NCERT Class 9 Hindi Chapter 18 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

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NCERT Class 9 Hindi Chapter 18 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

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कल्लू कुम्हार की उनाकोटी

Chapter: 18

संचयन भाग – 1 (पूरक पाठ्यपुस्तक)

बोध-प्रश्न

(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. उनाकोटी का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है? 

उत्तर: ‘उना’ का अर्थ है एक कम। ‘कोटी’ का अर्थ है करोड़ अर्थात् ‘उनाकोटी’ का अर्थ है एक करोड़ से एक कम। त्रिपुरा में एक स्थान का नाम उनाकोटी है। एक दंतकथा के अनुसार यहाँ शिव की एक कोटी (करोड़) से एक मूर्ति कम है। इसी कारण इस स्थान का नाम उनाकोटी पड़ा। यह काम कल्लू कुम्हार का बताया गया है।

प्रश्न 2. पाठ के संदर्भ में उनाकोटी स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: कहा जाता है कि एक विशाल चट्टान ऋषि भगीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा का अवतरण हुआ। यह एक पौराणिक कथा है। गंगा के पृथ्वी पर उतरते समय कहीं पृथ्वी धँसकर पाताल लोक में न चली जाए, इसके लिए एक उपाय सोचा गया। इस काम के लिए शिव को तैयार किया गया कि वे पहले गंगा को अपने सिर पर उतारकर अपनी जटाओं में उलझा लें और फिर उसे धीरे-धीरे पृथ्वी पर उतारें। इससे गंगा का वेग घट जाएगा। हुआ भी यही। यही गंगा भागीरथी कहलाई।

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प्रश्न 3. कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया?

उत्तर: कल्लू कुम्हार को उनाकोटी की मूर्तियों का निर्माता माना जाता है। वह पार्वती का भक्त था। वह शिव-पार्वती के साथ उनके निवास कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था। पार्वती ने इसके लिए जोर डाला तो शिव तैयार हो गए, पर उन्होंने एक शर्त रखी कि उसे एक रात में शिव की कोटि (एक करोड़) मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू धुन का पक्का था। वह मूर्तियाँ बनाने के काम में जुट गया। प्रातः काल होने पर जब मूर्तियाँ गिनी गई तो एक मूर्ति कम निकली। शिव को अपना पीछा छुड़ाने का बहाना मिल गया। वे कल्लू कुम्हार को वहीं मूर्तियों के साथ छोड़कर चलते बने।

प्रश्न 4. ‘मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी सी दौड़ गई’- लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है?

उत्तर: लेखक के इस कथन के पीछे यह घटना जुड़ी है- लेखक अपनी शूटिंग में बहुत व्यस्त था। उसे CRPF के जवान सुरक्षा प्रदान कर रहे थे। सुरक्षाकर्मियों ने लेखक का ध्यान निचली पहाड़ियों पर इरादतन रखे दो पत्थरों की तरफ खींचा। उन्होंने यह भी बताया कि यहीं दो दिन पहले उनके एक जवान की विद्रोहियों ने हत्या कर दी थी। इसे सुनकर लेखक की रीढ़ में एक झुरझुरी- सी दौड़ गई।

प्रश्न 5. त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना?

उत्तर: त्रिपुरा राज्य बहुधार्मिक समाज का अच्छा उदाहरण है। यहाँ विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व मौजूद है। यहाँ अगरतला के बाहरी हिस्से में एक सुंदर बौद्ध मंदिर है। यहाँ शिव की उपासना भी होती है।

प्रश्न 6. टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ’? समाज-कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था?

उत्तर: टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय जिन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ, वे थीं-

1. समाज सेविका मंजु ऋषिदास

2. लोकगायक हेमंत कुमार जमातिया।

हेमंत जमातिया लोकगायन के लिए संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत हो चुके हैं। जवानी के दिनों में वे ‘पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन’ के कार्यकर्ता थे। अब वे जिला परिषद् के सदस्य बनकर समाज-सेवा कर रहे हैं।

मंजु ऋषिदास आकर्षक महिला थीं। वे नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व करती थीं। उन्होंने नगर पंचायत को अपने वार्ड में नल का पानी पहुँचाने तथा मुख्य गलियों में ईंट बिछवाने के लिए राजी कर लिया था। यही उनकी समाज-सेवा थी। 

प्रश्न 7. कैलास नगर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी?

