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NIOS Class 12 Hindi Chapter 4 छायावादी काव्य: निराला और जयशंकर प्रसाद
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छायावादी काव्य: निराला और जयशंकर प्रसाद
Chapter: 4
HINDI
प्रथम पृष्ठ – पुस्तक – 1 बोध प्रश्न 4.1 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. श्रमिक स्त्री को क्या प्रिय है-
(क) गुरु हथौड़ा।
(ख) मन।
(ग) कर्म।
(घ) प्रहार।
उत्तर: (ग) कर्म।
2. कविता में किस प्रकार के मौसम का वर्णन है-
(क) ग्रीष्म का।
(ख) शिशिर का।
(ग) वर्षा का।
(घ) वसंत का।
उत्तर: (क) ग्रीष्म का।
3. पत्थर तोड़ने वाली जहाँ बैठी थी, उसके सामने किसका दृश्य है-
(क) अट्टालिकाओं का।
(ख) जलती हुई धरती।
(ग) छायादार पेड़ का।
(घ) इलाहाबाद के पथ का।
उत्तर: (क) अट्टालिकाओं का।
पाठगत प्रश्न 4.1 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. कवि ने मज़दूरनी के लिए ‘वह’ सर्वनाम का प्रयोग किया है, क्योंकि-
(क) उसका कोई नाम नहीं है।
(ख) कवि उसका नाम नहीं जानता।
(ग) वह किसी भी श्रमिक की बात हो सकती है।
(घ) महिला के लिए ‘वह’ कहना ही उचित है।
उत्तर: (ग) वह किसी भी श्रमिक की बात हो सकती है।
2. पठित पंक्तियों में चित्रण नहीं किया गया है-
(क) श्रमिक के कठोर श्रम का।
(ख) काम करने की प्रतिकूल परिस्थितियों का।
(ग) शोषक और शोषित की जीवन-शैली के अंतर का।
(घ) युवती के उच्छृंखल शारीरिक सौंदर्य का।
उत्तर: (घ) युवती के उच्छृंखल शारीरिक सौंदर्य का।
पाठगत प्रश्न 4.2 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. ‘दिवा का तमतमाता रूप’ कथन से आशय है:
(क) दिया जगमगा रहा था।
(ख) मजदूर क्रोध से तमतमा रहे थे।
(ग) दिन जगमगा रहा था।
(घ) सूर्य मानो आग बरसा रहा था।
उत्तर: (घ) सूर्य मानो आग बरसा रहा था।
2. ‘रुई ज्यों जलती हुई भू’ का आशय है:
(क) धरती पर आग लगी थी।
(ख) रुई धीरे-धीरे जल रही थी।
(ग) असहनीय गरमी पड़ रही थी।
(घ) धरती धीरे-धीरे सुलग रही थी।
उत्तर: (ग) असहनीय गरमी पड़ रही थी।
पाठगत प्रश्न 4.3 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए:
1. ‘देखा मुझे उस दृष्टि से जो मार खा रोई नहीं’ कथन से मजदूरनी के स्वभाव की कौन-सी विशेषता अभिव्यक्त हो रही है-
(क) दीनता।
(ख) सहिष्णुता।
(ग) स्वाभिमान।
(घ) पराधीनता।
उत्तर: (ग) स्वाभिमान।
2. मज़दूर स्त्री के कर्म में विघ्न उत्पन्न हुआ-
(क) गर्मी के कारण।
(ख) पसीने के कारण।
(ग) काँपने के कारण।
(घ) कवि द्वारा अपने को देखे जाने के कारण।
उत्तर: (घ) कवि द्वारा अपने को देखे जाने के कारण।
पाठगत प्रश्न 4.4 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. कवि की समानुभूति किसके साथ है-
(क) व्यवस्था के।
(ख) शोषित के।
(ग) शोषक के।
(घ) परिस्थितियों के।
उत्तर: (ख) शोषित के।
2. ‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता में नहीं है-
(क) छंद का बंधन।
(ख) प्रवाह।
(ग) गूढार्थ।
(घ) सरल भाषा।
उत्तर: (क) छंद का बंधन।
