NCERT Class 7 Hindi Chapter 10 अपूर्व अनुभव

NCERT Class 7 Hindi Chapter 10 अपूर्व अनुभव Solutions to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 7 Hindi Chapter 10 अपूर्व अनुभव and select need one. NCERT Class 7 Hindi Chapter10 अपूर्व अनुभव Question Answers Download PDF. NCERT Class 7 Hindi Solutions.

NCERT Class 7 Hindi Chapter 10 अपूर्व अनुभव

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 7 Hindi Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 7 Hindi Chapter 10 अपूर्व अनुभव and Textbook for All Chapters, You can practice these here.

अपूर्व अनुभव

Chapter: 10

वसंत भाग – 2 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1. बच्चे अपने पेड़ को क्या मानते थे?

उत्तर: बच्चे अपने-अपने पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानते थे।

2. किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पूर्व क्या करना पड़ता था?

उत्तर: किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पूर्व उस पेड़ के स्वामी से शिष्टतापूर्वक पूछना पड़ता था-“माफ कीजिए, क्या मैं अंदर आ जाऊँ?”

3. कौन, किस कारण पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

उत्तर: यासुकी-चान किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था क्योंकि उसको पोलियो था। वह किसी पेड़ को अपनी संपत्ति भी नहीं मानता था।

4. किसने, किसको, कहाँ आमंत्रित किया था?

उत्तर: तोत्तोचान ने यासुकी चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था।

5. तोत्तो–चान ने पेड़ पर चढ़ने का क्या उपाय किया था?

उत्तर: तोत्तोचान चौकीदार के छप्पर से एक सीढ़ी पेड़ तक घसीट लाई थी और उसे तने के सहारे लगा दिया था ताकि द्विशाखा तक पहुँचा जा सके।

6. क्या यासुकी-चान सीढ़ी पर चढ़ गया? क्यों?

उत्तर: नहीं, यासुकी-चान पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के नहीं चढ़ पाया। पोलियो के कारण उसके हाथ-पैर बहुत कमजोर थे। 

7. तोत्तो–चान ने क्या प्रयास किया?

उत्तर: तोत्तो-चान यासुकी चान को पीछे से धकियाने लगी, जिससे वह सीढ़ी पर चढ़ सके।

8. दोनों की क्या दशा थी?

उत्तर: यासुकी चान ने अपना पैर सीढ़ी से हटा लिया। वह हताशा में सिर झुकाकर खड़ा हो गया। तोत्तो–चान ने भी समझ लिया कि यह काम उतना आसान नहीं है जितना उसने समझा था।

9. किसकी क्या इच्छा थी?

उत्तर: तोत्तो–चान की यह हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े।

10. तोत्तो–चान किस प्रयास में लगी थी?

उत्तर: जब तोत्तो–चान ने यासुकी-चान का उदास-लटका चेहरा देखा तो वह उसे हँसाने के प्रयास में लग गई। उसने अपना गाल फुलाकर तरह-तरह के चेहरे बनाए।

11. तोत्तो–चान ने क्या उपाय किया?

उत्तर: तोत्तो-चान चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़ी गई। वहाँ उसे एक तिपाई-सीढ़ी मिल गई। इसे थामे रहना भी जरूरी नहीं था।

12. तोत्तो–चान किस बात पर हैरान थी?

उत्तर: तोत्तो–चान इस बात पर हैरान थी कि उसमें इतनी शक्ति कहाँ से आ गई कि वह तिपाई-सीढ़ी को यहाँ तक खींच लाने में सफल हो सकी। यह तिपाई-सीढ़ी द्विशाखा तक पहुँच गई।

13. किसकी, किस मेहनत के बाद यासुकी-चान पेड़ की द्विशाखा पर पहुँच पाया था?

उत्तर: तोत्तो–चान ने यासुकी चान की पोलियोग्रस्त उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फँसाकर उसे पूरी ताकत से ऊपर खींचा था। तभी वह पेड़ की द्विशाखा पर पहुँच पाया था।

14. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान से क्या कहा? 

