NCERT Class 9 Hindi Chapter 9 अब कैसे छूटै राम, नाम ऐसी लाल तुझ बिनु

NCERT Class 9 Hindi Chapter 9 अब कैसे छूटै राम, नाम ऐसी लाल तुझ बिनु Solutions to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 9 Hindi Chapter 9 अब कैसे छूटै राम, नाम ऐसी लाल तुझ बिनु and select need one. NCERT Class 9 Hindi Chapter 9 अब कैसे छूटै राम, नाम ऐसी लाल तुझ बिनु Question Answers Download PDF. NCERT Class 9 Hindi Solutions.

NCERT Class 9 Hindi Chapter 9 अब कैसे छूटै राम, नाम ऐसी लाल तुझ बिनु

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 9 Hindi Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 9 Hindi Chapter 9 अब कैसे छूटै राम, नाम ऐसी लाल तुझ बिनु and Textbook for All Chapters, You can practice these here.

अब कैसे छूटै राम, नाम ऐसी लाल तुझ बिनु

Chapter: 9

स्पर्श भाग-1 (काव्य भाग)

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

उपर्युक्त काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर का सही उत्तर चुनकर लिखिए-

1. इस पद के रचयिता कौन हैं?

(क) सूरदास

(ख) रैदास

(ग) तुलसीदास

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

(घ) कबीरदास

उत्तर: (ख) रैदास।

2. कवि ने प्रभु को क्या बताया है?

(क) चंदन

(ख) दीपक

(ग) मोती

(घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।

3. कवि ने स्वयं को क्या माना है?

(क) पानी

(ख) मोर

(ग) बाती

(घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।

4. इस पद पर किस ‘वाद’ का प्रभाव दिखाई देता है?

(क) अद्वैतवाद

(ख) द्वैतवाद

(ग) अष्टछाप

(घ) वैष्णव संप्रदाय

उत्तर: (क) अद्वैतवाद।

5. प्रभु को कैसा बनाया गया है?

(क) गरीब निवाज

(ख) छत्रधारी

(ग) ऊँचा

(घ) त्रिलोचन

उत्तर: (क) गरीब निवाज।

6. कवि का लाल किस पर अधिक कृपा करता है?

(क) नीची जाति के लोगों पर

(ख) सभी पर

(ग) ऊँचे लोगों पर

(घ) किसी पर नहीं

उत्तर: (क) नीची जाति के लोगों पर।

7. ‘मेरा मार्च’ में कौन-सा अलंकार है?

(क) यमक 

(ख) श्लेष

(ग) अनुप्रास

(घ) रूपक

उत्तर: (ग) अनुप्रास।

8. ‘लाल’ शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है?

(क) परमात्मा के लिए

(ख) लाल वस्त्र के लिए

(ग) हनुमान के लिए

(घ) देवता के लिए

उत्तर: (क) परमात्मा के लिए।

पदों पर आधारित विषय बोय, अर्थ बोध और सराहना संबंधी प्रश्न 

प्रश्न 1. कवि रैवास से क्या बात छूट नहीं रही है?

उत्तर: कवि रैदास को राम नाम की रट लग गई है और छूट नहीं रही है। यह राम नाम को रट उसके जीवन का अंग बन गई है।

प्रश्न 2. कवि ने अपने प्रभु को किन-किन रूपों में देखा है? 

उत्तर: कवि ने अपने प्रभु को चंदन, घन (बादल) दीपक, मोती तथा स्वामी के रूप में देखा है।

प्रश्न 3. कवि स्वयं को क्या-क्या बताता है? 

उत्तर: कवि स्वयं को पानी, मोर, बाती, धागा तथा दास बताता है।

प्रश्न 4. इन उदाहरणों के माध्यम से कवि क्या सिद्ध करना चाह रहा है?

उत्तर: इन उदाहरणों के माध्यम से कवि यह बात सिद्ध करना चाह रहा है कि प्रभु कहीं किसी मंदिर या मस्जिद में नहीं विराजते अपितु अतस (हृदय) में सदा विराजमान रहते हैं। दोनों का अटूट संबंध है।

पदों पर आधारित विषय बोध, अर्थ बोध और सराहना संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1. कवि और कविता का नाम लिखिए।

उत्तर: कवि का नाम: रैदास

कविता का नाम: पद।

प्रश्न 2. कवि किसे ‘लाल’ कहकर संबोधित कर रहा है?

