NCERT Class 9 Hindi Chapter 8 शुक्रतारे के समान Solutions to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 9 Hindi Chapter 8 शुक्रतारे के समान and select need one. NCERT Class 9 Hindi Chapter 8 शुक्रतारे के समान Question Answers Download PDF. NCERT Class 9 Hindi Solutions.
NCERT Class 9 Hindi Chapter 8 शुक्रतारे के समान
Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 9 Hindi Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 9 Hindi Chapter 8 शुक्रतारे के समान and Textbook for All Chapters, You can practice these here.
शुक्रतारे के समान
Chapter: 8
स्पर्श भाग – 1 (गघ-भाग)
गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(i) प्रथम श्रेणी की शिष्ट, संस्कार-सम्पन्न भाषा और मनोहारी लेखन शैली की ईश्वरीय देन महादेव को मिली थीं। यद्यपि गांधीजी के पास पहुँचने के बाद घमासान लड़ाई के आंदोलनों और समाचार-पत्रों की चर्चाओं के भीड़-भरे प्रसंगों के बीच केवल साहित्यिक गतिविधियों के लिए उन्हें कभी समय नहीं मिला, फिर भी गांधीजी की आत्मकथा ‘सत्व का प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद उन्होंने किया, जो जनजीवन में प्रकाशित होने वाले मूल गुजराती की तरह हर हफ्ते ‘यंग इंडिया’ में छपता रहा।
प्रश्न (i) महादेव देसाई को कौन-सी ईश्वरीय देन प्राप्त थी?
(क) शिष्टता
(ख) संस्कार सम्पन्न भाषा
(ग) मनोहारी लेखन-शैली
(घ) ये सभी
उत्तर: (घ) ये सभी।
(ii) गाँधी जी के यहां क्या चलता रहता था?
(क) आंदोलन
(ख) समाचार पत्रों की चर्चाएँ
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) भोड़
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(iii) महादेव को किसके लिए कम समय मिलता था?
(क) साहित्यिक गतिविधियों के लिए
(ख) सामाजिक कार्यों के लिए
(ग) व्यक्तित्व कामों के लिए
(घ) लोगों से मिलने के लिए
उत्तर: (क) साहित्यिक गतिविधियों के लिए।
(iv) महादेव देसाई ने क्या साहित्यिक कार्य किया?
(क) गाँधी को आत्मकथा का अंग्रेजी अनुवाद
(ख) समाचार पत्रों में लेखन
(ग) छुट-पुट लेख
(घ) अन्य
उत्तर: (क) गाँधी को आत्मकथा का अंग्रेजी अनुवाद।
(v) महादेव का लेखन किसमे उपता था?
(क) यंग इंडिया में
(ख) नवजीवन में
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) अन्य में
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(2) गांधीजी के पास आने के पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी। नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी साथ-साथ ही शुरू की थी। इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफेद और सफेद को स्याह करना होता है। साहित्य और संस्कार के साथ इसका कोई संबंध नहीं होता लेकिन इन दोनों ने तो उसी समय से टैगोर, शरत्चन्द्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। ‘चित्रांगदा कच देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित ‘विदाई का अभिशाप’ शीर्षक नाटिका, ‘शरदबाबू की कहानियाँ’ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन है।
प्रश्न (i) गाँधी जी के पास आने से पहले महादेव कहाँ काम करते थे?
(क) सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी
(ख) वकालत करते थे
(ग) लेखन कार्य करते थे
(घ) कुछ नहीं
उत्तर: (क) सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी।
(ii) वकालत के पेशे में आमतौर पर क्या करना होता है?
(क) स्याह को सफेद
(ख) सफेद को स्याह
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) मुकदमा लड़ना
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(iii) वकालत के पेशे का किसके साथ संबंध नहीं होता?
(क) साहित्य
(ख) संस्कार
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) पढ़ाई
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(iv) महादेव ने कौन-सी रचना पढी?
(क) चित्रांगदा
(ख) विदाई का अभिशाप
(ग) शरत् बाबू की कहानियाँ
(घ) ये सभी
उत्तर: (घ) ये सभी।
(v) ‘साहित्यिक’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) सा
(ख) हित
(ग) इक
(घ) क
उत्तर: (ग) इक।
(3) ‘यंग इंडिया’ के पीछे-पीछे ‘नवजीवन’ भी गांधीजी के पास आया और दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलने लगे। छह महीनों के लिए मैं भी साबरमती आश्रम में रहने पहुंचा। शुरू में ग्राहकों के हिसाब-किताब की और साप्ताहिकों को डाक में डलवाने की व्यवस्था मेरे जिम्मे रही। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद संपादन सहित दोनों साप्ताहिकों की और छापाखाने की सारी व्यवस्था मेरे जिम्मे आ गई। गाँधीजी और महादेव का सारा समय देश भ्रमण में बीतने लगा। ये जहाँ भी होते, वहाँ से कामों और कार्यक्रमों की भारी भीड़ के बीच भी समय निकालकर लेख लिखते और भेजते।
प्रश्न (i) ‘यंग इंडिया’ क्या था?
(क) एक साप्ताहिक पत्रिका
(ख) दैनिक समाचार पत्र
(ग) एक संस्था
(घ) एक मिशन
उत्तर: (क) एक साप्ताहिक पत्रिका।
(ii) ‘यंग इंडिया’ के बाद कौन-सा साप्ताहिक गाँधी जी के पास आया?
(क) नवजीवन
(ख) जनजीवन
(ग) नया भारत
(घ) अन्य
उत्तर: (क) नवजीवन।
(iii) ये दोनों साप्ताहिक कहाँ से प्रकाशित होते थे?
(क) नागपुर से
(ख) अहमदाबाद से
(ग) इलाहाबाद से
(घ) राजकोट से
उत्तर: (ख) अहमदाबाद से।
(iv) लेखक ने कौन-सी जिम्मेदारी निभाई?
(क) साप्ताहिकों के हिसाब-किताब की
(ख) साप्ताहिकों को डाक से भिजवाने को
(ग) छापेखाने की
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।
(v) गाँधी जो तथा महादेव का सारा समय कहाँ बीतने लगा?
