NIOS Class 12 Hindi Chapter 7 साठोत्तरी कविता: सर्वेश्वरदयाल सक्सेना और दुष्यंत कुमार

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NIOS Class 12 Hindi Chapter 7 साठोत्तरी कविता: सर्वेश्वरदयाल सक्सेना और दुष्यंत कुमार

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साठोत्तरी कविता: सर्वेश्वरदयाल सक्सेना और दुष्यंत कुमार

Chapter: 7

HINDI

प्रथम पृष्ठ – पुस्तक – 1  पाठगत प्रश्न 7.1

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. भेड़िया के गुर्राने का कारण है-

(क) उसे बहुत भूख लगी है।

(ख) उसे बहुत गुस्सा आता है।

(ग) उसे दूसरों को भयभीत करना है।

(घ) उसे अपनी नाराजगी प्रकट करनी है।

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उत्तर: (ग) उसे दूसरों को भयभीत करना है।

2. ‘तुम’ का प्रयोग हुआ है-

(क) भेड़ियों के लिए।

(ख) कवि के लिए।

(ग) सामान्य जन के लिए।

(घ) मशाल के लिए।

उत्तर: (ग) सामान्य जन के लिए।

3. भेड़िया मशाल नहीं जला सकता, क्योंकि-

(क) वह आग से बहुत अधिक डरता है।

(ख) उसे मशाल जलाने की कला मालूम नहीं है।

(ग) उसमें संगठन की चेतना ही नहीं है।

(घ) उसके लिए मशाल जलाना समय बर्बाद करना है।

उत्तर: (ग) उसमें संगठन की चेतना ही नहीं है।

4. कविता में प्रयुक्त निम्नलिखित प्रतीकों का उनके अर्थों के साथ मिलान कीजिए:

भेड़ियाजनशक्ति
मशालशोषक
तुम सामूहिक चेतना

उत्तर: 

भेड़िया शोषक
मशालसामूहिक चेतना
तुमजनशक्ति
पाठगत प्रश्न 7.2

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. करोड़ों हाथों का संबंध किनसे है-

(क) देवताओं से।

(ख) आम आदमी से।

(ग) पूँजीपतियों से।

(घ) भेड़ियों से।

उत्तर: (ख) आम आदमी से।

2. हाथों में मशाल लेकर बढ़ने में कौन-सा भाव है-

(क) संघर्षशीलता का।

(ख) अँधेरे को मिटाने का।

(ग) गर्माहट का।

(घ) प्रेम का।

उत्तर: (क) संघर्षशीलता का।

बोध प्रश्न 7.1

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. कवि आग्रह कर रहा है-

(क) राजनेताओं से।

(ख) सैनिकों से।

(ग) युवाओं से।

(घ) देशवासियों से।

उत्तर: (घ) देशवासियों से।

2. ‘गंगा निकलने’ से कवि का आशय है-

(क) आंदोलन करना।

(ख) समाधान निकलना।

(ग) समस्या पहचानना।

(घ) विद्रोह करना।

उत्तर: (ख) समाधान निकलना।

3. ‘आग जलानी चाहिए’ से कवि का आशय है-

(क) ईर्ष्या व द्वेष की भावना।

(ख) क्रोध से तप्त होना।

(ग) बदलाव के लिए संघर्ष-चेतना।

(घ) असहयोग की भावना।

उत्तर: (ग) बदलाव के लिए संघर्ष-चेतना।

पाठगत प्रश्न 7.3

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. कवि ने पीड़ा को किसके समान बताया है?

(क) नदी के।

(ख) पर्वत के।

(ग) सागर के।

(घ) लहरों के।

उत्तर: (ख) पर्वत के।

2. जिनमें जीवन है पर जीवंतता नहीं, उन्हें कवि ने किसके समान माना है-

(क) मशाल के।

(ख) आग के।

(ग) गंगा के।

(घ) लाश के।

उत्तर: (घ) लाश के।

7.12 पाठांत प्रश्न

1. निम्नलिखित अंशों का काव्य-सौंदर्य लिखिए:

(i) उसमें और तुममें

यही बुनियादी फर्क है

भेड़िया मशाल नहीं जला सकता।

उत्तर: इस अंश में गहरे दार्शनिक और प्रतीकात्मक अर्थ निहित हैं। कवि ने यहाँ “भेड़िया” और “मशाल” का प्रतीकात्मक (संकेत के रूप में) उपयोग किया है। “भेड़िया” हिंसा, अज्ञानता, और विनाशकारी प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि “मशाल” ज्ञान, प्रकाश और मानवता का प्रतीक है। “उसमें और तुममें यही बुनियादी फर्क है”—यह पंक्ति मानवीय और अमानवीय प्रवृत्तियों के बीच अंतर को रेखांकित करती है। कवि ने यह स्पष्ट किया है कि अज्ञान और हिंसा की प्रवृत्तियों में जीवन को रोशन करने या समाज को दिशा देने की क्षमता नहीं होती। कवि ने मशाल उठाकर भेड़िए के सामने जाने की बात कहीं है। सदियों से जिसने सामान्य जन को डराकर अपनी सत्ता बनाए रखी थी, आज वह अपने सामने विरोध की मशाल देखकर भयभीत है। कवि का दृढ़ विश्वास है कि मशाल देखते ही भेड़िया भाग खड़ा होगा। संगठित शक्ति का सामना करना किसी भी क्रूर अमानवीय सत्ता के लिए एक चुनौती होती है। संगठित होने की चेतना को जागृत करने की शक्ति सामान्यजन के पास होती है न कि अत्याचारी, शोषक और दमनकारी सत्ता के पास होती है। कवि का जनशक्ति में दृढ़ विश्वास है। इसलिए वह निश्चयपूर्वक कहता है- ‘भेड़िया भागेगा।’