बोध प्रश्न 4.2 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. प्रस्तुत पंक्तियों में पुकारने वाला कौन है-
(क) हिमालय।
(ख) स्वतंत्रता।
(ग) भारती।
(घ) वीरपुत्र।
उत्तर: (ख) स्वतंत्रता।
2. प्रस्तुत पंक्तियों में ‘अमर’ कहा गया है-
(क) वीरपुत्रों को।
(ख) वीरों को।
(ग) दृढ़ता को।
(घ) भारती को।
उत्तर: (क) वीरपुत्रों को।
पाठगत प्रश्न 4.5 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. “बढ़े चलो, बढ़े चलो” का आह्वान किसके प्रति किया गया है।
(क) देशवासियों के।
(ख) वीरों के।
(ग) अमर व्यक्तियों के।
(घ) प्रबुद्ध जनों के।
उत्तर: (क) देशवासियों के।
2. ‘प्रबुद्ध शुद्ध’ कौन है-
(क) स्वतंत्रता।
(ख) भारती।
(ग) वीरपुत्र।
(घ) पुण्य पथ।
उत्तर: (ख) भारती।
पाठगत प्रश्न 4.6 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. शत्रुओं की विशाल सेना की तुलना की गई है-
(क) बड़वाग्नि से।
(ख) कीर्ति-रश्मियों से।
(ग) समुद्र से।
(घ) दिलदाह से।
उत्तर: (ग) समुद्र से।
2. यह गीत जयशंकर प्रसाद की किस रचना से लिया गया है?
(क) ध्रुवस्वामिनी।
(ख) विशाखदत्त।
(ग) स्कंदगुप्त।
(घ) चंद्रगुप्त।
उत्तर: (घ) चंद्रगुप्त।
4.11 पाठांत प्रश्न |
1. ‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता का केंद्रीय भाव क्या है?
उत्तर: सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता ‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता के केंद्र बिन्दु में गर्मियों के दिन थी, और तमतमाता सूर्य अपनी प्रचंड गरमी से सबको व्याकुल कर रहे थे। सूरज की झुलसा देने वाली गर्मी में एक मजदूर महिला पत्थर तोड़ती दिखाई गई है, गरमी के दिनों में बहुत बुरा हाल होता है। इस कविता के माध्यम से एक मजदूर के मन की व्यथा को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
2. ‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता के आधार पर शोषक और शोषित के जीवन का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: शोषक और शोषित के जीवन का अंतर है–
शोषक | शोषित |
जो आराम और विलासिता का जीवन जीता है। | जो व्यक्ति कठिनाई और संघर्ष का जीवन जीता है। |
दूसरों पर सत्ता और नियंत्रण का आनंद लेता है। | दर्द, पीड़ा और लाचारी महसूस करता है। |
कोई दर्द या संघर्ष महसूस नहीं करता है। | अपनी आत्मा और पहचान को तोड़ने के लिए मजबूर होता है। |
अधिकार और प्रभुत्व की भावना रखता है। | स्वतंत्रता और मुक्ति के लिए तरसता है। |
3. ‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता के आधार पर ग्रीष्म ऋतु की भीषणता का वर्णन कीजिए।
उत्तर: कवि मजदूरनी को दोपहर की भीषण गरमी में काम करते हुए देख रहा था। अब मजदूरनी ने भी देखा कि कोई उसे देख रहा है। उसे देखते हुए देखकर, उसने सामने की अट्टालिका को देखा और देखने में उसका काम करने का क्रम थोड़ा-सा विचलित हुआ। पर उसके मन में दीनता या ईर्ष्या जैसी कोई भावना नहीं उपजी। उसने कवि को ऐसी दृष्टि से देखा जिसने शोषण को सहा है, पर रोकर अपनी दीनता कभी प्रकट नहीं की। कवि को लगता है कि सितार को बजाने पर भी जो झंकार मैने कभी नहीं सुनी थी, ऐसी झंकार मुझे उस मजदूरनी के श्रम और उसकी स्वाभिमानी दृष्टि से सुनाई पड़ी। पलभर उसका हाथ रुक जाने पर वह सुडौल युवती काँपी, उसके माथे से पसीने की कुछ बूँदें टपक पड़ी। इसके बाद वह पुनः काम में लग गई।
