NIOS Class 12 Hindi Chapter 5 उत्तर छायावादी कविता: दिनकर और बच्चन

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NIOS Class 12 Hindi Chapter 5 उत्तर छायावादी कविता: दिनकर और बच्चन

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उत्तर छायावादी कविता: दिनकर और बच्चन

Chapter: 5

HINDI

प्रथम पृष्ठ – पुस्तक – 1 बोध प्रश्न 5.1

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. कवि ने किसके समान जीने के लिए कहा है-

(क) वैरागियों के।

(ख) योगियों के।

(ग) विजयी के।

(घ) चट्टानों के।

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उत्तर: (ग) विजयी के।

2. जाति की लगन और व्यक्ति की धुन किसे कहा गया है-

(क) स्वातंत्र्य को।

(ख) भीतरी गुणों को।

(ग) वीरत्व को।

(घ) ओज को।

उत्तर: (क) स्वातंत्र्य को।

3. कवि के अनुसार स्वाधीनता के लिए किसे बहा देना उचित है-

(क) आँधियों को।

(ख) अनुओं को।

(ग) उमंग का।

(घ) खून को।

उत्तर: (घ) खून को।

पाठगत प्रश्न 5.1

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. असंभव लगने वाले उद्देश्य को कैसे संभव बनाया जा सकता है-

(क) तपस्या करके।

(ख) शिलाएँ तोड़कर।

(ग) भुजाओं के बल से।

(घ) सोच का पान करके।

उत्तर: (ग) भुजाओं के बल से।

2. ‘है रुकी जहाँ भी धार’ प्रतीक है:

(क) पानी की धारा का।

(ख) मार्ग में आने वाली बाधाओं का।

(ग) नदी की धार के बीच में आई चट्टान का।

(घ) रास्ते में पड़ने वाले तालाब का।

उत्तर: (ख) मार्ग में आने वाली बाधाओं का।

पाठगत प्रश्न 5.2

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. स्वतंत्र रहना मनुष्य का कौन-सा गुण है-

(क) भीतरी।

(ख) बाहरी।

(ग) अर्जित।

(घ) क्षणिक।

उत्तर: (क) भीतरी।

2. वीरों में उमंग तब उठती है जब वे-

(क) शत्रु को आँधी के समान आता देखते हैं।

(ख) शत्रु-सेना को भागते देखते हैं।

(ग) रक्त की बजाए आँसू बहाते हैं।

(घ) दुश्मन को पराजित होता देखते हैं।

उत्तर: (क) शत्रु को आँधी के समान आता देखते हैं।

बोध प्रश्न 5.2

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. कवि अपने को किसके बंधन से आजाद न कर पाने की विवशता व्यक्त कर रहा है-

(क) भूलने के।

(ख) दुख के।

(ग) सुख के।

(घ) यादों के।

उत्तर: (घ) यादों के।

2. आँखों में आँसू कब आते हैं?

(क) सुखों के याद आने पर।

(ख) दुखों के याद आने पर।

(ग) उन्माद की अवस्था में।

(घ) रात्रि के होने पर।

उत्तर: (क) सुखों के याद आने पर।

पाठगत प्रश्न 5.3

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. कवि ने उन्मादों के क्षण कहा है–

(क) याद करने को।

(ख) भूलने को।

(ग) स्मृतियों को।

(घ) सूनेपन को।

उत्तर: (ग) स्मृतियों को।

2. प्रस्तुत पंक्तियों में ‘किन-किन’ का प्रयोग हुआ है-

(क) भूलों के लिए।

(ख) सूनी घड़ियों के लिए।

(ग) रजनी के लिए।

(घ) उन्माद के क्षणों के लिए।

उत्तर: (घ) उन्माद के क्षणों के लिए।

पाठगत प्रश्न 5.4

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. प्रस्तुत अंश में कवि किसे दोष देता है-

(क) स्वयं को।

(ख) भूलों को।

(ग) दुख को।

(घ) आँसुओं को।

उत्तर: (क) स्वयं को।

2. दुखों की याद कवि पर क्या प्रभाव डालती है-

(क) उसकी आँखों में आँसू दे जाती है।

(ख) वह दूसरों को दोष देने लगता है।

(ग) उसका मन व्यथा में डूब जाता है।

(घ) उसका दिल भारी कर जाती है।

उत्तर: (घ) उसका दिल भारी कर जाती है।

पाठगत प्रश्न 5.5

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. कवि के प्रस्तुत अंश में अधिकता है-

