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NCERT Class 11 Sangeet Chapter 18 तबला एवं पखावज वाद्यों के घरानों का वर्ण
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तबला एवं पखावज वाद्यों के घरानों का वर्ण
Chapter: 18
तबला एवं पखावज
अभ्यास
लघु उत्तरीय प्रश्न
1 पंजाब घराने के कुछ कलाकारों के नाम बताइए।
उत्तर: पंजाब घराने के कुछ कलाकारों के नाम है—
हुसैन बख्श, फकीर बख्श, करम इलाही, अल्ला रक्खा, जाकिर हुसैन और योगेश समसी।
2. सामता प्रसाद, राम जी मिश्र और गोपाल मिश्र किस घराने के तबला वादक हैं?
उत्तर: सामता प्रसाद, राम जी मिश्र और गोपाल मिश्र बनारस घराने के तबला वादक हैं।
3. घराना शब्द से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: घराना शब्द का अर्थ है संगीत या नृत्य की परंपरा, जो किसी विशिष्ट गुरु या कलाकार द्वारा विकसित की जाती है और पीढ़ी दर पीढ़ी संरक्षित रहती है। घरानों में विशिष्ट वादन, गायन या नृत्य की शैली होती है, जो गुरु-शिष्य परंपरा से आगे बढ़ती है। उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत में घरानों का विकास मुख्यतः मुगल काल के अंतिम दौर में हुआ।
4. गुदई महाराज का दूसरा नाम क्या था?
उत्तर: गुदई महाराज का दूसरा नाम गुदई सिंह था।
5. बायाँ या डगो का व्यवहार किस घराने में कलात्मक रूप से किया गया है?
उत्तर: बायाँ या डगो का व्यवहार अजराड़ा घराने में कलात्मक रूप से किया गया है।
विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
1. दिल्ली घराने में तबला किस प्रकार बजाया जाता है?
उत्तर: दिल्ली घराने में तबला वादन को दो अंगुलियों का बाज” या “किनार का बाज” कहा जाता है। तिट, धिट, तिरकिट, धाति, धगेनधा, धिन-गिन, तिन-किन आदि बोलों का प्रयोग किया जाता है। इस शैली में पेशकार, चौस्त का दे, रेला और चक्करदार वादन का विशेष महत्व है। इस घराने में बजाने की तकनीक में खुले और ज़ोरदार बोलों की प्रधानता होती है।
2. पंजाब घराने में तबला वादन की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर: पंजाब घराने की तबला वादन शैली को “पंजाब बाज” कहा जाता है, जिसका विकास पखावज के बोलों में परिवर्तन करके हुआ था। इस शैली में पखावज का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देती है। वादन शैली खुली और जोरदार होती है, जिसमें चारों उंगलियों से तबले पर जोरदार थाप का प्रहार किया जाता है। बड़ी-बड़ी गतें, परनें, चक्करदार गतें, चक्करदार परनें और लयकारियों से युक्त तिहाइयों का प्रमुखता से प्रयोग होता है। इस घराने के संस्थापक लाला भवानी दास थे। प्रमुख कलाकारों में अल्ला रक्खा, ज़ाकिर हुसैन, हुसैन बख्श आदि।
3. बनारस घराने के तबला वादक किन-किन विधाओं के साथ बजाने की क्षमता रखते हैं?
उत्तर: बनारस घराने के तबला वादक विभिन्न संगीत विधाओं में निपुण होते हैं। ये वादक पखावज शैली के मुक्त प्रहार वाले बोलों का उपयोग करते हैं। बनारस बाज में छंद, गत, परन, गत-परन, फ़र्द, चक्करदार और देवी-देवताओं की स्तुति परन जैसे विविध वादन शैलियों का प्रयोग किया जाता है। पखावज का प्रभाव होने के कारण, वादन की शुरुआत उथान से की जाती है। बनारस घराने के वादक पारंपरिक वादन के साथ-साथ शास्त्रीय और लोक संगीत के विभिन्न रूपों में भी संगत करने में कुशल होते हैं।
4. नाथद्वारा घराने के कुछ पखावज वादकों के नाम बताइए।
उत्तर: नाथद्वारा घराने की पखावज परंपरा सत्रहवीं शताब्दी में तुलसीदास, नरसिंह दास और हालू नामक तीन भाइयों से शुरू हुई। इस परंपरा के प्रमुख वादक स्वामी, छबील दास, फकीर दास, चंद्रभान, मानजी और रूपराम थे। रूपराम के पुत्र वल्लभ दास, चतुर्भुज, शंकरलाल और खेमलाल प्रसिद्ध पखावज वादक बने। खेमलाल के पुत्र श्यामलाल और शंकरताल के पुत्र पंडित घनश्याम दास ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। पंडित घनश्याम दास के पुत्र गुरु पुरुषोत्तम दास ने इस घराने का व्यापक प्रचार-प्रसार किया।
सही और गलत बताइए
1. अनोखे लाल मिश्र एवं किशन महाराज पंजाब घराने के तबला वादक हैं।
उत्तर: गलत।
2. दिल्ली घराने के मूल पुरुष उस्ताद सिद्धार खाँ डाढ़ी थे।
उत्तर: सही।
3. घराना शब्द राजमहलों से आया है।
उत्तर: गलत।
4. लतीफ़ अहमद खाँ बनारस घराने के तबला वादक है।
उत्तर: गलत।
5. दिल्ली घराने का जन्म अकबर के काल में हुआ?
उत्तर: गलत।
रिवत्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. लाला भवानी दास ___________ घराने के मूल संस्थापक थे।
उत्तर: लाला भवानी दास पंजाब घराने के मूल संस्थापक थे।
2. पंडित राम सहाय ___________ घराने के कलाकार थे।
उत्तर: पंडित राम सहाय बनारस घराने के कलाकार थे।
3. अजराड़ा __________ जिले में है।
उत्तर: अजराड़ा मेरठ जिले में है।
4. शफात अहमद खाँ __________ घराने के तबला वादक हुए।
उत्तर: शफात अहमद खाँ दिल्ली घराने के तबला वादक हुए।
5. हसमत खाँ एवं अकरम खाँ __________ घराने के विख्यात तबला वादक हैं।
उत्तर: हसमत खाँ एवं अकरम खाँ अजराड़ा घराने के विख्यात तबला वादक हैं।
6. ___________ नाथद्वारा घराने की एक विख्यात परन है।
उत्तर: पंचदेव स्तुति नाथद्वारा घराने की एक विख्यात परन है।

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