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NCERT Class 9 Hindi Chapter 6 कीचड़ का काव्य
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कीचड़ का काव्य
Chapter: 6
स्पर्श भाग – 1 (गघ-भाग)
गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(1) हम आकाश का वर्णन करते हैं, पृथ्वी का वर्णन करते हैं, जलाशयों का वर्णन करते हैं, पर कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है? कीचड़ में पैर डालना कोई पसंद नहीं करता, कीचड़ से शरीर गया होता है, कपड़े मैले हो जाते हैं। अपने शरीर पर कीचड़ उड़े यह किसी को भी अच्छा नहीं लगता और इसलिए कीचड़ के लिए किसी को सहानुभूति नहीं होती। यह सब यथार्थ है। किंतु तटस्थता से सोचें तो हम देखेंगे कि कीचड़ में कुछ कम सौंदर्य नहीं है। पहले तो यह कि कीचड़ का रंग बहुत सुंदर है। पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवारों पर अथवा शरीर के कीमती कपड़ों के लिए हम सब कीचड़ के जैसे रंग पसंद करते हैं। कलाभिज्ञ लोगों को भट्टी में पकाए हुए मिट्टी के बरतनों के लिए यही रंग बहुत पसंद है। फोटो लेते समय भी यदि उसमें कीचड़ का एकाध ठीकरे का रंग आ जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग खुश हो जाते हैं। पर लो, कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।
प्रश्न- (i) हम किसका वर्णन करते हैं?
(क) आकाश का
(ख) पृथ्वी का
(ग) जलाशयों का
(घ) उपर्युक्त सभी का
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी का।
(ii) कीचड़ से क्या होता है?
(क) शरीर गंदा
(ख) कपड़े मैले
(ग) दोनों (क) और (ख)
(घ) कुछ नहीं
उत्तर: (ग) दोनों (क) और (ख)।
(iii) ‘सौंदर्य’ शब्द है?
(क) भाववाचक संज्ञा
(ख) विशेषण
(ग) क्रिया
(घ) सर्वनाम
उत्तर: (क) भाववाचक संज्ञा।
(iv) ‘वार्मटोन’ कैसा शब्द है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर: (घ) विदेशी।
(v) यह गद्यांश किस पाठ से अवतरित है?
(क) कीचड़
(ख) काव्य
(ग) कीचड़ का काव्य
(घ) काका
उत्तर: (ग) कीचड़ का काव्य।
(2) कीचड़ देखना हो तो गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे और इतने से तृप्ति न हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए। वहाँ मही नदी के मुख से आगे जहाँ तक नजर पहुंचे, वहाँ तक सर्वत्र सनातन कीचड़ ही देखने को मिलेगा। इस कीचड़ में हाथी डूब जाएँगे। ऐसा कहना न शोभा दे-ऐसी अल्पोक्ति करने जैसा है। पहाड़ के पहाड़ उसमें लुप्त हो जाएंगे, ऐसा कहना चाहिए। हमारा अन्न कीचड़ में ही पैदा होता है इसका जाग्रत भान यदि हर एक मनुष्य को होता तो वह कभी कीचड़ का तिरस्कार न करता।
प्रश्न- (i) कीचड़ कहाँ देखा जा सकता है?
(क) गंगा किनारे
(ख) सिंधु के किनारे
(ग) खंभात में
(घ) उपर्युक्त सभी जगह
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी जगह।
(ii) खंभात में कितना कीचड़ होता है?
(क) हाथी डूबने लायक
(ख) घोड़ा डूबने लायक
(ग) ऊँट बने लायक
(घ) बहुत कम
उत्तर: (क) हाथी डूबने लायक।
(iii) ‘अल्पोक्ति’ शब्द संधि-विच्छेद है।
(क) अल्प + उक्ति
(ख) सिंधु + क्ति
(ग) आल्प + क्ति
(घ) अल्पो + ति
उत्तर: (क) अल्प + उक्ति।
(iv) अन्न कहाँ पैदा होता है?
(क) कीचड़ में
(ख) पानी में
(ग) धूल में
(घ) वगीचे में
उत्तर: (क) कीचड़ में।
(v) इस पाठ के रचयिता कौन है?
