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NCERT Class 12 Geography Chapter 13 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी
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स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी
Chapter: 13
भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य: भाग – 2
अभ्यास
1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
(i) स्थानिक आंकड़ों के लक्षण निम्नांकित स्वरूप में दिखाई देते हैं-
(क) अवस्थितिक।
(ख) रैखिक।
(ग) क्षेत्रीय।
(घ) उपर्युक्त सभी स्वरूपों में।
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी स्वरूपों में।
(ii) विश्लेषक मॉड्यूल सॉफ्टवेयर के लिए कौन-सा एक प्रचालन आवश्यक है?
(क) आंकड़ा संग्रहण।
(ख) आंकड़ा प्रदर्शन।
(ग) आंकड़ा निष्कर्षण।
(घ) बफ़रिंग।
उत्तर: (घ) बफ़रिंग।
(iii) चित्ररेखापुँज (रैस्टर) आंकड़ा फॉरमेट का एक अवगुण क्या है?
(क) सरल आंकड़ा संरचना।
(ख) सहज एवं कुशल उपरिशायी।
(ग) सुदूर संवेदन प्रतिबिंब के लिए सक्षम।
(घ) कठिन परिपथ चाल विश्लेषण।
उत्तर: (घ) कठिन परिपथ चाल विश्लेषण।
(iv) सदिश (वेक्टर) आंकड़ा फॉरमेट का एक गुण क्या है?
(क) समिश्र आंकड़ा संरचना।
(ख) कठिन उपरिशायी प्रचालन।
(ग) सुदूर संवेदन आंकड़ों के साथ कठिन सुसंगतता।
(घ) सघन आंकड़ा संरचना।
उत्तर: (घ) सघन आंकड़ा संरचना।
(v) भौगोलिक सूचना तंत्र कोट में उपयोग कर नगरीय परिवर्तन की पहचान कुशलतापूर्वक की जाती है-
(क) उपरिशायी प्रचालन।
(ख) सामीप्य विश्लेषण।
(ग) परिपथ जाल विश्लेषण।
(घ) बफरिंग।
उत्तर: (क) उपरिशायी प्रचालन।
2. निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) चित्ररेखापुँज एवं सदिश (वेक्टर) आंकड़ा मॉडल के मध्य अंतर।
उत्तर: चित्ररेखापुँज एवं सदिश (वेक्टर) आंकड़ा मॉडल के मध्य अंतर-
चित्ररेखापुँज (रैस्टर) मॉडल | सदिश (वेक्टर) आंकड़ा मॉडल |
आंकड़ा संरचना सरल। | संहत आंकड़ा संरचना। |
अधिचित्रण सरल और दक्ष। | परिपथ जाल विश्लेषण के लिए दक्ष। |
सुदूर संवेदन प्रतिबिंबों के साथ संगत। | प्रक्षेपण रूपांतरण में दक्ष। |
उच्च स्थानिक विचरणशीलता का दक्ष प्रतिनिधित्व। | परिशुद्ध मानचित्र बहिर्वेश। |
(ii) उपरिशायी विश्लेषण क्या है?
उत्तर: अधिचित्रण विश्लेषण को उपरिशायी भी कहते हैं। भोगोलिक सूचना तंत्र का प्रमाण चिह्न अधिचित्रण प्रचालन है। इस विधि का प्रयोग करके मानचित्रों के बहुगुणी स्तरों को समन्वय एक महत्त्वपूर्ण विश्लेषण क्रिया है। इसमें दो अथवा अधिक विषयक स्तरों का अधिचित्रण करके नया मानचित्रस्तर प्राप्त किया जा सकता है।
(iii) भौगोलिक सूचना तंत्र में हस्तचलित विधि के गुण क्या हैं?