(ii) सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, 

मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

उत्तर: कवि समाज की वर्तमान स्थिति से अंसतुष्ट है और वह इसे बदलना चाहता है। इस बदलाव के लिए वह हंगामा करने को एक ज़रूरी शर्त तो मानता है, लेकिन यह हंगामा वास्तविक या सकारात्मक परिवर्तन के लिए होना चाहिए न कि दिखावे के लिए। कवि का बल समाज की दशा को वास्तविक रूप से बदलने और लोगों के जीवन में और समानता, एकता भाईचारा, लाने पर है। वह अन्याय और असमानता के शिकार लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाना चाहता है। ‘सूरत बदलने’ से कवि का आशय है कि समाज और उसका स्वरूप बदलना चाहिए।

2. भेड़िया क्यों गुर्राता है? कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: भेड़िया हिंसक और क्रूर पशु है। और हिंसा तथा क्रूरता पाशविक प्रवृत्तियाँ हैं। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु वह गुर्राता है। जैसा कि कवि संकेत कर चुके हैं कि यहाँ भेड़िया केवल एक पशु नहीं है, एक प्रतीक भी है- दमन शोषण, अन्याय और अत्याचार जैसे जनविरोधी कार्यों में लिप्त लोगों का। कविता में भेड़िया, उन नकारात्मक और विध्वंसकारी शक्तियों का प्रतीक है, जो समाज के प्रगति-पथ में बाधा डालती हैं। उसकी गुर्राहट दरअसल उसकी कमजोरी को भी उजागर करती है, क्योंकि उसके पास निर्माण की बजाय केवल विध्वंस की क्षमता है।

3. कविता में भेड़िया किसका प्रतीक है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कविता में भेड़िया लालच, हिंसा, क्रूरता या नैतिक पतन का प्रतीक है। शोषण, दमन, अन्याय, अत्याचार आदि मनुष्यविरोधी कार्यों से यह वर्ग अपना वर्चस्व कायम रखता है। यह वर्ग परजीवी होता है। कवि ने संगठित किसानों, मजदूरों और संघर्षशील लोगों के प्रति अपनी गहरी आस्था दिखाई है। बदलाव की चेतना इसी वर्ग में उभरती है, क्योंकि यह वर्ग सकर्मक होता है। समाज के पीड़ित और उपेक्षित वर्ग में पाशविकता का निर्भीक होकर मुकाबला करने का साहस संचित हो। कवि ने शोषणकरने वालों के विरुद्ध हिंसक आंदोलन की वकालत नहीं की है, बस उन्हें खदेड़ने की बात कही है। खदेड़े गए भेड़िये आपस में लड़-भिड़कर खुद मर जाएँगे। कवि का दृढ़ विश्वास है कि पाशविक प्रवृत्ति पर मानवीय प्रवृत्ति की विजय होगी।

4. आपकी दृष्टि में भेड़िये को भगाना क्यों जरूरी है? वर्णन कीजिए।

उत्तर: भेड़िये को भगाना इसलिए जरूरी है क्योंकि वह समाज में डर और अन्याय फैलाता है। जब तक भेड़िया मौजूद रहेगा, तब तक सामान्य लोग अपने अधिकारों और स्वतंत्रता का पूरी तरह से आनंद नहीं ले पाएंगे। भेड़िये भगाने से समाज में न्याय, शांति और समता का वातावरण बन सकता है। इसीलिए भेड़ियों को भगाना आवश्यक है।

5. ‘भेड़िया’ कविता की अंतिम पंक्ति में ‘और तुम ?’ से कवि का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: ‘भेड़िया’ कविता की अंतिम पंक्ति में ‘और तुम’ से कवि का आशय यह है कि कवि का स्वप्न साकार हो रहा है कि मानवीयता और सामूहिक चेतना की जीत होने वाली है। जब भी इतिहास लिखा जाएगा उसमें यह रूपांतरित होगा कि शोषित और पीड़ित जनता ने अत्याचारी सत्ता को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

6. अपने परिवेश से एक उदाहरण देते हुए लिखिए कि सामूहिक चेतना के विकास में हमारी क्या भूमिका हो सकती है।

उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।

7. ‘भेड़िया’ कविता की भाषिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: ‘भेड़िया’ कविता की भाषिक विशेषताएँ सरल और प्रभावशाली हैं। इसमें प्रतीकात्मकता का गहरा प्रयोग किया गया है, जहाँ ‘भेड़िया’ हिंसा, अज्ञानता और क्रूरता का प्रतीक है, जबकि ‘मशाल’ ज्ञान और सकारात्मकता का प्रतीक बनती है। कवि ने इन प्रतीकों के माध्यम से समाज के दो विपरीत पहलुओं को उजागर किया है। कविता की भाषा सरल होने के बावजूद भावनात्मक गहराई और सशक्तता से भरी हुई है। शब्दों का चयन सटीक और विचारशील है, जिससे कवि का संदेश प्रभावी रूप से पाठक तक पहुँचता है। इसके साथ ही कविता में लयात्मकता भी है, जिससे शब्दों का संयोजन और प्रवाह अत्यंत आकर्षक बनता है। यह कविता न केवल विचारों को प्रकट करती है, बल्कि पाठकों को सोचने के लिए प्रेरित करती है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन का आह्वान करती है। ऐसा प्रतीत होता है कि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना के लिए कविता कला की बाजीगरी नहीं, बल्कि लोकजीवन के यथार्थ से सीधे जूझने की एक प्रभावशाली कसौटी है।

8. दुष्यंत कुमार ने ‘पीर’ को ‘पर्वत’ के समान क्यों कहा है?

उत्तर: दुष्यंत कुमार ने ‘पीर’ को ‘पर्वत’ के समान इसलिए कहा गया है कि मनुष्य की पीड़ा अर्थात् उसके समाज की समस्याएँ पर्वत के समान विशाल हो गई है। ये इतना विराट रूप ले चुकी हैं कि कवि उनको ऊँचे पर्वत के रूप में देखता है। कवि इनको समाप्त करना बहुत जरूरी मानता है और कहता है कि इन समस्याओं में से ही इनका समाधान निकलना चाहिए। जैसे हिमालय से गंगा निकलती है और जनमानस को नवजीवन देकर खुशहाल बनाती है, उसी प्रकार भीषण समस्याओं से जूझने वाले ही कोई समाधान निकालेंगे। विरोध का स्वर फूटेगा और समाज में नवीन परिस्थितियाँ निर्मित होंगी। 

9. ग़ज़ल के माध्यम से कवि किस प्रकार का परिवर्तन चाहता है? प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: ग़ज़ल के माध्यम से कवि कहता है कि हमारे समाज व व्यवस्था में बहुत-सी दीवारें ऐसी हैं जो आपसी मेल-मिलाप व सुख के बीच बाधा बनती रही हैं। ये ऐसी दीवारें हैं जिनकी वजह से हम दूसरे के जीवन को खुशहाल नहीं देख पाते। ये दीवारें भाषा की, जाति की। धर्म की, रंग की और अमीरी-गरीबी की। ‘दीवार’ शब्द का प्रयोग यहाँ प्रतीकात्मक रूप में किया गया है जिसका आशय है मनुष्य और उसके सुखों की बीच खड़ी दीवारें। आज के सामाजिक परिवेश में अन्याय, शोषण, अत्याचार एवं असमानता की दीवारें थोड़ी कमज़ोर पड़ी है, इसलिए कवि इन्हें हिलता हुआ देखता है। लेकिन वह इस दीवार की नींव को मिटाना चाहते है। जिस प्रकार दीवारों पर टंगे परदे हवा से हिलकर भी वहीं टँगे रहते हैं, वैसे ही समस्याएँ थोड़ी-सी हलचल के बावजूद वैसी की वैसी रहती हैं। कवि इस बुनियादी परिवर्तन के लिए सभी लोगों को आगे बढ़कर संघर्ष के लिए प्रेरित कर रहा है अर्थात् समाज में शोषण, अन्याय और अत्याचार की जो बुनियादें सदियों से बनी हैं, उन्हें जड़ से मिटा देने का आह्वान कर रहा है।

10. ‘ग़ज़ल’ के संदर्भ में ‘लाश’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: सदियों से दलित-शोषित समाज निर्जीव हो गया है, जिसमें जीवन तो है। परंतु जीवंतता नहीं है। निराश होकर वे अपनी अभावग्रस्त दयनीय स्थिति को ही अपनी नियति मान बैठे हैं। अभाव, अपमान, उपेक्षा और उत्पीड़न को वे अपने जीवन का एक हिस्सा मान चुके हैं। ऐसे उपेक्षित जनसमूह को कवि देश की हर सड़क, हर गली, हर नगर और हर गाँव से अपने मौलिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देता है। कवि प्रत्येक व्यक्ति की व्यथा को वाणी देना चाहता है। कवि इन मृतप्राय अर्थात् निष्क्रिय लोगों से अपने हक के लिए व्यवस्था विरोध की बात कहता है। साथ ही हाथ उठाकर लहराते हुए समाज में अपनी उपस्थिति दर्ज करने की प्रेरणा देता है।

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