(क) काका कालेलकर
(ख) यशपाल
(ग) जैनेंद्र
(घ) विद्याधर
उत्तर: (क) काका कालेलकर।
(3) नदी के किनारे जब कीचड़ सूखकर उसके टुकड़े हो जाते हैं, तब ये कितने सुंदर दिखते हैं। ज्यादा गरमी से जब उन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ती है और वे देदे हो जाते हैं, तब सुखाए हुए खोपरे जैसे दीख पड़ते हैं। नदी किनारे मीलों तक जब समतल और चिकना कीचड़ एक सा फैला हुआ होता है, तब वह दृश्य कुछ कम खूबसूरत नहीं होता। इस कीचड़ का पृष्ठ भाग कुछ सूख जाने पर उस पर बगुले और अन्य छोटे-बड़े पक्षी चलते हैं, तब तीन नाखून आगे और अंगूठा पीछे ऐसे उनके पदचिह्न, मध्य एशिया के रास्ते की तरह दूर-दूर तक अंकित देख हमें इसी रास्ते अपना कारवाँ ले जाने की इच्छा होती है।
फिर जब कीचड़ ज्यादा सूखकर जमीन ठोस हो जाए, तब गाय, बैल, पाडे, भैंस, भेड़, बकरे इत्यादि के पत-चिह्न उस पर अंकित होते हैं, उसकी शोभा और ही है।
प्रश्न- (i) नदी के किनारे कीचड़ किस रूप में होता है?
(क) टुकड़ों के रूप में
(ख) सुंदर रूप में
(ग) टेढ़े होकर
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।
(ii) कौन-सा दृश्य सुंदर प्रतीत होता है?
(क) समतल और चिकना कीचड़
(ख) सूखा कीचड़
(ग) खोपरे-सा कीचड
(घ) कोई नहीं
उत्तर: (क) समतल और चिकना कीचड़।
(iii) ‘अंकित’ शब्द में कौन-सा प्रत्यय है?
(क) अंक
(ख) कित
(ग) इत
(घ) त
उत्तर: (ग) इत।
(iv) सूखे कीचड़ की शोभा कौन बढ़ाते हैं?
(क) गाय
(ख) बैल
(ग) भेड़-बकरी
(घ) सभी
उत्तर: (घ) सभी।
(v) इस पाठ के रचयिता हैं:
(क) काका कालेलकर
(ख) यशपाल
(ग) जैनेंद्र
(घ) बनश्याम जोशी
उत्तर: (क) काका कालेलकर।
(4) हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है। इसका जाग्रत भान यदि हर एक मनुष्य को होता तो वह कभी कीचड़ का तिरस्कार न करता एक अजीब बात तो देखिए। पक शब्द घृणास्पद लगता है, जबकि पंकज शब्द सुनते ही कवि लोग डोलने और गाने लगते हैं। मल बिल्कुल मलिन माना जाता है किंतु कमल शब्द सुनते ही थिन में प्रसन्नता और आहारकत्व फूट पड़ते हैं। कवियों को ऐसी युक्तिशून्य वृत्ति उनके सामने हम रखें तो वे कहेंगे कि “आप वासुदेव की पूजा करते हैं, इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, होने का भारी मूल्य देते है किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बांधकर फिरते हैं किन्तु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बांधते।”
प्रश्न- (i) हमारा अन्न किससे पैदा होता है?
(क) कीचड़ से
(ख) खेत से
(ग) मिट्ठी से
(घ) पानी से
उत्तर: (क) कीचड़ से।
(ii) ‘पंक’ शब्द कैसा समझा जाता है?
(क) अच्छा
(ख) घृणास्पद
(ग) ठीक
(घ) सामान्य
उत्तर: (ख) घृणास्पद।
(iii) हम किस शब्द को सुनकर नाचने-गाने लगते हैं?
(क) पंकज
(ख) पंक
(ग) नयन
(घ) जलद
उत्तर: (क) पंकज।
(iv) लेखक को कवियों की वृत्ति कैसी प्रतीत होती है?
(क) युक्तिशून्य
(ख) तर्कपूर्ण
(ग) सही
(घ) गलत
उत्तर: (क) युक्तिशून्य।
(v) पूजा ध्कसकी की जाती है?
