NIOS Class 12 Hindi Chapter 3 रीतिकाव्य: बिहारी और पद्माकर, Solutions to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapters NIOS Class 12 Hindi Chapter 3 रीतिकाव्य: बिहारी और पद्माकर and select need one. NIOS Class 12 Hindi Chapter 3 रीतिकाव्य: बिहारी और पद्माकर Question Answers Download PDF. NIOS Study Material of Class 12 Hindi Notes Paper 301.
NIOS Class 12 Hindi Chapter 3 रीतिकाव्य: बिहारी और पद्माकर
Also, you can read the NIOS book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per National Institute of Open Schooling (NIOS) Book guidelines. These solutions are part of NIOS All Subject Solutions. Here we have given NIOS Class 12 Hindi Chapter 3 रीतिकाव्य: बिहारी और पद्माकर, NIOS Senior Secondary Course Hindi Solutions for All Chapter, You can practice these here.
रीतिकाव्य: बिहारी और पद्माकर
Chapter: 3
HINDI
प्रथम पृष्ठ – पुस्तक – 1 बोध प्रश्न 3.1 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. बिहारी के दोहे में श्रीकृष्ण के लिए संवोधन नहीं है-
(क) दीन।
(ख) स्याम।
(ग) जगत-गुरु।
(घ) जगन्नाथ।
उत्तर: (क) दीन।
2. ‘कनक-कनक तै सौगुनी ____________ दोहे का संबंध है-
(क) प्रकृति-चित्रण से।
(ख) भक्ति से।
(ग) नीति से।
(घ) श्रृंगार से।
उत्तर: (ग) भक्ति से।
3. कृष्ण से बातें करने का आनंद पाने के लिए गोपी क्या करती है-
(क) मुरली को छिपा देती है।
(ख) कसम खाती है।
(ग) भौहों में हँसती है।
(घ) मुरली दे देती है।
उत्तर: (क) मुरली को छिपा देती है।
4. कहलाने एकत बसत… दोहे में किस ऋतु का प्रभाव चित्रित है-
(क) वसंत।
(ख) ग्रीष्म।
(ग) वषा।
(घ) हेमंत।
उत्तर: (ख) ग्रीष्म।
पाठगत प्रश्न 3.1 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. ‘कब को टेरत दीन रट’ दोहे में उलाहना देने के कारण कौन-सा भाव व्यक्त हुआ है-
(क) दैन्य।
(ख) अंतरंगता।
(ग) दास्य।
(घ) साहचर्य।
उत्तर: (ख) अंतरंगता।
2. ‘जगत-गुरु, जगन्नाथ जगवाय’ में कौन-सा अलंकार है-
(क) उपमा।
(ख) रूपक।
(ग) अनुप्रास।
(घ) यमक।
उत्तर: (ग) अनुप्रास।
3. ‘कनक-कनक तै _____’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) यमक।
(ख) श्लेष।
(ग) उपमा।
(घ) उत्प्रेक्षा।
उत्तर: (क) यमक।
4. ‘कनक-कनक तै सौगुनी____’ दोहे में किसका प्रभाव सौ गुना अधिक कहा गया है-
(क) धन का।
(ख) धतूरे का।
(ग) नशे का।
(घ) पागलपन का।
उत्तर: (क) धन का।
पाठगत प्रश्न 3.2 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. गोपी कृष्ण से बाँसुरी देने की बात कहकर मुकर जाती है, क्योंकि-
(क) वह चाहती है कि कृष्ण उससे बातें करें।
(ख) वह नहीं चाहती कि कृष्ण उससे बातें करें।
(ग) उसे बाँसुरी मिलती नहीं।
(घ) उसे बाँसुरी की जरूरत है।
उत्तर: (क) वह चाहती है कि कृष्ण उससे बातें करें।