(क) देश-भ्रमण में
(ख) लेख लिखने में
(ग) समस्याएँ सुलझाने में
(घ) अन्य कार्यों में
उत्तर: (क) देश-भ्रमण में।
(4) सन् 1934-35 में गांधीजी वर्षा के महिला आश्रम में और मगनवाड़ी में रहने के बाद अचानक मगनवाड़ी से चलकर गाँव की सरहद पर एक पेड़ के नीचे जा बैठे। उसके बाद वहाँ एक-दो झोंपड़े बने और फिर धीरे-धीरे मकान बनकर तैयार हुए, तब तक महादेव भाई, दुर्गा बहन और चि, नारायण के साथ मगनवाड़ी में रहे। वहीं से वे वर्षों की असा गरमी में रोज सुबह पैदल चलकर सेवाग्राम पहुंचते थे। वहाँ दिन भर काम करके शाम को वापस पैदल आते थे। जाते-आते पूरे 11 मोल चलते थे। रोज-रोज का यह सिलसिला लंबे समय तक चला। कुल मिलाकर इसका जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, उनकी अकाल मृत्यु के कारणों में वह एक कारण माना जा सकता है।
इस मौत का घाव गाँधीजी के दिल में उनके जीते जी बना ही रहा। वे भर्तृहरि के भजन को यह पंक्ति हमेशा दोहराते रहे:
‘ए रे जखम जोगे नहि जशे’ -यह घाव कभी योग से भरेगा नहीं।
प्रश्न (i) 1934-35 में गाँधी जी मगनवाड़ी में रहने के बाद कहाँ जा बैठे?
(क) गाँव की सरहद पर एक पेड़ के नीचे
(ख) वर्धा आश्रम में
(ग) साबरमती आश्रम में
(घ) कहाँ भी
उत्तर: (क) गाँव की सरहद पर एक पेड़ के नीचे।
(ii) मगनवाड़ी में कौन रहे?
(क) महादेव भाई
(ख) दुर्गा बहन
(ग) चि. नारायण
(घ) ये सभी
उत्तर: (घ) ये सभी।
(iii) महादेव किस परिस्थिति में कहाँ पहुँचते थे?
(क) मगनवाड़ी से गर्मी में पैदल चलकर सेवाग्राम पहुँचते थे
(ख) दिन भर काम करके शाम को वापस पैदल लौटते थे
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) कहीं नहीं
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(iv) इसका क्या प्रतिकूल असर पड़ा?
(क) महादेव भाई बीमार पड़ गए
(ख) उनकी अकाल मृत्यु हो गई
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) बुरा प्रभाव
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(v) महादेव भाई की मौत का घाव किसके दिल में जीते जी बना रहा?
(क) महात्मा गाँधी जी के
(ख) आश्रमवासियों के
(ग) उनके प्रशंसकों के
(घ) सभी के
उत्तर: (क) महात्मा गाँधी जी के।
(5) बिहार और उत्तर प्रदेश के हजारों मील लंबे मैदान गंगा, यमुना और दूसरी नदियों के परम उपकारी सोने की कीमत वाले ‘गाव’ के बने हैं। आप सौ-सौ कोस चल लीजिए रास्ते में सुपारी फोड़ने लायक एक पत्थर भी कहाँ मिलेगा नहीं। इसी तरह महादेव के सम्पर्क में आने वाले किसी को भी ठोस या ठोकर की बात तो दूर रही, खुरदरी मिट्टी या कंकरी भी कभी चुभती नहीं थी। उनकी निर्मल प्रतिभा उनके सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति को चंद्र शुक्र की प्रभा के साथ दूधों नहला देती थी। उसमें सराबोर होने वाले के मन से उनकी इस मोहिनी का नशा कई-कई दिन तक उतरता न था।
प्रश्न (i) बिहार और उत्तर प्रदेश के लंबे मैदान किससे बने हैं?
(क) गाद से
(ख) मिट्टी से
(ग) कीचड़ से
(घ) रेत से
उत्तर: (क) गाद से।
(ii) सौ-सौ कोस चलने पर भी क्या नहीं मिलता?
(क) सुपारी
(ख) पत्थर
(ग) पानी
(घ) सड़क
उत्तर: (ख) पत्थर।
(iii) महादेव का स्वभाव कैसा था?
(क) सरल
(ख) निर्मल
(ग) कोमल
(घ) ये सभी गुण
उत्तर: (घ) ये सभी गुण।
(iv) उनकी सूरत का नशा कैसा था?
(क) मनमोहक
(ख) अच्छा
(ग) सामान्य
(घ) कहा नहीं जा सकता
उत्तर: (क) मनमोहक।
(v) ‘निर्मल’ शब्द में उपसर्ग क्या है?
(क) नि
(ख) निर्
(ग) मल
(घ) ल
उत्तर: (ख) निर्।
(6) आकाश के तारों में शुक्र का कोई जोड़ नहीं। शुक्र चंद का साथी माना गया है। उसकी आभा-प्रभा का वर्णन करने में संसार के कवि थके नहीं। फिर भी नक्षत्र मंडल में कलगी रूप इस तेजस्वी तारे को दुनिया या तो ऐन शाम के समय, बड़े सवेरे घटें-दो-घंटे से अधिक देख नहीं पाती। इसी तरह भाई महादेव जी आधुनिक भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में अपनी वैसी ही आभा से हमारे आकाश को जगमगाकर, देश और दुनिया को मुग्ध करके, शुक्र तारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए। सेवाधर्म का पालन करने के लिए इस धरती पर जनमे स्वर्गीय महादेव देसाई गाँधीजी के मंत्री थे। मित्रों के बीच विनोद में अपने को गांधीजी का ‘हम्माल’ कहने में और कभी-कभी अपना परिचय उनके ‘पीर बावर्ची भिश्ती खर’ के रूप में देने में वे गौरव का अनुभव किया करते थे।
प्रश्न (i) आकाश में किस तरह का जोड़ नहीं है?
(क) शुक्र का
(ख) शनि का
(ग) बृहस्पति का
(घ) वीनस का
उत्तर: (क) शुक्र का।
(ii) तेजस्वी तारा किसे कहा गया है?
(क) शुक्र तारे को
(ख) चन्द्रमा को
(ग) बोनस को
(घ) शनि को
उत्तर: (क) शुक्र तारे को।
(iii) ‘स्वतंत्रता’ शब्द कैसे बना है?
(क) स्व + तंत्र + ता
(ख) स्वतंत्र + ता
(ग) स्व + तंत्रता
(घ) स्व + तं + त्रता
उत्तर: (क) स्व + तंत्र + ता।
(iv) हम्माल किसे कहते हैं?
(क) कुली को
(ख) नाई को
(ग) धोबी को
(घ) सेवक को
उत्तर:(क) कुली को।
(v) ‘गौरव’ शब्द व्याकरण में क्या है?