(क) वसुदेव की
(ख) वसुदेव की
(ग) कोयले की
(घ) पत्थर की
उत्तर: (ख) वसुदेव की।
(5) आज सुबह पूर्व में कुछ खास आकर्षक नहीं था। रंग की सारी शोभा उत्तर में जमी थी। उस दिशा में तो लाल रंग ने आज कमाल ही कर दिया था परंतु बहुत ही थोड़े से समय के लिए स्वयं पूर्व दिशा ही जहाँ पूरी रंगी न गई हो, वहाँ उत्तर दिशा कर-करके भी कितने नखरे कर सकती? देखते-देखते यहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए और यथाक्रम दिन का आरंभ ही हो गया।
प्रश्न- (i) पूर्व में आज की सुबह कैसी थी?
(क) आकर्षक
(ख) खास आकर्षक नहीं
(ग) अनाकर्षक
(घ) सामान्य
उत्तर: (ख) खास आकर्षक नहीं।
(ii) रंग की सारी शोभा कहाँ जाती थी?
(क) उत्तर में
(ख) पूर्व में
(ग) पश्चिम में
(घ) दक्षिण में
उत्तर: (क) उत्तर में।
(iii) लाल रंग ने क्या किया?
(क) कमाल
(ख) धमाल
(ग) विहाल
(घ) निहाल
उत्तर: (क) कमाल।
(iv) बादल कैसे हो गए?
(क) काले-काले
(ख) सफेद पूनी जैसे
(ग) यथाक्रम
(घ) भूरे
उत्तर: (ख) सफेद पूनी जैसे।
(v) ‘श्वेत’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर: (क) तत्सम।
(6) आज सुबह पूर्व में कुछ खास आकर्षक नहीं था। रंग की सारी शोभा उत्तर में जमी थी। उस दिशा में तो लाल रंग ने आज कमाल ही कर दिया था। परंतु बहुत ही थोड़े से समय के लिए। स्वयं पूर्व दिशा हो जहाँ पूरी रंगीन गई हो, वहाँ उत्तर दिशा कर-करके भी कितने नखरे कर सकती? देखते-देखते वहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए यथाक्रम दिन का आरंभ ही हो गया।
प्रश्न- (i) पाठ में लेखक किस दोपहर सूर्योदय।
(क) सूर्यास्त
(ख) रात्रि
(ग) दोपहर
(घ) सूर्योदय
उत्तर: (घ) सूर्योदय।
(ii) प्रस्तुत पाठ के आधार पर बताइए कि लोगों में तिरस्कार का भाव किसके लिए निहित है?
(क) पंक
(ख) वासुदेव
(ग) नदी
(घ) कमल
उत्तर: (क) पंक।
(iii) रंग की सारी शोभा कहाँ जमी थी?
(क) पूरव
(ख) पश्चिम
(ग) उत्तर
(घ) दक्षिण
उत्तर: (ग) उत्तर।
(iv) बादल किस तरह हो गए थे?
(क) हाथी की तरह
(ख) श्वेत पूनों की तरह
(ग) पहाड़ की तरह
(घ) नदी की तरह
उत्तर: (ख) श्वेत पूनों की तरह।
(v) निम्न में से कौन-सा शब्द आरंभ का पर्यायवाची नहीं है?
(क) प्रारंभ
(ख) शुरूआत
(ग) उत्पत्ति
(घ) दिवस
उत्तर: (घ) दिवस।
प्रश्न-अभ्यास
(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1. रंग की शोभा ने क्या कर दिया?
उत्तर: उत्तर दिशा में लाल रंग की शोभा ने कमाल ही कर दिया। पर यह कमाल बहुत थोड़े समय के लिए था।
प्रश्न 2. बादल किसकी तरह हो गए थे?
उत्तर: बादल सफेद पूनी (रुई की बत्ती) की तरह हो गए थे।
प्रश्न 3. लोग किन-किन चीजों का वर्णन करते हैं?
उत्तर: लोग आकाश का वर्णन करते हैं, पृथ्वी का वर्णन
करते हैं और जलाशयों (तालाबों) का वर्णन करते हैं।
प्रश्न 4. कीचड़ से क्या होता है?
उत्तर: कीचड़ से शरीर गंदा होता है और कपड़े मैले हो जाते हैं।
प्रश्न 5. कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं?
उत्तर: कीचड़ जैसा रंग कलाभिज्ञ और फोटोग्राफर पसंद करते हैं। अन्य कलाप्रेमी भी गत्तों, दीवारों तथा वस्त्रों में इस रंग को पसंद करते हैं।
प्रश्न 6. नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है?