उत्तर: कैलासनगर के जिलाधिकारी ने लेखक को आलू की खेती के विषय में काफी जानकारी दी। उन्होंने टी.पी.एस. (टरू पोटेटो सीड्स) की खेती की त्रिपुरा में हुई सफलता के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि आलू की बुआई के लिए आमतौर पर पारंपरिक आलू के बीजों की जरूरत दो मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर पड़ती। टी.पी.एस. की सिर्फ 100 ग्राम मात्रा ही एक हेक्टेयर की बुआई के लिए काफी होती है। अब त्रिपुरा से टी.पी.एस. का निर्यात पड़ोसी राज्यों और देशों को भी किया जा रहा है।

प्रश्न 8. त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए।

उत्तर: त्रिपुरा में अनेक घरेलू उद्योग चलते हैं । यहाँ अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सीकें तैयार होती हैं। इन्हें कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है। इसके अतिरिक्त यहाँ बाँस की विभिन्न चीजें तथा खिलौने बनते हैं। यहाँ गले में पहनने वाली मालाएँ तैयार की जाती हैं।

परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. त्रिपुरा के हिंसाग्रस्त भाग में यात्रा करते समय लेखक की स्थिति का वर्णन करो।

उत्तर: त्रिपुरा के हिंसाग्रस्त इलाके में प्रवेश करने से पहले उनका अंतिम पड़ाव टीलियामुरा ही था। राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर अगले 83 किमी. यानी मनु तक की यात्रा के दौरान ट्रैफिक CRPF की सुरक्षा में काफिलों की शक्ल में चलता रहा। लेखक ने मुख्य सचिव और आई.जी. CRPF से निवेदन किया कि वे उन्हें घेराबंदी में चलने वाले काफिले के आगे चलने दें। थोड़ी ना-नुकर के बाद वे तैयार हो गए। शर्त यह रखी गई कि लेखक और उनके कैमरामैन को हथियारबंद गाड़ी में चलना होगा। यह काफिला 11 बजे के आस-पास चलना शुरू हुआ। लेखक अपनी शूटिंग में व्यस्त था। तभी सुरक्षाकिर्मयों ने निचली पहाड़ियों पर रखे दो पत्थरों की ओर ध्यान दिलाया। इससे लेखक डर गया। उसने सोचा कि इन जंगलों में बंदूक लिए हुए विद्रोही भी हो सकते हैं।

प्रश्न 2. लेखक ने खिड़की से बाहर झाँककर क्या देखा?

उत्तर: लेखक ने खिड़की से बाहर झाँककर देखा कि आकाश बादलों से भरा था। बिजली पागलों की तरह शोर कर रही थी। बिजली के अलावा बिल्कुल सुबह का ठंडा भूरा आकाश था, जो प्रकृति के तांडव के लिए पृष्ठभूमि मुहैया करा रहा था। बिजली गरज-तरज रही थी।

प्रश्न 3. लेखक ने पहले तीन दिनों तक कहाँ शूटिंग की?

उत्तर: लेखक ने पहले तीन दिनों में अगरतला और उसके इर्द-गिर्द शूटिंग की। यह इलाका कभी मंदिरों और महलों के शहर के रूप में जाना जाता था। उज्जयंत महल अगरतला का मुख्य महल है। अब इसमें राज्य विधानसभा बैठती है । यह महल राजा से आम जनता को हस्तांतरित हो चुका है। इससे 183 राजाओं वाले माणिक्य वंश का दुखद अंत हो गया। 

प्रश्न 4. हेमंत जमातिया की क्या विशेषता है?

उत्तर: हेमंत कुमार जमातिया टीलियामुरा के एक प्रसिद्ध लोकगायक हैं। उन्हें 1996 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कृत भी कर चुकी है। वे कोकबारोक बोली (कबीलाई बोली) में गाते हैं। वे कभी पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन के कार्यकर्ता थे, पर अब वे संघर्ष का रास्ता छोड़कर जिला परिषद् के सदस्य बन गए हैं।

प्रश्न 5. टीलियामूरा में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था? ‘कुल्लू कुम्हार की उनाकोटी’ पाठ के आधार पर लिखिए। समाज कल्याण के कार्यों में आपका क्या योगदान रहता है? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय जिन दो प्रमुख परिचय जिन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ, वे थी: 

1. समाज सेविका मंजु ऋषिदास, 

2. लोक गायक हेमंत कुमार जमातिया।

हेमंत जमातिया लोकगायन के लिए संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत हो चुके है। जवानी के दिनों में वे ‘पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन’ के कार्यकर्ता थे। अब वे जिला परिषद् के सदस्य बनकर समाज-सेवा कर रहे है।

