NCERT Class 12 Political Science Chapter 1 दो ध्रुवीयता का अंत

NCERT Class 12 Political Science Chapter 1 दो ध्रुवीयता का अंत Solutions Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 12 Political Science Chapter 1 दो ध्रुवीयता का अंत and select need one. NCERT Class 12 Political Science Chapter 1 दो ध्रुवीयता का अंत Question Answers Download PDF. NCERT Class 12 Political Science Samakalin Vishwa Rajniti Texbook Solutions in Hindi.

NCERT Class 12 Political Science Chapter 1 दो ध्रुवीयता का अंत

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 12 Political Science Samakalin Vishwa Rajniti Textual Solutions in Hindi Medium are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 12 Political Science Chapter 1 दो ध्रुवीयता का अंत Notes, CBSE Class 12 Political Science Samakalin Vishwa Rajniti in Hindi Medium Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 1

समकालीन विश्व राजनीति

1. सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?

(क) सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी।

(ख) उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व/नियंत्रण होना।

(ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।

(घ) अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियंत्रण राज्य करता था।

उत्तर: (ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

2. निम्नलिखित को कालक्रमानुसार सजाएँ?

(क) अफ़गान-संकट।

(ख) बर्लिन-दीवार का गिरना।

(ग) सोवियत संघ का विघटन।

(घ) रूसी क्रांति।

उत्तर: (घ) रुसी क्रांति।

3. निम्नलिखित में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है?

(क) संयुक्त राज्य अमरीका और सोवियत संघ के बीच विचारधारात्मक लड़ाई का अंत।

(ख) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल (सीआईएस) का जन्म।

(ग) विश्व-व्यवस्था के शक्ति-संतुलन में बदलाव।

(घ) मध्यपूर्व में संकट।

उत्तर: (घ) मध्यपूर्व में संकट।

4. निम्नलिखित में मेल बैठाएं—

(1) मिख़ाइल गोर्बाचेव(क) सोवियत संघ का उत्तराधिकारी
(2) शॉक थेरेपी(ख) सैन्य समझौता
(3) रूस(ग) सुधारों की शुरुआत
(4) बोरिस येल्तसिन(घ) आर्थिक मॉडल
(5) वारसॉ(ङ) रूस के राष्ट्रपति

उत्तर: 

(1) मिख़ाइल गोर्बाचेव(ग) सुधारों की शुरुआत
(2) शॉक थेरेपी(घ) आर्थिक मॉडल
(3) रूस(क) सोवियत संघ का उत्तराधिकारी
(4) बोरिस येल्तसिन(ङ) रूस के राष्ट्रपति
(5) वारसॉ(ख) सैन्य समझौता

5. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

(क) सोवियत राजनीतिक प्रणाली ___________ की विचारधारा पर आधारित थी।

उत्तर: सोवियत राजनीतिक प्रणाली समाजवाद की विचारधारा पर आधारित थी।

(ख) सोवियत संघ द्वारा बनाया गया सैन्य गठबंधन __________ था।

उत्तर: सोवियत संघ द्वारा बनाया गया सैन्य गठबंधन वारसा पैक्ट था।

(ग) __________ पार्टी का सोवियत राजनीतिक व्यवस्था पर दबदबा था।

उत्तर: साम्यवादी पार्टी का सोवियत राजनीतिक व्यवस्था पर दबदबा था।

(घ) ___________ ने 1985 में सोवियत संघ में सुधारों की शुरुआत की।

उत्तर:  मिख़ाइल गोर्बाचेव ने 1985 में सोवियत संघ में सुधारों की शुरुआत की।

(ङ) __________ का गिरना शीतयुद्ध के अंत का प्रतीक था।

उत्तर: बर्लिन की दीवार का गिरना शीतयुद्ध के अंत का प्रतीक था।

6. सोवियत अर्थव्यवस्था को किसी पूँजीवादी देश जैसे संयुक्त राज्य अमरीका की अर्थव्यवस्था से अलग करने वाली किन्हीं तीन विशेषताओं का जिक्र करें।

उत्तर: सोवियत अर्थव्यवस्था को पूँजीवादी देश जैसे संयुक्त राज्य अमरीका की अर्थव्यवस्था से अलग करने वाली  तीन विशेषताएँ है—

(i) राज्य का नियंत्रण: सोवियत अर्थव्यवस्था में सभी उत्पादन के साधनों पर राज्य का नियंत्रण था, जबकि पूँजीवादी देशों में विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका में उद्योगों को विशेष महत्त्व दिया गया।

(ii) योजना आधारित उत्पादन: सोवियत संघ में योजनाओं के अनुसार उत्पादन होता था, जबकि पूँजीवादी देशों में निजीकरण को अपनाया गया।

(iii) मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति: सरकार नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य आदि मूलभूत सेवाएँ सुनिश्चित करती थी, जो पूँजीवादी देशों में निजी क्षेत्र के अधीन होती हैं।

7. किन बातों के कारण गोर्बाचेव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए?

उत्तर: निम्नलिखित बातों के कारण गोर्बाचेव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए—

(i) आर्थिक विकास में ठहराव और संसाधनों की कमी।

(ii) जनता में बढ़ती असंतुष्टि और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मांग।

(iii) सोवियत संघ अपने नागरिकों की आर्थिक और राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहा था।

(iv) पश्चिमी देशों के साथ संबंध सुधारने और प्रतिस्पर्धा में बने रहने की आवश्यकता।

(v) सोवियत संघ की नौकरशाही जड़ता थी।

8. भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए?

