NCERT Class 7 Hindi Chapter 2 तीन बुद्धिमान

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NCERT Class 7 Hindi Chapter 2 तीन बुद्धिमान

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Chapter: 2

मल्हार

पाठ से

मेरी समझ से

(क) लोककथा के आधार पर नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन सा है? उसके सामने तारा (☆) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।

1. लोककथा में पिता ने अपने बेटों से ‘धन संचय करने’ को कहा। उनकी इस बात का क्या अर्थ हो सकता है?

(i) खेती-बारी करना और धन इकट्ठा करना।

(ii) पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना।

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(iii) ऊँट का व्यापार करना।

(iv) गाँव छोड़कर किसी नगर में जाकर बसना।

उत्तर: (ii) पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि का विकास करना।

2. तीनों भाइयों ने अपने ज्ञान और बुद्धि का उपयोग करके ऊँट के बारे में बहुत कुछ बता दिया। इससे क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?

(i) बुद्धि का प्रयोग करके ऊँट के बारे में सब-कुछ बताया जा सकता है।

(ii) समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है।

(iii) किसी व्यक्ति का ज्ञान, बुद्धि और धन ही सबसे बड़ी ताकत है।

(iv) ऊंट के बारे में जानने के लिए दूसरों पर भरोसा करना चाहिए।

उत्तर: (ii) समस्या को सुलझाने के लिए ध्यान से निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है।

3. राजा ने भाइयों की बुद्धिमत्ता पर विश्वास क्यों किया?

(i) भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया।

(ii) राजा को ऊँट के स्वामी की बातों पर संदेह था।

(iii) राजा ने स्वयं ऊँट और पेटी की जाँच कर ली थी।

(iv) भाइयों ने राजा को अपनी बात में उलझा लिया था।

उत्तर: (i) भाइयों ने अपनी बात को तर्क के साथ समझाया।

4. लोककथा के पात्रों और घटनाओं के आधार पर, राजा के निर्णय के पीछे कौन-सा मूल्य छिपा है?

(i) दोषी को कड़ा से कड़ा दंड देना हर समस्या का सबसे बड़ा समाधान है।

(ii) अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।

(iii) राजा की प्रत्येक बात और निर्णय को सदा सही माना जाना चाहिए।

(iv) ऊँट की चोरी के निर्णय के लिए सेवक की बुद्धि का उपयोग करना चाहिए।

उत्तर: (ii) अच्छी तरह जाँच किए बिना किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने भिन्न-भिन्न उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें।

उत्तर: (i) पिता ने बेटों को स्पष्ट रूप से समझाया था कि उनके पास पैसा नहीं है, इसलिए उन्हें ऐसी संपत्ति यानी पैनी दृष्टि और तीव्र बुद्धि अर्जित करनी चाहिए, जो जीवन में हमेशा काम आए और जिससे वे किसी भी परिस्थिति में दूसरों से पीछे न रहें।

(ii) कहानी में भाइयों ने ऊँट को देखे बिना ही केवल निरीक्षण और तर्क से यह जान लिया कि वह एक आँख से अंधा था और “एक छोटे-से बच्चे के साथ उस पर महिला सवार थी। उन्होंने रास्ते के चिन्हों से यह सब समझा।

(iii) जब राजा ने उन्हें परीक्षा में डाला, तो उन्होंने हर बात को तर्क, अनुभव और अवलोकन से सिद्ध किया—जैसे अनार की पहचान करना या ऊँट की एक आँख से न देख पाना। इससे राजा को उनकी बुद्धिमत्ता पर विश्वास हो गया।

(iv) राजा ने प्रारंभ में संदेह के आधार पर भाइयों को दोषी माना, परंतु बाद में उनकी परीक्षा लेकर सच जानने की कोशिश की। इससे यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी निर्णय से पहले पूरी जाँच और समझ जरूरी है।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए–

(क) “रुपये-पैसे के स्थान पर तुम्हारे पास पैनी दृष्टि होगी और सोने-चाँदी के स्थान पर तीव्र बुद्धि होगी। ऐसा धन संचित कर लेने पर तुम्हें कभी किसी प्रकार की कमी न रहेगी और तुम दूसरों की तुलना में उन्नीस नहीं रहोगे।”