(क) विशेषण
(ख) भाववाचक संज्ञा
(ग) सर्वनाम
(घ) क्रिया
उत्तर: (ख) भाववाचक संज्ञा।
(7) कुछ ही दिनों में ‘क्रॉनिकल’ के निडर अंग्रेज संपादक हानमैिन को सरकार ने देश-निकाले की सजा देकर इंग्लैंड भेज दिया। उन दिनों बंबई के तीन नए नेता थे-शंकरलाल बैंकर, उम्मर सोवानी और जमनादास द्वारकादास। इनमें अंतिम श्रीमती बेसेंट के अनुयायी थे। ये लोग ‘यंग इंडिया’ नाम का एक अंग्रेजी साप्ताहिक भी निकालते थे लेकिन उसमें क्रॉनिकल’ वाले हॉनीमैन ही मुख्य रूप से लिखते थे। उनको देश निकाला मिलने के बाद इन लोगों को हर हफ्ते साप्ताहिक के लिए लिखने वालों की कमी रहने लगी। ये तीनों नेता गाँधीजी के परम प्रशंसक थे और उनके सत्यग्रह-आंदोलन में बंबई के बेजोड़ नेता भी थे। इन्होंने गाँधीजी से विनती की कि वे ‘यंग इंडिया’ के संपादक बन जाएँ। गांधीजी को तो इसकी सख्त जरूरत थी ही। उन्होंने विनती तुरंत स्वीकार कर ली।
प्रश्न (i) क्रॉनिकल का संपादक कौन था?
(क) हानीमै
(ख) सोवानी
(ग) जेनिफर
(घ) बेजांमिन
उत्तर: (क) हार्नीमैन।
(ii) संपादक का स्वभाव कैसा था?
(क) निडर
(ख) पक्षपाती
(ग) सच्चा
(घ) भयभीत
उत्तर: (क) निडर।
(iii) उन दिनों मुंबई में कौन-से नए नेता थे?
(क) शंकरलाल बैंकर
(ख) उम्मर सोवानी
(ग) जमनादास द्वारकादास
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।
(iv) ये तीनों किसके प्रशंसक थे?
(क) महादेव देसाई के
(ख) महात्मा गाँधी के
(ग) जवाहरलाल नेहरू के
(घ) वल्लभभाई पटेल के
उत्तर: (ख) महात्मा गाँधी के।
(v) अब गाँधी जी क्या बन गए?
(क) क्रॉनिकल के संपादक
(ख) नवजीवन के संपादक
(ग) यंग इंडिया के संपादक
(घ) लेखक
उत्तर: (ग) यंग इंडिया के संपादक।
(8) सन् 1919 में जलियाँवाला बाग के हत्याकांड के दिनों में पंजाब जाते हुए गांधीजी को पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया था। गांधीजी ने उसी समय महादेव भाई को अपना वारिस कहा था। सन् 1929 में महादेव भाई आसेतुहिमाचल, देश के चारों कोनों में, समूचे देश के दुलारे बन चुके थे।
इसी बीच पंजाब में फौजी शासन के कारण जो कहर बरसाया गया था, उसका ब्योरा रोज-रोज आने लगा। पंजाब के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करके फौजी कानून के तहत जन्म-कैद की सजाएँ देकर कालापानी भेज दिया गया। लाहौर के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक श्री कालीनाथ राय को 10 साल की जेल की सजा मिली।
प्रश्न (i) सन् 1919 में कौन-सी घटना ने पंजाब में हाहाकार मचा दिया था?
(क) आंतकवादी हमलों ने
(ख) नेताओं की गिरफ्तारी ने
(ग) जलियाँवाला बाग हत्याकाड ने
(घ) भगत सिंह की फाँसी ने
उत्तर: (ग) जलियाँवाला बाग हत्याकाड ने।
(ii) महादेव भाई देसाई कौन थे?
(क) गाँधी जो के सहपाठी
(ख) गाँधी जी के निजी सचिव
(ग) एक समाज सुधारक
(घ) एक राजनेता
उत्तर: (ख) गाँधी जी के निजी सचिव।
(iii) पलवल स्टेशन पर किसे गिरफ्तार कर लिया गया?
(क) महादेव भाई को
(ख) गाँधी जी को
(ग) कालीनाथ राय को
(घ) पीड़ितों को
उत्तर: (ख) गाँधी जी को।
(iv) श्री कालीनाथ राय को कितने साल की सजा मिली?
(क) पाँच
(ख) सात
(ग) दस
(घ) नौ
उत्तर: (ग) दस।
(v) पंजाब के अधिकतर नेताओं को कहाँ भेज दिया गया था?
(क) लाहौर
(ख) कालापानी
(ग) पलवल स्टेशन
(घ) पंजाब
उत्तर: (ख) कालापानी।
(9) इसके अलावा महादेव, देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधीजी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर टीका-टिप्पणी करते रहते थे, उनको आड़े हाथों लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर, चौकसाई, ऊंचे से ऊंचे ब्रिटिश समाचार-पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का आग्रह और कहर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होने वाली विनय- विवेक युक्त विवाद करने की गांधीजी की तालीम, इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार पत्रों की दुनिया में और एग्लो-इंडियन समाचार पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाड़ला बना दिया था।
प्रश्न (i) महादेव भाई कैसे लेख लिखते थे?
(क) विदेश देश के प्रमुख समाचार पत्रों में टीका-टिप्पणी का जवाब
(ख) उन लेखकों को आड़े हाथों लेते थे
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) अन्य बातें
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(ii) महादेव के लेख कैसे होते थे?
(क) बेजोड़
(ख) सावधानी पूर्वक लिखे
(ग) ब्रिटिश परंपराओं के अनुरूप
(घ) ये सभी
उत्तर: (घ) ये सभी।
(iii) महादेव देसाई क्यों सभी के लाडले बन गए?
(क) अपनी सत्यनिष्ठा के कारण
(ख) विनय-विवेक युक्त विवाद करना के कारण
(ग) गाँधी जी की तालीम के कारण
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।
(iv) महादेव कहाँ के समाचार-पत्रों में लोकप्रिय थे?
(क) दुनिया भर के समाचार-पत्रों में
(ख) एंग्लो-इंडियन समाचार-पत्रों में
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) सभी में
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(v) ‘लाडला’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर: (ग) देशज।
(10) भारत में उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। वाइसराय के नाम जाने वाले गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे। उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी सांस उसाँस लेते रहते थे। भले ही उन दिनों ब्रिटिश सल्तनत पर कहीं सूरज न डूबता हो लेकिन उस सल्तनत के ‘छोटे वादशाह’ को भी गाँधीजी ने सेक्रेटरी के समान खुशनसीब कहाँ मिला था? बड़े-बड़े सिविलियन और गवर्नर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में महादेव के समान अक्षर लिखने वाला कहीं खोजने पर भी नहीं मिलता था। पढ़ने वाले को मंत्रमुग्ध करने वाला शुद्ध और सुंदर लेखन।
प्रश्न (i) भारत में किनके अक्षरों का सानी नहीं था?
