NCERT Class 11 Sangeet Chapter 17 भारतीय संगीत में वाद्य वर्गीकरण

NCERT Class 11 Sangeet Chapter 17 भारतीय संगीत में वाद्य वर्गीकरण Solutions Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 11 Sangeet Chapter 17 भारतीय संगीत में वाद्य वर्गीकरण Question Answer and select need one. NCERT Class 11 Sangeet Chapter 17 भारतीय संगीत में वाद्य वर्गीकरण Solutions Download PDF. NCERT Class 11 Solutions for Sangeet Tabla Evam Pakhawaj.

NCERT Class 11 Sangeet Chapter 17 भारतीय संगीत में वाद्य वर्गीकरण

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. NCERT Class 11 Sangeet Chapter 17 भारतीय संगीत में वाद्य वर्गीकरण Textual Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 11 Sangeet Chapter 17 भारतीय संगीत में वाद्य वर्गीकरण Solutions Hindi Medium. CBSE Class 11 Sangeet Tabla Evam Pakhawaj Textbook Solutions in Hindi for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 17

तबला एवं पखावज

अभ्यास

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. रूद्र वीणा से प्रेरणा लेकर कौन-सा वाद्य यंत्र बना है?

(क) सुरबहार।

(ख) सरोद।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

(ग) तानपुरा।

(घ) वायलिन।

उत्तर: (क) सुरबहार।

2. गज के घर्षण द्वारा बजाए जाने वाले वाद्य किस श्रेणी में आते हैं?

(क) सुषिर वाद्य।

(ख) अवनद्ध वाद्य।

(ग) तत् वाद्य।

(घ) घन वाद्य।

उत्तर: (ग) तत् वाद्य।

3. मानव शरीर की तुलना किस प्राचीन वाद्य यंत्र से की जाती है?

(क) पटह।

(ख) गात्र वीणा।

(ग) वेणु।

(घ) पुष्कर।

उत्तर: (ख) गात्र वीणा।

4. जवा द्वारा बजाए जाने वाला वाद्य यंत्र कौन-सा है?

(क) तानपुरा।

(ख) सरोद।

(ग) सितार।

(घ) सारंगी।

उत्तर: (ग) सितार।

5. चमड़े अथवा खाल से मढ़े हुए खोखले वाद्य यंत्र किस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं?

(क) अवनद्ध वाद्य।

(ख) तत् वाद्य।

(ग) घन वाद्य।

(घ) सुषिर वाद्य।

उत्तर: (क) अवनद्ध वाद्य।

6. क्लेरोनेट, नागस्वरम् कौन-सी श्रेणी के वाद्य यंत्र हैं?

(क) तत् वाद्य।

(ख) सुषिर वाद्य।

(ग) अवनद्ध वाद्य।

(घ) घन वाद्य।

उत्तर: (ख) सुषिर वाद्य।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

1. किस श्रेणी के संगीत वाद्यों का प्रयोग शास्त्रीय संगीत की अपेक्षा लोक संगीत में अधिक होता है?

उत्तर: घन वाद्य श्रेणी के संगीत वाद्यों का प्रयोग शास्त्रीय संगीत की अपेक्षा लोक संगीत में अधिक होता है।

2. सितार या तानपुरे का तुम्बा किस वस्तु से बनता है?

उत्तर: सितार या तानपुरे का तुम्बा कद्दू से बनता है।

3. तबले की स्याही किस वस्तु से निर्मित होती है?

उत्तर: तबले की स्याही लौह चूर्ण, पके चावल आदि के मिश्रण से निर्मित होती है।

4. घन वाद्यों को मुख्यतः किस प्रकार बजाया जाता है?

उत्तर: घन वाद्यों को मुख्यतः आपस में टकराकर या डंडियों के प्रहार से बजाया जाता हैं।

5. अवनद्ध कौन-सी भाषा का शब्द है?

उत्तर: अवनद्ध संस्कृत भाषा का शब्द है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. संगीत वाद्य से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: संगीत वाद्य वह यंत्र है जिससे ध्वनि उत्पन्न की जाती है। इन यंत्रों का उद्देश्य विशिष्ट वस्तु या पद्धति से उत्पन्न ध्वनि को लयबद्ध और तालबद्ध तरीके से संगीत में उपयोग करना है।

2. मानव शरीर को किस प्रकार का वाद्य यंत्र माना गया है?

