NCERT Class 12 Political Science Chapter 2 सत्ता के समकालीन केन्द्र

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NCERT Class 12 Political Science Chapter 2 सत्ता के समकालीन केन्द्र

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Chapter: 2

समकालीन विश्व राजनीति

1. तिथि के हिसाब से इन सबको क्रम दें–

(क) विश्व ब्यापार संगठन में चीन का प्रवेश।2001

(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना। 1957

(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना।1992

(घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना।1994

उत्तर: (ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थपना।

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(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना।

(घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना।

(क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश।

2. ‘ASEAN way’ या आसियान शैली क्या है?

(क) आसियान के सदस्य देशों की जीवन शैली है।

(ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।

(ग) आसियान सदस्यों की रक्षानीति है।

(घ) सभी आसियान सदस्य देशों को जोड़ने वाली सड़क है।

उत्तर: (ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज की शैली को कहा जाता है।

3. इनमें से किसने ‘खुले द्वार’ की नीति अपनाई?

(क) चीन।

(ख) दक्षिण कोरिया।

(ग) जापान।

(घ) अमरीका।

उत्तर: (क) चीन।

4. खाली स्थान भरे—

(क) 1962 में भारत और चीन के बीच _________ और _________ को लेकर सीमावती लड़ाई हुई थी।

उत्तर: 1962 में भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख को लेकर सीमावती लड़ाई हुई थी।

(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में ________ और ________ करना शामिल है।

उत्तर: आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में आर्थिक विकास और सामाजिक विकास करना शामिल है।

(ग) चीन ने 1972 में _________ के साथ दोतरफा संबंध शुरू करके अपना एकांतपास समाप्त किया।

उत्तर: चीन ने 1972 में अमेरिका के साथ दोतरफा संबंध शुरू करके अपना एकांतपास समाप्त किया।

(घ) __________ योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।

उत्तर: मार्शल योजना योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।

(ङ) _________ आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।

उत्तर: सुरक्षा समुदाय आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।

5. क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य क्या है?

उत्तर: क्षेत्रीय संगठनों को बनाने का उद्देश्य अपने -अपने क्षेत्र में चलने वाली ऐतिहासिक दुश्मनियों को भुला देना है। साथ ही साथ जो भी कमजोरियाँ या कठिनाइयाँ क्षेत्रीय देशों के सामने आती हैं, उनका समाधान परस्पर सहयोग से स्थानीय स्तर पर ढूढ़ने का प्रयास करना है। इन संगठनों का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामरिक सहयोग बढ़ाना। क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करना। व्यापार, निवेश और मानव संसाधनों के स्वतंत्र प्रवाह को बढ़ावा देना है।

6. भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर क्या असर होता है?

उत्तर: क्षेत्रीय संगठनों के गठन में भौगोलिक निकटता की अहम भूमिका होती है। पास-पास स्थित देशों के बीच समान हितों, चुनौतियों और सांस्कृतिक समानताओं के कारण सहयोग की भावना प्रबल होती है, जिससे संगठन की आवश्यकता और भावना स्वतः विकसित होती है। इस भावना के विकास के साथ पारस्परिक संघर्ष और युद्ध धीरे-धीरे, पारस्परिक सहयोग और शांति का रूप ले लेती है। भौगोलिक एकता मेल – मिलाप के साथ साथ आर्थिक सहयोग और अंतर्देशीय व्यापार को भी प्रोत्साहित करती है।

सदस्य राष्ट्र बड़ी आसानी से सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था करके कम धन व्यय करके अपने लिए सैनिक सुरक्षा दल गठित कर सकते हैं और बचे हुए धन को कृषि, दल गठित कर सकते हैं और बचे हुए धन को कृषि, उद्योग, विद्युत, यातायात, शिक्षा, सड़क, संवादवहन, व्यवस्था आदि सुविधाओं को जुटाने और जीवन स्तर को ऊचा उठाने में प्रयोग कर सकते हैं। ऐसा वातावरण सामान्य सरकार के गठन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ तैयार कर सकता है। यदि किसी क्षेत्र के विभिन्न देश क्षेत्रीय संगठन बना लें, तो वे आपस में सड़क मार्गों और रेल सेवाओं के माध्यम से आसानी से जुड़ सकते हैं, जिससे आपसी सहयोग और विकास को बढ़ावा मिलता है।

7. ‘आसियान बितन-2020’ की मुख्य-मुख्य बातें क्या है?

