NCERT Class 9 Hindi Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन

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वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन

Chapter: 5

स्पर्श भाग – 1 (गघ-भाग)

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: 

(1) भारतीय संस्कृति से रामन को हमेशा ही गहरा लगाव रहा। उन्होंने अपनी भारतीय पहचान को हमेशा अक्षुण्ण रखा। अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि के बाद भी उन्होंने अपने दक्षिण भारतीय पहनावे को नहीं छोड़ा। वे कट्टर शाकाहारी थे और मदिरा से सख्त परहेज रखते थे। तब स्टॉकहोम पार्टी में उन्होंने शराब पीने से इनकार किया तो एक आयोजक ने परिहास में उनसे कहा कि रामन ने जब अल्कोहल पर रामन प्रभाव का प्रदर्शन कर हमें आह्लादित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, तो रामन पर अल्कोहल के प्रभाव का प्रदर्शन करने से परहेज क्यों? 

प्रश्न (i) रामन को हमेशा किससे लगाव रहा?

(क) भारतीय संस्कृति से 

(ख) भारतीय वेशभूषा से

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(ग) शाकाहारी भोजन से

(घ) उपर्युक्त सभी से

उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी से।

(ii) उन्होंने किस पहनावे को नहीं छोड़ा?

(क) दक्षिण भारतीय

(ख) उत्तर भारतीय

(ग) मिला-जुला

(घ) पृथक

उत्तर: (क) दक्षिण भारतीय।

(iii) वे किससे परहेज करते थे?

(क) मदिरा से

(ख) माँस खाने से

(ग) क-ख दोनों

(घ) पार्टी से

उत्तर: (ग) क-ख दोनों।

(iv) रामन ने किसका प्रदर्शन किया था?

(क) अल्कोहल पर रामन-प्रभाव 

(ख) अल्कोहल के प्रभाव का प्रदर्शन

(ग) किरणों का प्रभाव

(घ) भारतीयता का

उत्तर: (क) अल्कोहल पर रामन-प्रभाव।

(v) ‘आह्लादित’ कैसा शब्द है?

(क) तत्सम

(ख) तद्भव

(ग) देशज

(घ) विदेशी

उत्तर: (क) तत्सम।

(2) समुद्र की नील-वर्णीय आभा को भी असंख्य लोग आदिकाल से देखते आ रहे थे, मगर इस आभा पर पड़े रहस्य के परदे को हटाने के लिए हमारे समक्ष उपस्थित हुए सर चंद्रशेखर वेंकट रामन ! बात सन् 1921 की है, जब रामन समुद्री यात्रा पर थे। जहाज के डेक पर खड़े होकर नीले समुद्र को निहारना, प्रकृति प्रेमी रामन को अच्छा लगता था। ये समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते लेकिन रामन केवल भावुक प्रकृति प्रेमो ही नहीं थे। उनके अंदर एक वैज्ञानिक की जिज्ञासा भी उतनी ही सशक्त थी। यही जिज्ञासा उनसे सवाल कर बैठी, ‘आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?’ समन सवाल का जवाब ढूंढ़ने में लग गए। जवाब ढूंढ़ते ही वे विश्वविख्यात बन गए। 

प्रश्न (i) समुद्र की नीली आभा के रहस्यका परदा किसने उठाया?

(क) चंद्रशेखर वेंकट रामन ने

(ख) एक अन्य वैज्ञानिक ने

(ग) एक समुद्र प्रेमी ने 

(घ) किसी ने नहीं

उत्तर: (क) चंद्रशेखर वेंकट रामन ने।

(ii) 1921 में चंद्रशेखर किस यात्रा पर थे?

(क) वायुयान यात्रा

(ख) समुद्री यात्रा

(ग) रेल यात्रा

(घ) बस – यात्रा

उत्तर: (ख) समुद्री यात्रा।

(iii) वे डेक पर खड़े होकर क्या निहार रहे थे?

(क) नीले समुद्र को

(ख) प्रकृति को

(ग) दोनों (क) और (ख) 

(घ) आकाश को

उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।

(iv) रामन के अंदर क्या थी?

(क) एक वैज्ञानिक जिज्ञासा

(ख) एक ललक

(ग) एक भावना

(घ) एक चेतना

उत्तर: (ग) एक भावना।

(v) रामन किस सवाल का जवाब ढूंढने में लग गए?

(क) समुद्र का रंग नीला ही क्यों है?

(ख) समुद्र का पानी खारा क्यों है?

(ग) समुद्र में इतना जल कहाँ से आया?

(घ) इसकी सीमा क्या है?

उत्तर: (क) समुद्र का रंग नीला ही क्यों है?

(3) रामन का वैज्ञानिक व्यक्तित्व प्रयोगों और शोधपत्र-लेखन तक ही सिमटा हुआ नहीं था। उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्हें शुरुआती दिन हमेशा ही याद रहे, जब उन्हें ढंग की प्रयोगशाला और उपकरणों के अभाव में काफी संघर्ष करना पड़ा था। इसीलिए उन्होंने एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की जो बंगलौर में स्थित है और उन्हीं के नाम पर ‘रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नाम से जानी जाती है। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स नामक शोध पत्रिका प्रारंभ की। अपने जीवनकाल में उन्होंने सैकड़ों शोध – छात्रों का मार्गदर्शन किया। 

प्रश्न (i) रामन के व्यक्तित्व में क्या विशेष बात थी?