उत्तर: तोत्तो-चान ने यासुकी-चान के सम्मान में सिर झुकाकर कहा कि मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।

15. यासुकी-चान ने किस मुद्रा में क्या पूछा?

उत्तर: यासुकी-चान ने मुसकराते हुए तोत्तो–चान से पूछा कि क्या वह अंदर आ सकता है?

16. यासुकी जान को पेड़ पर चढ़कर क्या अनुभूति हुई?

उत्तर: यासुकी-चान ने पेड़ पर चढ़कर दुनिया की नई झलक देखी। इसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। उसे पेड़ पर चढ़ने का विचित्र अनुभव हुआ।

बहुविकल्पी प्रश्न

सही उत्तर चुनकर लिखिए–

1. बच्चे किसे अपनी सम्पत्ति मानते थे?

(क) स्वयं को।

(ख) अपने पेड़ को।

(ग) अपनी जगह को।

(घ) किसी को नहीं।

उत्तर: (ख) अपने पेड़ को।

2. यासुकी-चान को क्या रोग था?

(क) पोलियो।

(ख) अंधापन।

(ग) बहरापन।

(घ) हकलापन।

उत्तर: (क) पोलियो।

3. यासुकी-चान को किसके लिए आमंत्रित किया गया था? 

(क) खाना खाने के लिए।

(ख) पेड़ पर चढ़ने के लिए।

(ग) आपस में मिलने के लिए।

 (घ) कहीं चलने के लिए।

उत्तर: (ख) पेड़ पर चढ़ने के लिए।

4. यासुकी चान का कौन-सा अंग कमज़ोर था?

(क) मस्तिष्क।

(ख) हाथ-पैर।

(ग) आँखें।

(घ) कोई नहीं।

उत्तर: (ख) हाथ-पैर।

5. पेड़ से नीचे कौन उतर आया?

(क) यासुकी चान।

(ख) तोत्तो-चान।

(ग) वायु चान।

(घ) माओ चान।

उत्तर: (ख) तोत्तो-चान।

6. यासुकी चान को पेड़ पर चढ़ाने का काम कैसा था?

(क) आसान।

(ख) कठिन।

(ग) पक्का।

(घ) ठीक।

उत्तर: (ख) कठिन।

7. यह उसकी हार्दिक इच्छा थी – किसकी?

(क) यासुकी-चान की।

(ख) तोत्तो-चान की।

(ग) दोनों की।

(घ) किसी की नहीं।

उत्तर: (ख) तोत्तो-चान की।

8. उदास कौन था?

(क) यासुकी-चान। 

(ख) तोत्तो-चान।

(ग) कोई नहीं।

(घ) सभी।

उत्तर: (क) यासुकी-चान।

9. तोत्तो-चान को चौकीदार के छप्पर से क्या वस्तु मिली? 

(क) तिपाई सीढ़ी।

(ख) चारपाई।

(ग) कुरसी।

(घ) स्टूल।

उत्तर: (क) तिपाई-सीढ़ी।

10. तिपाई की ऊपरी सीढ़ी कहाँ तक पहुँच गई?

(क) छत तक।

(ख) दिशाखा तक।

(ग) पेड़ तक।

(घ) घर तक।

उत्तर: (ख) दिशाखा तक।

11. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान का स्वागत कहाँ किया? 

(क) अपने पेड़ पर।

(ख) जमीन पर।

(ग) तिपाई पर।

(घ) सोढ़ी पर।

उत्तर: (क) अपने पेड़ पर।

12. यासुकी-चान ने क्या पूछा? 

(क) क्या पेड़ पर स्वागत है?

(ख) क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?

(ग) क्या मैं पेड़ पर चढ़ सकता हूँ? 

(घ) क्या ऐसे चढ़ा जाता है?

उत्तर: (ख) क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?

13. यासुकी-चान ने पेड़ पर क्या देखा?