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि असली धन पैसे या सोने-चाँदी से नहीं, बल्कि पैनी दृष्टि और तेज़ बुद्धि से होता है। अगर हमारे पास समझ और सोचने की ताकत है, तो हमें कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होगी और हम दूसरों से पीछे नहीं रहेंगे।

(ख) “हर वस्तु और स्थिति को पूर्णतः समझने और जानने का प्रयास करो। कुछ भी तुम्हारी दृष्टि से न बच पाए।”

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि हमें हर चीज़ को ध्यान से देखना और अच्छी तरह समझने की कोशिश करनी चाहिए। कोई भी बात हमारी नज़र से छूटनी नहीं चाहिए, तभी हम बुद्धिमान बन सकते हैं।

(ग) “हमने अपने परिवेश को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है।”

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि हमने अपने आसपास की चीज़ों को ध्यान से देखने और समझदारी से सोचने की आदत बचपन से डाली है। इसी अभ्यास से हमें सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।

मिलकर करें मिलान

इस लोककथा में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे स्तंभ 1 में दिए गए हैं। उनके भाव या अर्थ से मिलते-जुलते वाक्य स्तंभ 2 में दिए गए हैं। स्तंभ 1 के वाक्यों को स्तंभ 2 के उपयुक्त वाक्यों से सुमेलित कीजिए-

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. कुछ समय पश्चात् पिता चल बसे1.घोड़े पर सवार व्यक्ति ने तीनों भाइयों को अविश्वास से देखा
2. हम कहीं भी क्यों न हों, भूखे नहीं मरेंगे।2.थोड़े समय के बाद पिता का देहांत हो गया।
3. घुड़सवार ने तीनों भाइयों को शंका की दृष्टि से देखा।3.लोग इतने अचंभित थे कि उनका आश्चर्य व्यक्त करना कठिन था।
4. बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम कुछ भी अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते।4.बचपन से ही हमें आदत हो गई है कि हम हर छोटी-बड़ी वस्तु पर ध्यान अवश्य देते हैं।
5. लोगों के आश्चर्य का कोई ठिकाना न था।5. हम चाहे जहाँ भी हों, हमें खाने के लिए कुछ न कुछ मिल ही जाएगा।

उत्तर:

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. कुछ समय पश्चात् पिता चल बसे2.थोड़े समय के बाद पिता का देहांत हो गया।
2. हम कहीं भी क्यों न हों, भूखे नहीं मरेंगे।5. हम चाहे जहाँ भी हों, हमें खाने के लिए कुछ न कुछ मिल ही जाएगा।
3. घुड़सवार ने तीनों भाइयों को शंका की दृष्टि से देखा।1. घोड़े पर सवार व्यक्ति ने तीनों भाइयों को अविश्वास से देखा
4. बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम कुछ भी अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते।4 .बचपन से ही हमें आदत हो गई है कि हम हर छोटी-बड़ी वस्तु पर ध्यान अवश्य देते हैं।
5. लोगों के आश्चर्य का कोई ठिकाना न था।3.लोग इतने अचंभित थे कि उनका आश्चर्य व्यक्त करना कठिन था।
सोच-विचार के लिए

लोककथा को एक बार फिर ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-

(क) तीनों भाइयों ने बिना ऊँट को देखे उसके विषय में कैसे बता दिया था?

उत्तर: तीनों भाइयों ने अपने पैने निरीक्षण और तर्क से ऊँट के पदचिन्ह, खाई हुई घास, और रेत पर बने निशानों को देखकर यह अनुमान लगाया कि ऊँट कैसा था, उस पर कौन सवार था और उसकी स्थिति क्या थी।

(ख) आपके अनुसार इस लोककथा में सबसे अधिक महत्व किस बात को दिया गया है- तार्किक सोच, अवलोकन या सत्यवादिता? लोककथा के आधार पर समझाइए।

उत्तर: इस लोककथा में सबसे अधिक महत्व अवलोकन और तार्किक सोच को दिया गया है क्योंकि भाइयों ने केवल पर्यावरण का निरीक्षण करके बिना देखे ही ऊँट के बारे में सटीक जानकारी दी।

(ग) लोककथा में राजा ने पहले भाइयों पर संदेह किया लेकिन बाद में उन्हें निर्दोष माना। राजा की सोच क्यों बदल गई?