(क) राष्ट्रीय चेतना की 

(ख) वैज्ञानिक दृष्टि धी 

(ग) वे विकास के प्रति समर्पित थे

(घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।

(ii) उनके पास किसका अभाव था?

(क) प्रयोगशाला का

(ख) उपकरणों का

(ग) दोनों (क) और (ख)

(घ) धन का

उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।

(iii) उन्होंने बंगलौर में किसकी स्थापना की? 

(क) उन्नत प्रयोगशाला की

(ख) शोध-संस्थान को

(ग) दोनों (क) और (ख)

(घ) इंस्टीट्यूट को

उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।

(iv) इस संस्था का क्या उद्देश्य था?

(क) वैज्ञानिक चेतना का विकास करना

(ख) विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करना

(ग) अच्छे वैज्ञानिक तैयार करना

(घ) नई खोज करना

उत्तर: (क) वैज्ञानिक चेतना का विकास करना।

(v) इस प्रयोगशाला के उपकरण कैसे थे?

(क) महँगे

(ख) कामचलाऊ

(ग) साधारण

(घ) अच्छे

उत्तर: (ख) कामचलाऊ।

(6) उन्हीं दिनों ये वाद्ययंत्रों की ओर आकृष्ट हुए। वे वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलने का प्रयास कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने अनेक वाद्ययंत्रों का अध्ययन किया जिनमें देशी और विदेशी, दोनों प्रकार के वाद्ययंत्र थे।

वाद्ययंत्रों पर किए जा रहे शोधकार्यों के दौरान उनके अध्ययन के दायरे में जहाँ वायलिन, पियानो जैसे विदेशी वाद्य आए, वहीं वीणा, तानपुरा और मृदंगम् पर भी उन्होंने काम किया। उन्होंने वैज्ञानिक सिद्धान्तों के आधार पर पश्चिमी देशों की इस भ्रांति को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र की तुलना में घटिया है। वाद्ययंत्रों के कंपन के पीछे छिपे गणित पर उन्होंने अच्छा-खासा काम किया और अनेक शोधपत्र भी प्रकाशित किए।

प्रश्न (i) रामन किसकी ओर आकृष्ट हुए?

(क) वाद्य यंत्रों की ओर

(ख) विज्ञान की ओर

(ग) समुद्र की ओर

(घ) नौले जल की ओर

उत्तर: (क) वाद्य यंत्रों की ओर।

(ii) रामन के अध्ययन के दायरे में कौन-सा वाद्य यंत्र आया?

(क) वायलिन

(ख) पियानो

(ग) वीणा

(घ) ये सभी

उत्तर: (घ) ये सभी।

(iii) रामन ने किस धारणा को तोड़ा?

(क) भारतीय वाद्य-यंत्र घटिया है

(ख) पाश्चात्य वाद्य-यंत्र अच्छे हैं

(ग) दोनों (क) और (ख)

(घ) सभी अच्छे हैं

उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।

(iv) वाद्य – यंत्रों में उन्होंने किस पर काम किया?

(क) वाद्य-यंत्रों के कंपन पर 

(ख) वाद्य-यंत्रों की बनावट पर

(ग) वाद्य-यंत्रों की ध्वनि पर

(घ) सभी पर

उत्तर: (क) वाद्य यंत्रों के कंपन पर।

(v) ‘प्रकाशित’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?

(क) प्र

(ख) काश

(ग) इत

(घ) त

उत्तर: (ग) इत।

(7) उस जमाने के प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी को इस प्रतिभावान युवक के बारे में जानकारी मिली। उन्हीं दिनों कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का नया पद सृजित हुआ था। मुखर्जी महोदय ने रामन के समक्ष प्रस्ताव रखा कि सरकारी नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद स्वीकार कर लें। रामन के लिए यह एक कठिन निर्णय था। उस जमाने के हिसाब से वे एक अत्यन्त प्रतिष्ठित सरकारी पद पर थे, जिसके साथ मोटी तनख्वाह और अनेक सुविधाएँ जुड़ी हुई थीं। उन्हें नौकरी करते हुए बस वर्ष बीत चुके थे। ऐसी हालत में सरकारी नौकरी छोड़कर कम वेतन और कम सुविधाओं वाली विश्वविद्यालय की नौकरी में आने का फैसला करना हिम्मत का काम था।

प्रश्न (i) रामन की प्रतिभा की जानकारी किसे मिली?

(क) सर आशुतोष मुखर्जी को 

(ख) रामतोष बनर्जी को

(ग) एक शिक्षा शास्त्री को

(घ) चंद्रशेखर को

उत्तर: (क) सर आशुतोष मुखर्जी को।

(ii) कलकत्ता विश्वविद्यालय में किसका पद सृजित हुआ था?

(क) प्रोफेसर का

(ख) वैज्ञानिक का

(ग) अफसर का

(घ) डायरेक्टर का

उत्तर: (क) प्रोफेसर का।

(iii) रामन के लिए क्या निर्णय कठिन था?

(क) सरकारी नौकरी छोड़ना

(ख) विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद स्वीकार करना

(ग) दोनों (क) और (ख)

(घ) मोटी तनख्वाह छोड़ना

उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।

(iv) क्या रामन ने सरकारी नौकरी छोड़ दी?

(क) हो 

(ख) नहीं

(ग) दोनों

(घ) कुछ समय के लिए

उत्तर: (क) हो।

(v) प्रोफेसर का क्या कम था?