(क) दुनिया की नई झलक।

(ख) पेड़ों का दृश्य।

(ग) नीला आसमान।

(घ) सभी कुछ।

उत्तर: (क) दुनिया की नई झलक।

प्रश्न-अभ्यास

>> पाठ से

प्रश्न 1. यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।

उत्तर: यासुकी-चान पोलियोग्रस्त था अतः स्वयं पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। वह तोत्तोचान की मदद से ही पेड़ पर चढ़ सका। इसके लिए तोत्तो-चान को भारी परिश्रम करना पड़ा।

पहले तो वह चौकीदार की झोंपड़ी से एक सीढ़ी लाई। उसे पेड़ के सहारे लगा दिया। पर यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी नहीं चढ़ पाया। फिर तोत्तोचान चौकीदार की झोंपड़ी से एक तिपाई-सीढ़ी खींच कर लाई। बहुत प्रयास के बाद वह ऊपर तो पहुँच गया। फिर तोत्तो-चान ने उसकी पोलियोग्रस्त उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फँसा कर ऊपर खींचा। इस प्रकार यासुकी-चान पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचने में सफल हो सका।

प्रश्न 2. दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अगल थे। दोनों में क्या अंतर रहे? लिखिए।

उत्तर: पेड़ से बच्चों का नाता गहरा था। वे एक-एक पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानते थे। वे उन पर चढ़ते थे और आनंदित होते थे। बाग के पेड़ों पर वे खूब मज़ा लेते थे। बाग में उनकी गतिविधियों को देखकर यासुकी-चान को अपनी अपंगता पर हताशा होती होगी। उसके मन में उदासी छा जाती होगी। वह अपनी विवशता पर दुःखी होता होगा।

प्रश्न 3. पाठ में खोजकर देखिए-कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तर-बतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?

उत्तर: जब यासुकी-चान और तोत्तो-चान एक सीढ़ी के द्वारा पेड़ की द्विशाखा तक जा पहुँचे तब उन पर सूरज का ताप पड़ रहा था। उन्हें काफी पसीना आ रहा था। वे दोनों पसीने से तर-बतर हो रहे थे।

जब तोत्तो-चान अपनी पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींच रही थी तभी बादल का एक बड़ा टुकड़ा बीच-बीच में छाया कर उन्हें कड़कती धूप से बचाने लगा।

यह मौसम का बदलाव था।

प्रश्न 4. “यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह ”अंतिम मौका था।” इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?

उत्तर: लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा होगा क्योंकि यासुकी-चान के लिए स्वयं अपने बूते पर चढ़ना लगभग असंभव था। उसे हर बार तोत्तो-चान जैसा सहयोगी मिल पाना कठिन था। एक बार पेड़ पर चढ़ने पर ही उसे घोर परिश्रम करना पड़ा था।

>> पाठ से आगे

प्रश्न 1. तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?

उत्तर: किसी भी काम में सफलता पाने के लिए तीव्र इच्छा शक्ति, बुद्धि और कठोर परिश्रम की आवश्यकता होती है। छात्र परीक्षा में उच्च स्तर की सफलता प्राप्त करने के लिए इनका उपयोग करना चाहेंगे। छात्र अपने-अपने अन्य विचार भी लिख सकते हैं।

प्रश्न 2. हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’ कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?

उत्तर: एक बार की बात है कि हम एक नदी के किनारे पिकनिक पर गए हुए थे। तभी एक लड़का पानी में उतर गया। पानी की लहर उसे बहाकर दूर तक ले गई। वह चिल्लाने लगा- बचाओ-बचाओ। मैंने उसकी आवाज़ सुन ली। मैं दौड़कर उस तक गया। मैं तैरना जानता था। अतः कपड़े उतारकर नदी के पानी में कूद गया। मैंने उस तक पहुँचकर उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचने लगा। यद्यपि मैं भी घबरा रहा था, पर उसे किनारे तक खींच लाया। उसके पेट में पानी भर गया था अतः उसे जमीन पर लिटाकर कमर पर दबाव डाला। इससे उसके मुँह के रास्ते पेट का पानी निकल गया। थोड़ी देर में वह ठीक हो गया। तब तक अध्यापक एवं अन्य साथी आ गए थे। सभी ने मेरी प्रशंसा की। मुझे अपने साहस पर हैरानी हो रही थी।

>> अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें नीचे क्यों थीं?

