। आपको श्रीकृष्ण की कौन-कौन सी बातों ने सबसे अधिक आकर्षित किया?
उत्तर: श्रीकृष्ण की कई विशेषताएँ मुझे अत्यधिक आकर्षित करती हैं:
मोहिनी मूरत: श्रीकृष्ण की सुंदर और मोहक छवि, जिनके साँवले स्वरूप में गजब की आकर्षण है।
उनकी बाँसुरी की मधुर ध्वनि जो मन को मोह लेती है।
साँवरी सूरत: सांवले रंग के बावजूद उनका आकर्षण अनोखा है।
उनके व्यक्तित्व में सहजता और सादगी का मेल है।
भक्तवत्सलता: श्रीकृष्ण का अपने भक्तों के प्रति स्नेह, जो उन्हें हर परिस्थिति में सहारा देता है।
उनका गोपियों के प्रति अपनत्व और प्रेम मुझे अत्यधिक प्रभावित करता है।
(ख) किसी व्यक्ति या वस्तु का कौन-सा गुण आपको सबसे अधिक आकर्षित करता है? क्यों? अपने जीवन से जुड़े किसी व्यक्ति या वस्तु के उदाहरण से बताइए।
उत्तर: मुझे किसी व्यक्ति का ईमानदारी का गुण सबसे अधिक आकर्षित करता है।
क्यों: ईमानदार व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलता है और दूसरों का विश्वास जीतता है।
ऐसे लोग निडर और सशक्त होते हैं क्योंकि उन्हें अपने कर्मों पर गर्व होता है।
उदाहरण: मेरे पिताजी का ईमानदारी से जीवन जीना मुझे सबसे अधिक प्रेरित करता है।
एक बार जब दुकान में गलती से ज्यादा पैसे लौटाए गए, तो उन्होंने तुरंत लौटाकर सही पैसे ले लिए।
इस घटना से मैंने सीखा कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
उनके इस गुण ने मुझे सिखाया कि सच्चाई में ही सच्चा सुख है।
(ग) हम सबकी कुछ विशेषताएँ बाह्य तो कुछ आंतरिक होती हैं। बाह्य विशेषताएँ तो हमें दिखाई दे जाती हैं, लेकिन आंतरिक विशेषताएँ व्यक्ति के व्यवहार से पता चलती हैं। आप अपनी दोनों प्रकार की विशेषताओं के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर: बाह्य और आंतरिक विशेषताएँ:
1. बाह्य विशेषताएँ (दिखने वाली):
(i) रंग और कद: मैं साँवला हूँ और मेरी कद मध्यम है।
(ii) पहनावा: मुझे हल्के रंग के कपड़े पहनना पसंद है, जो मेरी सादगी को दर्शाते हैं।
2. आंतरिक विशेषताएँ (व्यवहार से प्रकट):
(i) सहनशीलता: कठिन परिस्थिति में भी मैं धैर्य नहीं खोता और शांतिपूर्वक सोचता हूँ।
जब परीक्षा में कम अंक आए, तो मैंने मेहनत जारी रखी और अगले बार अच्छे अंक लाए।
(ii) सहृदयता: दूसरों की सहायता करना मुझे सुख देता है।
एक बार एक घायल पक्षी को मैंने पानी और दाना देकर उसकी देखभाल की।
मधुर ध्वनियाँ |
“अधर सुधा रस मुरली राजति, उर वैजंती माल।।
क्षुद्र घंटिका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाल।।”
इन पंक्तियों में तीन ऐसी वस्तुओं के नाम आए हैं, जिनसे मधुर ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं। उन वस्तुओं के नाम पहचानिए और उनके नीचे रेखा खींचिए।
आगे मधुर ध्वनियाँ उत्पन्न करने वाले कुछ वाद्ययंत्रों के विषय में पहेलियाँ दी गई हैं। इन्हें पहचानकर सही चित्रों के साथ रेखा खींचकर मिलाइए-
पहेली | उत्तर |
हवा से बोलती है, सुर में गीत सुनाती है, होठों से छू जाए, तो मन को लुभाती है। | |
दो साथियों का जोड़ा, हाथों से है बजता, ताल मिलाए ताल से, हर संगत में सजता। | |
शाहों में शामिल होती, फूँकों से संगीत सुनाती, सुख के सारे काम सजाती, दुख में भी ये साथ निभाती। | |