2. कवि ने ग्रीष्म में जगत को तपोवन-सा कहा है, क्योंकि इसमें-
(क) एक-दूसरे के शत्रु भी साथ-साथ रहते हैं।
(ख) चारों ओर सन्नाटा हो जाता है।
(ग) सभी लोग व्याकुल होने लगते हैं।
(घ) तप के लिए जगत उपयुक्त हो जाता है।
उत्तर: (क) एक-दूसरे के शत्रु भी साथ-साथ रहते हैं।
3. ‘दीरघ-दाघ निदाघ’ में अलंकार है-
(क) श्लेष।
(ख) उपमा।
(ग) यमक।
(घ) अनुप्रास।
उत्तर: (घ) अनुप्रास।
बोध प्रश्न 3.2 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. पद्माकर की गोपी किसे धो-धोकर हार गई-
(क) दर्द को।
(ख) चित्त को।
(ग) कृष्ण की छवि को।
(घ) कृष्ण को।
उत्तर: (ग) कृष्ण की छवि को।
2. ‘वीर!’ संबोधन किसके लिए प्रयुक्त हुआ है-
(क) कृष्ण।
(ख) सखी।
(ग) चित्त।
(घ) पद्माकर।
उत्तर: (ख) सखी।
पाठगत प्रश्न 3.3 |
सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. गोपिका की ओर एक-साथ कौन-कौन दौड़े-
(क) ग्वाल-बाल और गुलाल।
(ख) नंदलाल और ग्वाल-बाल।
(ग) गुलाल और नंदलाल।
(घ) अहीर युवक और अबीर।
उत्तर: (ग) गुलाल और नंदलाल।
2. कौन-से दो शब्द पर्याय के रूप में प्रयुक्त हुए है-
(क) ‘नंदलाल’ और ‘अहीर’।
(ग) ‘नंदलाल’ और ‘बीर’।
(ख) ‘अहीर’ और ‘अबीर’।
(घ) ‘अहीर’ और ‘बीर’।
उत्तर: (क) ‘नंदलाल’ और ‘अहीर’।
3. ‘तिहारी सीह’ कहकर गोपिका प्रकट करना चाहती है-
(क) व्यंग्य।
(ख) क्राध।
(ग) सरलता।
(घ) विश्वसनीयता।
उत्तर: (घ) विश्वसनीयता।
3.11 पाठांत प्रश्न |
1. कवि ने क्यों कहा है कि ईश्वर को दुनिया की हवा लग गई है?
उत्तर: कवि ने ईश्वर को दुनिया की हवा लग गई है इसलिए कहा है क्योंकि कवि ईश्वर को पुकार रहे थे अर्थात लंबे समय से अपने दुखों का निवारण करने के लिए ईश्वर का स्मरण कर रहे थे। परंतु ईश्वर उनकी सहायता नहीं कर रहे थे, उनके दुखों को दूर नहीं कर रहे थे। कवि कहते है इस दुनिया में सबलोग अपने आप में मस्त रहते हैं, कोई किसी के दुख में हाथ नहीं बंटाता और अपनी प्रशंसा और प्रभुता का आनंद लेता रहता है, और ईश्वर भी ऐसा ही कर रहे थे।
2. ‘मादक पदार्थों से सौ गुना नशा धन का होता है’ उदाहरण देकर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर: कवि का मानना है कि सोने में धतूरे से सौगुना अधिक नशा होता है, क्योंकि धतूरे के तो खाने से आदमी मदहोश होता है जबकि सोना मिल जाने पर उसकी स्थिति इससे भी बुरी हो जाती है। धन की मादकता इसलिए अधिक है कि उसका प्राप्त होना ही सिर चढ़कर बोलने लगता है, जबकि मादक द्रव्य तो सेवन करने पर ही (और वह भी थोडे समय के लिए) आदमी का सिर घुमाते हैं। अतः धन का नशा अन्य किसी भी प्रकार के नशे से अधिक मादक और खतरनाक होता है। मादक पदार्थों का नशा उन्हें सेवन करने के कुछ समय बाद उतर जाता है, किंतु सोने (धन) का नशा बना ही रहता है और जीवन की अन्य गतिविधियों पर उसका चढ़ा हुआ रंग तरह-तरह से दिखाई देता है।
3. निम्नलिखित दोहे की सप्रसंग व्याख्या कीजिए:
कहलाने एकत बसत, अहि. मयूर, मृग, बाघ।