उत्तर: जब भाइयों ने पेटी में कच्चा अनार होने की बात सही सिद्ध कर दी, तब राजा को उनकी बुद्धिमत्ता और सच्चाई पर विश्वास हो गया और उसने उन्हें निर्दोष माना।

(घ) ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर तुरंत संदेह क्यों किया? आपके विचार से उसे क्या करना चाहिए था जिससे उसे अपना ऊँट मिल जाता?

उत्तर: क्योंकि भाइयों ने बिना पूछे ही ऊँट के बारे में सारी बातें बता दी थीं। परंतु उसे बिना प्रमाण के आरोप नहीं लगाना चाहिए था, बल्कि पहले सही दिशा में ऊँट को खोजने की कोशिश करनी चाहिए थी।

(ङ) पिता ने बेटों को “दूसरे प्रकार का धन” संचित करने की सलाह क्यों दी? इससे पिता के बारे में क्या-क्या पता चलता है?

उत्तर: पिता जानते थे कि उनके पास धन नहीं है, इसलिए उन्होंने बेटों को तीव्र बुद्धि और पैनी दृष्टि जैसे ज्ञान के धन को अर्जित करने की सलाह दी, जो हर परिस्थिति में काम आ सकता है।

(च) राजा ने भाइयों की परीक्षा लेने के लिए पेटी का उपयोग किया। इस परीक्षा से राजा के व्यक्तित्व और निर्णय शैली के बारे में क्या-क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है?

उत्तर: राजा ने भाइयों की परीक्षा के लिए पेटी का उपयोग किया जिससे पता चलता है कि वह निष्पक्ष, समझदार, बुद्धिमान और सही निर्णय लेने वाला राजा था। जो बिना सोचे-समझे निर्णय नहीं करता और सच्चाई को परखने के लिए बुद्धिमानी से काम लेता है।

(छ) आप इस लोककथा के भाइयों की किस विशेषता को अपनाना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर: मैं भाइयों की अवलोकन शक्ति और तर्कशक्ति को अपनाना चाहूँगा क्योंकि ये गुण किसी भी स्थिति को समझने और सही निर्णय लेने में बहुत सहायक होते हैं।

अनुमान और कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क) यदि राजा ने बिना जाँच के भाइयों को दोषी ठहरा दिया होता तो इस लोककथा का क्या परिणाम होता?

उत्तर: यदि राजा ने बिना जाँच के भाइयों को दोषी ठहरा दिया होता तो निर्दोष भाइयों को सज़ा मिलती और उनकी बुद्धिमत्ता की सच्चाई सामने नहीं आ पाती। यह न्याय के विपरीत होता और इससे प्रजा का राजा पर से विश्वास उठ जाता।

(ख) यदि भाइयों ने अनार के बारे में सही अनुमान न लगाया होता तो लोककथा का अंत किस प्रकार होता? अपने विचार व्यक्त करें।

उत्तर: यदि भाइयों का अनुमान गलत होता तो राजा को उन पर विश्वास नहीं होता, और वे शायद दोषी माने जाते। इससे उनकी बुद्धिमत्ता पर संदेह होता और वे सम्मान की बजाय सज़ा के भागी बन सकते थे।

(ग) लोककथा में यदि तीनों भाई ऊँट को खोजने जाते तो उन्हें कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था?

