NCERT Class 11 Sangeet Chapter 16 पारिभाषिक शब्द

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NCERT Class 11 Sangeet Chapter 16 पारिभाषिक शब्द

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Chapter: 16

तबला एवं पखावज

अभ्यास

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. नाद किसे कहते हैं?

उत्तर: संगीत के आधार को नाद कहते है। नाद से श्रुति, श्रुति से स्वर तथा स्वर से ही राग की उत्पत्ति होती है।

2. श्रुति को पारिभाषित कीजिए।

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उत्तर: संगीत में उपयोग होने वाली ध्वनि जो कानों को स्पष्ट अथवा साफ़ सुनाई दे और एक-दूसरे से अलग व स्पष्ट रूप से पहचानी जा सके, उसे ‘श्रुति’ कहते हैं। “श्रूयते इति श्रुति” अर्थात् जिसे सुना जा सके, श्रुति कहलाती है।

3. लय को पारिभाषित कीजिए तथा लय के प्रकार बताइए।

उत्तर: गायन, वादन एवं नर्तन में व्यतीत हो रहे समय की समान गति को लय कहा जाता है। एक मात्रा से दूसरी मात्रा के समान अंतर को भी लय कहते हैं। लय के तीन प्रकार हैं: विलंबित, मध्य और द्रुत।

4. भातखंडे ताल-लिपि के अनुसार सम को पारिभाषित करते हुए उसका चिह्न बताइए।

उत्तर: भातखंडे ताल-लिपि में ताल की प्रथम मात्रा को सम कहा जाता है। यह ताल का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है, जहाँ लय या बंदिश समाप्त होकर पुनः आरंभ होती है। सम पर विशेष जोर दिया जाता है और इसे ताल का केंद्र माना जाता है।

भातखंडे ताल पद्धति में ताली दशनि के लिए क्रमशः ताली की संख्या लिखी जाती है तथा इसे ‘0’ चिह्न से दशति हैं। 

5. रेला किसे कहते हैं?

उत्तर: रेला का अर्थ है- समूह या धारा प्रवाह, जैसे आदमियों का रेला, पानी का रेला आदि। तबले के वर्णों से निर्मित ऐसा बोल जो आकार में छोटा, सुनने में कर्णप्रिय और बजाने में गति प्रधान हो, उसे रेला कहते है।

6. कायदा को पारिभाषित कीजिए।

उत्तर: कायदा शब्द अरबी भाषा से बना है, जिसका अर्थ है बंधन या नियम। कायदा के साथ एक और शब्द अभिन्नता से जुड़ा होता है- कायदा-कानूना कायदा का अर्थ है पद्धति अथवा किसी भी कार्य को करने का ढंग या सलीका। अंग्रेज़ी में इसके लिए मेथड शब्द का प्रयोग होता है। तबला वादन की शिक्षा मुख्यतः कायदे से ही आरंभ होती है। इसकी रचना मूलतः उन्हीं तालों में की जाती है, जिनमें स्वतंत्र वादन किया जाता है।

7. तिहाई को उदाहरण सहित समझाइए।

उत्तर: जब किसी छोटे से बोल समूह को तीन बार एक जैसा गाया, बजाया या नाचा जाता है तो उसे तिहाई या तीया कहते हैं। तिहाई का भारतीय संगीत की हर विधा में महत्वपूर्ण स्थान है। तबला वादन के क्षेत्र में अनेक बोल, जैसे पेशकर, कायदा, बाँट, रेला, टुकड़ा और परन आदि का समापन तिहाई से ही होता है। वस्तुतः तिहाई किसी भी बोल का समापन अंश होता है।

तिहाई के उदाहरण है—

धातिट्धा तिटधाधा तिटधागे तिनगिनथा ऽ धातिटधा तिटधाधातिटधागे तिनगिन धा ऽघातिटघा तिटधाधा तिटधागे तिनगिनधा
× 203× 