(क) वेतन

(ख) सुविधाएँ

(ग) दोनों (क) और (ख)

(घ) प्रतिष्ठा

उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।

(8) रामन वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने हमें हमेशा ही यह संदेश दिया कि हम अपने आस-पास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन एक वैज्ञानिक दृष्टि से करें। तभी तो उन्होंने संगीत के सुर-ताल और प्रकाश की किरणों की आभा के अंदर से वैज्ञानिक सिद्धांत खोज निकाले। हमारे आस-पास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी है, जो अपने पात्र की तलाश में हैं। जरूरत है रामन के जीवन से प्रेरणा लेने की और प्रकृति के बीच छुपे वैज्ञानिक रहस्य का भेवन करने की।

प्रश्न (i) रामन क्या थे?

(क) वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि को साक्षात् प्रतिमूर्ति

(ख) एक अनुसंधानकर्ता

(ग) केवल वैज्ञानिक

(घ) बहुमुखी व्यक्ति

उत्तर: (क) वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि को साक्षात् प्रतिमूर्ति।

(ii) ‘प्राकृतिक’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?

(क) प्र

(ख) प्रकृति

(ग) इक

(घ) का

उत्तर: (ग) इक।

(iii) रामन ने किसके अंदर से वैज्ञानिक सिद्धांत खोज निकाले?

(क) संगीत के सुर – ताल से

(ख) प्रकाश की किरणों की आभा से

(ग) दोनों (क) और (ख)

(घ) वैज्ञानिक उपकरणों से

उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।

(iv) हमें किसकी जरूरत है?

(क) रामन के जीवन से प्रेरणा लेने को

(ख) प्रकृति के बीच छिपे रहस्य को भेदने की

(ग) दोनों (क) और (ख)

(घ) जिज्ञासा की

उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।

(v) रामन का संदेश क्या था?

(क) आस-पास की घटनाओं को छानवीन करो

 (ख) आस-पास बिखरी चीजों पर नजर रखो

(ग) इनकी वैज्ञानिक दृष्टि से देखो

(घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।

(9) रामन की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी। इसका पहला परिणाम तो यह हुआ कि प्रकाश की प्रकृति के बारे में आइंस्टाइन के विचारों का प्रायोगिक प्रमाण मिल गया। आइस्टाइन के पूर्ववर्ती वैज्ञानिक प्रकाश को तरंग के रूप में मानते थे, मगर आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों को तीव्र धारा के समान है। इन अति सूक्ष्म कणों की तुलना आइंस्टाइन ने बुलेट से की और इन्हें ‘फोटॉन’ नाम दिया। रामन के प्रयोगों ने आइंस्टाइन की धारणा का प्रत्यक्ष प्रमाण दे दिया, क्योंकि एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन यह साफतौर पर प्रमाणित करता है कि प्रकाश की किरण तीव्रगामी सूक्ष्म कणों के प्रवाह के रूप में व्यवहार करती है।

प्रश्न (i) रामन की खोज किस क्षेत्र में क्रांति थी?

(क) भौतिकी

(ख) रसायन

(ग) वाद्य यंत्र

(घ) रंगों के

उत्तर: (क) भौतिकी।

(ii) आइंस्टाइन के पूर्ववर्ती वैज्ञानिक क्या मानते थे?

(क) प्रकाश को तरंगों के रूप में

(ख) प्रकाश को सूक्ष्म कणों के रूप में

(ग) तीव्र धारा के समान

(घ) अन्य रूप में

उत्तर: (क) प्रकाश को तरंगों के रूप में।

(iii) सूक्ष्म कणों की तुलना आइंस्टाइन ने किससे की?

(क) बुलेट से 

(ख) फोटॉन से

(ग) तरंगों से

(घ) वर्ण से

उत्तर: (क) बुलेट से।

(iv) क्या बात प्रमाणित हुई?

(क) प्रकाश की किरण तीव्र कणों के प्रवाह के रूप में व्यवहार करती है।

(ख) वर्ग में परिवर्तन होता है। 

(ग) यह एक धारा है।

(घ) कुछ नहीं। 

उत्तर: (क) प्रकाश की किरण तीव्र कणों के प्रवाह के रूप में व्यवहार करती है।

(v) ‘प्रमाणित’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?

(क) प्र

(ख) प्रमाण

(ग) इत

(घ) त

उत्तर: (ग) इत।

(10) पेड़ से सेब गिरते हुए तो लोग सदियों से देखते आ रहे थे, मगर गिरने के पीछे छिपे रहस्य को न्यूटन से पहले कोई और समझ नहीं पाया था। ठीक उसी प्रकार विराट समुद्र को नील वर्णीय आभा को भी असंख्य लोग आदिकाल से देखते आ रहे थे, मगर इस आभा पर पड़े रहस्य के परदे को हटाने के लिए हमारे समक्ष उपस्थित हुए सर चंद्रशेखर वेंकट रामन।

बात सन् 1921 को है, जब रामन समुद्री यात्रा पर थे। जहाज के डेक पर खड़े होकर नीले समुद्र को निहारना, प्रकृति प्रेमी रामन को अच्छा लगता था। वे समुद्र की नीली आभा में घटों खोए रहते। लेकिन रामन केवल भावुक प्रकृति-प्रेमी ही नहीं थे, उनके अंदर एक वैज्ञानिक की जिज्ञासा भी उतनी ही सशक्त थी। यही जिज्ञासा उनसे सवाल कर बैठी ‘आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? कुछ और क्यों नहीं?’ रामन सवाल का जवाब ढूंढने में लग गए। जवाब ढूंढ़ते ही वे विश्वविख्यात बन गए।

प्रश्न (i) सेव के पृथ्वी पर गिरने के रहस्य सबसे पहले कौन समझ पाया?