उत्तर: अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें इसलिए नीची थीं ताकि उसकी चोरी पकड़ी न जा सके। आँखें सब बता देती हैं। माँ को सच पता चलने पर वह उसे जाने नहीं देती।

प्रश्न 2. यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुज़रनेवाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधावाली जगहों की सूची बनाइए। 

उत्तर: कई स्कूलों में अपंग बच्चों के लिए रैंप बना रखें हैं। मेट्रो रेल में भी अपंगों को चढ़ने-उतरने के लिए विशेष किस्म की लिफ्ट लगा रखी है। अस्पतालों में व्हील चेयर होती हैं। हवाई अड्डों पर भी ये सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

>> भाषा की बात

1. ‘द्विशाखा’ शब्द ‘द्वि’ और ‘शाखा’ के योग से बना है। द्वि का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है-डाल। द्विशाखा पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती हैं। द्वि की भाँति आप त्रि से बननेवाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है-तीन। इस प्रकार, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अकसर आते हैं। शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेजी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे- हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेजी-एट।

हिंदीसंस्कृतअंग्रेजी
दोद्विटू
तीनत्रिथ्री
चारचतुरफ़ोर
पाँचपंचफाइव
छहषष्टसिक्स
सातसप्तसेवेन
आठअष्टएट
नौनवनाइन

2. पाठ में ‘ठिठियाकर हँसने लगी’, ‘पीछे से धकियाने लगी’ जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इनमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज़ को हँसी का विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में ‘आना’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फिल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बननेवाले चार सार्थक शब्द लिखिए।

* बतियाना, झुठलाना, चलाना, उठाना, जुर्माना, शर्माना।

उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।

कुछ करने को :

बनाओ

एक पेड़ का चित्र बनाओ। उसकी द्विशाखा पर बैठी एक बालिका का चित्र बनाओ।

लिखो- एक अनुच्छेद

बिषय- विकलांगो के प्रति हमारा दायित्व

उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।

परीक्षोपयोगी अन्य आवश्यक प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘अपूर्व अनुभव’ पाठ साहित्य की किस विधा से संबंधित है?

(क) कहानी से। 

(ख) नाटक से।

(ग) संस्मरण से।

(घ) यात्रा-वृत्तांत से।

उत्तर: (ग) संस्मरण से।

2. बच्चे किसे अपनी संपत्ति मानते थे?

(क) स्वयं को।

(ख) पेड़ को।

(ग) अपनी जगह को।

(घ) किसी को नहीं।

उत्तर: (ख) पेड़ को।

3. यासुकी-चान को क्या रोग था?

(क) पोलियो का।

(ख) पेड़ पर चढ़ने के लिए।

(ग) आपस में मिलने के लिए।

(घ) कहीं चलने के लिए।

उत्तर: (क) पोलियो का।

4. तोत्तो-चान किस काम को आसान समझ रही घी?

(क) यासुकी-चान के साथ खेलना।

(ख) सीढ़ी लाना।

(ग) यासुकी-चान के साथ रहना।

(घ) वासुकी-जान को पेड़ पर चढ़ाना।

उत्तर: (घ) वासुकी जान को पेड़ पर चढ़ाना।

5. यासुकी-चान का घर इनमें से कहाँ था?

(क) तोमोए में।

(ख) डेनेनवोफु में।

(ग) कुहोन्बसु में।

(घ) हिरोशिमा में।

उत्तर: (ख) डेनेनवोफु में।

6. तोत्तोचान ने अपनी योजना का सच सर्वप्रथम किसे बताया? 

(क) यासुकी-चान को।

(ख) अपनी माँ को।

(ग) यासुकी-जान की माँ को।

(घ) रॉकी को।

उत्तर: (घ) रॉकी को।

7. तोत्तो-चान यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का कौन-सा तरीका अपना रही थी?