उत्तर: (i) सोवियत संघ के विघटन के साथ ही शीत युद्ध के दौरान दो महाशक्तियों के बीच चल रहा वैचारिक संघर्ष और टकराव समाप्त हो गया। 

(ii) सैन्य गठबंधन समाप्त कर दिए गए और विश्व शांति और सुरक्षा की मांग उठी। 

(iii) नवीन विदेश नीति की आवश्यकता भारत को वैश्विक शक्तियों (जैसे अमेरिका और यूरोपीय संघ) से नए संबंध बनाने पड़े। गैर-पक्षपाती आंदोलन (NAM) की कमजोर होती भूमिका।

(iv) अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बन गया और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हावी हो गई। संक्रमण काल के दौरान इन देशों को उनके आर्थिक समर्थन के कारण विश्व बैंक और आईएमएफ शक्तिशाली सलाहकार बन गए। 

(v) उदार लोकतंत्र की गति राजनीतिक जीवन को व्यवस्थित करने के एक तरीके के रूप में उभरी। 

(vi) सैन्य और रणनीतिक सहयोग में कमी  सोवियत संघ भारत का प्रमुख सहयोगी था।

9. शॉक थेरेपी क्या थी? क्या साम्यवाद से पूँजीवाद की तरफ संक्रमण का यह सबसे बेहतर तरीका था?

उत्तर: शॉक थेरेपी का सत्तावादी समाजवादी व्यवस्था को अचानक समाप्त कर पूँजीवादी व्यवस्था लागू हुआ था। इसमें निजीकरण, बाजार-उन्मुक्तिकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा देना शामिल था। रूस, मध्य एशिया के गणराज्यों और पूर्वी योरोप के देशों में साम्यवाद से पूँजीवाद की ओर संक्रमण का एक खास मॉडल अपनाया गया। विश्व बैंक और अंतर्राष्टीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित इस मॉडल को ‘शॉक थेरेपी’ अर्थात (आघात पहुंचकर उपचार करना) कहा गया है। पूर्ववर्ती ‘दूसरी दुनिया’ के देशों में शॉक थेरेपी की गति और तीव्रता भले ही अलग-अलग रही हो, लेकिन इसकी दिशा और स्वरूप काफी हद तक समान थे।

1990 में अपनायी गई ‘शॉक थेरेपी’ जनता को उपभोग के उस ‘आनंदलोक’ तक नहीं ले गई जिसका उसने वादा किया था। अमूमन ‘शॉक थेरेपी’ से पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई और इस क्षेत्र की जनता को बर्बादी की मार झेलनी पड़ी। लगभग 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों या कंपनियों को बेचा गया जिससे रुसी मुद्रा में नाटकीय ढंग से गिरावट आई जिसके कारण वहाँ लोगो की जमा पूंजी भी चली गई। समाज कल्याण की पूर्ववर्ती व्यवस्था को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया। सरकारी सहायता और रियायतों के खत्म होने से अधिकांश लोग गरीबी की स्थिति में पहुँच गए। मध्य वर्ग हाशिए पर चला गया, और कई देशों में एक नया ‘माफिया वर्ग’ उभर कर सामने आया, जिसने अधिकांश आर्थिक गतिविधियों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।

10. निम्नलिखित कथन के पक्ष या विपक्ष में एक लेख लिखें दूसरी दुनिया के विघटन के बाद भारतको अपनी विदेश नीति बदलनी चाहिए और रूस जैसे ” परंपरागत मित्र की जगह संयुक्त राज्य अमरीका से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।”

उत्तर: दूसरी दुनिया के विघटन के बाद वैश्विक शक्ति-संतुलन बदल गया और अमेरिका एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरा। इस नए परिदृश्य में भारत के लिए अपनी विदेश नीति में लचीलापन लाना आवश्यक हो गया। अमेरिका से संबंध बढ़ाने से भारत को आर्थिक, तकनीकी और रक्षा क्षेत्रों में लाभ हुआ है। हालांकि, रूस भारत का पारंपरिक मित्र रहा है, जिसने कठिन समय में भी साथ निभाया। विदेश नीति का उद्देश्य केवल मित्र बदलना नहीं, बल्कि रणनीतिक संतुलन बनाए रखना होना चाहिए। इसलिए भारत को अमेरिका से निकटता बढ़ाते हुए भी रूस से संबंध मजबूत बनाए रखने चाहिए। 

रूस, भारत का वर्षों पुराना भरोसेमंद सहयोगी रहा है। चाहे वह रक्षा हो, अंतरिक्ष अनुसंधान हो या ऊर्जा क्षेत्र—रूस ने भारत को समय-समय पर तकनीकी और सामरिक सहायता प्रदान की है। अमेरिका के साथ मित्रता ज़रूरी है, लेकिन रूस जैसे रणनीतिक साझेदार को नजरअंदाज करना विवेकपूर्ण नहीं होगा।

साथ ही, अमेरिका की विदेश नीति अक्सर स्वार्थ और दबाव की राजनीति से प्रेरित रहती है, जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए हितकर नहीं हो सकती। ऐसे में भारत को संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए बहुपक्षीय रिश्तों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top