उत्तर: ऊँट को खोजने जाते समय उन्हें लंबे सफर, भूख-प्यास, थकान, रास्ता भटकने और ऊँट के न मिलने जैसी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता था।

(घ) यदि राजा के स्थान पर आप होते तो भाइयों की परीक्षा लेने के लिए किस प्रकार के सवाल या गतिविधियाँ करते? अपनी कल्पना साझा करें।

उत्तर: यदि मैं राजा होता तो मैं उन्हें किसी बंद डिब्बे की चीज़ का अनुमान लगाने, किसी दृश्य को देखकर उस पर सवाल करने या किसी पुरानी घटना का विश्लेषण करने जैसी गतिविधियाँ देता, जिससे उनकी तर्कशक्ति और अवलोकन क्षमता की परख हो सके।

शब्द से जुड़े शब्द

नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘बुद्धि’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए-

उत्तर:

कारक

नीचे दिए गए वाक्य को ध्यान से पढ़िए-

“भाइयों जवाब दिया।”

यह वाक्य कुछ अटपटा लग रहा है न? अब नीचे दिए गए वाक्य को पढ़िए-

“भाइयों ने जवाब दिया।”

इन दोनों वाक्यों में अंतर समझ में आया? बिलकुल सही पहचाना आपने ! दूसरे वाक्य में ‘ने’ शब्द ‘भाइयों’ और ‘जवाब दिया’ के बीच संबंध को जोड़ रहा है। संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रयुक्त होने वाले शब्दों के ऐसे रूपों को कारक या परसर्ग कहते हैं। कारक शब्दों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-

ने, को, पर, से, के द्वारा, का, में, के लिए, की, के, हे, हो, अरे

नीचे दिए गए वाक्यों में कारक लिखकर इन्हें पूरा कीजिए-

1. “हमने तो तुम्हारे ऊँट ________ देखा तक नहीं”, भाइयों _________ परेशान होते हुए कहा।

उत्तर: “हमने तो तुम्हारे ऊँट को देखा तक नहीं”, भाइयों ने परेशान होते हुए कहा।

2. “मैं अपने रेवड़ों _______ पहाड़ों ______ लिये जा रहा था”, उसने कहा, “और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे _______ साथ एक बड़े-से ऊँट ________ मेरे पीछे-पीछे आ रही थी।” 

उत्तर: “मैं अपने रेवड़ों को पहाड़ों पर लिये जा रहा था”, उसने कहा, “और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे के साथ एक बड़े-से ऊँट पर मेरे पीछे-पीछे आ रही थी।” 

3. राजा _______ उसी समय अपने मंत्री _______ बुलाया और उसके कान _______ कुछ फुसफुसाया।

उत्तर: राजा ने उसी समय अपने मंत्री को बुलाया और उसके कान में कुछ फुसफुसाया।

4. यह सुनकर राजा _______ पेटी _______ पास लाने _______ आदेश दिया। सेवकों _______ तुरंत आदेश पूरा किया। राजा _______ सेवकों ________ पेटी खोलने ________ लिए कहा।

उत्तर: यह सुनकर राजा ने पेटी को पास लाने का आदेश दिया। सेवकों ने तुरंत आदेश पूरा किया।

राजा ने सेवकों को पेटी खोलने के लिए कहा।

सूचनापत्र

कल्पना कीजिए कि आप इस लोककथा के वह घुड़सवार हैं जिसका ऊँट खो गया है। आप अपने ऊँट को खोजने के लिए एक सूचना कागज पर लिखकर पूरे शहर में जगह-जगह चिपकाना चाहते हैं। अपनी कल्पना और लोककथा में दी गई जानकारी के आधार पर एक सूचनापत्र लिखिए।

उत्तर: सूचनापत्र:

ऊँट खो गया है!

मैं एक मुसाफिर हूँ और मेरा ऊँट अचानक रास्ते में कहीं खो गया है। यह ऊँट मेरे लिए बहुत कीमती है क्योंकि इसी पर मैं अपने सामान और परिवार के साथ यात्रा कर रहा था।

ऊँट की विशेषताएँ:

(i) ऊँट एक आँख से अंधा है।

(ii) उसके दाँत टेढ़े हैं।

(iii) उसकी पीठ पर भारी सामान बँधा हुआ था।

(iv) उसके गले में लाल माला है।

जहाँ ऊँट खोया:

मैं पहाड़ों की ओर अपने रेवड़ों को ले जा रहा था, तभी रास्ते में ऊँट गुम हो गया।

जिस किसी को भी यह ऊँट दिखे या उसके बारे में कोई जानकारी हो, कृपया मुझसे संपर्क करें।