उत्तर: सभी धर्मों में संगीत वाद्यों का उपासना से बहुत गहरा संबंध रहा है। इसीलिए मानव मन श्री कृष्ण को बाँसुरी बजाते हुए, सरस्वती को वीणा, शंकर को डमरू तथा गणेश को मृदंग बजाते हुए ही अपनी कल्पनाओं और उससे निर्मित चित्रों तथा मूर्तियों में देखता है। इसके अलावा, मंदिरों में पूजा अर्चना के समय घंटा, घंटी, शंख आदि का प्रयोग तथा मांगलिक कार्यों में शहनाई, ढोल, ढोलक, मंजीरा आदि का प्रयोग लोक जीवन में वाद्यों के महत्व को दर्शाती हैं। मानव शरीर को भी वाद्य यंत्र माना गया है। इसे ‘गात्र वीणा’ भी कहा गया है।

3. संगीत में वाद्यों का क्या महत्व है?

उत्तर: कंठ संगीत हो या नृत्य अथवा नाटक, सभी को अपने विस्तार के लिए, अपनी कला में आकर्षण पैदा करने के लिए तथा श्रोताओं को प्रभावित करने के लिए वाद्य यंत्रों की सहायता लेनी पड़ती है। साधारण श्रोताओं को भले ही वाद्य पर क्या बज रहा है, इसका ज्ञान न हो, लेकिन उसे सुनकर वह आनंद में डूब जाता है। वाद्यों का मुख्य कार्य गायन के माध्यम से अभिव्यक्त किए जा रहे भावों की प्रस्तुति को सुंदर बनाना है। जिस भाव और रस को शब्द और मानव कंठ व्यक्त करते हैं, उसी भाव को आकर्षक ढंग से प्रकट करने का प्रयास वाद्यों के द्वारा होता है। वाद्यों के अभाव में संगीत अपूर्ण-सा प्रतीत होता है।

4. तत् वाह्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।

उत्तर: तत् वाद्य वे वाद्य यंत्र होते हैं जिन पर तार या तंत्री के कंपन से स्वर उत्पन्न किए जाते हैं। ये कंपन तार पर आघात या घर्षण द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। तत् श्रेणी के अंतर्गत वे वाद्य आते हैं जिन्हें अँगुलियों, मिज़राब या जवा आदि से आघात कर अथवा गज से घर्षण कर बजाते हैं। इसके अंतर्गत तानपुरा, वीणा, सितार, सरोद, वायलिन, सारंगी, इसराज आदि वाद्य आते हैं।

5. महाभारत कालीन किन्हीं चार वाद्यों के नाम लिखिए।

उत्तर: महाभारत कालीन किन्हीं चार वाद्यों के नाम निम्नलिखित हैं—

(i) महती वीणा।

(ii) वेणु।

(iii) दुन्दुभी।

(iv) पुष्कर।

6. विभिन्न काल खंडों में मुख्यतः किन-किन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु संगीत वाद्यों का प्रयोग होता था?

उत्तर: विभिन्न काल खंडों में मुख्यतः धार्मिक अनुष्ठान, युद्ध में प्रेरणा, लोक उत्सव और आनंद, संचार और संकेत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु संगीत वाद्यों का प्रयोग होता था।

7 अवनद्ध वाद्यों में लगने वाला चमड़ा किन-किन पशुओं से प्राप्त होता है? किन्हीं तीन के नाम लिखिए।

उत्तर: अवनद्ध वाद्यों में लगने वाला चमड़ा निम्नलिखित पशुओं से प्राप्त होता है—

(i) गाय।

(ii) भैंस।

(iii) बकरी।

8. संगीत में अवनद्ध बाद्य से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: ‘अवनद्ध’ संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है-मढ़ा हुआ, लपेटा हुआ या चारों तरफ़ से कसा हुआ। वे वाद्य यंत्र जो अंदर से खोखले होते हैं, जिनके मुख पर चमड़ा मदा होता है तथा जिन पर हाथ से या डंडी से आघात करके ध्वनि निकाली जाती है, अवनद्ध वाद्य कहलाते हैं। अवनद्ध वाद्य मूलतः मिट्टी, लकड़ी या धातु के बने होते हैं। प्राचीन काल में मिट्टी या मृदा से बनाए जाने के कारण इन्हें साधारणतः मृदंग ही कहते थे।