(क) न्यूटन

(ख) आइंस्टाइन

(ग) रामन

(घ) चंद्रशेखर

उत्तर: (क) न्यूटन।

(ii) समुद्र के किस रहस्य पर से रामन ने परदा उठाया?

(क) पानी को नील वर्णीय आभा का

(ख) समुद्र के खारा होने का

(ग) समुद्र के विशाल होने का

(घ) समुद्र की गहराई का

उत्तर: (क) पानी को नील वर्णीय आभा का।

(iii) रामन कब समुद्री यात्रा पर थे?

(क) 1920 में

(ख) 1921 में

(ग) 1922 में

(घ) 1925 में

उत्तर: (ख) 1921 में।

(iv) रामन के अंदर क्या था?

(क) प्रकृति-प्रेम

(ख) वैज्ञानिक जिज्ञासा

(ग) दोनों (क) और (ख)

(घ) भावुकता

उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।

(v) राम कैसे बन गए?

(क) विश्वविख्यात

(ख) वैज्ञानिक 

(ग) शोधकर्ता

(घ) रहस्य

उत्तर: (क) विश्वविख्यात।

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1. रामन भावुक, प्रकृति-प्रेमी के अलावा और क्या थे?

उत्तर: रामन भावुक, प्रकृति-प्रेमी के अलावा एक सुयोग्य वैज्ञानिक एवं अनुसंधानकर्ता थे।

प्रश्न 2. समुद्र को देखकर रामन के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं?

उत्तर: समुद्र को देखकर रामन के मन में ये दो जिज्ञासाएँ उठी-

1. आखिर समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है? 

2. यह रंग और क्यों नहीं होता?

प्रश्न 3. रामन के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?

उत्तर: रामन के पिता ने उनमें गणित और भौतिक विज्ञान विषयों की शसक्त नींव डाली। 

प्रश्न 4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन क्या करना चाहते थे?

अथवा

वाद्ययंत्रों के अध्ययन के पीछे रामन के मन में क्या भावना थी और वह क्यों उदित हुई थी ? ‘वैज्ञानिक चेतना के वाहक’ पाठ के आधार पर लिखिए। 

उत्तर: वे वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्य की परतों को खोलने का प्रयास कर रहे थे क्योंकि रामन उन्हीं दिनों वाद्ययंत्रों की ओर आकृष्ट हुए। 

प्रश्न 5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन की क्या भावना थी?

उत्तर: सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन की यह भावना थी कि अब सरस्वती की साधना की जाए। वे विश्वविद्यालय में शिक्षक बनकर अपना पूरा समय अध्ययन, अध्यापन तथा शोधकार्यों में लगाना चाहते थे।

प्रश्न 6. ‘रामन-प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?

उत्तर: रामन प्रभाव की खोज के पीछे यह सवाल हिलोरें ले रहा था कि आखिर समुद्र के पानी का रंग नीला क्यों होता है? इसके समाधान के लिए उन्होंने तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरणों के प्रभाव का अध्ययन किया।

प्रश्न 7. प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?

उत्तर: प्रकाश के बारे में आइंस्टाइन ने बताया था कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्रधारा के समान है। उन्होंने इन कणों की तुलना बुलेट से की और इन्हें ‘फोटॉन’ नाम दिया।

प्रश्न 8. रामन की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?

उत्तर: रामन की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं के बारे में अध्ययनों को सहज बनाया।

लिखित

क. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए- 

प्रश्न 1. कॉलेज के दिनों में रामन की दिली इच्छा क्या थी?

उत्तर: कॉलेज के दिनों में रामन की दिली इच्छा थी कि वे विज्ञान के रहस्यों को सुलझाएँ। वे चाहते थे कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्यों को ही समर्पित कर दें। मगर उन दिनों शोधकार्य को पूरे समय के कैरियर के रूप में अपनाने की कोई खास व्यवस्था न थी।

प्रश्न 2. वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?

उत्तर: वाद्य-यंत्रों पर की गई खोजों से रामन ने इस भ्रांति को तोड़ने का प्रयास किया कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया हैं। रामन ने जहाँ शोधकार्य के दौरान वायलिन, चैलो या पियानो जैसे विदेशी वाद्य यंत्रों पर काम किया, वहीं भारतीय वाद्यो वीणा, तानपुरा और मृदंगम पर भी काम किया। उन्होंने शोध कर बताया कि भारतीय वाडा भी श्रेष्ठ हैं।

प्रश्न 3. रामन के लिए नौकरी-संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?

उत्तर: रामन सरकारी नौकरी में अच्छी तनख्वाह पा रहे थे। वे वित्त विभाग में अफसर थे। उन्हें नौकरी करते हुए दस वर्ष बीत चुके थे। उनके सम्मुख सर आशुतोष मुखर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर काम करने का प्रस्ताव रखा था। सरकारी नौकरी छोड़कर कम वेतन और कम सुविधा वाली विश्वविद्यालय की नौकरी में आने का फैसला करना वास्तव में बड़ा कठिन था। अंततः रामन ने सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला कर ही लिया।

प्रश्न 4. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?