उत्तर: नदी के किनारे कीचड़ तब सुंदर दिखता है जब कीचड़ सूखकर टुकड़े-टुकड़े हो जाता है। ज्यादा गरमी पड़ने पर उन टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं, तब वे सुखाए खोपरे से सुंदर लगते हैं। नदी किनारे फैला समतल और चिकना कीचड़ भी सुंदर लगता है।
प्रश्न 7. कीचड़ कहाँ सुंदर लगता है?
उत्तर: सूखा कीचड़ सुंदर लगता है। इस सूखे कीचड़ पर बगुले तथा अन्य पक्षियों के पद चिह्न सुंदर लगते हैं। इसी सूखी कीचड़ पर गाय, बैल, भैंस, पाड़े, भेड़, बकरी के पदचिह्न भी सुंदर लगते हैं। पाड़ों के सींगों के चिह्न भी सुंदर दृश्य उपस्थित करते हैं।
प्रश्न 8. ‘पंक’ और ‘पंकज’ शब्द में क्या अंतर है?
उत्तर: ‘पंक’ शब्द कीचड़ के लिए आता है, जबकि ‘पंकज’ (पंक + ज) अर्थात् कीचड़ में उत्पन्न ‘कमल’ के लिए आता है। ‘पंक’ से लोग घृणा करते हैं और पंकज को सिर- माथे चढ़ाते हैं।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1. कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति क्यों नहीं होती?
उत्तर: कीचड़ के प्रति किसी की सहानुभूति इसलिए नहीं होती क्योंकि लोग केवल ऊपरी शोभा देखते हैं। वे तटस्थतापर्वक सोच-विचार नहीं करते। लोगों को कीचड़ से घृणा होती है। उन्हें लगता है कि कीचड़ से शरीर गंदा होता है. कपड़े मैले होते हैं। किसी को भी अपने शरीर पर कीचड़ उड़ाना अच्छा नहीं लगता, यही कारण है कि किसी को भी कीचड़ के प्रति सहानुभूति नहीं होती।
प्रश्न 2. जमीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं?
उत्तर: जमीन ठोस होने पर उस पर गाय, बैल, पाड़े, भैंस, भेड़, बकरे आदि के पदचिह्न अंकित होते हैं। ये जानवर जब कीचड़ के सूख जाने पर हुई ठोस जमीन पर अपने पैरों के निशान अंकित करते हैं, तब वह शोभा देखते ही बनती है। इस जमीन पर जब दो मदमस्त पाड़े लड़ते हैं तब उनके पदचिह्न और सींगों के चिह्न भी अनोखी शोभा उत्पन्न करते हैं।
प्रश्न 3. मनुष्य को क्या भान होता, जिससे वह कीचड़ का तिरस्कार न करता?
उत्तर: जब मनुष्य को यह भान होता कि वह जो अन्न खाता है वह अन्न कीचड़ में ही उत्पन्न होता है, तब शायद वह कीचड़ का तिरस्कार नहीं करता।
कीचड़ में ही सभी प्रकार का अन्न उत्पन्न होता है और यह दुर्भाग्य की बात है कि हम उसी कीचड़ का तिरस्कार करते हैं।
प्रश्न 4. पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की क्या विशेषता है?
उत्तर: पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की यह विशेषता है कि वहाँ बहुत अधिक कीचड़ होती है। ऐसा दृश्य गंगा नदी के किनारे या सिंधु नदी के किनारे तो मिलता ही है, इससे भी बढ़कर खंभात में माही नदी के मुख के आगे दिखाई देता है। वहाँ सर्वत्र कीचड़ ही कीचड़ देखने को मिलता है।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1. कीचड़े का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है?
उत्तर: कीचड़ का रंग इन लोगों को खुश करता है-
1. जो लोग पुस्तकों पर गत्ता चढ़ाते हैं।
2. घरों की दीवारों को रँगना चाहते हैं।
3. शरीर पर कीमती कपड़े पहनना चाहते हैं।
4. कलाभिज्ञों को, जो मिट्टी के पके बरतन पसंद करते हैं।
5. फोटोग्राफरों को।
इन सभी लोगों को अपने-अपने कामों के लिए कीचड़ का रंग पसंद आता है। यह रंग उन्हें खुश करता है।
प्रश्न 2. कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?