(क) धक्के लगाकर।

(ख) हाथ से ऊपर की ओर खींचकर।

(ग) सोढ़ी पर धकियाकर।

(घ) पेड़ के तने पर सरकाकर।

उत्तर: (ग) सोढ़ी पर धकियाकर।

8. दोनों के विशाखा पर पहुँचने पर क्या हुआ? 

(क) यासुकी-चीन ने तोत्तो-चान को धन्यवाद दिया।

(ख) तोत्तो ने यासुकी-चान का स्वागत किया।

(ग) दोनों हँसने लगे।

(घ) दोनों बतियाने लगे।

उत्तर: (ख) तोत्तो ने यासुकी-चान का स्वागत किया।

9. “यह उसकी हार्दिक इच्छा थी” वाक्य में हार्दिक शब्द है: 

(क) संज्ञा।

(ख) सर्वनाम।

(ग) विशेषण।

(घ) क्रियाविशेषण।

उत्तर: (ग) विशेषण।

10. तोत्तो-चान के पेड़ की द्विशाखा किसी झूले जैसी ……… जगह थी।

(क) आरामदायक।

(ख) हानिप्रद।

(ग) लाभदायक।

(घ) स्वास्थ्यप्रद।

उत्तर: (क) आरामदायक।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. तोत्तो-चान ने किसको क्या निमत्रण दिया? 

उत्तर: तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का निमंत्रण दिया।

प्रश्न 2. बच्चे किसे अपनी निजी सम्पत्ति मानते थे? 

उत्तर: बच्चे अपने-अपने पेड़ को अपनी निजी सम्पत्ति मानते थे।

प्रश्न 3. यासुकी-चान किस रोग से ग्रस्त था?

उत्तर: यासुकी-चान पोलियो रोग से ग्रस्त था।

प्रश्न 4. तोत्तो-चान को यासुकी-चान कहाँ मिला?

उत्तर: उसे यासुकी-चान मैदान में क्यारियों के पास मिला।

प्रश्न 5. तोत्तोचान यासुकी-चान को कहाँ ले गई?

उत्तर: तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई।

प्रश्न 6. यासुकी-चान बिना सहारे के सीढ़ी पर क्यों नहीं चढ़ पाया?

उत्तर: यासुकी-चान के हाथ-पैर बहुत कमजोर थे।

प्रश्न 7. तोत्तो-चान को चौकीदार के घर से क्या मिल गया?

उत्तर: उसे वहाँ से एक तिपाई सीढ़ी मिल गई।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. तोत्तो-चान कौन थी? उसकी हार्दिक इच्छा क्या थी? 

उत्तर: तोत्तो-चान एक जापानी लड़की थी। उसकी यह हार्दिक इच्छा थी कि उसका अपंग साथी यासुकी-चान उसके पेड़ पर आकर उसकी चीजों एवं दुनिया को देखे।

प्रश्न 2. तोत्तो-चान के चरित्र की विशेषताएँ बताइए। 

उत्तर: तोत्तो-चान एक सहृदय बालिका है। उसके मन में अपने साथी के लिए असीम प्यार एवं सम्मान की भावना है। वह उसे भी वह खुशी देना चाहती है जो दूसरे बालकों को मिलती है। तोत्तो-चान परोपकारी है। वह दूसरों का भला करती है। तोत्तो-चान परिश्रमी है। वह परिश्रमपूर्वक सीढ़ी तथा तिपाई झोंपड़ी से खींचकर ले आती है।

प्रश्न 3. यासुकी-चान किसी पेड़ को अपना क्यों नहीं कह पाता? 

उत्तर: यासुकी-चान पोलियोग्रस्त है। उसके हाथ-पैर काम नहीं करते। अतः वह किसी भी पेड़ पर चढ़ नहीं पाता। यही कारण है कि वह किसी पेड़ को अपना नहीं कह पाता। कोई पेड़ उसकी निजी संपत्ति नहीं बन सकता।

प्रश्न 4. तोतो चान ने यासुकी-चान को ऊपर चढ़ाकर ही दम लिया। इसके लिए उसने क्या-क्या प्रयास किया? 