जगत तपोवन सौ कियी, दीरध-दाघ, निदाघ।।
उत्तर: कहलाने एकत बसत, अहि, मयूर, मृग, बाघ। यह पंक्ति यह बताती है कि किसी स्थान पर विभिन्न प्राणी रहते हैं, लेकिन वे अपने स्वभाव में भिन्न होते हैं। यहाँ ‘अहि’ (सांप), ‘मयूर’ (मोर), ‘मृग’ (हिरण), और ‘बाघ’ (बाघ) का उल्लेख किया गया है, जो प्राकृतिक दृष्टि से अलग-अलग प्राणी हैं, लेकिन एक ही स्थान पर रहते हैं। यह जीवन में विविधता और एकता के बीच के संबंध को दिखाता है।
जगत तपोवन सौ कियी, दीरध-दाघ, निदाघ। यह पंक्ति यह बताती है कि जीवन में कठिनाइयाँ और परीक्षा का सामना करना पड़ता है, और ऐसे समय में तपस्वियों की तरह सहनशीलता और धैर्य की आवश्यकता होती है। ‘दीरध’ (गर्मी), ‘दाघ’ (दाग), और ‘निदाघ’ (उष्णता) का उल्लेख किया गया है, जो कठिन परिस्थितियों के प्रतीक हैं। जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएँ और कठिनाइयाँ आती हैं, जिनसे निपटने के लिए तप और साधना की आवश्यकता होती है।
4. पद्माकर के कवित्त में गोपी अपनी किस विवशता का वर्णन कर रही है?
उत्तर: कृष्ण के प्रति उमड़े प्रेम को आँखों में अबीर पड़ने की स्थिति से वर्णित किया है, पर जितनी सरलता से अबीर धुल जाता है उतनी सरलता से कृष्ण-प्रेम नहीं धुल सकता। न गोपी ऐसा चाहती है, वह तो अपनी सहेली की सौगंध खाकर उसे आश्वासन दिलाना चाहती है कि वह कृष्ण को निकाल नहीं पा रही है और न उसे इसका कोई उपाय सूझ रहा है।
5. पद्माकर के कवित्त में ‘अहीर’ और ‘अबीर’ की तुलना किस प्रकार की गई है?
उत्तर: पद्माकर के कवित्त में ‘अहीर’ और ‘अबीर’ की तुलना इस प्रकार की गई है कि ‘अहीर’ ग्रामीण और मेहनतकश जीवन का प्रतीक है, और ‘अबीर’ उत्सव और रंगों का प्रतीक है। अहीर का जीवन सरल और सादगीपूर्ण होता है, अथवा अबीर खुशी और मेलजोल का प्रतीक है। इस माध्यम से ग्रामीण जीवन की सादगी और उत्सवों की रंगीनता को एक साथ प्रस्तुत करती है।
6. बिहारी के पठित दोहों के भाव-सौंदर्य पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: कविवर बिहारी ने नितांत अनौपचारिक ढंग से लगभग मित्र-भाव से कृष्ण का स्मरण किया है। रीतिसिद्ध बिहारी रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। रीतिकाव्य की प्रमुख प्रवृत्ति श्रृंगार-वर्णन है। श्रृंगार के संयोग पक्ष की प्रस्तुति मन को छू लेने वाली है। इसके लिए बिहारी ने नायक-नायिका की अनेक दैनिक गतिविधियों को आधार बनाया है। भक्ति और श्रृंगार के अतिरिक्त बिहारी ने नीति-काव्य भी लिखा है, पर प्रकृति-चित्रण के जितने सुंदर दोहे उन्होंने लिखे हैं, अन्यत्र दुर्लभ है। यद्यपि रीतिकाल में प्रकृति के बहुत सुंदर चित्र मिलते हैं, पर वे प्रायः कवित्त, सवैया जैसे छंदों में हैं। वहाँ वर्णन के लिए दोहे की तुलना में अधिक शब्द और पंक्तियाँ होती है। बिहारी ने प्रकृति के कोमल, रुचिकर रूपों के साथ-साथ प्रचंड रूप का भी वर्णन किया है। कवि बिहारी जीवन के विविध अनुभवों से संपन्न थे और आयुर्वेद, ज्योतिष, राजनीति आदि अनेक शास्त्रों के ज्ञाता थे। इसीलिए उन्हें बहुज्ञ कवि कहा जाता है।