उत्तर: जब कीचड़ सूख जाता है तब उसके टुकड़े हो जाते हैं और ये टुकड़े सुंदर दृश्य उपस्थित करते हैं। ज्यादा गरमी से इन टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं और वे टुकड़े टेढ़े हो जाते हैं। तब ये टुकड़े सुखाए हुए खोपरे जैसे सुंदर लगते हैं नदी किनारे का समतल और चिकना कीचड़ भी सुंदर दृश्य उपस्थित करता है।
प्रश्न 3. सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है?
उत्तर: सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदी के किनारे दिखाई देता है। कीचड़ का पृष्ठ भाग सूख जाने पर उस पर बगुले और अन्य पक्षियों के चलने से उस पर इनके आगे के तीन नाखूनों तथा पीछे अंगूठे के पदचिह्न अनोखे सौंदर्य की सृष्टि करते हैं। आखी जमीन पर गाय बैल पाडे भैंस भेड बकरी आदि के पदचिह्नों की शोभा भी विशिष्ट होती है। पाड़े के सींगों की छाप भी सौंदर्य उपस्थित करती है।
प्रश्न 4. कवियों की धारणा को लेखक ने युक्ति-शून्य क्यों कहा है?
उत्तर: कवियों की धारणा को लेखक ने युक्ति-शून्य इसलिए कहा है क्योंकि वे ‘पंकज’ को सुनते ही खुश हो जाते हैं जबकि ‘पंक’ शब्द उनमें घृणा का भाव जगा जाता है। वे इस बात को भूल जाते हैं कि इसी पंक (कीचड़) में यह पंकज (कमल) उत्पन्न होता है। वे वस्तु का तो स्वागत करते हैं, पर उसके मूल क्या है? को भुला देते हैं। यह युक्ति शून्यता नहीं है तो और क्या है?
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
1. नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है।
(निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर: इस गद्यांश का आशय यह है कि नदी के किनारे जब दो मदमस्त पाडे (भैंस के बच्चे) अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तब नदी के किनारे उनके पैरों तथा सींगों के चिह्न अंकित हो जाते हैं तो वह दृश्य भैसों के परिवार के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास सामने लाकर उपस्थित कर देता है। ऐसा लगता है कि यह सारा इतिहास इसी कीचड़ में लिखा गया हो अर्थात् कीचड़ में छपे चिह्न उस युद्ध का पूरा हाल बयान कर देते हैं।
2. “आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किन्तु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते!” कम-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम !
(निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर: कवियों का तर्क है कि एक अच्छी चीज को स्वीकार करने के लिए उससे जुड़ी अन्य चीजों या व्यक्तियों को स्वीकार करना आवश्यक नहीं है। ‘वासुदेव’ कृष्ण को कहा जाता है और लोग उनकी पूजा करते हैं तो इसका मतलब यह तो नहीं कि लोग उसके पिता वसुदेव को भी पूजें। हीरा कीमती होता है पर उसी कार्बन का एक अन्य रूप कोयला किसी को अच्छा नहीं लगता। मोती कीमती पदार्थ है और लोग उसे गले में पहनते हैं, पर उसके उत्पत्ति पदार्थ (सीपी) को तो गले में नहीं बाँधा जा सकता। कवियों के अपने तर्क होते हैं। उनसे इस विषय पर बहस करना उचित नहीं है।
भाषा-अध्ययन
1. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए-
जलाशय, सिंधु, पंकज, पृथ्वी, आकाश
उत्तर:
जलाशय | तालाब | सरोवर | जलकुंड |
सिंधु | समुद्र | सागर | जलधि |
पंकज | कमल | सरोज | पद्म |
पृथ्वी | धरती | भूमि | धरा |
आकाश | नभ | गगन | अंबर |
2. निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम भी लिखिए-
(क) कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।
उत्तर: कीचड़ का – संबंध कारक।
(ख) क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है?