मंजु ऋषिदास आकर्षक महिला थी। वे नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व करती थी। उन्होंने नगर पंचायत को अपने वार्ड में नल का पानी पहुँचाने तथा मुख्य गलियों में ईंट बिछवाने के लिए राजी कर लिया था यही उनकी समाज-सेवा थी। 

समाजकल्याण के कार्यों में हम भी योगदान देते है। गलियों में हम सब बच्चे मिलकर कुड़ा इक्ट्ठा करके कूड़ेदान में डालते है और सब गलियों के लोगों को भी कूड़ा फैलाने से रोकते है।

प्रश्न 6. मनु नदी पर लेखक ने क्या दृश्य देखा? 

उत्तर: मनु नदी के किनारे स्थित मनु का एक छोटा-सा कस्बा है। जब लेखक अपने दल के साथ मनु नदी के पार जाने वाले पुल पर पहुँचा तो उसने देखा कि सूर्य मनु के जल में सोना उँडेलता प्रतीत होता था। वहाँ उसने एक काफिला और देखा। यह एक विशाल ड्रैगन जैसा दिख रहा था। डूबते सूरज की रोशनी उसे सुलगा रही थी और लेखक के काफिले को सुरक्षा दे रही थी।

प्रश्न 7. उनाकोटी के बारे में जिलाधिकारी ने क्या जानकारी दी?

उत्तर: उनाकोटी के बारे में जिलाधिकारी ने बताया कि यह भारत का सबसे बड़ा नहीं तो सबसे बड़े शैव तीर्थों में से एक है संसार के इसी हिस्से में युगों से स्थानीय आदिवासी धर्म ही फलते-फूलते रहे हैं। उसने लेखक से पूछा कि क्या वे उनाकोटी में शूटिंग करना पसंद करेंगे? लेखक ने इसके लिए हाँ कर दी।

प्रश्न 8. शूटिंग पूरी होते-होते कैसा दृश्य उपस्थित हो गया?

उत्तर: शूटिंग समाप्त होते-होते शाम के चार बज गए। सूर्य ऊँचे पहाड़ों के पीछे चला गया था और उनाकोटी में डरावना अंधकार छा गया था। थोड़ी ही देर में बादल भी घिर आए। जब तक लेखक की यूनिट अपने उपकरण समेटे तब तक बादलों की सेना ने हमला बोल दिया। तेज वर्षा होने लगी। लगने लगा कि शिव का तांडव शुरू हो गया है।

प्रश्न 9. उज्जयंत महल पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर: उज्जयंत महल अगरतला का मुख्य महल है। इसमें अब यहाँ की राज्य विधानसभा बैठती है। यह महल इस घटना का प्रतीक है कि राजाओं से आम जनता को सत्ता का हस्तांतरण कैसे हुआ। 

प्रश्न 10. मनु नदी पर लेखक ने क्या दृश्य देखा? 

उत्तर: मनु त्रिपुरा की प्रमुख नदी है। जिस समय लेखक मनु नदी के पुल पर पहुँचा, उस समय सूर्य मनु के जल में अपना सोना उँडेल रहा था। वहाँ उसने एक और काफिला देखा। एक साथ बँधे हजारों बाँसों का काफिला एक विशाल ड्रैगन जैसा दिखाई दे रहा था ।

प्रश्न 11. बाहरी लोगों का लगातार त्रिपुरा आना त्रिपुरा के लिए कैसे लाभदायक साबित हुआ?

उत्तर: बाहरी लोगों का लगातार त्रिपुरा में आना त्रिपुरा के लिए इस रूप में लाभदायक साबित हुआ कि यह राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण बन गया। त्रिपुरा में 19 अनुसूचित जातियों और विश्व के चार बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व है। 

प्रश्न 12. त्रिपुरा में कौन-सा महत्त्वपूर्ण शहर बांग्लादेश सीमा के करीब है?

उत्तर: त्रिपुरा में सोनामुरा, बेलोनिया, सबरूम और कैलासनगर जैसे महत्त्वपूर्ण शहर बांग्लादेश की सीमा के करीब हैं। अगरतला भी सीमा चौकी से महज दो किलोमीटर की दूरी पर है।

प्रश्न 13. गायक मंजु ऋषिदास का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

उत्तर: ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है। उसी समुदाय के एक गायक मंजु ऋषिदास से लेखक का परिचय टीलियामुरा शहर के वार्ड-3 में हुआ। मंजु ऋषिदास एक आकर्षक महिला थी। वह एक रेडियो कलाकार होने के साथ-साथ नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थीं। उन्हें अपने वार्ड की समस्याओं की पूरी जानकारी थी।

प्रश्न 14. त्रिपुरा राज्य से आलू की आपूर्ति एवं निर्यात कहाँ-कहाँ किया जाता है?