उत्तर: कवि अपने प्रभु (परमात्मा) को लाल कहकर संबोधित कर रहा है।

प्रश्न 3. कवि किसे ‘गरीब निवाजु’ कहता है और क्यों?

उत्तर: कवि अपने प्रभु को ‘गरीब निवाजु’ कहता है क्योंकि वह गरीबों, दीन-दुखियों  पर दया करने वाला है। वह ही उनका रक्षक एवं हितैषी है।

प्रश्न 4. ‘जाकी छोति जगत कउ लागे ता पर तुहीं डरे’ इस काव्य पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस काव्य-पंक्ति का आशय यह है कि जब छुआछूत को बुराई संसार के लोगों को लगती है तब तू ही (प्रभु हो) उन पर द्रवित होता है। वह उन पर कृपा करता है।

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

प्रश्न 1. पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीजों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।

उत्तर: पहले पद में भगवान और भक्त की निम्नलिखित

चीजों से तुलना की गई है-

भगवान कीभक्त की
चंदन सेपानी से
घन (बादल) सेमोर से
चाँद सेचकोर से
दीपक सेबत्ती से
मोती सेधागे से
सोने सेसुहागे से

प्रश्न 2. पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे-

पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।

उत्तर: अन्य तुकांत शब्द

मोराचकोरा
बातोराती
धागासुहागा
दासारैदासा

प्रश्न 3. पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए-

उदाहरण: दीपक               बाती

उत्तर: 

चंदनपानी
घनमोर
मोतीधागा
सोनासुहागा

प्रश्न 4. दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ ईश्वर को कहा है। इसका कारण यह है कि ईश्वर ही गरीबों अर्थात् दीन-दुखियों पर दया करने वाला है।

प्रश्न 5. दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागे ता पर तुहीं ढरैं’ -इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस पंक्ति का आशय यह है कि सांसारिक लोग निम्न जाति में उत्पन्न होने वालों के प्रति स्पर्श दोष मानते हुए उन्हें अछूत मानते हैं। पर ईश्वर उन पर विशेष कृपा करता है। वह इन लोगों पर द्रवित होता है।

प्रश्न 6. रैदास ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?

उत्तर: रैदास ने अपने स्वामी को निम्नलिखित नामों से पुकारा है-

1. गरीब निवाजु, 

2. गुसईया, 

3. लाल, 

4. प्रभु।

प्रश्न 7. निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए : 

मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धेरै, छोति तुहीं, गुसईआ

उत्तर:

मोरा – मोर               

चंद – चंद्रमा              

बाती – बत्ती               

जोति – ज्योति            

बरै – जलै                    

गुसईया – गोसाईं

छत्रु – छत्र

धरै – रखै

छोति – छुआछूत

तुहीं – तुम्हीं

राती – रात

प्रश्न 8. नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए:

(क) जाकी अँग-अँग बास समानी।

उत्तर: जाकी अर्थात् प्रभु की प्रत्येक अंग से सुगंध समाई हुई है। हमारा एक-एक अंग प्रभु की सुगंध से महकता है।

(ख) जैसे चितवत चंद चकोरा।

उत्तर: चकोर नामक पक्षी एकटक होकर अपने प्रेमी चंद्रमा की ओर निहारता रहता है। उसी प्रकार भक्त भी एकदम अपने प्रभु को निहारता रहता है।

(ग) जाकी जोति बरै दिन राती।

उत्तर: प्रभु एक ऐसे दीपक के समान हैं, जिसकी ज्योति रात-दिन जलती रहती है। प्रभु का प्रकाश सर्वत्र सभी समय उपलब्ध रहता है।

(घ) ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै।

उत्तर: प्रभु ही सबका कल्याण-कर्ता है। उसके अतिरिक्त कोई ऐसा नहीं है जो गरीबों, दीनों को ऊपर उठाने का काम करता हो।