8. ताल में ताली व खाली के महत्व को समझाइए।

उत्तर: ताली वाले स्थानों पर संयुक्त वर्ण, जैसे धा, धिं आदि का ही प्रयोग होता है। खाली सामान्यतः ताल के मध्य में होती है, जैसे त्रिताल में नौवीं मात्रा पर, झपताल में छठी और कहरवा में पाँचवीं मात्रा पर। किसी भी ताल में जिस मात्रा पर खाली होती है, वहाँ प्रायः बंद बोलों का प्रयोग होता है। लेकिन इस नियम का बहुत कठोरता से पालन नहीं किया जाता है। किसी भी ताल में खाली के दो विभाग एक साथ नहीं होते हैं। जबकि ताली के कई विभाग एक साथ हो सकते हैं। खाली को निशब्द क्रिया भी कहते हैं। दक्षिण भारतीय ताल पद्धति में इसके लिए विसर्जितम् शब्द का प्रयोग किया जाता है।

विस्तृत उत्तरीय प्रश्न

1. नाद की जाति अथवा गुण से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।

उत्तर: नाद की जाति या गुण से तात्पर्य ध्वनि की विशेषता से है। नाद की विशेषताएँ उसके उत्पत्ति के स्रोत और कंपन की मात्रा पर निर्भर करती हैं। 

नाद मुख्यतः दो प्रकार का होता है-

(i) आहत नाद: जब आघात अथवा घर्षण करने के बाद कोई ध्वनि उत्पन्न होती है तो उसे आहत नाद कहते हैं। संगीत में यही नाद प्रयोग में लाया जाता है।

(ii) अनाहत नाद: यह नाद ऐसी ध्वनि जो बिना किसी प्रकार के आघात किए उत्पन्न हो, उसे अनाहत नाद कहते हैं। इसे सुना नहीं जा सकता, यह सिर्फ अनुभव की जा सकती है। यह प्रकृति में पहले से ही विद्यमान है। अगर दोनों कानों में अँगुली डालकर, कान बंद करके तन्मयता से सुनें तो कुछ अस्पष्ट आवाजें सुनाई देती हैं। इसी को अनाहत नाद कहते हैं।

2. ‘श्रूयते इति श्रुति’ से आप क्या समझते हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए।

उत्तर: ‘श्रूयते इति श्रुति’ का अर्थ यह है कि “जो सुना गया है, वही श्रुति है।” यह वाक्य वेदों और वैदिक साहित्य को परिभाषित करने के लिए प्रयुक्त होता है। हिन्दू धर्म में श्रुति को अपौरुषेय अर्थात् मानव-रचित नहीं माना गया है, बल्कि यह माना जाता है कि ऋषियों ने इनका श्रवण ध्यान या तपस्या के माध्यम से किया। इसलिए वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद – को श्रुति कहा गया। श्रुति का ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक परंपरा द्वारा सुरक्षित रखा गया। इसका धर्म, ज्ञान, और मोक्ष के मार्ग में अत्यंत महत्त्व है। ‘श्रुति’ और ‘स्मृति’ में यह मुख्य अंतर है कि श्रुति ईश्वरप्रदत्त मानी जाती है जबकि स्मृति मानव-रचित है। भारतीय दर्शन में श्रुति को सर्वोच्च प्रमाण माना गया है। अतः ‘श्रूयते इति श्रुति’ वाक्य वेदों की दिव्यता और उनके श्रवण-आधारित स्वरूप को स्पष्ट करता है।

3. हिंदुस्तानी संगीत में किस प्रकार के स्वर पाए जाते हैं? चिह्नों द्वारा सभी स्वरों को लिखिए।

उत्तर: हिंदुस्तानी संगीत में मुख्यतः सात स्वर माने गए हैं: षड्ज (सा), ऋषभ (रे), गंधार (ग), मध्यम (म), पंचम (प), धैवत (ध), और निषाद (नि)। इनमें से रे, ग, ध, और नि कोमल स्वर होते हैं, और म तीव्र स्वर होता है।

4. संगीत रत्नाकर में वर्ण को किस तरह परिभाषित किया गया है? 

