NCERT Class 12 Political Science Chapter 3 समकालीन दक्षिण एशिया

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NCERT Class 12 Political Science Chapter 3 समकालीन दक्षिण एशिया

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Chapter: 3

समकालीन विश्व राजनीति

1. देशों की पहचान करें-

(क) राजतंत्र, लोकतंत्र-समर्थक समूहों और अतिवादियों के बीच संघर्ष के कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना।

उत्तर: नेपाल।

(ख) चारों तरफ भूमि से घिरा देश।

उत्तर: नेपाल।

(ग) दक्षिण एशिया का वह देश जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।

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उत्तर: श्रीलंका।

(घ) सेना और लोकतंत्र-समर्थक समूहों के बीच संघर्ष में सेना ने लोकतंत्र के ऊपर बाजी मारी।

उत्तर: पाकिस्तान।

(ङ) दक्षिण एशिया के केंद्र में अवस्थित। इस देश की सीमाएँ दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों से मिलती हैं।

उत्तर: भारत।

(च) पहले इस द्वीप में शासन की बागडोर सुल्तान के हाथ में थी। अब यह एक गणतंत्र है।

उत्तर: मालदीव।

(छ) ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बचत और सहकारी ऋण की व्यवस्था के कारण इस देश को गरीबी कम करने में मदद मिली है।

उत्तर: बांग्लादेश।

(ज) एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतंत्र है। यह देश भी हर तरफ से भूमि से घिरा है।

उत्तर: भूटान।

2. दक्षिण एशिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ग़लत है?

(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ़ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।

(ख) बांग्लादेश और भारत ने नदी जल की हिस्सेदारी के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

(ग) ‘साफ्टा’ पर हस्ताक्षर इस्लामाबाद के 12वं सार्क सम्मेलन में हुए।

(घ) दक्षिण एशिया की राजनीति में चीन और संयुक्त राज्य अमरीका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उत्तर: (क) दक्षिण एशिया में सिर्फ़ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।

3. पाकिस्तान के लोकतंत्रीकरण में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ हैं?

उत्तर: पाकिस्तान में लोकतंत्र को कई कठिनाइयों का सामना करना पर है, जैसे सेना का राजनीतिक मामलों में दखल, सेना का प्रभाव, धार्मिक कट्टरता, क्षेत्रीय असंतुलन, और बार-बार चुनी हुई सरकारों का अपदस्थ किया जाना। इसके अलावा, लोकतांत्रिक संस्थाओं की कमजोरी और विदेशी हस्तक्षेप भी बाधाएँ हैं।

4. नेपाल के लोग अपने देश में लोकतंत्र को बहाल करने में कैसे सफल हुए?

उत्तर: नेपाल की जनता ने निरंकुश राजा के विरुद्ध संघर्ष कर लोकतांत्रिक अधिकारों की माँग की। जन आंदोलनों, राजनीतिक दलों के सहयोग और नागरिक समाज के समर्थन से लोकतंत्र बहाल हुआ और नेपाल एक गणराज्य बना।

5. श्रीलंका के जातीय संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है?

उत्तर: श्रीलंका के जातीय संघर्ष में भारतीय मूल के तमिल मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने लिट्टे नाम का एक संगठन बनाया हुआ है जो हिंसात्मक आंदोलन पर उतारू है जिसके कारण पूरा श्रीलंका जातीय संघर्ष की आग में जल रहा है। उनकी प्रमुख माँग है कि श्रीलंका के एक क्षेत्र को अलग राष्ट्र बनाया जाए।

(i) सिंहली समुदाय: श्रीलंका की राजनीति पर लंबे समय से बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का प्रभाव रहा है, जबकि तमिल समुदाय अक्सर सरकार और नेताओं पर अपने हितों की अनदेखी का आरोप लगाता रहा है।

(ii) तमिल अल्पसंख्यकः तमिल अल्पसंख्यक हैं, जो भारत से आकर श्रीलंका में बसे। बड़ी संख्या में तमिलों का बसना श्रीलंका की स्वतंत्रता के बाद भी जारी रहा, जिसे लेकर वहाँ की बहुसंख्यक आबादी ने विरोध जताया। सिंहली राष्ट्रवादियों का मानना था कि श्रीलंका में तमिलों के साथ कोई ‘रियायत’ नहीं बरती जानी चाहिए, क्योंकि श्रीलंका सिर्फ सिंहली लोगों का है।

(iii) तमिल छापामार: तमिलों के प्रति उपेक्षा भरे बर्ताव से एक उग्र तमिल राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न हुई। 1983 के बाद से उग्र तमिल संगठन ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे)’ श्रीलंका की सेना के साथ सशस्त्र संघर्ष कर रहा है। लिट्टे श्रीलंका के तमिलों के लिए ‘तमिल ईलम’ नामक एक स्वतंत्र राष्ट्र की मांग करता है, और देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से पर उसका प्रभाव रहा है।

6. भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में क्या समझौते हुए?