4. आपने भी अनेक श्रमिकों को काम करते देखा होगा। किसी श्रमिक को मेहनत करते हुए देखकर आप कैसा महसूस करते हैं? उल्लेख कीजिए।
उत्तर: जब मैं किसी मज़दूर को कड़ी मेहनत करते हुए देखता हूँ, तब मेरे मन में गहरा आदर और सम्मान उत्पन्न होता है। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण देखकर मुझे उनकी कठिनाइयों और संघर्षों का एहसास होता है, मैं कल्पना करता हूँ कि उनके काम से उन पर कितना शारीरिक और मानसिक बोझ पड़ता है, मैं यह सोचता हूं कि सभी को उनकी मेहनत के अनुसार उचित मान-सम्मान और वेतन मिलना चाहिए। क्योंकि उनकी मेहनत से हमें जिन सुविधाओं और सेवाओं का लाभ मिलता है, वह हमारे जीवन को आसान और सुगम बनाती है। श्रमिकों को मेहनत करते हुए देखकर मेरे मन में अनेक सकारात्मक भावनाएँ और विचार उत्पन्न होते हैं, जो मुझे समाज के प्रति अधिक संवेदनशील और जागरूक बनाते हैं।
5. सप्रसंग व्याख्या स्पष्ट कीजिए:
(क) श्याम तन, भर बँधा यौवन,
नत नयन प्रिय-कर्म-रत मन,
गुरु हथौड़ा हाथ,
करती बार-बार प्रहार,
सामने तरु-मालिका, अट्टालिका, प्राकार।
उत्तर: इस कविता में शिष्य के जीवन के विकास और गुरु की भूमिका का वर्णन किया गया है। शिष्य युवा है, उसकी आँखों में प्रिय कार्यों के प्रति समर्पण और मन में उत्साह है। गुरु उसे अपने हथौड़े के द्वारा बार-बार प्रहार करके उसकी आत्मा और जीवन को आकार दे रहा है। जीवन की कठिनाइयाँ और सामाजिक संरचनाएँ (तरु-मालिका, अट्टालिका, प्राकार) शिष्य के मार्ग में हैं, लेकिन गुरु की शिक्षा और प्रशिक्षण से वह इन सबका सामना करता है। यह कविता जीवन के संघर्ष और गुरु के मार्गदर्शन की महत्ता को स्पष्ट करती है।
6. ‘वह तोड़ती पत्थर’ कविता के शिल्प-सौंदर्य पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: वह तोड़ती पत्थर’ कविता में शिल्प-सौंदर्य का मुख्य विषय है, जो अत्यंत प्रेरणादायक है। श्रमिक नारी के जीवन और उसके प्रति समाज की हृदयहीनता का अंकन किया गया है। कवि ने इलाहाबाद की किसी सड़क पर एक महिला को काम करते देखा है। उसे देखकर यह विचार आता है कि कला और सौंदर्य की प्राप्ति के लिए न केवल शारीरिक बल, बल्कि दृढ़ संकल्प और आदर्शवादी दृष्टिकोण भी आवश्यक होते हैं। जहां शोषित मजदूर प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करते हैं और शोषक उनसे बेखबर होकर सुख-सुविधाओं में जीते हैं। ‘पत्थर’ के तोड़ने से पहले और बाद में कला का अनुभव एक उच्च स्तर पर होता है, जो दर्शकों को आकर्षित करता है और उन्हें विचारशील बनाता है।
7. प्रसाद की कविता में ‘स्वयंप्रभा’ एवं ‘समुज्ज्वला’ किसे कहा गया है?