उत्तर: संगीत रत्नाकर में ‘वर्ण’ को गाने की क्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है। पंडित शारंगदेव के अनुसार, वर्ण चार प्रकार के होते हैं: स्थायी, आरोही, अवरोही और संचारी। स्थायी वर्ण में स्वर की पुनरावृत्ति होती है, जैसे ‘सा सा सा’; आरोही में स्वर ऊपर की ओर बढ़ते हैं, जैसे ‘सा रे ग’; अवरोही में स्वर नीचे की ओर आते हैं, जैसे ‘ग रे सा’; और संचारी में स्वर ऊपर-नीचे दोनों दिशाओं में गतिशील होते हैं, जैसे ‘सा रे ग पगरेसा’। इन वर्णों के माध्यम से राग की रचनात्मकता और भाव-प्रस्तुति को सुस्पष्ट किया जाता है, जिससे राग का स्वभाव और उसकी विशिष्टता उभरकर सामने आती है। इस प्रकार, ‘वर्ण’ रागदारी संगीत की एक महत्वपूर्ण आधारशिला है, जो रचना की गति, प्रवाह और स्वरूप को दिशा प्रदान करती है।

5. राग के सभी लक्षणों की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।

उत्तर: राग भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक महत्वपूर्ण अंग है। राग को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि “ध्वनि की वह विशिष्ट रचना जो स्वर और वर्ण से सुशोभित हो तथा सुनने वाले के मन को प्रसन्न करे, उसे राग कहते हैं।”

राग के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं—

(i) राग किसी न किसी थाट से संबंधित होता है।

(ii) राग में आरोह (चढ़ाव) और अवरोह (उतार) का निश्चित क्रम होता है।

(iii) प्रत्येक राग का एक मुख्य स्वर (वादी) और उसके विपरीत एक संवादी स्वर होता है।

(iv) राग का गायन समय निर्धारित होता है।

(v) राग में कुछ विशेष स्वर समूहों का संयोग होता है।

(vi) राग का एक निश्चित चलन या गतिशीलता होती है।

(vii) राग की पकड़ एक विशिष्ट स्वर संयोजन को दर्शाती है।

6. औड्व-सम्पूर्ण जाति के किसी एक राग का विवरण कीजिए।

उत्तर: औड्व-सम्पूर्ण जाति का अर्थ है कि राग की आरोह में पाँच स्वर और अवरोह में सात स्वर होते हैं। इस जाति का एक प्रमुख राग यमन है। यमन की आरोह में निषाद नहीं आता, इसलिए यह औड्व है: सारेगमध नि सां। अवरोह सम्पूर्ण है: सांनिध प मगरेसा। इसमें तीव्र मध्यम का प्रयोग होता है, जिससे इसका स्वरूप मधुर और भावपूर्ण बनता है। राग यमन का वादी स्वर गंधार और संवादी निषाद होता है। यह राग रात्रि के प्रथम प्रहर में गाया जाता है और शांत रस उत्पन्न करता है।

7. द्रुत लय से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: द्रुत लय गाते-बजाते समय एक लय जय स्थिर की जाती है जो बराबर की लय कहलाती है। मध्य लय से दुगुनी लय को द्रुत लय कहा जाता है। इसी लय में द्रुत खयाल, तराने तथा सितार आदि पर रजाखानी या द्रुत गतें बजाई जाती हैं। स्वर वाद्यों में यहीं से झाला की शुरुआत करते हैं, जिसे अतिद्रुत लय तक ले जाकर वादक अपनी कुशलता का प्रदर्शन करते हैं। तबला स्वतंत्र वादन में, इस लय में टुकड़े, परन, गत, फ़र्व आदि का वादन होता है। इसमें एक मात्रा से दूसरी मात्रा के बीच का अंतराल लगभग सेकंड का होता है। त्रिताल, एकताल, झपताल, सूलताल, रूपक, तीव्रा, दीपचंदी, कहरवा, दादरा आदि जैसी तालें इस लय के लिए उपयोगी हैं। रौद्र, वीभत्स, भवानक, वीर एवं अद्भुत रसों का प्रदर्शन इसी लय में होता है।