उत्तर: आसियान तेज़ी से बढ़ता हुआ एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। इसके विजन दस्तावेज 2020 में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बहिर्मुखी भूमिका को प्रमुखता दी गई है। यह बात प्रमुख रूप से सामने आई कि आसियान अब अपने आर्थिक और सामाजिक लक्ष्यों को ज़्यादा स्पष्ट और सक्रियता से पूरा कर रहा है। इसमें विवाद समाधान के लिए संवाद, सांस्कृतिक संबंध, और संयुक्त सुरक्षा प्रयासों पर बल दिया गया।

8 आसियात समुदाय के मुख्य स्तंभों और उनके उद्देश्यों के बारे में बताएँ।

उत्तर: आसियान समुदाय के मुख्य स्तंभ स्वयं इसके उद्देश्य हैं। आसियान, दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 1967 में ‘बैंकाक घोषणा’ पर हस्ताक्षर करके की गई थी। इस संगठन की स्थापना इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड—इन पाँच देशों ने मिलकर की थी। ‘आसियान’ का उद्देश्य मुख्य रूप से आर्थिक विकास को तेज करना और उसके माध्यम से सामाजिक और संस्कृतिक विकास हासिल करना था। कानून के शासन और संयुक्त राष्ट्र के कायदों पर आधारित क्षेत्रीय शांति और स्थयित्व को बढ़ावा देना भी इसका उद्देश्य था। आसियान के कामकाज में राष्ट्रीय सार्वभौमिकता का सम्मान करना बहुत ही महत्त्वपूर्ण रहा है। दुनिया के सबसे तेज़ी से आर्थिक प्रगति करने वाले देशों के संगठन आसियान ने अब अपने उद्देश्यों को केवल आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों तक सीमित न रखते हुए उन्हें और अधिक व्यापक रूप दिया है।

9. आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है?

उत्तर: पुरानी चीनी अर्थव्यवस्था सरकार द्वारा नियंत्रित थी, जिसमें निजी स्वामित्व की अनुमति नहीं थी। आर्थिक शक्ति के रूप में चीन के उदय ने सारे विश्व को चौंका दिया है। 1970 के दशक में चीन ने अमेरिका से संबंध बनाकर अपने लिए विदेशी व्यापार का रास्ता खोला और 1973 में चीन के प्रधानमंत्री ने कृषि, उद्योग और विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के लिये नये प्रस्ताव रखे। 1978 में तत्कालीन नेता ने देश में आर्थिक सुधारों की घोषणा की और खुले द्वार की नीति की घोषणा की। 1982 में चीन ने कृषि क्षेत्र का निजीकरण किया और इसके बाद 1988 में औद्योगिक क्षेत्र का भी निजीकरण कर दिया गया। व्यापार से जुड़े नए कानून बनाए गए और विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की गई, जिससे विदेशी व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इन सुधारों के परिणामस्वरूप चीन विश्व का सबसे आकर्षक विदेशी निवेश गंतव्य बन गया। वर्तमान में चीन के पास विदेशी मुद्रा का विशाल भंडार है। वर्ष 2001 में चीन विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना, जिससे उसने अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाज़ार के लिए और अधिक खोल दिया।

10. किस तरह यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी परेशानियाँ सुलझाई? संक्षेप में उन कदमों की चर्चा करें जिनसे होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।

उत्तर: यूरोपीय संघ की स्थापना दूसरे विश्व युद्ध का परिणाम कही जा सकती हैं। 1945 तक यूरोपीय देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं की बर्बादी तो झेली ही, उन मान्यताओं और व्यवस्थाओं को ध्वस्त होते भी देख लिया जिन पर यूरोप खड़ा हुआ था। यूरोपीय देशों ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सहयोग और एकता की नीति अपनाई। 1945 के बाद यूरोप के देशों में मेल-मिलाप को शीतयुद्ध से भी मदद मिली। अमरीका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए जबरदस्त मदद की। इसे मार्शल योजना के नाम से जाना जाता है। अमेरिका ने ‘नाटो’ के तहत एक सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को जन्म दिया। मार्शल योजना के तहत ही 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद दी गई। यह एक ऐसा मंच बन गया जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों ने व्यापार और आर्थिक मामलों में एक-दूसरे की मदद शुरू की। 1957 में यूरोपीयन इकॉनामिक कम्युनिटी का गठन हुआ। यूरोपीयन पार्लियामेंट के गठन के बाद इस प्रक्रिया ने राजनीतिक स्वरूप प्राप्त कर लिया। सोवियत गुट के पतन के बाद इस प्रक्रिया में तेजी आयी और 1992 में इस प्रक्रिया की परिणति यूरोपीय संघ की स्थापना के रूप में हुई। यूरोपीय संघ के रूप में समान विदेश और सुरक्षा नीति, आआंतरिक मामलों तथा न्याय से जुड़े मुद्दों पर सहयोग बढ़ाया। 

11. यूरोपीय संघ को क्या चीजें एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती हैं।