उत्तर: सर चंद्रशेखर वेंकट रामन को निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया: 

1. 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि मिली।

2. 1930 में नोबेल पुरस्कार मिला।

3. रोम का मेत्यूसी पदक।

4. रॉयल सोसायटी का ह्यूज पदक।

5. फ्रैंकलिन पदक (फिलाडेल्फिया इंस्टीट्यूट)।

6. अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार (सोवियत रूस)।

7. 1954 में ‘भारत रत्न’ (देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान)।

प्रश्न 5. रामन को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर: ऐसा कहा गया है कि रामन को समय-समय पर मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय चेतना को जाग्रत किया। यह ठीक ही है। इन पुरस्कारों में अधिकांश पुरस्कार विदेशी हैं और प्रतिष्ठित भी हैं। अंग्रेजों की गुलामी के दौर में एक भारतीय वैज्ञानिक को इस प्रकार सम्मानित किए जाने से भारत को एक नया आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास मिला। भारतवासी स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करने लगे।

ख. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

(क) रामन के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?

उत्तर: रामन के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठ योग इसलिए कहा गया है, क्योंकि उस समय रामन कलकत्ता (कोलकाता) में सरकारी नौकरी करते हुए भी विज्ञान और शोधकार्यों के प्रति रुझान बनाए हुए थे। वे जिस प्रयोगशाला में शोधकार्य करते थे, उसमें साधनों का नितांत अभाव था। इसे डॉ. महेंद्रलाल सरकार ने अपनी वर्षों की कठिन मेहनत और लगन से स्थापित किया था। रामन इसी प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए शोधकार्य करते रहे। वे हठपूर्वक अपने काम में जुटे रहते थे। यही अपने आप में एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।

(ख) रामन की खोज ‘रामन प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: ‘रामन प्रभाव’ के अंतर्गत अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया गया। इसके शोध के अंतर्गत रामन ने बताया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आता है। एकवर्णीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गुजरते हुए जिस परिणाम में ऊर्जा खोता या पाता है, उसी के अनुसार उसका वर्ण परिवर्तित हो जाता है।

(ग) ‘रामन प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके? 

(निबंधात्मक प्रश्न)

उत्तर: ‘रामन प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य संभव हो सके-

1. पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का पता लगाया जा सका।

2. इस जानकारी की वजह से पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना संभव हो सका।

3. इससे अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम निर्माण करना संभव हो सका।

(घ) देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।

(निबंधात्मक प्रश्न)

उत्तर: देश को वैज्ञानिक दृष्टि देने और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने जब समुद्र के पानी का रंग नीला देखा तो उनका चिंतन प्रारंभ हो गया और वे यह पता लगाकर ही रहे कि समुद्र नीला क्यों है? वे यही चाहते थे कि लोग आस-पास होने वाली घटनाओं के कारणों का पता लगाने का प्रयास करें। वे लोगों में वैज्ञानिक दृष्टि उत्पन्न करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने बंगलौर में ‘रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नामक संस्था की स्थापना भी की। उन्होंने ‘जनरल ऑफ फीजिक्स’ नामक शोध-पत्रिका भी प्रारंभ की। शोध कार्यों में सैकड़ों छात्रों का मार्गदर्शन किया। विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए वे ‘करेंट साइंस’ नामक पत्रिका का संपादन भी करते थे। रामन तो वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। 

(ङ) सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के जीवन से हमें यह संदेश मिलता है कि हम अपने आस-पास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन एक वैज्ञानिक दृष्टि से करें। हमारे आस-पास ऐसी अनेक चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं। हमें रामन के जीवन से प्रेरणा लेकर प्रकृति के बीच छिपे वैज्ञानिक रहस्य को भेदना चाहिए।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

1. उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।

उत्तर: 1. डॉ. रामन सरकारी सुख-सुविधाओं का त्याग करके भी सरस्वती अर्थात् शिक्षा पाने और देने के काम को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते थे और उन्होंने यही किया भी।

2. हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।

उत्तर: 2. हमारे आस-पास के वातावरण में अनेक प्रकार की चीजें बिखरी होती हैं। उन्हें सही ढंग से सँवारने वाले व्यक्ति की आवश्यकता होती है। वही उनको नया रूप देता है।

3. यह अपने-आप में एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।

उत्तर: 3. डॉ. रामन किसी-न-किसी प्रकार अपना कार्य सिद्ध कर लेते थे। वे हठ की स्थिति तक चले जाते थे। योग साधना में हठ का अंश रहता है। रामन मामूली उपकरणों से भी अपनी प्रयोगशाला का काम चला लेते थे। यह एक प्रकार का हठयोग ही था।

(घ) उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस, फिलॉसॉफिकल मैगजीन, भौतिकी, रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट।

1. रामन का पहला शोधपत्र______ में प्रकाशित हुआ था।

उत्तर: फिलॉसॉफिकल मैगजीन।

2. रामन की खोज_______ के क्षेत्र में एक क्रांति कसमान थी। 

उत्तर: भौतिकी।

3. कोलकाता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम_______ था।

उत्तर: इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस।

4. रामन द्वारा स्थापित शोध संस्थान________ नाम  से जाना जाता है।

उत्तर: रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट।

5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए_______ का सहारा लिया जाता था।

उत्तर: इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी।

भाषा-अध्ययन

1. नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं, जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके :

(क) प्रमाण ———-  

उत्तर: प्रमाण : मैं अपनी बात प्रमाण सहित कह रहा हूँ।

(ख) प्रणाम ————–

उत्तर: प्रणाम : बड़े लोगों को प्रणाम करना शिष्टाचार है।

(ग) धारणा ————–  

उत्तर: धारणा : यह धारणा बन गई है कि राजनीतिज्ञ भ्रष्ट हो गए हैं।

(घ) धारण ————–

उत्तर: धारण : सदा स्वच्छ वस्त्र धारण करो।

(ङ) पूर्ववर्ती ———-  

उत्तर: पूर्ववर्ती : श्री अटलबिहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सिंह के पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री थे।

(छ) परिवर्तन ———–

उत्तर: परवर्ती : अब परवर्ती पीढ़ी ही देश की रक्षा करेगी।

(च) परवर्ती ————- 

उत्तर: परिवर्तन : परिवर्तन सृष्टि का नियम है।

(ज) प्रवर्तन ————–

उत्तर: प्रवर्तन : प्रवर्तन निदेशालय पासपोर्ट जारी करता है।

2. रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए- 

(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से______ हैं।

उत्तर: अशक्त।

(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को______ रूप से नौकरी दे दी गई है।

उत्तर: स्थायी।

(ग) रामन ने अनेक ठोस रवों और______ पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।

उत्तर: तरल।

(घ) आज बाजार में देशी और_______ दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।

उत्तर: विदेशी।

(ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद_______ परिवर्तित हो जाता है।

उत्तर: विकर्षण।

3. नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है :

उदाहरण : चाऊतान को गाने बजाने में आनंद आता है।

उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

सुख – सुविधा ————————

उत्तर: सुख – सुविधा : अपने अतिथि की सुख-सुविधा का ध्यान रखो।

अच्छा – खासा ———————–

उत्तर: अच्छा – खासा : यह मकान तो अच्छा-खासा सुंदर है।

प्रचार – प्रसार ————————–

उत्तर: प्रचार – प्रसार : विदेशी कंपनियाँ उत्पादों के प्रचार-प्रसार में काफी धन खर्च करती हैं।

आस – पास ————————–

उत्तर: आस – पास : यहीं आस-पास बसने का प्रयास करो।

4. प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए-

अनुस्वारअनुनासिक
(क) अंदर(क) ढूँढ़ते
(ख) सदियों(ख) पहुँचता
(ग) असंख्य(ग) सुविधाएँ
(घ) रंग(घ) स्थितियाँ
(ङ) नींव(ङ) वहाँ

उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।

5. पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए : 

घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह।

उत्तर: घंटों खोए रहना : वैज्ञानिक अपने प्रयोगों में घंटों खोए रहते हैं। (काम में व्यस्त रहना)

स्वाभाविक रुझान बनाए रखना : इस काम के प्रति अपना स्वाभाविक रुझान बनाए रखिए।

अच्छा-खासा काम किया : इन सभी लोगों ने अच्छा-खासा काम किया।

हिम्मत का काम था : इस चोटी पर चढ़ना बड़ी हिम्मत का काम था। 

सटीक जानकारी : तुम्हें अपने विषय की सटीक जानकारी नहीं है।

काफी ऊँचे अंक हासिल किए : परीक्षा में मैंने काफी ऊँचे अंक हासिल किए हैं।

कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था : इस को हमने कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था।

मोटी तनख्वाह : इस अफसर को मोटी तनख्वाह मिलती है।

6. पाठ के आधार पर मिलान कीजिए-

नीलाकामचलाऊ
पितारवे
तैनातीभारतीय वाद्ययंत्र
उपकरणवैज्ञानिक रहस्य
घटियासमुद्र
फोटॉननींव
भेदनकोलकाता

उत्तर: 

नीलासमुद्र
पितानींव
तैनातीकोलकाता
उपकरणकामचलाऊ
घटियाभारतीय वाद्ययंत्र
फोटॉनरवे
भेदनवैज्ञानिक रहस्य

7. पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए । इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।

उत्तर: रंगों की सूची : बैंजनी, हरा, नीला, पीला, आसमानी, लाल।

अन्य रंगों के नाम : सफेद, काला, गुलाबी, किशमिशी, सिल्वर, गोल्डन, भूरा आदि।

8. नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए-

उदाहरण : उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी।

उत्तर: 1. यह काम मैंने ही किया है। 

2. तुमने ही गिलास तोड़ा है।

3. उसी ने ही आग जलाई है।

4. शीला ने ही खाना पकाया है।

5. धोबी ने ही कपड़े धोए हैं।

योग्यता-विस्तार

1. ‘विज्ञान का मानव विकास में योगदान’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।

2. भारत के किन-किन वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिला है? पता लगाइए और लिखिए। 

उत्तर: जगदीशचंद्र बसु, हरगोविंद खुराना।

3. न्यूटन के आविष्कार के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर: न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोज निकाला।

परियोजना कार्य

1. भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों की सूची उनके कार्यों/योगदानों के साथ बनाइए।

उत्तर: उत्तर: भारत के प्रमुख वैज्ञानिक – कार्य/योगदान।

सर जगदीश चंद्र बसु पेड़ – पौधों में जान होती है। 

होमी जहाँगीर भाभा – अणुशक्ति का विकास।

चन्द्रशेखर वेंकट रामन – रामन प्रभाव।

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम – परमाणु कार्यक्रम, मिसाइल मैन।

विद्यार्थी अन्य वैज्ञानिकों का विज्ञान – अध्यापक की सहायता से लगाएँ।

2. भारत के मानचित्र में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली और कोलकाता की स्थिति दर्शाइए।