उत्तर: कवि का कहना यह है इन शब्दों का प्रयोग अक्सर उन स्त्रियों के लिए किया गया है जो आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और स्वाभिमानी हैं क्योंकि स्वतंत्रता अपने आप में प्रकाशवान और कांतिमय होती है अर्थात स्वतंत्रता का अपना एक सुख और आनंद होता है, वह स्वयं में प्रकाशित होती है और स्वयं से ही कांति युक्त होती है, इसी कारण कवि ने स्वतंत्रता को स्वयंप्रभा और समुज्जवला कहा है।
8. ‘असंख्य कीर्ति रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘असंख्य कीर्ति रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी’ पंक्ति में महान कीर्ति का वर्णन किया गया है, जो असंख्य किरणों के रूप में चारों ओर दिव्य प्रकाश और ऊर्जा की तरह फैलती है। यह कीर्ति, सूर्य के तेजस्वी प्रकाश की तरह, व्यापक और प्रभावशाली है, जो चारों ओर प्रकाशमान करती है। उपरोक्त वाक्यों में इस पंक्ति में उपमा अलंकार इस प्रकार है, जहाँ कीर्ति की रश्मियों की तुलना दिव्य दाह (प्रकाश) से की गई है। इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने कीर्ति की व्यापकता, प्रभावशीलता और उसकी दिव्यता को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया है। यह मानव की महानता और गौरव का प्रतीक है।
9. ‘प्रयाण गीत’ किसे कहा जाता है?
उत्तर: प्रयाण गीत एक प्रकार का विशिष्ट गीत होता है, जो प्रयाण करते समय यानी प्रस्थान करते समय गाया जाता है। जब कोई सैनिक टुकड़ी अथवा कोई विशेष दल किसी विशेष कार्य के प्रयोजन अथवा युद्ध हेतु प्रस्थान करता है, उस अवसर के समय सैनिकों के मन उत्साह का संचार के लिए प्रयाण गीत गाया जाता है।
10. वर्तमान समय में राष्ट्र के प्रति आपका क्या कर्तव्य है? अपने देश की सेवा आप किस प्रकार से कर सकते हैं?
उत्तर: वर्तमान समय में राष्ट्र के प्रति बहुत से कर्तव्य होते हैं जैसे आर्थिक विकास एवं वृद्धि, साफ-सफाई, सुशासन, गुणवत्ता की शिक्षा, गरीबी मिटाना, लग समानता लाना, सभी के लिए आदर-भाव रखना, वोट डालने जाना, स्वास्थ्य युवा देने के लिए बाल श्रम को खत्म करना आदि।
11. यह कविता आज के संदर्भ में आपको किस प्रकार की प्रेरणा देती है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: आज के संदर्भ में यह कविता हमें प्रेरणा देती है:
(क) परिश्रम का महत्व: कठिन परिस्थितियों में भी अपना कर्म करते रहना ही जीवन की सच्ची ताकत है।
(ख) सामाजिक समानता का संदेश: महिला का संघर्ष सामाजिक असमानताओं और श्रमिकों की कठिनाइयों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो हमें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित करता है।
(ग) संकल्प और आत्मनिर्भरता: जीवन में आने वाली चुनौतियों से हार मानने के बजाय उन्हें स्वीकार कर निरंतर प्रयास करने की प्रेरणा।
(घ) सम्मान की भावना: हर कार्य और श्रम का सम्मान करना चाहिए, चाहे वह कितना ही साधारण क्यों न लगे।
12. ‘हिमाद्रि तुग शृग से’ कविता की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: ‘हिमाद्रि तुंग श्रृंग से’ कविता की भाषा की दो विशेषताएंः
(क) इस कविता में कवि ने हिमालय को शक्ति, सौंदर्य, और शांति का प्रतीक बताया है।
(ख) कविता में हिमालय के सौंदर्य का वर्णन करने के लिए वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।