(ङ) नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै।

उत्तर: कवि ने प्रभु को पतित पावन और उद्धारक बताया है। वह निडर है। प्रभु ही नीच जाति के व्यक्ति को सम्मान प्रदान कर ऊँचा उठाता है।

प्रश्न 9. रैदास के इन पदों का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: रैदास के दो पद संकलित हैं। दोनों पदों में ईश्वर के गुणों का बखान करके उसका गुणगान किया गया है। प्रथम पद में ईश्वर को महान एवं स्वयं को उसका दास बताया गया है।

दूसरे पद में प्रभु को अछूतों, गरीबों तथा दीनों का उद्धारक बताया गया है। प्रभु अपनी कृपा से अछूतों को भी समाज में सम्मानजनक पद दिलवा देता है । हमें उसी ईश्वर की पूजा- उपासना करनी चाहिए।

योग्यता-विस्तार

1. भक्त कवि कबीर, रसखान, गुरु नानक, नामदेव और मीराबाई की रचनाओं का संकलन कीजिए।

उत्तर: अन्य कवियों की रचनाएँ:

कबीर

मोको कहाँ ढूंढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में। 

ना मैं देवल ना मस्जिद, ना काबै कैलास में। 

ना तो कौनों क्रिया करम में, नाहिं जोग बैराग में। 

खोजी होय तो तुरतहि मिलिहौं, पलभर की तालास में। कहै कबीर सुनो भई साधो, सब साँसों की साँस में।

मीरा 

 भजु मन चरण- कंवल अविनासी।

तैताई दीसे धरण-गगन-विच, तेताई सब उठि जासी॥ 

कहा भयो तीरथ व्रत कीन्हे, कहा लिए करवत कासी॥ 

इस देही का गरब न करना, माटी में मिल जासी॥ 

यो संसार चहर की बाजी, सांझ पड़याँ उठ जासी॥ 

कहा भयो है भगवा पहरयाँ, घर तज भए सन्यासी॥ 

जोगी होय जुगति नहिं जाणी, उलटि जनम फिर जासी॥ 

अरज करूँ अबला कर जोरें, स्याम तुम्हारी दासी॥ 

‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर, काटो जम की फाँसी॥

रसखान 

मानुष हौं तो वही ‘रसखानि’, बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।

जो पशु हाँ तो कहा बस मेरा, चरौं नित नंद की धेनु मंझारन।

पाहन हौं तो वही गिरि को जो धर्यो कर छत्र पुरंदर धारन। 

जो खग हाँ तो बसेरों करों नित, कालिंदी कूल कदंब की डारना।

गुरु नानक तथा नामदेव की रचनाओं का संकलन विद्यार्थी स्वयं करें।

2. पाठों में आए दोनों पदों को याद कीजिए और कक्षा में गाकर सुनाइए।

उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।

परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(क) लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. भाव स्पष्ट करो: 

ऐसी लाज तुझ बिनु कौन करै 

गरीब निवाजु गुसईया, मेरे माथे छत्र धरै।

उत्तर: इन पंक्तियों का भाव यह है कि प्रभु गरीब निवाज हैं अर्थात् वे दीन-दुखियों के रखवाले हैं। वे उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। प्रभु कवि के सिर पर छत्र रखकर उसे समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाते हैं।

प्रश्न 2. रैदास ने अपने स्वामी को किन नामों से पुकारा है? 

उत्तर: रैदास ने अपने स्वामी को निम्नलिखित नामों से पुकारा है- लाल, गरीबनिवाज, गोसाईं, गोबिंद।

प्रश्न 3. पठित दूसरे पद के आधार पर बताइए कि रैदास के स्वामी ने किनका उद्धार किया है?

उत्तर: दूसरे पद में बताया गया है कि रैदास के स्वामी ने नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना और सैन का उद्धार किया है। इनको रैदास के स्वामी ने भवसागर से मुक्त कर दिया।

प्रश्न 4. कवि रैदास केसी भक्ति करना चाहते हैं? 