उत्तर: भोगोलिक सूचना तंत्र में हस्तेन निवेश की चार मुख्य अवस्थाएँ होती हैं-
1. स्थानिक आंकड़ा निवेश।
2. गुण न्यास की प्रविष्टि।
3. स्थानिक और गुण न्यास का सत्यापन तथा संपादन।
4. जहाँ आवश्यक हो स्थानिक का गुण न्यास से योजन करना।
आंकड़ा निवेश की हस्तेन विधियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि सूचनाधार की संस्थिति सदिश होता है। अथवा चित्र रेखापूँज वाली। भोगोलिक सूचना तंत्र में स्थानिक आंकड़ों के निवेश की सर्वाधिक प्रचलित विधियाँ अंकरूपण तथा क्रमवीक्षण हैं।
(iv) भौगोलिक सूचना तंत्र के महत्वपूर्ण घटक क्या हैं?
उत्तर: भौगोलिक सूचना तंत्र के महत्वपूर्ण घटक हैं-
(क) हार्डवेयर।
(ख) सॉफ्टवेयर।
(ग) आंकड़े।
(घ) लोग।
(ङ) प्रक्रिया।
इन्हे चित्र के माध्यम से भी दर्शाया जा सकता है-

(v) भौगोलिक सूचना तंत्र के कोर में स्थानिक सूचना बनाने की विधि क्या है?
उत्तर: भौगोलिक सूचना तंत्र में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पूर्व-आवश्यक वस्तु स्थानिक आंकड़े हैं। भौगोलिक सूचना तंत्र के क्रोड में इन्हें अनेक विधियों से बनाया जा सकता है। वे हैं-
1. आंकड़ा आपूर्तिदाता से आंकिक रूप में आंकड़े प्राप्त करना।
2. विद्यमान अनुरूप आंकड़ों का अंकीकरण।
3. भौगोलिक सत्ताओं का स्वयं सर्वेक्षण करके।
(vi) स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
उत्तर: स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी वह क्षेत्र है जो स्थानिक सूचना के संग्रहण, भंडारण, पुनर्प्राप्ति, प्रदर्शन, हेरफेर, प्रबंधन और विश्लेषण में प्रौद्योगिक निवेश के प्रयोग से है। यह सुदूर संवेदन, वैश्विक स्थिति-निर्धारण तंत्र भौगोलिक सूचना तंत्र, आंकिक मानचित्र कला और सूचनाधार प्रबंध प्रणालियों का एक सम्मिश्रण है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए:
(i) चित्ररेखापुँज (रैस्टर) एवं सदिश (वेक्टर) आंकड़ा फॉरमेट को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर: चित्ररेखापुँज आंकड़ा फॉरमेट: आंकड़ों का ग्राफिक रूप में वर्गों के जाल के रूप में प्रदर्शन करता है, जिसमें पंक्तियों और स्तंभों का एक जाल होता है। प्रत्येक पंक्ति और स्तंभ के प्रतिच्छेदन बिंदु को सेल कहा जाता है। सभी सेल को एक निश्चित स्थान और मान सौंपा जाता है। पंक्तियों और स्तंभों के निर्देशांक किसी भी व्यक्तिगत पिक्सेल की पहचान करने में सहायक होते हैं। यह प्रारूप प्रयोक्ता को प्रतिबिंब के पुनर्गठन और दृश्यांकन में सहायता करता है। सेलों के आकार और संख्या के बीच संबंध को चित्ररेखापुँज के विभेदन के रूप में व्यक्त किया जाता है। रेस्टर फॉर्मेट में आंकड़ों पर ग्रिड या वर्गों के आकार का प्रभाव स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाता है।

चित्ररेखापूँज (रेस्टर) फाइल फॉर्मेटों का प्रयोग प्रायः निम्नक्रियाओं के लिए किया जाता है-
(i) वायव फ़ोटोग्राफों, उपग्रहीय प्रतिबिंबों, क्रमवीक्षित कागजी मानचित्रों के आंकिक प्रदर्शन के लिए।