उत्तर: हाल के दशकों में भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर, व्यापार सहयोग, वीजा नीति में सुधार और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयासों जैसे कुछ समझौते हुए हैं। हालांकि, कई समझौते व्यावहारिक स्तर पर सीमित रहे।

2004 में श्रीनगर-मुज्जफराबाद के बीच बस सेवा की शुरुआत पर दोनों देशो में सहमती बनी। भारत-पाक ने परस्पर आर्थिक समझौते किये। भारत-पाक ने साहित्य, कला एवं सांस्कृति तथा खिलाड़ियों को विंजा देने के लिए आपस में समझौता किया। भारत-पाक युद्ध को कम करने के लिए परस्पर विश्वास बहाली के उपायों पर सहमत हुए है। जुलाई 2015 में रूस के उफ़ा शहर में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच बातचीत हुई। इस बैठक में मुंबई हमले के आरोपियों के विरुद्ध मुकदमे में तेजी लाने और उनकी आवाज़ के नमूने सौंपने पर सहमति बनी। साथ ही, दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एन.एस.ए.), बी.एस.एफ.–रेंजर महानिदेशकों और डी.जी.एम.ओ. के बीच संवाद स्थापित करने पर भी सहमति हुई। इसके अतिरिक्त, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर भी दोनों पक्षों ने सकारात्मक सहमति जताई।

7. ऐसे दो मसलों के नाम बताएँ जिन पर भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग है और इसी तरह दो ऐसे मसलों के नाम बताएँ जिन पर असहमति है।

उत्तर: सहयोग के मुद्दे:

सहयोग: व्यापार, जलवायु परिवर्तन पर और बांग्लादेश ने दिसम्बर, 1996 में फरक्का गंगा जल बंटवारे पर समझौता किया।

असहमति: गंगा जल बंटवारा और अवैध प्रवास के मुद्दे।

8. दक्षिण एशिया में द्विपक्षीय संबंधों को बाहरी शक्तियाँ कैसे प्रभावित करती हैं?

उत्तर: इसमें कोई दोराहे नहीं कि दक्षिण एशिया के देशों के आपसी संबंधों को बाहरी शक्तियाँ प्रभावित करती हैं जैसे कि भारत तथा पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों को बाहरी शक्तियाँ, जैसे अमेरिका, चीन आदि, आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक प्रभाव से दक्षिण एशियाई देशों के आपसी संबंधों को प्रभावित करती हैं। वे किसी एक देश का पक्ष लेकर संतुलन बिगाड़ती हैं या रक्षा समझौते कर तनाव को बढ़ाती हैं। चीन भी दक्षिण एशियाई देशों के आपसी संबंधों को काफी हद तक प्रभावित करता रहा है। भारत और चीन के बीच संबंधों में कुछ सुधार अवश्य हुआ है, लेकिन चीन और पाकिस्तान के घनिष्ठ रिश्तों के चलते भारत और चीन के बीच निकटता संभव नहीं हो पाई है। शीतयुद्ध के बाद दक्षिण एशिया में अमेरिका का प्रभाव तेजी से बढ़ा है। अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं और कई बार मध्यस्थ की भूमिका निभाकर अपनी पकड़ को और मजबूत किया है। भारत और पाकिस्तान द्वारा उदारीकरण की नीति अपनाना भी अमेरिका के इस प्रभाव का ही एक परिणाम माना जा सकता है।

9. दक्षिण एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में दक्षेस (सार्क) की भूमिका और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। दक्षिण एशिया की बेहतरी में ‘दक्षेस’ (सार्क) ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सके, इसके लिए आप क्या सुझाव देंगे?