उत्तर: किसी ने – कर्ता कारक।
(ग) हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।
उत्तर: हमारा – संबंध कारक।
(घ) पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं।
उत्तर: उस पर – अधिकरण कारक।
(ङ) आप वासुदेव की पूजा करते हैं।
उत्तर: वासुदेव की – संबंध कारक।
3. निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ से भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए-
आकर्षक | यथार्थ | तटस्थता | कलाभिज्ञ पदचिह्न |
अंकित | तृप्ति | सनातन | लुप्त |
जाग्रत | घृणास्पद | युक्तिशून्य | वृत्त |
उत्तर: आकर्षक : यह दृश्य बहुत आकर्षक है।
अंकित : दवा पर उसका मूल्य अंकित है।
घृणास्पद : यह स्थल घृणास्पद है।
यथार्थ : घटना का यथार्थ समझने का प्रयास करें।
तृप्ति : भोजन करके मेरी तृप्ति हो गई।
युक्तिशून्य : तुमसे बहस करना व्यर्थ है क्योंकि तुम्हारी बातें युक्तिशून्य होती हैं।
तटस्थता : हमारा देश ईरान युद्ध में तटस्थता की नीति बनाए हुए था।
सनातन : भारतीय संस्कृति सनातन है।
वृत्ति : उसकी वृत्ति व्यावसायिक है।
कलाभिज्ञ : कलाभिज्ञों का दृष्टिकोण सामान्य लोगों से पृथक् होता है।
लुप्त : अब हमारी संस्कृति की पृथक् पहचान लुप्त होती जा रही है।
पदचिह्न : हमें महान् व्यक्तियों के पदचिह्नों का अनुसरण करना चाहिए।
जाग्रत : अब देश के लोग जाग्रत हो रहे हैं।
4. नीचे दी गई संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग करते हुए कोई अन्य वाक्य बनाइए-
(क) देखते-देखते वहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए।
उत्तर: (क) मेरे देखते-देखते वे लोग लड़ पड़े।
(ख) कीचड़ देखना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए।
उत्तर: (ख) प्राकृतिक सौंदर्य देखना हो तो सीधे गुलमर्ग पहुँचना चाहिए।
(ग) हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है।
उत्तर: (ग) कमल कीचड़ में ही पैदा होता है।
5. न, नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए-
(क) तुम घर मत जाओ।
(ख) मोहन कल नहीं आएगा।
(ग) उसे न जाने क्या हो गया है?
(घ) डाँटो मत प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी नहीं जाऊँगा।
(च) न वह बोला न मैं।
उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।
योग्यता-विस्तार
1. विद्यार्थी सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य देखें तथा अपने अनुभवों को लिखें।
उत्तर: विद्यार्थी सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य स्वयं देखें और अपने अनुभवों का वर्णन करें।
2. कीचड़ में पैदा होने वाली फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर: कीचड़ में पैदा होने वाली फसलें-चावल, गन्ना।
3. भारत के मानचित्र में दिखाएँ कि धान की फसल प्रमुख रूप से किन-किन प्रांतों में उपजाई जाती है?
उत्तर: भारत के मानचित्र में धान की फसल वाले प्रांत दर्शाएँ-विशेषकर असम, पश्चिमी बंगाल।
4. क्या कीचड़ ‘गंदगी’ है? इस विषय पर अपनी कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी कक्षा में इस परिचर्चा का आयोजन करें।
परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
(क) लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. कीचड़ के विषय में तटस्थता से सोचने पर हमारी वृत्ति में क्या बदलाव आ सकता है? ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: कीचड़ के विषय में तटस्थता से सोचने पर हमारी प्रवृत्ति सहानुभूति पूर्ण बन सकती है जैसे कीचड़ में ही सभी प्रकार का अन्न उत्पन्न होता है। सूखा कीचड़ सुंदर लगता है। इस सूखे कीचड़ पर बगुले तथा अन्य पक्षियों के पद चिह्न सुन्दर लगते हैं। इसी सूखी कीचड़ पर गाय, बैल, भैंस, पांडे, भेड़, बकरी के पदचिन्ह भी सुंदर लगते हैं आदि।
प्रश्न 2. पाड़ों के लड़ने से कैसा दृश्य उपस्थित हो जाता है?
उत्तर: लेखक बताता है कि जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तब नदी किनारे अंकित पद-चिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो- ऐसा दृश्य उपस्थित हो जाता है।
प्रश्न 3. कीचड़ को देखने के लिए लेखक कहाँ जाने का परामर्श देता है?