9. प्राचीन काल के किन्हीं चार अवनद्ध वाद्यों के नाम बताइए।

उत्तर: प्राचीन काल के किन्हीं चार अवनद्ध वाद्यों के नाम है—

(i) भूमिदुन्दुभी।

(ii) दुन्दुभी।

(iii) पुष्कर।

(iv) मृदंग।

10 तबला अथवा तानपुरे का चित्र बनाकर उस वारा यंत्र के अगों को नामांकित कीजिए।

उत्तर: 

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

1. वैदिक काल में शास्त्रीय संगीत व सामान्य जन साधारण के जीवन रहा है? इसका उल्लेख कीजिए। 

उत्तर: वैदिक काल में संगीत वाद्य यंत्रों का महत्वपूर्ण स्थान था। उस समय वाद्य यंत्रों का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, यज्ञों और उत्सवों में किया जाता था। रिग्वेद और सामवेद में संगीत के महत्व का उल्लेख मिलता है। वीणा, दुंदुभी और अन्य वाद्य यंत्रों का उपयोग मंत्रों के साथ किया जाता था।

2. तंत्री वाद्य से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर: तंत्री वाद्य वे यंत्र होते हैं जिन पर तार या तंत्री के कंपन से स्वर उत्पन्न किए जाते हैं। जैसे – वीणा, सितार, सरोद आदि। इन वाद्यों में तारों को खींचने या कंपन उत्पन्न करने से ध्वनि उत्पन्न होती है।

3. तत् व सुषिर वाद्यों में उदाहरण सहित अंतर बताइए।

उत्तर: तत् व सुषिर वाद्यों में उदाहरण सहित अंतर हैं—

तत् वाद्यसुषिर वाद्य
तत् वाद्य वे वाद्य यंत्र होते हैं जिन पर तार या तंत्री के कंपन से स्वर उत्पन्न किए जाते हैं।सुषिर वाद्यों के अंतर्गत वे वाद्य आते हैं जिनमें स्वरों की उत्पत्ति वायु के कंपन द्वारा होती है।
ये कंपन तार पर आघात या घर्षण द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं।इन वाद्यों में हवा भरकर या फूंककर स्वर उत्पन्न किए जाते हैं। 
तत् श्रेणी के अंतर्गत वे वाद्य आते हैं जिन्हें अँगुलियों, मिज़राब या जवा आदि से आघात कर अथवा गज से घर्षण कर बजाते हैं।इन वाद्यों में वायु के दबाव को ही घटा-बढ़ा कर, स्वर ऊँचा-नीचा किया जाता है।

4. तत्, सुषिर, घन एवं अवनद्ध वाद्यों की तुलना कीजिए।

उत्तर: तत्, सुषिर, घन एवं अवनद्ध वाद्यों की तुलना है—

तत् वाद्यसुषिर वाद्यघन वाद्य अवनद्ध वाद्य
तत् वाद्य वे वाद्य यंत्र होते हैं जिन पर तार या तंत्री के कंपन से स्वर उत्पन्न किए जाते हैं।सुषिर वाद्यों के अंतर्गत वे वाद्य आते हैं जिनमें स्वरों की उत्पत्ति वायु के कंपन द्वारा होती है।घन वाद्य मूलतः लकड़ी, काँसा, पीतल आदि धातु से बनाए जाते हैं।ताल संगीत का प्राण है और अवनद्ध वाद्य ताल-ठेकों को धारण करते हैं।
ये कंपन तार पर आघात या घर्षण द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं।इन वाद्यों में हवा भरकर या फूंककर स्वर उत्पन्न किए जाते हैं। इस वाद्य को आपस में टकराकर या डंडियों के प्रहार से बजाते हैं। इनका मुख्य कार्य लय धारण करना होता है।अवनद्ध वाद्यों की संगति से संगीत लयबद्ध, तालबद्ध, मधुर और मनोरंजक हो जाता है।
तत् श्रेणी के अंतर्गत वे वाद्य आते हैं जिन्हें अँगुलियों, मिज़राब या जवा आदि से आघात कर अथवा गज से घर्षण कर बजाते हैं।इन वाद्यों में वायु के दबाव को ही घटा-बढ़ा कर, स्वर ऊँचा-नीचा किया जाता है।इसके अंतर्गत आने वाले वाद्य हैं घंटा, घंटी, झांझ, खरताल, मंजीरा, घुँघरू, मुरचंग आदि।अवनद्ध वाद्यों का विकास गायन, वादन और नृत्य की संगति करने के उद्देश्य से हुआ है।