तारों में छिपा संगीत, माँ सरस्वती का गहना, छेड़े जब अँगुलियाँ, बहे रागों का झरना। | |
दो हाथों से बजती है ये, ताल से थिरकें पैर, हर उत्सव की है ये साथी, लटक गले ये करती सैर। | |
नागिन-सी लहराती है जो, बड़ी खास आवाज है जिसकी, तीन, चीन, रंगीन, हीन से मिली-जुली पहचान है इसकी। | |
सौ तारों का जादू, डंडियों से जो गाए, कश्मीर की वादियों जैसा मधुर संगीत लाए। | |
छोटा-सा यंत्र है, हाथों से बजता जाए, घर-मंदिर का साथी, झंकार से मन बहलाए। |
उत्तर:
पहेली | उत्तर |
हवा से बोलती है, सुर में गीत सुनाती है, होठों से छू जाए, तो मन को लुभाती है। | |
दो साथियों का जोड़ा, हाथों से है बजता, ताल मिलाए ताल से, हर संगत में सजता। | |
शाहों में शामिल होती, फूँकों से संगीत सुनाती, सुख के सारे काम सजाती, दुख में भी ये साथ निभाती। | |
तारों में छिपा संगीत, माँ सरस्वती का गहना, छेड़े जब अँगुलियाँ, बहे रागों का झरना। | |
दो हाथों से बजती है ये, ताल से थिरकें पैर, हर उत्सव की है ये साथी, लटक गले ये करती सैर। | |
नागिन-सी लहराती है जो, बड़ी खास आवाज है जिसकी, तीन, चीन, रंगीन, हीन से मिली-जुली पहचान है इसकी। | |
सौ तारों का जादू, डंडियों से जो गाए, कश्मीर की वादियों जैसा मधुर संगीत लाए। | |
छोटा-सा यंत्र है, हाथों से बजता जाए, घर-मंदिर का साथी, झंकार से मन बहलाए। |
चित्र करते हैं बातें |
नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए-
यह मीरा का काँगड़ा शैली में में बना चित्र है। इस चित्र के आधार पर मीरा के संबंध में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर: मीरा का चित्र, जो काँगड़ा शैली में बना है, भक्ति और संगीत का अद्भुत प्रतीक है। इस चित्र में मीरा को एकांत में, ध्यानमग्न अवस्था में वीणा बजाते हुए दिखाया गया है। उनके चेहरे पर भक्ति और प्रेम का भाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। चित्र में प्रयुक्त कोमल रंग और महीन रेखांकन काँगड़ा शैली की विशिष्टताएँ हैं। मीरा के वस्त्रों का रंग, विशेषकर केसरिया चोला, उनकी भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण को दर्शाता है। चित्र में वीणा का प्रयोग संगीत के प्रति उनकी गहरी रुचि और भगवान कृष्ण की भक्ति का संकेत है। मीरा के इस चित्र में उनकी आत्मीयता और भक्ति का गहन रूप प्रस्तुत किया गया है, जो दर्शकों को भक्ति के रंग में रंग देता है।
सावन से जुड़े गीत |
अपने परिजनों, मित्रों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से सावन में गाए जाने वाले गीतों को ढूंढ़िए और किसी एक गीत को अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए। आप सावन से जुड़ा कोई भी लोकगीत, खेलगीत, कविता आदि लिख सकते हैं। कक्षा के सभी समूहों द्वारा एकत्रित गीतों को जोड़कर एक पुस्तिका बनाइए और कक्षा के पुस्तकालय में उसे सम्मिलित कीजिए।
उत्तर: सावन के महीने में गाए जाने वाले गीतों का भारतीय लोकसंस्कृति में विशेष महत्व है। सावन का मौसम हरियाली, वर्षा और उमंग का प्रतीक है। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक लोकगीत, खेलगीत और भक्ति गीत गाए जाते हैं।