उत्तर: कीचड़ देखना हो तो गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे, और इतने से भी तृप्ति न हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए। वहाँ माही नदी के मुख से आगे जहाँ तक नजर पहुँचे, वहाँ तक सर्वत्र सनातन कीचड़ ही देखने को मिलेगा। वहाँ कीचड़ में हाथी डूब जाएँगे। ऐसा कहना, न शोभा दे ऐसी अल्पोक्ति करने जैसा है, पहाड़ के पहाड़ उसमें लुप्त हो जाएँगे ऐसा कहना चाहिए।
प्रश्न 4. महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास कब और कहाँ लिखा दिखाई देता है? ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास कर्दम लेख अर्थात् कीचड़ पर लिखे लेख के रूप में तब दिखाई देता है, जब सूखकर थोड़ा ठोस हो गए कीचड़ पर दो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तथा जब गाय, बैल, पाड़े, भैंस, भेड़ बकरे आदि के पदचिह्न कीचड़ पर अंकित हो जाते हैं। नदी के किनारे अंकित पदचिह्न तथा सींगों के चिह्नों से महिषकुल के भारतीय युद्ध के इतिहास का आभास होता है।
प्रश्न 5. लोग कीचड़ का तिरस्कार या उसकी उपेक्षा क्यों करते हैं?
उत्तर: लोग कीचड़ को गंदा मानते हैं। उसको छूने से कपड़े मैले हो जाते हैं। कोई न तो अपने कपड़ों पर कीचड़ के छींटे देखना चाहता है, न ही उसमें पैर डालना पसंद करता है। इसी कारण लोग कीचड़ का तिरस्कार या उसकी उपेक्षा करते हैं।
प्रश्न 6. सूखे कीचड़ की शोभा कब बढ़ जाती है? ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: जब कीचड़ सूख जाता है, तो उस पर गाय, बैल, पाड़े, भैंस, भेड़, बकरे आदि खूब चलते-फिरते तथा उठा-पटक करते हैं। भैंसों के पाड़े तो सींग भिड़ाकर युद्ध करते हैं। तब उस सूखे कीचड़ पर जो निशान पड़ जाते हैं, वे बहुत शोभावान प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 7. विज्ञ लोग ‘वार्मटोन’ किसे कहते हैं?’ कीचड़ का काव्य’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: फोटो लेते समय यदि उसमें कीचड़ का, एकाध ठीकरे का रंग आ जाए, तो विज्ञ लोग उसे ‘वार्मटोन’ अर्थात् ऊष्मा की झलक कहकर प्रसन्न होते हैं।
प्रश्न 8. खंभात के कीचड़ की क्या विशेषता है?
उत्तर: खंभात में मही नदी मुख से आगे जहाँ तक नज़र दौड़ाएँगे, वहाँ-वहाँ सर्वत्र सनातन कीचड़ देखने को मिलता है। इस कीचड़ में हाथी डूब जाएँगे, ऐसा कहना न शोभा दे ऐसी अल्पोक्ति करने जैसा है बल्कि इस कीचड़ की विशेषता यह है कि इसमें पहाड़ के पहाड़ लुप्त हो जाते हैं।
प्रश्न 9. ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ में लेखक ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर: ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ में लेखक ने इस बात को कहना चाहा कि हमें कीचड़ के गंदेपन पर नहीं, अपितु उसकी उपयोगिता पर ध्यान देना चाहिए। कीचड़ की उपयोगिता मानव और पशुओं-सभी के जीवन में है। उत्तरी-पूर्वी राज्यों में सबसे ज्यादा पैदा होने वाली धान की फसल कीचड़ में ही होती है। यदि कीचड़ न होता तो मानव और पशु अनेक नियामतों से वंचित रह जाते। लेखक का कहना है कि कीचड़ हेय नहीं, श्रद्धेय है।
प्रश्न 10. सामान्यतः लोग कीचड़ का वर्णन नहीं करते। क्यों?
उत्तर: सामान्यतः लोग अन्य चीजों का तो वर्णन करते हैं. पर कीचड़ का वर्णन नहीं करते। कीचड़ में पैर डालना कोई पसंद नहीं करता। उनका कहना है कि कीचड़ से शरीर गंदा होता है। कपड़े मैले हो जाते हैं। अपने शरीर पर कीचड़ लगे, यह किसी को अच्छा नहीं लगता। इसीलिए कीचड़ किसी को अच्छा नहीं लगता। यही कारण है कि लेखक कीचड़ का वर्णन नहीं करते।
प्रश्न 11. कीचड़ देखना हो तो कहाँ जाना चाहिए?