उत्तर: कवि रैदास ऐसी भक्ति करना चाहते हैं जिसमें वे अपने स्वामी के दास बने रहें। वे प्रभु का एक अंश बनकर भक्ति करना चाहते हैं। वे सोने में सुहागे की तरह मिलना चाहते हैं। वे अपने प्रभु की ओर एकटक निहारना चाहते हैं।

प्रश्न 5. रैदास के पठित प्रथम पद का भाव क्या है?

उत्तर: प्रथम पद का भाव यह है कि प्रभु बाहर कहीं मंदिर या मस्जिद में नहीं मिलता वरन् व्यक्ति के हृदय में ही विराजता है। वह हर हाल, हर काल में हमसे श्रेष्ठ और सर्वगुण सम्पन्न है। भक्त और प्रभु में अभिन्नता है। दास प्रभु की भक्ति करके अपने जीवन को धन्य बना सकता है।

प्रश्न 6. चकोर पक्षी का उदाहरण कवि ने किस संदर्भ में दिया है?

उत्तर: चकोर पक्षी अपने प्रिय चाँद की ओर निरंतर निहारता रहता है। यही दशा भक्त की भी होनी चाहिए। उसे भी अपने प्रियतम प्रभु को चितवत (एकटक निहारना चाहिए, तभी उसे प्रभु मिलते हैं। 

प्रश्न 7. रैदास अपने पदों के द्वारा हमें क्या संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर: रैदास अपने पदों के द्वारा यह संदेश देना चाहते हैं कि प्रभु की भक्ति करने के लिए बाह्य आडंबरों का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं है। प्रभु तो समदर्शी हैं तथा गरीबों और निम्न कुल में जन्मे लोगों के उद्धारकर्ता हैं। हमें उस पर पूरा विश्वास रखना चाहिए।

प्रश्न 8. ‘नीचहुँ ऊँच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै’-का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कवि रैदास अपने गोविंद (प्रभु) के स्वभाव की विशेषता बताते हुए कहता है कि वह नीच कहे जाने वाले व्यक्तियों को अपनी कृपा से ऊँचा बना देता है अर्थात् समाज में उन्हें ऊँचा स्थान दिला देता है। वह सर्वथा निडर होता है। उसे किसी का भय नहीं होता।

प्रश्न 9. ‘गरीब निवाजु गुसईया’ की किस कृपा का वर्णन कवि ने किया है?

उत्तर: ‘गरीब निवाजु गुसईया’ में कवि अपने स्वामी की कृपा का वर्णन करता है। उसका स्वामी गरीबों पर कृपा करने वाला है। वह गरीबों पर दया करने वाला है। वह उनका उद्धार करता है।

प्रश्न 10. रैदास के ‘लाल’ की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर: रैदास के लाल की यह विशेषता है कि गरीबों का उद्धार करने में सबसे आगे हैं। वे गरीबों-निम्न जाति के लोगों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिला देते हैं। इस काम में वे किसी से नहीं डरते।

प्रश्न 11. रैदास ने प्रभु को चाँद और स्वयं को चकोर क्यों माना है?

उत्तर: रैदास ने प्रभु को चाँद और स्वयं को चकोर माना है। इसका कारण यह है कि कवि रैदास अपने स्वामी को उसी प्रकार चितवत निहारता रहता है, जैसे चकोर पक्षी चाँद की ओर देखता रहता है। इससे कवि की एकनिष्ठता प्रकट होती है। 

प्रश्न 12. कवि रैदास नामदेव, कबीर, त्रिलोचन और सधना की चर्चा क्यों करते हैं?

उत्तर: कवि रैदास इन संतों की चर्चा इसलिए करते हैं क्योंकि उसके स्वामी गोविंद ने इन सभी का उद्धार किया है। इसी प्रकार कवि अपना भी उद्धार कराना चाहता है।

प्रश्न 13. रैदास ने दूसरे पद में छुआछूत की बात क्यों की है?