(क) क्रोध की।

(ख) नाराजगी की।

(ग) ईर्ष्या की।

(घ) विवशता की।

उत्तर: (घ) विवशता की।

2. कवि स्वयं को किसके बंधन में पाता है-

(क) अतीत की यादों के।

(ख) सोच न पाने के।

(ग) भूलने के।

(घ) पछतावे के।

उत्तर: (क) अतीत की यादों के।

5.11 पाठांत प्रश्न

1. कवि दिनकर देशवासियों को योगी के स्थान पर विजयी बनने का संदेश क्यों दे रहे हैं? प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: कवि दिनकर जी चाहते है कि देशवासी जीवन-संग्राम में अपने कर्तव्य पथ पर सदा विजयी बनें। योगी, योग-ध्यान में लीन सांसारिक मोह से दूर चुप बैठा होता है, जबकि वीर विजय की लालसा में कर्तव्य पथ पर चलता हुआ, विजय पताका फहरा कर ही दम लेता है। लेकिन कवि का तात्पर्य यह नहीं है कि हमेशा लड़ाई-झगड़े करते रहो। कवि यहाँ कहना चाहता है कि संघर्ष की जरूरत के समय योगियों से देश का उद्घार नहीं होगा, वीरों से ही देश की रक्षा होगी।

2. दिनकर की कविता में अनेक स्थानों पर लाक्षणिक प्रयोग हुआ है। ऐसी चार पंक्तियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: दिनकर की कविता में अनेक स्थानों पर लाक्षणिक प्रयोग हुआ है।

ऐसी चार पंक्तियों का उल्लेख किया गया है–

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालो

चट्टानों की छाती से दूध निकालो।

है रुकी जहाँ भी धार शिलाएं तोड़ो,

पीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ो।

3. स्वाधीनता हमारे लिए क्यों आवश्यक है? ‘परशुराम के उपदेश’ के आधार पर किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: स्वाधीनता हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें अपने जीवन में स्वतंत्रता और स्वतंत्र निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करती है। यह किसी भी व्यक्तियों को अपने विचार स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने और प्रतिशोध के डर के बिना सार्वजनिक जीवन में भाग लेने में सक्षम बनाता है।

‘परशुराम के उपदेश’ के दो बिंदुओं है–

(i) देशवासियों का स्वाधीनता से संघर्ष करने की प्रेरणा दी गई है।

(ii) कहने को तो हमने अंग्रेजों की पराधीनता से संघर्ष करके स्वाधीनता हासिल कर ली लेकिन हम आज भी पूरी तरह स्वतंत्र नही हो पाये हैं। हम किसी न किसी रूप में किसी न किसी बंधन में हैं।

4. स्वाधीनता और उद्यम का क्या संबंध है? उल्लेख कीजिए।

उत्तर: स्वतंत्रता और उद्यमिता का एक महत्वपूर्ण संबंध यह है की उद्यमिता में स्वतंत्रता का मतलब सिर्फ़ स्वायत्तता या खुद का मालिक होना नहीं है। यह व्यक्तियों को अभिनव तरीके से सोचने, गणना किए गए जोखिम लेने और आत्म-प्रेरित होने की अनुमति देता है, जो सभी एक सफल व्यवसाय को विकसित करने और चलाने के लिए आवश्यक हैं। स्वाधीनता व्यक्ति को अपने निर्णयों और कार्रवाई में स्वतंत्रता प्रदान करती है, जबकि उद्यम उसे नई समस्याओं का सामना करने और समाधान ढूंढने में प्रेरित करता है। दोनों गुण संयुक्त रूप से व्यक्ति को समृद्धि और समाजिक प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। कुल मिलाकर, स्वतंत्रता उद्यमशीलता की भावना और रचनात्मकता का एक मूलभूत अग्रदूत है।

5. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो, 

चट्टानों की छाती से दूध निकालो।

है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो, 

पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो।

उत्तर: प्रसंग: कवि के विचार यह है कि हमें समयानुसार आचरण करना चाहिए। वैराग्य धारण करना प्रत्येक वैन परिस्थिति में ठीक नहीं है। इसलिए वह देशवासियों से कहता है- तुम वैराग्य छोड़ो, अपनी भुजाओं की शक्ति को पहचानो अर्थात् संसार के प्रति उदासीनता का मार्ग छोड़कर सकर्मक बनो। अपनी शक्ति के अनुरूप तलवार और बंदूक उठाओ और कठिन परिस्थितियों में भी अपना मार्ग खोजो। दुर्गम सीमाओं को पार करो और अपना लक्ष्य प्राप्त करो। ऐ देशवासियो!, योगी नहीं, वरन विजयी के समान जीना सीखो।