5. ढोलक, मृदंगम् एवं तविल वाद्यों की सचित्र तुलना कीजिए।

उत्तर: 

ढोलक वाद्य मृदंगम् वाद्य तविल वाद्य 
ढोलक उत्तर भारतीय संगीत में प्रचलित एक प्रमुख लोक अवनद्ध वाद्य है। मृदंगम् दक्षिण भारतीय संगीत का प्रमुख अवनद्ध वाद्य है। तविल दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य का एक प्रमुख अवनद्ध वाद्य है। 
इसका प्रयोग लोक संगीत में गायन की संगति के लिए किया जाता है।इसका प्रयोग गायन-वादन तथा नृत्य की संगति के लिए होता है।इसका प्रयोग मुख्य रूप से वहाँ के लोक संगीत, कर्नाटक शास्त्रीय संगीत एवं नागस्वरम् की संगति के लिए किया जाता है।
इसकी लंबाई लगभग 45 सेंटीमीटर और मध्य का व्यास लगभग 27 सेंटीमीटर का होता है।मृदंगम् की लंबाई 22 से 24 इंच तक और इसके मध्य के घेरे का व्यास 12 इंच तक होता है।इसके ढाँचे की लंबाई लगभग 18 इंच होती है।

6. किसी इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्र की उपयोगिता के विषय में विस्तार से लिखिए।

उत्तर: इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्र आधुनिक संगीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। इन यंत्रों से विविध ध्वनियाँ उत्पन्न की जा सकती हैं, जिससे संगीत में नवीनता और विविधता आती है।

इन्हें आसानी से कंप्यूटर या रिकॉर्डिंग सिस्टम से जोड़ा जा सकता है, जिससे ध्वनि रिकॉर्डिंग और संपादन सरल हो जाता है। इनका आकार छोटा होने के कारण इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना सुविधाजनक होता है। इलेक्ट्रॉनिक वाद्य यंत्रों का प्रयोग शास्त्रीय से लेकर पॉप, जैज़ और फिल्म संगीत तक सभी विधाओं में होता है। यह न केवल पेशेवर संगीतकारों के लिए उपयोगी हैं, बल्कि संगीत सीखने वाले छात्रों के लिए भी अभ्यास का सुलभ साधन प्रदान करते हैं। इस प्रकार ये यंत्र संगीत के विकास और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सुमेलित कीजिए

(क) खंजरी1. भरतमुनि
(ख) अवनद्ध2. जी, राज नारायण
(ग) खोल3. चमड़ा
(घ) नाट्यशास्त्र4. तमिलनाडु
(ङ) इलेक्ट्रॉनिक तानपुरा5. स्थायी स्वर
(च) तविल6. हारमोनियम
(छ) सुषिर7. पश्चिम बंगाल
(ज) ड्रोन8. घन वाद्य

उत्तर: 

(क) खंजरी8. घन वाद्य
(ख) अवनद्ध3. चमड़ा
(ग) खोल7. पश्चिम बंगाल
(घ) नाट्यशास्त्र1. भरतमुनि
(ङ) इलेक्ट्रॉनिक तानपुरा2. जी, राज नारायण
(च) तविल4. तमिलनाडु
(छ) सुषिर6. हारमोनियम
(ज) ड्रोन5. स्थायी स्वर

रिवत्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. इसराज वाद्य ____________ श्रेणी का वाद्य है।

उत्तर: इसराज वाद्य तत् श्रेणी का वाद्य है।

2. सुषिर वाद्यों में स्वर की उत्पत्ति __________ द्वारा होती है।

उत्तर: सुषिर वाद्यों में स्वर की उत्पत्ति वायु के कंपन द्वारा होती है।

3. सुषिर वाद्यों में वायु के दबाव को ___________ स्वर ऊँचा-नीचा किया जाता है।

उत्तर: सुषिर वाद्यों में वायु के दबाव को घटा–बढ़ा कर स्वर ऊँचा-नीचा किया जाता है।

4. चार वाद्यों के वर्गीकरण का उल्लेख सर्वप्रथम ____________ में मिलता है।

उत्तर: चार वाद्यों के वर्गीकरण का उल्लेख सर्वप्रथम नाट्यशास्त्र में मिलता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top