इनाम दिया जाएगा।

संपर्क करें:

घुड़सवार मुसाफिर (स्थान और समय यहाँ लिखें)

पाठ से आगे

आपकी बात

1. लोककथा में तीन भाइयों की पैनी दृष्टि की बात कही गई है। क्या आपने कभी अपनी पैनी दृष्टि का प्रयोग किसी समस्या को हल करने के लिए किया है? उस समस्या और आपके द्वारा दिए गए हल के विषय में लिखिए।

उत्तर: हाँ, एक बार मेरे स्कूल की लाइब्रेरी से एक किताब गुम हो गई थी। मैंने गौर से देखा कि आखिरी बार वह किताब किसने ली थी और कहाँ रखी गई थी। मैंने छोटे-छोटे सुरागों पर ध्यान दिया, जैसे लाइब्रेरी रजिस्टर, किताब का स्थान और आसपास की अलमारी। अंत में वह किताब एक दूसरी शेल्फ पर मिल गई। इससे मुझे समझ आया कि ध्यान और सोच से कोई भी समस्या हल की जा सकती है।

2. लोककथा में बताया गया है कि भाइयों ने “बचपन से हर वस्तु पर ध्यान देने की आदत डाली।” यदि आपने ऐसा किया है तो आपको अपने जीवन में इसके क्या-क्या लाभ मिलते हैं?

उत्तर: हाँ, मैंने भी बचपन से हर चीज़ को ध्यान से देखना और समझना सीखा है। इससे मुझे पढ़ाई में अच्छे अंक लाने, छोटी-छोटी गलतियाँ पकड़ने और चीजों को जल्दी याद रखने में बहुत मदद मिली है। इसके अलावा, मुझे नई बातें सीखने में मज़ा आता है और मैं हर चीज़ में कुछ न कुछ नया खोज लेता हूँ।

3. लोककथा में भाइयों को यात्रा करते समय अनेक कठिनाइयाँ आईं, जैसे – भूख, थकान और पैरों में छाले। आप अपने दैनिक जीवन में किन-किन कठिनाइयों का सामना करते हैं? लिखिए।

उत्तर: मैं भी रोज़मर्रा के जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करता हूँ जैसे – सुबह जल्दी उठना, स्कूल का होमवर्क समय पर पूरा करना, कभी-कभी दोस्तों से मतभेद होना और परीक्षा का तनाव। लेकिन मैं इनसे घबराने की बजाय समाधान ढूंढ़ने की कोशिश करता हूँ।

4. भाइयों ने बिना देखे ही ऊँट के बारे में सही-सही बातें बताई। क्या आपको लगता है कि अनुभव और समझ से देखे बिना भी सही निर्णय लिया जा सकता है? क्या आपने भी कभी ऐसा किया है?

उत्तर: हाँ, अनुभव और समझ से बिना देखे भी सही निर्णय लिया जा सकता है। एक बार मेरी छोटी बहन रो रही थी लेकिन कुछ नहीं बता रही थी। मैंने उसकी हालत देखकर और उसकी आदतों को जानकर समझ लिया कि वह अपनी गुड़िया ढूँढ रही है। मैंने उसे गुड़िया दी और वह खुश हो गई। यह मेरे अनुभव और समझ से ही संभव हुआ।

5. जब ऊँट के स्वामी ने भाइयों पर शंका की तो भाइयों ने बिना गुस्सा किए शांति से उत्तर दिया। क्या आपको लगता है कि कभी किसी को संदेह होने पर हमें भी शांत रहकर उत्तर देना चाहिए? क्या आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है? ऐसे में आपने क्या किया?

उत्तर: हाँ, मुझे लगता है जब कोई हम पर शंका करे तो हमें शांत रहकर सही जवाब देना चाहिए। एक बार स्कूल में किसी ने मुझ पर शोर करने का आरोप लगाया जबकि मैंने कुछ नहीं किया था। मैंने गुस्सा करने की बजाय शांति से अपने पक्ष में बात की और बाद में सबको सच्चाई पता चल गई।

6. राजा ने भाइयों की बुद्धिमानी देखकर बहुत आश्चर्य व्यक्त किया। क्या आपको कभी किसी की सोच, समझ या किसी विशेष कौशल को देखकर आश्चर्य हुआ है? क्या आपने कभी किसी से कुछ ऐसा सीखा है जो आपके लिए बिलकुल नया और चौंकाने वाला हो?