उत्तर: रैदास ने दूसरे पद में छुआछूत की बात इसलिए की ताकि वे समाज से छुआछूत की भावना को मिटा सकें। ईश्वर सभी पर अपनी कृपा करते हैं। वे अछूतों पर विशेष रूप से द्रवित होते हैं। रैदास अछूतों को भी समाज में सम्मान दिलाना चाहते थे।

प्रश्न 14. ‘ऐसी लाल तुझ बिनु’ पद में ईश्वर की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?

उत्तर: इस पद में ईश्वर की ये विशेषताएँ बताई गई हैं-

• वह गरीबों पर विशेष दया भाव दर्शाता है।

• वह गरीबों को समाज में सम्मान दिलवाता है।

• वह अछूतों से विशेष प्रेम करता है।

• वह नीच को भी ऊँचा बना देता है। 

• वह किसी से भयभीत नही होता।

प्रश्न 15. रैदास ईश्वर के साथ किन-किन रूपों में एकाकार हो गए हैं? 

उत्तर: रैदास ईश्वर के साथ निम्नलिखित रूपों में एकाकार हो गए हैं- 

• चंदन-पानी के रूप में    

• चाँद-चकोर के रूप में    

• धागा-मोती के रूप में

• घन-मोर के रूप में

•  दीपक-बाती के रूप में।

प्रश्न 16. रैदास के पदों की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: रैदास ने अपने पदों में सरल, व्यावहारिक ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। उनकी भाषा में अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और उर्दू-फारसी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। रैदास को उपमा और रूपक अलंकार विशेष रूप से प्रिय रहे हैं। रैदास ने अपने पहले पद में अनेक उपमाएँ दी हैं। जैसे-घन मोरा, चंद चकोरा, दीपक-बाती आदि। रैदास ने स्वयं को नाथपंथ की कठिन शब्दावली से बचाकर रखा है।

(ख) निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. कबीर एवं नामदेव के बारे में बताइए।

उत्तर: संत कबीर: कबीरदास भक्तिकाल की निर्गुण काव्य-धारा की ज्ञानमार्गी शाखा के प्रतिनिधि कवि थे। कहा जाता है कि इनका जन्म 1398 ई. में काशी में हुआ। नीमा और नीरू जुलाहा दंपत्ति ने इनका पालन-पोषण किया। ये पेशे से जुलाहे थे। स्वामी रामानंद इनके गुरु थे। इनकी मृत्यु 1495 ई. में मगहर में हुई-ऐसा माना जाता है। 

कबीर मूलत: संत थे, पर वे अपने पारिवारिक जीवन के प्रति कभी उदासीन नहीं रहे। उन्होंने अपने व्यवसाय से संबंधित चरखा, ताना, बाना, पूनी आदि को प्रतीकों के रूप में अपने काव्य में प्रयुक्त किया है।

कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे। उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है:   

‘मसि कागद छूयौ नहिं 

कलम गहि नहिं हाथ।’

रचनाएँ: कबीर की रचनाएँ मुख्यतः कबीर की ग्रंथावली में संगृहीत हैं, किंतु कबीर पंथ में बीजक ही मान्य है। कबीर के शिष्य धर्मदास ने उनकी रचनाओं का ‘बीजक’ नामक ग्रंथ में संग्रह किया है। उनकी कुछ रचनाएँ सिक्खों के धर्मग्रंथ ‘गुरु-ग्रंथ साहब’ में भी संकलित हैं।

विशेषताएँ: कबीरदास सिर से पैर तक मस्तमौला एवं फक्कड़ स्वभाव के संत थे। उन्होंने ईश्वर के निराकार स्वरूप की स्थापना अपने काव्य में की है। वे कहते हैं- 

‘निर्गुण राम जपहु रे भाई’

कबीरदास ने रहस्यवादी भावना को अपने काव्य में अपनाया है। वे आत्मा-परमात्मा को एक ही मानते थे। कबीरदास कवि होने के साथ-साथ बहुत बड़े समाज-सुधारक भी थे। उन्होंने धार्मिक आडम्बरों पर कड़ा प्रहार किया है। वे कहते हैं- 