उत्तर: लेखक बताता है कि यदि कीचड़ देखना हो तो हमें गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे पर जाना चाहिए। यदि इससे भी तृप्ति न मिले तो सीधे खंभात पहुँच जाना चाहिए। वहाँ मही नदी के मुख से आगे जहाँ तक नज़र जाएगी वहाँ सर्वत्र कीचड़ ही कीचड़ देखने को मिलेगा। यहाँ कीचड़ इतना अधिक होता है। कि हाथी भी डूब जाए या पहाड़ लुप्त हो जाएँ।
(ख) निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. कवि किस प्रकार के अटपटे तर्क देते हैं?
(निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर: कवियों को ‘पंक’ शब्द तो बुरा लगता है, क्योंकि इसका अर्थ कीचड़ है, जबकि कीचड़ में उत्पन्न होने वाले ‘पंकज’ अर्थात् कमल शब्द सुनते ही उनका मन डोलने लगता है। ‘कमल’ शब्द सुनते ही उनके चित्त में प्रसन्नता और आह्लाद के तत्व फूट पड़ते हैं। कारण पूछो तो उनके तर्क भी अटपटे होते हैं:
• आप वासुदेव (कृष्ण) की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते अर्थात् पंकज अच्छा लगता है तो यह जरूरी नहीं कि ‘पक’ (कीचड़) भी अच्छा लगे।
• आप हीरे का भारी मूल्य चुका देते हैं, पर उसके अपरूप कोयले या पत्थर का उतना मूल्य नहीं देते।
• आप मोती को गले में बाँधकर फिरते हैं पर उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते।
अर्थात् कोई एक वस्तु महत्त्वपूर्ण हो सकती है, पर उससे संबंधित अन्य वस्तुएँ भी महत्त्वपूर्ण हों, यह जरूरी नहीं।
प्रश्न 2. जब हम कीचड़ के बारे में तटस्थता से सोचते हैं, तब क्या पता चलता है?
उत्तर: यों तो कीचड़ में अनेक कमियाँ बताई जाती हैं, पर जब हम तटस्थता से सोचते हैं तब हमें पता चलता है कि कीचड़ में भी कम सौंदर्य नहीं है। पहले तो कीचड़ का रंग ही बहुत सुंदर होता है। हम पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवारों पर और शरीर पर के कीमती कपड़ों के लिए कीचड़ जैसे रंग ही पसंद करते हैं। कलाभिज्ञ लोगों को भट्टी में पकाए हुए मिट्टी के बर्तनों के लिए यही रंग पसंद आता है। फोटो लेते समय यदि उसमें कीचड़ का एकाध ठीकरे का रंग आ जाए तो उसे वार्मटोन कहा जाता है और इससे लोग खुश होते हैं।
प्रश्न 3. लोगों की कीचड़ के प्रति सोच में क्या विरोधाभास प्रतीत होता है?
उत्तर: लोगों को वैसे तो कीचड़ शब्द घृणास्पद लगता है, पर उन्हीं लोगों को ‘पंकज’ शब्द (पंक + ज) अच्छा लगता है। ‘पंकज’ अर्थात् ‘कमल’ कीचड़ में ही उत्पन्न होता है। ‘पंकज’ शब्द हमें मस्त कर देता है, पर पंक (कीचड़) नहीं। ‘मल’ शब्द भी बिल्कुल मलिन (गंदा) माना जाता है पर यही शब्द ‘क’ के संयोग से जब ‘कमल’ बन जाता है, तब हमारे चित्त में प्रसन्नता फूट पड़ती है। ऐसी ही कुछ दृष्टि विवेक शून्य कवियों की भी है। लोग ‘वासुदेव’ की तो पूजा करते हैं वसुदेव को नहीं पूछते (वसुदेव का पुत्र-वासुदेव)। वे हीरे को मूल्यवान मानते हैं, पर कोयला-पत्थर को नहीं मानते। हीरा-कोयला दोनों कार्बन के ही रूप है। मोती को तो कंठ में बाँध ते हैं, पर उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते। इस प्रकार लोगों की सोच में विरोधाभास पाया जाता है।