(क) गाँधी जी का
(ख) महादेव देसाई का
(ग) वाइसराय का
(घ) अन्य लेखकों का
उत्तर: (ख) महादेव देसाई का।
(ii) ‘लिखावट’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) वट
(ख) आवट
(ग) लिखाई
(घ) लेख
उत्तर: (ख) आवट।
(iii) ‘छोटा बादशाह’ किसे कहा गया है?
(क) वाइसराय को
(ख) महारानी का बेटा
(ग) सेक्रेटरी को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर: (क) वाइसराय को।
(iv) ‘खुशनसीब’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर: (घ) विदेशी।
(v) महादेव की लिखावट कैसी थी?
(क) सुंदर
(ख) अच्छी
(ग) सामान्य
(घ) वैसी
उत्तर: (क) सुंदर।
(11) गांधीजी का काम इतना बढ़ गया कि साप्ताहिक पत्र भी कम पड़ने लगा। गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ को हफ्ते में दो बार प्रकाशित करने का निश्चय किया। हर रोज का पत्र-व्यवहार और मुलाकातें, आम सभाएँ आदि कामों के अलावा ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में छापने के लेख, टिप्पणियों, पंजाब के मामलों का सारसंक्षेप और गांधीजी के लेख यह सारी सामग्री हम तीन दिन में तैयार करते। यग इंडिया’ के पीछे-पीछे ‘नवजीवन’ भी गांधीजी के पास आया और दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलने लगे। छह महीनों के लिए मैं भी साबरमती आश्रम में रहने पहुंचा।
प्रश्न (i) गाँधी जी ने ‘यंग इंडिया’ को एक हफ्ते में कितनी बार प्रकाशित करने का निश्चय किया?
(क) तीन
(ख) दो
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर: (ख) दो।
(ii) गाँधी जी ने किस अखवार को हफ्ते में दो बार निकालने का निश्चय किया?
(क) बांबे क्रॉनिकल
(ख) नवजीवन
(ग) यंग इंडिया
(घ) युग-चेतना
उत्तर: (ग) यंग इंडिया।
(iii) गाँधी जी ने लेखको कितने दिनों में तैयार किया जाता था?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) छः
(घ) तीन
उत्तर: (घ) तीन।
(iv) यंग इंडिया और नवजीवन कहाँ से निकलते थे?
(क) अहमदाबाद
(ख) सूरत
(ग) पंजाब
(घ) राजस्थान
उत्तर: (क) अहमदाबाद।
(v) सत्याग्रह आंदोलन में लीन रहने के कारण गाँधी जी का काम_____ हो गया था।
(क) आसान
(ख) बढ़
(ग) कम
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (ख) बढ़।
(12) गाँधीजी के सामने जुल्मों और अत्याचारों को कहानियाँ पेश करने के लिए आने वाले पीड़ितों के दल के दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे। महादेव उनकी बातों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार करके उनको गाँधीजी के सामने पेश करते थे और आने वालों के साथ उनकी रू-ब-रू मुलाकातें भी करवाते थे। गाँधीजी बंबई के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ‘बंबई क्रॉनिकल’ में इन सब विषयों पर लेख लिखा करते थे। क्रॉनिकल में जगह को तंगी बनी रहती थी। कुछ ही दिनों में ‘क्रॉनिकल’ के निडर अंग्रेज संपादक हानीमैन को सरकार ने देश निकाला की सजा देकर इंग्लैंड भेज दिया।
प्रश्न (i) मणिभवन पर किनके दल आते रहते थे?
(क) जुल्मों-अत्याचारों को कहानियाँ लेकर आने वाले
(ख) पीड़ितों के
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) दर्शनार्थियों के
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(ii) महादेव क्या काम करते थे?
(क) उनकी बातें सुनते थे
(ख) संक्षिप्त टिप्पणी तैयार करते थे
(ग) उनको गाँधी जी के सामने पेश करते थे
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।
(iii) गाँधी जी किसमें लेखक लिखते थे?
(क) बंबई क्रॉनिकल में
(ख) यंग इंडिया में
(ग) नवजीवन में
(घ) सभी में
उत्तर: (क) बंबई क्रॉनिकल में।
(iv) हानमैन के साथ क्या व्यवहार किया गया?
(क) उन्हें देश निकाले की सजा दी गई
(ख) उन्हें संपादक पद से हटा दिया गया
(ग) उन्हें इंग्लैंड भेज दिया गया
(घ) कुछ नहीं
उत्तर: (क) उन्हें देश निकाले की सजा दी गई।
(v) ‘क्रॉनिकल’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर: (घ) विदेशी।
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1. महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे?
उत्तर: महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती खर’ के रूप में देते थे और इसमें गौरव का अनुभव करते थे। ऐसा व्यक्ति सभी प्रकार के काम सफलतापूर्वक कर लेता है । वे कभी-कभी स्वयं को गाँधीजी का ‘हम्माल’ (कुली) भी कहते थे।
प्रश्न 2. ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी?
उत्तर: ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी इसलिए रहने लगी, क्योंकि उसमे ‘क्रॉनिकल’ वाले संपादक हार्नीमैन ही मुख्य रूप से लिखते थे और उन्हें देश निकाला देकर इंग्लैंड भेज दिया गया था। अतः मुख्य लिखने वाला तो चला गया।
प्रश्न 3. गाँधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?
उत्तर: गाँधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के बारे में यह निश्चय किया कि इसे हफ्ते में दो बार प्रकाशित किया जाए।
प्रश्न 4. गाँधीजी से मिलने से पहले महादेव जी कहाँ नौकरी करते थे?
उत्तर: गाँधीजी से मिलने से पहले महादेव अपनी विद्यार्थी अवस्था में सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे।
प्रश्न 5. महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?
उत्तर: महादेव भाई के झोलों में ताजे समाचार-पत्र, मासिक-पत्र और पुस्तकें भरी रहती थीं। ये चीजें झोलों में ठूंस-ठूंसकर भरी होती थीं।
प्रश्न 6. महादेव भाई ने गाँधीजी की कौन सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?