(ii) जब लागत/कीमत को कम करना आवश्यक हो।
(iii) जब मानचित्र में व्यक्तिगत मानचित्रीय लक्षणों का विश्लेषण आवश्यक हो।
(iv) जब ‘बैकड्राप’ मानचित्रों की आवश्यकता हो।
सदिश (वेक्टर) आंकड़ा फॉरमेट: भौगोलिक विशेषताओं को उनके यथार्थ निर्देशांकों द्वारा संग्रहीत बिंदुओं के माध्यम से निरूपित करता है। इसमें रेखाएं और क्षेत्र (बहुभुज) बिंदुओं के अनुक्रम से निर्मित होते हैं, तथा रेखाओं की दिशा बिंदुओं के क्रम पर निर्भर होती है। बहुभुजों का निर्माण बिंदुओं या रेखाओं की परस्पर कड़ी से होता है। सदिश आंकड़ों के निवेश हेतु हस्तचलित अंकीकरण सर्वोत्तम विधि मानी जाती है। वेक्टर प्रारूप में केवल रेखा के प्रारंभ और अंत बिंदुओं के निर्देशांक दर्ज कर उसकी स्थिति को परिभाषित किया जाता है। प्रत्येक बिंदु दो या तीन संख्याओं (X, Y या X, Y, Z) द्वारा दर्शाया जाता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि प्रदर्शन द्वि-आयामी है या त्रि-आयामी।

(ii) भौगोलिक सूचना तंत्र से संबंधित कार्यों को क्रमबद्ध रूप में किस प्रकार किया जाता है एक व्याख्यात्मक लेख प्रस्तुत कीजिये।
उत्तर: भौगोलिक सूचनातंत्र से संबंधित क्रियाओं को क्रमबद्ध रूप में करना होता हे।
जैसे-
1. स्थानिक आंकड़ा निवेश इस चरण में आंकड़ा आपूर्तिकर्ता से प्राप्त विभिन्न स्रोतों के आंकिक आंकड़ा समुच्चयों को संग्रहित किया जाता है। इन आंकड़ों की जाँच की जाती है कि वे GIS अनुप्रयोग के अनुरूप संगत हैं या नहीं। यदि आंकड़े असंगत हों, तो उन्हें उपयुक्त रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है ताकि वे विश्लेषण योग्य बन सकें।
2. गुणन्यास की प्रविष्टि इस प्रक्रिया में प्रकाशित अभिलेख, सरकारी जनगणनाएं, प्राथमिक सर्वेक्षण या स्प्रेडशीट जैसे स्रोतों से प्राप्त गुणात्मक जानकारी को GIS सूचनाधार में प्रविष्ट किया जाता है। यह निवेश या तो हस्तचलित विधियों द्वारा या मानक डेटा स्थानांतरण प्रारूपों (जैसे CSV, Excel, आदि) के माध्यम से किया जाता है।
3. आंकड़ों का सत्यापन तथा संपादन इसमें आंकड़ों की शुद्धता को सुनिश्चित करने हेतु त्रुटियाँ की पहचान तथा उनमें आवश्यक संशोधन के लिए भोगोलिक सूचना तंत्र में प्रग्रहित आंकड़ों को सत्यापन की आवश्यकता होती है।
स्थानिक ओर गुण-न्यास के प्रग्रहण, के दौरान उत्पन्न त्रुटियों को इस तरह वर्गीकृत किया जा सकता है-
(क) स्थानिक आंकड़े अपूर्ण अथवा दोहरे हैं।
(ख) स्थानिक आंकड़े गलत मापनी पर है।
(ग) स्थानिक आंकड़े विरुपित हैं।
4. स्थानिक और गुण न्यास आंकड़ों की सहलग्नता – इसमें आंकड़े एक-दूसरे से सुमेलित होने चाहिए।
स्थानिक विश्लेषण-स्थानिक विश्लेषण की कई विधियाँ है जैसे-
(क) अधिचित्रण विश्लेषण।
(ख) ब्रफर विश्लेषण।
(ग) परिपथ जाल विश्लेषण।
(घ) आंकिक भू-भाग मॉडल। भौगोलिक सूचना तंत्र में विश्लेषण के लिए ये सभी विधियाँ उपयोग में लाई जाती हैं। कोन-सी विधि कहाँ उपयुक्त होगी यह निश्चित करके ही उसका उपयोग करना चाहिए।

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