उत्तर: सीढ़ी द्वारा यासुकी-चान को ऊपर चढ़ाने की अपनी प्रथम कोशिश नाकाम होने के बाद तोतो-चान फिर चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़कर गई। यहाँ से एक तिपाई-सीढ़ी घसीट लाई। उसने यासुकी-चान को एक-एक पैर सीढ़ी रखने में सहायता की। जब यासुकी-चान तिपाई सीढ़ी के ऊपर पहुँच गया तो तोत्तो-चान ने द्विशाखा पर चढ़कर बड़े परिश्रम से उसे ऊपर खींच लिया जिससे वह विशाखा तक पहुँच गया।

प्रश्न 5. तोत्तो-चान क्या नहीं समझ पाई?

उत्तर: तोत्तोचान यह नहीं समझ पाई कि यासुकी-चान के लिए घर बैठे किसी चीज़ को देख लेना क्या मानये रखता है, क्योंकि उसे यासुकी-चान की परेशानियों का सही अनुमान नहीं था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. पेड़ पर बैठे-बैठे यासुकी-चान और तोत्ता-चान क्या करते रहे?

उत्तर: उस दिन यासुकी-चान डाल के सहारे खड़ा था। कुछ झिझकता हुआ वह मुस्कराया। यासुकी-चान ने दुनिया की एक नई झलक देखी, जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। तो ऐसे होता है पेड़ पर चढ़ाना यासुकी-चान ने खुश होते हुए कहा। इसके अलावा वे बड़ी देर तक पेड़ पर बैठे-बैठे इधर-उधर की गप्पे लड़ाते रहे। यासुकी-चान ने तोत्तोचान को टेलीविजन के बारे में ‘बताया, जिसके बारे में उसे अपनी अमेरिका में रहने वाली बहन से पता चला था। उसने तोत्तो-चान को बताया था कि जब टेलीविजन जापान में आ जाएगा तो वे घर बैठे सूमो कुश्ती देख सकेंगे। यासुकी-चान यही सारी बातें पेड़ पर बैठा-बैठा तोत्तो-चान को बताए जा रहा था और तोत्तोचान सोच रही थी इतने बड़े सूमो पहलवान, एक छोटे से डिब्बे जैसे टेलीविजन में कैसे अंदर प्रवेश कर गए।

प्रश्न 2. यासुकी-चान और तोत्तो-चान में साहस और आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा था। ‘अपूर्व अनुभव’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: किसी भी सफलता की प्राप्ति में तीव्र इच्छाशक्ति, कठिन पश्चिम और साहस का बहुत बड़ा योगदान होता है। यासुकी-चान और तोत्तो-चान में यह सब कूट-कूटकर भरा था। उन दिनों के अनुभव एक-दूसरे से काफी अलग थे। तोत्तो-चान पहले कई बार पेड़ पर चढ़ चुकी थी, लेकिन पहली बार उसने अपने एक अपाहिज मित्र को वहाँ तक चढ़ने में मदद की थी। इस प्रयास में सफलता से वह अत्यंत खुश और संतुष्ट थी। एक मुश्किल कार्य कर लेने से उसका आत्मविश्वास बढ़ा। वहीं दूसरी ओर यासुकी-चान पहली बार पेड़ पर चढ़कर अपूर्व प्रसन्नता का अनुभव कर रहा था। उसको अनुभव हुआ कि पेड़ पर चढ़ना क्या है उसके लिए पहली बार पेड़ पर चढ़ना आखिरी मौका भी था।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न: विकलांगों के प्रति तुम्हारा क्या दृष्टिकोण है? स्पष्ट करो।

उत्तर: हम विकलांगों को समाज का आवश्यक अंग मानते हैं। उन्हें सम्मानपूर्वक जीने का पूरा-पूरा अधिकार है। हमें उन पर दया दिखाने की बजाय उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भरपूर सहयोग करना चाहिए। हमें उनके साथ कुछ समय बिताना चाहिए ताकि उन्हें एकाकीपन का अहसास न हो। उनके प्रति हमारा विशेष उत्तरदायित्व है। उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएँ मिलनी चाहिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top