उत्तर: महादेव भाई ने गाँधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी में अनुवाद किया।
प्रश्न 7. अहमदाबाद से कौन से दो साप्ताहिक निकलते थे।
उत्तर: अहमदाबाद से निकलने वाले साप्ताहिक पत्र थे-
1. यंग इंडिया,
2. नवजीवन।
प्रश्न 8. महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?
उत्तर: महादेव भाई दिन में 17-18 घंटे काम करते थे।
प्रश्न 9. महादेव भाई से गाँधीजी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?
उत्तर: निम्नलिखित वाक्य से महादेव भाई की गांधीजी से निकटता सिद्ध होती है-
‘ए रे जख्म जोगे जहि जशे’- यह घाव कभी योग से भरेगा नहीं।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1. गाँधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?
उत्तर: जब गाँधीजी को वर्ष 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब जाने से रोकने के लिए पलवल रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया, तब उन्होंने उसी समय महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।
प्रश्न 2. गाँधीजी से मिलने आने वालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?
उत्तर: जो लोग गाँधीजी से मिलने आते थे, महादेव भाई उनकी बातों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार कर गाँधीजी के सामने प्रस्तुत करते थे।
प्रश्न 3. महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?
उत्तर: महादेव भाई ने ‘चित्रांगदा’ कच- देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित ‘विदाई का अभिशाप’ शीर्षक नाटिका; ‘शरद बाबू की कहानियाँ’ आदि का अनुवाद कर अपना साहित्यिक योगदान किया।
प्रश्न 4. महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर: महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण था उनका भरी गर्मी में वर्धा से चलकर सेवाग्राम तक प्रतिदिन पैदल चलकर आना और जाना। इस आने-जाने में पूरे 11 मील चलना पड़ता था। यह सिलसिला लंबे समय तक चला। इसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और यह उनकी अकाल मृत्यु का कारण बना।
प्रश्न 5. महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गाँधीजी क्या कहते थे?
उत्तर: महादेव भाई के लिखे नोट को गाँधीजी काफी प्रामाणिक मानते थे, इसलिए वे लोगों के लिखे हुए को महादेव भाई के नोट से मिलाने को कहते, जिससे वर्तनी वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ ‘न’ के बराबर रहें।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1. पंजाब में फौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?
उत्तर: पंजाब में फौजी शासन ने यह कहर बरसाया कि पंजाब के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करके फौजी कानून के तहत उम्र कैद की सजाएँ देकर कालापानी भेज दिया। लाहौर के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक श्री कालीनाथ राय को दस साल की जेल की सजा दी गई। लोगों पर अनगिनत अत्याचार किए गए।
प्रश्न 2. महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था?
उत्तर: महादेव जी के व्यक्तित्व में अनेक गुण थे। इन गुणों में उनकी योग्यता, अद्भुत कार्यक्षमता, गाँधीजी के लिए बहुपयोगी होना, हर रोज का पत्र व्यवहार, मुलाकातें तथा सभाओं की व्यवस्था करना शामिल था। उनके बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसी, पूरी सत्यनिष्ठा, गाँधीजी का आग्रह आदि गुणों ने सभी का लाडला बना दिया था।
प्रश्न 3. महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर: महादेव जी गाँधीजी के पत्रों को लिखते। उनकी लिखावट और वर्तनी संबंधी सावधानी का भारत में कोई सानी नहीं था। वायसराय के नाम जाने वाले गाँधीजी के पत्र हमेशा महादेव जी की लिखावट में जाते थे। इन पत्रों की शानदार लिखावट से वायसराय भी अभिभूत हो उठते और उनके मन में महादेव भाई जैसा सेक्रेटरी पाने की इच्छा जाग उठती। बड़े-बड़े गवर्नर कहते थे कि पूरे ब्रिटिश प्रशासन में महादेव भाई जैसा लिखने वाला कोई नहीं है। पढ़ने वालों को उनकी लेखनी मंत्रमुग्ध कर देती थी।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
1. अपना परिचय उनके ‘पीर बावर्ची भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।
उत्तर: महादेव भाई गाँधीजी के लिए बहूपयोगी व्यक्ति थे। वे उनके सभी छोटे-बड़े काम अत्यंत कुशलतापूर्वक संपन्न कर देते थे। इसी कारण वे स्वयं को गाँधीजी के ‘पीर बावर्ची-भिश्ती खर’ कहते थे और इसमें वे गौरव का अनुभव करते थे।
2. इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफेद और सफेद को स्याह करना होता था।
उत्तर: वकालत के पेशे में गलत को सही और सही को गलत सिद्ध करना होता है। वहाँ पूरी सच्चाई से काम नहीं चलता।
3. देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।
उत्तर: महादेव भाई शुक्रतारे के समान थे। वे अल्प काल तक अपनी छटा से सबको मोहित करते रहे। जैसे शुक्रतारा अचानक छिप जाता है, उसी प्रकार महादेव भाई भी असमय काल के ग्रास बन गए।
4. उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस उसाँस लेते रहते थे।
(निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर: महादेव भाई के लिखे पत्र, जिन्हें वे गाँधीजी की ओर से लिखते थे, दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय भी पढ़कर हैरत में पड़ जाते थे और लंबी-लंबी साँसें लेने पर विवश हो जाते थे।
भाषा-अध्ययन
1. ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए-
सप्ताह – साप्ताहिक अर्थ – आर्थिक
साहित्य – साहित्यिक धर्म – धार्मिक
व्यक्ति – वैयक्तिक मास – मासिक
राजनीति – राजनीतिक वर्ष – वार्षिक
2. नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए-
अ, नि, अन, नि, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि
उत्तर:
आर्य – अनार्य
आगत – अनागत
डर – निडर
आकर्षण – विकर्षण
सार्थक – निरर्थक
मार्ग – सुमार्ग
सुलभ – दुर्लभ
लोक – परलोक
क्रय – विक्रय
भाग्य – अभाग्य
उपस्थित – अनुपस्थित
आयात – निर्यात
नायक – अधिनायक
विश्वास – अविश्वास।
3. निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
आड़े हाथों लेना
दाँतों तले अंगुली दबाना
लोहे के चने चबाना
अस्त हो जाना
मंत्र-मुग्ध करना
उत्तर: आड़े हाथों लेना : नौकर को देर से आने पर मालिक ने आड़े हाथों लियो।
दाँतों तले अंगुली दबाना : मैं ताजमहल का सौंदर्य देखकर दाँतों तले अँगली दबा गया ।