उत्तर: त्रिपुरा राज्य के उत्तरी जिले में आलू की खेती बहुत बड़ी मात्रा में होती है। यहाँ से आलू की आपूर्ति असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश को जा रही है। इसके साथ-साथ इसका निर्यात बांग्लादेश, मलेशिया और वियतनाम को भी किया जा रहा है।

प्रश्न 15. त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष का मुख्य कारण क्या था?

उत्तर: त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष का मुख्य कारण बांग्लादेश से लोगों की अवैध आवक है। असम और पश्चिम बंगाल से भी लोगों का प्रवास यहाँ होता ही है। कुल मिलाकर बाहरी लोगों की भारी आवक ने जनसंख्या के संतुलन को स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ ला खड़ा किया है। यही त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष का मुख्य कारण है।

प्रश्न 16. त्रिपुरा को अनेक धर्मों का संगम क्यों माना जाता है?

उत्तर: त्रिपुरा को बहुधार्मिक समाज का उदाहरण माना जाता है। त्रिपुरा में 19 अनुसूचित जनजातियों के साथ विश्व के चारों बड़े धर्मो का प्रतिनिधित्व है। वहाँ बौद्ध धर्म का काफी प्रचार-प्रसार है, बौद्ध मंदिर एवं बुद्ध प्रतिमा है। वहाँ हिंदू देवी-देवताओं की काफी मूर्तियाँ हैं। शिव की एक कम करोड़ मूर्तियाँ बनाई गई हैं। शिव का चेहरा एक समूची चट्टान पर बना हुआ है। पूरा इलाका शब्दशः देवी-देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा है।

प्रश्न 17. त्रिपुरा की भौगोलिक स्थिति का वर्णन पाठ के आधार पर कीजिए।

उत्तर: त्रिपुरा भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है। यह तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ है। शेष भारत के साथ इसका जुड़ाव उत्तर-पूर्वी सीमा से सटे मिजोरम और असम के द्वारा बनता है। सोनामुरा, बेलोनिया, सबरूम और कैलासनगर जैसे त्रिपुरा के महत्त्वपूर्ण शहर बांग्लादेश की सीमा के करीब हैं। अगरतल्ला भी सीमा चौकी से केवल दो किलोमीटर पर है।

प्रश्न 18. ‘कल्लू कुम्हार की उनाकोटी’ पाठ के आधार पर शिव की सबसे बड़ी आधार मूर्ति के विषय में बताइए।

उत्तर: एक विशाल चट्टान को काटकर गंगावतरण के मिथक को चित्रित किया गया है। शिव का चेहरा एक समूची चट्टान पर बना हुआ है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हैं। भारत में शिव की यह सबसे बड़ी आधार-मूर्ति है। गंगा अवतरण के धक्के से कहीं पृथ्वी धँसकर पाताल लोक में न चली जाए, इसी लिहाज से शिव की ऐसी मूर्ति तैयार की गई है।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1. प्रायः लोग प्रातःकाल उठकर क्या करते हैं? लेखक अपनी दिनचर्या कैसे प्रारंभ करता है? आप किस प्रकार करते हैं?

उत्तर: प्रायः लोग सुबह चार बजे उठकर पाँच बजे तक तैयार हो लेते हैं और फिर लंबी सैर पर निकल जाते हैं। लेखक आमतौर पर सूर्योदय के साथ उठता है, अपनी चाय खुद बनाता है और फिर चाय के साथ अखबार लेकर अलसायी सुबह का आनंद लेता है। वैसे अखबार पर विशेष ध्यान नहीं रहता। यह तो सिर्फ दिमाग को कटी पतंग की तरह यों ही हवा में तैरने देने का एक बहाना है। इसे वह अपने लिए काफी ऊर्जादायी पाता है। इससे उसे एक और दिन के लिए दुनिया का सामना करने में मदद मिलती है।

मैं प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक कर्मों से निवृत्त होता हूँ। फिर आधा घंटा व्यायाम व योगाभ्यास करता हूँ। फिर एक घंटा अध्ययन करता हूँ।

प्रश्न 2. लेखक त्रिपुरा क्यों गया था? क्या आप भी किसी यात्रा पर गए हैं? उसका अनुभव लिखिए।

