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NCERT Class 12 Geography Chapter 12 आंकड़ों का आलेखी निरूपण
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आंकड़ों का आलेखी निरूपण
Chapter: 12
भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य: भाग – 2
अभ्यास
1. दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
(i) जनसंख्या वितरण दर्शाया जाता है:
(क) वर्णमात्री मानचित्रों द्वारा।
(ख) सममान रेखा मानचित्रों द्वारा।
(ग) बिंदुकित मानचित्रों द्वारा।
(घ) ऊपर में से कोई भी नहीं।
उत्तर: (ग) बिंदुकित मानचित्रों द्वारा।
(ii) जनसंख्या की दशकीय वृद्धि को सबसे अच्छा प्रदर्शित करने का तरीका है:
(क) रेखा ग्राफ़।
(ख) दंड आरेख।
(ग) वृत्त आरेख।
(घ) ऊपर में से कोई भी नहीं।
उत्तर: (क) रेखा ग्राफ़।
(iii) बहुरेखाचित्र की रचना प्रदर्शित करती है:
(क) केवल एक बार।
(ख) दो चरों से अधिक।
(ग) कवल दो चर।
(घ) ऊपर में से कोई भी नहीं।
उत्तर: (ख) दो चरों से अधिक।
(iv) कौन-सा मानचित्र “गतिदर्शी मानचित्र” जाना जाता है:
(क) बिंदुकित मानचित्र।
(ख) सममान रेखा मानचित्र।
(ग) वर्णमात्री मानचित्र।
(घ) प्रवाह संचित्र।
उत्तर: (घ) प्रवाह संचित्र।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के 30 शब्दों में उत्तर दीजिए:
(i) थिमैटिक मानचित्र क्या हैं?
उत्तर: थिमैटिक मानचित्र जिन्हें विषयगत मानचित्र भी कहा जाता है, ये मानचित्र भौगोलिक स्थानों पर किसी विशेष डाटा या जानकारी को प्रस्तुत करते हैं, जैसे– जनसंख्या, वर्षा, साक्षरता दर, कृषि उत्पाद, औद्योगिक विकास आदि।
(ii) आंकड़े के प्रस्तुतीकरण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर: आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण से तात्पर्य विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किए गए आंकड़ों को उन सभी तथ्यों की विशेषताओं का वर्णन करते हैं, जो इनके द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। साधारणतः आँकड़े तालिकाबद्ध, आलेखीय और आरेखीय रूप में प्रदर्शित किए जाते हैं। अतः दृश्य विधियों, जैसे- आलेख, आरेख, मानचित्र और चार्ट द्वारा आँकड़ों का रूपान्तरण ही आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण कहलाता है।
(iii) बहुदंड आरेख और यौगिक दंड आरेख में अंतर बताइए।
उत्तर: बहुदंड आरेख और यौगिक दंड आरेख में अंतर है-
बहुदंड आरेख | यौगिक दंड आरेख |
बहुदंड आरेख का उपयोग दो या दो से अधिक तथ्यों की आपसी तुलना करने के लिए किया जाता है। जैसे– पुरुष एवं स्त्री साक्षरता, ग्रामीण एवं शहरी जनसंख्या आदि। इसमें प्रत्येक वर्ग के लिए दो या अधिक समानांतर दण्ड बनाए जाते हैं, जो एक ही पैमाने पर आधारित होते हैं। यह आरेख तुलना को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। | यौगिक दंड आरेख इस आरेख के द्वारा एक ही स्थान या समय के विभिन्न गुणों के योग तथा उनके गुणों की मात्रा को दर्शाया जाता है। जैसे- देश का क्षेत्रफल, उत्पादन आदि। इस आरेख में एक ही दंड को विभाजित करके तथ्यों के अनेक गुणों तथा उनके योग को प्रदर्शित किया जाता है। |
उदाहरण: (i) वर्षवार पुरुष व स्त्री साक्षरता की तुलना। (ii) विभिन्न राज्यों में ग्रामीण व नगरीय जनसंख्या की तुलना। | उदाहरण: (i) किसी देश के कुल क्षेत्रफल में विभिन्न प्रकार की भूमि का वितरण। (ii) कुल उत्पादन में विभिन्न वस्तुओं का योगदान। |
(iv) एक बिंदुकित मानचित्र की रचना के लिए क्या आवश्यकताएँ हैं?