8. तीनताल में एक रेला लिखिए।

उत्तर: रेला का अर्थ है- समूह या धारा प्रवाह, जैसे- आदमियों का रेला, पानी का रेला आदि।

धातिर किटतक धिरधिर किटतक घिरधिर किटतक तातिर|

किटतक तातिर किटतक तिरतिर किटतक| घिरधिर किटतक धातिर किटतक

सही और गलत बताइए

1. किसी भी ताल की प्रथम तथा अंतिम मात्रा को सम कहते हैं।

उत्तर: गलत।

2. मंद्र, मध्य तथा तार सप्तक के प्रकार हैं।

उत्तर: सही।

3. रूपक ताल में 10 मात्राएँ होती हैं।

उत्तर: गलत।

4. प्रत्येक ताल के कुछ बोल होते हैं, जिन्हें विभाग कहा जाता है।

उत्तर: सही।

5. जब तिहाई के प्रत्येक भाग के बाद थोड़ा रुका जाए तो उसे दमदार तिहाई कहते हैं।

उत्तर: सही।

6. पलटा, प्रकार, पेंच, किस्में व विस्तार समानार्थी शब्द हैं व कायदे के विस्तार में प्रयुक्त होते हैं।

उत्तर: सही।

7. ध्वनि की वह विशिष्ट रचना जो स्वर तथा वर्ण से सुशोभित हो, उसे राग कहते हैं।

उत्तर: सही।

8 स्वर जब ऊपर से नीचे की ओर आते हैं, तो उसे आरोह कहते हैं।

उत्तर: गलत।

रिवत्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. संगीत का आधार ____________ है, नाद से __________ श्रुति से ____________ तथा स्वर से ____________ की उत्पति होती है।

उत्तर: संगीत का आधार नाद है, नाद से श्रुति श्रुति से स्वर तथा स्वर से राग की उत्पति होती है।

2. आघात अथवा घर्षण से उत्पन्न ध्वनि को ____________ नाद कहते हैं।

उत्तर: आघात अथवा घर्षण से उत्पन्न ध्वनि को आहत नाद कहते हैं।

3. सात स्वरों के समूह को ____________ कहते है।

उत्तर: सात स्वरों के समूह को सप्तक कहते है।

4. योयं ध्वनि _____________ विभूषित:।

उत्तर: योयं ध्वनि विषेशस्तु स्वरवर्ण विभूषित:।

5. जिस राग में छह स्वर गाए जाते हैं वह ____________ जाति का राग होता है।

उत्तर: जिस राग में छह स्वर गाए जाते हैं वह षाडव जाति का राग होता है।

6.

123456789101112
धिं धिं तू    नाधागे तीरकीट

उत्तर:

123456789101112
धिं धिं धागेतिरकिट तू    नात्ता धागे तीरकीटधीना

7. किसी भी ताल की प्रथम मात्रा में अंतिम मात्रा तक का क्षेत्र ___________ कहलाता है।

उत्तर: किसी भी ताल की प्रथम मात्रा में अंतिम मात्रा तक का क्षेत्र आवर्तन कहलाता है।

सुमेलित कीजिए

(क) एकताल1. 2/3/2/3
(ख) आहत2. खाली
(ग) तिहाई3. सप्तक
(घ) सम4. 12 मात्रा
(ड.) मद्र-मध्य5. नाद
(च) विसर्जितम6. बेदम
(छ) विकृत स्वर7. प्रथम मात्रा
(ज) झपताल8. रे ग ध नि

उत्तर: 

(क) एकताल4. 12 मात्रा
(ख) आहत5. नाद
(ग) तिहाई6. बेदम
(घ) सम7. प्रथम मात्रा
(ड.) मद्र-मध्य3. सप्तक
(च) विसर्जितम2. खाली
(छ) विकृत स्वर8. डे ग ध नि
(ज) झपताल1. 2/3/2/3

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