उत्तर: छात्र भारत के मानचित्र में तिरुचिरापल्ली और कोलकाता की स्थिति दर्शाएँ।

3. पिछले बीस-पच्चीस वर्षो में उन वैज्ञानिक खोज उपकरणों की सूची बनाइए, जिन्होंने मानव-जीवन बदल दिया है। 

उत्तर: वैज्ञानिक उपकरणों की सूची :

1. टेलीविजन              

2. कम्प्यूटर

3. मोबाइल फोन         

4. लैपटॉप

5. एयर कंडीशनर        

6. इंटरनेट

अन्य उपकरणों का पता लगाकर सूची में जोड़ें।

परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. रामन ने प्रकाश की किरणों का अध्ययन किस पर किया? इस प्रयोग में उन्होंने क्या पाया? स्पष्ट रूप से समझाइए।

(निबंधात्मक प्रश्न)

उत्तर: रामन ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आता है। कारण यह होता है कि एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल या ठोस रवे से गुजरते हुए इनके अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणामस्वरूप वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं। दोनों ही स्थितियाँ प्रकाश के वर्ण (रंग) में बदलाव लाती हैं। एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंजनी रंग के प्रकाश में होती है। बैंजनी के बाद क्रमशः नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल वर्ण का नंबर आता है। इस प्रकार लाल-वर्णीय प्रकाश की ऊर्जा सबसे कम होती है। एकवर्णीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गुरजते हुए जिस परिमाण में ऊर्जा खोता या पाता है, उसी हिसाब से उसका वर्ण परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 2. रामन ने किस व्यवहार से यह दर्शा दिया कि सरस्वती की साधना उनके लिए अधिक महत्त्वपूर्ण है?

उत्तर: रामन सरकारी नौकरी की सुख-सुविधाओं को छोड़कर सन् 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय की नौकरी में आ गए। उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के शैक्षणिक माहौल में वे अपना पूरा समय अध्ययन, अध्यापन और शोध में बिताने लगे। चार साल बाद यानी सन् 1921 में समुद्री यात्रा के दौरान जब रामन के मस्तिष्क में समुद्र में नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें लेने लगा, तो उन्होंने आगे इस दिशा में प्रयोग किए, जिसकी परिणति ‘रामन प्रभाव’ की खोज के रूप में हुई।

प्रश्न 3. रामन को प्रयोगशाला के बारे में क्या कटु अनुभव हुआ और उन्होंने किस संस्थान की स्थापना की? शोध कार्यों को कैसे बढ़ावा दिया? 

(निबंधात्मक प्रश्न)

उत्तर: रामन को ढंग की प्रयोगशाला और उपकरणों के अभाव में काफी संघर्ष करना पड़ा था। इसीलिए उन्होंने एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की, जो बंगलौर में स्थित है और उन्हीं के नाम पर ‘रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नाम से जानी जाती है। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक ‘शोध पत्रिका’ प्रारंभ की। अपने जीवनकाल में उन्होंने सैकड़ों शोध छात्रों का मार्गदर्शन किया। जिस प्रकार एक दीपक से अन्य कई दीपक जल उठते हैं, उसी प्रकार उनके शोध छात्रों ने आगे चलकर काफी अच्छा काम किया। उन्हीं में से कई छात्र बाद में उच्च पदों पर प्रतिष्ठित हुए। विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए वे ‘करेंट साइंस’ नामक एक पत्रिका का भी संपादन करते थे। ‘रामन प्रभाव’ केवल प्रकाश की किरणों तक ही सिमटा नहीं था; उन्होंने अपने व्यक्तित्व के प्रकाश की किरणों से पूरे देश को आलोकित और प्रभावित किया।

प्रश्न 4. कलकत्ता में नौकरी के दौरान वे विज्ञान संबंधी क्या कार्य करते थे?

उत्तर: कलकत्ता में सरकारी नौकरी के दौरान उन्होंने अपने स्वाभाविक रुझान को बनाए रखा। दफ्तर से फुर्सत पाते ही वे लौटते हुए बहू बाजार आते, जहाँ ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला थी। यह अपने-आप में एक अनूठी संस्था थी, जिसे कलकत्ता के एक डॉक्टर महेंद्रपाल सरकार ने वर्षों की कठिन मेहनत और लगन के बाद खड़ा किया था। इस संस्था का उद्देश्य था देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना। अनेक महान् उद्देश्यों के बावजूद इस संस्थान के पास साधनों का नितांत अभाव था। रामन इस संस्था की प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए शोधकार्य करते रहे।

प्रश्न 5. ‘रामन प्रभाव’ की खोज ने रामन का सम्मान किस प्रकार बढ़ा दिया? इन सम्मानों ने भारत की जनता पर क्या प्रभाव डाला?

(निबंधात्मक प्रश्न)

उत्तर: ‘रामन प्रभाव’ की खोज ने रामन को विश्व के चोटी के वैज्ञानिकों की पंक्ति में ला खड़ा किया। पुरस्कारों और सम्मानों की तो जैसे झड़ी-सी लगी रही। उन्हें सन् 1924 में रॉयल सोसायटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया। सन् 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गई। ठीक अगले ही साल उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार-भौतिकी में ‘नोबेल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उन्हें और भी कई पुरस्कार मिले, जैसे रोम का मेत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का ह्यूज पदक, फिलाडेल्फिया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक, सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय ‘लेनिन पुरस्कार’ आदि। सन् 1954 में रामन को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। वे नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक थे। उनके बाद यह पुरस्कार भारतीय नागरिकता वाले किसी अन्य वैज्ञानिक को अभी तक नहीं मिल पाया है। उन्हें अधिकांश सम्मान उस दौर में मिला जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था। उन्हें मिलने वाले सम्मानों ने भारत को एक नया आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास दिया। विज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने एक नई भारतीय चेतना को जाग्रत किया।