पाथर पूजै हरि मिलै तो मैं पूजूँ पहार।

या तै तो चाकी भली, पीस खाय संसार॥ 

उसी प्रकार उन्होंने मुसलमानों के ढोंग-आडंबर पर भी चोट की है-

काँकर पाथर जोरि के मसजिद लई बनाय।

ता चढ़ि मुल्ला बाँग दे, क्या बहिरा हुआ खुदाय॥

भाषा-शैली: कबीर की भाषा को सधुक्कड़ी कहा जाता है। इस भाषा में ब्रज, अवधी, पंजाबी, उर्दू आदि भाषाओं के शब्दों का मिश्रण है।

कबीर का काव्य तीन रूपों में मिलता है- 

साखी, रमैनी और सबद। साखी दोहों में रमैनी चौपाइयों में और सबद पदों में हैं। इन्होंने अलंकारों का सहज रूप में ही प्रयोग किया है।

2. संत नामदेव: संत नामदेव ने ‘वारकरी पंथ’ की स्थापना की। उनकी मान्यता थी कि ईश्वर सब जगह विद्यमान रहता है। उनका किसी की पूजा-उपासना से कोई विरोध न था। वे तो उस देवता को मानते थे जो मंदिर-मस्जिद में नहीं बल्कि सर्वत्र सबके मन-मंदिर में रहता है। वे कहते हैं-

हिन्दू पूजै देवरा, मुसलमाणु मसीद। 

नामे सोई सेविआ, यह देहुरा न मसीद॥

नामदेव कहते थे कि मन में भगवान की प्राप्ति के लिए भक्त के हृदय में ‘लौ’ लगनी चाहिए। इसके लिए बड़े-बड़े ग्रंथों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। सबमें समान भाव से दया रखकर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। इसी से स्वयं ही मोक्ष मिल जाएगा।

संत नामदेव की सामाजिक विचारधारा: संत नामदेव बहुत बड़े समाज-सुधारक थे। उन्होंने गाँव-गाँव में घूमकर समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों को दूर किया। उन्होंने जाति-भेद और छुआछूत के भेदभाव को समाज से मिटाने का प्रयास किया। उन्होंने व्यक्तिगत जीवन में भी अछूतों को पूरा-पूरा आदर-सम्मान दिया। उन्होंने चोखोबा नामक अछूत के। ऊपर अपनी कृपा बनाए रखी तथा उसका स्मारक भी बनवाया। नामदेव समाज में व्याप्त रूढ़ियों के खोखलेपन को जानते थे। किसी की पूजा-उपासना से उनका कोई विरोध न था। वे ढोंग, आडंबरों के घोर विरोधी थे।

प्रश्न 2. रैदास ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है? उनके स्वामी की कोई दो विशेषताएँ बताइए।

उत्तर: रैदास ने अपने स्वामी को निम्नलिखित नामों से पुकारा है-

• गरीब निवाज

• गोसाई

• गोविंद

उनके स्वामी को दो विशेषताएँ ये हैं-

1. उनका स्वामी गरीबों को समाज में सम्मान दिलाता है। वह दीन-दुखियों का रक्षक है।

2. वह नीच व्यक्ति को भी उच्च बना देता है। यह करते समय वह किसी से भी नहीं डरता।

प्रश्न 3. रैदास अपने प्रभु की क्या-क्या विशेषताएँ बताते हैं?

उत्तर: कवि रैदास बताते हैं कि उनके प्रभु समदर्शी हैं। वे अपने भक्तों को मान-सम्मान देने वाले हैं। वे तो नीची जाति के अपने भक्त को भी सम्मान दिला देते हैं। वे सभी के सम्मान की लाज रखते हैं। वे सभी के स्वामी हैं। गरीबों पर उनकी विशेष कृपा रहती है। उन्हीं की कृपा के कारण कवि रैदास जैसे साधारण भक्त के सिर छत्र धारण हो सका है। प्रभु की भक्ति के कारण ही उन्हें यह सम्मान प्राप्त हो सका है। वे तो निम्न जाति के भक्त को भी ऊँचा बना देते हैं। उन्हीं की कृपा से कितने ही भक्त इस भवसागर से तर गए अर्थात् मुक्ति पा गए। वे ही भवसागर से पार कराते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top