सावन का प्रसिद्ध लोकगीत:
“सावन का महीना, पवन करे सोर,
झूला पड़े तरु पर, रिमझिम बरसे घनघोर।
काहे को सजनी, रोवत है,
तेरा मन घबराए, सावन का महीना, पवन करे सोर।”
भावार्थ: यह गीत सावन के महीने में प्रेम और मिलन की आस से भरा हुआ है। झूला झूलने की परंपरा और सावन की फुहारें इसमें जीवंत रूप से व्यक्त होती हैं। यह गीत विशेषकर उत्तर भारत में गाया जाता है और इसका भाव प्रिय के विरह में तड़प और मिलने की आस को दर्शाता है।
प्रस्ताव: कक्षा के सभी छात्र-छात्राओं से अनुरोध है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के सावन गीत एकत्र करें। सभी गीतों को संकलित कर एक पुस्तिका तैयार की जाएगी, जिसे कक्षा के पुस्तकालय में रखा जाएगा। इससे न केवल सांस्कृतिक विविधता का पता चलेगा बल्कि हमारी लोकसंस्कृति से भी परिचय होगा।
खोजबीन |
आपने पढ़ा कि मीरा श्रीकृष्ण की आराधना करती थीं। आपने कक्षा 6 की पुस्तक मल्हार में पढ़ा था कि सूरदास भी श्रीकृष्ण के भक्त थे। अपने समूह के साथ मिलकर सूरदास की कुछ रचनाएँ ढूँढ़कर कक्षा में सुनाइए। इसके लिए आप पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर: सूरदास: श्रीकृष्ण भक्ति के महान कवि
सूरदास हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे। वे श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त माने जाते हैं। सूरदास की रचनाओं में बालकृष्ण की बाल-लीलाओं और राधा-कृष्ण के प्रेम प्रसंगों का सजीव चित्रण मिलता है।
सूरदास की प्रसिद्ध रचना:
कृष्ण की बाल-लीला
“मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो।
ख्याल परायो नंदकिसोर, ननदी संग कन्हैया।
मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो।”
भावार्थ: इस पद में सूरदास ने बालकृष्ण की मासूमियत और शरारत का वर्णन किया है। जब माता यशोदा श्रीकृष्ण को माखन चोरी का दोष देती हैं, तो कृष्ण अपनी मासूमियत भरे अंदाज में कहते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया।
साहित्यिक विशेषताएँ:
भक्ति रस: रचनाओं में भगवान कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और प्रेमभाव।
सरल भाषा: ब्रज भाषा में रचित, जिसमें सहजता और कोमलता है।
बाल-लीला वर्णन: कृष्ण के बाल रूप का अत्यंत मोहक चित्रण।
सजीव चित्रण: पाठक के समक्ष दृश्य को जीवंत करने की क्षमता।
कार्य योजना:
कक्षा में समूह बनाकर सूरदास की रचनाओं का संकलन करें।
एक-दूसरे से मिलकर उनकी रचनाओं का चयन करें।
एकत्रित रचनाओं को समूह में सुनाएं और उनके भावार्थ पर चर्चा करें।
कक्षा में एक विशेष दिन पर ‘सूरदास काव्य पाठ’ का आयोजन करें।
आज की पहेली |
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इनकी अंतिम ध्वनि से मिलती-जुलती ध्वनि वाले शब्द वर्ग में से खोजिए और लिखिए-
शब्द | समान ध्वनि वाले शब्द |
1. मुरति | सूरति |
2. सावन | |
3. उमड़ | |
4. नागर | |
5. नंदलाल |
उत्तर:
शब्द | समान ध्वनि वाले शब्द |
1. मुरति | सूरति |
2. सावन | पावन |
3. उमड़ | घुमड़ |
4. नागर | अगर |
5. नंदलाल | गोपाल |

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