प्रश्न 6. रामन द्वारा बहू बाजार में प्रयोगशाला की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था? ‘वैज्ञानिक चेतना के वाहक’ पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर: कलकत्ता के बहू बाजार में ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस’ की प्रयोगशाला की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था-देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास करना। डॉक्टर महेंद्रलाल सरकार द्वारा स्थापित इस प्रयोगशाला के पास साधनों का नितांत अभाव था। इसके बावजूद चंद्रशेखर वेंकट रामन इस प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का ही प्रयोग करते हुए अपना शोधकार्य करते थे। 

प्रश्न 7. रामन ने सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला क्यों लिया?

उत्तर: रामन की प्रकृति प्रारंभ से ही वैज्ञानिक जिज्ञासा एवं शोध संबंधी कार्यों में रुचि लेने वाली थी, लेकिन जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकारी नौकरी सहायक थी। वित्त विभाग की सरकारी नौकरी में सुख-सुविधाएँ तो उपलब्ध थीं, लेकिन रामन की शोध प्रवृत्ति में वह बाधक बन रही थी। रामन ने अपना अधिक-से-अधिक समय शोध कार्य में व्यतीत करने के लिए ही सरकारी नौकरी को छोड़ने का फैसला लिया।

प्रश्न 8. “हमारे आस-पास न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं। जरूरत है रामन के जीवन से प्रेरणा लेने की और प्रकृति के बीच छुपे वैज्ञानिक रहस्य का भेदन करने की।” आशय स्पष्ट कीजिए। 

(निबंधात्मक प्रश्न)

उत्तर: रामन वैज्ञानिक चेतना और दृष्टि की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने हमेशा यह संदेश दिया कि हम अपने आस-पास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन एक वैज्ञानिक दृष्टि से करें। हमारे आस-पास न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं। ये चीजें अपने पात्र की तलाश में हैं अर्थात् इन चीजों पर निगाह डालने की आवश्यकता है। ये चीजें बहुत से रहस्यों को खोल सकती हैं।

हमारे जीवन में हमारे आस-पास बहुत कुछ घटता रहता है। इनका अध्ययन करना आवश्यक है। इन घटनाओं और चीजों को ऐसे व्यक्तियों की तलाश रहती है, जो उन पर खोज करें। इसके लिए हमें रामन के जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। हमें भी प्रकृति के बीच छिपे रहस्यों का भेद जानने की कोशिश करनी चाहिए। युवा पीढ़ी यह कार्य भली प्रकार कर सकती है।

प्रश्न 9. मुखर्जी महोदय ने रामन के सामने क्या प्रस्ताव रखा तथा उसके प्रत्युत्तरर में रामन् ने क्या किया?

उत्तर: मुखर्जी महोदय ने रामन को कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद सँभालने का प्रस्ताव रखा, लेकिन उसमें सरकारी पद की अपेक्षा कम वेतन एवं कम सुविधाएँ थीं। आर्थिक दृष्टि से यह प्रस्ताव लाभकारी नहीं होते हुए भी रामन ने अपनी वैज्ञानिक रुचि के कारण तथा विज्ञान की सेवा करने के लिए सरकारी नौकरी को त्यागकर प्रोफेसर के पद को सँभालने संबंधी प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

प्रश्न 10. रामन को भावुक प्रकृति-प्रेमी क्यों कहा जाता है?

उत्तर: रामन प्राय: प्रकृति की मनोरमता को, अथाह समुद्र के नीले जल को निहारा करते थे। वे प्रकृति के सान्निध्य में काफी समय व्यतीत करते थे। इसके अतिरिक्त, वे प्रकृति के रहस्यों के प्रति अत्यंत जिज्ञासु थे तथा प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों के कारणों एवं प्रभावों को जानने की इच्छा रखते थे। वस्तुतः इस तरह की प्रवृत्ति के कारण ही उन्होंने समुद्र के जल के नीले रंग संबंधी कारणों को खोजा और विश्वविख्यात हो गए।

प्रश्न 11. ‘हमारे आस-पास न जाने कितनी ऐसी चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं’- आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: चन्द्रशेखर वेंकट रामन का यह कहना था कि वातावरण में हमारे आस-पास ऐसी अनेक चीजें बिखरी पड़ी रहती हैं जो अपने पात्र की तलाश में रहती हैं अर्थात् वे चीजें चाहती हैं कि कोई उनकी ओर ध्यान दे और उन पर अनुसंधान करे। हमें प्रकृति के बीच छिपे वैज्ञानिक रहस्यों को भेदने का प्रयास करना चाहिए। प्राय: लोग अपने आस-पास पड़ी चीजों की उपेक्षा कर देते हैं। यह एक गलत प्रवृत्ति है।

प्रश्न 12. रामन की खोज भौतिकी के क्षेत्र में क्रांति के समान क्यों थी?

उत्तर: चन्द्रशेखर वेंकट रामन की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी। इससे अनेक बातें प्रमाणित हो गई-

(1) प्रकाश की प्रकृति के बारे में आइंस्टाइन के विचारों का प्रायोगिक प्रमाण मिल गया।

(2) रामन की खोज ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है।

(3) रामन की खोज की वजह से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सरल हो गया।

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