उत्तर: लेखक 1999 ई. ‘ऑन द रोड’ नामक टी.वी. सीरियल बनाने के सिलसिले में त्रिपुरा की राजधानी अगरतल्ला गया था। इसके पीछे बुनियादी विचार त्रिपुरा की समूची लंबाई में आर-पार जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से यात्रा करने और त्रिपुरा की विकास संबंधी गतिविधियों के बारे में जानकारी देने का था। इसे तीन खंडों में बनाया जाना था।

मैंने भी सिक्किम की यात्रा की है। मैं वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो गया था। मुझे वहाँ के जन-जीवन को देखकर पता चला कि वे कितना कठोर जीवन व्यतीत करते हैं।

प्रश्न 3. त्रिपुरा के बारे में पाठ के आधार पर जानकारी दीजिए।

उत्तर: त्रिपुरा भारत के छोटे राज्यों में से एक है। इसकी जनसंख्या वृद्धि की दर काफी अधिक है, लगभग 34 प्रतिशत। इसका कारण यहाँ पड़ौसी राज्यों तथा देशों से लोगों का निरंतर आना है। यहाँ बांग्लादेश के लोग भारी संख्या में आते हैं। त्रिपुरा के महत्त्वपूर्ण शहर बांग्लादेश की सीमा के बहुत करीब हैं। यहाँ असम और पश्चिमी बंगाल से भी लोगों का प्रवास होता रहता है। त्रिपुरा तीन ओर से बांग्लादेश से घिरा है और शेष भारत के साथ इसका दुर्गम जुड़ाव उत्तर-पूर्वी सीमा से सटे मिजोरम और असम के द्वारा बनता है। सोनामुर, बेलोनिया, सबरूम और कैलासनगर जैसे त्रिपुरा के महत्त्वपूर्ण शहर बांग्लादेश के साथ इसकी सीमा के करीब हैं। भारी संख्या में बाहरी लोगों के आने से जनसंख्या संतुलन गड़बड़ा गया है। इसी कारण त्रिपुरा के आदिवासियों में असंतोष है।

प्रश्न 4. किसी भी राज्य में बाहरी लोगों के आने से कुछ समस्याएँ उत्पन्न होती हैं तो कुछ अच्छा भी होता है।

– इस कथन के संदर्भ में त्रिपुरा की स्थिति स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: त्रिपुरा में लगातार बाहरी लोगों के आने से कुछ समस्याएँ तो उत्पन्न हुई हैं, पर इससे कुछ अच्छा भी हुआ है। त्रिपुरा के ज्यादातर महत्त्वपूर्ण शहर बांग्लादेश की सीमा के करीब हैं। अत: बांग्लादेश के लोगों की आवक यहाँ जबर्दस्त है। इससे यहाँ की जनसंख्या बहुत बढ़ गई है। इन बाहरी लोगों की आवक ने जनसंख्या संतुलन को स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ ला खड़ा किया है। इससे त्रिपुरा के आदिवासियों में असंतोष है।

इसके बावजूद इसी के कारण त्रिपुरा राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण भी बन गया है। त्रिपुरा में 19 अनुसूचित जनजातियों और विश्व के चारों बड़े धर्मो का प्रतिनिधित्व है।

प्रश्न 5. मंजु ऋषिदास जैसी महिला समाज के सामने क्या उदाहरण प्रस्तुत करती हैं? आप इसे किस रूप में लेते हैं?

उत्तर: टीलियामुरा शहर के वार्ड नं. 3 में लेखक की मुलाकात मंजु ऋषिदास से हुई। वह एक प्रसिद्ध गायिका थी। वह एक आकर्षक महिला थी। ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है। ये लोग वैसे तो जूते बनाने का काम करते हैं, पर इसके साथ-साथ ये लोग थाप वाले वाद्यों जैसे तबला-ढोल के निर्माण और उनकी मरम्मत का काम भी करते हैं। मंजु ऋषिदास रेडियो कलाकार थी। इसके साथ-साथ वह नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व भी करती थी। यद्यपि वह निरक्षर थी, पर वार्ड में पानी पहुँचाने तथा गलियों में ईंटों का फर्श बनवाने का पूरा काम कर चुकी थीं।

हम इसे बहुत अच्छे रूप में लेते हैं। उनका जीवन श्रम के प्रति सम्मान का भाव जगाता है। एक निरक्षर व्यक्ति भी समाज की भलाई का काम बखूबी कर सकता है। उनका जीवन अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है।

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