उत्तर: एक बिंदुकित मानचित्र की रचना के लिए आवश्यकताएँ हैं-
(क) दिए हुए क्षेत्र का प्रशासनिक मानचित्र जिसमें राज्य/जिला/खंड की सीमाएँ दिखाई गई हैं।
(ख) चुनी हुई प्रशासनिक इकाई के लिए चुने हुए विषय जैसे कुल जनसंख्या पशु आदि पर सांख्यिकीय आंकड़े।
(ग) एक बिंदु के मान को निश्चित करने के लिए मापनी का चुनाव।
(घ) प्रदेश के भू-आकृतिक मानचित्र विशेषकर उच्चावच और जल अपवाह मानचित्र।
(v) सममान रेखा मानचित्र क्या है? एक क्षेपक को किस प्रकार कार्यान्वित किया जाता है?
उत्तर: सममान रेखा मानचित्र एक तरीके का मानचित्र होता है जिसमें धरातल की ऊँचाई या गहराई को दर्शाने के लिए सममान रेखाओं का उपयोग किया जाता है। सममान रेखा वह काल्पनिक रेखा होती है जो पृथ्वी की सतह पर एक ही ऊँचाई वाले सभी बिंदुओं को जोड़ती है।
क्षेपक की क्रियाविधि-सामान्यतः समान मानों के स्थानों को जोड़ने वाली सममान रेखाओं का चित्रण क्षेपक कहलाता है। इनका उपयोग दो स्थानों की प्रेक्षित मानों के बीच मध्यमान को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
इसको कार्यानिंत करने के लिए निम्नलिखित बातों का पालन करते हैं-
(क) सर्वप्रथम मानचित्र पर दिए गए न्यूनतम और अधिकतम मान को निश्चित करते हैं।
(ख) इसके बाद मान की परास की गणना करते हैं। (परास = अधिकतम मान – न्यूनतम मान द्वारा)।
(ग) तत्पश्चात् श्रेणी के आधार पर एक पूर्ण संख्या जैसे- $5,10,15$ आदि में अंतराल निश्चित करते हैं।
(vi) एक वर्णमात्री मानचित्र को तैयार करने के लिए अनुसरण करने वाले महत्वपूर्ण चरणों की सचित्र व्याख्या कीजिए।
उत्तर: वर्णमात्री मानचित्र को तैयार करने के लिए निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण चरणों का अनुसरण किया जाता है:
1. आँकड़ों का क्रमबद्ध करना सर्वप्रथम, दिए गए सांख्यिकीय आँकड़ों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थापना किया जाता है।
2. इसके बाद अति उच्च, उच्च, मध्यम, निम्न और अति निम्न केन्द्रीकरण को दर्शाने के लिए आँकड़ों को पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत करते हैं।
3. श्रेणियों के मध्य के अन्तराल को निम्नांकित सूत्र के द्वारा ज्ञात किया जाता है-
परास 55 और परास = अधिकतम मान – न्यूनतम मान
4. प्रतिरूपों, छायाओं और रंगों का उपयोग चुनी हुई श्रेणियों को आरोही और अवरोही क्रम में दर्शाने के लिए किया जाता है।
(vii) आंकड़े को वृत्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित करने के लिए महत्वपूर्ण चरणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर: आँकड़ों को वृत्त आरेख की सहायता से प्रदर्शित करने के लिए निम्नलिखित चरण अपनाए जाते हैं-
1. सबसे पहले दिए गए आँकड़ों को समझकर उन्हें आवश्यकतानुसार बढ़ते या घटते क्रम में व्यवस्थित किया जाता है।
2. इसके पश्चात् आँकड़ों के लिए कोण की गणना करते हैं। इस हेतु आँकड़ों को 360° से गुणा किया जाता है।
3. इसके बाद खींचे जाने वाले वृत्त के लिए उपयुक्त त्रिज्या का चुनाव करते हैं।
4. चुनी हुई त्रिज्या से एक वृत्त का निर्माण करते हैं, जो कि दिए हुए आँकड़ों के कुल योग को प्रदर्शित करता है।
5. इसके पश्चात् वृत्त को इसके संघटक अवयवों की मात्रा के अनुपात में विभाजित कर लिया जाता है।
6. आँकड़ों को बढ़ते हुए क्रम में दक्षिणावर्त छोटे कोण से शुरू करते हैं।
7. अन्त में शीर्षक, उपशीर्षक और सूचिका द्वारा आरेख को पूर्ण कर लिया जाता है।

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