लोहे के चने चबाना : परीक्षा में प्रथम श्रेणी लाने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ते हैं।
अस्त हो जाना : अंग्रेजों का सूर्य अस्त हो गया।
मंत्र-मुग्ध करना : इस अध्यापक ने छात्रों को मंत्र-मुग्ध कर दिया है।
4. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए-
वारिस, जिगरी, कहर, मुकाम, रूबरू, फर्क, तालीम, गिरफ्तार
उत्तर: उत्तराधिकारी
उत्तर: पक्का
उत्तर: जुल्म
उत्तर: मंजिल
उत्तर: आमने-सामने
उत्तर: अंतर
उत्तर: शिक्षा
उत्तर: कैद।
5. उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए-
उदाहरण : गाँधीजी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।
गाँधीजी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे।
1. महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर बावर्ची भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे।
उत्तर: महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर बावर्ची-भिश्ती- ‘खर’ के रूप में दिया करते थे।
2. पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।
उत्तर: पीड़ितों के दल के दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ा करते थे।
3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे।
उत्तर: दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।
4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गाँधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।
उत्तर: देश-विदेश के समाचार-पत्र गाँधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी किया करते थे।
5. गाँधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।
उत्तर: गाँधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाया
करते थे।
योग्यता-विस्तार
1. गाँधीजी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ को पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
2. जलियाँवाला बाग में कौन-सी घटना हुई थी? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
3. अहमदाबाद में बापू के आश्रम के विषय में चित्रात्मक जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
4. सूर्योदय के 2-3 घंटे पहले पूर्व दिशा में या सूर्यास्त के 2-3 घंटे बाद पश्चिम दिशा में एक खूब चएकता हुआ ग्रह दिखाई देता है, वह शुक्र ग्रह है। छोटी दूरबीन से इसकी बदलती हुई कलाएँ देखी जा सकती हैं, जैसे चंद्रमा की कलाएँ।
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
5. वीराने में जहाँ बत्तियाँ न हों वहाँ अँधेरी रात में जब आकाश में चाँद भी दिखाई न दे रहा हो तब शुक्र ग्रह (जिसे हम शुक्र तारा भी कहते हैं) के प्रकाश से अपने साए को चलते हुए देखा जा सकता है। कभी अवसर मिले तो इसे स्वयं अनुभव करके देखिए।
परियोजना कार्य
1. सूर्यमंडल में नौ ग्रह हैं। शुक्र सूर्य से क्रमशः दूरी के अनुसार दूसरा ग्रह है और पृथ्वी तीसरी। चित्र सहित परियोजना पुस्तिका में अन्य ग्रहों के क्रम लिखिए।
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
2. ‘स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधीजी का योगदान’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
3. भारत के मानचित्र में निम्न स्थानों को दर्शाएँ :
अहमदाबाद, जलियाँवाला बाग (अमृतसर), कालापानी (अंडमान), दिल्ली, शिमला, बिहार, उत्तर प्रदेश।
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
(क) लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. महादेव देसाई के किन्हीं दो गुणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: महादेव देसाई के दो प्रमुख गुण थे :
(1) उनकी प्रथम श्रेणी की शिष्ट, संस्कार सम्पन्न भाषा और मनोहर लेखन शैली।
(2) महादेव भाई का शिष्ट एवं शालीन व्यवहार सभी को मोहता था। जो उनके सम्पर्क में आता था, वही उन्हीं का होकर रह जाता था।
प्रश्न 2. गाँधीजी से मिलने आने वाले लोगों की सहायता महादेव भाई किस प्रकार किया करते थे? ‘शुक्रतारे के समान’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: अंग्रेजी सरकार के अत्याचार से पीड़ितों के दल-के-दल अत्याचार की कहानी तथा वृत्तांत सुनाने गाँधीजी के सामने गाम देवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे। गाँधीजी से मिलने वाले आगंतुक सर्वप्रथम महादेव जी से मिलकर अपनी-अपनी समस्याएँ सुनाया करते थे। फिर महादेव जी उनकी सारी बातों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार कर उन्हें गाँधीजी के सामने पैदा करते थे तथा आंगुतकों की मुलाकात गाँधीजी से कराते थे।
प्रश्न 3. महादेव देसाई कौन थे? उनका योगदान क्या रहा है?
उत्तर: महादेव देसाई गाँधीजी के निजी सचिव थे। उनकी प्रतिभा बेजोड़ थी। महादेव भाई की सरलता, सज्जनता, निष्ठा, समर्पण, लगन, निरभिमान एवं ईमानदारी प्रशंसनीय थी। वे गाँधीजी के सभी कार्यों में सहायता करते थे। महादेव भाई की लेखन कला के सभी कायल थे। वे इतनी सटीक टिप्पणी लिखते थे कि अंग्रेज शासक भी उनका लोहा मानते थे। उनके सारे कामकाज गाँधी जी के साथ एकरूप होकर गुँथ गए थे। उन्होंने अनुवाद कार्य भी किया।
प्रश्न 4. गाँधी जी के जीवन में महादेव जी का क्या स्थान रहा?
उत्तर: गाँधी जी के जीवन में महादेव भाई का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान था। वे गाँधीजी के हृदय में रच-बस गए थे। उनकी मृत्यु के पश्चात् भी गाँधीजी उन्हें भूल नहीं पाए। जीवित मृत्यु रहते हुए महादेव भाई ने गाँधीजी द्वारा प्रदत्त सभी कार्यों को पूरी निष्ठा के साथ किया। महादेव भाई का गाँधीजी पर इतना गहरा प्रभाव था कि उनकी मृत्यु के बाद भी गाँधीजी के मुँह से अनायास उनका नाम निकल जाता था।
प्रश्न 5. महादेव भाई के संपर्क में आने वाले लोगों को क्या मिलता था?
उत्तर: महादेव भाई के संपर्क में आने वाले लोगों को उनकी निर्मल प्रतिभा चंद्र-शुक्र की प्रभा के साथ दूधों नहला देती थी। उसमें सरोबार होने वाले के मन से उनकी इस मोहिनी का नशा कई-कई दिन तक उतरता नहीं था।
प्रश्न 6. महादेव भाई ने वकालत किसके साथ पढ़ी? यह पेशा उन्होंने क्यो छोड़ दिया?
उत्तर: महादेव भाई ने नरहरि भाई के साथ वकालत पढ़ी, लेकिन वकालत का यह पेशा स्याह को सफेद तथा सफेद को स्याह करने के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। महादेव भाई झूठ का साथ नहीं देना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने यह पेशा छोड़ दिया।
प्रश्न 7. महादेव जी को शुक्रतारे के समान क्यों माना गया है?