उत्तर: दक्षेस (सार्क) की स्थापना दक्षिण एशिया के देशों के बीच सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए 1985 में की गई थी। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन, तकनीकी सहयोग, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था। दक्षेस ने कुछ हद तक इन लक्ष्यों की दिशा में प्रगति की है, जैसे कि साफ्टा (SAFTA) समझौता, आपदा प्रबंधन तंत्र, और सामाजिक क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाएं।

 सार्क की सीमाएं हैं—

(i) इस संगठन की सबसे बड़ी बाधा सदस्य देशों के आपसी राजनीतिक मतभेद, विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव हैं।

(ii) सार्क में सदस्य देशों के बीच राजनीतिक मतभेद, विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच, संगठन की प्रभावशीलता को कम करते हैं।

(iii) निर्णय प्रक्रिया में सर्वसम्मति की अनिवार्यता और सीमित आर्थिक संसाधन भी दक्षेस की प्रभावशीलता को कम करते हैं।

(iv) सार्क के अधिकांश देशो में आन्तरिक आशांति एवं अस्थिरता इसके मार्ग में रूकावट है।

सुझाव:

(i) दक्षेस को राजनीति से हटकर आर्थिक और सामाजिक सहयोग पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

(ii) द्विपक्षीय विवादों को दक्षेस से अलग रखते हुए बहुपक्षीय सहयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

(iii) व्यापार, तकनीक और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में ठोस परियोजनाएं चलाई जाएं।

(iv) सदस्य देशों के बीच विश्वास निर्माण के लिए सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान बढ़ाया जाए।

(v) दक्षेस सचिवालय की भूमिका को मजबूत और स्वतंत्र बनाया जाए।

10. दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर यह क्षेत्र एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता। इस कथन की पुष्टि में कोई भी दो उदाहरण दें और दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय सुझाएँ।

उत्तर: इसमें कोई संदेह नहीं कि दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते, परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ये देश एक सुर में नहीं बोल पाते जिस कारण यह अपना प्रभाव भी नहीं जमा पाते।

उदाहरण के लिए—

(i) अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत-पाक के विचार सदैव एक दूसरे से विपरीत होते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद, कश्मीर मुद्दे और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर गंभीर मतभेद हैं, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। इन मतभेदों के चलते दक्षिण एशियाई देशों के बीच सहयोग और आपसी विश्वास कमजोर पड़ जाता है, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर एकजुट होकर प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखना कठिन हो जाता है।

(ii) इसके अतिरिक्त सार्क के अन्य देशों को सदा ही यह भय लगा रहता है कि भारत जैसे विशाल तथा शक्तिशाली देश उन पर अपना दबदबा ना बना दे। SAARC, दक्षिण एशिया के देशों का एक महत्वपूर्ण संगठन है, लेकिन यह कई मुद्दों पर सदस्य देशों के बीच मतभेदों के कारण निष्क्रिय हो गया है। इस संगठन की निष्क्रियता से क्षेत्रीय सहयोग और विकास को बढ़ावा नहीं मिल पाता है।

दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय:

(i) यदि हम दक्षिण एशिया को मजबूत बनाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले दक्षिण एशिया के सभी देशों के बीच विश्वास का वातावरण पैदा होना चाहिए अथवा उन्हें एक दूसरे को संदेह की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए।

(ii) सार्क सदस्य देशों को आपसी समस्याओं के समाधान के लिए बाहरी शक्तियों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। उन्हें महाशक्तियों के हस्तक्षेप से बचते हुए इस क्षेत्र को आत्मनिर्भर और संतुलित बनाने का प्रयास करना चाहिए। आपसी संघर्षों को टालने के बजाय पारस्परिक संवाद और सहयोग के माध्यम से समाधान की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।

11. दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहुबली समझते हैं जो इस क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अंदरूनी मामलों में दखल देता है। इन देशों की ऐसी सोच के लिए कौन-कौन सी बातें जिम्मेदार है?

उत्तर: दक्षिण एशिया के छोटे देश भारत जैसे बड़े देश से डरते है इन देशो के डरने के निम्नलिखित कारण हो सकते है

(i) भारत दक्षिण एशिया की सबसे प्रभावशाली परमाणु और सैन्य शक्ति है।

(ii) भारत विश्व की बड़ी तेजी से उभरती आर्थिक व्यवस्था है। 

(iii) भारत एक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है।

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