व्याख्या: इस उद्धरण में कवि ने जीवन में आने वाली कठिनाइयों और चुनौतियों से जूझने की प्रेरणा दी है। वह हमें वैराग्य और निराशा को छोड़कर, अपनी शक्तियों का उपयोग करने के लिए कहते हैं। “वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो” का अर्थ है कि हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए अपनी सक्रियता और ऊर्जा को पहचानना चाहिए। “चट्टानों की छाती से दूध निकालो” और “है रुकी जहाँ भी धार, शिलाएँ तोड़ो” ये पंक्तियाँ संघर्ष और परिश्रम के महत्व को दर्शाती हैं। जब जीवन में कोई रुकावट आए, तो हमें उसे पार करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए। अंत में, “पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो” का संदेश है कि हमें अपने लक्ष्य और अवसरों से पूरी तरह से लाभ उठाना चाहिए। कवि का यह उद्धरण हमें यह सिखाता है कि किसी भी कठिन परिस्थिति में हमें हार मानने के बजाय संघर्ष करना चाहिए और अपनी पूरी क्षमता से काम करना चाहिए।

6. ‘अगणित उन्मादों के क्षण’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर: ‘अगणित उन्मादों के क्षण’ से कवि का आशय यह है कि कवि का मानना है कि जीवन में ऐसे अनगिनत क्षण हैं जो उसे सुख प्रदान करते हैं, जो जीवन में नई ऊर्जा का संचार करते हैं, उत्साहित और उल्लसित (प्रसन्न) करते हैं। साथ ही, वह अवसादों के क्षणों को भी याद करता है। कवि के जीवन में ऐसे अनगिनत क्षण आते हैं जब वह अवसादों से घिर जाता है और बहुत दुखी और उदास हो जाता है। उन्माद और अवसाद दोनों ही कवि को इस एकांत व सूनेपन में पीड़ा पहुँचा रहे हैं। वह असमंजस की स्थिति में है कि अकेलेपन में खुशी के क्षणों को याद करे या दुख के। सच तो यह है कि वह कुछ भी भूल नहीं पा रहा इसीलिए भूलने और याद करने की दुविधा में है।

7. ‘सुधियों’ को ‘बंधन’ क्यों कहा गया है?

उत्तर: ‘सुधियों’ को ‘बंधन’ इसलिए कहा गया है क्योंकि कवि यह सुझाव दे रहे है कि यादें एक तरह की भावनात्मक कैद हो सकती हैं। मेंढ़ी को बंधन के रूप में समझा गया है, जिसे उसके अपने प्राकृतिक संसार से बाँधकर रखा जाता है। कवि भूलने और याद रखने के बीच उलझा हुआ है, यह दर्शाता है कि यादें उन्हें परेशान कर रही हैं या किसी तरह से उन्हें रोक रही हैं।

8. ‘क्या भूलूँ, क्या याद करूं’ एक भावुकतापूर्ण कविता क्यों है?

उत्तर: “क्या भूलूँ, क्या याद करूं” को एक भावुकतापूर्ण कविता इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि इसमें कवि ने जीवन के उन यादों और अनुभवों की ओर इशारा किया है, जो मनुष्य के दिल को गहरे तरीके से छू जाते हैं। यह कविता भावनाओं के मिश्रण का जीवंत उदाहरण है, जिसमें कवि अपने जीवन की स्मृतियों के बीच उलझन महसूस करता है।

9. ‘क्या भूलें, क्या याद करूँ’ कविता में कवि की विवशता की अभिव्यक्ति किस प्रकार हुई है?

उत्तर: लाक्षणिकता का प्रयोग भी इस कविता में है जब कवि कहता है- ‘सुधियों के बंधन से कैसे अपने को आजाद करूँ मैं।’ इसका अर्थ है कि कवि पर यादें बहुत अधिक प्रभाव डाल रही हैं। वह पुरानी यादों से मुक्त नहीं हो पा रहा। हर अनुभवी व्यक्ति के जीवन में ऐसा समय आता है जब वह अतीत के अनगिनत सुख-दुख वाले दिनों को याद करता है। इन दिनों को याद करके वह वर्तमान में प्रसन्न होता है या उदास होता है। उदासी या दुख भाव की प्रभावशाली अभिव्यक्ति इस कविता में हुई है। कवि ने बड़े मार्मिक ढंग से इस बात की अभिव्यक्ति की है कि स्मृतियों या यादों से छुटकारा पाना किसी के लिए संभव नहीं होता। वर्तमान के सूनपने में स्मृतियाँ हलचल भर देती है।

10. ‘क्या भूलूँ, क्या याद करू’ कविता की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर: ‘क्या भूलूँ, क्या याद करू’ कविता की भाषा की दो विशेषताएँ है–

(i) भावपूर्णता: यह कविता भावनाओं को बहुत ही सुंदर ढंग से व्यक्त करती है। कवि अतीत की स्मृतियों में खोया हुआ है, सुख और दुख दोनों ही भावों का अनुभव कर रहा है।

(ii) व्याकरणिक संरचना: यह कविता शब्दों के जादूगरी तरीके से व्याकरण का पालन करती है, जो की उसे सुरीला और समर्पित बनाता है। 

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