उत्तर: हाँ, एक बार मेरे स्कूल में एक छात्र ने बिना स्केल के बहुत सीधी रेखा खींची। उसकी यह कला देखकर मैं चौंक गया। मैंने उससे यह तरीका सीखा और अब मैं भी बिना स्केल के सुंदर रेखाएँ खींच पाता हूँ। मुझे उसकी कला से बहुत प्रेरणा मिली।

7. लोककथा में पिता ने अपने बेटों को यह सलाह दी कि वे समझ और ज्ञान जमा करें। क्या आपको कभी किसी बड़े व्यक्ति से ऐसी कोई सलाह मिली है जो आपके जीवन में उपयोगी रही हो? क्या आप भी अपने अनुभव से किसी को ऐसी सलाह देंगे?

उत्तर: मेरे दादा जी ने मुझे एक बार कहा था कि “समय और ज्ञान की कद्र करो, ये ही आगे काम आते हैं।” मैं उनकी यह सलाह आज भी मानता हूँ। मैं भी अपने दोस्तों को यही सलाह देता हूँ कि वे हर दिन कुछ नया सीखें और समय की कद्र करें।

8. भाइयों ने अपने ऊपर लगे आरोपों के होते हुए भी सदा सच्चाई का साथ दिया। क्या आपको लगता है कि सदा सच बोलना महत्वपूर्ण है, भले ही स्थिति कठिन क्यों न हो? क्या आपको किसी समय ऐसा लगा है कि आपकी सच्चाई ने आपको समस्याओं से बाहर निकाला हो?

उत्तर: हाँ, सच बोलना हमेशा जरूरी होता है, चाहे स्थिति कितनी भी कठिन हो। एक बार मेरे एक दोस्त की पेंसिल टूट गई और सबको लगा मैंने तोड़ी है। लेकिन मैंने सच्चाई बताई और बाद में सबको पता चला कि वह पेंसिल पहले से टूटी हुई थी। मेरी सच्चाई ने मेरी इज़्ज़त बचाई।

ध्यान से देखना-सुनना-अनुभव करना

“बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम किसी वस्तु को अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। हमने वस्तुओं को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है।”

इस लोककथा में तीनों भाई आसपास की प्रत्येक घटना, वस्तु आदि को ध्यान से देखते, सुनते, सूंघते और अनुभव करते हैं अर्थात् अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का पूरा उपयोग करते हैं। ज्ञानेंद्रियाँ पाँच होती हैं- आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा। आँख से देखकर, कान से सुनकर, नाक से सूंघकर, जीभ से चखकर और त्वचा से स्पर्श करके हम किसी वस्तु के विषय में ज्ञान प्राप्त करते हैं। आइए, अब एक खेल खेलते हैं जिसमें आपको अपनी ज्ञानेंद्रियों और बुद्धि का उपयोग करने के अवसर मिलेंगे।

(क) ‘हाँ’ या ‘नहीं’ प्रश्न-उत्तर खेल।

चरण-

1. एक विद्यार्थी कक्षा से बाहर जाकर दिखाई देने वाली किसी एक वस्तु या स्थान का नाम चुनेगा। कक्षा के भीतर से भी कोई नाम चुना जा सकता है।

2. विद्यार्थी वापस कक्षा में आएगा और उस नाम को एक कागज पर लिख लेगा। लेकिन ध्यान रहे, वह कागज पर लिखे नाम को किसी को न दिखाए।

3.अन्य विद्यार्थी बारी-बारी से उस वस्तु का नाम पता करने के लिए प्रश्न पूछेंगे।

4. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर केवल ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में दिया जाएगा।

उदाहरण के लिए-

  • क्या इस वस्तु का उपयोग कक्षा में होता है?
  • क्या यह खाने-पीने की चीज है?
  • क्या यह लकड़ी से बनी है?
  • क्या यह बिजली से से चलती है?