उत्तर: शुक्र तारा चंद्रमा का साथी माना जाता है। नक्षत्र मंडल में कलगी रूप इस तेजस्वी तारे को दुनिया या तो ऐन शाम के समय या बड़े सवेरे घंटे दो घंटे से अधिक नहीं देख पाती। इसी अल्पकाल में यह तारा अपनी आभा से सभी को चमत्कृत कर देता है। महादेव भाई भी ऐसे ही थे। वे अल्पकाल तक अपनी प्रतिभा और आभा से भारतीय जनमानस को मुग्ध करके शुक्रतारे के समान अचानक लुप्त हो गए ( मर गए)।
प्रश्न 8. महादेव भाई की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर: महादेव भाई मोतियों के समान अक्षर लिखते थे।
उनके जैसा खुशनवीश (सुंदर अक्षर लिखने वाला) भला कहाँ मिलता था? उनकी लिखाई पढ़ने वाले को मंत्र-मुग्ध कर देती थी-शुद्ध और सुंदर लिखाई।
प्रश्न 9. महादेव भाई के सम्पर्क में आने वालों को क्या मिलता था?
उत्तर: महादेव भाई के सम्पर्क में आने वालों में देश-विदेश राजपुरुष, राजनीतिज्ञ, पादरी समाचार पत्रों के संपादक आदि के होते थे। इन सभी के साथ महादेव भाई का व्यवहार बहुत कोमल और नम्र होता था। उन्हें उनके व्यवहार से कभी ठेस नहीं पहुँचती थी। वे अपने सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति को अपनी प्रतिभा के बल पर ऐसा सराबोर कर देते थे कि उसका नशा कई दिनों तक नहीं उतरता था।
प्रश्न 10. ‘शुक्रतारे के समान’ पाठ में लेखक का उद्देश्य क्या रहा है?
उत्तर: शुक्रतारे के समान लेखक ने महादेव देसाई को बताया है। वे महात्मा गाँधी के निजी सचिव थे। इस पाठ का उद्देश्य भी महादेव देसाई की विशेषताओं को उकेरना है। वे बेजोड़ प्रतिभा के धनी थे। यह एक रेखाचित्र है। इसमें लेखक ने चरितनायक के व्यक्तित्व, उनकी ऊर्जा, उनकी लगन और अनोखी प्रतिभा से हमें परिचित कराया है। महादेव भाई की सरलता, सज्ज्नता, निष्ठा, समर्पण, लगन प्रशंसनीय हैं। लेखक महादेव देसाई का प्रभावी चित्रण करने में पूर्णतः सफल रहा है।
प्रश्न 11. गाँधी जी ने महादेव देसाई की प्रतिभा को कब पहचान लिया था?
उत्तर: जब 1917 में महादेव देसाई गाँधी जी के पास पहुँचे थे, तभी गाँधी जी ने उनकी प्रतिभा को पहचान लिया था। गाँधी जी ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया था। 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के दिनों में पंजाब जाते हुए गाँधी जी को पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार किया गया था। गाँधी जी ने उसी समय महादेव देसाई को अपना वारिस कह दिया था।
(ख) निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. शुक्रतारे के समान’ किसे कहा गया है और क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘शुक्रतारे के समान’ निबंध के लेखक ने शुक्रतारे से गाँधीजी के सचिव महादेव भाई देसाई की तुलना की है, जो अपने व्यक्तित्व तथा योग्यता का आभास कराकर कम ही समय में इस दुनिया से चल बसे। वे एक अत्यंत प्रतिभाशाली लेखक थे, जिनकी लेखन शक्ति चमत्कारी थी। वे अपने व्यस्ततम जीवन काल में भी अपने नियमित कार्यकलापों को करते रहे। अंततोगत्वा उनका अकाल निधन हो गया, ठीक उसी प्रकार जैसे आकाश में अपनी आभा-प्रभा बिखेरते हुए घंटे-दो घंटे में शुक्रतारा अस्त हो जाता है। इसी ‘अल्पकालीन तीक्ष्ण आभा’ के बिंदु पर शुक्रतारा एवं महादेव भाई के बीच तुलना की गई है।
प्रश्न 2. दैनिक कामकाज को निपटाने के अतिरिक्त महादेव भाई अन्य क्या-क्या काम करते थे? वह कैसे लाडले बने?
(निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर: दैनिक कामकाज के अलावा महादेव देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार-पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गाँधीजी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका-टिप्पणी करते रहते थे, उनके आड़े हाथों लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊँचे-से-ऊँचे ब्रिटिश समाचार-पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गाँधीजी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होने वाली विनय-विवेक-युक्त विवाद करने की गाँधीजी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार-पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार-पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाड़ला बना दिया था।
प्रश्न 3. महादेव भाई की अध्ययन की प्रवृत्ति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: महादेव भाई साहित्यिक पुस्तकों की तरह ही वर्तमान राजनीतिक प्रवाहों और घटनाओं से संबंधित अद्यतन जानकारी वाली पुस्तकें भी पढ़ते रहते थे। हिंदुस्तान से संबंधित देश-विदेश की ताजी-से-ताजी राजनीतिक गतिविधियों और चर्चाओं की नई से नई जानकारी उनके पास मिल सकती थी। सभाओं में, कमेटियों की बैठकों में या दौड़ती रेलगाड़ियों के डिब्बों में ऊपर की बर्थ पर बैठकर, ठूंस-ठूंसकर भरे अपने बड़े-बड़े झोलों में रखे ताजे-से-ताजे समाचार-पत्रों, मासिक-पत्र और पुस्तकें वे पढ़ते रहते अथवा ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ के लिए लेख लिखते रहते।
प्रश्न 4. उग्र और उदार देशभक्तों से क्या तात्पर्य है? ‘शुक्रतारे के समान’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: उग्र एवं उदार देशभक्तों से तात्पर्य भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दो भिन्न प्रकार की विचारधारा से जुड़े देशभक्तों से है। स्वाधीनता संग्राम के दौरान देशभक्तों का एक वर्ग प्रार्थना-पत्र, आवेदन-विनती, सत्याग्रह आदि के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्ति का प्रयास कर रहा था जिसे उदार विचारधारा से जुड़ा माना गया, जबकि इसके विपरीत देशभक्तों का एक ऐसा वर्ग भी था जो आंदोलन, क्रांति, हिंसा आदि के माध्यम से ब्रिटिश शासन पर दबाव बनाकर देश को स्वतंत्र कराने का प्रयास कर रहा था, इसे उग्र विचारधारा से जुड़ा वर्ग माना गया।