7. पठित दोहों के आधार पर बिहारी की भापागत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: बिहारी, जो 17 वीं सदी के प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, अपने काव्य में भापागत (भक्ति और श्रृंगारी) शैली के प्रमुख उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उनकी कविता में धार्मिक और प्रेमभाव की गहरी छाया दिखाई देती है। बिहारी ने काव्य-रचना दोहा छंद में की है। उनकी भाषा ब्रज है। प्रायः सारा रीतिकालीन काव्य ब्रजभाषा में ही रचा गया है। कविवर बिहारी ने नितांत अनौपचारिक ढंग से लगभग मित्र-भाव से कृष्ण का स्मरण किया है। रीतिसिद्ध बिहारी रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि माने जाते है। रीतिकाव्य की प्रमुख प्रवृत्ति श्रृंगार-वर्णन है। श्रृंगार के संयोग पक्ष की प्रस्तुति मन को छू लेने वाली है। इसके लिए बिहारी ने नायक-नायिका की अनेक दैनिक गतिविधियों को आधार बनाया है। वे भगवान कृष्ण और उनकी लीला को प्रेम और आकर्षण के रूप में चित्रित करते हैं। उनके काव्य में प्रेमिका और प्रेमी के रिश्ते का वर्णन सामान्यत: कृष्ण और राधा के प्रतीक के माध्यम से किया जाता है। उन्होंने प्राकृतिक दृश्य, जैसे मयूर, मृग, बाघ आदि के माध्यम से भक्ति और प्रेम की अनुभूतियों को व्यक्त किया है। भक्ति और श्रृंगार के अतिरिक्त बिहारी ने नीति-काव्य भी लिखे है, पर प्रकृति-चित्रण के जितने सुंदर दोहे उन्होंने लिखे हैं, अन्यत्र दुर्लभ है। यद्यपि रीतिकाल में प्रकृति के बहुत सुंदर चित्र मिलते हैं, पर वे प्रायः कवित्त, सवैया जैसे छंदों में हैं। वहाँ वर्णन के लिए दोहे की तुलना में अधिक शब्द और पंक्तियाँ होती है। बिहारी ने प्रकृति के कोमल, रुचिकर रूपों के साथ-साथ प्रचंड रूप का भी वर्णन किया है।
8. पद्माकर के कवित्त के भाव-सौदर्य का उल्लख कीजिए।
उत्तर: रीतिकालीन सुप्रसिद्ध कवि पद्माकर के कुछ कवित्तों में हम वसंत की कुछ छवियों का अवलोकन करेंगे। श्रृंगारिकता रीतिकालीन काव्य की मुख्य प्रवृत्ति है। इस युग का कवि चाहे भक्ति और नैतिकता की चर्चा कर रहा हो अथवा प्रकृति-चित्रण में तल्लीन हो, श्रृंगारिकता से वह कहीं भी नहीं बच सका है। उसका मन वहीं रमता है।
9. पद्माकर के कवित्त की भाषा पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: पद्माकर रीतिकाल के अंतिम श्रेष्ठ कवि है। पद्माकर के काव्य में लाक्षणिकता और मधुरता भी अभिव्यक्त हुई है। वे अनुप्रासों की तो झड़ी ही लगा देते हैं, जिससे अद्भुत चमत्कार पैदा हो जाता है। पद्माकर के काव्य की सर्वोपरि विशेषता है- दृश्य और शब्द-योजना के द्वारा प्रकृति का चित्रण करते हुए ऋतु-वर्णन और कल्पना की उल्लासमयी उड़ान। आनंद और उल्लास में जगमगाते चित्र प्रस्तुत करने में उनकी शब्द-संयोजना अनुपम है।