5. सभी विद्यार्थी अधिकतम 20 प्रश्न ही पूछ सकते हैं। इसलिए उन्हें सोच-समझकर प्रश्न पूछने होंगे ताकि वे उस वस्तु का नाम पता कर सकें।

6. यदि 20 प्रश्नों के अंदर विद्यार्थी वस्तु का सही अनुमान लगा लेते हैं तो वे जीत जाएँगे।

7. अब दूसरे विद्यार्थी को बाहर भेजकर गतिविधि दोहराएँगे।

8. गतिविधि के अंत में सभी मिलकर इस खेल से जुड़े अपने अनुभवों के बारे में चर्चा करें।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

(ख) गतिविधि ‘स्पर्श, गंध और स्वाद से पहचानना’।

1. एक थैले या डिब्बे में (सावधानीपूर्वक एवं सुरक्षित) विभिन्न वस्तुएँ (जैसे- फल, फूल, मसाले, खिलौने, कपड़े, किताब, गुड़ आदि) रखें।

2. विद्यार्थियों को आँखों पर पट्टी बाँधकर केवल स्पर्श, गंध या स्वाद का उपयोग करके वस्तु की पहचान करनी होगी और उसका नाम बताना होगा।

3. बारी-बारी से प्रत्येक विद्यार्थी को बुलाकर उसकी आँखों पर पट्टी बाँधे।

4. उसे डिब्बे से एक वस्तु दी जाए। विद्यार्थी उसे छूकर, सूंघकर, चखकर पहचानने का प्रयास करेंगे।

5. सही पहचान करने के बाद विद्यार्थी बताएँगे कि उन्होंने उस वस्तु को कैसे पहचाना।

6. एक-एक करके सभी विद्यार्थियों को अलग-अलग वस्तुओं को पहचानने का अवसर मिलेगा।

7. अंत में सभी वस्तुओं को कक्षा में दिखाएँ और उनके बारे में चर्चा करें कि किस वस्तु को पहचानना आसान या कठिन लगा।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

आज की पहेली

आपने पढ़ा कि तीनों बुद्धिमान भाई किस प्रकार अपने अवलोकन से वे बातें भी जान जाते थे जो अन्य लोग नहीं जान पाते। अब आपके सामने कुछ पहेलियाँ प्रस्तुत हैं जहाँ आपको कुछ संकेत दिए जाएँगे। संकेतों के आधार पर आपको उत्तर खोजने हैं-

1. कौन है यह प्राणी?

(i)  इसकी लंबी पूँछ होती है जो पेड़ों की शाखाओं के चारों ओर लिपटी रहती है।

उत्तर: गिरगिट की पूँछ लंबी और लचीली होती है जो पेड़ों की शाखाओं के चारों ओर लिपट जाती है।

(ii) इसका मुख्य आहार कीट और छोटे जीव होते हैं जिन्हें यह चुपके से पकड़ता है।

उत्तर: गिरगिट कीट और छोटे जीव खाता है। वह अपनी लंबी और चिपचिपी जीभ से शिकार को पकड़ता है।

(iii) यह प्राणी अपने परिवेश में घुल-मिल जाता है और अपनी रंगत को बदल सकता है।

उत्तर: गिरगिट अपने परिवेश के अनुसार अपनी त्वचा का रंग बदल सकता है ताकि वह आसानी से छिप सके।

(iv) इसके पास तेज आँखें होती हैं जो चारों दिशाओं में देख सकती हैं।

उत्तर: गिरगिट की आँखें अलग-अलग दिशाओं में घूम सकती हैं, जिससे वह चारों ओर देख सकता है।

2. रंगीन डिब्बे

एक मेज पर चार रंगीन डिब्बे बराबर-बराबर रखे हैं- लाल, हरा, नीला और पीला। बताइए पीले डिब्बे के बराबर में कौन-सा डिब्बा है? यदि-

1. लाल डिब्बा नीले डिब्बे के पास है।

2. हरा डिब्बा पीले डिब्बे के पास नहीं है।

3. पीला डिब्बा लाल डिब्बे के पास नहीं है।

4. हरा डिब्बा लाल डिब्बे के पास है।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

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