प्रश्न 5. गामदेवी के मणिभवन पर कौन-कौन से लोग गाँधीजी से मिलने आते थे? ‘शुक्रतारे के समान’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: गामदेवी के मणिभवन पर ब्रिटिश शासन के अत्याचारों एवं अन्यायों से पीड़ित लोग गाँधीजी से मिलने के लिए आते थे। ये पीड़ित लोग अपने ऊपर हुए अत्याचारों की कहानियाँ बताते थे। इन अत्याचारों के मूल तथ्यों को महादेव भाई संक्षिप्त टिप्पणी के रूप में तैयार करके गाँधी जी के सामने प्रस्तुत करते थे। आवश्यक होने पर वे आने वालों के साथ गाँधीजी की मुलाकात भी करवाते थे। मिलने आने वालों में सामान्य जनता के अतिरिक्त अन्य स्वतंत्रता संग्रामी, वकील, विभिन्न संवाददाता, देश-विदेश के धुरंधर लोग आदि होते थे।
प्रश्न 6. महादेव भाई देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह अचानक अस्त हो गए।’ –आशय स्पष्ट कीजिए।
(निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर: इस कथन का आशय यह है कि महादेव भाई ने अपनी प्रतिभा, योग्यता एवं कार्यक्षमता से पूरे देश और दुनिया को प्रभावित किया। वे कुछ काल के लिए बड़ी तेजी के साथ उभरे चमके, पर उनका अल्पकाल में ही निधन हो गया। उनकी अकाल मृत्यु का कारण उनकी अत्यधिक कार्य व्यस्तता एवं शारीरिक श्रम था । इस संसार से जाने से पूर्व उन्होंने ऐसे-ऐसे काम किए कि पूरी दुनिया उन पर मोहित हो गई। वे जो भी काम करते थे, वे सटीक एवं सुंदर होते थे। उनका व्यवहार अंत तक प्रशंसनीय बना रहा । उनका लेख अत्यधिक सुंदर था। उनकी शिष्ट शैली से सभी प्रभावित होते थे। महादेव भाई का व्यक्तित्व शुक्रतारे के समान था, जो थोड़ी देर के लिए अपना प्रकाश फैलाता है और फिर अस्त हो जाता है। महादेव भाई भी असमय ही अस्त हो गए थे।
प्रश्न 7. “इसी तरह महादेव के संपर्क में आने वाले किसी को भी ठेस या ठोकर की बात तो दूर रही, खुरदरी मिट्टी या कंकरी भी कभी चुभती नहीं थी।” -आशय स्पष्ट कीजिए।
(निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर: महादेव भाई का व्यक्तित्व इतना शालीन था कि सभी उससे प्रभावित होते थे। उनके सम्पर्क में जो भी व्यक्ति आता था, वह उनके शिष्ट व्यवहार का कायल हो जाता था। जो उनसे एक बार मिलता, वह लंबे समय तक उनको याद करता था। वे दूसरों के मान-सम्मान का पूरा-पूरा ध्यान रखते थे। वे अत्यधिक व्यस्त रहने के बावजूद सभी से प्रेमपूर्वक मिलते थे। वे रात-दिन में कभी कोई अंतर नहीं करते थे। वे कभी आगुंतकों को आघात नहीं पहुँचाते थे। आघात तो दूर की बात, वे तो उन्हें जरा सा भी कष्ट नहीं होने देते थे। महादेव भाई का जन्म ही परोपकार के लिए हुआ था। उनकी निर्मल प्रतिभा उनके सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति को चंद्र-शुक्र की प्रभा के साथ दूधों नहला देती थी। लोगों के दिल-दिमाग पर उनकी मोहिनी का नशा छा जाता था, जो कई-कई दिन तक नहीं उतरता था।
प्रश्न 8. महात्मा गाँधी ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक के संपादक कैसे बने?
उत्तर: महात्मा गाँधी मुंबई के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ‘बाम्बे क्रानिकल’ के लिए लेख लिखा करते थे। कुछ दिनों बाद ‘क्रानिकल’ के निडर अंग्रेज संपादक हार्नी मैन को ब्रिटिश सरकार ने दश निकाले की सजा देकर इंग्लैंड भेज दिया। उन दिनों मुंबई में तीन नए नेता थे-शंकरलाल बैंकर, उम्मर सोबानी और जमनादास द्वारकादास। इनमें अंतिम श्रीमती बेसेंट के अनुयायी थे। ये नेता ‘यंग इंडिया’ नामक अंग्रेजी साप्ताहिक भी निकालते थे। लेकिन उसमें ‘क्रानिकल’ वाले हार्नीमैन ही मुख्य रूप से लिखते थे। उनको देश निकाला मिलने के बाद इन लोगों को हर हफ्ते साप्ताहिक के लिए लिखने वालों की कमी रहने लगी। ये तीनों नेता गाँधी जी के प्रशंसक थे। उन्होंने गाँधी जी से प्रार्थना की कि वे ‘यंग इंडिया’ के संपादक बन जाएँ। गाँधी जी को तो इसकी सख्त जरूरत थी। उन्होंने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली।
प्रश्न 9. ‘एम.डी. को सबका लाडला बना दिया’ -यह एम.डी. कौन था? वह किस-किसका लाडला बन गया?
उत्तर: यह एम.डी. महादेव देसाई थे। वे महात्मा गाँधी के निजी सचिव थे। वे महात्मा गाँधी की यात्राओं एवं गतिविधियों का लिखित ब्यौरा ‘यंग इंडिया’ को भेजते थे। इसके अलावा महादेव देसाई देश-विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्रों के लिए गाँधी जी की गतिविधियों का विवरण भेजते रहते थे। उन अखबारों के संपादक उन पर टीका-टिप्पणी करते रहते थे। उनको आड़े हाथों लेने वाले लेख भी समय-समय पर छापते रहते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसी, ऊँचे-से-ऊँचे ब्रिटिश समाचार पत्रों की परंपराओं को अपना कर चलने का गाँधी जी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ पूरी सत्यनिष्ठा से उत्पन्न होने वाली विनय-विवेक युक्त विवाद करने की गाँधी जी की तालीम इन सब गुणों ने मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच देश-विदेश के सारे समाचारपत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार पत्रों के बीच व्यक्तिगत रूप से एम.डी. (महादेव देसाई) को सबका लाडला बना दिया था।