उत्तर: यूरोपीय संघ को एक प्रभावशाली क्षेत्रीय संगठन  निम्नलिखित हैं—

(i) यूरोपीय संघ की भौगोलिक स्थिति व उनकी भौगोलिक निकटता इस क्षेत्रीय संगठन को मजबूती प्रदान करती हैं।

(ii) यूरोपीय संघ का अपना स्थापना दिवस, झंडा, “राष्ट्रीय गान और ‘यूरो’ जैसी साझा प्रतीकों ने यूरोपीय देशों को एक सशक्त और पहचानयुक्त क्षेत्रीय संगठन के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”

(iii) यूरोपीय संघ का आर्थिक, राजनैतिक, कूटनीतिक और सैन्य प्रभाव अत्यंत प्रभावशाली है। विश्व व्यापार में अमरीका से तीन गुना हिस्सेदारी होने के कारण यह अमरीका और चीन से व्यापारिक विवादों में मजबूती से बातचीत करता है। यह विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठनों के अंदर एक महत्त्वपूर्ण समूह केरूप में काम करता है।

(iv) ब्रिटेन और फ्रांस यूरोपीय संघ के स्थायी सुरक्षा परिषद् सदस्य हैं, जबकि कई अन्य सदस्य देश अस्थायी रूप से इसमें शामिल रहते हैं। इसके चलते यूरोपीय संघ अमरीका समेत सभी मुल्कों की नीतियोंको प्रभावित करता है।

(v) सैनिक ताकत के हिसाब से यूरोपीय संघ के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। इसका कुल रक्षा बजट अमरीका के बाद सबसे अधिक है।

12. चीन और भारत की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौजूदा एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती दे सकने की क्षमता है। क्या आप इस कथन से सहमत है? अपने तर्कों से अपने विचारों को पुष्ट करें।

उत्तर: हाँ, में इस कथन से सहमत हूँ। चीन और भारत की नई आर्थिक नीतियों, सैन्य शक्ति, प्रौद्योगिकी, जनसंख्या बल और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के कारण ये देश विश्व व्यवस्था में प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। चीन का वैश्विक व्यापार में प्रभुत्व और भारत की IT तथा सेवा क्षेत्र में मज़बूती, भारत और चीन दोनों ही तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाएँ हैं और वैश्विक स्तर पर उनके प्रभाव में वृद्धि हो रही है।

भारत और चीन की आर्थिक वृद्धि दर को देखें। दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएँ पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं। भारत और चीन वैश्विक मंच पर प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। दोनों देश प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सक्रिय सदस्य हैं और उनकी आर्थिक, राजनीतिक तथा सैन्य क्षमता के कारण उनके निर्णयों का अंतरराष्ट्रीय नीतियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। विकसित होती अर्थव्यवस्थाएं, व्यापक जनसंख्या और वैश्विक सहयोग की नीति इन्हें विश्व व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती है। भविष्य में भारत और चीन की सामरिक और राजनीतिक स्थिति का आकलन करें। यदि ये देश एकजुट होते हैं, तो वे एक-ध्रुवीय व्यवस्था को चुनौती देने में सक्षम हो सकते हैं।

13. मुल्कों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है। इस कथन की पुष्टि करें।

उत्तर: मुल्कों की शांति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठन को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है क्योंकि इससे कृषि, उद्योग, व्यापार जगत आदि को बढ़ावा मिलता है, जैसे यूरोप और एशियन ने अपने क्षेत्रों में संघर्ष को कम किया, विकास की गति तेज़ की, और वैश्विक मंच पर सम्मिलित आवाज़ को मजबूत किया। इससे शांति और समृद्धि को बढ़ावा मिला।

14. भारत और चीन के बीच विवाद के मामलों की पहचान करें और बताएं कि वृहत्तर सहयोग के लिए इन्हें कैसे निपटाया जा सकता है। अपने सुझाव भी दीजिए।

उत्तर: चीनी नेता देंग श्याओपेंग ने सन् 1978 में ओपेन डोर (मुक्त द्वार) की नीति चलाई जिसका देश पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ा। इस नीति के कारण चीन ने अद्भुत प्रगति की तथा वह आगामी वर्षों में विश्व की एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा।

भारत और चीन के बीच प्रमुख विवाद सीमाओं को लेकर हैं, विशेष रूप से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर तनाव बना रहता है। इसके अलावा व्यापारिक असंतुलन, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के बांध, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मतभेद जैसे मुद्दे भी संबंधों को प्रभावित करते हैं।

इन विवादों को हल करने के लिए निरंतर संवाद, कूटनीतिक प्रयास और विश्वास निर्माण जरूरी है। सीमा विवादों पर स्पष्टता, संयुक्त आर्थिक परियोजनाएं, तकनीकी सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शिक्षा के क्षेत्र में साझेदारी से संबंध सुधर सकते हैं।

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